BA 2nd Semester Geography Question Answers
BA 2nd Semester Geography Question Answers: इस पेज पर बीए सेकंड सेमेस्टर के छात्रों के लिए जियोग्राफी (भूगोल) का Question Answer, Short Format और MCQs Format में दिए गये हैं |
सेकंड सेमेस्टर में “Human Geography (मानव भूगोल)” पेपर पढाया जाता है | यहाँ आपको टॉपिक वाइज प्रश्न उत्तर और नोट्स मिलेंगे |
BA 2nd Semester Geography Online Test in Hindi
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Human Geography (मानव भूगोल)
अध्याय 1: मानव भूगोल का परिचय
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अध्याय 2: मानव-पर्यावरण सम्बन्ध
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अध्याय 3: जनसंख्या वितरण—प्रति रूप
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अध्याय 4: मानव अधिवास (बस्ती)
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अध्याय 5: आदिम अर्थशास्त्र
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अध्याय 6: सांस्कृतिक क्षेत्र
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अध्याय 7: विश्व की जनजातियाँ
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अध्याय 8: भारत की जनजातियाँ
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BA 2nd Semester Geography Important Question Answers
Human Geography (मानव भूगोल)
Unit 1: Introduction to Human Geography (मानव भूगोल का परिचय)
प्रश्न 1: भूगोल का क्या अर्थ है?
उत्तर:
I. परिभाषा: भूगोल (Geography) पृथ्वी की सतह, इसकी विशेषताएँ, और मानव-प्रकृति संबंधों का अध्ययन है।
II. व्यापकता: यह प्राकृतिक और मानवीय उभयनिष्ठ दोनों पहलुओं को कवर करता है।
प्रश्न 2: मानव भूगोल (Human Geography) का क्या अर्थ है?
उत्तर:
I. परिभाषा: मानव भूगोल (Human Geography) मानवीय गतिविधियों, उनके वितरण, और मानव और पर्यावरण के बीच संबंधों का अध्ययन है।
प्रश्न 3: मानव भूगोल (Human Geography) में कौन सी अवधारणाएँ (Concepts) हैं?
उत्तर:
I. स्थान (Place): विशिष्ट भौगोलिक स्थान जो मानवीय गतिविधियों को प्रभावित करते हैं।
II. स्थान (Space): भौगोलिक संबंध और दूरी की अवधारणा।
III. प्रवाह (Flow): लोगों, संसाधनों, और सूचनाओं का आंदोलन।
प्रश्न 4: मानव भूगोल (Human Geography) के विकास की अवस्थाएँ (Development Stages) क्या हैं?
उत्तर:
I. प्रारंभिक स्तर: मानचित्रण और खोज का युग।
II. आधुनिकीकरण: वैज्ञानिक पद्धति, और स्थानिक विश्लेषण का विकास।
III. समकालीन स्तर: सांस्कृतिक, सामाजिक, और राजनीतिक पहलुओं की गहरी समझ।
प्रश्न 5: मानव भूगोल (Human Geography) की प्रकृति (Nature) क्या है?
उत्तर:
I. विविधतापूर्ण: यह विभिन्न सांस्कृतिक, आर्थिक, और सामाजिक आयामों को समझने की कोशिश करता है।
II. गतिशील: मानवीय गतिविधियाँ समय के साथ बदलती हैं, जिससे भूगोल भी गतिशील है।
प्रश्न 6: मानव भूगोल (Human Geography) का क्षेत्र (Scope) क्या है?
उत्तर:
I. व्यापक: यह शहरीकरण, जनसंख्या वितरण, सांस्कृतिक परिवर्तन, आर्थिक गतिविधियों, और पर्यावरणीय प्रभावों को कवर करता है।
प्रश्न 7: मानव भूगोल (Human Geography) की शाखाएँ (Branches) कौन सी हैं?
उत्तर:
I. आर्थिक भूगोल (Economic Geography): आर्थिक गतिविधियों का अध्ययन।
II. सांस्कृतिक भूगोल (Cultural Geography): संस्कृति और स्थान का संबंध।
III. राजनीतिक भूगोल (Political Geography): राजनीतिक सीमाओं और शक्ति का वितरण।
प्रश्न 8: मानव भूगोल (Human Geography) के उद्देश्य (Objectives) क्या हैं?
उत्तर:
I. समझ: मानवीय गतिविधियों और उनके भौगोलिक प्रभावों की समझ विकसित करना।
II. नीति निर्माण: शहरी योजना, संसाधन प्रबंधन, और सामाजिक विकास में योगदान।
प्रश्न 9: मानव भूगोल (Human Geography) का अन्य विज्ञानों के साथ सम्बन्ध (Relationship) क्या है?
उत्तर:
I. समाजशास्त्र (Sociology): सामाजिक संरचनाओं और संस्कृतियों का अध्ययन।
II. अर्थशास्त्र (Economics): आर्थिक सिद्धांतों का भौगोलिक वितरण।
III. पर्यावरण विज्ञान (Environmental Science): मानव-पर्यावरण संबंधों का विश्लेषण।
प्रश्न 10: भारत में भौगोलिक समझ का विकास (Development of Geographical Understanding) किस प्रकार हुआ?
उत्तर:
I. पुराणों का योगदान: पुराणों में भूगोल के वर्णन ने प्राचीन भारतीयों को भूगोल की समझ दी।
II. प्राचीन मानचित्रण: प्राचीन भारतीयों ने व्यापार और खोज के माध्यम से भौगोलिक ज्ञान बढ़ाया।
प्रश्न 11: ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के सिद्धान्त (Theories about the Origin of Universe) क्या हैं?
उत्तर:
I. पुराणिक दृष्टिकोण: ब्रह्मा से उत्पत्ति की कहानियां।
II. वैज्ञानिक दृष्टिकोण: बिग बैंग सिद्धांत जैसे आधुनिक सिद्धांत।
प्रश्न 12: भूगोल एवं पृथ्वी शब्द की उत्पत्ति (Origin of the term Bhugol and the Earth) क्या है?
उत्तर:
I. भूगोल: संस्कृत के ‘भू’ (पृथ्वी) और ‘गोल’ (वृत्त/गोलाकार) से बना है।
II. पृथ्वी: इसकी उत्पत्ति संस्कृत के ‘पृथ्वी’ शब्द से है, जिसका अर्थ है पृथ्वी या भूमि।
प्रश्न 13: भूगोल का पुराणिक विवरण (Puranic Description of Geography) क्या है?
उत्तर:
I. कोस्मोग्राफी: पुराणों में पृथ्वी को कई द्वीपों और पर्वतों के रूप में वर्णित किया गया है।
II. सांस्कृतिक भूगोल: तीर्थ स्थलों, नदियों, और पवित्र स्थानों का वर्णन।
प्रश्न 14: मानव भूगोल (Human Geography) में कौन से विचार (Concepts) महत्वपूर्ण हैं?
उत्तर:
I. स्थानीयता (Locality): स्थान की विशिष्टता और उसका महत्व।
II. संबंध (Interconnectivity): वैश्विक और स्थानीय संबंधों की समझ।
प्रश्न 15: मानव भूगोल (Human Geography) की कौन सी शाखा (Branch) जनसंख्या का अध्ययन करती है?
उत्तर:
I. जनसंख्या भूगोल (Population Geography): यह जनसंख्या के वितरण, घनत्व, वृद्धि दर, और जनसांख्यिकीय विशेषताओं का अध्ययन करती है।
Unit 2: Man-Environment Relationship (मानव-पर्यावरण सम्बन्ध)
प्रश्न 1: मानव भूगोल के सम्प्रदाय (Schools of Human Geography) कौन से हैं?
उत्तर:
I. नियतिवाद (Determinism): यह स्कूल मानता है कि मानवीय गतिविधियाँ और संस्कृतियाँ पूरी तरह से पर्यावरणीय कारकों द्वारा निर्धारित होती हैं। यह प्राकृतिक पर्यावरण को मानवीय व्यवहार का नियंत्रक मानता है, जैसे कि जलवायु, भूमि की रूपरेखा, और प्राकृतिक संसाधन।
II. संभावनावाद (Possibilism): यह विचारधारा मानव की स्वतंत्रता और रचनात्मकता को महत्व देती है। यह सुझाव देती है कि मानव पर्यावरण के साथ कई तरह से अंतःक्रिया कर सकता है, और पर्यावरण केवल एक सीमा निर्धारित करता है, जिसके भीतर मानव अपने विकल्प चुनते हैं।
प्रश्न 2: नियतिवाद (Determinism) का क्या अर्थ है?
उत्तर:
I. परिभाषा: नियतिवाद (Determinism) एक सिद्धांत है जो मानता है कि मानवीय संस्कृति, समाज, और व्यवहार प्राकृतिक पर्यावरण द्वारा पूरी तरह से नियंत्रित होते हैं। यह मानता है कि पर्यावरणीय कारकों जैसे तापमान, वर्षा, भूमि आकृति, और प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता मानवीय गतिविधियों को आकार देती है। उदाहरण के लिए, एक शुष्क क्षेत्र में रहने वाले लोगों की जीवनशैली और संस्कृति उनके पर्यावरण के अनुकूल होती है।
प्रश्न 3: नियतिवाद (Determinism) का केंद्रीय विचार (Central Idea) क्या है?
उत्तर:
I. विचार: नियतिवाद का केंद्रीय विचार यह है कि प्रकृति मानवीय जीवन के हर पहलू को नियंत्रित करती है, चाहे वह आर्थिक गतिविधियाँ हों, सामाजिक संरचनाएँ, या सांस्कृतिक विकास। इसके अनुसार, मानव के पास अपने पर्यावरण के खिलाफ जाने या उसे बदलने की कम से कम स्वतंत्रता है।
प्रश्न 4: भौगोलिक नियतिवाद (Geographical Determinism) के विचारक (Thinkers) कौन हैं?
उत्तर:
I. प्रमुख विचारक:
- एल्सवर्थ हंटिंगटन (Ellsworth Huntington): उन्होंने जलवायु के प्रभावों का अध्ययन किया और मानव सभ्यताओं के उत्थान और पतन को जलवायु परिवर्तन से जोड़ा।
- फ्रेडरिक रैटज़ेल (Friedrich Ratzel): उन्होंने स्थानिक विज्ञान को मानवीय गतिविधियों के साथ जोड़ा, जो कि अंतर्जातीयता के सिद्धांत की नींव रखता है।
- एलेन्सबर्ग (Ellen Churchill Semple): उन्होंने रैटज़ेल के विचारों को आगे बढ़ाया और अमेरिकी महाद्वीप पर इस सिद्धांत को लागू किया।
प्रश्न 5: नियतिवाद (Determinism) का सैद्धांतिक आधार (Theoretical Basis) क्या है?
उत्तर:
I. आधार: नियतिवाद का सैद्धांतिक आधार यह विश्वास है कि प्रकृति के कारक जैसे जलवायु, मिट्टी, भूमि आकृति, और प्राकृतिक संसाधन मानवीय व्यवहार को नियंत्रित करते हैं। यह सिद्धांत मानता है कि मानव समाज अपने पर्यावरण के साथ समायोजित होते हैं और उसी के अनुसार अपनी जीवनशैली, अर्थव्यवस्था, और संस्कृति का विकास करते हैं। यह दृष्टिकोण मानवीय स्वतंत्रता को कम कीमत देता है और पर्यावरण की नियामक भूमिका को अधिक महत्व देता है।
प्रश्न 6: संभावनावाद (Possibilism) का परिचय क्या है?
उत्तर:
I. परिभाषा: संभावनावाद (Possibilism) प्राकृतिक पर्यावरण को मानवीय गतिविधियों का पूर्ण नियंत्रक न मानकर, एक ऐसा क्षेत्र मानता है जहाँ मानव के पास पर्यावरण के साथ अंतःक्रिया करने के लिए कई विकल्प होते हैं। यह मानव की सृजनात्मकता, तकनीकी प्रगति, और सांस्कृतिक विकास को महत्व देता है, जिससे मानव अपने पर्यावरण को आकार दे सकते हैं या उसके अनुसार अपना जीवन ढाल सकते हैं।
प्रश्न 7: संभावनावाद (Possibilism) की अवधारणा और अर्थ क्या है?
उत्तर:
I. अवधारणा: संभावनावाद की अवधारणा यह है कि पर्यावरण मानव की गतिविधियों को सीमित नहीं करता बल्कि संभावित विकल्पों की एक श्रृंखला प्रदान करता है। इसका अर्थ है कि मानव अपनी बुद्धिमत्ता, तकनीक, और सांस्कृतिक विकास की मदद से पर्यावरण के साथ अपने संबंधों को परिभाषित कर सकता है। इस विचारधारा में, मानवीय कार्य और संस्कृति पर्यावरणीय सीमाओं के भीतर ही नहीं, बल्कि उनके बाहर भी विकसित हो सकते हैं।
प्रश्न 8: विडाल का सिद्धांत क्या है?
उत्तर:
I. सिद्धांत: विडाल डे ला ब्लाश (Vidal de La Blache) ने संभावनावाद की अवधारणा को आगे बढ़ाया। उनका मुख्य विचार था कि मानव के पास पर्यावरण के साथ अंतर्क्रिया करने के लिए कई विकल्प होते हैं, जिन्हें वह अपनी संस्कृति, ज्ञान, और तकनीकी क्षमताओं के अनुसार चुनता है। उनका मानना था कि जहाँ नियतिवाद मानव को पर्यावरण का दास मानता है, वहीं संभावनावाद मानव को पर्यावरण के साथ सहयोग करने वाला और उसे बदलने वाला मानता है।
प्रश्न 9: फेवरे का योगदान क्या है?
उत्तर:
I. योगदान: ल्यूसियन फेवरे (Lucien Febvre) ने संभावनावादी दृष्टिकोण को और विकसित किया, जहाँ उन्होंने मानव को एक ‘भौगोलिक अभिकर्ता’ (Geographic Agent) के रूप में देखा। उनका विचार था कि मानव न केवल पर्यावरण के साथ अनुकूल होता है, बल्कि वह पर्यावरण को भी आकार देता है। फेवरे के अनुसार, मानव के पास पर्यावरण के साथ सहजीविता के लिए कई संभावित तरीके होते हैं, और यह मानव की संस्कृति, ज्ञान, और तकनीकी विकास पर निर्भर करता है।
प्रश्न 10: फ्लेरे का क्षेत्रों का वर्गीकरण क्या है?
उत्तर:
I. वर्गीकरण: हेनरी फ्लेरे (Henri Fleure) ने क्षेत्रों को उनकी प्राकृतिक और मानवीय विशेषताओं के आधार पर वर्गीकृत किया। उनके वर्गीकरण में शामिल हैं:
- प्राकृतिक क्षेत्र: जो प्राकृतिक भौगोलिक विशेषताओं जैसे पर्वत, मैदान, और जलवायु पर आधारित होते हैं।
- मानवीय क्षेत्र: जो मानवीय गतिविधियों, संस्कृति, आर्थिक गतिविधियों और राजनीतिक संरचना पर आधारित होते हैं।
फ्लेरे का मानना था कि क्षेत्रों को समझने के लिए इन दोनों पहलुओं को एकीकृत करना जरूरी है।
प्रश्न 11: कार्ल ऑर्टविन सॉयर का क्या योगदान है?
उत्तर:
I. योगदान: कार्ल ऑर्टविन सॉयर (Carl Ortwin Sauer) ने मानव भूगोल में एक घटना-आधारित (Phenomenological) दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया। उन्होंने सांस्कृतिक भूगोल को महत्व दिया, जहाँ मानव-पर्यावरण संबंधों को सांस्कृतिक प्रथाओं, मान्यताओं, और तकनीकों के माध्यम से समझा जाता है। उनका मानना था कि मानव समाज पर्यावरण को नहीं बल्कि पर्यावरण के साथ अनुकूलन करते हुए अपना भूगोल रचते हैं। सॉयर के काम से मानव भूगोल में एक नई दिशा मिली, जिसमें मानवीय गतिविधियों का भूगोलीय परिदृश्य पर प्रभाव महत्वपूर्ण माना गया।
प्रश्न 12: इसा बोमैन ने मानव भूगोल को कैसे परिभाषित किया?
उत्तर:
I. दृष्टिकोण: इसा बोमैन (Isaiah Bowman) ने मानव भूगोल को राजनीतिक भूगोल (Political Geography) के रूप में परिभाषित किया। उनका मानना था कि मानवीय गतिविधियों को समझने के लिए राजनीतिक सीमाएँ, राज्य की संरचना, और राष्ट्रीय हितों का विश्लेषण करना आवश्यक है। बोमैन ने भूगोल के माध्यम से राजनीतिक निर्णयों को समझने और नीतियों को बनाने की उपयोगिता पर जोर दिया। उनके कार्यों में, मानव भूगोल राजनीतिक नक्शों, सीमाओं, और राज्यों की स्थापना के संदर्भ में महत्वपूर्ण हो जाता है।
प्रश्न 13: जीन ब्रुन्हेस का क्या विचार था?
उत्तर:
I. विचार: जीन ब्रुन्हेस (Jean Brunhes) ने संभावनावाद की सोच को आगे बढ़ाते हुए कहा कि “प्रकृति अनिवार्य नहीं है बल्कि स्वीकृति है”। उनका मानना था कि मानव पर्यावरण को एक नियंत्रक के रूप में नहीं देखते बल्कि उसके साथ संबंध बनाते हैं। ब्रुन्हेस के अनुसार, मानवीय विकास पर्यावरणीय अनिवार्यता से नहीं, बल्कि मानवीय चयन और अनुकूलन की प्रक्रियाओं से निर्धारित होता है। उन्होंने मानवीय गतिविधियों को पर्यावरण के साथ एक सहजीवी संबंध के रूप में देखा।
प्रश्न 14: नव-पर्यावरण नियतिवाद (Neo-Environmental Determinism) का क्या अर्थ है?
उत्तर:
I. परिभाषा: नव-पर्यावरण नियतिवाद (Neo-Environmental Determinism) पारंपरिक नियतिवाद का एक आधुनिक रूप है जो मानता है कि हालांकि पर्यावरण मानवीय गतिविधियों पर एक महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है, फिर भी मानव के पास अपनी प्रतिक्रियाओं और अनुकूलनों के लिए कुछ विकल्प मौजूद हैं। यह दृष्टिकोण मानवीय स्वतंत्रता को पहचानता है लेकिन पर्यावरणीय कारकों को भी महत्व देता है, जैसे कि जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक संसाधनों की सीमितता, और भूमि उपयोग। इस सिद्धांत के अनुसार, पर्यावरण मानव के विकल्पों को सीमित कर सकता है लेकिन पूरी तरह से नियंत्रित नहीं करता।
प्रश्न 15: संभावितता (Probabilism) क्या है?
उत्तर:
I. परिभाषा: संभावितता (Probabilism) एक सिद्धांत है जो नियतिवाद और संभावनावाद के बीच एक मध्यमार्ग प्रस्तुत करता है। इसके अनुसार, मानवीय गतिविधियाँ पर्यावरण के प्रति संभावित प्रतिक्रियाओं का परिणाम हैं, जिन्हें संभावना के सिद्धांतों के आधार पर मूल्यांकित किया जा सकता है। संभावितता कहती है कि पर्यावरण मानव के कार्यों की संभावनाओं को प्रभावित करता है, लेकिन मानव के पास अभी भी कई संभावित प्रतिक्रियाएँ चुनने का विकल्प होता है। यह दृष्टिकोण मानवीय विकल्पों को स्वीकार करता है लेकिन पर्यावरणीय प्रभावों को भी स्वीकार करता है, जिससे एक संतुलित दृष्टिकोण मिलता है।
Unit 3: Population Distribution-Pattern (जनसंख्या वितरण—प्रति रूप)
प्रश्न 1: विश्व जनसंख्या का वितरण और प्रतिरूप क्या हैं?
उत्तर: विश्व जनसंख्या का वितरण और प्रतिरूप
- I विश्व जनसंख्या का वितरण: विश्व में जनसंख्या का क्षेत्रवार, देशवार, और महाद्वीपीय वितरण।
- II क्षेत्रवार जनसंख्या: विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में जनसंख्या का वितरण।
- III जनसंख्या का स्थानिक वितरण: जनसंख्या का कैसे विभिन्न स्थानों पर वितरण होता है।
प्रश्न 2: जनसंख्या घनत्व क्या है और इसके क्या प्रकार हैं?
उत्तर: जनसंख्या घनत्व
- I जनसंख्या घनत्व का अर्थ: इकाई क्षेत्रफल में जनसंख्या की संख्या।
- II जनसंख्या घनत्व के प्रकार: आबादी घनत्व, कृषि घनत्व, आर्थिक घनत्व।
- III जनसंख्या घनत्व को प्रभावित करने वाले कारक: जलवायु, भूमि उपयोग, आर्थिक विकास, सामाजिक संरचना।
प्रश्न 3: जनसंख्या वृद्धि के आर्थिक विकास पर सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव क्या हैं?
उत्तर: जनसंख्या वृद्धि / परिवर्तन
- I सकारात्मक प्रभाव: श्रम बल की वृद्धि, बाजार का विस्तार, नवाचार की बढ़ोतरी।
- II नकारात्मक प्रभाव: संसाधनों पर दबाव, बेरोजगारी, पर्यावरणीय क्षति।
प्रश्न 4: वैश्विक जनसांख्यिकी क्या हैं?
उत्तर: वैश्विक जनसांख्यिकी
- I वैश्विक जनसांख्यिकी: वैश्विक स्तर पर जनसंख्या के आँकड़े, प्रवृत्तियाँ, और पैटर्न।
प्रश्न 5: जनसंख्या विस्फोट और अनुकूलतम जनसंख्या के कारण और प्रभाव क्या हैं?
उत्तर: जनसंख्या विस्फोट एवं अनुकूलतम जनसंख्या
- I कारण: चिकित्सा विकास, कृषि उत्पादन में वृद्धि, मृत्यु दर में कमी।
- II प्रभाव: संसाधन की कमी, बेरोजगारी, शहरीकरण, पर्यावरणीय मुद्दे।
प्रश्न 6: जनसंख्या के सिद्धांत क्या हैं?
उत्तर: जनसंख्या के सिद्धांत
- I जनसंख्या का माल्थुसियन सिद्धांत: जनसंख्या वृद्धि और भोजन की आपूर्ति का संबंध।
- II जनसंख्या का अनुकूलतम सिद्धांत: इष्टतम जनसंख्या का विचार जो एक क्षेत्र की अधिकतम क्षमता का उपयोग कर सकती है।
- III जनसांख्यिकी परिवर्तन का सिद्धांत: जनसांख्यिकीय परिवर्तन के चरण।
- IV शून्य जनसंख्या वृद्धि: जनसंख्या वृद्धि का वह बिंदु जहाँ जन्म दर और मृत्यु दर समान हो जाती है।
- V कॉर्नुकोपियन सिद्धांत: संसाधनों की असीमितता और मानव ज्ञान की क्षमता पर जोर।
प्रश्न 7: जनसंख्या की समस्याएं क्या हैं?
उत्तर: जनसंख्या की समस्याएं
- I: संसाधनों की कमी।
- II: बेरोजगारी और गरीबी।
- III: पर्यावरणीय क्षति।
प्रश्न 8: वैश्विक प्रवासन के अर्थ, कारण, और परिणाम क्या हैं?
उत्तर: वैश्विक प्रवासन
- I अर्थ एवं परिभाषा: व्यक्तियों का एक स्थान से दूसरे स्थान की ओर स्थायी या अस्थायी प्रस्थान।
- II कारण: आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक, पर्यावरणीय कारण।
- III परिणाम: सांस्कृतिक मिलन, आर्थिक विकास, सामाजिक तनाव।
प्रश्न 9: प्रवासन के प्रकार और प्रवासी की श्रेणियां क्या हैं?
उत्तर: प्रवासन के प्रकार
- I प्रकार: अंतर्देशीय, अंतर्राष्ट्रीय, अस्थायी, स्थायी।
- II श्रेणियां: आर्थिक प्रवासी, शरणार्थी, विस्थापित, पर्यटक।
प्रश्न 10: अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन क्या है और इसके विभिन्न पहलू कौन से हैं?
उत्तर: अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन
- I अर्थ: व्यक्तियों का देश की सीमाओं के पार स्थायी या अस्थायी प्रस्थान और आगमन।
- II कारण: आर्थिक अवसर, राजनीतिक अस्थिरता, शिक्षा और कौशल के लिए प्रवास, पर्यावरणीय कारक, युद्ध और संघर्ष।
- III प्रभाव: मूल देश में मानव पूंजी का नुकसान, गंतव्य देश में श्रम बल की वृद्धि, सांस्कृतिक विविधता, सामाजिक एकीकरण की चुनौतियाँ, आर्थिक प्रभाव।
- IV नीतियाँ: प्रवास नीतियाँ, नागरिकता और निवास के अधिकार, शरणार्थी नीतियां, प्रवासियों के अधिकार और सुरक्षा।
- V प्रवासी समुदाय: प्रवासी समुदायों का गठन, सांस्कृतिक पहचान का संरक्षण, डायस्पोरा का प्रभाव, प्रवासी संगठन और नेटवर्क।
प्रश्न 11: श्रमिक प्रवासन के सिद्धांत क्या हैं?
उत्तर: श्रमिक प्रवासन सिद्धांत
- I परिचय: श्रमिक प्रवासन के मूल सिद्धांत जो आर्थिक प्रवासन को समझाते हैं।
- II सामाजिक-सांस्कृतिक कारक: परिवार की एकता, सांस्कृतिक नेटवर्क, सामाजिक संबंधों की भूमिका।
- III अहम-ऐतिहासिक कारक: औपनिवेशिक संबंध, इतिहास का प्रभाव, पिछले प्रवासन के पैटर्न।
- IV समकालीन अनुसंधान: आधुनिक तकनीकों, वैश्वीकरण और आर्थिक नीतियों का प्रभाव, नए सिद्धांत जैसे नेटवर्क सिद्धांत और ट्रांसनेशनलिज्म।
- V अन्य मॉडल: द्वंद्व सिद्धांत, प्रवासन का पुश-पुल मॉडल, संवेदी मॉडल, और वैश्विक पूंजीवाद के प्रभाव।
प्रश्न 12: प्रवासन का सिद्धांत क्या है और इसमें कौन से प्रमुख मॉडल शामिल हैं?
उत्तर: प्रवासन का सिद्धांत
- I रेवेनस्टीन के प्रवासन के नियम: प्रवासन के सात नियम जो प्रवासन की दूरी, कारण और प्रकृति को स्पष्ट करते हैं।
- II गुरुत्वाकर्षण मॉडल: जनसंख्या के आकार, दूरी, और अन्य आकर्षण कारकों के आधार पर प्रवासन की भविष्यवाणी करता है।
- III स्टॉफर की गतिशीलता का सिद्धांत: गतिशीलता की संभावना के साथ दूरी का उलटा संबंध।
- IV ली का प्रवासन मॉडल: प्रवासन को प्रभावित करने वाले कारकों को चार श्रेणियों में विभाजित करता है: पुश और पुल कारक, बाधाएँ, और व्यक्तिगत कारक।
- V ज़ेलिंस्की मॉडल: प्रवासन संक्रमण का मॉडल जो समाज के आर्थिक विकास के चरणों के साथ प्रवासन पैटर्न को जोड़ता है।
प्रश्न 13: अधिक जनसंख्या की अवधारणा क्या है और इसके विभिन्न पहलू क्या हैं?
उत्तर: अधिक जनसंख्या की अवधारणा
- I अर्थ: जब जनसंख्या उपलब्ध संसाधनों और पर्यावरण की क्षमता से अधिक हो जाती है।
- II वर्गीकरण: निरपेक्ष अधिक जनसंख्या, सापेक्ष अधिक जनसंख्या, क्षणिक और स्थायी अधिक जनसंख्या।
- III कारण: जन्म दर में वृद्धि, मृत्यु दर में कमी, प्रवासन, संसाधनों का अनुचित प्रबंधन।
- IV परिणाम: पर्यावरणीय नष्टीकरण, स्वास्थ्य समस्याएँ, आर्थिक दबाव, सामाजिक अशांति, गुणवत्ता जीवन में कमी।
- V समाधान: जनसंख्या नियंत्रण नीतियाँ, शिक्षा, सामाजिक जागरूकता, संसाधन प्रबंधन, टिकाऊ विकास।
प्रश्न 14: अल्प जनसंख्या की अवधारणा क्या है और इसके विभिन्न पहलू क्या हैं?
उत्तर: अल्प जनसंख्या की अवधारणा
- I अर्थ: जब जनसंख्या किसी क्षेत्र की आर्थिक और सामाजिक क्षमता से कम होती है।
- II कारण: उच्च मृत्यु दर, कम जन्म दर, प्रवासन, स्वास्थ्य समस्याएँ, शहरीकरण का प्रभाव।
- III प्रभाव: श्रम की कमी, वृद्ध जनसंख्या, आर्थिक सुस्ती, सांस्कृतिक क्षरण, सामाजिक सेवाओं का उच्च खर्च।
- IV समाधान: प्रवासन को प्रोत्साहन, जन्म दर बढ़ाने की नीतियाँ, श्रम आयात, स्वास्थ्य सुधार, शिक्षा और रोजगार के अवसर।
- V उदाहरण: जापान में जनसंख्या कमी, यूरोप के कुछ क्षेत्रों में जनसंख्या स्थिरता, छोटे द्वीप राष्ट्रों में जनसंख्या चुनौतियाँ।
Unit 4: Human Settlement (मानव अधिवास (बस्ती))
प्रश्न 1: मानव अधिवास (बस्ती) का अर्थ, उद्भव, और विकास क्या है?
उत्तर: मानव अधिवास (Human Settlement)
- I अर्थ एवं परिभाषा: मानव अधिवास मनुष्यों द्वारा रहने के लिए बनाए गए स्थान हैं, जिसमें घर, समुदाय, और आधारभूत संरचना शामिल है।
- II उद्भव एवं विकास: मानव अधिवास का उद्भव कृषि, व्यापार, सुरक्षा और सामाजिक आवश्यकताओं से जुड़ा है, जो समय के साथ विकसित हुए।
- III विकास के लिए उत्तरदायी कारक: भूगोल, जलवायु, संसाधन उपलब्धता, सामाजिक संरचना, आर्थिक गतिविधियाँ, और प्रौद्योगिकी।
- IV अधिवास के प्रकार: ग्रामीण और नगरीय अधिवास, जो आकार, घनत्व, और कार्यों में भिन्न होते हैं।
- V प्रकार: इनमें सघन, अर्द्ध-सघन, पुजता, और प्रकीर्ण बस्तियाँ शामिल हैं।
प्रश्न 2: ग्रामीण अधिवास क्या है और इसकी विशेषताएं कौन सी हैं?
उत्तर: ग्रामीण अधिवास (Rural Settlement)
- I अर्थ: ग्रामीण अधिवास वे बस्तियाँ हैं जो आमतौर पर कृषि, मत्स्य पालन या पशुपालन से जुड़ी होती हैं।
- II विशेषताएँ: कम जनसंख्या घनत्व, कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था, पारंपरिक जीवन शैली, समुदाय आधारित संबंध।
- III उत्पत्ति के कारक: भूमि की उपलब्धता, जल स्रोत, सुरक्षा, सामाजिक बंधन, और पर्यावरणीय कारक।
- IV भारत में प्रकार: सघन, अर्द्ध-सघन, पुजता, और प्रकीर्ण बस्तियाँ।
- V प्रकार को प्रभावित करने वाले कारक: जलवायु, भूमि उपयोग, सामाजिक संरचना, और आर्थिक गतिविधियाँ।
प्रश्न 3: ग्रामीण घरों के प्रकार और भारत में इनका वितरण कैसा है?
उत्तर: ग्रामीण घरों के प्रकार/भारत में आवास (Rural House Types/Dwelling in India)
- I परिचय: ग्रामीण घरों का डिज़ाइन स्थानीय परिस्थितियों, सामग्री, और सांस्कृतिक प्रथाओं से प्रभावित होता है।
- II उद्देश्य: सुरक्षा, आराम, सामाजिक संबंधों का संरक्षण, और पर्यावरण के अनुकूलता।
- III विशेषताएँ: संसाधनों का स्थानीय उपयोग, सरल निर्माण पद्धति, स्थानीय जलवायु के अनुरूप डिज़ाइन।
- IV प्रकार एवं वितरण: भारत में घरों के प्रकार जैसे हुत, झोपड़ी, कच्चा मकान, पक्का मकान, विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग पाए जाते हैं।
- V क्षेत्रीय प्रकार: पहाड़ी घर, मैदानी घर, रेगिस्तानी घर, जलवायु और स्थानीय संसाधनों के अनुसार भिन्न होते हैं।
प्रश्न 4: नगरीय अधिवास क्या है और इसकी विशेषताएं कौन सी हैं?
उत्तर: नगरीय अधिवास (Urban Settlement)
- I परिचय: नगरीय अधिवास आर्थिक, सामाजिक, और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र होते हैं।
- II उत्पत्ति: व्यापार, उद्योग, प्रशासन, शिक्षा, और संस्कृति के कारण नगरीय बस्तियों का जन्म हुआ।
- III विशेषताएँ: उच्च जनसंख्या घनत्व, विविध आर्थिक गतिविधियाँ, विकसित बुनियादी ढांचा, और सांस्कृतिक विविधता।
- IV प्रकार: महानगर, नगर, कस्बे, छोटे नगर, उपग्रह शहर, उद्योग नगर।
- V ग्रामीण-नगरीय अन्तर: जनसंख्या घनत्व, आर्थिक गतिविधियाँ, जीवन शैली, और बुनियादी ढांचे में अन्तर।
प्रश्न 5: नगरीय आकृति विज्ञान क्या है और इसके मुख्य प्लाक्षीय कारक कौन से हैं?
उत्तर: नगरीय आकृति विज्ञान (Urban Morphology)
- I परिचय: नगरीय आकृति विज्ञान नगरों की भौतिक संरचना का अध्ययन है।
- II मुख्य प्लाक्षीय कारक: भूमि उपयोग, भवनों की घनत्व, सड़क नेटवर्क, और ऐतिहासिक विकास।
- III सिद्धान्त: सेंट्रल प्लेस थ्योरी, कॉन्केस्ट थ्योरी, सिटी लाइफ सायकल थ्योरी, और न्यू अर्बनिज्म।
- IV ऐतिहासिक प्रभाव: नगरीकरण का इतिहास, शहरी नियोजन, और सांस्कृतिक विरासत।
- V वर्तमान प्रवृत्तियाँ: स्मार्ट शहर, टिकाऊ शहरी विकास, और मिश्रित उपयोग की विकास योजनाएँ।
प्रश्न 6: ग्रामीण-नगरीय सीमांत का अर्थ और विशेषताएं क्या हैं?
उत्तर: ग्रामीण-नगरीय सीमांत (Rural-Urban Fringe):
I अर्थ एवं परिभाषा: ग्रामीण-नगरीय सीमांत वह क्षेत्र है जो ग्रामीण और नगरीय क्षेत्रों के बीच स्थित होता है, जहां नगरीय प्रसार के प्रभाव दिखाई देते हैं।
II विशेषताएँ: इस क्षेत्र में मिश्रित भूमि उपयोग, बढ़ती आवासीय विकास, और उद्योगों का विस्तार देखा जाता है।
III प्रकार: शहरी विस्तार के आधार पर, यह क्षेत्र अधूरा शहरीकरण, कृषि क्षेत्रों का विकास, और नई आवासीय कॉलोनियों के रूप में विभिन्न हो सकता है।
प्रश्न 7: नगरीय प्रभाव क्षेत्र या उमलैंड क्या है?
उत्तर: नगरीय प्रभाव क्षेत्र या उमलैंड (Urban Influence Area or Umland):
I: उमलैंड वह क्षेत्र है जो एक शहर से आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से प्रभावित होता है, भले ही वह क्षेत्र शहर की सीमा के बाहर हो।
II: यह क्षेत्र शहर के लिए आपूर्तिकर्ता के रूप में कार्य करता है, जैसे खाद्य पदार्थ, श्रम, और अन्य संसाधन।
III: उमलैंड का विस्तार नगरीय केंद्र की आर्थिक और सेवा क्षमता पर निर्भर करता है।
प्रश्न 8: नगरीकरण का अर्थ, उद्भव और विकास क्या है?
उत्तर: नगरीकरण (Urbanisation):
I अर्थ एवं परिभाषा: नगरीकरण जनसंख्या और आर्थिक गतिविधियों का शहरी क्षेत्रों में संकेन्द्रण है।
II उद्भव एवं विकास: नगरीकरण औद्योगिक क्रांति, व्यापार मार्गों का विकास, और सामाजिक, राजनीतिक परिवर्तनों से प्रेरित होता है।
III निर्धारक: आर्थिक अवसर, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं, प्रशासनिक कार्य, और सांस्कृतिक आकर्षण नगरीकरण को बढ़ावा देते हैं।
प्रश्न 9: नगरीकरण के निर्धारक क्या हैं?
उत्तर: नगरीकरण के निर्धारक (Causes of Urbanisation):
I: औद्योगीकरण और आर्थिक विकास जो रोजगार के अवसरों को शहरों में केंद्रित करता है।
II: शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बेहतर सेवाएं शहरों में उपलब्ध होना।
III: संचार और परिवहन के सुधार जो ग्रामीण से नगरीय पलायन को सुविधाजनक बनाते हैं।
प्रश्न 10: नगरीकरण के सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय प्रभाव क्या हैं?
उत्तर: नगरीकरण के प्रभाव:
I सामाजिक प्रभाव: सांस्कृतिक विविधता, सामाजिक मोबिलिटी, लेकिन इसके साथ सामाजिक समस्याएं जैसे अपराध और सामाजिक अलगाव भी आते हैं।
II आर्थिक प्रभाव: आर्थिक विकास, रोजगार सृजन, लेकिन असमानता, बेरोजगारी, और आवास की कमी भी।
III पर्यावरणीय प्रभाव: पर्यावरण प्रदूषण, शहरी हीट आइलैंड, प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक उपयोग, और हरित क्षेत्रों की कमी।
प्रश्न 11: नगरीकरण की चुनौतियाँ और समाधान क्या हैं?
उत्तर: नगरीकरण की चुनौतियाँ और समाधान:
I चुनौतियाँ: अत्यधिक जनसंख्या घनत्व, संसाधनों पर दबाव, बुनियादी ढांचे की कमी, शहरी गरीबी, और पर्यावरणीय क्षति।
II समाधान: सतत विकास की नीतियाँ, शहरी योजना, स्मार्ट शहरों का विकास, सामाजिक आवास कार्यक्रम, और पर्यावरणीय प्रबंधन।
प्रश्न 12: मानव अधिवास का भविष्य कैसा दिखता है?
उत्तर: मानव अधिवास का भविष्य:
I: शहरीकरण की गति जारी रहने की संभावना है, जो नए शहरी रूप और जीवन शैली को जन्म देगी।
II: तकनीकी विकास आवास, परिवहन और सेवाओं को बदलेगा, जैसे कि स्मार्ट होम्स और ऑनलाइन सेवाएं।
III: जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय चिंताएँ अधिवास डिज़ाइन और नियोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।
प्रश्न 13: ग्रामीण अधिवास के भविष्य में क्या परिवर्तन देखे जा सकते हैं?
उत्तर: ग्रामीण अधिवास का भविष्य:
I: कृषि का आधुनिकीकरण और ग्रामीण विकास कार्यक्रम ग्रामीण अधिवासों को बदल सकते हैं।
II: टेलीकम्युनिकेशन और डिजिटलाइजेशन से ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन स्तर में सुधार होगा।
III: प्रवासन की प्रवृत्ति बदल सकती है अगर ग्रामीण क्षेत्र आर्थिक और सामाजिक अवसर प्रदान करें।
प्रश्न 14: नगरीय अधिवास के प्रकारों में भविष्य में क्या विविधता देखी जा सकती है?
उत्तर: नगरीय अधिवास के प्रकारों में विविधता:
I: वर्टिकल शहरीकरण, जहां स्थान की कमी को ऊंची इमारतों से संभाला जाएगा।
II: मिश्रित उपयोग वाले विकास, जो रहने, काम करने, और मनोरंजन के लिए एकीकृत स्थान बनाते हैं।
III: पारिस्थितिक शहर, जो पर्यावरणीय स्थिरता को प्राथमिकता देते हैं, जैसे कि ग्रीन बिल्डिंग्स और कार्बन न्यूट्रल शहर।
प्रश्न 15: क्या मानव अधिवास के पैटर्न में भविष्य में कोई महत्वपूर्ण परिवर्तन हो सकते हैं?
उत्तर: मानव अधिवास पैटर्न में भविष्य के परिवर्तन:
I: प्रौद्योगिकी और दूरसंचार के उन्नयन से, दूरस्थ कार्य और जीवन शैली में बदलाव देखे जा सकते हैं, जिससे लोगों को कहीं भी रहने की स्वतंत्रता मिल सकती है।
II: जलवायु परिवर्तन के कारण, अधिवास के पैटर्न को अधिक जलवायु-अनुकूल बनाया जाएगा, जिसमें तटीय क्षेत्रों से पलायन या ऊंचाई पर रहने की प्रवृत्ति शामिल हो सकती है।
III: सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को कम करने के प्रयास से, नए प्रकार के सामाजिक और सहकारी आवासों का विकास हो सकता है।
Unit 5: Primitive Economics (आदिम अर्थशास्त्र)
प्रश्न 1: आदिम अर्थशास्त्र की अवधारणा क्या है?
उत्तर: आदिम अर्थशास्त्र की अवधारणा:
I: आदिम अर्थशास्त्र उन अर्थव्यवस्थाओं को जानता है जो पूर्व-औद्योगिक हैं और जहाँ संसाधनों का उपयोग और वितरण पारंपरिक, समुदाय-आधारित तरीकों से होता है।
II: इसमें स्थानीय संसाधनों का उपयोग, बिना मुद्रा के व्यापार, और सामाजिक संबंधों के माध्यम से आर्थिक गतिविधियाँ शामिल हैं।
III: यह अर्थशास्त्र सीमित उत्पादकता, स्वयं-पर्याप्तता, और प्रकृति के साथ सामंजस्य पर आधारित होता है।
प्रश्न 2: आदिम अर्थशास्त्र की विशेषताएं क्या हैं?
उत्तर: आदिम अर्थशास्त्र की विशेषताएँ:
I: सीमित विशेषज्ञता और विभाजन के साथ जीविकोपार्जन।
II: स्वयं-पर्याप्तता और निर्वाह की अर्थव्यवस्था पर जोर।
III: सामुदायिक संसाधन प्रबंधन और सामूहिक स्वामित्व।
प्रश्न 3: आदिम अर्थव्यवस्था के प्रकार कौन से हैं?
उत्तर: आदिम अर्थव्यवस्था के प्रकार:
I: भोजन एकत्र करना और शिकार करना।
II: देहाती पशुपालन (पशुचारण)।
III: मत्स्य पालन।
प्रश्न 4: शिकार-संग्रह करने की विशेषताएं क्या हैं?
उत्तर: शिकार-संग्रह करने की विशेषताएँ:
I: प्रकृति पर निर्भरता, संसाधनों की उपलब्धता पर जीवन।
II: छोटे, लचीले समूहों में रहना, जो अपने पर्यावरण से तालमेल रखते हैं।
III: औजार और तकनीक का सीमित विकास।
प्रश्न 5: शिकारी-संग्राहक संस्कृति के क्या प्रमुख तत्व हैं?
उत्तर: शिकारी-संग्राहक संस्कृति:
I: समुदाय की एकता, सहयोग, और साझा करने की प्रथा।
II: ऋतुओं और पर्यावरणीय परिवर्तनों के अनुसार जीवन।
III: ज्ञान और कौशल का मौखिक प्रसारण।
प्रश्न 6: पशुपालन की अवधारणा क्या है?
उत्तर: देहाती पशुपालन (Pastoralism):
I अवधारणा: पशुपालन वह आर्थिक प्रणाली है जिसमें पशु जैसे गाय, भेड़, और ऊंट रखे जाते हैं, जिनसे दूध, मांस, ऊन या अन्य उत्पाद प्राप्त किए जाते हैं।
II उत्पत्ति: पशुपालन की शुरुआत प्राकृतिक संसाधनों को प्रबंधित करने और उनका उपयोग करने की जरूरत से हुई, जो कृषि के विकास (development) के साथ-साथ हुई।
III विशेषताएँ: यह जीवन शैली चराई के लिए चलने-फिरने, मौसमी प्रवासन (seasonal migration) और समुदाय के स्तर पर संसाधनों के प्रबंधन से जुड़ी है।
प्रश्न 7: पशुपालन के कौन से रूप हैं?
उत्तर: पशुपालन के रूप (Forms of Pastoralism):
I नोमैडिक पशुपालन (Nomadic Pastoralism): पूर्णकालिक घुमंतू (nomadic) जीवन, जहाँ समुदाय पूरे वर्ष चरागाहों की तलाश में चलते रहते हैं।
II ट्रांसहुमेंट पशुपालन (Transhumant Pastoralism): मौसमी प्रवास (seasonal migration), जहाँ पशु और चरवाहे कुछ महीनों के लिए ऊंचाई या दूर के चरागाहों में जाते हैं।
III सेडेंटरी पशुपालन (Sedentary Pastoralism): स्थायी बस्तियों में रहना, लेकिन पशुओं को चराने के लिए उन्हें दूर ले जाना।
प्रश्न 8: मत्स्य पालन का इतिहास कैसा रहा है?
उत्तर: मत्स्य पालन (Fishing):
I इतिहास: मत्स्य पालन मानव इतिहास के साथ-साथ विकसित हुआ है, प्रागैतिहासिक समय (prehistoric times) से ही मछली पकड़ने के सबूत मिलते हैं।
II विकास: समय के साथ मत्स्य पालन तकनीकों में सुधार हुआ, मछली पकड़ने के उपकरण (fishing tools) और नावों (boats) का विकास हुआ।
III प्रभाव: मत्स्य पालन ने मानव समुदायों की आर्थिक संरचना, आहार (diet), और बस्तियों के स्थान निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
प्रश्न 9: मत्स्य पालन की अवधारणा क्या है?
उत्तर: मत्स्य पालन (Fishing):
I अवधारणा: मत्स्य पालन मछली और अन्य जलीय जीवों को पकड़ने की कला और विज्ञान है, जो मानव उपभोग के लिए किया जाता है।
II महत्व: यह एक प्रमुख खाद्य स्रोत है और कई समुदायों की आजीविका (livelihood) का आधार है।
III प्रकार: व्यावसायिक मत्स्य पालन (commercial fishing), पारंपरिक मत्स्य पालन (traditional fishing), और खेल मछली पकड़ना (sport fishing) शामिल हैं।
प्रश्न 10: विश्व में मत्स्य पालन की पारम्परिक तकनीक क्या हैं?
उत्तर: पारम्परिक मत्स्य पालन तकनीक (Traditional Fishing Techniques):
I तकनीक: हाथ से मछली पकड़ना, फेंकने वाले जाल (cast nets), लंबी रेखा मछली पकड़ना (longlining), और छोटे जाल (trap nets)।
II सांस्कृतिक महत्व: ये तकनीकें कई संस्कृतियों में ज्ञान और कौशल की परंपरा का हिस्सा हैं।
III पर्यावरणीय अनुकूलन: ये विधियाँ स्थानीय परिस्थितियों और जलीय जीवन के पैटर्न के साथ सामंजस्य बैठाती हैं।
प्रश्न 11: मत्स्य पालन पोत क्या हैं?
उत्तर: मत्स्य पालन पोत (Fishing Vessels):
I उद्देश्य: मत्स्य पालन पोत मछली पकड़ने, संग्रहण और परिवहन के लिए उपयोग की जाने वाली नावें हैं।
II विविधता: ये छोटी नावों से लेकर बड़े व्यावसायिक पोतों (commercial vessels) तक हो सकती हैं।
III तकनीकी विकास: समय के साथ, इन पोतों में नेविगेशन (navigation), सुरक्षा और मछली पकड़ने की क्षमता में सुधार हुआ है।
प्रश्न 12: मत्स्य पालन पोतों का वर्गीकरण कैसे होता है?
उत्तर: मत्स्य पालन पोतों का वर्गीकरण (Categorisation of Fishing Vessels):
I आकार: छोटे पोत (small boats), मध्यम पोत (medium vessels), और बड़े पोत (large vessels)।
II प्रयोग: तटीय पोत (coastal vessels), दूर समुद्री पोत (deep-sea vessels), और बहुउद्देश्यीय पोत (multi-purpose vessels)।
III प्रौद्योगिकी: पारंपरिक पोत (traditional vessels) बनाम आधुनिक पोत (modern vessels) जो उन्नत तकनीकों से लैस हैं।
प्रश्न 13: लकड़ी काटना (लॉगिंग) क्या है?
उत्तर: लकड़ी काटना (Lumbering):
I अर्थ: लकड़ी काटना पेड़ों को काटने और लकड़ी को प्रसंस्करण के लिए तैयार करने की प्रक्रिया है।
II प्रक्रिया: इसमें पेड़ों की कटाई, लकड़ी का परिवहन (transportation), और प्राथमिक प्रसंस्करण (primary processing) शामिल है।
III प्रभाव: इसका पर्यावरण पर बड़ा प्रभाव पड़ता है, जिसमें वन क्षेत्र की हानि (forest depletion) और जैव विविधता का नुकसान शामिल है।
प्रश्न 14: लॉगिंग क्या है?
उत्तर: लॉगिंग (Logging):
I अर्थ: लॉगिंग लकड़ी काटने का एक विशिष्ट रूप है जो वाणिज्यिक पैमाने पर होता है।
II तकनीक: यह मशीनीकरण (mechanization) के साथ बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई को संदर्भित करता है।
III नियमन: लॉगिंग को वन संरक्षण (forest conservation) के नियमों और नीतियों से नियंत्रित किया जाता है।
प्रश्न 15: वानिकी क्या है?
उत्तर: वानिकी (Forestry):
I अवधारणा: वानिकी वन क्षेत्रों के प्रबंधन (management), संरक्षण (conservation), और विकास का विज्ञान और कला है।
II प्रमुख कार्य: यह वनों की सतत उपयोगिता (sustainable use), पुनर्वनीकरण (reforestation), और वन संपदा के संरक्षण से संबंधित है।
III व्यापक दृष्टिकोण: वानिकी न केवल लकड़ी के उत्पादन पर बल्कि पर्यावरणीय स्वास्थ्य, जलवायु परिवर्तन, और जैव विविधता के संरक्षण पर भी ध्यान केंद्रित करती है।
Unit 6: Cultural Region (सांस्कृतिक क्षेत्र)
प्रश्न 1: सांस्कृतिक क्षेत्र का परिचय क्या है?
उत्तर:
I. परिभाषा: सांस्कृतिक क्षेत्र एक ऐसा भौगोलिक क्षेत्र है जिसे सामान्य सांस्कृतिक विशेषताओं जैसे भाषा, धर्म, परंपरा, और रीति-रिवाजों के आधार पर परिभाषित किया जाता है।
II. महत्व: ये क्षेत्र मानवीय गतिविधियों को समझने में सहायक होते हैं और किसी समाज की पहचान को निर्धारित करते हैं।
III. सीमाएं: सांस्कृतिक क्षेत्रों की सीमाएं हमेशा स्पष्ट नहीं होतीं; वे अक्सर ओवरलैप या ट्रांसीशनल ज़ोन हो सकते हैं।
IV. उदाहरण: भारत में, केरल को इसकी अनोखी संस्कृति, भाषा (मलयालम), और परंपराओं के कारण एक सांस्कृतिक क्षेत्र के रूप में पहचाना जाता है।
V. विकास: सांस्कृतिक क्षेत्र समय के साथ विकसित होते हैं, सांस्कृतिक प्रसार, प्रवास, और स्थानीयकरण के प्रभाव से।
प्रश्न 2: सांस्कृतिक क्षेत्र का अर्थ क्या है?
उत्तर:
I. सांस्कृतिक पहचान: सांस्कृतिक क्षेत्र का अर्थ है एक ऐसा क्षेत्र जहां निवासियों की सांस्कृतिक पहचान समान होती है या एक जैसी होती है।
II. समानता: यह आमतौर पर भाषा, धर्म, खान-पान, पोशाक, और सामाजिक संरचनाओं में समानता से परिभाषित होता है।
III. भौगोलिक संदर्भ: ये क्षेत्र भौगोलिक रूप से परिभाषित होते हैं, लेकिन सांस्कृतिक तत्वों से जुड़े होते हैं।
IV. गतिशीलता: सांस्कृतिक क्षेत्र गतिशील होते हैं, समय और संस्कृतियों के मेलजोल से बदलते रहते हैं।
V. व्यापकता: कभी-कभी, सांस्कृतिक क्षेत्र बहुत व्यापक हो सकते हैं, जैसे कि इस्लामी सांस्कृतिक क्षेत्र जो कई देशों में फैला होता है।
प्रश्न 3: सांस्कृतिक क्षेत्रों के प्रकार क्या हैं?
उत्तर:
I. कोर क्षेत्र (Core Region): ये वे क्षेत्र हैं जहां सांस्कृतिक लक्षण सबसे अधिक मजबूत और स्पष्ट हैं।
II. पेरिफेरल क्षेत्र (Peripheral Region): ये कोर क्षेत्र के पास होते हैं लेकिन सांस्कृतिक लक्षण कम तीव्र होते हैं।
III. ट्रांसीशनल क्षेत्र (Transitional Region): यहां सांस्कृतिक विशेषताएं एक क्षेत्र से दूसरे में बदलती हैं।
IV. होमोजीनस क्षेत्र (Homogeneous Region): जहां सांस्कृतिक लक्षण समान होते हैं, उदाहरण के लिए, जापान का बहुत हिस्सा।
V. फंक्शनल क्षेत्र (Functional Region): जहां सांस्कृतिक कार्यक्रम या गतिविधियां केंद्रीय बिंदु के चारों ओर फैली होती हैं, जैसे कि एक धार्मिक केंद्र के आसपास का क्षेत्र।
प्रश्न 4: विश्व के सांस्कृतिक क्षेत्र कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
I. एंग्लो-अमेरिकन क्षेत्र: उत्तरी अमेरिका, ब्रिटेन, और ऑस्ट्रेलिया जहां अंग्रेजी भाषा और पश्चिमी संस्कृति प्रमुख है।
II. लैटिन अमेरिकी क्षेत्र: दक्षिण और मध्य अमेरिका जहां स्पेनिश, पुर्तगाली भाषा और कैथोलिक धर्म प्रमुख है।
III. इस्लामी क्षेत्र: मध्य पूर्व, उत्तरी अफ्रीका, इंडोनेशिया, पाकिस्तान आदि जहां इस्लाम प्रमुख धर्म है।
IV. हिंदू-बौद्ध क्षेत्र: भारत, नेपाल, श्रीलंका, थाईलैंड, और इंडोनेशिया जहां हिंदू और बौद्ध धर्मों की प्रभावी संस्कृति है।
V. सिनो-जापानी क्षेत्र: चीन, कोरिया, जापान, और ताइवान जहां कन्फ्यूशियसवाद, ताओवाद, और शिंतोवाद प्रभावी हैं।
प्रश्न 5: सांस्कृतिक प्रसार का अर्थ क्या है?
उत्तर:
I. परिभाषा: सांस्कृतिक प्रसार वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा सांस्कृतिक लक्षण, विचार, प्रथाएं, या प्रौद्योगिकी एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में फैलते हैं।
II. प्रसार के साधन: संचार, व्यापार, प्रवास, यात्रा, और युद्ध जैसे माध्यमों से सांस्कृतिक प्रसार होता है।
III. सांस्कृतिक परिवर्तन: यह प्रक्रिया सांस्कृतिक परिवर्तन को प्रेरित करती है, जिससे सांस्कृतिक विविधता बढ़ती है या कम होती है।
IV. वैश्वीकरण: आधुनिक समय में, वैश्वीकरण ने सांस्कृतिक प्रसार को तेज कर दिया है।
V. उदाहरण: अंग्रेजी भाषा का विश्वव्यापी प्रसार एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
प्रश्न 6: सांस्कृतिक प्रसार के प्रकार क्या हैं?
उत्तर:
I. विस्तारी प्रसार (Expansion Diffusion): जब सांस्कृतिक तत्व मूल स्थान से फैलते हुए उस स्थान पर भी बने रहते हैं।
- हियरार्किकल (Hierarchical): ऊपर से नीचे की ओर प्रसार, जैसे कि फैशन।
- कंटेजियस (Contagious): व्यक्ति से व्यक्ति तक सीधा संचार, जैसे कि बीमारियाँ।
- स्टिमुलस (Stimulus): जब एक विचार या प्रथा किसी अन्य संस्कृति में अनुकूलित होती है।
II. पुनर्स्थापना प्रसार (Relocation Diffusion): जब लोग एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते हैं तो वे अपनी संस्कृति को भी ले जाते हैं, जैसे कि प्रवासियों के माध्यम से।
प्रश्न 7: जाति का अर्थ एवं परिभाषा क्या है?
उत्तर:
I. अर्थ: जाति एक ऐसा शब्द है जिसका उपयोग मानव समूहों के वर्गीकरण के लिए किया जाता है, जो सामान्य भौतिक विशेषताओं जैसे त्वचा का रंग, बालों का रंग, चेहरे की संरचना आदि के आधार पर होता है।
II. परिभाषा: जाति को एक ऐसे समूह के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसके सदस्यों में आनुवंशिक रूप से समान विशेषताएं होती हैं जो पीढ़ी दर पीढ़ी स्थानांतरित होती हैं।
III. विवादास्पदता: जाति की अवधारणा को अक्सर विवादास्पद माना जाता है क्योंकि यह जैविक विविधता की तुलना में सामाजिक निर्माण के अधिक करीब होती है।
IV. सांस्कृतिक संदर्भ: जाति की धारणा सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, और राजनीतिक संदर्भों में भिन्न हो सकती है।
प्रश्न 8: प्रजातीय वर्गीकरण का आधार क्या है?
उत्तर:
I. भौतिक विशेषताएं: जैसे त्वचा का रंग, बालों का प्रकार, आंखों का आकार, और चेहरे की संरचना।
II. जैविक मार्कर: जैसे कि रक्त समूह, जीन के विशेष पैटर्न, और अन्य जैविक लक्षण।
III. भाषाई और सांस्कृतिक मतभेद: हालांकि ये जैविक नहीं हैं, लेकिन कभी-कभी प्रजातीय वर्गीकरण में शामिल किए जाते हैं।
IV. जियोग्राफिकल आइसोलेशन: समय के साथ भौगोलिक अलगाव ने विभिन्न जातियों के विकास में योगदान दिया।
V. ऐतिहासिक संदर्भ: इतिहास के दौरान हुई प्रवासन, मिश्रण, और अन्य जनसांख्यिकीय प्रक्रियाएं।
प्रश्न 9: धर्म का अर्थ एवं परिभाषा क्या है?
उत्तर:
I. अर्थ: धर्म (Religion) मानव जीवन को दिशा देने वाले आध्यात्मिक, नैतिक, और सामाजिक मूल्यों का एक समूह है।
II. परिभाषा: धर्म को एक ऐसी प्रणाली के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो मानव के अस्तित्व, ब्रह्मांड (universe), और उनके बीच के संबंधों को समझने का प्रयास करती है और इसमें पूजा, रीति-रिवाज (rituals), नैतिक नियम, और समुदाय की भावना शामिल है।
प्रश्न 10: धर्म का वर्गीकरण कैसे किया जाता है?
उत्तर:
I. मोनोथियस्टिक (Monotheistic): एक ईश्वर की पूजा करने वाले धर्म जैसे कि ईसाई धर्म (Christianity) और इस्लाम (Islam)।
II. पॉलीथियस्टिक (Polytheistic): कई देवताओं की पूजा करने वाले धर्म जैसे प्राचीन ग्रीक धर्म और हिंदू धर्म (Hinduism)।
III. नॉन-थियस्टिक (Non-theistic): जहां ईश्वर या देवता की अवधारणा न हो, जैसे बौद्ध धर्म (Buddhism) में।
IV. एनीमिस्टिक (Animistic): प्रकृति या वस्तुओं में आत्माओं का विश्वास, जैसे कई जनजातीय धर्मों (tribal religions) में।
प्रश्न 11: विश्व के प्रमुख धर्म कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
I. ईसाई धर्म (Christianity): सबसे बड़ा धर्म, जिसका मूल यहूदी परंपरा में है।
II. इस्लाम (Islam): दूसरा सबसे बड़ा धर्म, जिसे पैगम्बर मुहम्मद ने स्थापित किया।
III. हिंदू धर्म (Hinduism): सबसे पुराना धर्म, मुख्य रूप से भारत में प्रचलित।
IV. बौद्ध धर्म (Buddhism): सिद्धार्थ गौतम बुद्ध द्वारा स्थापित, शांति और ज्ञान का मार्ग।
V. यहूदी धर्म (Judaism): सबसे प्राचीन मोनोथियस्टिक धर्म, मूल रूप से इज़राइल से संबंधित।
VI. कन्फ्यूशियसवाद (Confucianism): कन्फ्यूशियस की नैतिक और राजनीतिक दर्शन, पूर्वी एशिया में प्रभावशाली।
VII. ताओवाद (Taoism): प्रकृति के साथ सद्भाव का मार्ग, चीन से उत्पन्न।
VIII. शिन्तोवाद (Shintoism): जापान का स्वदेशी धर्म, प्रकृति और पूर्वजों की पूजा के साथ।
IX. जनजातीय धर्म (Tribal Religions): दुनिया भर में विभिन्न जनजातियों द्वारा पालन किए जाने वाले धर्म, जो स्थानीय परंपराओं पर आधारित होते हैं।
प्रश्न 12: भारत में धर्म कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
I. हिंदू धर्म (Hinduism): भारत का सबसे बड़ा धर्म, जो देश की सांस्कृतिक और सामाजिक जीवन को मोल्ड करता है।
II. इस्लाम (Islam): भारत में दूसरा सबसे बड़ा धर्म, जिसका प्रभाव विशेष रूप से उत्तर और पश्चिम भारत में दिखता है।
III. सिख धर्म (Sikhism): पंजाब से उत्पन्न, समता और सेवा के सिद्धांतों पर आधारित।
IV. बौद्ध धर्म (Buddhism): हालांकि अब कम प्रचलित, भारत इसका जन्मस्थान है।
V. जैन धर्म (Jainism): अहिंसा और आत्म-ज्ञान पर जोर देने वाला धर्म।
VI. ईसाई धर्म (Christianity): भारत में प्रचलित, खासकर दक्षिण भारत में।
VII. पारसी धर्म (Zoroastrianism): एक छोटा समुदाय, जिसे भारत में पारसी कहा जाता है।
VIII. जनजातीय धर्म (Tribal Religions): विभिन्न आदिवासी समूहों के अपने विशिष्ट धार्मिक मान्यताएं और प्रथाएं।
प्रश्न 13: भाषा का परिचय क्या है?
उत्तर:
I. परिभाषा: भाषा (Language) एक संचार का माध्यम है जो शब्दों, ध्वनियों, इशारों या लिखित प्रतीकों के माध्यम से विचारों, भावनाओं, और जानकारियों का आदान-प्रदान करता है।
II. महत्व: भाषा संस्कृति, पहचान, और समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
III. विविधता: विश्व में हजारों भाषाएं हैं, जो क्षेत्रीय, सांस्कृतिक, और ऐतिहासिक कारकों से प्रभावित होती हैं।
प्रश्न 14: भाषा का अर्थ एवं परिभाषा क्या है?
उत्तर:
I. अर्थ: भाषा मानव संचार का एक जटिल और संरचित तरीका है।
II. परिभाषा: भाषा को एक ऐसी प्रणाली के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसमें ध्वनि, शब्द, और वाक्य संरचना का उपयोग होता है, जो सांस्कृतिक और सामाजिक संदर्भों में अर्थ व्यक्त करती है।
प्रश्न 15: बोलियाँ (Dialects) क्या होती हैं?
उत्तर:
I. परिभाषा: बोलियाँ एक विशेष भाषा के भौगोलिक या सामाजिक रूप होते हैं, जो शब्दावली, उच्चारण (pronunciation), और व्याकरण (grammar) में भिन्न होते हैं।
II. भेद: बोलियाँ मुख्य भाषा से अलग हो सकती हैं लेकिन समझने योग्य होती हैं, जैसे कि हिंदी की अनेक बोलियाँ जैसे अवधी, ब्रज, और भोजपुरी।
III. सांस्कृतिक महत्व: बोलियाँ क्षेत्रीय पहचान और सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती हैं।
IV. विकास: समय के साथ बोलियाँ विकसित होती हैं
Unit 7: World Tribes (विश्व की जनजातियाँ)
प्रश्न 1: विश्व की जनजातियों का परिचय क्या है?
उत्तर:
I. परिभाषा: जनजातियाँ (Tribes) ऐसे समुदाय हैं जो अक्सर एक सामान्य वंश, भाषा, संस्कृति, और पारंपरिक जीवन शैली साझा करते हैं, जो आधुनिक समाजों से अलग होते हैं।
II. विशेषताएँ: इनकी विशेषताएँ हो सकती हैं – सामाजिक संरचना का सरल रूप, भूमि के प्रति सामूहिक स्वामित्व, और प्रकृति के साथ सद्भाव में जीना।
III. महत्व: जनजातियाँ सांस्कृतिक विविधता, जैविक विविधता, और प्राचीन ज्ञान की रक्षक हैं, जो पर्यावरणीय संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
प्रश्न 2: जनजाति का अर्थ एवं परिभाषा क्या है?
उत्तर:
I. अर्थ: जनजाति एक ऐसा समूह है जिसकी अपनी अनोखी संस्कृति, रीति-रिवाज (customs), और विश्वास प्रणाली होती है।
II. परिभाषा: जनजाति को एक ऐसे समूह के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक रूप से अलग हो, जिसमें एक साझा पहचान, भाषा, और वंशावली हो।
प्रश्न 3: विश्व की प्रमुख जनजातियाँ कौन-कौन सी हैं?
उत्तर:
I. एस्किमो (Eskimo): आर्कटिक क्षेत्र में, जिन्हें इनुइट (Inuit) के रूप में भी जाना जाता है।
II. किर्गिज / किर्गिज (Kirghiz / Kyrgyz): मध्य एशिया, विशेष रूप से किर्गिस्तान में।
III. बुशमैन (Bushman): दक्षिणी अफ्रीका, विशेषकर कलाहारी रेगिस्तान में।
IV. माअसाई (Maasai): पूर्वी अफ्रीका, केन्या और तंजानिया में।
V. सेमांग (Semang): मलेशिया, पेनिन्सुलर मलेशिया के जंगलों में।
VI. पिग्मी (Pygmies): केंद्रीय अफ्रीका, विशेष रूप से कांगो बेसिन में।
प्रश्न 4: एस्किमो का परिचय क्या है?
उत्तर:
I. परिभाषा: एस्किमो (Eskimo), अब इनुइट (Inuit) के नाम से जाने जाते हैं, उत्तरी अमेरिका और ग्रीनलैंड के आर्कटिक क्षेत्रों में रहने वाले मूल निवासी हैं।
II. संस्कृति: उनकी संस्कृति बर्फ और बर्फीले समुद्रों के साथ अनुकूलन के चारों ओर घूमती है, जिसमें शिकार और मछली पकड़ने की तकनीकें शामिल हैं।
प्रश्न 5: एस्किमो का इतिहास क्या है?
उत्तर:
I. प्रारंभिक बस्तियाँ: इनुइट लोगों की उत्पत्ति लगभग 4,000 साल पहले साइबेरिया से हुई, जो बेरिंग स्ट्रेट के माध्यम से अमेरिका पहुँचे।
II. विकास: समय के साथ, उन्होंने आर्कटिक परिस्थितियों के अनुकूल जीवन शैली विकसित की।
III. आधुनिक काल: हाल के दशकों में, उन्होंने आधुनिक समाजों के साथ संपर्क और एकीकरण का अनुभव किया है, लेकिन अपनी संस्कृति को बनाए रखा है।
प्रश्न 6: एस्किमो का प्राकृतिक वास क्या है?
उत्तर:
I. भौगोलिक स्थिति: इनुइट ध्रुवीय क्षेत्रों में रहते हैं, जिसमें आर्कटिक कनाडा, अलास्का, ग्रीनलैंड और रूस के कुछ हिस्से शामिल हैं।
II. पर्यावरण: उनका वास बर्फ, बर्फीले पहाड़, और बर्फीले समुद्रों से घिरा है, जो उनके जीवन को प्रभावित करता है।
प्रश्न 7: एस्किमो की शारीरिक विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर:
I. आकार: सामान्यतः वे कम लंबाई के होते हैं जो ठंडी जलवायु में गर्मी बनाए रखने में मदद करता है।
II. चेहरा: चौड़ा और फ्लैट चेहरा जो ठंडी हवाओं से बचाव करता है।
III. त्वचा: हल्की से मध्यम रंग की त्वचा, जो कम सूर्य प्रकाश के कारण विटामिन डी की कमी को रोकती है।
प्रश्न 8: एस्किमो की भाषाएँ कौन-कौन सी हैं?
उत्तर:
I. इनुइट भाषा परिवार: इनुइट लोग इनुक्तितुत (Inuktitut) जैसी भाषाएं बोलते हैं, जो एक एस्किमो-अलियूट भाषा परिवार का हिस्सा है।
II. विविधता: इन भाषाओं में क्षेत्रीय बोलियाँ हैं लेकिन आपस में समझने योग्य होती हैं।
प्रश्न 9: एस्किमो का पहनावा कैसा होता है?
उत्तर:
I. सामग्री: उनके वस्त्र आमतौर पर जानवरों की खाल जैसे कि सील, बेयर, और कैरिबू से बने होते हैं, जो गर्मी और जलरोधी होती हैं।
II. डिजाइन: पारंपरिक पार्का (parka) और मुखौटे (masks) जैसे वस्त्र ठंड से बचाव के लिए डिज़ाइन किए जाते हैं।
प्रश्न 10: एस्किमो का व्यवसाय क्या है?
उत्तर:
I. पारंपरिक: शिकार और मछली पकड़ना उनका मुख्य व्यवसाय है, जिसमें व्हेल, सील, और तटस्थ जानवर शामिल हैं।
II. आधुनिक: कुछ इनुइट ने आधुनिक व्यवसाय जैसे मछली पकड़ने का औद्योगिकीकरण, पर्यटन, और कला और शिल्प की बिक्री में हाथ आजमाया है।
प्रश्न 11: एस्किमो का सामाजिक संगठन कैसा होता है?
उत्तर:
I. परिवार: बुनियादी इकाई परिवार है, जो अक्सर विस्तृत होता है, जिसमें कई पीढ़ियाँ एक साथ रहती हैं।
II. समुदाय: समुदायों में, नेतृत्व आमतौर पर अनुभवी बुजुर्गों या शिकार कौशल में प्रवीण लोगों के पास होता है।
III. सहयोग: जीवन की कठिनाइयों के कारण, सहयोग और सहायता प्रणाली बहुत महत्वपूर्ण हैं।
प्रश्न 12: एस्किमो का भोजन कैसा होता है?
उत्तर:
I. पारंपरिक भोजन: उनका आहार मुख्य रूप से मांस और मछली पर आधारित है, जैसे कि व्हेल, सील, कैरिबू (caribou), और समुद्री भोजन।
II. प्रसंस्करण: खाना पकाने की विधियाँ सरल होती हैं, जैसे कि सुखाने या कच्चा खाना, जो पोषण को बनाए रखती है।
III. आधुनिक प्रभाव: आधुनिक समय में, कुछ इनुइट समुदायों ने बाहरी खाद्य पदार्थों को भी अपनाया है।
प्रश्न 13: किर्गिज / किर्गिज का परिचय क्या है?
उत्तर:
I. परिभाषा: किर्गिज या किर्गिज (Kirghiz / Kyrgyz) मध्य एशिया, विशेष रूप से किर्गिस्तान में निवास करने वाली एक तुर्की जनजाति है।
II. संस्कृति: उनकी संस्कृति चरवाहेपन और घुमंतु जीवन शैली से जुड़ी है, जिसमें घोड़ों का विशेष महत्व है।
प्रश्न 14: किर्गिज का इतिहास क्या है?
उत्तर:
I. उत्पत्ति: किर्गिज जनजाति का इतिहास सदियों पुराना है, उनकी उत्पत्ति साइबेरिया से मानी जाती है जहाँ से वे दक्षिण की ओर बढ़े।
II. साम्राज्य और प्रभाव: उन्होंने विभिन्न समयों में मंगोल साम्राज्य, चीनी राजवंशों, और रूसी साम्राज्य के साथ संबंध रखे।
III. आधुनिक काल: सोवियत संघ के विघटन के बाद, किर्गिस्तान एक स्वतंत्र राष्ट्र बना, लेकिन किर्गिज संस्कृति अपनी पहचान बनाए रखती है।
प्रश्न 15: किर्गिज का प्राकृतिक वास क्या है?
उत्तर:
I. जलवायु: किर्गिज जनजाति मध्य एशिया के ऊँचे पहाड़ी इलाकों, मैदानों और घाटियों में रहती है जहाँ मौसम कठोर और ठंडा होता है।
II. भौगोलिक स्थिति: किर्गिस्तान, चीन के कुछ हिस्से, उजबेकिस्तान, कजाखस्तान और ताजिकिस्तान में विस्तारित क्षेत्र।
प्रश्न 16: किर्गिज की शारीरिक विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर:
I. उपस्थिति: वे सामान्यतः मध्यम कद के, हल्के से मध्यम रंग के, और एशियाई विशेषताओं जैसे चपटे चेहरे और नुकीली आँखों वाले होते हैं।
II. अनुकूलन: उनका शरीर कठोर जलवायु के अनुकूल होता है, उच्च ऊँचाई और ठंडे तापमान के लिए।
प्रश्न 17: किर्गिज का पहनावा कैसा होता है?
उत्तर:
I. पारंपरिक वस्त्र: उनके कपड़े ऊनी होते हैं, जिसमें घोड़े की सवारी के लिए उपयुक्त हल्के और लचीले कपड़े होते हैं जैसे कि छोटा कोट और टोपी।
II. रंग और पैटर्न: वे उज्ज्वल रंग और पारंपरिक पैटर्न पहनते हैं, जो उनकी सांस्कृतिक पहचान दर्शाते हैं।
प्रश्न 18: किर्गिज का व्यवसाय क्या है?
उत्तर:
I. पारंपरिक: पशुपालन, विशेषकर घोड़े, भेड़, और ऊँट, प्रमुख व्यवसाय रहा है, जिसके साथ डेयरी उत्पादों का निर्माण।
II. आधुनिक: आधुनिक समय में, कृषि, खनन, और शहरी क्षेत्रों में नौकरियाँ भी आम हो गई हैं।
प्रश्न 19: किर्गिज की भाषाएँ कौन-कौन सी हैं?
उत्तर:
I. किर्गिज भाषा: किर्गिज लोग किर्गिज भाषा बोलते हैं, जो एक तुर्की भाषा परिवार की सदस्य है।
II. बहुभाषिता: रूसी और अन्य स्थानीय भाषाएँ भी बोली जाती हैं, विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में।
प्रश्न 20: किर्गिज का भोजन कैसा होता है?
उत्तर:
I. पारंपरिक भोजन: उनका आहार मांस-आधारित होता है, जिसमें मटन, घोड़े का मांस, और डेयरी उत्पाद शामिल हैं।
II. व्यंजन: प्रसिद्ध व्यंजनों में “बेशबरमक” (Beshbarmak), जो मांस और नूडल्स का मिश्रण है, शामिल है।
III. दूध उत्पाद: कुमीस (Kumis), जो घोड़े के दूध से बना हुआ फर्मेंटेड पेय है, पारंपरिक रूप से लिया जाता है।
Unit 8: Indian Tribes (भारत की जनजातियाँ)
प्रश्न 1: जनजाति का अर्थ क्या है?
उत्तर:
I. अर्थ: जनजाति (Tribe) एक ऐसा समूह है जो साझा वंश, भाषा, संस्कृति, और पारंपरिक जीवन शैली के आधार पर संगठित होता है, जो अक्सर आधुनिक समाजों से अलग रहता है।
II. सांस्कृतिक पहचान: जनजातियों को उनकी अनोखी सांस्कृतिक पहचान, रीति-रिवाज (customs), और विश्वास प्रणालियों द्वारा परिभाषित किया जाता है।
प्रश्न 2: भारत में जनजातियों की विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर:
I. जीवन शैली: प्रकृति पर निर्भर जीवन शैली, जिसमें शिकार, मछली पकड़ना, और जंगलों से हासिल करना शामिल है।
II. सामाजिक संरचना: सरल सामाजिक संरचना, जहां परिवार और कबीला प्रमुख होते हैं; नेतृत्व आमतौर पर बुजुर्गों या सम्मानित व्यक्तियों के पास होता है।
III. भाषा: अपनी विशिष्ट भाषाएं जो अक्सर अन्य क्षेत्रीय भाषाओं से अलग होती हैं।
IV. धार्मिक मान्यताएं: प्रकृति पूजा, टोटेमिज्म, और पूर्वज पूजा की प्रथाएं प्रमुख हैं।
V. आर्थिक गतिविधियाँ: जनजातियाँ अक्सर छोटे पैमाने पर कृषि, बागवानी, और हस्तशिल्प में लगी होती हैं।
प्रश्न 3: भारत की प्रमुख जनजातियाँ कौन-कौन सी हैं?
उत्तर:
I. गोंड (Gond): मध्य भारत में, विशेषकर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में।
II. भील (Bhil): पश्चिमी भारत में, राजस्थान, मध्य प्रदेश, और गुजरात में।
III. संथाल (Santhal): पूर्वी भारत में, झारखंड, पश्चिम बंगाल, और ओडिशा में।
IV. नागा (Naga): उत्तर-पूर्वी भारत में, नागालैंड और आसपास के राज्यों में।
V. भोटिया (Bhotia): उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के हिमालयी क्षेत्रों में।
VI. सेंटीनलिज़ (Sentinelese): अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में, विशेषकर उत्तरी सेंटीनल द्वीप पर।
VII. टोडा (Toda): दक्षिणी भारत में, तमिलनाडु के नीलगिरि पहाड़ियों में।
प्रश्न 4: भोटिया जनजातियों का परिचय क्या है?
उत्तर:
I. परिभाषा: भोटिया जनजातियाँ हिमालय क्षेत्रों में रहने वाली हैं, जिनका सांस्कृतिक और जैविक संबंध तिब्बत से है।
II. जीवन शैली: उनकी जीवन शैली पारंपरिक रूप से पशुपालन, व्यापार, और घुमंतु जीवन से जुड़ी है।
प्रश्न 5: भोटिया जनजातियों की भाषा क्या है?
उत्तर:
I. भाषा: वे तिब्बती-बर्मन भाषा परिवार से संबंधित कई भाषाएं बोलते हैं, जैसे कि भोटिया, रोंगपा, और जौनसारी।
II. द्विभाषिता: कई भोटिया हिंदी या स्थानीय भाषाओं में भी पारंगत हैं।
प्रश्न 6: भोटिया जनजातियों की संस्कृति कैसी है?
उत्तर:
I. धर्म: वे मुख्य रूप से बौद्ध धर्म का अनुसरण करते हैं, हालांकि कुछ समूह हिंदू या जनजातीय धर्मों को भी मानते हैं।
II. त्यौहार: लोसार (नया साल), ल्हा बाबा, और तोर्ग्या जैसे त्यौहार मनाते हैं जो उनकी तिब्बती विरासत को दर्शाते हैं।
III. कला और शिल्प: उनकी कला में थांगका चित्रकारी, हस्तनिर्मित कपड़े, और धातु कार्य प्रमुख हैं।
प्रश्न 7: गोंड जनजातियों का परिचय क्या है?
उत्तर:
I. परिभाषा: गोंड भारत की सबसे बड़ी जनजातियों में से एक है, जो मुख्य रूप से मध्य भारत में रहती है।
II. ऐतिहासिक महत्व: प्राचीन काल से, गोंड लोगों ने अपने राज्य स्थापित किए, जैसे कि गोंडवाना राज्य।
प्रश्न 8: गोंड जनजातियों की भाषा क्या है?
उत्तर:
I. भाषा: गोंड लोग गोंडी भाषा बोलते हैं, जो द्रविड़ भाषा परिवार से संबंधित है।
II. बोली: गोंडी की कई बोलियाँ हैं, जो क्षेत्र के अनुसार भिन्न होती हैं।
III. बहुभाषिता: कई गोंड हिंदी, मराठी, या अन्य स्थानीय भाषाएँ भी बोलते हैं।
प्रश्न 9: गोंड जनजातियों की संस्कृति कैसी है?
उत्तर:
I. धर्म: वे मुख्य रूप से प्रकृति पूजा और अपने पूर्वजों की पूजा करते हैं, हालांकि कुछ हिंदू धर्म को भी अपनाते हैं।
II. कला: गोंड कला अपने विशिष्ट, जटिल पैटर्न और प्रकृति के चित्रण के लिए प्रसिद्ध है।
III. समारोह: उनके त्यौहार जैसे कि केशार पूजा, नवाखान, और दीवाली, उनकी सांस्कृतिक पहचान को दर्शाते हैं।
IV. सामाजिक संरचना: उनका समाज कुलीन वर्ग, राजाओं, और सामान्य जनों के बीच विभाजित होता है।
प्रश्न 10: भील जनजातियों का परिचय क्या है?
उत्तर:
I. परिभाषा: भील भारत की दूसरी सबसे बड़ी जनजाति है, जो मुख्य रूप से पश्चिमी भारत में फैली हुई है।
II. जीवन शैली: पारंपरिक रूप से वे शिकारी-संग्राहक और छोटे पैमाने पर कृषि करने वाले थे, लेकिन अब कई कृषि, मजदूरी और शहरी व्यवसायों में लगे हैं।
प्रश्न 11: भील जनजातियों की भाषा क्या है?
उत्तर:
I. भाषा: भीली भाषा उनकी मुख्य भाषा है, जो इंडो-आर्यन भाषा परिवार का हिस्सा है।
II. बोलियाँ: भीली में कई बोलियाँ हैं जैसे कि भीलोरी, वघेरी, और धनका।
III. द्विभाषिता: वे अक्सर हिंदी, गुजराती, या मराठी भी बोलते हैं।
प्रश्न 12: भील जनजातियों की संस्कृति कैसी है?
उत्तर:
I. धर्म: भील लोग अपनी पारंपरिक धार्मिक प्रथाएं रखते हैं, जहां प्रकृति पूजा, टोटेम, और कबीलाई देवताओं की पूजा शामिल है।
II. त्यौहार: भगोरिया, शिवरात्रि, और होली जैसे त्यौहार मनाते हैं, जो उनकी सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाते हैं।
III. नृत्य और संगीत: गवरी, राई, और ढोल नृत्य उनके सांस्कृतिक प्रदर्शन का हिस्सा हैं।
IV. सामाजिक संरचना: वे समुदाय आधारित संरचना में विश्वास करते हैं, जहां गांव के बड़े निर्णय लेते हैं।
प्रश्न 13: सेंटीनलिज़ जनजातियों का परिचय क्या है?
उत्तर:
I. परिभाषा: सेंटीनलिज़ एक अत्यंत दुर्गम और अलग-थलग जनजाति है जो उत्तरी सेंटीनल द्वीप पर रहती है, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में।
II. संपर्क: वे बाहरी दुनिया से संपर्क से बचते हैं और अपनी स्वतंत्र जीवन शैली की रक्षा करते हैं।
प्रश्न 14: सेंटीनलिज़ जनजातियों की भाषा क्या है?
उत्तर:
I. भाषा: उनकी भाषा के बारे में बहुत कम जानकारी है, लेकिन यह माना जाता है कि वे एक अनोखी, अप्रभावित भाषा बोलते हैं जो अंडमानी भाषा परिवार से अलग हो सकती है।
प्रश्न 15: सेंटीनलिज़ जनजातियों की संस्कृति कैसी है?
उत्तर:
I. सांस्कृतिक रहस्य: उनकी संस्कृति बाहरी दुनिया से बहुत ही सीमित संपर्क के कारण एक रहस्य बनी हुई है।
II. जीवन शैली: वे शिकारी-संग्राहक हैं, जो प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर हैं और बाहरी हस्तक्षेप से दूर रहते हैं।
III. रक्षात्मक रवैया: वे बाहरी लोगों के प्रति अत्यंत रक्षात्मक होते हैं, जिससे उनकी सांस्कृतिक पहचान की रक्षा करते हैं।
BA 2nd Semester Geography Important Question Answers
Human Geography (मानव भूगोल)
Unit 1: Introduction to Human Geography
1.1 मानव भूगोल (Human Geography)
1.1.1 भूगोल का अर्थ एवं परिभाषाएँ (Meaning and Definitions of Geography)
1.1.2 मानव भूगोल का अर्थ एवं परिभाषाएँ (Meaning and Definitions of Human Geography)
1.1.3 मानव भूगोल में अवधारणाएँ (Concepts in Human Geography)
1.1.4 मानव भूगोल के विकास की अवस्थाएँ (Development Stages of Human Geography)
1.1.5 मानव भूगोल की प्रकृति (Nature of Human Geography)
1.1.6 मानव भूगोल का क्षेत्र (Scope of Human Geography)
1.1.7 मानव भूगोल की शाखाएँ (Branches of Human Geography)
1.1.8 मानव भूगोल के उद्देश्य (Objectives of Human Geography)
1.1.9 मानव भूगोल का अन्य विज्ञानों के साथ सम्बन्ध (Relationship of Human Geography with other Sciences)
1.2 पुराणों के विशेष सन्दर्भ में भारत में भौगोलिक समझ का विकास (Development of Geographical Understanding in India With Special Reference to Puranas)
1.2.1 ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के सिद्धान्त (Theories about the Origin of Universe)
1.2.2 भूगोल एवं पृथ्वी शब्द की उत्पत्ति (Origin of the term Bhugol and the Earth)
1.2.3 भूगोल का पुराणिक विवरण (Puranic Description of Geography)
Unit 2: Man-Environment Relationship (मानव-पर्यावरण सम्बन्ध)
2.1 मानव भूगोल के सम्प्रदाय (Schools of Human Geography)
2.2 नियतिवाद या पर्यावरणवाद (Determinism or Environmentalism)
2.2.1 नियतिवाद का अर्थ (Meaning of Determinism)
2.2.2 नियतिवाद का केंद्रीय विचार (Central Idea of Determinism)
2.2.3 भौगोलिक नियतिवाद के विचारक (Thinkers of Geographical Determinism)
2.2.4 पृष्ठभूमि-प्राचीन दृष्टिकोण (Background-Ancient View)
2.2.5 नियतिवाद का सैद्धांतिक आधार (Theoretical Basis of Determinism)
2.3 संभावनावाद (Possibilism)
2.3.1 परिचय (Introduction)
2.3.2 संभावनावाद की अवधारणा और अर्थ (Concept and Meaning of Possibilism)
2.3.3 विडाल का मानव अंत:क्रिया के उपलब्ध संभावित विकल्पों का सिद्धांत (Vidal’s Theory of Available Possible Options of Human Interaction)
2.3.4 फेवरे का योगदान – एक भौगोलिक अभिकर्ता के रूप में मानव (Febvre’s Contributions – Man as a Geographic Agent)
2.3.5 फ्लेरे का क्षेत्रों का वर्गीकरण (Fleure’s Classification of Regions)
2.3.6 कार्ल ऑर्टविन सॉयर: घटना-आधारित आधार (Carl Ortwin Sauer: Phenomenological Basis)
2.3.7 इसा बोमैन: राजनीतिक भूगोल के रूप में मानव भूगोल (Isaiah Bowman: Human Geography as Political Geography)
2.3.8 जीन ब्रुन्हेस: प्रकृति अनिवार्य नहीं है बल्कि स्वीकृति है (Jean Brunhes: Nature is Not Compulsory But The Approval)
2.3.9 संभावनावाद का केंद्रीय विचार (Central Idea of Possibilism)
2.4 नव-पर्यावरण नियतिवाद (Neo-Environmental Determinism)
2.4.1 परिचय (Introduction)
2.4.2 नव-नियतिवाद की अवधारणा और अर्थ (Concept and Meaning of Neo-determinism)
2.5 संभावितता (Probabilism)
Unit 3: Population Distribution-Pattern (जनसंख्या वितरण—प्रति रूप)
3.1 विश्व जनसंख्या का वितरण और प्रतिरूप (Distribution of Population and World Pattern)
3.1.1 विश्व जनसंख्या का वितरण (Distribution of World Population)
3.1.2 क्षेत्रवार जनसंख्या (Population by Region)
3.1.3 जनसंख्या का स्थानिक वितरण (Spatial Distribution of Population)
3.2 जनसंख्या घनत्व (Population Density)
3.2.1 जनसंख्या घनत्व का अर्थ (Meaning of Population Density)
3.2.2 जनसंख्या घनत्व के प्रकार (Types of Population Density)
3.2.3 जनसंख्या घनत्व को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Affecting Population Density)
3.3 जनसंख्या वृद्धि / परिवर्तन (Population Growth/Change)
3.3.1 परिचय (Introduction)
3.3.2 आर्थिक विकास पर जनसंख्या वृद्धि का सकारात्मक प्रभाव (Positive Effects of Population Growth on Economic Development)
3.3.3 आर्थिक विकास पर जनसंख्या वृद्धि का नकारात्मक प्रभाव (Negative Effects of Population Growth on Economic Development)
3.4 वैश्विक जनसांख्यिकी (Global Demographics)
3.5 जनसंख्या विस्फोट एवं अनुकूलतम जनसंख्या (Population Explosion and Optimum Population)
3.5.1 परिचय (Introduction)
3.5.2 जनसंख्या विस्फोट के कारण (Causes of Population Explosion)
3.5.3 जनसंख्या विस्फोट के प्रभाव (Effects of Population Explosion)
3.6 जनसंख्या के सिद्धांत (Theories of Population)
3.6.1 जनसंख्या का माल्थुसियन सिद्धांत (Malthusian Theory of Population)
3.6.2 जनसंख्या का अनुकूलतम सिद्धांत (Optimum Theory of Population)
3.6.3 जनसांख्यिकी परिवर्तन का सिद्धांत (Theory of Demographic Transition)
3.6.4 शून्य जनसंख्या वृद्धि (Zero Population Growth)
3.6.5 कॉर्नुकोपियन सिद्धांत (Cornucopian Theory)
3.7 जनसंख्या की समस्याएं (Population Problems)
3.8 वैश्विक प्रवासन (Global Migration)
3.8.1 प्रवासन का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Migration)
3.8.2 प्रवासन के कारण (Causes of Migration)
3.8.3 प्रवासन के परिणाम (Consequences of Migration)
3.8.4 प्रवासन के प्रकार (Types of Migration)
3.8.5 प्रवासी/प्रवासन की श्रेणियां/प्रकार (Categories/Types of Migrants)
3.8.6 अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन (International Migration)
3.9 श्रमिक प्रवासन सिद्धांत (Labour Migration Theories)
3.9.1 परिचय (Introduction)
3.9.2 सामाजिक-सांस्कृतिक एवं अहम-ऐतिहासिक कारक (Social-Cultural and Ego-Historical Factors)
3.9.3 प्रवासन पर समकालीन अनुसंधान/सिद्धांतों का योगदान (Contemporary Research/Theories Contributions on Migration)
3.9.4 प्रवासन के अन्य मॉडल एक नजर में (Other Models of Migration at a Glance)
3.10 प्रवासन का सिद्धांत (Theory of Migration)
3.10.1 रेवेनस्टीन के प्रवासन के नियम (Ravenstein’s ‘Laws of Migration’)
3.10.2 गुरुत्वाकर्षण मॉडल (Gravity Model)
3.10.3 स्टॉफर की गतिशीलता का सिद्धांत (Stouffer’s Theory of Mobility)
3.10.4 ली का प्रवासन मॉडल (Lee’s Model of Migration)
3.10.5 प्रवासन संक्रमण का ज़ेलिंस्की मॉडल (Zelinsky Model of Migration Transition)
3.11 अधिक जनसंख्या की अवधारणा (Concept of Overpopulation)
3.11.1 अधिक जनसंख्या का अर्थ (Meaning of Overpopulation)
3.11.2 अधिक जनसंख्या का वर्गीकरण (Classification of Overpopulation)
3.11.3 अधिक जनसंख्या के कारण (Causes of Overpopulation)
3.11.4 अधिक जनसंख्या के परिणाम (Consequences of Overpopulation)
3.12 अल्प जनसंख्या की अवधारणा (Concept of Underpopulation)
3.12.1 परिचय (Introduction)
3.12.2 अल्प जनसंख्या का अर्थ (Meaning of Underpopulation)
3.12.3 अल्प जनसंख्या के कारण (Causes of Underpopulation)
3.12.4 अल्प जनसंख्या के प्रभाव (Effects of Underpopulation)
3.12.5 अल्प जनसंख्या के समाधान (Solutions to Underpopulation)
Unit 4: Human Settlement (मानव अधिवास (बस्ती))
4.1 मानव अधिवास (Human Settlement)
- 4.1.1 मानव अधिवास (बस्ती) का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Human Settlement)
- 4.1.2 मानव अधिवास (बस्ती) का उद्भव एवं विकास (Origin and Development of Human Settlement)
- 4.1.3 अधिवासों की वृद्धि एवं विकास के लिए उत्तरदायी कारक (Factors Responsible for Evolution and Development of Settlements)
- 4.1.4 अधिवास (बस्ती) के प्रकार (Types of Settlement)
4.2 ग्रामीण अधिवास (Rural Settlement)
- 4.2.1 ग्रामीण अधिवास का अर्थ (Meaning of Rural Settlement)
- 4.2.2 ग्रामीण अधिवास (बस्ती) की विशेषताएँ (Characteristics of Rural Settlement)
- 4.2.3 ग्रामीण अधिवास (बस्ती) की उत्पत्ति को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Affecting Origin of Rural Settlement)
- 4.2.4 भारत में ग्रामीण अधिवास (बस्तियों) के प्रकार (Types of Rural Settlement in India)
- 4.2.5 सघन या केन्द्रित या पुंजीकृत अधिवास (Compact or Nucleated or Agglomerated Settlements)
- 4.2.6 अर्द्ध-सघन या संयुक्त अधिवास (Semi-Compact or Composite Settlements)
- 4.2.7 पुजता या खंडित अधिवास (बस्ती) (Hamleted or Fragmented Settlements)
- 4.2.8 प्रकीर्ण अधिवास (Dispersed Settlements)
- 4.2.9 ग्रामीण अधिवासों के प्रकार को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Affecting the Types of Rural Settlements)
- 4.2.10 ग्रामीण अधिवासों के पैटर्न (रूप) (Rural Settlement Patterns (Forms))
- 4.2.11 ग्रामीण अधिवास के प्रतिरूपों को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Influencing Rural Settlement Patterns)
4.3 ग्रामीण घरों के प्रकार/भारत में आवास (Rural House Types/Dwelling in India)
- 4.3.1 परिचय (Introduction)
- 4.3.2 गृह निर्माण का उद्देश्य (Purposes of House Building)
- 4.3.3 ग्रामीण घरों की अनिवार्य विशेषताएँ (Essential Features of Rural Houses)
- 4.3.4 भारत के विशेष सन्दर्भ में घर के प्रकार एवं उनका वितरण (House Types and their Distribution with Special Reference to India)
- 4.3.5 भारतीय घरों के क्षेत्रीय प्रकार (Regional Types of Indian Houses)
- 4.3.6 घर के प्रकार को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Affecting the House Types)
4.4 नगरीय अधिवास (Urban Settlement)
- 4.4.1 परिचय (Introduction)
- 4.4.2 नगरीय बस्तियों की उत्पत्ति (Origin of Urban Settlements)
- 4.4.3 नगरीय अधिवासों की विशेषताएँ (Characteristics of Urban Settlements)
- 4.4.4 नगरीय अधिवासों के प्रकार (Types of Urban Settlements)
- 4.4.5 ग्रामीण एवं नगरीय अधिवास के मध्य अन्तर (Difference between Rural and Urban Settlement)
4.5 नगरीय आकृति विज्ञान (Urban Morphology)
- 4.5.1 परिचय (Introduction)
- 4.5.2 प्रमुख प्लाक्षीय कारक (Major Morphological Factors)
- 4.5.3 नगरीय आकृति विज्ञान के सिद्धान्त (Theories of Urban Morphology)
4.6 ग्रामीण-नगरीय सीमांत (Rural-Urban Fringe)
- 4.6.1 ग्रामीण-नगरीय सीमांत का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Rural-Urban Fringe)
- 4.6.2 ग्रामीण-नगरीय सीमांत की विशेषताएँ (Characteristics of Rural-Urban Fringe)
- 4.6.3 ग्रामीण-नगरीय सीमांत के प्रकार (Types of Rural-Urban Fringe)
4.7 नगरीय प्रभाव क्षेत्र या उमलैंड (Urban Influence Area or Umland)
4.8 नगरीकरण (Urbanisation)
- 4.8.1 नगरीकरण की उद्भव एवं विकास (Origin and Growth of Urbanisation)
- 4.8.2 नगरीकरण का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Urbanisation)
- 4.8.3 नगरीकरण के निर्धारक (Causes of Urbanisation)
Unit 5: Primitive Economics (आदिम अर्थशास्त्र)
5.1 Primitive Economics (आदिम अर्थशास्त्र)
- 5.1.1 आदिम अर्थशास्त्र की अवधारणा (Concept of Primitive Economics)
- 5.1.2 आदिम अर्थशास्त्र की विशेषताएँ (Characteristics of Primitive Economics)
- 5.1.3 आदिम अर्थव्यवस्था के प्रकार (Types of Primitive Economy)
5.2 Food Gathering-Hunting (भोजन एकत्र करना-शिकार करना)
- 5.2.1 परिचय (Introduction)
- 5.2.2 पुरातात्त्विक साक्ष्य (Archaeological Evidence)
- 5.2.3 शिकार-संग्रह करने की विशेषताएँ (Characteristics of Hunting-Gathering)
- 5.2.4 शिकारी-संग्राहक संस्कृति (Hunter-Gatherer Culture)
- 5.2.5 शिकारी-संग्राहक समूह (Hunter-Gatherer Groups)
5.3 Pastoral Herding (Pastoralism) (देहाती पशुपालन (पशुचारण))
- 5.3.1 पशुपालन की अवधारणा (Concept of Pastoralism)
- 5.3.2 पशुपालन की उत्पत्ति (Origins of Pastoralism)
- 5.3.3 पशुपालन की विशेषताएँ (Characteristics of Pastoralism)
- 5.3.4 पशुपालन के रूप (Forms of Pastoralism)
5.4 Fishing (मत्स्य पालन)
- 5.4.1 मत्स्य पालन का इतिहास (History of Fishing)
- 5.4.2 मत्स्य पालन की अवधारणा (Concept of Fishing)
- 5.4.3 विश्व में मत्स्य पालन की पारम्परिक तकनीक (Traditional Fishing Techniques Around the World)
- 5.4.4 मत्स्य पालन पोत (Fishing Vessels)
- 5.4.5 मत्स्य पालन पोतों का वर्गीकरण (Categorisation of Fishing Vessels)
5.5 Lumbering/Logging/Forestry (लकड़ी काटना/लॉगिंग/वानिकी)
- 5.5.1 लकड़ी काटना (Lumbering)
- 5.5.2 लॉगिंग (Logging)
- 5.5.3 वानिकी (Forestry)
- 5.5.4 लकड़ी के प्रकार तथा उनकी विशेषताएँ (Types of Lumber and Their Characteristics)
5.6 Primitive Agriculture (आदिम कृषि)
- 5.6.1 परिचय (Introduction)
- 5.6.2 आदिम कृषि का अर्थ (Meaning of Primitive Agriculture)
- 5.6.3 आदिम कृषि की विशेषताएँ (Characteristics of Primitive Agriculture)
- 5.6.4 निर्वाह कृषि के प्रकार (Types of Subsistence Farming)
Unit 6: Cultural Region (सांस्कृतिक क्षेत्र)
6.1 Cultural Region (सांस्कृतिक क्षेत्र)
- 6.1.1 परिचय (Introduction)
- 6.1.2 सांस्कृतिक क्षेत्र का अर्थ (Meaning of Cultural Region)
- 6.1.3 सांस्कृतिक क्षेत्रों के प्रकार (Types of Cultural Regions)
- 6.1.4 विश्व के सांस्कृतिक क्षेत्र (Cultural Regions of World)
6.2 सांस्कृतिक प्रसार (Cultural Diffusion)
- 6.2.1 सांस्कृतिक प्रसार का अर्थ (Meaning of Cultural Diffusion)
- 6.2.2 सांस्कृतिक प्रसार के प्रकार (Types of Cultural Diffusion)
6.3 प्रजाति (Race)
- 6.3.1 जाति का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Race)
- 6.3.2 प्रजातीय वर्गीकरण का आधार (Basis of Racial Classification)
6.4 धर्म (Religion)
- 6.4.1 धर्म का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Religion)
- 6.4.2 धर्म का वर्गीकरण (Classification of Religion)
6.5 विश्व के प्रमुख धर्म (Major Religions of the World)
- 6.5.1 ईसाई धर्म (Christianity)
- 6.5.2 इस्लाम (Islam)
- 6.5.3 हिन्दू धर्म (Hinduism)
- 6.5.4 बौद्ध धर्म (Buddhism)
- 6.5.5 यहूदी धर्म (Judaism)
- 6.5.6 कन्फ्यूशियसवाद (Confucianism)
- 6.5.7 ताओवाद (Taoism)
- 6.5.8 शिन्तोवाद (Shintoism)
- 6.5.9 जनजातीय धर्म (Tribal Religions)
6.6 भारत में धर्म (Religions in India)
6.7 भाषा (Language)
- 6.7.1 परिचय (Introduction)
- 6.7.2 भाषा का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Language)
- 6.7.3 बोलियाँ (Dialects)
- 6.7.4 भाषा का प्रसार (Diffusion of Language)
Unit 7: World Tribes (विश्व की जनजातियाँ)
7.1 विश्व की जनजातियाँ (World Tribes)
- 7.1.1 परिचय (Introduction)
- 7.1.2 जनजाति का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Tribe)
- 7.1.3 विश्व की प्रमुख जनजातियाँ (Major Tribes of the World)
7.2 एस्किमो (Eskimo)
- 7.2.1 परिचय (Introduction)
- 7.2.2 इतिहास (History)
- 7.2.3 प्राकृतिक वास (Habitat)
- 7.2.4 शारीरिक विशेषताएँ (Physical Characteristics)
- 7.2.5 भाषाएँ (Languages)
- 7.2.6 पहनावा (Clothing)
- 7.2.7 व्यवसाय (Occupation)
- 7.2.8 सामाजिक संगठन (Social Organisation)
- 7.2.9 भोजन (Food)
7.3 किर्गिज / किर्गिज (Kirghiz / Kyrgyz)
- 7.3.1 परिचय (Introduction)
- 7.3.2 इतिहास (History)
- 7.3.3 प्राकृतिक वास (Habitat)
- 7.3.4 शारीरिक विशेषताएँ (Physical Characteristics)
- 7.3.5 पहनावा (Clothing)
- 7.3.6 व्यवसाय (Occupation)
- 7.3.7 भाषाएँ (Languages)
- 7.3.8 भोजन (Food)
7.4 बुशमैन (Bushman)
- 7.4.1 परिचय (Introduction)
- 7.4.2 प्राकृतिक वास (Habitat)
- 7.4.3 शारीरिक विशेषताएँ (Physical Characteristics)
- 7.4.4 पहनावा (Clothing)
- 7.4.5 व्यवसाय (Occupation)
- 7.4.6 भाषा (Language)
- 7.4.7 भोजन (Food)
7.5 माअसाई (MaAsai)
- 7.5.1 परिचय (Introduction)
- 7.5.2 इतिहास (History)
- 7.5.3 प्राकृतिक वास (Habitat)
- 7.5.4 भाषा (Language)
- 7.5.5 पहनावा (Clothing)
- 7.5.6 व्यवसाय (Occupation)
- 7.5.7 आहार (Food)
7.6 सेमांग (Semang)
- 7.6.1 परिचय (Introduction)
- 7.6.2 इतिहास (History)
- 7.6.3 प्राकृतिक वास (Habitat)
- 7.6.4 शारीरिक विशेषताएँ (Physical Characteristics)
- 7.6.5 भाषा (Language)
- 7.6.6 पहनावा (Clothing)
- 7.6.7 व्यवसाय (Occupation)
- 7.6.8 भोजन (Food)
7.7 पिग्मी (Pygmies)
- 7.7.1 परिचय (Introduction)
- 7.7.2 प्राकृतिक वास (Habitat)
- 7.7.3 शारीरिक विशेषताएँ (Physical Characteristics)
- 7.7.4 भाषा (Language)
- 7.7.5 पहनावा (Clothing)
- 7.7.6 व्यवसाय (Occupation)
- 7.7.7 भोजन (Food)
Unit 8: Indian Tribes (इकाई 8—भारत की जनजातियाँ)
8.1 भारत की जनजातियाँ (Indian Tribes)
- 8.1.1 जनजाति का अर्थ (Meaning of Tribe)
- 8.1.2 भारत में जनजातियों की विशेषताएँ (Characteristics of the Tribes in India)
- 8.1.3 भारत की प्रमुख जनजातियाँ (Major Tribes in India)
8.2 भोटिया जनजातियाँ (Bhotias Tribes)
- 8.2.1 परिचय (Introduction)
- 8.2.2 भाषा (Language)
- 8.2.3 संस्कृति (Culture)
8.3 गोंड जनजातियाँ (Gond Tribes)
- 8.3.1 परिचय (Introduction)
- 8.3.2 भाषा (Language)
- 8.3.3 संस्कृति (Culture)
8.4 भील जनजातियाँ (Bhil Tribes)
- 8.4.1 परिचय (Introduction)
- 8.4.2 भाषा (Language)
- 8.4.3 संस्कृति (Culture)
8.5 सेंटीनलिज़ जनजातियाँ (Sentinelese Tribes)
- 8.5.1 परिचय (Introduction)
- 8.5.2 भाषा (Language)
- 8.5.3 संस्कृति (Culture)
8.6 टोडा जनजातियाँ (Toda Tribes)
- 8.6.1 परिचय (Introduction)
- 8.6.2 भाषा (Language)
- 8.6.3 संस्कृति (Culture)
8.7 संथाल जनजातियाँ (Santhal Tribes)
- 8.7.1 इतिहास (History)
- 8.7.2 परिचय (Introduction)
- 8.7.3 भाषा और पहचान (Language and Identification)
- 8.7.4 जनसंख्या (Population)
- 8.7.5 व्यवसाय (Occupation)
- 8.7.6 संस्कृति (Culture)
- 8.7.7 धर्म (Religion)
- 8.7.8 त्यौहार एवं अनुष्ठान (Festivals and Rituals)
- 8.7.9 पोशाक और आभूषण (Dress and Ornaments)
- 8.7.10 परिवार (Family)
8.8 नागा जनजातियाँ (Nagas Tribes)
- 8.8.1 इतिहास (History)
- 8.8.2 परिचय (Introduction)
- 8.8.3 भाषा (Language)
- 8.8.4 व्यवसाय (Occupation)
- 8.8.5 धर्म (Religion)
- 8.8.6 सामाजिक और सांस्कृतिक विरासत (Social and Cultural Heritage)
thanks!

thanks for you sir / bhai
welcome @Mukhesh Ji