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Semester 6: International Relations Politics

  • Definition, Nature Scope of International politics, Approaches Theories Idealism, Realism, Neo Realism, System Theory Game Theory

    International Politics
    • Definition of International Politics

      अंतरराष्ट्रीय राजनीति का तात्पर्य विभिन्न देशों और उनके बीच रिश्तों, नीतियों और क्रियाओं से है। यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें राष्ट्रों के बीच संघर्ष, सहयोग और संवाद शामिल होते हैं।

    • Nature of International Politics

      अंतरराष्ट्रीय राजनीति की प्रकृति जटिल और बहुआयामी है। यह राजनीति, अर्थशास्त्र, संस्कृति और सामाजिक कारकों के बीच संबंधों को दर्शाती है। इसमें शक्ति संतुलन, हितों का टकराव और वैश्विक मुद्दों का समाधान शामिल है।

    • Scope of International Politics

      अंतरराष्ट्रीय राजनीति का दायरा वैश्विक और क्षेत्रीय स्तर पर फैला हुआ है। इसमें अंतरराष्ट्रीय संस्थाएँ, युद्ध, आतंकवाद, पर्यावरणीय परिवर्तन, मानवाधिकार, वैश्वीकरण आदि जैसे मुद्दे शामिल हैं।

    • Approaches to International Politics

      अंतरराष्ट्रीय राजनीति के अध्ययन में विभिन्न दृष्टिकोण शामिल हैं जैसे कि ऐतिहासिक, व्यवहारिक, सामूहिक, और संरचनात्मक दृष्टिकोण।

    • Theories of International Politics

      अंतरराष्ट्रीय राजनीति की प्रमुख धाराएँ हैं: 1. आदर्शवाद: यह मानता है कि नैतिकता और नैतिक सिद्धांतों पर राजनीति बनाई जा सकती है। 2. यथार्थवाद: यह वास्तविकता का सामना करता है और शक्ति संतुलन पर केन्द्रित होता है। 3. नव-यथार्थवाद: यह संरचनात्मक कारकों को प्राथमिकता देता है और वैश्विक प्रणाली पर ध्यान केंद्रित करता है। 4. प्रणाली सिद्धांत: यह अंतरराष्ट्रीय प्रणाली के विभिन्न घटकों और उनके बीच संबंधों का अध्ययन करता है। 5. खेल सिद्धांत: यह निर्णय लेने की प्रक्रिया और प्रतिस्पर्धात्मक स्थितियों का विश्लेषण करता है।

  • The Nation State System National Power, National Interest, Collective Security, Balance of Power

    The Nation State System
    राष्ट्रीय शक्ति वह क्षमता है जिसके माध्यम से एक राष्ट्र अपने हितों की रक्षा कर सकता है। इसमें आर्थिक, सैन्य, राजनीतिक और सांस्कृतिक शक्ति शामिल होती है।
    राष्ट्रीय हित उस स्थिति को दर्शाता है जिसमें एक राष्ट्र अपने नागरिकों और क्षेत्र की रक्षा, वेलफेयर और विकास के लिए कार्य करता है। इसमें सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और अंतर्राष्ट्रीय संबंध शामिल होते हैं।
    सामूहिक सुरक्षा प्रणाली में कई राष्ट्र एकजुट होते हैं ताकि प्रतिबंधात्मक नीतियों के माध्यम से सभी के लिए सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। इसमें देशों के बीच सहयोग और सहयोग का आधार होता है।
    शक्ति संतुलन का सिद्धांत यह बात करता है कि जब सभी शक्तियां लगभग समान होती हैं, तो युद्ध की संभावना कम होती है। यह विचार राजनीतिक स्थिरता और शांति की नींव रखता है।
  • Diplomacy, Disarmament Arms Control Nuclear Proliferation, United Nations, New World Order

    International Relations Politics
    • राजनयिकता (Diplomacy)

      राजनयिकता एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जिसके माध्यम से देश अपने आपसी संबंधों को प्रबंधित करते हैं। इसमें बातचीत, वार्ता और समझौतों के माध्यम से समस्याओं का हल किया जाता है। राजनयिकता के विभिन्न प्रकार हैं, जैसे कि द्विपक्षीय, बहुपक्षीय और क्षेत्रीय।

    • नियुक्लियर निरस्त्रीकरण (Disarmament)

      नियुक्लियर निरस्त्रीकरण का अर्थ है परमाणु हथियारों की संख्या को कम करना या उनका पूर्ण रूप से समाप्त करना। यह वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए आवश्यक है। कई अंतरराष्ट्रीय संधियाँ हैं, जैसे कि एनपीटी (NPT), जो इस दिशा में प्रयासरत हैं।

    • हथियार नियंत्रण (Arms Control)

      हथियार नियंत्रण वह प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत सरकारें और अंतरराष्ट्रीय संगठन किसी विशेष प्रकार के हथियारों के उत्पादन, वितरण और उपयोग को नियंत्रित करते हैं। इसका उद्देश्य विश्व स्तर पर युद्ध और संघर्ष को कम करना है।

    • परमाणु प्रसार (Nuclear Proliferation)

      परमाणु प्रसार का अर्थ है परमाणु तकनीक और हथियारों का विस्तार। यह एक गंभीर चिंता का विषय है क्योंकि यह वैश्विक सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है। कई देशों द्वारा इस पर रोक लगाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

    • संयुक्त राष्ट्र (United Nations)

      संयुक्त राष्ट्र एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो वैश्विक मुद्दों पर सहयोग को बढ़ावा देने के लिए बना है। इसका उद्देश्य युद्ध और संघर्ष को रोकना और मानवता की भलाई को सुनिश्चित करना है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का प्रमुख कार्य सुरक्षा के मुद्दों पर निर्णय लेना है।

    • नया विश्व क्रम (New World Order)

      नया विश्व क्रम उन अंतरराष्ट्रीय घटनाओं और परिवर्तनों का वर्णन करता है जो विश्व की राजनीति और अर्थव्यवस्था में बदलाव लाते हैं। यह आमतौर पर वैश्विक शांति, विकास और मानव अधिकारों की रक्षा के संदर्भ में देखा जाता है।

  • 20thCentury of International relation Cold War Post Cold War International Relations

    20th Century of International Relations: Cold War and Post Cold War International Relations
    • बीसवीं सदी का अंतर्राष्ट्रीय संबंध: परिचय

      बीसवीं सदी में अंतर्राष्ट्रीय संबंधों का महत्व बढ़ा। यह सदी कई महत्वपूर्ण और विभाजनकारी घटनाओं की साक्षी रही, जिनमें विश्व युद्ध, शीत युद्ध और उपनिवेशवाद शामिल हैं।

    • शीत युद्ध का उदय

      शीत युद्ध का प्रारंभ द्वितीय विश्व युद्ध के बाद हुआ, जब अमेरिका और सोवियत संघ के बीच शक्ति संतुलन बिगड़ गया। यह एक विचारधारात्मक संघर्ष था जिसमें दो अलग-अलग राजनीतिक एवं आर्थिक प्रणालियाँ आपस में टकराईं।

    • शीत युद्ध की विशेषताएँ

      शीत युद्ध की कई विशेषताएँ थीं, जैसे कि परमाणु हथियारों की होड़, क्षेत्रीय संघर्ष, प्रॉक्सी युद्ध और कॉम्युनिज्म बनाम पूंजीवाद की बहस। इस दौरान नाटो और वारसा पैक्ट जैसे सैन्य गठबंधन बने।

    • भारत का शीत युद्ध में दृष्टिकोण

      भारत ने शीत युद्ध के दौरान गुटनिरपेक्ष आंदोलन का नेतृत्व किया। यह देश दोनों महाशक्तियों से दूरी बनाए रखते हुए अपने स्वतंत्र विदेश नीति को विकसित करता रहा।

    • शीत युद्ध का अंत और उसके प्रभाव

      1989 में बर्लिन की दीवार गिरने के साथ शीत युद्ध का अंत हुआ। इसका प्रभाव वैश्विक राजनीति पर पड़ा, जिससे नई अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था की शुरुआत हुई।

    • पोस्ट शीत युद्ध संबंध

      पोस्ट शीत युद्ध युग में वैश्वीकरण, आर्थिक सहयोग और क्षेत्रीय संबंधों में वृद्धि हुई। अमेरिका एकमात्र सुपरपावर बनकर उभरा।

    • वैश्विक मुद्दे और चुनौतियाँ

      इस युग में आतंकवाद, पर्यावरणीय संकट और आर्थिक असमानता जैसे नए वैश्विक मुद्दों ने महत्व हासिल किया।

    • भविष्य के अंतर्राष्ट्रीय संबंध

      भविष्य में अंतर्राष्ट्रीय संबंधों की दिशा वैश्विक संकटों, उभरती शक्ति केंद्रों और तकनीकी प्रगति पर निर्भर करेगी। नई चुनौतियों का सामना करते हुए देशों को सहयोग और संवाद बढ़ाना होगा।

  • A critical Appraisal of Indias Foreign Policy Post Independence, Evaluation of Politics in South Asia, South East Asia, West Asia

    A critical Appraisal of India's Foreign Policy Post Independence
    • भारतीय विदेश नीति का परिप्रेक्ष्य

      भारत की विदेश नीति की शुरुआत स्वतंत्रता के बाद हुई, जिसमें प्रमुख तत्वों में नॉन-अलाइन्मेंट, क्षेत्रीयता और वैश्विकता शामिल थे।

    • दक्षिण एशिया में राजनीति का मूल्यांकन

      दक्षिण एशिया में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। पड़ोसी देशों के साथ संबंधों का विकास और सुरक्षा सहयोग इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण हैं।

    • पूर्वी एशिया में भारत की विदेश नीति

      भारत ने पूर्वी एशिया में आर्थिक और सामरिक संबंधों को बढ़ावा दिया है। आसियान के साथ साझेदारी और क्षेत्रीय स्थिरता पर ध्यान केंद्रित किया गया।

    • पश्चिम एशिया में राजनीतिक परिदृश्य

      पश्चिम एशिया में भारत के संबंध महत्वपूर्ण होते जा रहे हैं, विशेषकर ऊर्जा सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त प्रयासों के संदर्भ में।

  • Evolution of International Economic System from Bretton Woods to W.T.O The North-South and the South-South Dialogue, Regional Trade Development, Cooperation, Strategic Partnership ASEAN, BRICS, BIMSTEC, SAARC

    Evolution of International Economic System from Bretton Woods to WTO
    • Bretton Woods Conference and Its Impact

      1944 में ब्रेटन वुड्स सम्मेलन हुआ, जिसमें अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और विश्व बैंक की स्थापना की गई। इसका मुख्य उद्देश्य विश्व की आर्थिक स्थिरता और विकास को बढ़ावा देना था। इस प्रणाली ने डॉलर को प्रमुख मुद्रा बनाया और अन्य मुद्राओं की व्यावसायिकता की गारंटी की।

    • Transition to Floating Exchange Rates

      1971 में, ब्रेटन वुड्स प्रणाली टूट गई और प्रमुख मुद्राओं के लिए तैरती विनिमय दरें लागू की गईं। इससे आर्थिक अस्थिरता बढ़ी लेकिन वैश्विक व्यापार में भी वृद्धि हुई।

    • World Trade Organization (WTO) की स्थापना

      1995 में विश्व व्यापार संगठन की स्थापना हुई, जो वैश्विक व्यापार नीतियों को विकसित और नियंत्रित करता है। इसका उद्देश्य व्यापार में बाधाओं को समाप्त करना और विकासशील देशों को समान अवसर देना है।

    • उत्तर-दक्षिण संवाद

      उत्तर (विकसित देश) और दक्षिण (विकसितशील देश) के बीच संवाद वैश्विक आर्थिक असमानता को कम करने का प्रयास है। यह वार्ता व्यापार, विकास और पर्यावरण जैसे मुद्दों पर केंद्रित है।

    • दक्षिण-दक्षिण संवाद

      दक्षिण-दक्षिण संवाद विकासशील देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देता है। इसमें BRICS, BIMSTEC और SAARC जैसे संगठन शामिल हैं, जो आर्थिक और राजनीतिक सहयोग को बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं।

    • क्षेत्रीय व्यापार विकास और सहयोग

      क्षेत्रीय व्यापार संगठन जैसे ASEAN, BRICS, BIMSTEC, और SAARC क्षेत्रीय सहयोग और व्यापारिक विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं। ये संगठन सदस्य देशों के बीच आर्थिक समृद्धि और स्थिरता को बढ़ावा देते हैं।

    • Strategic Partnerships

      अंतरराष्ट्रीय संबंधों में रणनीतिक साझेदारियां विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं। BRICS और ASEAN जैसे समूह विभिन्न वैश्विक चुनौतियों का सामना करने में एकजुटता को बढ़ावा देते हैं।

  • Globalization concept, feature, effects and its impact on sovereignty of states. Alternative perspective on globalization, Ascendency of China, Multipolar World

    Globalization concept, features, effects and its impact on sovereignty of states
    • वैश्वीकरण की परिभाषा

      वैश्वीकरण एक प्रक्रिया है जिसमें विभिन्न देशों के बीच आर्थिक, सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक संबंध बढ़ते हैं। यह तकनीकी विकास के कारण संभव हुआ है, जिससे सूचना और पूंजी का आदान-प्रदान तेजी से होता है।

    • वैश्वीकरण की विशेषताएँ

      1. आर्थिक समन्वय: वैश्वीकरण के कारण देशों के बीच व्यापार और निवेश में वृद्धि होती है। 2. सांस्कृतिक इंटरएक्शन: विभिन्न संस्कृतियों का आपस में मेलजोल होता है। 3. तकनीकी विकास: सूचना प्रौद्योगिकी के जरिए जानकारी का त्वरित प्रसार। 4. बहुराष्ट्रीय कंपनियों का प्रभाव: बड़े पैमाने पर व्यापार में भागीदारी।

    • वैश्वीकरण के प्रभाव

      1. आर्थिक लाभ: विकासशील देशों में रोजगार और विकास के अवसर। 2. राजनीतिक परिवर्तन: अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर साझा नीतियों का निर्माण। 3. सामाजिक परिवर्तन: आय के असमान वितरण के कारण सामाजिक तनाव। 4. पर्यावरणीय चुनौतियाँ: वैश्वीकरण से होने वाले पर्यावरणीय नुकसान।

    • वैश्वीकरण का राजनैतिक प्रभाव

      राज्य की sovereignity पर वैश्वीकरण का महत्व है। 1. आत्मनिर्णय की क्षमता में कमी। 2. अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं का बढ़ता प्रभाव। 3. छोटे देशों की नीतियों पर बहुराष्ट्रीय कंपनियों का प्रभाव।

    • वैश्वीकरण का वैकल्पिक दृष्टिकोण

      वैश्वीकरण की आलोचना में यह कहा जा सकता है कि यह केवल कुछ देशों को ही लाभ पहुंचाता है। इसका उच्चतम लाभ विकसित देशों को मिलता है, जबकि विकासशील देशों में आर्थिक असमानता बढ़ जाती है।

    • चीन का उदय

      चीन ने वैश्वीकरण के माध्यम से तेजी से आर्थिक विकास किया है। इसके व्यापार और निवेश के प्रभाव ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में इसकी स्थिति को मजबूत किया है।

    • गुणात्मक विश्व में संक्रमण

      वैश्वीकरण और चीन के उदय से एक बहुपरक दुनिया का निर्माण हुआ है, जहां विभाजन और शक्ति संतुलन बदल रहे हैं। यह संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बीच प्रतिस्पर्धा को दर्शाता है।

  • Great Debates in International Relations End of Ideology, Clash of Civilization, Cross border Terrorism Non state Actors, Politics of Environment, Traditional Non Traditional Security Threats

    International Relations Politics
    • End of Ideology

      वैश्विक राजनीति में विचारधारा के अंत की अवधारणा यह बताती है कि शीत युद्ध के बाद, विचारधारात्मक संघर्ष का स्थान अन्य प्रकार के संघर्षों ने ले लिया है। यह मान्यता है कि पश्चिमी लोकतंत्र और पूंजीवाद ने विश्व में एक वर्चस्व प्राप्त किया है, और अन्य विचारधाराओं की प्रासंगिकता कम हो गई है।

    • Clash of Civilizations

      साम्तीन हंटिंगटन द्वारा प्रस्तुत 'सभ्यताओं का संघर्ष' सिद्धांत यह सुझाव देता है कि भविष्य के संघर्ष मूलतः सभ्यताओं के बीच होंगे। यह पश्चिमी और इस्लामी सभ्यताओं के बीच तनाव को विशेष रूप से अहम मानता है, और इसे वैश्विक राजनीति का एक प्रमुख कारक मानता है।

    • Cross-border Terrorism

      सीमा पार आतंकवाद एक महत्वपूर्ण सुरक्षा चुनौती है। यह मुख्य रूप से एक राष्ट्र की सीमाओं को पार कर दूसरे राष्ट्र के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों को संदर्भित करता है। यह भौगोलिक सीमाओं को चुनौती देता है और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा बढ़ाने में कठिनाइयाँ उत्पन्न करता है।

    • Non-state Actors

      गैर-राज्य अभिनेता उन समूहों और संगठनों को संदर्भित करते हैं जो बिना किसी सरकारी प्राधिकरण के अंतरराष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय होते हैं। इसमें आतंकवादी समूह, अंतरराष्ट्रीय एनजीओ और बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ शामिल हैं, जो पारंपरिक राज्य-केन्द्रीत राजनीति को चुनौती देते हैं।

    • Politics of Environment

      पर्यावरणीय राजनीति का संबंध वैश्विक परिवर्तन, जलवायु परिवर्तन, और प्राकृतिक संसाधनों के शोषण से है। यह राजनीति में एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है, जहां पर्यावरणीय मुद्दे वैश्विक सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए जरूरी बन जाते हैं।

    • Traditional and Non-Traditional Security Threats

      परंपरागत सुरक्षा खतरे आमतौर पर शत्रु राष्ट्रों के बीच सशस्त्र संघर्षों से जुड़ा होता है। दूसरी ओर, गैर-पारंपरिक सुरक्षा खतरे जैसे आतंकवाद, साइबर सुरक्षा, और महामारी, आधुनिक सुरक्षा विमर्श में महत्वपूर्ण स्थान ले चुके हैं, क्योंकि ये तैयारियों और प्रतिक्रियाओं में जटिलताओं की भरपूर मात्रा लाते हैं.

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