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Semester 1: Development of Education in India and Contemporary Issues
Indian Ethos and Education
भारतीय विचारधारा और शिक्षा
भारतीय शिक्षा का इतिहास
भारतीय शिक्षा का इतिहास प्राचीन काल से शुरू होता है। वेद और उपनिषदों में ज्ञान का महत्व बताया गया है। गुरु-शिष्य परंपरा का अनुसरण किया गया। भारत में तक्षशिला और नालंदा जैसे विश्वविख्यात विश्वविद्यालय थे।
शिक्षा का उद्देश्य
भारतीय संस्कृति में शिक्षा का उद्देश्य केवल रोजगार प्राप्त करना नहीं है, बल्कि मानवता के प्रति सेवा, सामाजिक कौशल और नैतिकता का विकास करना भी है।
समकालीन मुद्दे
आज की शिक्षा प्रणाली कई चुनौतियों का सामना कर रही है जैसे कि गुणवत्तापरक शिक्षा की कमी, डिजिटल विभाजन, और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे।
भारतीय शिक्षा प्रणाली के मूल्य
भारतीय शिक्षा प्रणाली में विविधताओं को स्वीकार किया गया है। जीवन मूल्यों, नैतिकता और सामाजिक जिम्मेदारी पर जोर दिया जाता है।
Education During the Ancient, Medieval, and British Period
Education During the Ancient, Medieval, and British Period
प्रागैतिहासिक शिक्षा
भारत में प्रागैतिहासिक काल के दौरान शिक्षा मौखिक परंपरा के माध्यम से प्रचलित थी। बच्चों को उनके माता-पिता और बड़ों से कौशल और ज्ञान सिखाया जाता था।
प्राचीन भारत की शिक्षा प्रणाली
प्राचीन भारत में शिक्षा का मुख्य केंद्र 'गुरुकुल' था। यहाँ छात्र गुरु के पास निवास करते और ज्ञान प्राप्त करते थे। वे वेद, गणित, औषधि, और अन्य विषयों का अध्ययन करते थे। विद्यालयों में पठन-पाठन का माध्यम संस्कृत था।
बौद्ध और जैन शिक्षा
बौद्ध और जैन धर्म के उदय के साथ शिक्षा में एक नया मोड़ आया। नालंदा और तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालयों का विकास हुआ। इन संस्थानों में न केवल धार्मिक बल्कि दार्शनिक और वैज्ञानिक विषयों का भी अध्ययन किया जाता था।
मध्यकालीन शिक्षा
मध्यकाल में Islamic शिक्षा प्रणाली का विकास हुआ। मदरसे और स्कूलों का establishment हुआ और शास्त्र, साहित्य, और विज्ञान के विषयों का अध्ययन कराया गया।
ब्रिटिश शासन के दौरान शिक्षा
ब्रिटिश राज के समय शिक्षा प्रणाली में कई बदलाव आए। अंग्रेजी शिक्षा प्रणाली को बढ़ावा दिया गया। शिक्षा का फैलाव हुआ, लेकिन यह मुख्यतः उच्च वर्ग के लोगों तक ही सीमित रहा।
आधुनिक शिक्षा का विकास
स्वतंत्रता संग्राम के दौरान शिक्षा में जागरूकता बढ़ी। कई समाज सुधारक और राष्ट्रवादी नेता शिक्षा के महत्व को समझते हुए स्कूल और कॉलेज स्थापित करने लगे।
Main Commissions Committees on Education in Independent India
Main Commissions Committees on Education in Independent India
Mudaliar Commission (1952-53)
मुडालियार कमीशन की स्थापना 1952 में की गई थी। इस आयोग का मुख्य उद्देश्य भारतीय शिक्षा के ढांचे का पुनर्गठन करना था। आयोग ने विद्यालयों में 10+2+3 प्रणाली के विकास की सिफारिश की और उच्च शिक्षा में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया।
Kothari Commission (1964-66)
कोठारी आयोग का गठन 1964 में किया गया था। इस आयोग ने भारतीय शिक्षा प्रणाली की व्यापक समीक्षा की और शिक्षा के लिए एक राष्ट्रीय नीति के निर्माण की सिफारिश की। आयोग ने शिक्षा में वैज्ञानिकता, सामाजिक प्रगति और तकनीकी विकास पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता बताई।
National Policy on Education (1986)
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 में लागू की गई थी। इस नीति का मुख्य जोर शिक्षा के क्षेत्र में सुधार, साक्षरता बढ़ाने और शिक्षा को सभी के लिए सुलभ बनाने पर था। इसमें बुनियादी शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा और उच्च शिक्षा के विकास के लिए विभिन्न उपायों की सिफारिश की गई।
Ramamurthy Committee (1990)
रामामूर्ति समिति का गठन 1990 में था। इस समिति ने उच्च शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए सुझाव दिए। इसके अंतर्गत तकनीकी शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा और मानव संसाधन विकास पर विशेष ध्यान दिया गया।
National Policy on Education (2020)
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में शिक्षा के विकास के लिए नई दिशा-निर्देश दिए गए हैं। इसे शिक्षा को अधिक समावेशी, बहु-आयामी और विकासोन्मुख बनाने के लिए तैयार किया गया। नई नीति में 5+3+3+4 प्रारूप को पेश किया गया है।
Contemporary Issues in Education
Development of Education in India and Contemporary Issues
Historical Background
भारत में शिक्षा के विकास की प्रक्रिया प्राचीन काल से शुरू होती है। वेद, उपनिषद, और अन्य धार्मिक ग्रंथों के माध्यम से शिक्षा का संचालन किया गया। मौडर्न युग में ब्रिटिश शासन के दौरान शिक्षा प्रणाली में कई परिवर्तन आए।
Current Education System
वर्तमान शिक्षा प्रणाली को कई स्तरों में विभाजित किया गया है जैसे कि प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा। विभिन्न राज्य और केंद्र सरकारें शिक्षा के विकास के लिए नीतियां लेकर आई हैं।
Contemporary Issues
वर्तमान में शिक्षा क्षेत्र में कई समस्याएं हैं जैसे कि शिक्षा की गुणवत्ता, डिजिटल प्रौद्योगिकी का समावेश, और सामाजिक असमानता। आर्थिक स्थिति के आधार पर शिक्षा के अवसरों में समानता का अभाव।
Impact of Technology
प्रौद्योगिकी ने शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली, ई-लर्निंग और डिजिटल कक्षाओं का प्रसार हुआ है। हालांकि, यह डिजिटल अंतर भी उत्पन्न कर रहा है।
Policy Recommendations
शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए नीति निर्माण आवश्यक है। गरीब और वंचित तबके के लिए विशेष योजनाएं, शिक्षक प्रशिक्षण में सुधार और पाठ्यक्रम में अद्यतन शामिल होना चाहिए।
