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Semester 6: Degree in Bachelor of Science

  • Food Microbiology - history, scope, microbial role in food

    Food Microbiology
    • इतिहास

      खाद्य माइक्रोबायोलॉजी का इतिहास बहुत पुराना है। प्राचीन सभ्यताओं ने सड़ने वाले खाद्य पदार्थों के खिलाफ संरक्षण के लिए विभिन्न तरीकों का उपयोग किया। जैसे कि किण्वन, सूखना और नमकीन करना। 19वीं सदी में लुई पाश्चर ने बैक्टीरिया के प्रभाव को समझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके बाद खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में वैज्ञानिक अध्ययन बढ़े।

    • क्षेत्र

      खाद्य माइक्रोबायोलॉजी का क्षेत्र खाद्य सामग्री में सूक्ष्मजीवों के अध्ययन के चारों ओर विकसित हुआ है। इसमें बैक्टीरिया, फफूंद और वायरस शामिल हैं, जो खाद्य पदार्थों के उत्पादन, संरक्षण और स्वास्थ्य पर प्रभाव डालते हैं। इस क्षेत्र में खाद्य सुरक्षा, गुणवत्ता नियंत्रण और खाद्य उत्पादन तकनीकों का विकास शामिल है।

    • सूक्ष्मजीवों की भूमिका

      सूक्ष्मजीवों की खाद्य में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। वे खाद्य पदार्थों के किण्वन में सहायता करते हैं, जो कई पारंपरिक खाद्य उत्पादों को बनाने के लिए आवश्यक है, जैसे दही, पनीर, और ब्रेड। इसके अलावा, कुछ सूक्ष्मजीव हानिकारक होते हैं और खाद्य जनित रोगों का कारण बन सकते हैं। इसलिए खाद्य सुरक्षा के लिए सूक्ष्मजीवों की पहचान और नियंत्रण अत्यंत महत्वपूर्ण है।

  • Microbial spoilage of various foods

    Microbial spoilage of various foods
    • परिचय

      सूक्ष्मजीवों द्वारा खाद्य पदार्थों का खराब होना एक सामान्य प्रक्रिया है। यह बैक्टीरिया, फफूंदी और खमीर जैसे सूक्ष्मजीवों के कारण होता है। इन जीवों की वृद्धि से खाद्य की गुणवत्ता में कमी आती है और यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी हो सकता है।

    • सूक्ष्मजीवों के प्रकार

      खाद्य पदार्थों के खराब होने में मुख्यतः तीन प्रकार के सूक्ष्मजीव शामिल होते हैं: 1. बैक्टीरिया: ये तेजी से विकसित होते हैं और खाद्य पदार्थों के संक्रमण का प्रमुख कारण होते हैं। 2. फफूंदी: ये खाद्य पदार्थों पर धब्बे डालकर उन्हें सड़ने का कारण बनते हैं। 3. खमीर: ये कुछ खाद्य पदार्थों में प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं और अल्कोहल या गैसीय अवशेष छोड़ सकते हैं।

    • खाद्य पदार्थों में खराब होने के कारण

      खाद्य पदार्थों का खराब होना कई कारणों से हो सकता है, जैसे: - तापमान: उच्च तापमान सूक्ष्मजीवों की वृद्धि को बढ़ावा देता है। - आर्द्रता: अधिक नमी से फफूंदी और बैक्टीरिया का विकास होता है। - पोषक तत्व: खाद्य पदार्थों में पाए जाने वाले पोषक तत्व सूक्ष्मजीवों को बढ़ने में मदद करते हैं।

    • खराब खाद्य पदार्थों के प्रभाव

      सूक्ष्मजीवों के कारण खराब हुए खाद्य पदार्थों का उपभोग करने से खाद्य जनित बीमारियाँ हो सकती हैं, जैसे कि दस्त, उल्टी, और बुखार। यह मानव स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।

    • रोकथाम के उपाय

      खाद्य पदार्थों की खराबी को रोकने के लिए कुछ उपाय हैं: - उचित तापमान पर भंडारण: खाद्य पदार्थों को ठंडा और सूखा रखना चाहिए। - उचित परिशुद्धता: खाद्य पदार्थों को अच्छी तरह धोकर और पकाकर उपयोग करें। - पैकेजिंग: खाद्य पदार्थों को हानिकारक सूक्ष्मजीवों से सुरक्षित रखने के लिए पैक करना आवश्यक है।

  • Microbial examination of food - methods and tests

    Microbial examination of food
    • परिचय

      खाद्य पदार्थों में microbiological परीक्षण महत्वपूर्ण है ताकि उनके स्वास्थ्य पर प्रभाव और सुरक्षा सुनिश्चित किया जा सके।

    • परीक्षण की आवश्यकता

      खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए परीक्षण आवश्यक है, जिससे खाद्य जनित रोगों की रोकथाम हो सके।

    • परीक्षण के तरीके

      खाद्य पदार्थों के परीक्षण के लिए विभिन्न तरीके अपनाए जाते हैं जैसे कि एनारोबिक और एरोबिक कल्चर टेकnique, PCR, और इम्यूनोअसेस।

    • परीक्षण के मानक

      अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार खाद्य पदार्थों में सूक्ष्मजीवों की मात्रा और प्रकार का विश्लेषण करना आवश्यक है।

    • निष्कर्ष

      खाद्य पदार्थों का सूक्ष्मजीवों के लिए परीक्षण न केवल मानक स्वास्थ्य की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह खाद्य गुणवत्ता और सुरक्षा को सुनिश्चित करने में सहायक है।

  • Food preservation - principles and methods

    Food preservation - principles and methods
    • खाद्य संरक्षण का महत्व

      खाद्य संरक्षण खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता और सुरक्षा को बनाए रखने में मदद करता है। यह खाद्य अपशिष्ट को कम करने में भी महत्वपूर्ण है।

    • खाद्य संरक्षण के सिद्धांत

      खाद्य संरक्षण के मुख्य सिद्धांतों में जीवाणु विकास को रोकना, ऑक्सीकरण को सीमित करना और तापमान को नियंत्रित करना शामिल हैं।

    • भिन्न खाद्य संरक्षण विधियाँ

      खाद्य संरक्षण की विभिन्न विधियाँ हैं जैसे कि ठंडा करना, सुखाना, डिब्बाबंद करना, सलामुरन करना, और फ्रीज करना।

    • बायोलॉजिकल और फिजिकल विधियाँ

      जैविक विधियाँ जैसे कि किण्वन और भौतिक विधियाँ जैसे कि उबालना, तापमान में बदलाव, प्रदूषण की रोकथाम पर जोर देती हैं।

    • संवेदनशीलता और सुरक्षित विधियाँ

      खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संवेदनशील खाद्य पदार्थों के लिए सही विधियों का चुनाव आवश्यक है। यह बैक्टीरिया और अन्य रोगजनकों के विकास को रोकता है।

  • Fermented foods and probiotics

    Fermented foods and probiotics
    • परिभाषा और महत्व

      फर्मेंटेड खाद्य पदार्थ वे होते हैं जो जैविक प्रक्रिया द्वारा बनाए जााते हैं, जहाँ सूक्ष्मजीव जैसे बैक्टीरिया और खमीर खाद्य पदार्थों में शुगर को एल्कोहल या एसिड में परिवर्तित करते हैं। यह प्रक्रिया खाद्य पदार्थों के स्वाद, सुगंध और पोषण में सुधार करती है।

    • फर्मेंटेशन प्रक्रिया

      फर्मेंटेशन एक स्वाभाविक प्रक्रिया है जिसमें खाद्य पदार्थों में मौजूद प्राकृतिक खमीर और बैक्टीरिया सक्रिय होते हैं। इस प्रक्रिया में, कार्बोहाइड्रेट को अवशिष्ट पदार्थों में परिवर्तित किया जाता है, जिससे खाद्य पदार्थों की संरचना और लाभकारी गुणों में सुधार होता है।

    • फर्मेंटेड खाद्य पदार्थों के उदाहरण

      कुछ प्रसिद्ध फर्मेंटेड खाद्य पदार्थ हैं दही, किमची, सौक्रूट, कंबूचा और सोया सॉस। ये खाद्य पदार्थ न केवल स्वादिष्ट होते हैं, बल्कि इनमें उच्च मात्रा में प्रोबायोटिक्स होते हैं।

    • प्रोबायोटिक्स का महत्व

      प्रोबायोटिक्स जीवित सूक्ष्मजीव होते हैं, जो आंतों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में सहायक होते हैं। ये पाचन तंत्र में अच्छे बैक्टीरिया का संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं, जिससे इम्यून सिस्टम मजबूत होता है।

    • फर्मेंटेड खाद्य पदार्थों के स्वास्थ्य लाभ

      फर्मेंटेड खाद्य पदार्थों के कई स्वास्थ्य लाभ हैं, जैसे पाचन में सुधार, इम्यून सिस्टम को मजबूत करना, और मानसिक स्वास्थ्य में योगदान। ये शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण होते हैं।

    • समाप्ति

      फर्मेंटेड खाद्य पदार्थ और प्रोबायोटिक्स पर विचार करना न केवल हमारी खाने की आदतों को बेहतर बनाता है, बल्कि हमारे स्वास्थ्य को भी सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन नियमित रूप से करना चाहिए।

  • Food borne diseases - causative agents and prevention

    Food borne diseases - causative agents and prevention
    • परिभाषा

      Food borne diseases वे बीमारियाँ हैं जो भोजन के माध्यम से फैलती हैं। ये दूषित भोजन के सेवन से होती हैं और आमतौर पर बैक्टीरिया, वायरस, परजीवी, और रासायनिक पदार्थों के कारण होती हैं।

    • कारणकारक एजेंट

      खाद्य जनित बीमारियों के मुख्य कारणकारक एजेंट हैं: 1. बैक्टीरिया: जैसे कि Salmonella, Escherichia coli, Listeria। 2. वायरस: जैसे कि Norovirus, Hepatitis A। 3. परजीवी: जैसे कि Giardia, Cryptosporidium। 4. रासायनिक प्रदूषक: जैसे कि पेस्टीसाइड, भारी धातुएं।

    • बीमारियों के लक्षण

      बीमारियों के लक्षण में आमतौर पर उल्टी, दस्त, पेट दर्द, बुखार, और मांसपेशियों में दर्द शामिल होते हैं। ये लक्षण संक्रमित भोजन खाने के बाद तुरंत या कुछ दिन बाद प्रकट हो सकते हैं।

    • निवारक उपाय

      खाद्य जनित बीमारियों से बचाव के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय हैं: 1. उचित स्वच्छता बनाए रखें: खाना पकाने के पहले और बाद में हाथों को अच्छी तरह धोएं। 2. खाद्य पदार्थों को सही तापमान पर स्टोर करें। 3. कच्चे और पके हुए खाद्य पदार्थों को अलग रखें। 4. खाद्य पदार्थों को अच्छी तरह से पकाएं। 5. एक्सपायरी डेट की जांच करें।

    • प्रकाशन और शिक्षा

      स्कूलों और विश्वविद्यालयों में खाद्य सुरक्षा पाठ्यक्रमों को शामिल करना और जन जागरूकता अभियानों का संचालन करना आवश्यक है। इसके माध्यम से खाद्य जनित बीमारियों के बारे में जानकारी फैलाना महत्वपूर्ण है।

  • Microorganisms and milk - properties, analysis, preservation

    Microorganisms and Milk
    • Microorganisms in Milk

      दूध में विभिन्न प्रकार के सूक्ष्मजीव होते हैं, जैसे बैक्टीरिया, फंगस और यीस्ट। ये सूक्ष्मजीव दूध के स्थायित्व और उसके गुणों को प्रभावित करते हैं।

    • Properties of Milk

      दूध का रंग, स्वाद, गंध, और पोषक तत्वों की उपस्थिति जैसे गुण सूक्ष्मजीवों द्वारा प्रभावित होते हैं। दूध में लैक्टोज, वसा, प्रोटीन, और खनिज पदार्थ होते हैं।

    • Analysis of Milk

      दूध की गुणवत्ता और उसमें सूक्ष्मजीवों की संख्या का विश्लेषण करने के लिए विभिन्न तकनीकें अपनाई जाती हैं, जैसे प्लेट कल्चर और डेयरी उत्पादों के लिए विशेष परीक्षण।

    • Preservation of Milk

      दूध के संरक्षण के लिए विभिन्न विधियाँ हैं, जैसे पाश्चुरीकरण, फ्रीज़िंग, और एडिटिव्स का उपयोग। इन विधियों का उद्देश्य दूध में मौजूद हानिकारक सूक्ष्मजीवों को खत्म करना है।

  • Food sanitization and control - HACCP and microbiological quality standards

    Food sanitization and control - HACCP and microbiological quality standards
    • Food Sanitization

      खाने की सफाई का मतलब है खाद्य पदार्थों को सुरक्षित बनाने के लिए उन्हें कीटाणुरहित करना। यह प्रक्रिया खाद्य विषाणुओं, बैक्टीरिया और अन्य हानिकारक सूक्ष्मजीवों को खत्म करने के लिए की जाती है। विभिन्न तरीकों से खाद्य पदार्थों को साफ किया जा सकता है, जैसे तापमान, रसायन और भौतिक तकनीकों का उपयोग।

    • HACCP प्रणाली

      HACCP (Hazard Analysis Critical Control Point) एक प्रणाली है जो खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए उपयोग की जाती है। यह जोखिमों की पहचान, उनके नियंत्रण के लिए महत्वपूर्ण बिंदुओं को निर्धारित करने और प्रक्रिया के दौरान निगरानी करने पर केंद्रित है। HACCP के सिद्धांतों में खतरे की पहचान, महत्वपूर्ण नियंत्रण बिंदुओं की स्थापना, सीमा निर्धारित करना, निगरानी करना और सुधारात्मक क्रियाएं शामिल हैं।

    • सूक्ष्मजीवों की गुणवत्ता मानक

      खाद्य पदार्थों में सूक्ष्मजीवों की गुणवत्ता मानक यह सुनिश्चित करती है कि खाद्य पदार्थों में हानिकारक सूक्ष्मजीवों का स्तर न्यूनतम हो। यह मानक खाद्य उत्पादों की सुरक्षा और गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। इससे उपभोक्ताओं को सुरक्षित और स्वस्थ भोजन उपलब्ध हो सके।

    • खाद्य नियंत्रण के उपाय

      खाद्य नियंत्रण के उपायों में प्रभावी सफाई और कीटाणुशोधन प्रक्रियाएं शामिल हैं। तापमान नियंत्रण, उचित भंडारण विधियाँ, तथा कार्यस्थल की स्वच्छता इन उपायों में बहुत महत्वपूर्ण हैं। खाद्य उत्पादन में गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इन उपायों को नियमित रूप से निष्पादित किया जाना चाहिए।

  • Industrial Microbiology - history, role of microbes, strain selection, fermentation process

    Industrial Microbiology
    • Item

      औद्योगिक सूक्ष्मजीव विज्ञान का इतिहास 19वीं शताब्दी के अंत में शुरू हुआ जब लुई पाश्चर और रोबर्ट कोच जैसे वैज्ञानिकों ने सूक्ष्मजीवों के महत्व को पहचाना। जैसे-जैसे विज्ञान ने प्रगति की, सूक्ष्मजीवों का उपयोग उद्योगों में उत्पादन के लिए किया जाने लगा, जैसे कि एथेनॉल और अन्य जैविक उत्पाद।
    • Item

      सूक्ष्मजीवों का औद्योगिक प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। वे विभिन्न प्रकार के एंजाइमों का उत्पादन करते हैं जो कार्बनिक पदार्थों को तोड़ने में सहायक होते हैं। बैक्टीरिया, फंगस और यीस्ट को खाद्य, औषधि और जैविक रसायनों के उत्पादन में उपयोग किया जाता है।
    • Item

      संवहन चयन की प्रक्रिया में सबसे उपयुक्त सूक्ष्मजीवों का चयन शामिल होता है जो उच्च गुणवत्ता और मात्रा में उत्पाद उत्पन्न कर सकते हैं। यह प्रक्रिया विभिन्न गुणसूत्रों के विश्लेषण और चयन के माध्यम से की जाती है।
    • Item

      किण्वन प्रक्रिया में सूक्ष्मजीवों का उपयोग करके जैविक पदार्थों को रासायनिक रूप से परिवर्तित किया जाता है। यह प्रक्रिया एरोबिक और एनारोबिक दोनों प्रकार की होती है, और इसका उपयोग शराब, दही, और अन्य कई खाद्य उत्पादों में किया जाता है।
  • Down-stream processing - detection, recovery, purification

    Down-stream processing - detection, recovery, purification
    • Down-stream Processing

      डॉउन-स्ट्रिम प्रोसेसिंग जीवाणुओं, फफूंदों और अन्य सूक्ष्म जीवों के उपयोग से उत्पादों के उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। यह प्रक्रिया उत्पादन के बाद होने वाले चरणों को सम्मिलित करती है, जैसे कि उत्पाद की पहचान, पुनर्प्राप्ति और शोधन।

    • Detection

      उत्पाद की पहचान करने की प्रक्रिया में विभिन्न तकनीकों का उपयोग किया जाता है, जैसे कि चिह्नित करने वाली विधियाँ, माइक्रोबियल विश्लेषण और रासायनिक परीक्षण। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सुनिश्चित करता है कि उत्पाद की शुद्धता और गुणवत्ता मानक के अनुसार है।

    • Recovery

      पुनर्प्राप्ति का मतलब है उत्पाद को उसकी स्रावित रूप से पृथक करना। इसमें विभिन्न प्रक्रियाएँ शामिल होती हैं जैसे कि संतुलन, अवशोषण, ठोस-तरल पृथक्करण आदि। इसका उद्देश्य है अनुबंधीय प्रक्रियाओं से अधिकतम मात्रा में उत्पाद की प्राप्ति करना।

    • Purification

      शोधन एक महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया है, जिसमें उत्पाद को अशुद्धियों से मुक्त किया जाता है। इसे फिल्ट्रेशन, क्रोमैटोग्राफी और डायलिसिस जैसी तकनीकों के माध्यम से किया जाता है। यह प्रक्रिया उत्पाद की गुणवत्ता सुनिश्चित करती है और इसे व्यावसायिक उपयोग के लिए तैयार करती है.

  • Production of alcohol, organic acids, antibiotics, vitamins, enzymes, amino acids, hormones, vaccines

    Production of alcohol, organic acids, antibiotics, vitamins, enzymes, amino acids, hormones, vaccines
    • Alcohol Production

      शराब उत्पादन एक प्रोसेस है जिसमें किण्वन के माध्यम से शर्करा को एथिल अल्कोहल में बदल दिया जाता है। यह प्रक्रिया प्राकृतिक रूप से खमीर द्वारा की जाती है। अल्कोहल का उपयोग औद्योगिक और औषधीय दोनों प्रकार से किया जाता है।

    • Organic Acids Production

      ऑरगैनिक एसिड का उत्पादन बैक्टीरिया और फफूंद द्वारा किया जाता है। ये एसिड विभिन्न कृषि और औद्योगिक प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण होते हैं। सबसे सामान्य ऑर्गेनिक एसिड हैं: एसीटिक एसिड, सिट्रिक एसिड, और लैक्टिक एसिड।

    • Antibiotics Production

      एंटीबायोटिक्स का उत्पादन फफूंद और बैक्टीरिया के माध्यम से किया जाता है। इनका उपयोग बैक्टीरियल संक्रमणों के इलाज के लिए किया जाता है। पेनिसिलिन सबसे पहले खोजा गया एंटीबायोटिक है।

    • Vitamins Production

      विटामिन्स का उत्पादन भी माइक्रोबियल फर्मेंटेशन के जरिए किया जाता है। कई महत्वपूर्ण विटामिन्स जैसे बी 12 और राइबोफ़्लेविन का उत्पादन माइक्रोऑर्गेनिज्म द्वारा किया जाता है।

    • Enzymes Production

      एंजाइम्स का उत्पादन भी माइक्रोबियल सेल्स द्वारा किया जाता है। ये बायोकैटलिस्ट होते हैं जो रासायनिक प्रतिक्रियाओं को तेज करते हैं। उद्योगों में इनका उपयोग बहुत व्यापक है।

    • Amino Acids Production

      एमिनो एसिड का उत्पादन बैक्टीरिया के माध्यम से किया जाता है। एमिनो एसिड प्रोटीन के निर्माण के लिए आवश्यक हैं। ये मानव शरीर के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।

    • Hormones Production

      हार्मोन्स का उत्पादन भी माइक्रोबियल मार्ग से किया जा सकता है। इंसुलिन का उत्पादन जीन इंजीनियरिंग के माध्यम से बैक्टीरिया द्वारा किया जाता है।

    • Vaccines Production

      वैक्सीन्स का उत्पादन विभिन्न रोगों के खिलाफ प्रतिरक्षा विकसित करने के लिए किया जाता है। यह प्रक्रिया बैक्टीरिया, वायरस, या उनके एंटीजन का उपयोग करके की जाती है।

  • Biofuels, biofertilizers, biopesticides, and biotransformation of steroids

    Biofuels, biofertilizers, biopesticides, and biotransformation of steroids
    • Biofuels

      जैव ईंधन ऐसे ईंधन होते हैं जो जैविक स्रोतों से बनते हैं। इनमें मुख्यतः पौधों और जीवों से प्राप्त सामग्री का उपयोग होता है। यह पारंपरिक ईंधनों का एक विकल्प हैं और ऊर्जा सुरक्षा में योगदान करते हैं।

    • Biofertilizers

      जैव उर्वरक सूक्ष्मजीवों का उपयोग करके पौधों की वृद्धि में सहायता करते हैं। ये मिट्टी की उर्वरता बढ़ाते हैं और रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करते हैं। जैव उर्वरक टिकाऊ कृषि के लिए महत्वपूर्ण हैं।

    • Biopesticides

      जैव कीटनाशक प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त होते हैं और कीटों के नियंत्रण के लिए उपयोग किए जाते हैं। ये पारंपरिक कीटनाशकों की तुलना में पर्यावरण के लिए कम हानिकारक होते हैं। इनका उपयोग विशेषकर जैविक खेती में किया जाता है।

    • Biotransformation of Steroids

      स्टेरॉइड्स का जैवांतरण सूक्ष्मजीवों द्वारा किया जाता है। यह प्रक्रिया स्टेरॉइड्स की संरचना को परिवर्तित करती है, जिससे उनके उपयोग में वृद्धि होती है। इसका उपयोग चिकित्सा और जैव रसायन में होता है।

Degree in Bachelor of Science

B.Sc. III Year

Microbiology

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