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Semester 1: Indian National Movement and Constitution of India

  • Distinguishing features of Indian Political Tradition: Dharama, Rajdharma, Nitisastra, Dandaniti, Matsayanayay, Gansamgha

    भारतीय राजनीतिक परंपरा के विशिष्ट लक्षण: धर्म, राजधर्म, नीतिसास्त्र, दंडनिति, मच्छायनाय और गंसंघ के संदर्भ में
    • धर्म

      धर्म का अर्थ है नैतिकता या कर्तव्य। भारतीय राजनीतिक परंपरा में धर्म का महत्वपूर्ण स्थान है। यह समाज के लिए उचित आचार-व्यवहार का निर्धारण करता है।

    • राजधर्म

      राजधर्म का तात्पर्य है शासक का कर्तव्य। यह शासक को अपने कार्यों में न्याय, दया और सत्य का पालन करने की शिक्षा देता है।

    • नीतिसास्त्र

      नीतिसास्त्र में नीति और राजनीति के सिद्धांतों का अध्ययन किया जाता है। यह समाज में संगठन और सत्ता के उचित उपयोग के बारे में मार्गदर्शन करता है।

    • दंडनिति

      दंडनिति दंड से संबंधित है। यह मनुष्य के आचरण को कर्तव्यों और अधिकारों के अनुसार नियंत्रित करने का कार्य करती है।

    • मच्छायनाय

      मच्छायनाय का तात्पर्य है सामाजिक जीवन में सामूहिकता। यह समुदाय के सभी सदस्यों के अधिकार और कर्तव्यों को समझने में मदद करता है।

    • गंसंघ

      गंसंघ का अर्थ है संघ या समुदाय। यह विभिन्न व्यक्तियों और समूहों को एक साथ लाने का कार्य करता है, जिससे उनके बीच सहयोग और सामंजस्य बढ़ता है।

  • Birth, Growth And The Political Trends In The Indian National Movement

    Birth, Growth And The Political Trends In The Indian National Movement
    • भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की उत्पत्ति

      भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की शुरूआत 19वीं सदी में हुई जब विभिन्न सामाजिक और धार्मिक सुधार आंदोलनों ने राष्ट्रवादी भावना को सक्रिय किया। इसके प्रमुख कारणों में अंग्रेजों का साम्राज्यवादी शासन, आर्थिक शोषण, और सामाजिक-राजनीतिक असमानताएं थीं।

    • भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का विकास

      भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन ने कई चरणों में विकास किया। प्रारंभिक आंदोलन जैसे कि 1857 की पहली स्वतंत्रता संग्राम, फिर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना (1885) और बाद में महात्मा गांधी के नेतृत्व में असहमति और आंदोलन का विकास।

    • महात्मा गांधी का योगदान

      महात्मा गांधी ने सत्याग्रह और अहिंसा के सिद्धांतों के माध्यम से भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को एक नई दिशा दी। उनके असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन ने लोगों को एकजुट किया।

    • भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की प्रमुख घटनाएं

      भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की प्रमुख घटनाओं में 1919 का रौलेट एक्ट, जलियांवाला बाग हत्याकांड, और विभाजन की मांग शामिल है। ये घटनाएं जन जागरूकता और विरोध की भावना को बढ़ाने में महत्वपूर्ण थीं।

    • भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन और संविधान का विकास

      भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन ने संविधान के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। विभिन्न समिति जैसे कि नेहरू रिपोर्ट, और 1946 मेंcabinet मिशन ने स्वतंत्र भारत के संवैधानिक ढांचे को आकार दिया।

    • राजनीतिक प्रवृत्तियों का विश्लेषण

      भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में विभिन्न राजनीतिक प्रवृत्तियाँ उभरीं, जैसे कि उग्रवादी और नरमवादी धारा। इसके अलावा, समाजवादी और साम्यवादियों के विचार भी आंदोलन में शामिल हुए, जिससे राजनीतिक वैचित्रता बढ़ी।

  • Stages Of Constitutional Development, Making Of The Constituent Assembly, Philosophy Of Indian Constitution, Citizenship

    भारतीय संविधान विकास के चरण
    भारतीय संविधान विकास के चार प्रमुख चरण हैं: प्रारंभिक चरण, संवैधानिक सुधार, स्वतंत्रता संग्राम, और अंतिम संविधान निर्माण। प्रत्येक चरण में विभिन्न ऐतिहासिक घटनाएँ और नेताओं का योगदान है।
    संविधान सभा का गठन 1946 में हुआ। इसका उद्देश्य संविधान का निर्माण करना था। इसे ब्रिटिश सरकार द्वारा स्थापित किया गया था और इसमें विभिन्न प्रांतीय प्रतिनिधियों का चुनाव किया गया।
    भारतीय संविधान का दर्शन समावेशिता, सामाजिक न्याय और लोकतंत्र पर आधारित है। इसे भारत की विविधता और अनेकता को ध्यान में रखकर तैयार किया गया।
    भारतीय संविधान में नागरिकता के विषय में स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं। इसमें नागरिकों के अधिकार, कर्तव्य और जिम्मेदारियाँ निर्धारित की गई हैं। नागरिकता के विभिन्न प्रकार जैसे जन्म से, पूर्वजों के आधार पर, और प्राकृतिककरण के माध्यम से होती है।
  • Fundamental Rights, Fundamental Duties, Directive Principles Of State Policy

    Fundamental Rights, Fundamental Duties, Directive Principles Of State Policy
    • Fundamental Rights

      भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों का प्रावधान किया गया है, जो प्रत्येक नागरिक को दिए जाते हैं। यह अधिकार स्वतंत्रता, समानता, और न्याय को सुनिश्चित करते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख अधिकार हैं: 1. भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, 2. धर्म की स्वतंत्रता, 3. समानता का अधिकार, 4. व्यक्तिगत स्वतंत्रता।

    • Fundamental Duties

      भारतीय संविधान में मौलिक कर्तव्यों का भी उल्लेख किया गया है। ये कर्तव्य नागरिकों को अपनी जिम्मेदारियों का पालन करने के लिए प्रेरित करते हैं। इनमें से कुछ कर्तव्य हैं: 1. संविधान और राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करना, 2. देश की अखंडता की रक्षा करना, 3. अपने आसपास के वातावरण की रक्षा करना।

    • Directive Principles Of State Policy

      निर्देशक सिद्धांत राज्य नीति के मूलभूत तत्व हैं, जो सरकार को नीति बनाने में मार्गदर्शन करते हैं। ये सिद्धांत समाज के सामाजिक और आर्थिक विकास को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। इनमें से कुछ प्रमुख सिद्धांत हैं: 1. स्वास्थ्य, शिक्षा और कार्य का अधिकार, 2. आर्थिक न्याय, 3. बालिका शिक्षा और बाल विवाह की रोकथाम।

  • History Of Conflict Between Fundamental Rights & Directive Principles, Process Of Amendment, Concept Of Basic Structure Of Constitution

    History Of Conflict Between Fundamental Rights & Directive Principles, Process Of Amendment, Concept Of Basic Structure Of Constitution
    • Fundamental Rights

      संविधान में मौलिक अधिकारों की सूची जो नागरिकों को कुछ निश्चित अधिकार प्रदान करती है। ये अधिकार किसी भी व्यक्ति को उसके व्यक्तिगत स्वतंत्रता, समानता, और न्याय के लिए महत्वपूर्ण हैं।

    • Directive Principles of State Policy

      संविधान के नीति निर्देशक तत्वों का उद्देश्य सरकार को सामाजिक और आर्थिक सुधारों को लागू करने के लिए मार्गदर्शन करना है। ये तत्व सरकारी नीतियों में न्याय, सामाजिक समता, और कल्याण का समावेश कराने के लिए हैं।

    • Conflict Between Fundamental Rights and Directive Principles

      मौलिक अधिकारों और नीति निर्देशक तत्वों के बीच संघर्ष का मुख्य कारण यह है कि कई बार ये दोनों एक-दूसरे के खिलाफ आते हैं। जैसे, जब मौलिक अधिकारों को लागू करने से समाज में असमानताएँ बढ़ती हैं, तो नीति निर्देशक तत्वों का पालन किया जाना चाहिए।

    • Process of Amendment

      संविधान में संशोधन का प्रक्रिया विभिन्न धाराओं के माध्यम से व्यवस्थित की गई है। इसके तहत संसद द्वारा विधेयक पास करने की आवश्यकता होती है, और कुछ विशेष संशोधनों के लिए राज्य विधानसभाओं की भी आवश्यकता होती है।

    • Basic Structure of Constitution

      बुनियादी संरचना का सिद्धांत यह बताता है कि कुछ मूलभूत तत्व संविधान की पहचान और उसकी आत्मा के लिए आवश्यक हैं। इन तत्वों में मौलिक अधिकार, न्याय, समता, और सामाजिक न्याय शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट ने यह सिद्धांत स्थापित किया।

  • Executive & Legislature: Powers & Functions of President, Prime Minister, Speaker, Lok Sabha & Rajya Sabha; The Relationship Between The Governor & Chief Minister, The Legislative Assembly, The Legislative Council

    Executive & Legislature: Powers & Functions of President, Prime Minister, Speaker, Lok Sabha & Rajya Sabha; The Relationship Between The Governor & Chief Minister, The Legislative Assembly, The Legislative Council
    • राष्ट्रपति के शक्ति और कार्य

      भारतीय संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति देश का प्रमुख होते हैं और उनकी शक्तियाँ निम्नलिखित हैं: 1. विधायी कार्य: राष्ट्रपति संसद के अधिवेशनों को बुलाते हैं और समाप्त करते हैं। 2. कार्यकारी कार्य: राष्ट्रपति मंत्रियों की नियुक्ति करते हैं और उनकी सलाह पर कार्य करते हैं। 3. न्यायिक कार्य: राष्ट्रपति को दया और क्षमा की शक्तियाँ होती हैं।

    • प्रधानमंत्री के शक्ति और कार्य

      प्रधानमंत्री सरकार का मुखिया होता है और उनकी शक्तियाँ शामिल हैं: 1. नीति निर्धारण: प्रधानमंत्री नीति निर्धारण के लिए जिम्मेदार होते हैं। 2. मंत्रिमंडल का नेतृत्व: वे मंत्रिमंडल की बैठक की अध्यक्षता करते हैं। 3. अंतर्राष्ट्रीय संबंध: प्रधानमंत्री विदेश नीति और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को आकार देते हैं।

    • लोकसभा और राज्यसभा के कार्य

      1. लोकसभा: यह प्रतिनिधियों का सदन है जहाँ आम चुनाव द्वारा सदस्य चुने जाते हैं। इसके कार्यों में विधेयकों का अवलोकन और पारित करना शामिल है। 2. राज्यसभा: यह सर्वोच्च सदन है, जिनके सदस्यों को राज्य विधानसभाओं द्वारा चुना जाता है। यह लोकसभा द्वारा पारित विधेयकों पर विचार करती है।

    • स्पीकर का कार्य

      स्पीकर लोकसभा का अध्यक्ष होता है और उनके कार्य शामिल हैं: 1. सदन की प्रक्रिया का संचालन करना। 2. सदस्यों के बीच संतुलन बनाए रखना। 3. सदन में अनुशासन सुनिश्चित करना।

    • राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच संबंध

      राज्यपाल राज्य सरकार का प्रमुख होता है जबकि मुख्यमंत्री राज्य का कार्यकारी मुखिया होता है। उनके बीच संबंध में शामिल हैं: 1. नियुक्तियों में सहयोग: राज्यपाल मुख्यमंत्री की सलाह पर कई शीर्ष पदों की नियुक्ति करते हैं। 2. संविधान के अनुच्छेद 174 के तहत विधानसभा को बुलाने और भंग करने का कार्य।

    • विधानसभा और विधान परिषद के कार्य

      1. विधानसभा: यह राज्य का प्रमुख विधायी निकाय होता है और इसके सदस्यों का चुनाव आम चुनाव द्वारा होता है। 2. विधान परिषद: यह राज्य की उच्च सदन होती है, इसमें सदस्य विभिन्न तरीकों से चुने जाते हैं। दोनों सदनों की शक्तियाँ विभिन्न मामलों में भिन्न होती हैं।

  • Judiciary: Composition, Powers & Jurisdiction Of Supreme Court, High Court, District Court

    Judiciary: Composition, Powers & Jurisdiction of Supreme Court, High Court, District Court
    • Supreme Court

      सुप्रीम कोर्ट भारत का सर्वोच्च न्यायालय है। यह 1950 में स्थापित हुआ था। इसमें 34 न्यायाधीश होते हैं, जिनमें से एक Chief Justice होता है। सुप्रीम कोर्ट की शक्तियाँ संवैधानिक, अपील, और समीक्षा की होती हैं। यह संविधान की व्याख्या करता है और कानून के अनुसार निर्णय सुनाता है।

    • High Court

      हाई कोर्ट राज्य स्तर का सर्वोच्च न्यायालय है। भारत में 25 हाई कोर्ट हैं। हर हाई कोर्ट में एक Chief Justice और कई अन्य न्यायाधीश होते हैं। इसकी शक्तियाँ अपील, रिव्यू और बुनियादी अधिकारों की सुरक्षा से संबंधित हैं। हाई कोर्ट में कानूनी दावों के लिए अपील की जा सकती है।

    • District Court

      जिले के स्तर पर जिला न्यायालय होता है। यह भारत में कई प्रकार के मामलों का निपटारा करता है, जैसे सिविल और आपराधिक मामले। जिला न्यायालय के न्यायाधीशों की संख्या भिन्न हो सकती है और इसे न्यायिक दायित्वों का संचालन करने के लिए नियुक्त किया जाता है। इससे निचली अदालतों के खिलाफ अपील की जा सकती है।

  • Centre-State Relations: Administrative, Legislative & Financial, Special Provisions For Tribal Areas And North-East, Composition

    Centre-State Relations: Administrative, Legislative & Financial, Special Provisions For Tribal Areas And North-East
    • Administrative Relations

      केंद्र और राज्यों के बीच प्रशासनिक संबंधों में विभिन्न आयोगों और समितियों की सिफारिशें शामिल हैं। केंद्र सरकार ने कुछ क्षेत्रों में राज्यों की सहायता के लिए विभिन्न उपाय किए हैं, जैसे कि प्रशासनिक स्वतंत्रता और निर्णय लेने की प्रक्रिया में सुधार।

    • Legislative Relations

      कानून निर्माण में केंद्र और राज्य दोनों की भूमिका होती है। संविधान के अनुच्छेद 245 से 255 तक में संसद और राज्य विधानसभाओं के बीच संसद की शक्ति और सीमा को परिभाषित किया गया है। इससे संबंधित विभिन्न विषयों के लिए अलग-अलग सूची बनाई गई हैं।

    • Financial Relations

      केंद्र और राज्यों के वित्तीय संबंध आपसी सहयोग और सहायता पर आधारित हैं। वित्त आयोग का गठन इसे सुनिश्चित करने के लिए किया गया है कि राज्यों को उनके अधिकार और संसाधन मिलें। इस संबंध में अधिकतम आयकर, उपकर-कर से संबंधित मुद्दे शामिल हैं।

    • Special Provisions for Tribal Areas

      जनजातीय क्षेत्रों के लिए विशेष प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 244 के तहत बनाए गए हैं। ये प्रावधान जनजातीय समुदायों के विकास और उनके अधिकारों के संरक्षण के लिए आवश्यक हैं। इनमें विशेष कानूनों और नीतियों का समावेश होता है।

    • Special Provisions for North-East

      उत्तर-पूर्व क्षेत्र के लिए विशेष प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 371 के तहत निर्दिष्ट किए गए हैं। ये प्रावधान स्थानीय संस्कृति, परंपरा और भाषाओं को संरक्षित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। इसमें आर्थिक विकास और सामाजिक कल्याण के लिए विशेष योजनाओं का भी समावेश है.

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