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Semester 6: Era of Gandhi and Mass Movement

  • Entry of Gandhi and The Non Co-operation Movement

    Entry of Gandhi and The Non Co-operation Movement
    • Gandhi's Arrival in India

      महात्मा गांधी ने 1915 में भारत में प्रवेश किया। वह लंबे समय तक दक्षिण अफ्रीका में रहे थे, जहाँ उन्होंने रंगभेद के खिलाफ संघर्ष किया। उनके भारत लौटने के बाद, उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भागीदारी शुरू की।

    • Reasons for Non Co-operation Movement

      गांधी ने 1919 में गैर-सहयोग आंदोलन की शुरुआत की। इसके प्रमुख कारणों में रॉलट अधिनियम का विरोध, जलियांवाला बाग हत्याकांड, और अंग्रेजी शासन के प्रति असंतोष शामिल थे।

    • Objectives of the Movement

      गैर-सहयोग आंदोलन के मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश सरकार के खिलाफ जन जागरूकता फैलाना, भारतीय उत्पादों का बहिष्कार करना और स्वदेशी उद्योगों को प्रोत्साहित करना थे।

    • Methods of Protest

      गांधी जी ने अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांतों का प्रचार किया। आंदोलन के दौरान, الشباب ने औपनिवेशिक शिक्षा और सेवाओं का बहिष्कार किया।

    • Impact on Indian Society

      गैर-सहयोग आंदोलन ने भारतीय समाज में जागरूकता लाने का कार्य किया। इसने राष्ट्रवाद की भावना को बढ़ावा दिया और भारतीय जनता को एकजुट करने का काम किया।

    • Failures and Successes

      यह आंदोलन कुछ स्थानों पर सफल रहा परंतु 1922 में चौरी चौरा कांड के बाद गांधी जी ने इसे बंद कर दिया। इस आंदोलन ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम रखा।

  • Establishment of Educational Institutions with special reference to Kashi Vidyapith, Varanasi

    शिक्षा संस्थानों की स्थापना में काशी विद्यापीठ का योगदान
    • काशी विद्यापीठ की स्थापना

      काशी विद्यापीठ की स्थापना 1920 में हुई थी। यह महात्मा गांधी के विचारों और स्वतंत्रता संग्राम के समय के सामाजिक-राजनीतिक संदर्भ में स्थापित किया गया।

    • महात्मा गांधी का योगदान

      महात्मा गांधी ने काशी विद्यापीठ को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने शिक्षा के माध्यम से समाज में बदलाव लाने का प्रयास किया।

    • शिक्षा का उद्देश्य

      काशी विद्यापीठ का उद्देश्य भारतीय संस्कृति, परंपराओं और मूल्यों को संरक्षित करना और उन्हें आधुनिक शिक्षा के माध्यम से आगे बढ़ाना था।

    • सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव

      काशी विद्यापीठ ने सामाजिक बदलाव के लिए कई कार्यक्रमों की शुरुआत की, जिससे छात्रों में जागरूकता और देशभक्ति की भावना विकसित हुई।

    • आधुनिक भारत में काशी विद्यापीठ की भूमिका

      आज काशी विद्यापीठ एक प्रमुख शैक्षिक संस्थान बन चुका है, जो भारतीय उच्च शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।

  • Rise of Revolutionary Movement in India with special reference to Hindustan Republican Association, Socialist Republican Association and Trial of Bhagat Singh

    • भारत में क्रांतिकारी आंदोलन का उदय

      भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारी आंदोलन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 19वीं और 20वीं सदी की शुरुआत में भारतीय युवा देश की स्वतंत्रता के लिए जागरूक हुए।

    • हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन

      हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन की स्थापना 1924 में हुई। इसका उद्देश्य देश को ब्रिटिश शासन से स्वतंत्र कराना था। भगत सिंह, राजगुरु, और सुखदेव जैसे नेता इसके महत्वपूर्ण सदस्य थे।

    • सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन

      सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन का गठन 1928 में हुआ। इसका लक्ष्य एक सामाजिक बदलाव के साथ-साथ स्वतंत्रता प्राप्त करना था। इसकी विचारधारा में समाजवाद और क्रांति का सम्मिलन था।

    • भगत सिंह का मुकदमा

      भगत सिंह और उनके साथियों को 1929 में सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली में बम फेंकने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। उनके मुकदमे ने उन्हें राष्ट्रीय नायक बना दिया। उनका विचार था कि स्वतंत्रता की प्राप्ति के लिए क्रांति आवश्यक है।

    • महत्व और प्रभाव

      क्रांतिकारी आंदोलन ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में नई दिशा प्रदान की। इसने जन सामान्य को प्रेरित किया और स्वतंत्रता की भावना को जागृत किया। भगत सिंह और उनके साथियों ने युवाओं में देशभक्ति की भावना जगाई।

  • Rise of Revolutionary Movement outside India with special reference to Gadar Party

    Rise of Revolutionary Movement outside India with special reference to Gadar Party
    • Introduction to Revolutionary Movements

      क्रांतिकारी आंदोलन भारत के स्वतंत्रता संग्राम का महत्वपूर्ण हिस्सा थे। इन आंदोलनों का उद्देश्य ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ संघर्ष करना था।

    • Gadar Party का उदय

      गदर पार्टी 1913 में अमेरिका में भारतीय प्रवासियों द्वारा स्थापित की गई एक क्रांतिकारी संगठन थी। इसका उद्देश्य ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह को भड़काना था।

    • Gadar Party के नेता

      गदर पार्टी के प्रमुख नेता लाला हरदयाल, भगत सिंह, और सैयद हैदर ने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ भारतीयों को एकजुट करने का कार्य किया।

    • Gadar Party का कार्यक्रम

      गदर पार्टी ने भारतीयों को स्वतंत्रता के लिए संगठित करने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए। इसमें सार्वजनिक बैठकें, पर्चे और समाचार पत्रों का प्रकाशन शामिल था।

    • गदर विद्रोह

      1915 में गदर पार्टी ने भारत में विद्रोह की योजना बनाई, जिसमें भारतीय सैनिकों ने ब्रिटिश अधिकारियों के खिलाफ विद्रोह किया।

    • संविधान में योगदान

      गदर पार्टी ने अपनी गतिविधियों के माध्यम से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिसने बाद में अन्य क्रांतिकारी आंदोलनों को प्रेरित किया।

    • Gadar Party का प्रभाव

      गदर पार्टी ने भारतीयों के बीच राष्ट्रीय पहचान को जागरूक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भारत के स्वतंत्रता संग्राम की भावना को जगाया।

  • Simon commission, Nehru report, The Civil Disobedience Movement

    गांधी युग एवं जन आंदोलन
    • साइमन आयोग

      साइमन आयोग 1928 में ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत में राजनीतिक सुधारों की जांच के लिए स्थापित किया गया। इस आयोग का उद्देश्य भारत के संविधान में परिवर्तन करना था, लेकिन इसमें भारत के किसी भी प्रतिनिधि को शामिल नहीं किया गया। इसके विरोध में पूरे भारत में व्यापक हंगामा हुआ। भारतीय नेताओं ने इसे नकारते हुए कहा कि यह भारतीयों के अधिकारों के खिलाफ है।

    • नेहरू रिपोर्ट

      नेहरू रिपोर्ट 1928 में तैयार की गई थी जिसकी अध्यक्षता जवाहरलाल नेहरू ने की थी। इसका मुख्य उद्देश्य भारत के लिए एक नया संविधान तैयार करना था। इस रिपोर्ट में भारत के लिए स्वायत्तता की मांग की गई और इसे भारतीयों के लिए एकमात्र सही दस्तावेज माना गया। इसके कई सुझावों को स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उपयोग में लाया गया।

    • नागरिक अवज्ञा आंदोलन

      नागरिक अवज्ञा आंदोलन 1930 में महात्मा गांधी द्वारा प्रारंभ किया गया। इस आंदोलन का उद्देश्य ब्रिटिश सरकार द्वारा लगाए गए नमक कानून का उल्लंघन करना था। गांधी ने दांडी यात्रा की थी, जिसमें उन्होंने समुद्र के किनारे जाकर नमक बनाने का काम किया। इस आंदोलन ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक नई ऊर्जा का संचार किया और लोगों को एकजुट किया।

  • The Quit India Movement

    Quit India Movement
    • परिचय

      भारत छोड़ो आंदोलन, जिसे Quit India Movement के नाम से भी जाना जाता है, 1942 में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण चरण था। इसका उद्देश्य ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त करना था।

    • आंदोलन का काल

      यह आंदोलन 8 अगस्त 1942 को महात्मा गांधी द्वारा मुंबई में शुरू किया गया था। इस दिन उन्होंने 'Do or Die' का नारा दिया।

    • कारण

      ब्रिटिश राज के खिलाफ बढ़ती असंतोष और द्वितीय विश्व युद्ध के समय भारत की आर्थिक स्थिति में गिरावट इस आंदोलन के प्रमुख कारण थे।

    • मुख्य नेता

      महात्मा गांधी के अलावा, इस आंदोलन में कई प्रमुख नेताओं ने भाग लिया, जैसे कि जवाहरलाल नेहरू, सुभाष चंद्र बोस और लोकमान्य तिलक।

    • आंदोलन का स्वरूप

      यह आंदोलन मुख्य रूप से गैर-violent तरीके से किया गया। इसमें सत्याग्रह, हड़ताल और धरना शामिल थे।

    • दमन की नीति

      ब्रिटिश सरकार ने इस आंदोलन को दबाने के लिए बल प्रयोग किया। हजारों लोगों को गिरफ्तार किया गया और कई लोग मारे गए।

    • परिणाम

      हालांकि यह आंदोलन तुरंत सफल नहीं हुआ, लेकिन इसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी और अंग्रेजों की नींव को और कमजोर किया।

    • महत्व

      इस आंदोलन ने भारतीय जनता में स्वतंत्रता की भावना को जागृत किया और देश के बाकी हिस्सों में स्वतंत्रता संग्राम को प्रज्वलित किया।

  • Constitutional Crisis : Cripps and Cabinet Mission

    संविधानिक संकट : क्रिप्स और कैबिनेट मिशन
    • प्रस्तावना

      यह संविधानिक संकट का काल है जब ब्रिटिश सरकार ने भारत में नये आदेशों की कोशिश की।

    • क्रिप्स मिशन (1942)

      क्रिप्स मिशन का उद्देश्य भारतीयों को अधिक स्वराज प्रदान करना था, लेकिन यह असफल रहा।

    • कैबिनेट मिशन (1946)

      कैबिनेट मिशन का उद्देश्य भारतीय स्वतंत्रता का सूत्रपात करना था। यह भी विवादों में रहा।

    • संविधानिक समस्याएँ

      क्रिप्स और कैबिनेट मिशन के प्रयासों के दौरान कई संविधानिक समस्याएँ उत्पन्न हुई।

    • निष्कर्ष

      इन दोनों मिशनों ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम की दिशा को प्रभावित किया।

  • Subhas Chandra Bose and Indian National Army

    Subhas Chandra Bose and Indian National Army
    • Subhas Chandra Bose का जीवन

      सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को कटक, उड़ीसा में हुआ। वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता थे। उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ सक्रिय भूमिका निभाई और क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल हुए।

    • Indian National Army का गठन

      भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) का गठन 1942 में हुआ। इसका उद्देश्य भारतीय स्वतंत्रता के लिए लड़ाई करना था। इसे बोस ने सिंगापुर में स्थापित किया और इसका मुख्य लक्ष्य भारत को स्वतंत्र करना था।

    • Subhas Chandra Bose की विचारधारा

      बोस ने स्वतंत्रता के लिए सशस्त्र संघर्ष को प्राथमिकता दी। उन्होंने महात्मा गांधी की अहिंसा की नीति के विपरीत, सैनिक संघर्ष के माध्यम से स्वतंत्रता की आवश्यकता को स्वीकार किया।

    • INA की गतिविधियाँ

      INA ने ब्रिटिश बलों के खिलाफ कई लड़ाइयाँ लड़ीं। उन्होंने असम की ओर मार्च किया और भारतीय स्वतंत्रता के लिए एक सशस्त्र संघर्ष की रणनीति अपनाई।

    • सुभाष चंद्र बोस का प्रभाव

      बोस के नेतृत्व में INA ने भारत के लोगों के बीच आज़ादी की भावना को जागृत किया। वे युवाओं के लिए एक प्रेरणा स्रोत बने और उनके विचारों ने स्वतंत्रता संग्राम में नई ऊर्जा भर दी।

    • सुभाष चंद्र बोस की विरासत

      सुभाष चंद्र बोस आज भी भारतीय इतिहास में एक प्रमुख स्थान रखते हैं। उनकी सोच और रणनीति ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को दिशा दी। उन्हें एक प्रेरणादायक नेता के रूप में याद किया जाता है।

  • Mountbatten Plan, Partition and Independence

    Mountbatten Plan, Partition and Independence
    • Mountbatten Plan

      माउंटबेटन योजना मुख्य रूप से भारत के विभाजन के लिए एक योजना थी। लॉर्ड माउंटबेटन, जो उस समय भारत के गवर्नर-जनरल थे, ने 1947 में इसे पेश किया। इस योजना का उद्देश्य भारत की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करना और विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच सामंजस्य स्थापित करना था। माउंटबेटन ने यह योजना भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच समझौते के आधार पर बनाई। यह योजना एक ऐसा समय था जब देश में बढ़ती हुई साम्प्रदायिक तनाव और विभाजन की मांग का सामना किया जा रहा था।

    • Partition of India

      भारत का विभाजन 15 अगस्त 1947 को हुआ, जब भारत स्वतंत्र हुआ और दो स्वतंत्र राज्यों में विभाजित हुआ - भारत और पाकिस्तान। यह विभाजन मुख्य रूप से धार्मिक आधार पर किया गया, जहाँ हिंदू बहुसंख्यक क्षेत्र को भारत के रूप में सिद्ध किया गया और मुस्लिम बहुसंख्यक क्षेत्र को पाकिस्तान के रूप में। विभाजन के परिणामस्वरूप लाखों लोगों को अपने घर छोड़ने पड़े और व्यापक हिंसा हुई। यह घटना भारतीय इतिहास की सबसे दर्दनाक घटनाओं में से एक मानी जाती है।

    • Independence of India

      भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति 15 अगस्त 1947 को हुई। यह एक लंबी लड़ाई का परिणाम था, जिसमें महात्मा गांधी, नेहरू, सुभाष चंद्र बोस और अन्य नेताओं ने अहम भूमिका निभाई। स्वतंत्रता के बाद भारत ने एक आत्मनिर्णयात्मक लोकतंत्र की दिशा में कदम बढ़ाया। यह स्वतंत्रता न केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण थी, बल्कि देश के सांस्कृतिक और सामाजिक विकास के लिए भी महत्वपूर्ण साबित हुई। स्वतंत्रता के बाद भारत ने न्याय, समानता और भ्रातृत्व के सिद्धांतों का पालन करते हुए संविधान को अपनाया।

Era of Gandhi and Mass Movement

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