Lesson 5 : TORCH BEARERS

TORCH BEARERS – W.M Ryburn

UP Board 10th English Book lesson 5 Torch Bearers written by W.M Ryburn. You can download Full Hindi Translation and Question Answers of ‘Torch Bearers’ written by ‘W.M Ryburn’ on this page.

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Torch Bearers Translation in Hindi Part – 1

PARA – 1

Once upon a time, many centuries ago, there lived an old merchant. All his life he had toiled hard, buying and selling, with the result that he had made a lot of money. As the years went by, he laid by more and more riches, But the day came when he felt that he had not long to remain in this world. He began to wonder what should do with his money.

Hindi Translation – एक समय, बहुत सदियों पूर्व, एक वृद्ध व्यापारी रहता था | उसने सारा जीवन माल खरीदते और बेचते हुए, कठिन परिश्रम किया था, जिसके परिणामस्वरूप उसने बहुत-सा धन कमाया था | जैसे-जैसे समय गुजरता गया, उसके पास अधिकाधिक धन एकत्र होता गया | उसने सोचना शुरू किया कि उसे अपने धन का क्या करना चाहिए |

PARA – 2

Now, he had two sons. He made up his mind that he would not divide his money between them, but that he would give it all to the one who proved himself to be the cleverer of the two. The problem to be solved was that of finding out which of the two sons was the cleverer. He decided to solve this problem by giving them a test.

Hindi Translation – उसके दो पुत्र थे | उसने दृढ निश्चय किया कि वह अपने धन को दोनों पुत्रों में नहीं बंटेगा, बल्कि वह अपना समस्त धन उस पुत्र को देगा जो अपने आप को दुसरे से अधिक बुद्धिमान सिद्ध करेगा | अब समस्या यह थी कि यह कैसे जाना जाए कि अधिक बुद्धिमान कौन है | उसने इस समस्या को सुलझाने के लिए उनकी परीक्षा लेने का निर्णय किया |

PARA – 3

Calling the young men, he said to them. “Here are tow rupees. I want you to take one rupee each and then to go out separately and buy something which will fill this house. You are not to spend more than one rupee.”

Hindi Translation – नवयुवकों को अपने पास बुलाकर उसने कहा, “ये दो रूपये हैं | मैं चाहता हूँ कि तुम दोनों एक-एक रुपया ले लो फिर फिर अलग-अलग बाजार जाकर कोई ऐसी चीज लाओ जो इस घर को भर दे | तुम्हे एक रूपये से अधिक खर्च नहीं करना है”

PARA – 4

The two sons looked at him as if he had taken leave of his sense. “How can we possibly buy enough of anything to fill the house with only one rupee ?” They asked themselves. And they were reluctant to pick-up the rupee. But the old man insisted on their doing as he told them. “Off you go,” he said. “And don’t take too long over the business. I expect you back in a couple of days.”

Hindi Translation – दोनों पुत्रों ने उसकी ओर देखा मानों वह पागल हो गया हो | उन्होंने अपने मन में सोचा, “हम एक रूपये में संभवत: क्या चीज खरीद सकते हैं जो पूरे घर को भर दे?” वे रुपया उठाना नहीं चाहते थे परन्तु वृद्ध व्यक्ति ने उनसे अपने आदेशानुसार कार्य करने के लिए जोर दिया | उसने कहा, “तुम जाओ और इस काम में ज्यादा समय मत लगाना | मुझे आशा है कि तुम कुछ ही दिनों में वापस आ जाओगे”

PARA – 5

So each young man took-up a rupee and went out. The first one wandered through the bazaar, but nothing could he find which would in any way serve his purpose. All-day long he wandered about, looking in all the shops, nothing could he find. He became more and more certain that something had gone wrong with his father. He was about to give up his search in despair when he saw a bullock cart with a load of hay “That looks hopeful,” he thought. “I wonder how much hay I can get for a rupee.”

Hindi Translation – अत: प्रत्येक नवयुवक ने एक-एक रुपया लिया और चल दिए | पहला बाजार में इधर-उधर फिरता रहा, परन्तु ऐसा कुछ भी नहीं मिला जिससे उसके उद्देश्य की पूर्ति हो सके | वह पुरे दिन घूमता रहा | उसने सब दुकानें देखी, परन्तु उसे कुछ भी न मिला | उसे और अधिक विश्वास होता जा रहा था कि उसके पिता का दिमाग ख़राब हो गया है | वह निराश होकर अपनी खोज का कार्य छोड़ने ही वाला था कि उसे भूसे से लदी बैलगाड़ी दिखाई दी | उसने सोचा, “कुछ आशा प्रतीत होती है | मैं नहीं जानता कि मैं एक रूपये में कितना भूसा खरीद सकूँगा”

PARA – 6

He went up to the driver of the cart and enquired about the price of the hay. There was a good deal haggling over the price, but, in the end, he was able to buy a load of hay for a rupee. (This was in the days when a rupee would buy a great deal more than it would buy now.)

Hindi Translation – वह गाड़ीवान के पास गया और भूसे की कीमत के बारे में पूछताछ की | कीमत पर काफी मोल-भाव हुआ, परन्तु अंत में वह सारा भूसा एक रूपये में खरीदने में सफल हो गया | (यह उस समय की बात है जब एक रूपये में आज की अपेक्षा बहुत अधिक चीजें आ जाती थीं)

PARA – 7

So the young man led off the card with the hay to his father’s house. Hopefully, he piled it into the house. But when it was all in, he found that there was not enough to cover even the floor, let alone fill the whole house.

Hindi Translation – अत: वह युवक भूसे से लदी गाड़ी को अपने पिता के घर ले आया | बड़ी आशा से उसने घर में बसे का ढेर लगाया | परन्तु जब भूसा घर के अन्दर आ गया तो उसने पाया कि पुरे घर को भर देने की बात तो अलग थी, वह तो फर्श को भी नहीं ढक सका |

PARA – 8

When the second son went out with his rupee, he did not go straightway to the bazaar. Instead of doing that, he sat down and began to think. For a long time, he sat thinking about what he could possibly buy. At length, at evening time, an idea struck him.

Hindi Translation – जब दूसरा पुत्र अपना रुपया लेकर बाहर निकला, तो वह सीधा बाजार नहीं गया | ऐसा करने की अपेक्षा वह बैठ गया और सोचने लगा | वह लम्बे समय तक बैठा हुआ सोचता रहा कि क्या ख़रीदा जाए | अंत में, शाम को उसके मस्तिष्क में एक विचार आया |

PARA – 9

Taking his rupee, he walked quickly down the bazaar till he came to a shop where candles were sold. He spent his rupee on candles, of which he got quite a number. Then, taking his candles with him, he made his way back to his father’s house. When he got there, his brother was standing disconsolately looking at the hay spread out on the floor.

Hindi Translation – अपने रूपये को लेकर वह तेजी से बाजार की ओर गया और उस दुकान पर पहुंचा जहाँ मोमबत्तियां बिकती थीं | उसने अपना रुपया मोमबत्तियों पर खर्च किया जिससे उसे काफी संख्या में मोमबत्तियां मिल गईं | तब वह मोमबत्तियां अपने साथ लेकर अपने पिता के घर की ओर वापस लौटा | जब वह वहां पहुँचा तो उसका भाई बेचैनी से खड़ा सामने फर्श पर फैले हुए भूसे की ओर देख रहा था |

PARA – 10

It was now getting dark. Quickly the second son stood two or three candles in each room. Then he lit them. At once the house was filled with light.
His father was very pleased with him and said, “My son, you have shown true wisdom. I am ready to hand over all my money to you.”

Hindi Translation – अब अँधेरा होता जा रहा था | जल्दी से दुसरे पुत्र ने हर कमरे में दो या तीन मोमबत्तियां खड़ी कर दी | फिर इनको जला दिया | तुरंत ही सारा घर प्रकाश से भर गया |

उसका पिता उससे बहुत खुश हुआ और बोला, “मेरे बेटे, तुमने सच्ची बुद्धिमत्ता दिखाई है | मैं अपना सारा धन तुम्हे सौपने को तैयार हूँ |

PARA – 11

Now, we all live in a big house which we call our native country. We have each of us been given, someone rupee, some two rupees, some three rupees and some four rupees. These rupees are not rupees with which we can buy things, but they are different powers we have been given. Each of us has powers of body, powers of mind, powers of character.

Hindi Translation –  अब, हम सब एक बड़े घर में रहते हैं, जिसे हम स्वदेश (या अपनी मात्रभूमि) कहते हैं | हममें से प्रत्येक को, कुछ को एक रुपया, कुछ को दो रूपये, कुछ को तीन रूपये और कुछ को चार रूपये, दिए गए हैं | ये रूपये वे रूपये नहीं हैं जिनसे हम कोई चीज खरीद सकें, अपितु ये विभिन्न शक्तियां हैं जो हमें दी गई हैं | हममें से प्रत्येक के पास शारीरिक शक्ति, बौद्धिक योग्यता और चारित्रिक बल है  |

PARA – 12

Each of us has strength, time, intelligence, which can be used. As we leave school and go out into the world, we are tested as to how we are going to use these talents which we possess. Are we going to use them to buy useless hay, or are we going to use them to spread light throughout our house, that is our country? If we are going to be good citizens, then we shall use our powers and abilities to try to spread light into all parts of our country that is, we shall spend ourselves in the service of our country.
No country can progress unless it has good citizens. So that if we love our country and want to serve it, we shall try to become good citizens.

Hindi Translation –  हममे से प्रत्येक के पास शक्ति, समय और बुद्धि है जिनका प्रयोग किया जा सकता है  | जब हम स्कूल छोड़कर व्यावहारिक संसार में आते हैं तो हमारी परीक्षा होती है कि हम अपनी क्षमताओं का प्रयोग किस प्रकार करते हैं | क्या हम उनका प्रयोग व्यर्थ का भूसा खरीदने में करेंगे अथवा उनका प्रयोग अपने घर अर्थात अपने देश में प्रकाश फ़ैलाने के लिए करेंगे? यदि हम अच्छे नागरिक बनना चाहते हैं तो हमें अपनी शक्तियों और योग्यताओं का उपयोग अपने देश के कोने-कोने में प्रकाश फ़ैलाने के कम में लगा देना चाहिए, अर्थात हम अपने आपको अपने देश की सेवा करने में लगा दें |

कोई भी देश उन्नति नहीं कर सकता जब तक कि उसके नागरिक अच्छे न हों | हमें अपने आपको अच्छी नागरिकता में प्रशिक्षित करना चाहिए और अच्छे नागरिक के गुण विकसित करने चाहिए |

PARA – 13

While we are at school, this is what we should be doing. We should be training ourselves in citizenship, and cultivating the characteristics of good citizens. If we do this, then, when we leave school and home and go out into different parts of our country, we shall be able to fill it with the light of good citizenship.

Hindi Translation –  यदि हम ऐसा करते हैं तो जब हम स्कूल और घर से बाहर निकलकर अपने देश के विभिन्न भागों में जाएंगे तो उसे अच्छी नागरिकता के प्रकाश से भरने में समर्थ होंगे |

Torch Bearers Question Answer Part – 1

Short Answer Type Questions

Q1. What was the result of the merchant’s hard work?

(व्यापारी के कठिन परिश्रम का क्या परिणाम हुआ?)

Ans. The result of the merchant’s hard work was that he had earned a lot of money and had become rich.

(व्यापारी के कठिन परिश्रम के परिणामस्वरूप उसने काफी धन कमा लिया तथा वह धनवान बन गया)

Q2. Whom did the merchant want to give all his money?

(व्यापारी अपना सारा धन किसे देना चाहता था?)

Ans. The merchant wanted to give all his money to one of his sons who proved himself to be the cleverer of the two.

(व्यापारी अपना सारा धन अपने उस पुत्र को देना चाहता था जो स्वयं को दोनों में अधिक चतुर सिद्ध कर दे)

Q3. What did the merchant do to solve his problem?

(व्यापारी ने अपनी समस्या के समाधान के लिए क्या किया?)

Ans. The merchant gave a test to his sons to solve his problem.

(व्यापारी ने अपनी समस्या के समाधान के लिए अपने पुत्रों की परीक्षा ली)

Q4. What did the merchant give to his sons and what did he ask them to do with it?

(व्यापारी ने अपने पुत्रों को क्या दिया और उसने उनको क्या करने को कहा?)

Ans. The merchant gave one rupee each of his sons and asked them to go separately and but something in a couple of days which would fill the whole house.

(व्यापारी ने अपने बेटों को एक-एक रुपया दिया और उनसे अलग-अलग जाने तथा कुछ ही दिन के अन्दर ऐसी वस्तु खरीदने को कहा जो सारा घर भर दे)

Q5. What did the first son do?

(पहले पुत्र ने क्या किया?)

Ans. The first son wandered in the market here and there. He did not think much and bought a load of hay for a rupee.

(पहला पुत्र बाजार में इधर-उधर घुमा | उसने अधिक नहीं सोचा और एक रूपये में गाड़ी भरकर भूसा खरीदा)

Q6. What did the second son do?

(दुसरे पुत्र ने क्या किया?)

Ans. Before buying anything the second son who was really clever sat down and thought about what he should buy with his rupee.

(कोई भी वस्तु खरीदने से पूर्व दूसरा पुत्र जो कि वास्तव में चतुर था, बैठ गया और उसने यह सोचा कि उसे एक रूपये का क्या खरीदना चाहिए)

Q7. Who satisfied the merchant – first son or the second son? How?

(व्यापारी को किसने संतुष्ट किया – पहले पुत्र ने या दुसरे पुत्र ने? कैसे?)

Ans. The second son satisfied the merchant. He purchased a few candles with his rupee and filled the entire house with their light.

(व्यापारी को दुसरे पुत्र ने संतुष्ट किया | उसने अपने रूपये से कुछ मोमबत्तियां खरीदीं और उनके प्रकाश से पुरे घर को भर दिया)

Q8. What have ‘hay’ and ‘light’ been compared to?

(‘भूसे’ तथा ‘प्रकाश’ से किसकी तुलना की गई है?)

Ans. ‘Hey’ has been compared to useless works and ‘light’ has been compared to good deeds and service of the country.

(‘भूसे की तुलना व्यर्थ के कार्यों से और ‘प्रकाश’ की तुलना अच्छे कार्यों और देश सेवा से की गई है)

Q9. What different qualities do we have?

(हमारे पास क्या भिन्न-भिन्न गुण हैं?)

Ans. The different qualities we have are (i) Power of body, (ii) Power of mind and (iii) Power of character.

(हमारे पास भिन्न-भिन्न गुण हैं (i) शरीर की शक्ति, (ii) मस्तिष्क की शक्ति और (iii) चरित्र की शक्ति)

Q10. What should we do to become good citizens of our country?

(हमें अपने देहस के अच्छे नागरिक बनने के लिए क्या करना चाहिए?)

Ans. To become good citizens of our country we should use our powers and abilities to spread light into all parts of our country.

(हमें अपने देश के अच्छे नागरिक बनने के लिए अपनी शक्तियों तथा योग्यताओं का प्रयोग अपने देश के सभी भागों में प्रकाश फ़ैलाने के लिए करना चाहिए)

Long Answer Type Questions

Q1. What was the problem with the old merchant? How did he solve it?

(बूढ़े व्यापारी की क्या समस्या थी? उसने उसे कैसे हल किया?)

Ans. An old merchant worked hard and earned a lot of money. He had two sons.  When he grew old, he had a problem whom he should give the money. He did not want to divide his money between the two sons.

एक बूढ़े व्यापारी ने कठिन परिश्रम किया और काफी धन कमा लिया | उसके दो बेटे थे | जब वह बुढा हुआ तो उसके सामने यह समस्या थी कि वह धन किसको दे | वह अपने धन को दोनों बेटों में बाँटना नहीं चाहता था)

He wanted to give all his money to the son who proved himself to be cleverer of the two. He decided to solve this problem by giving them a test. He gave one rupee to each of his sons. He asked them to go separately and buy something which would fill the house. Both the sons were reluctant which would fill the house. But the old man insisted on their doing as he told them.

(वह अपना सारा धन उस बेटे को देना चाहता था जो अपने आपको दोनों से अधिक चतुर सिद्ध कर दे | उसने इस परीक्षा का समाधान उनकी एक परीक्षा लेकर करने का निश्चय किया | उनसे अपने दोनों बेटों को एक-एक रुपया दिया | उसने उन्हें अलग-अलग जाने और कुछ ऐसी चीज खरीदने के लिए कहा जिससे घर भर जाए | दोनों बेटे ऐसा करने के लिए अनिच्छुक थे | किन्तु बूढ़े व्यक्ति ने उन्हें वैसा ही करने के लिए बाध्य किया जैसा इन्हें कहा गया था)

So each young man took up a rupee and went out. The first son bought a cart with a load of hay. But it was not enough to cover ever the floor. The second son bought several candles for one rupee. When he reached home it was going dark.

इसलिए प्रत्येक नवयुवक ने रुपया उठाया और बाहर चला गया | पहले बेटे ने भूसे से भरी हुई गाड़ी खरीदी | किन्तु यह फर्श ढकने के लिए भी पर्याप्त न था | दुसरे बेटे ने एक रूपये में बहुत सारी मोमबत्तियां खरीद लीं | जब वह घर पहुंचा, अँधेरा हो गया था)

He stood two or thru candles in each room and lit them. At once the whole house was filled with light. The old merchant was pleased with this wisdom. So he gave all his money to his second son.

(उसने प्रत्येक कमरे में दो या तीन मोमबत्तियां रख दीं और उन्हें जला दिया | तुरंत ही सारा घर प्रकाश से भर गया | बुढा व्यापारी उसकी बुद्धिमानी से खुश हुआ | उसने अपना सारा धन अपने दुसरे बेटे को दे दिया)

Q2. Compare the characters of the first and the second son of the merchant.

(व्यापारी के पहले तथा दुसरे बेटे के चरित्र की तुलना कीजिए)

Ans. We can compare the characters of the first and the second son of the merchant in the following manner:

  1. When merchant asked his sons to buy something which might fill the whole house then the first son went directly to the market to serve his purpose while the second son didn’t go to the market directly, for a long time he sat thinking about what he possibly could buy.
  2. The first son bought a cart of hay for his rupee while the second son bought candles for his rupee.
  3. The first son piled the hay into the house, but it was not enough to cover the floor. On the other hand, the second son stood two or three candles in each room and lit them. The whole house was at once filled with light.

It proved that the first son was not so clever as the second son was. Therefore, The merchant gave all his money to his second son.

(हम व्यापारी के पहले तथा दुसरे बेटे के चरित्र की तुलना निम्न प्रकार कर सकते हैं-)

  1. जब व्यापारी ने पाने बेटों से कोई ऐसी वस्तु खरीदने के लिए कहा, जिससे पूरा घर भर जाए तो पहला बेटा अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए सीधा बाजार चला गया जबकि दूसरा बेटा सीधा बाजार नहीं गया | वह काफी समय तक बैठा हुआ यह सोचता रहा कि उसके लिए क्या खरीदना संभव हो सकेगा |
  2. पहले बेटे ने अपने रूपये से भूसे की गाड़ी खरीदी जबकि दुसरे बेटे ने अपने रूपये से मोमबत्तियां खरीदीं |
  3. पहले बेटे ने भूसे का ढेर मकान में लगा दिया, परन्तु वह भूसा फर्श तक ढकने के लिए पर्याप्त नहीं था | दूसरी तरफ दुसरे बेटे ने प्रत्येक कमरे में दो या तीन मोमबत्ती रख दी और उन्हें जला दिया | तुरंत ही सारा घर प्रकाश से भर गया |

(इससे यह सिद्ध हुआ की पहला बेटा दुसरे बेटे जितना बुद्धिमान नहीं था | इस प्रकार व्यापारी ने अपना सारा धन अपने दुसरे बेटे को दे दिया)

Q3. What are the different powers that we are blessed with? How can we utilize these powers to enlighten our nation?

(हमें कौन-कौन सी भिन्न शक्तियां दी गई हैं? हम इन शक्तियों का प्रयोग अपने देश को प्रकाशित करने में कैसे कर सकते हैं?)

Ans. We are blessed with powers of body, powers of mind and powers of character. Each one of us has strength, time and intelligence.

(हमें शारीरिक शक्ति, मस्तिष्क की शक्ति तथा चरित्र की शक्तियां दी गई हैं | हममें से प्रत्येक के पास शक्ति, समय तथा बुद्धि है)

Proper and thoughtful use of these powers makes us good citizens. A good citizen it the centre of light wherever he lives and whatever he does. So we can use these powers to spread light over all parts of our country by becoming a good citizen.

(यदि हम इनका उचित और विवेकशील प्रयोग करें, तो हम अच्छे नागरिक बन सकते हैं | एक अच्छा नागरिक जहाँ कहीं भी रहता और जो कुछ भी करता है; सदैव ज्ञान का केंद्र होता है | अत: हम अपनी इन शक्तियों का प्रयोग अच्छे नागरिक बनकर देश के प्रत्येक भाग को आलोकित करने में कर सकते हैं)

Q4. What are the responsibilities of students at school, at home and afterwards for their country?

(विद्यार्थियों की स्कूल में, घर पर और उसके बाद पहले देश के लिए क्या जिम्मेदारियां होती हैं?)

Ans. While the students are at school, they should train themselves in citizenship and cultivate the characteristics of good citizens.

(विद्यालय में विद्यार्थियों को चाहिए कि वे स्वयं को अच्छा नागरिक बनाने की शिक्षा लें तथा अपने अन्दर एक अच्छे नागरिक के गुणों का समावेश करें)

While at home, the responsibilities of students are to use the power of their body, mind and character judiciously and properly.

(घर पर विद्यार्थियों की जिम्मेदारी है कि वे अपनी शारीरिक, मानसिक एवं चारित्रिक शक्तियों का विवेकपूर्ण व् उचित तरीके से सदुपयोग करें)

As they leave school, the students have to pass on their knowledge and skill to others by using them in the service of their country. They should further train themselves for citizenship and for the service of their country.

(विद्यालय छोड़ने के बाद विद्यार्थियों को चाहिए की पाठशाला में प्राप्त ज्ञान एवं कौशल को दूसरों को सौपते चलें और देश की सेवा में भागीदार बने | उन्हें श्रेष्ठ नागरिक बनकर अपने आपको देश की सेवा के प्रति अर्पित कर देना चाहिए)

Q5. Give a brief character sketch of the old merchant.

(बूढ़े व्यापारी का संक्षिप्त चरित्र-चित्रण कीजिए)

Ans.

Introduction: The old merchant worked hard all his life, buying and selling things. Its result was that he had earned a lot of money and had become rich.

(प्रस्तावना- बूढ़े व्यापारी ने पूरे जीवन वस्तुओं को खरीदने और बेचने में कठिन परिश्रम किया | इसका परिणाम यह हुआ कि उसने काफी धन कमा लिया तथा वह धनवान बन गया)

Good patron of his money: One day the merchant felt that he had not long to remain in this world and his end eas near. He felt the need of disposing his money before death. He was a good patron of his money. He did not want to give it to the son who could not use wisely. So he gave them a test.

(अपने धन का अच्छा संरक्षक – एक दिन व्यापारी ने अनुभव किया कि वह इस संसार में अधिक समय तक न रह सकेगा और उसका अंत निकट है | उसने अपनी मृत्यु से पूर्व अपने धन का प्रबंध करने की आवश्यकता अनुभव की | वह अपने धन का अच्छा संरक्षक था | वह उसेअपने उस बेटे को नहीं देना चाहता था जो उसका बुद्धिमतापूर्वक प्रयोग न कर सके | इसलिए उसने उनकी परीक्षा ली)

Impartiality: The old merchant was the impartial father. He gave one rupee to each of the sons to purchase anything to fill the house. According to condition his second son filled the house to let the candles with light and proved himself wise than the first son.

(निष्पक्षता – बुढा व्यापारी एक निष्पक्ष पिता था | उसने प्रत्येक बेटे कोा एक-एक रुपया कुछ खरीदारी के लिए दिया, जिससे घर भर जाए | शर्त के अनुसार उसके दुसरे पुत्र ने मोमबत्तियां जलाकर प्रकाश से घर को भर दिया और अपने को पहले पुत्र से अधिक बुद्धिमान सिद्ध कर दिया)

So, the old merchant gives his all money to the second son.

(अत: बूढ़े व्यापारी ने अपना सारा धन दुसरे पुत्र को दे दिया)

Conclusion: With the above description it proves that the old merchant was a very hard worker, impartial and honest man.

(निष्कर्ष – उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट होता है कि बुढा व्यापारी बहुत ही परिश्रमी, निष्पक्ष तथा ईमानदार व्यक्ति था)

Torch Bearers Translation in Hindi Part – 2

Para – 1

A story is told of Guru Nanak that, in the course of his travels, he came to a village. Besides him, his disciple, Mardana, also came to the village. They wanted to stay there for the night. But the villagers were rude and inhospitable and would not let them stay anywhere in the village. So Guru Nanak and Mardana were forced to spend the night in the open. As they turned away from the village, Guru Nanak said, ” I pray that the people of this village may always stay in this village.” Mardana was somewhat puzzled at this but said nothing.

Hindi Translation –  गुरु नानक के बारे में एक कहानी कही जाती है कि यात्रा करते-करते एक बार वे एक गाँव में गए | उनके अतिरिक्त उनका शिष्य मरदाना भी गाँव पहुंचा | वे एक रात वहां रुकना चाहते थे | परन्तु उस गाँव के निवासी असभ्य और अतिथि सत्कार न करने वाले थे | उन्होंने उन्हें गाँव में ठहरने नहीं दिया | इसलिए विवश होकर गुरु नानक और मरदाना को रात बाहर खुले में बितानी पड़ी | चलते समय गुरु नानक ने कहा, “मैं प्रार्थना करता हूँ कि इस गाँव के लोग हमेशा इसी गाँव में रहें” यह सुनकर मरदाना थोडा भ्रमित हो गया, परन्तु वह कुछ नहीं बोला |

Para – 2

The next night, they came to another village, where they met with a very different reception. The villagers welcomed them, treated, them kindly, found them a place to stay for the night and gave them food to eat. In the morning, as Guru Nanak and Mardana were leaving, the Guru Nanak said, “I pray that the people of this village may not remain in their village, but maybe scattered throughout the country.”

Hindi Translation –  दूसरी रात को वे दुसरे गाँव में आए जहाँ उन्हें अत्यंत भिन्न प्रकार का व्यवहार मिला | गाँव वालों ने उनका स्वागत किया, उनके साथ सदव्यवहार किया, रात्रि में ठहरने के लिए उन्हें उपयुत स्थान दिया और खाने के लिए भोजन दिया | प्रात: जब गुरु नानक और मरदाना चलने लगे तो गुरु ने कहा, “मैं प्रार्थना करता हूँ कि इस गाँव के लोग अपने गाँव में न रहें, बल्कि पूरे देश में बिखर जाएं”

Para – 3

But this was too much for Mardana. He protested. “Why”, he said to the Guru, “Do you pray for a good thing for people who treat us badly and for misfortunes for those who treat us well? You should have prayed for those inhospitable villagers to be scattered over the country and for these people to remain comfortable where they are.”

Hindi Translation –  अब मरदाना इसको सहन नहीं कर सका | उसने विरोध किया | उसने गुरु से कहा, “क्यों, क्या आप उन लोगों के लिए भलाई की प्रार्थना करते हैं जो हमारे साथ दुर्व्यवहार करते हैं और जो लोग हमारे साथ अच्छा व्यवहार करते हैं उनके लिए दुर्भाग्य की? आपको तो प्रार्थना करनी चाहिए थी कि वे अभद्र लोग सारे देश में बिखर जाएं और ये भले लोग वहीँ आराम से रहें”

Para – 4

“No”, replied Guru Nanak. “It is better for those inhospitable and selfish people to stay in one place where they can do harm in one place only. If they went to other places they would have an evil influence all through the country. Now these good people, with whom we put up last night, are too good to be left in one place. They have something which is needed everywhere. Their influence and their character will be of benefit of others, wherever they go. Hence they ought to be scattered so that they can take their light to other places.”

Hindi Translation –  गुरु नानक ने उत्तर दिया, “नहीं, उन अतिथि-सत्कार न करने वाले और स्वार्थी लोगों का एक ही स्थान पर रहना अधिक अच्छा हिया, क्योंकि वहां के लोग एक ही स्थान पर हानी पहुंचा सकते हैं यदि वे अन्य स्थानों पर जाएंगे तो पुरे देश में उनका दुष्प्रभाव फैलेगा | अब ये अच्छे लोग, जिनके साथ हमने पिछली रात बिताई थी, एक स्थान पर नहीं छोड़े जाने चाहिए | इनके पास कुछ ऐसे गुण हैं जिनकी हर जगह आवश्यकता है | जहाँ कहीं भी वे जाएंगे, उनका प्रभाव और चरित्र दूसरों के लिए लाभकारी होगा | अंत: उन्हें फ़ैल जाना चाहिए, जिससे कि वे सद्गुणों का प्रकाश दुसरे स्थानों तक ले जा सकें”

Para – 5

Now we have to see to it that we grow into such citizens that people will want the light of our character and our influence everywhere. We do not wish to have to sort of character that will make people want us to stay in one place and not to mix with others. If we are to be good citizens, who will be able to serve our country, we must be carrying the light with us wherever we go and not darkness. Our influence on others must be for good and not darkness.

Our lives must be such that wherever we go and wherever we live, other people will be better for our having been with them. A good citizen is a centre of light wherever he lives and whatever he is doing. The greater the number of good citizens in a country, the more enlightened will the country be as a whole.

Hindi Translation –  अब हमें यह देखना है कि हम ऐसे नागरिक बने कि दुसरे लोगों को हमारे चरित्र और प्रभाव के प्रकाश की आवश्यकता प्रत्येक स्थान पर हो | हमें अपना चरित्र ऐसा नहीं बनाना चाहिए जिससे लोग यह चाहें कि हम एक ही स्थान पर रहें और हम दूसरों से घुले-मिले नहीं | यदि हमें अच्छा नागरिक बनना है जो अपने देश की सेवा कर सकें तो जहाँ भी हम जाएं वहां हमें प्रकाश ले जाना चाहिए, अंधकार नहीं |

दसरों पर हमारा प्रभाव अच्छा पड़ना चाहिए, बुरा नहीं | हमारा जीवन ऐसा होना चाहिए कि हम जहाँ कहीं भी जाएं और जहाँ कहीं भी रहें, दुसरे लोग हमारी संगति के कारण और अधिक गुणवान बन सकें | एक अच्छा नागरिक, जहाँ भी वह रहता है और जो भी करता है, सबके लिए प्रकाश का केंद्र होता है | किसी देश में जितने अधिक अच्छे नागरिक होने, वह देश उतना ही अधिक प्रकाशमय होगा |

Para – 6

All of us are or will be, citizens of our country. But we have to make up our minds whether we are going to be good citizens or bad ones. We have to decide whether we shall live such lives that our country will be better for our lives and work, or the worse. We have to try to imagine what our country would be like is everyone lived and acted in just the same way as we do.

Hindi Translation –  हम सब अपने देश के नागरिक हैं या हो जाएंगे | लेकिन हमें यह निश्चय करना है कि हम अच्छे नागरिक बनने जा रहे हैं या बुरे | हमें यह भी तय करना होगा की हम ऐसा जीवन जिएं कि हमारा देश हमारे जीवन और कार्य से अधिक अच्छा बने या बुरा | हमें यह भी सोचना है कि यदि प्रत्येक व्यक्ति हमारी तरह रहे और कार्य करे तो देश किस दिशा की ओर जाएगा |

Para – 7

A chain is as strong as its weakest link. Each one of us is al ink in the chain that is our country. If we are weak and poor citizens, then our country will suffer, even though we may try to comfort ourselves with the false idea that it does not make any difference what one person does in such a large country where so many people live. But if one candle goes out, then in that one place there is darkness instead of light. It is only when all the candles burn brightly than the whole house will be full of light.

Hindi Translation –  एक जंजीर उतनी ही मजबूत होती है जितनी उसकी सबसे कमजोर कड़ी | हममें से प्रत्येक एक जंजीर अर्थात अपने देश की एक कड़ी है | यदि हम कमजोर और गरीब नागरिक हैं तो हमारे देश की हानि होगी, चाहे हम झूठे विचार से अपने आप को तसल्ली देने की कोशिश करें कि इतने बड़े देश में जहाँ इतने अधिक लोग रहते हैं, एक व्यक्ति क्या करता है, इसका कोई अंतर नहीं पड़ेगा | लेकिन यदि मकान में एक मोमबत्ती बुझ जाती है तो प्रकाश के बजाय उस स्थान पर अँधेरा हो जाएगा | यह तो केवल तब ही होगा, जब सारी मोमबत्तियां तेज चमक के साथ जलेंगी जिससे पूरा घर प्रकाश से भरेगा |

Para – 8

Each of us, therefore, has the responsibility of being a good citizen. We must see that our particular link in the chain is not a weak one. When the Olympic Games were held in London in 1948, a flame was carried to London from Greece, where the Olympic Games use to be held in times long ago.

This flame was carried by a long relay of runners right across Europe. Each runner, carrying a lighted torch, ran for a certain distance till he came to the place where a fresh runner was waiting for him.

The new runner then lit his torch from the one that had been carried to him. As soon as he had done this he set out to run with his lighted torch to where the next runner was waiting. He had a fresh torch, which he, in his turn, lit from the one brought to him. And so from runner to runner, the flame was carried till it reached London. From the last torch was lit the fire which burned all the time the games were going on.

Hindi Translation –  इस कारण हम सबके उपर एक अच्छा नगरिक बनने का दायित्व है | हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि हमारी अपनी कड़ी कमजोर तो नहीं हैं | जब 1948 में लन्दन में ओलिंपिक खेल हुआ करते थे, एक मशाल लन्दन ले जाई गई थी |

यह मशाल धावकों की एक लम्बी कतार के द्वारा सम्पूर्ण यूरोप से होकर ले जाई गई थी  |एक धावक जली हुई मशाल लेकर उस निश्चित दूर पर दुद्ता था जहाँ दूसरा नया धावक उसकी प्रतीक्षा करता होता था |

उसके पास एक ताजी मशाल होती थी जिसे वह अपनी बारी में उस मशाल से जलाता था जो उसके पास लाइ जाती थी | इस प्रकार जब यह मशाल लन्दन पहुंची, यह एक धावक द्वारा दुसरे धावक तक ले जाई गई | अंतिम मशाल से यह अग्नि प्रज्ज्वलित की गई जो खेलों की पूरी अवधि तक जलती रही |

Para – 9

Although nothing was said about it and no names were mentioned, at one place there was an accident. One runner when handing over his torch to a fresh runner, let it go out. How ashamed he must have been! He had let the flame go out. He had broken the chain.

Hindi Translation –  यद्यपि इसके बारे में कुछ नहीं बताया गया और न ही कोई लिया गया, किन्तु एक स्थान पर एक दुर्घटना हो गई थी | एक धावक ने दुसरे धावक को मशाल देते समय उसे बुझ जाने दिया | वह कितना शर्मिंदा हुआ होगा कि उसने मशाल को बुझ जाने दिया | उसने जंजीर को तोड़ दिया था |

Para – 10

Each one of use, as we leave school, has a flame to carry which we have to pass on to others. We have been given knowledge and skill. These we pass on by using them in the service of our country. If we do not use them, it means that we are letting the flame go out and none of us wants to do that. but if we are going to be able to keep alight the torch that has been given to us, we have to know how to took-after it and we have to know how to hold it as we run. In other words, we have to train ourselves for citizenship and for the service of our country.

Hindi Translation –  हममें से प्रत्येक के पास, जब हम स्कूल छोड़ते हैं, एक मशाल होती है जिसे हमें दूसरों तक पहुँचाना होता है | हमें ज्ञान और कौशल प्रदान किया गया है | यदि हम उनका प्रयोग नहीं करते तो इसका अर्थ यह होगा कि हम मशाल को बुझने दे रहे हैं और हममें से कोई ऐसा करना नहीं चाहता | लेकिन यदि हम उस मशाल को, जो हमें दी गई है, जलने देना चाहते हैं तो हमें यह समझना होगा कि हम उसकी देखभाल किस प्रकार कर सकते हैं और हमें यह भी जानना होगा कि दौड़ते समय हम इसे किस प्रकार पकडे रह सकते हैं | दुसरे शब्दों में, हमें अपने आपको नागरिकता और अपने देश की सेवा के लिए प्रशिक्षित करना होगा |

Torch Bearers Question Answer Part – 2

Short Answer Type Questions

Q1. Why did Guru Nanak and Mardana spend the night in open?

(गुरु नानक तथा मरदाना ने रात्रि खुले में क्यों बिताई?)

Ans. Guru Nanak and Mardana spent the night in open because the people of the village were rude and inhospitable. They did not allow them to stay anywhere in the village.

(गुरु नानक तथा मरदाना ने रात्रि खुले में बिताई क्योंकि गाँव के लोग बहुत अशिष्ट तथा अतिथि सत्कार न करने वाले थे | उन्होंने उन्हें गाँव में कहीं भी ठहरने नहीं दिया)

Q2. What did Guru Nanak say about the people of the first village?

(गुरु नानक ने पहले गाँव वालों के बारे में क्या कहा?)

Ans. Guru Nanak asked about the people of the first village that they should remain in that village.

(गुरु नानक ने पहले गाँव वालों के बारे में कहा कि वे सदा उसी गाँव में रहें)

Q3. How were Guru Nanak and Mardana treated in the second village?

(गुरु नानक तथा मरदाना के साथ दुसरे गाँव में कैसा व्यवहार हुआ?)

Ans. The people of the second village welcomed Gugu Nanak and Mardana, treated them kindle, found them a place to stay for the night and gave them food to eat.

(दुसरे गाँव के लोगों ने गुरु नानक व् मरदाना का स्वागत किया, उनके साथ अच्छा व्यवहार किया, रात को रहने का स्थान तथा खाने के लिए भोजन दिया)

Q4. What did Guru Nanak say bout the people of the second village?

(गुरु नानक ने दुसरे गाँव वालों के बारे में क्या कहा?)

Ans. Gugu Nanak said about the people of the second village that they should spread over the whole country and should not remain in one place.

(गुरु नानक ने दुसरे गाँव वालों के बारे में कहा कि वे पुरे देश में फ़ैल जाएं और एक ही स्थान पर न रहें)

Q5. Why did Mardana get puzzled?

(मरदाना क्यों चकरा गया?)

Ans. Mardana got puzzled because people could not understand why the Guru had wished for the bad people to remain in the village and good people to spread in the whole country.

(मरदाना चकरा गया क्योंकि वह यह समझ नही पाया कि गुरु ने बुरे लोगों के लिए गाँव में ही बने रहने और अच्छे लोगों के लिए सारे देश में बिखर जाने की प्रार्थना क्यों की)

Q6. Why should inhospitable people stay in one place?

(असत्कारी लोगों को एक ही स्थान पर क्यों रुके रहना चाहिए?)

Ans. Inhospitable people should stay in one place so that their evils might harm only in one place.

(असत्कारी लोगों को एक ही स्थान पर रुके रहना चाहिए ताकि उनकी बुराइयाँ उसी स्थान पर हानि पहुंचा सके)

Q7. Why should good people not to stay in one place?

(अच्छे लोगों को एक ही स्थान पर क्यों नहीं रुके रहना चाहिए?)

Ans. Good people should not stay in one place because of their goodness in needed everywhere.

(अच्छे लोगों को एक ही स्थान पर नहीं रुके रहना चाहिए क्योंकि उनकी अच्छाई की प्रत्येक जगह आवश्यकता है)

Q8. What will happen if a link in a chain is weak?

(जंजीर की एक कड़ी कमजोर होने पर क्या होगा?)

Ans. A weak link makes the whole chain weak because the chain may break at that point. So, a chain is as strong as its weakest link.

(जंजीर की एक कमजोर कड़ी सम्पूर्ण जंजीर को कमजोर बनाती है, क्योंकि जंजीर वहीँ से टूट सकती है | इसलिए एक जंजीर उतनी ही मजबूत होती है जितनी कि उसकी सबसे कमजोर कड़ी)

Q9. How can that chain be made strong?

(जंजीर को मजबूत कैसे बनाया जा सकता है?)

Ans. Our country is a big chain where every citizen is a link. If every citizen of the country would become a good citizen, then this chain can be made strong.

(हमारा देश एक बड़ी जंजीर है जहाँ प्रत्येक नागरिक इसकी एक कड़ी है | यदि देश का प्रत्येक नागरिक अच्छा नागरिक बन जाएगा, तो इस जंजीर को मजबूत बनाया जा सकता है)

Q10. What will happen if we don’t pass the flame of knowledge and skill to others?

(यदि हम ज्ञान और कौशल की मशाल दूसरों तक नहीं पहुचाएंगे तब क्या होगा?)

Ans. Each one of us ahs a flame to carry which we have to pass on to others. If we do not pass the flame of knowledge and skill to others, it will go out.

(हममें से प्रत्येक के पास एक मशाल है जिसे हमकों दूसरों को सौपना हैं | यदि हम ज्ञान और कौशल की मशाल दूसरों तक नहीं पहुंचाते हैं, तो वह बीचे में ही बुझ जाएगी)

Long Answer Type Questions

Q1. Narrate the story of Guru Nanak and Mardana in your own words.

(गुरु नानक तथा मरदाना की कहानी अपने शब्दों में लिखिए)

Ans. Once Guru Nanak and his disciple, Mardana came to a village. They wanted to stay there for the night. But the villagers were rude and inhospitable. They did not let them stay anywhere in the village. So Guru Nanak and Mardana were forced to spend the night in the open.

(एक बार गुरु नानक और उनका शिष्य मरदाना एक गाँव में आए | वे रात्रि के लिए वहां ठहरना चाहते थे | किन्तु गाँव वाले असभ्य और अतिथि सत्कार न करने वाले थे | उन्होंने उन्हें गाँव में कहीं भी ठहरने नहीं दिया | इसलिए गुरु नानक और मरदाना खुले में रात बिताने के लिए मजबूर हो गए)

Guru Nanak wished that the people of that village should stay in that village. Mardana was somewhat puzzled but said nothing.

(गुरु नानक ने इच्छा प्रकट की कि उस गाँव के लोग उसी गाँव में ठहरे रहें | मरदाना थोडा सा भ्रमित हुआ, किन्तु उसने कुछ नहीं कहा)

The next night they came to another village. The villagers welcomed them, treated them kindle and found them a place to stay there for the night. They gave them food to eat. Guru Nanak wished the people of the second village should be scattered over the country.

(अगली रात वे दुसरे गाँव में आए | गाँव वाले ने उनका स्वागत किया, उनके साथ अच्छा व्यवहार किया और उन्हें रात्रि विश्राम के लिए स्थान दिया | उन्होंने उन्हें खाने के लिए भोजन दिया | गुरु नानक ने इच्छा प्रकट की कि दुसरे गाँव के लोग सरे देश में फ़ैल जाएं)

But he was too much for Mardana. He protested. Guru Nanak replied, “It is better for those inhospitable and selfish people to say in one place where they can do harm in one place only. But these good people have something which is needed everywhere. Hence they ought to be scattered so that they can take their light to other places.”

(किन्तु मरदाना के लिए यह बहुत बड़ी बात थी | उसने विरोध किया | गुरु नानक ने उत्तर दिया, “यह अच्छा है कि वे अतिथि सत्कार न करने वाले और स्वार्थी लोग एक थी स्थान पर ठहरे रहें, जिससे कि वे केवल एक ही स्थान पर नुकसान कर सकें | किन्तु ये अच्छे लोग कुछ ऐसी चींजे रखते हैं जिनकी सब स्थानों पर आवश्यकता है | इसलिए उन्हें सभी जगह फ़ैल जाना चाहिए जिससे कि वे अपने प्रकाश को सभी स्थान पर ले जा सकें”)

Q2. What is the moral of the story of Guru Nanak and Mardana?

(गुरु नानक और मरदाना की कहानी से क्या शिक्षा मिलती है?)

Ans. Guru Nanak wished rude and inhospitable people to stay in the same village. Thus evil will not spread to other places. He wished good people to be scattered all over the country. Thus their goodness will spread everywhere in the country.

(गुरु नानक ने इच्छा प्रकट की कि असभ्य और अतिथि सत्कार न करने वाले लोग उसी गाँव में ठहरे रहें | इस प्रकार बुराई दुसरे स्थानों पर नहीं फैलेगी | उन्होंने इच्छा की कि अच्छे लोग देश में सर्वत्र फ़ैल जाएं | इस प्रकार उनकी अच्छाई देश के प्रत्येक स्थान पर फ़ैल जाएगी)

In the same way, each of us has been powers of body, mind and character. As we leave school, we are tested as to how we are going to use these powers. If we use these powers to spread the light of knowledge in the whole country, it will be the best service in the country. The progress of the country depends upon good citizens.

(उसी प्रकार हममें से प्रत्येक के शरीर, मस्तिष्क और चरित्र की शक्तियाँ प्रदान की गई हैं जैसे ही हम स्कूल छोड़ते हैं तो हमारी परीक्षा ली जाती है कि हम इन शक्तियों का प्रयोग किस प्रकार कर रहे हैं | यदि हम इन शक्तियों का प्रयोग सारे देश में ज्ञान फ़ैलाने के लिए करते हैं तो वह देश की सबसे अच्छी सेवा होगी | देश की उन्नति अच्छे नागरिकों पर निर्भर करती है)

Our country is like a chain and we are its links. If one of the links is weak, the whole chain will be weak. If we are weak and poor citizens, then our country will suffer.

(हमारा देश एक जंजीर की तरह है और हम इसकी कड़ियों की तरह हैं | यदि एक कड़ी कमजोर हो जाती है तो सारी कड़ी कमजोर पद जाएगी | यदि हम गरीब और कमजोर नागरिक हैं तो हमारा देश कष्ट भोगेगा)

So the moral of the story is that we must try to become good citizens and server our country with full devotion.

(इसलिए इस कहानी से शिक्षा मिलती है की हमें अच्छे नागरिक बनने का प्रयास करना चाहिए और पूरी निष्ठा से अपने देश की सेवा करनी चाहिए)

Q3. Why should good people not to stay in one place?

(अच्छे लोगों को एक स्थान पर क्यों नहीं रुकना चाहिए?)

Ans. Good people should not stay in one place. They have some special qualities which are needed everywhere. Their influence and their character will be a benefit to others, wherever they go.

(अच्छे लोगों को एक स्थान पर नहीं रुकना चाहिए | उनमें से कुछ में विशेष गुण होते हैं जिनकी प्रत्येक स्थान पर आवश्यकता होती है | उनका प्रभाव एवं चरित्र जहाँ भी वे जाएंगे, उनके लिए लाभदायक होगा)

So good people should be scattered all over the country. Thus their goodness will be spread everywhere in the country.

( इसलिए अच्छे लोगों को पूरे देश में बिखर जाना चाहिए | इस प्रकार उनकी अच्छाई देश में प्रत्येक स्थान पर फ़ैल जाएगी)

Q4. How was the flame carried from Athens to London in 1948? Name the special event that took place that year.

(1948 में मशाल एथेंस से लन्दन कैसे ले जाई गई? उस वर्ष घटने वाली विशेष घटना को बताइए)

Ans. The Olympic games used to be held in Athens in time long age. The Olympic flame was to be carried to London in 1948.

(प्राचीन समय में ओलम्पिक खेल एथेंस में हुआ करते थे | ओलम्पिक मशाल 1948 में लन्दन कल इए ले जाई जानी थी)

The flame was carried from Greece to London in 1948. This flame was carried by a long relay of runners right across Europe. Each runner carried a lighted torch. He ran for a certain distance. At a certain place, a fresh runner was waiting for him. The new runner then lit his torch from the one which had been carried to him. As soon as he had done this, he set out to run with his torch. Every runner had a fresh torch.

(सन 1948 में यह मशाल यूनान से लन्दन ले जाई गई | प्रत्येक धावक एक जलती हुई मशाल ले गया | वह निश्चित दुरी तक दौड़ता था | एक निश्चित स्थान पर नया धावक उसकी प्रतीक्षा करता था | फिर वह नया धावक उसकी मशाल से अपनी मशाल जला लेता था, जो उसके पास लाइ जाती थी | ज्यों ही वह ऐसा करता था, वह उसे लेकर दौड़ता था | प्रत्येक नए धावक के पास नई मशाल होती थी)

He lit it from the one brought to him. Thus from runner to runner, the flame was carried till it reached London. From the last torch was lit the fire which burnt all the time the games were going on.

(वह उसे उस मशाल से जला लेता था, जो उसके पास लाइ जाती थी | इस प्रकार एक धावक से अन्य धावक लन्दन पहुँचने तक मशाल ले जाते रहे | अंतिम मशाल से वहां अग्नि जलाई गई जो खेलों के पूरे आयोजन तक जलती रही)

A Special event tool that year. On runner when handing over his torch to a fresh runner, let it go out.

(उस वर्ष एक विशेष घटना घटी | एक धावक ने जब अपनी मशाल दुसरे धावक को दी, तो उसकी मशाल बुझ गई)

Q5. Explain the line, “A good citizen is the centre of the light.”

(“एक अच्छा नागरिक प्रकाश का केंद्र होता है” पंक्ति की व्याख्या कीजिए |

Ans. We should grow into such citizens that people will want the light of our character and influence everywhere. We should not become such a sort of character that people want us to say in one place and not mi with others.

(हमें ऐसा नागरिक बनना चाहिए कि लोग हमारे चरित्र एवं हमारे प्रभाव के प्रकाश को प्रत्येक जगह चाहें | हमें इस प्रकार का चरित्र नहीं बनना चाहिए, जो लोगों को यह चाहने के लिए विवश करे कि हम एक ही स्थान पर सिमित रहें तथा दूसरों से मिल-जुल न सके)

We should be good citizens. We should be able to serve our country. We must be carrying the light with us wherever we go and not darkness. Our influence on others must be for good. Our lives must be such that our association with other people makes them better.

(हमें एक अच्छा नागरिक होना चाहिए | हम अपने देश की सेवा करने के लिए समर्थ हो सकें | हम जहाँ कहीं भी जाएं हम अपने साथ प्रकाश ले जाएँ न कि अंधकार | दूसरों पर हमारा प्रभाव अच्छा पड़ना चाहिए | हमारा जीवन ऐसा होना चाहिए कि हमारी संगति से अन्य लोग बेहतर बन सकें)

Thus a good citizen is a centre of light wherever he lives, and whatever he is doing.

(इस प्रकार एक अच्छा नागरिक प्रकाश का केंद्र होता है, चाहे वह कहीं भी रहेऔर कुछ भी करे)

Q6. What does the writer mean by saying, “We must be carrying the light with us wherever we go?”

(लेखक के कहने का क्या तात्पर्य है कि, “हम जहाँ भी जाएं हमें अपने साथ प्रकाश ले जाना चाहिए?”)

Ans. “We must be carrying the light with us wherever we go.” In this line, the writer means that we have to see that we grow to such citizens that people will want the light of our character and our influence everywhere. We should not become such a sort of character as will make people want us to stay in one place, and not to mix with others.

(“हम जहाँ भी जाएं हमें अपने साथ प्रकाश ले जाना चाहिए” इस पंक्ति में लेखक का तात्पर्य है कि हमें यह देखना है कि हम अच्छे नागरिक बनें जिससे लोग हमारे चरित्र व् हमारे प्रभाव के प्रकाश को चाहें | हमें इस प्रकार का चरित्र नहीं बनाना चाहिए, जो लोगों को यह चाहने के लिए विविश करे कि हम एक ही स्थान पर सिमित रहें तथा दुसरे से मिल-जुल न सकें)

We should be a good citizen so that we would be able to serve our country. Our influence on others must be for good. Our lives must be such that our association with other people makes them better.

(हमें अच्छा नागरिक होना चाहिए ताकि हम अपने देश की सेवा करने के लिए समर्थ हो सकें | हमारा जीवन ऐसा होना चाहिए कि हमारी संगति से अन्य लोग बेहतर बन सकें)

Q7. What will happen if we do not pass the flame of knowledge and skill to others?

(यदि हम ज्ञान एवं कौशल की ज्योति दूसरों तक नहीं पहुचाते हैं, तो क्या स्थिति उत्पन्न होगी?)

Ans. If we do not pass the flame of knowledge and skill to others then the flame will go out. In support of this statement, here one beautiful example has been quoted.

(यदि हम अपने ज्ञान एवं कौशल की ज्योति को दूसरों तक नहीं पहुंचाते हैं, तो वह ज्योति बुझ जाएगी | इस कथन की पुष्टि में यहाँ एक सुन्दर उदाहरण उद्धृत किया गया है)

It relates to the flame which was carried from Greece to London. On of the runner, with flame, failed to pass the flame properly and the mission was failed.

(यह उदाहरण मशाल को यूनान से लन्दन ले जाने वाली ओलिंपिक ज्योति की स्मरण कराता है | मशाल एक-दुसरे को सौपते हुए इन धावकों में से एक की लापरवाही के कारण अभियान पूर्णत: सफल नहीं हुआ था)

In the same way, when the students come out from their schools, they have a lot of knowledge and skill to pass on to others. If we do not do so it means we are allowing the flame of knowledge and skill to be put off.

(इसी प्रकार विद्यार्थी भी विद्यालय से ज्ञान व् कौशल की ज्योति लेकर लेकर निकलते हैं | यह ज्योति उन्हें दूसरों को सौपनी चाहिए | यदि वे ऐसा नहीं करते हैं, तो इसका अर्थ है कि वे अपनी सी ज्ञान व् कौशल की ज्योति को बुझा रहे हैं)

Q8. What do you mean by, “A chain is as strong as its weakest link?” How can the chain be made strong?

(“एक जंजीर उतनी ही मजबूत होती है जितनी उसकी सबसे कमजोर कड़ी” से आपका क्या तात्पर्य है? जंजीर को मजबूत कैसे बनाया जा सकता है?)

Ans. “A chain is as strong as its weakest links; it means that a weak link makes the whole chain weak. The weakest link will break when the chain is pulled. Our country is a big chain where every citizen is a link.

(एक जंजीर उतनी ही मजबूत होती है, जितनी कि उसकी सबसे कमजोर कड़ी” से तात्पर्य है कि एक कमजोर कड़ी पूरी जंजीर को कमजोर बना देती है | जब भी जंजीर को खींचा जाएगा, तो उसकी सबसे कमजोर कड़ी टूट जाएगी | हमारा देश एक बड़ी जंजीर के समान है जहाँ प्रत्येक नागरिक इसकी एक कड़ी है)

A weak link makes the chain weak. Sometimes we think that it doesn’t matter what one person does in such a large country. If one candle goes out, there will be darkness at that place.

(एक कमजोर कड़ी पूरी जंजीर को कमजोर बना देती है | कभी-कभी हम सोचते हैं कि इतने बड़े देश में एक व्यक्ति क्या करता है, उसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता है | यदि एक मोमबत्ती बुझ जाए तो उस स्थान पर अँधेरा हो जाएगा)

It is only when all the candles burn brightly, the whole house will be full of light. So our duty is to be a good citizen.

(सम्पूर्ण मकान केवल तभी प्रकाशमय हो सकता है जब इसकी सभी मोमबत्तियां जलें | अत: हम सभी का कर्तव्य अच्छा नागरिक बनना है)

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