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Semester 6: Degree in Bachelor of Science

  • Semiconductor Junction

    Semiconductor Junction
    अर्धचालक जंक्शन, अर्धचालक सामग्रियों के बीच एक संपर्क बिंदु होता है। यह विशेषकर P-N जंक्शन के रूप में जाना जाता है, जिसमें एक P प्रकार और एक N प्रकार का अर्धचालक होता है।
    P-N जंक्शन की विशेषताएँ इसके चार्ज कैरियर्स से निर्धारित होती हैं। P प्रकार में सकारात्मक चार्ज कैरियर्स (होल्स) होते हैं, जबकि N प्रकार में नकारात्मक चार्ज कैरियर्स (इलेक्ट्रॉन्स) होते हैं।
    जब P-N जंक्शन को स्थापित किया जाता है, तो यहाँ एक विस्थापन क्षेत्र (Depletion Region) का निर्माण होता है। यह क्षेत्र चार्ज कैरियर्स की अनुपस्थिति के कारण विद्युत क्षेत्र उत्पन्न करता है।
    P-N जंक्शन को आगे या उल्टा बायस किया जा सकता है। आगे बायस में, जंक्शन का प्रतिरोध कम होता है और अधिक संधारित्रता (Conductivity) उत्पन्न होती है। वहीं, उल्टे बायस में प्रवाह कम होता है।
    अर्धचालक जंक्शन का उपयोग डायोड्स, ट्रांजिस्टर, और सौर पैनलों में किया जाता है। ये उपकरण कई तरह की इलेक्ट्रॉनिक सर्किट में आवश्यक होते हैं।
  • Transistor Modeling

    Transistor Modeling
    • ट्रांजिस्टोर का परिचय

      ट्रांजिस्टोर एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है जो संकेतों को बढ़ाने और स्विचिंग कार्य करने में सक्षम होता है। इसके तीन टर्मिनल होते हैं: आधार, कलेक्टर और इमीटर।

    • ट्रांजिस्टोर के प्रकार

      मुख्यतः दो प्रकार के ट्रांजिस्टोर होते हैं: बीजेट (BJT) और फील्ड-इफेक्ट ट्रांजिस्टोर (FET)। BJT धारा संचालित होता है जबकि FET वोल्टेज संचालित होता है।

    • ट्रांजिस्टोर मॉडलिंग

      ट्रांजिस्टोर मॉडलिंग का अर्थ है ट्रांजिस्टोर के कार्य को समझने के लिए गणितीय और भौतिक मॉडलों का निर्माण करना। यह AC और DC विश्लेषण में सहायक होता है।

    • छोटे सिग्नल मॉडल

      छोटे सिग्नल मॉडल का उपयोग ट्रांजिस्टोर में छोटे संकेतों के व्यवहार की विश्लेषण के लिए किया जाता है। इसमें ट्रांजिस्टोर की गणितीय मापदंडों का उपयोग किया जाता है, जैसे कि ट्रांसफर गुणांक और प्रतिरोध।

    • बड़े सिग्नल मॉडल

      बड़े सिग्नल मॉडल का उपयोग तब किया जाता है जब ट्रांजिस्टोर को बड़े संकेतों के लिए विश्लेषण करना हो। इसमें डायोड के स्विचिंग समय और चार्जिंग समय की गणना की जाती है।

    • अनुप्रयोग

      ट्रांजिस्टोर का उपयोग विभिन्न अनुप्रयोगों में किया जाता है, जैसे कि एम्पलीफायर, स्विच, और डिजिटल सर्किट में। इनका उपयोग मोबाइल फोन, कंप्यूटर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में होता है।

  • Field Effect Transistors

    Field Effect Transistors
    • भूमिका और कार्यप्रिंसिपल

      फील्ड इफेक्ट ट्रांजिस्टर (FET) एक प्रकार का ट्रांजिस्टर है जो इलेक्ट्रॉनिक्स में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह विद्युत क्षेत्र का उपयोग करके इलेक्ट्रॉन के प्रवाह को नियंत्रित करता है। FET का मुख्य कार्य एक सिग्नल को बढ़ाना या स्विच करना है।

    • प्रकार

      FET के कई प्रकार होते हैं जैसे जेनर FET, MOSFET, और JFET। MOSFET का उपयोग अधिकतर डिजिटल सर्किट और एनालॉग सर्किट में किया जाता है। JFET आमतौर पर सिग्नल प्रोसेसिंग में प्रयुक्त होता है।

    • आवेदन

      FET का उपयोग विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों जैसे अम्प्लीफायर, स्विच, और माइक्रोप्रोसेसर में किया जाता है। इसके अलावा, यह संचार सर्किट और कंप्यूटर में भी व्यापक रूप से उपयोग होता है।

    • लाभ और हानि

      FET में लाभ यह है कि यह उच्च इनपुट इम्पीडेंस और कम आउटपुट इम्पीडेंस प्रदान करता है। हालांकि, इसकी हानि में तापमान के प्रति संवेदनशीलता और कम वर्तमान प्रवाह क्षमता शामिल हैं।

    • निष्कर्ष

      FET तकनीक लगातार विकसित हो रही है और इसकी अनुप्रयोगों की संख्या बढ़ रही है। FET भविष्य की टेक्नोलॉजी में एक महत्वपूर्ण घटक होगा।

  • Other Devices

    Other Devices
    संवेदनशीलता और प्रकार
    अन्य उपकरणों की संवेदीकरण की क्षमता और विभिन्न प्रकारों का विवरण। यह समझाने में मदद करता है कि कैसे विभिन्न उपकरण विभिन्न परिस्थितियों में काम करते हैं।
    संकेत प्रबंधन
    सिग्नल प्रोसेसिंग के विभिन्न पहलुओं को समझना। इसमें एनालॉग और डिजिटल सिग्नल्स के बीच के अंतर और उनके प्रबंधन की तकनीकें शामिल हैं।
    इंटरफेसिंग
    अन्य उपकरणों के साथ इंटरफेसिंग के तरीके और तकनीकें। इसमें विभिन्न प्रकार के संचार प्रोटोकॉल और उनके उपयोग की व्याख्या की जा रही है।
    ऐप्लिकेशन
    विभिन्न उपकरणों के अनुप्रयोगों का अध्ययन, जैसे कि औद्योगिक, चिकित्सा और घरेलू उपयोग। यह समझाने में मदद करता है कि ये उपकरण किस प्रकार हमारे दैनिक जीवन में उपयोगी हैं।
  • Number System

    Number System
    • संख्याओं की परिभाषा

      संख्याएँ गणितीय प्रतीकों के समूह हैं जो गणना, मापन और क्रमबद्धता को व्यक्त करती हैं।

    • संख्या प्रणालियों के प्रकार

      प्रमुख संख्या प्रणालियों में दशमलव, द्विनामिक, और अक्तीय प्रणाली शामिल हैं।

    • दशमलव प्रणाली

      दशमलव प्रणाली में 0 से 9 तक के अंक होते हैं। यह सबसे सामान्य प्रणाली है जिसका उपयोग हम रोज़ाना करते हैं।

    • द्विनामिक प्रणाली

      इस प्रणाली में केवल 0 और 1 का उपयोग होता है। यह कंप्यूटरों में डेटा को प्रदर्शित करने के लिए उपयोग की जाती है।

    • अक्तीय प्रणाली

      अक्तीय प्रणाली में 0 से 7 तक के अंक होते हैं। इसका उपयोग विशेष हालात में किया जाता है, जैसे कि प्रोग्रामिंग में।

    • संख्याओं का संयोजन

      संख्याओं का संयोजन विभिन्न संख्या प्रणालियों में हो सकता है, जैसे कि एक दशमलव संख्या को द्विनामिक में परिवर्तित करना।

  • Binary Arithmetic

    Binary Arithmetic
    • Binary Number System

      बाइनरी संख्या प्रणाली केवल दो अंकों, 0 और 1, पर आधारित है। यह कंप्यूटर प्रणाली में डेटा का प्रतिनिधित्व करने के लिए उपयोग की जाती है।

    • Binary Addition

      बाइनरी जोड़ना बाइनरी अंकों का जोड़ना है। बाइनरी में जोड़ने के लिए नियम: 0 + 0 = 0, 0 + 1 = 1, 1 + 0 = 1, 1 + 1 = 10 (जॉइन कैरी)।

    • Binary Subtraction

      बाइनरी घटाव दो बाइनरी अंकों का घटाना है। इसे बोरोजा विधि से या बाइनरी जोड़ने की विधि के साथ किया जा सकता है।

    • Binary Multiplication

      बाइनरी गुणन बाइनरी अंकों का गुणा है। इसके लिए एक ही नियम है जो दशमलव प्रणाली में होता है।

    • Binary Division

      बाइनरी विभाजन बाइनरी अंकों का विभाजित करना है। यह विधि कंप्यूटर प्रणाली में गणनाओं के लिए महत्वपूर्ण है।

  • Logic Gates

    Logic Gates
    • परिचय

      लॉजिक गेट्स डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक्स के बुनियादी तत्व होते हैं जो बाइनरी इनपुट को प्रोसेस कर आउटपुट देते हैं। ये गेट्स बाइनरी तार्किक क्रियाओं को दर्शाते हैं।

    • प्रकार

      मुख्य प्रकार के लॉजिक गेट्स शामिल हैं AND, OR, NOT, NAND, NOR, XOR, और XNOR। हर गेट का एक विशेष तार्किक कार्य होता है।

    • AND गेट

      AND गेट एक दो या अधिक इनपुट के लिए आउटपुट 1 देता है यदि सभी इनपुट 1 हों। इसकी सत्य तालिका इस प्रकार है: (0,0) -> 0, (0,1) -> 0, (1,0) -> 0, (1,1) -> 1।

    • OR गेट

      OR गेट एक या अधिक इनपुट के लिए आउटपुट 1 देता है यदि कम से कम एक इनपुट 1 हो। इसकी सत्य तालिका: (0,0) -> 0, (0,1) -> 1, (1,0) -> 1, (1,1) -> 1।

    • NOT गेट

      NOT गेट एक एकल इनपुट को उलटता है। यदि इनपुट 0 है, तो आउटपुट 1 होगा और यदि इनपुट 1 है, तो आउटपुट 0 होगा।

    • NAND गेट

      NAND गेट, AND गेट का उल्टा है। यह सभी इनपुट 1 होने पर ही 0 आउटपुट देता है।

    • NOR गेट

      NOR गेट, OR गेट का उल्टा है। यह केवल तब 1 आउटपुट देगा जब सभी इनपुट 0 हों।

    • XOR गेट

      XOR गेट 1 आउटपुट देता है यदि इनपुट में एक ही 1 हो। इसकी सत्य तालिका में केवल एक की स्थिति में 1 प्राप्त होता है।

    • XNOR गेट

      XNOR गेट 1 आउटपुट देता है यदि सभी इनपुट समान हों। यह AND और NOT को मिलाकर कार्य करता है।

    • लॉजिक गेट्स के अनुप्रयोग

      लॉजिक गेट्स का उपयोग कंप्यूटर सर्किट, प्रक्रिया इकाइयों, और विभिन्न डिजिटल अनुप्रयोगों में आवश्यक कार्यों को करने के लिए किया जाता है।

  • Combinational Sequential Circuits

    Combinational and Sequential Circuits
    • परिभाषा

      संयोगी परिपथ वे होते हैं जिनका आउटपुट केवल उनके वर्तमान इनपुट पर निर्भर करता है। दूसरी ओर अनुक्रमिक परिपथों का आउटपुट न केवल वर्तमान इनपुट पर निर्भर करता है, बल्कि पिछले इनपुट्स या स्टेट्स पर भी निर्भर करता है।

    • संयोगी परिपथ

      संयोगी परिपथों में लॉजिकल गेट्स जैसे AND, OR, NOT का इस्तेमाल होता है। इनका उपयोग विभिन्न कार्यों को निष्पादित करने के लिए किया जाता है जैसे अडिशन, सब्ट्रक्शन, मल्टिप्लिकेशन आदि।

    • अनुक्रमिक परिपथ

      अनुक्रमिक परिपथों में स्टेट्स होते हैं जो क्लॉक सिग्नल से नियंत्रित होते हैं। फ्लिप-फ्लॉप प्रमुख घटक होते हैं जो स्टेट को सहेजते हैं। ये परिपथ स्मृति तत्वों का उपयोग करते हैं।

    • संयोगी बनाम अनुक्रमिक

      संयोगी परिपथ त्वरित प्रतिक्रिया देते हैं और सरल होते हैं, जबकि अनुक्रमिक परिपथ अधिक जटिल होते हैं लेकिन वे समय के साथ कार्यों को आयोजित करने में सक्षम होते हैं।

    • उपयोग

      संयोगी परिपथों का उपयोग डेटा प्रोसेसिंग में किया जाता है जबकि अनुक्रमिक परिपथों का उपयोग कंप्यूटर मेमोरी और प्रोसेसर डिज़ाइन में किया जाता है।

Degree in Bachelor of Science

Degree

Physics

6

Veer Bahadur Singh Purvanchal University Jaunpur

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