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Semester 1: Cytology, Genetics and Infectious Diseases

  • Structure and Function of Cell Organelles I: Plasma membrane, cell-cell interaction, endomembrane system

    Structure and Function of Cell Organelles
    प्लाज्म झिल्ली, कोशिका की बाहरी सीमा है, जो कोशिका के भीतर और बाहरी वातावरण के बीच अंतर को निर्धारित करती है।
    यह फॉस्फोलिपिड बाइलेयर से बनी होती है जिसमें प्रोटीन, कोलेस्ट्रॉल और कार्बोहाइड्रेट होते हैं।
    यह सामग्री के आदान-प्रदान, संकेत संचारण और कोशिका की पहचान में सहायता करती है।
    कोशिकाओं के बीच इंटरएक्शन से कोशिका की संचारण प्रक्रिया और सामूहिक कार्य में सहायता मिलती है।
    • गैप जंक्शन: ये तंतुमय प्रोटीन से बने होते हैं जो कोशिकाओं के बीच सीधे संचार की अनुमति देते हैं।

    • प्रॉटोप्लास्ट: यह तंतु कोशिकाओं के बीच सिग्नलिंग के लिए कार्य करते हैं।

    यह शारीरिक और जैविक प्रक्रियाओं में सहयोग को बढ़ावा देता है।
    एंडोमेम्ब्रेन सिस्टम में विभिन्न झिल्ली संरचनाएं शामिल होती हैं जो सामग्री के प्रोसेसिंग और परिवहन में सहायता करती हैं।
    • एंडोप्लास्मिक रेटिकुलम: यह प्रोटीन और लिपिड का संश्लेषण करता है।

    • गोल्जी एपरेटस: यह संशोधित प्रोटीन और लिपिड को निर्यात करता है।

    • लीज़ोसोम: ये पाचन कार्यों में सहायता करते हैं।

    यह कोशिका के आंतरिक वातावरण को नियंत्रित करता है और अंतर्जात्य प्रक्रियाओं में सहायता करता है।
  • Structure and Function of Cell Organelles II: Cytoskeleton, mitochondria, peroxisome and ribosome

    Structure and Function of Cell Organelles II: Cytoskeleton, mitochondria, peroxisome and ribosome
    • Cytoskeleton

      साइटोस्केलेटन कोशिका का एक महत्वपूर्ण घटक है, जो आकार और संरचना प्रदान करता है। यह तीन प्रमुख प्रकार के तंतु से मिलकर बनता है: माइक्रोट्यूब, माइक्रोफिलामेंट, और इंटरमीडिएट फिलामेंट। साइटोस्केलेटन सेल के भीतर अंगों के स्थान को स्थिर करने, सेल विभाजन में मदद करने और कोशिका की गति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

    • Mitochondria

      माइटोकॉन्ड्रिया को सेल की पावरहाउस कहा जाता है। यह ATP (एडेनोसिन ट्राइफॉस्फेट) का उत्पादन करता है, जो कोशिका के ऊर्जा स्रोत के रूप में कार्य करता है। माइटोकॉन्ड्रिया में दो झिल्लियाँ होती हैं और इसमें अपनी DNA होती है, जो इसे विशेष बनाती है। इसके अलावा, यह विभिन्न मेटाबोलिक गतिविधियों में भी शामिल होता है।

    • Peroxisome

      पेरोक्सीसोम सेल के भीतर एक अंग है, जो मुख्यतः फैटी एसिड के ऑक्सीडेशन और हाइड्रोजन पेरोक्साइड के मेटाबोलिज्म में शामिल होता है। यह कोशिका के लिए हानिकारक पदार्थों को समाप्त करने में मदद करते हैं। पेरोक्सीसोम में एंजाइम होते हैं जो इन प्रक्रियाओं को संचालित करते हैं।

    • Ribosome

      राइबोसोम प्रोटीन संश्लेषण के लिए आवश्यक प्रमुख अंग हैं। यह RNA और प्रोटीन से मिलकर बनते हैं और कोशिका के साइटोप्लाज्म में स्वतंत्र रूप से या एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम पर स्थित होते हैं। राइबोसोम mRNA के निर्देशों के अनुसार एमिनो एसिड को जोड़ते हैं, जिससे प्रोटीन का निर्माण होता है।

  • Nucleus and Chromatin Structure: nucleus, DNA and RNA structure, chromatin organization, chromosomes

    Nucleus and Chromatin Structure
    • Nucleus

      न्यूक्लियस एक कोशिका का केंद्र है, जो इसकी आनुवंशिक सामग्री को संचित करता है। यह दो झिल्ली द्वारा घिरा होता है जो न्यूक्लियर एन्क्लोजर बनाती हैं। न्यूक्लियस में डीएनए और आरएनए का थोक होता है और यह कोशिका के सभी गतिविधियों का नियंत्रण करता है।

    • DNA Structure

      डीएनए (डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड) एक डबल हेलिक्स संरचना में होता है जिसे नाइट्रोजेनेटिव बेस (एडेनाइन, थायमिन, गुआनिन, सिटोसिन) द्वारा बने नाइट्रोजन युग्मों द्वारा आयोजित किया जाता है। डीएनए मुख्य रूप से आनुवंशिक जानकारी का भंडारण करता है।

    • RNA Structure

      आरएनए (राइबोन्यूक्लिक एसिड) एक सिंगल स्ट्रैंडेड संरचना में होता है। इसके विभिन्न प्रकार होते हैं जैसे मैसेंजर आरएनए (mRNA), ट्रांसफर आरएनए (tRNA), और राइबोसोमल आरएनए (rRNA)। यह प्रोटीन संश्लेषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

    • Chromatin Organization

      क्रोमैटिन न्यूक्लियस में डीएनए और प्रोटीन का संयोजन है। क्रोमैटिन दो प्रकार का होता है - ईउक्रोमैटिन और हेटेरोक्रोमैटिन। ईउक्रोमैटिन सक्रिय होता है और जीन अभिव्यक्ति में महत्वपूर्ण है, जबकि हेटेरोक्रोमैटिन निष्क्रिय है।

    • Chromosomes

      क्रोमोसोम डीएनए और प्रोटीन से बने संरचनाएं हैं जो विभाजन के दौरान दिखाई देती हैं। मानव कोशिकाओं में 46 क्रोमोसोम होते हैं, जो 23 जोड़े में व्यवस्थित होते हैं। ये आनुवंशिक जानकारी का वाहक होते हैं।

  • Cell cycle, Cell Division and Cell Signalling: mitosis, meiosis, cell cycle regulation, apoptosis, signal transduction

    Cell cycle, Cell Division and Cell Signalling
    • Cell Cycle

      कोशिका चक्र एक अनुक्रम है जिसमें कोशिकाएँ वृद्धि करती हैं, विभाजित होती हैं और विभाजित होकर नई कोशिकाएँ बनाती हैं। यह चक्र मुख्यतः चार चरणों में विभाजित होता है: G1 (वृद्धि), S (DNA संश्लेषण), G2 (दूसरी वृद्धि) और M (विभाजन)।

    • Cell Division

      कोशिका विभाजन मुख्यतः दो प्रकारों में होता है: माइटोसिस और मीओसिस। माइटोसिस एक प्रक्रिया है जिसमें एक कोशिका दो समान संतति कोशिकाओं में विभाजित होती है। मीओसिस एक विशेष प्रकार का विभाजन है जो जनन कोशिकाओं के निर्माण में सहायक होता है और इसमें दो विभाजन प्रक्रियाएँ होती हैं।

    • Mitosis

      माइटोसिस चार चरणों में होता है: प्रोफेज, मेटाफेज, एनाफेज, और टेलोफेज। यह प्रक्रिया एक संतानी कोशिका के लिए समान गुणसूत्रों और जीनों को सुनिश्चित करती है।

    • Meiosis

      मीओसिस दो विभाजन चरणों में होता है, जो जनन कोशिकाओं के निर्माण के लिए आवश्यक है। इसके परिणामस्वरूप चार अनूठी संतति कोशिकाएँ बनती हैं, जिनमें आधे गुणसूत्र होते हैं।

    • Cell Cycle Regulation

      कोशिका चक्र का नियमन प्रोटीन जैसे साइक्लिन और साइक्लिन-निर्भर काइनेज के माध्यम से होता है। ये प्रोटीन कोशिका चक्र के विभिन्न चरणों को नियंत्रित करते हैं और सुनिश्चित करते हैं कि कोशिका सही समय पर विभाजित हो।

    • Apoptosis

      एपोपटोसिस एक नियंत्रित कोशिका मौत की प्रक्रिया है जो कोशिकाओं को सुरक्षित रूप से समाप्त करने की अनुमति देती है। यह प्रक्रिया रोग और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

    • Signal Transduction

      संकेत संचरण कोशिका के भीतर या कोशिकाओं के बीच संचार का एक प्रक्रिया है। यह प्रक्रिया रिसेप्टर्स के माध्यम से शुरू होती है और इसके बाद विभिन्न जैविक प्रतिक्रियाएँ उत्पन्न होती हैं।

  • Mendelism and Sex Determination: Mendel's laws, dominance types, sex determination, sex-linked characteristics

    Mendelism and Sex Determination
    • Mendel's Laws

      मंडेल के नियम आनुवांशिकी के मूल सिद्धांत हैं। मेंडेल ने प्रयोगों के माध्यम से यह स्थापित किया कि गुणसूत्रों का संचरण पीढ़ी दर पीढ़ी कैसे होता है। उसके द्वारा बताए गए दो प्रमुख नियम हैं: 1. स्वतंत्र वर्गीकरण का नियम - यह बताता है कि विभिन्न गुणधर्म स्वतंत्र रूप से अलग-अलग गुणसूत्रों के माध्यम से अगली पीढ़ी में वितरित होते हैं। 2. संयोजन का नियम - यह बताता है कि एक विशेष गुण के लिए व्यक्तित्व की विशेषताएँ माता-पिता के गुणसूत्रों के जैविक मिश्रण से तय होती हैं।

    • Dominance Types

      अनुवांशिकी में 'डोमिनेंस' एक महत्वपूर्ण अवधारणा है, जिसके अंतर्गत एक गुण का एक एलील दूसरे के मुकाबले अधिक प्रभावी होता है। डोमिनेंस के प्रकार इस प्रकार हैं: 1. पूर्ण डोमिनेंस - एक एलील पूरी तरह से दूसरे को दबा देता है। 2. अनपोषित डोमिनेंस - दोनों एलील संयुक्त रूप से व्यक्त होते हैं और मध्यवर्ती विशेषताओं का निर्माण करते हैं। 3. को-डोमिनेंस - दोनों एलील स्वतंत्र रूप से व्यक्त होते हैं और दोनों का प्रभाव दिखाई देता है।

    • Sex Determination

      लिंग निर्धारण एक महत्वपूर्ण आनुवंशिक प्रक्रिया है, जिसमें यह निर्धारित होता है कि an जीव का लिंग पुरुष होगा या महिला। मनुष्यों में, XY प्रणाली लिंग निर्धारण की मुख्य प्रणाली है, जिसमें XX महिला और XY पुरुष के रूप में होते हैं।

    • Sex-Linked Characteristics

      लिंग-संबंधित विशेषताएँ वह गुण होते हैं जो लिंग गुणसूत्रों (X और Y) पर होते हैं। ये विशेषताएँ आमतौर पर पुरुषों में अधिक स्पष्ट होती हैं, जैसे कि रंग-पारकता। X-लिंक्ड रोग अक्सर पुरुषों में अधिक आम होते हैं, क्योंकि उनके पास केवल एक X गुणसूत्र होता है।

  • Extensions of Mendelism, Genes and Environment: Multiple alleles, gene interaction, genomic imprinting, gene-environment interaction

    Extensions of Mendelism, Genes and Environment
    • Multiple Alleles

      मेनडेलिज़्म के विस्तार में बहुallel की अवधारणा शामिल है। यह तब होता है जब एक विशेष जीन के तीन या अधिक रूप होते हैं। उदाहरण स्वरूप, मानव रक्त समूह ए, बी, एबी और ओ विभिन्न ऐलिल्स के परिणामस्वरूप होते हैं। यह जीन के विविध रूपों पर आधारित है, जो विभिन्न गुणसूत्रों पर स्थित होते हैं।

    • Gene Interaction

      जीन इंटरैक्शन विभिन्न जीनों के बीच बातचीत को दर्शाता है। यह सामान्यत: दो या दो से अधिक जीनों के योगदान से एक विशेष गुण या लक्षण की अभिव्यक्ति में होता है। जीन इंटरैक्शन को विभिन्न प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है, जैसे कि अनुप्रवण, सहयोगात्मक जीन, और प्रतिकूल जीन।

    • Genomic Imprinting

      जेनोमिक इम्प्रिंटिंग एक विशेष जीन के रूपांतरण में माता-पिता के योगदान के आधार पर भिन्नता दर्शाता है। कुछ जीनों की अभिव्यक्ति केवल पिता या माता की ओर से होती है, जैसे कि इम्प्रिंटेड जीन। यह प्रक्रिया विकासात्मक कारकों जैसे कि प्रोटीन और एंजाइमों के स्तर को प्रभावित कर सकती है।

    • Gene-Environment Interaction

      जीन-पर्यावरण इंटरैक्शन का मतलब है कि किसी व्यक्ति के जीन और पर्यावरणीय कारकों का संयोजन उनके गुणों और लक्षणों को कैसे प्रभावित करता है। उदाहरण के तौर पर, कुछ जीन ऐसे होते हैं जो केवल विशेष पर्यावरणीय परिस्थितियों में सक्रिय होते हैं, जिससे व्यक्तियों की विकासात्मक प्रक्रिया में अंतर आता है।

  • Human Chromosomes and Patterns of Inheritance: human karyotype, chromosomal anomalies, pedigree analysis, inheritance patterns

    Human Chromosomes and Patterns of Inheritance
    • मानव कaryoype

      मानव कaryoype में 46 chromosomes होते हैं, जिनमें 23 chromosome मां से और 23 chromosome पिता से आते हैं। ये chromosome जीन का संग्रह होते हैं जो व्यक्ति के विकास, गुण और शारीरिक लक्षणों को निर्धारित करते हैं।

    • chromosomal anomalies

      Chromosomal anomalies तब होती हैं जब chromosomes की संख्या या संरचना में बदलाव होता है। इसे दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है: संख्या संबंधी असामान्यताएँ, जैसे Down Syndrome, और संरचित असामान्यताएँ, जैसे Turner Syndrome।

    • pedigree analysis

      Pedigree analysis एक तकनीक है जिससे वंशानुगत समस्याओं का अध्ययन किया जाता है। यह परिवार के आनुवंशिक इतिहास को दर्शाता है और यह पता लगाने में मदद करता है कि किसी विशेष गुण या बीमारी की पारगमन दर क्या है।

    • inheritance patterns

      Inheritance patterns मुख्यतः चार प्रकार के होते हैं: autosomal dominant, autosomal recessive, X-linked dominant, और X-linked recessive। ये पैटर्न यह निर्धारित करते हैं कि किसी गुण का अगली पीढ़ी में कैसे प्रकट होगा।

  • Infectious Diseases: pathogenic organisms, parasites like Trypanosoma, Giardia, Wuchereria and related diseases

    संक्रामक रोग: रोगजनक जीवों और परजीवियों का अध्ययन
    • संक्रामक रोगों की परिभाषा

      संक्रामक रोग वे रोग होते हैं जो एक जीव से दूसरे जीव में संक्रमण के माध्यम से फैलते हैं। ये रोग विभिन्न प्रकार के रोगजनक जैसे बैक्टीरिया, वायरस, कवक और परजीवी द्वारा उत्पन्न होते हैं।

    • रोगजनक जीव और उनके प्रकार

      1. बैक्टीरिया: छोटे, एककोशीय जीव जो विभिन्न प्रकार के संक्रमण का कारण बनते हैं। 2. वायरस: छोटे संक्रमणकारी कण जो जीवित कोशिकाओं के अंदर ही प्रजनन कर सकते हैं। 3. कवक: फंगस जो मुख्य रूप से मोल्ड और यीस्ट के रूप में होते हैं। 4. परजीवी: जीव जो अन्य जीवों पर निर्भर रहकर जीवन यापन करते हैं।

    • Trypanosoma

      Trypanosoma एक प्रकार का प्रोटोजोआ परजीवी है जो नींद की बीमारी (African sleeping sickness) का कारण बनता है। यह ट्से ट्से फ्लाई के माध्यम से फैलता है। इसके लक्षणों में बुखार, सुस्ती और तंत्रिका तंत्र के विकार शामिल हैं।

    • Giardia

      Giardia एक पहेली आकार का प्रोटोजोआ परजीवी है जो आंतों में संक्रमण का कारण बनता है, जिसे Giardiasis कहा जाता है। यह प्रदूषित जल या खाद्य पदार्थों के माध्यम से फैलता है। इसके लक्षणों में दस्त, पेट दर्द और मत nausea शामिल होते हैं।

    • Wuchereria

      Wuchereria, जो एक थ्रेडवॉर्म परजीवी है, लिम्फैटिक फाइलेरिया का कारण बनता है। यह मच्छरों के माध्यम से फैलता है और इसके कारण शरीर के लिम्फैटिक सिस्टम में सूजन और लक्षण विकसित हो सकते हैं, जैसे कि Elephantiasis।

    • संक्रामक रोगों की रोकथाम

      संक्रामक रोगों की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य शिक्षा, टीकाकरण, अच्छे स्वच्छता प्रथाओं और प्रदूषण नियंत्रण की आवश्यकता होती है।

    • निष्कर्ष

      संक्रामक रोगों को समझना और उनका प्रबंधन करना आवश्यक है ताकि स्वास्थ्य पर इस प्रभाव को कम किया जा सके। उपरोक्त परजीवियों का अध्ययन करने से उनकी पहचान और उनकी रोकथाम में सहायता मिलती है।

Cytology, Genetics and Infectious Diseases

B.Sc Zoology

ZOOLOGY

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