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Semester 1: Fundamentals of Nutrition and Human Development

  • Traditional Home Science and its Relevance in current era

    Traditional Home Science and its Relevance in current era
    • परंपरागत गृह विज्ञान का परिचय

      गृह विज्ञान एक क्षेत्र है जो घर के प्रबंधन एवं परिवार को सुचारू रूप से चलाने के लिए आवश्यक कौशलों का अध्ययन करता है। इसमें पोषण, वस्त्र विज्ञान, गृह प्रबंधन, और विकासात्मक मनोविज्ञान शामिल हैं।

    • पोषण के सिद्धांत

      पोषण का सही ज्ञान हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। पारंपरिक आहार पद्धतियों में संतुलित आहार का संकल्पना विकसित हुई, जो आज भी हमारे लिए प्रासंगिक है।

    • मानव विकास में परंपरागत ज्ञान

      गृह विज्ञान का मानव विकास से गहरा संबंध है। यह हमें समझाता है कि कैसे सही पोषण और शिक्षा बच्चों के विकास में सहयोगी होते हैं।

    • वर्तमान संदर्भ में गृह विज्ञान की प्रासंगिकता

      आधुनिक जीवन शैली में तनाव और स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने के लिए पारंपरिक गृह विज्ञान के सिद्धांतों का उपयोग बढ़ रहा है। यह हमें संतुलित जीवन जीने और पारिवारिक संबंधों को मजबूत करने में मदद करता है।

  • Cell and Digestive System, Respiratory and Cardiovascular system

    Cell and Digestive System, Respiratory and Cardiovascular System
    कोशिका शरीर की आधारभूत एकाई है। यह सभी जीवित प्राणियों की संरचना और कार्य का मूल होती है। कोशिकाएं विभाजित होती हैं और विभिन्न प्रकारों में आती हैं, जैसे कि पौधों की कोशिकाएं और पशु कोशिकाएं।
    पाचन तंत्र भोजन को पचाने और पोषक तत्वों को अवशोषित करने की प्रक्रिया को संचालित करता है। इसमें मुंह, ग्रासनली, पेट, आंतें और ग्रहणी शामिल होते हैं। पाचन तंत्र कार्य करता है ताकि शरीर को आवश्यक ऊर्जा और पोषक तत्व मिल सकें।
    श्वसन तंत्र शरीर को ऑक्सीजन प्रदान करता है और कार्बन डाइऑक्साइड को निकालता है। इसमें नासिका, फेफड़े और श्वसन नलिका शामिल होते हैं। श्वसन की प्रक्रिया श्वसनग्रंथि और मांसपेशियों के माध्यम से होती है।
    हृदय और रक्त वाहिकाओं का तंत्र, जिसे परिसंचरण तंत्र भी कहा जाता है, शरीर में रक्त, ऑक्सीजन और पोषकतत्त्वों का संचलन करता है। हृदय एक पंप की तरह काम करता है जो रक्त को शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुँचाता है।
  • Food and Nutrition: Food Meaning, Classification and function, Nutrition Concept, Nutrients Macro and Micro, sources and deficiency diseases

    Food and Nutrition
    • Food Meaning

      भोजन का अर्थ मानव जीवन के लिए आवश्यक सामग्री है। भोजन हमारे शरीर के विकास, स्वास्थ्य और ऊर्जा के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है।

    • Classification of Food

      भोजन को विभिन्न श्रेणियों में बांटा जा सकता है जैसे कि कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन, वसा, विटामिन्स और मिनरल्स।

    • Function of Food

      भोजन के मुख्य कार्य ऊर्जा प्रदान करना, विकास को सहयोग करना, स्वास्थ्य बनाए रखना और रोगों से सुरक्षा करना हैं।

    • Nutrition Concept

      पोषण का अर्थ केवल भोजन नहीं है, बल्कि यह उन पोषक तत्वों का समुच्चय है जो हमारे शरीर के लिए आवश्यकता होती हैं।

    • Nutrients: Macro and Micro

    • Sources of Nutrients

    • Deficiency Diseases

      जब शरीर में किसी पोषक तत्व की कमी हो जाती है, तो विभिन्न रोग उत्पन्न हो सकते हैं। जैसे विटामिन A की कमी से रतौंधी, विटामिन C की कमी से स्कर्वी और आयरन की कमी से एनीमिया।

  • Cooking Methods: Methods, Advantages and Disadvantages, Preservation of Nutrients while Cooking. Traditional methods of enhancing nutritional value of foods - germination, fermentation, food synergy

    Cooking Methods: Methods, Advantages and Disadvantages, Preservation of Nutrients while Cooking
    खाना पकाने के तरीके विभिन्न प्रकार के होते हैं, जैसे उबालना, भाप में पकाना, तलना, भुनना, और ग्रिल करना।
    उबालना या भाप में पकाना पोषक तत्वों को संरक्षित करने के लिए अच्छे तरीके हैं।
    तलने से पोषक तत्व नष्ट हो सकते हैं और अधिक कैलोरी जुड़ सकती है।
    खाने को पकाने से स्वाद और सुगंध बढ़ती है।
    सही तरीके से पकाने से विटामिन और खनिज संरक्षित रहते हैं।
    कुछ खाना पकाने के तरीकों से पोषक तत्वों का नष्ट होना।
    उच्च तापमान पर पकाने से विटामिन बी और सी का नुकसान हो सकता है।
    खाना पकाने के दौरान पोषक तत्वों के संरक्षण के लिए विभिन्न तरीके।
    कम तापमान पर पकाना, खाना पकाने के समय को कम करना, और कवर करके पकाना।
    पोषण मूल्य बढ़ाने के लिए पारंपरिक तरीके।
    अंकुरण से अनाज के पोषक तत्वों में वृद्धि होती है।
    किण्वन से रसायनों का निर्माण होता है जो पाचन में मदद करते हैं।
    भोजन के संयोजन से पोषक तत्वों का अवशोषण बेहतर होता है।
  • Introduction to Human Development: Concept, Definition, need to study Human Development, Domains, Stages and contexts of development, Principles of Growth and Development, Determinants of Development

    Introduction to Human Development
    • परिभाषा और अवधारणा

      मानव विकास का अर्थ है व्यक्ति का शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक विकास। यह एक निरंतर प्रक्रिया है जो जन्म से लेकर मृत्यु तक चलती है।

    • मानव विकास का अध्ययन क्यों आवश्यक है

      मानव विकास के अध्ययन से हमें यह समझने में मदद मिलती है कि व्यक्ति किस प्रकार मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक दृष्टिकोण से विकसित होता है। यह शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक नीति बनाने में भी सहायक है।

    • विकास के क्षेत्र

      मानव विकास के मुख्य क्षेत्र शारीरिक, संज्ञानात्मक, सामाजिक और भावनात्मक विकास हैं। इन क्षेत्रों में विभिन्न कारकों का योगदान होता है जो व्यक्ति के समग्र विकास को प्रभावित करते हैं।

    • विकास के चरण

      विकास के विभिन्न चरणों में शिशु, बाल्यावस्था, किशोरावस्था, युवा और वृद्धावस्था शामिल हैं। प्रत्येक चरण में विकास के अलग-अलग पहलू और चुनौतियाँ होती हैं।

    • विकास के सिद्धांत

      विकास के सिद्धांत व्यक्तियों के विकास के नियम और प्रक्रियाओं को समझाते हैं। इन सिद्धांतों में शारीरिक विकास, संज्ञानात्मक विकास और सामाजिक विकास शामिल हैं।

    • विकास के निर्धारक

      विकास के निर्धारक में पर्यावरण, संस्कृति, शिक्षा, परिवार और जैविक कारक शामिल हैं। ये सभी कारक विकास के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करते हैं।

  • Prenatal Development and Birth Process: Conception, Pregnancy and Childbirth, Stages of birth, Types of delivery, Physical appearance and capacities of the new-born, Factors affecting Pre-natal development

    Prenatal Development and Birth Process
    • Conception

      गर्भाधान एक महत्वपूर्ण चरण है जिसमें एक अंडाणु और शुक्राणु मिलकर एक नये जीवन की शुरुआत करते हैं। यह प्रक्रिया संयोग के माध्यम से होती है और इसमें पुरुष और महिला दोनों के जैविक तत्व शामिल होते हैं। आमतौर पर, गर्भाधान के बाद, बनाई गई ज़ाइगोट (zygote) भ्रूण विकास के लिए गर्भ में यात्रा करती है।

    • Pregnancy

      गर्भावस्था लगभग 40 सप्ताह तक चलती है, जिसे तीन तिमाहियों में विभाजित किया जाता है। पहली तिमाही में, भ्रूण आकार और अंगों के विकास के साथ-साथ शारीरिक संरचना बनाता है। दूसरी तिमाही में, बच्चे का आकार बढ़ता है, और माँ के शरीर में कई परिवर्तन होते हैं। तीसरी तिमाही में, बच्चा जन्म लेने के लिए तैयार होता है।

    • Childbirth

      जन्म प्रक्रिया में शरीर के कई जैविक और हार्मोनल परिवर्तन होते हैं। यह प्रक्रिया आमतौर पर तीन चरणों में होती है: गर्भाशय में संकुचन, गर्भाशय ग्रीवा का खोलना, और जन्म देना। इन चरणों के दौरान, माँ को सामान्य या सिजेरियन दोनों तरीके से बच्चे को जन्म देने का विकल्प होता है।

    • Stages of Birth

      जन्म की प्रक्रिया में मुख्यत: तीन चरण होते हैं: पहला चरण जहाँ संकुचन शुरू होता है और गर्भाशय ग्रीवा खुलता है। दूसरा चरण जिसमें बच्चे का बाहरी दुनिया में आना और जन्म लेना होता है। तीसरा चरण, प्लेसेंटा का जन्म। इन चरणों में विभिन्न शारीरिक और मानसिक घटनाएँ होती हैं।

    • Types of Delivery

      जन्म प्रक्रिया के लिए मुख्यतः दो प्रकार होते हैं: सामान्य प्रसव (vaginal delivery) और सिजेरियन प्रसव (C-section)। सामान्य प्रसव में बच्चे को प्राकृतिक तरीके से जन्म दिया जाता है जबकि सिजेरियन प्रसव में शल्य चिकित्सा के माध्यम से जन्म दिया जाता है। यह स्थिति माँ और बच्चे की स्वास्थ्य के आधार पर चुनी जाती है।

    • Physical Appearance and Capacities of the Newborn

      नवजात बच्चे का शारीरिक स्वरूप सामान्यतः छोटे होते हैं, जिनका वजन लगभग 2.5 से 4 किलोग्राम होता है। नवजात शिशु की त्वचा, आंखें और बाल विभिन्न रंगों में हो सकते हैं। उनके पास सीमित शारीरिक क्षमता होती है, लेकिन वे कुछ बुनियादी रिफ्लेक्स क्रियाओं जैसे चूसने और पकड़ने में सक्षम होते हैं।

    • Factors Affecting Prenatal Development

      गर्भकालीन विकास को प्रभावित करने वाले कई कारक होते हैं, जिनमें जनन संबंधी स्वास्थ्य, आहार, तनाव, धूम्रपान, शराब का सेवन और आनुवंशिक कारक शामिल हैं। माँ का स्वास्थ्य और जीवनशैली गर्भस्थ शिशु के विकास पर गहरा असर डालती है, इसलिए गर्भावस्था के दौरान सावधानी बरतना बहुत महत्वपूर्ण है.

  • Infancy: Developmental tasks during Infancy and Preschool Stage, Physical and Motor Development, Social and emotional development, Cognitive and language development

    Infancy: Developmental tasks during Infancy and Preschool Stage
    • Physical and Motor Development

      शिशु का शारीरिक विकास जन्म के तुरंत बाद शुरू होता है। इस दौरान शिशu की ऊँचाई, वजन, और मांसपेशियों की वृद्धि होती है। शिशु पहले पहल सिर को पकड़ना, फिर बैठना और धीरे-धीरे चलना सीखता है। यह चरण महत्वपूर्ण होता है क्योंकि ये गतिविधियाँ शारीरिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होती हैं।

    • Social and Emotional Development

      शिशु के समाजिक और भावनात्मक विकास में परिवार और देखभाल करने वाले लोगों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। शिशु प्रारंभिक सामाजिक संकेतों को समझना सीखता है, जैसे मुस्कान और रोना। यह दृष्टिकोन आत्म-सम्मान और सामाजिक संबंधों की भावना विकसित करने में सहायता करता है।

    • Cognitive and Language Development

      शिशु का संज्ञानात्मक और भाषा विकास प्रारंभिक संवाद से शुरू होता है। इस चरण में शिशु अपने चारों ओर के वातावरण के प्रति जिज्ञासु होते हैं। वे आवाजों की पहचान करते हैं और धीरे-धीरे बोलने की कोशिश करते हैं। शब्दावली का विकास और सरल वाक्यों का उपयोग करना इस चरण के महत्वपूर्ण पहलू होते हैं।

  • Early Childhood years: Developmental Tasks, Physical and Motor Development, Social and emotional development, Cognitive and language development

    Early Childhood Years: Developmental Tasks, Physical and Motor Development, Social and Emotional Development, Cognitive and Language Development
    • Developmental Tasks

      प्रारंभिक बचपन के दौरान, बच्चों को विभिन्न विकासात्मक कार्यों का सामना करना पड़ता है। इनमें आत्म-निर्भरता, सामाजिक कौशल विकसित करना, और भावनाओं को समझना शामिल है। यह चरण बच्चों को उनके भविष्य के विकास के लिए महत्वपूर्ण नींव प्रदान करता है।

    • Physical and Motor Development

      शारीरिक और मोटर विकास इस आयु वर्ग में अत्यंत महत्वपूर्ण है। बच्चों में मोटर कौशल जैसे चलना, दौड़ना, कूदना आदि का विकास होता है। साथ ही, हाथ-आँख समन्वय और छोटे मोटर कौशल जैसे लिखना, काटना, और चित्र बनाना भी विकसित होते हैं।

    • Social and Emotional Development

      सामाजिक और भावनात्मक विकास बच्चों के लिए महत्वपूर्ण है। इस चरण में बच्चे दूसरों के साथ बातचीत करते हैं, दोस्त बनाते हैं, और अपने भावनाओं को व्यक्त करना सीखते हैं। यह प्रक्रिया उनकी आत्मसम्मान और सामाजिक पहचान को आकार देती है।

    • Cognitive and Language Development

      ज्ञान और भाषा विकास बचपन के दौरान तेजी से होता है। बच्चे नए शब्द सीखते हैं, कथाएँ सुनते हैं, और सोचने की प्रक्रिया को विकसित करते हैं। यह विकास उन्हें शिक्षा के लिए तैयार करने में मदद करता है और उनकी समस्या-समाधान की क्षमताओं को बढ़ाता है.

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