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Semester 6: Dietetics and Therapeutic Nutrition
Introduction: Definition of Health Dietetics and Therapeutic Nutrition, Importance of Diet Therapy, Facts about fast foods/Junk foods, Objectives and Principles of diet therapy
Dietetics and Therapeutic Nutrition
स्वास्थ्य आहारिकी और चिकित्सीय पोषण का अर्थ है स्वास्थ्य को बनाए रखने और बीमारियों का प्रबंधन करने के लिए भोजन और पोषण की योजना बनाना।
आहार चिकित्सा का महत्व इसलिए है क्योंकि यह रोगी को सही पोषण प्रदान करके स्वास्थ्य को सुधारने और बीमारियों को रोकने में मदद करती है।
फास्ट फूड और जंक फूड आमतौर पर उच्च कैलोरी, चीनी और वसा के साथ होते हैं और उनमें पोषक तत्वों की कमी होती है। इनके अधिक सेवन से मोटापा, हृदय रोग और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
स्वास्थ्य में सुधार करना
रोगों का प्रबंधन करना
पोषण संबंधी कमी को दूर करना
व्यक्तिगत आवश्यकताओं के अनुसार आहार का चयन
संतुलित और विविध आहार
स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार विशेष आहार योजनाएँ
Diet and feeding methods: Modification of normal diets for therapeutic purposes, Methods of modification based on nutrients and consistency, Different feeding methods (Oral, Tube feeding)
Diet and feeding methods
Normal Diets and Their Modification
स्वस्थ व्यक्तियों के लिए सामान्य आहार में सभी आवश्यक पोषक तत्व शामिल होते हैं। लेकिन चिकित्सीय उद्देश्यों के लिए इस आहार को संशोधित करने की आवश्यकता होती है। यह संशोधन रोग के प्रकार, स्थिति और मरीज की ज़रूरतों के अनुसार किया जाता है।
Therapeutic Diets
चिकित्सीय आहार वे होते हैं जो विशेष रूप से किसी स्वास्थ्य समस्या के उपचार के लिए बनाए जाते हैं। इन आहारों में विशेष पोषक तत्वों की मात्रा को समायोजित किया जाता है। उदाहरण के लिए, डायबिटीज वाले व्यक्तियों के लिए कम शर्करा वाला आहार।
Modification Based on Nutrients
न्यूट्रिएंट आधारित संशोधन में हम एकाग्रता और मात्रा के अनुसार आहार को बदलते हैं। जैसे कि प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और वसा की मात्रा को ध्यान में रखते हुए आहार का चयन। यह सुनिश्चित करता है कि रोगी को उनकी आवश्यकतानुसार पोषक तत्व मिलें।
Modification Based on Consistency
किसी-किसी रोगियों को कठिनाई होती है खाने में, इसलिए आहार की स्थिरता को भी संशोधित किया जाता है। जैसे कि द्रव आहार, प्यूरीड आहार आदि। यह उन रोगियों के लिए उपयुक्त है जिन्हें चबा नहीं सकते या निगलने में कठिनाई होती है।
Feeding Methods
खुराक के तरीके दो प्रकार के होते हैं: मौखिक खुराक और ट्यूब फ़ीडिंग। मौखिक खुराक सामान्य है, जबकि ट्यूब फ़ीडिंग का उपयोग तब किया जाता है जब व्यक्ति मौखिक रूप से आहार नहीं ले सकता। ट्यूब फ़ीडिंग में नासोगेस्ट्रिक ट्यूब या पेरीटोनियल ट्यूब का उपयोग होता है।
Conclusion
आहार संशोधन और सही खुराक विधियों का चयन रोगी की स्थिति और आवश्यकता के अनुसार किया जाना चाहिए। यह महत्वपूर्ण है कि चिकित्सीय उद्देश्यों के लिए आहार योजनाबद्ध और सावधानीपूर्वक बनाया जाए।
Energy Metabolism: Calorific value of food, Measurement of energy exchange, Factors influencing Basal Metabolic Rate and total energy requirement
Energy Metabolism
खाद्य का कैलोरी मान
खाद्य का कैलोरी मान यह दर्शाता है कि एक खाद्य पदार्थ में कितनी ऊर्जा है। इसे कैलोरी में मापा जाता है। सभी खाद्य पदार्थों में सामान्यतः कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, और वसा होते हैं, जो ऊर्जा के प्रमुख स्रोत हैं।
ऊर्जा विनिमय का मापन
ऊर्जा विनिमय का मापन विभिन्न तरीकों से किया जाता है। इसमें बौद्धिक गतिविधियों, शारीरिक श्रम, एवं विभिन्न शारीरिक प्रक्रियाओं द्वारा उपभोक्त ऊर्जा की माप की जाती है। हारट और रेपिटेशन द्वारा मापन एक सामान्य तरीकों में शामिल हैं।
आधारिक चयापचय दर पर प्रभाव डालने वाले कारक
आधारिक चयापचय दर (BMR) वह न्यूनतम ऊर्जा है जो शरीर को जीवन के लिए आवश्यक प्रक्रियाओं जैसे श्वसन, पाचन, और रक्त संचार के लिए चाहिए। BMR प्रभावित होता है उम्र, लिंग, शारीरिक संरचना और स्वास्थ्य स्थितियों द्वारा।
कुल ऊर्जा आवश्यकता
कुल ऊर्जा आवश्यकता (TER) उस ऊर्जा की मात्रा है, जो किसी व्यक्ति को उनके दैनिक गतिविधियों के लिए आवश्यक होती है। यह BMR, शारीरिक गतिविधियों और थर्मोजेनेसिस से प्रभावित होती है। BMR और विभिन्न गतिविधियों को जोड़कर कुल ऊर्जा आवश्यकता का निर्धारण किया जाता है.
Diet during fevers and infections: Introduction to fever, Nutritional changes during fever, Modification of diet
Diet during fevers and infections
Introduction to Fever
बुखार हमारे शरीर में संक्रमण या बीमारी का संकेत है। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता के सक्रिय होने का संकेत है। बुखार के दौरान, शरीर का तापमान सामान्य से अधिक हो जाता है, जिससे ऊर्जा की आवश्यकताएँ बढ़ जाती हैं।
Nutritional Changes during Fever
बुखार के दौरान शरीर को ज्यादा पोषण की आवश्यकता होती है। उपापचय दर बढ़ जाती है जिससे ऊर्जा की जरूरत भी बढ़ जाती है। इस समय शरीर को हाइड्रेशन और जलयोजन का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
Modification of Diet with Reference to Fever
बुखार के दौरान आहार में कुछ परिवर्तन लाने की आवश्यकता होती है। दाल, चावल, सब्जियाँ और फलों का सेवन करना श्रेयस्कर होता है। ताजे फल और जूस पीने से हाइड्रेशन में मदद मिलती है। तेज़ मसाला और तले हुए खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए।
Diet during Digestive system disorders: Peptic ulcers, Diarrhea and Constipation – Causes, symptoms, treatment, and diet modification
Diet during Digestive system disorders: Peptic ulcers, Diarrhea and Constipation
Peptic Ulcers
पेप्टिक अल्सर एक प्रकार का घाव है जो पेट या आंत में बनता है। इसके सामान्य कारणों में बैक्टीरिया 'हेलिकोबैक्टर पायलोरी', लंबे समय तक नॉन-स्टेरॉयडल एंटी-इन्फ्लेमेटरी ड्रग्स (NSAIDs) का सेवन, तथा तनाव शामिल हैं। इसके लक्षणों में पेट दर्द, खाने के बाद जलन, और कभी-कभी उल्टी शामिल हो सकते हैं। उपचार में दवा और सही आहार की आवश्यकता होती है। आहार में मसालेदार, खराब खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए और ताजे फलों और सब्जियों का सेवन बढ़ाना चाहिए।
Diarrhea
डायरिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति को बार-बार दस्त होती है। इसका कारण अक्सर विषाणु या बैक्टीरिया से होता है। इसके लक्षणों में बार-बार बाथरूम जाना, पेट में ऐंठन, और डिहाइड्रेशन शामिल होते हैं। उपचार में तरल पदार्थों का सेवन महत्वपूर्ण होता है। आहार में चावल, केला, टोस्ट और उबली हुई सब्जियों का सेवन उचित होता है। दूध और डेयरी उत्पादों से बचना चाहिए।
Constipation
कंस्टीपेशन या कब्ज तब होता है जब व्यक्ति को कठिनाई से मल त्याग करना पड़ता है। इसके कारणों में फाइबर की कमी, निर्जलीकरण, और कम शारीरिक गतिविधि शामिल हैं। लक्षणों में पेट दर्द और मल त्याग में कठिनाई है। उपचार में फाइबर युक्त आहार और ज्यादा पानी पीना जरूरी है। फल, सब्जियां, और संपूर्ण अनाज का सेवन बढ़ाना चाहिए।
Diet Modification
पाचन तंत्र के विकारों के दौरान डाइट में संशोधन महत्वपूर्ण होता है। संतुलित आहार लेना चाहिए जिसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा का सही मिश्रण हो। प्रोबायोटिक्स, जैसे दही में फैट की मात्रा कम होनी चाहिए। इन विकारों के दौरान व्यक्तिगत आहार परिवर्तन स्वास्थ्य और स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद कर सकते हैं।
Weight Management: Overweight and Obesity cause and diet modification, Underweight causes, treatment and diet therapy
मोटापा और अधिक वजन
मोटापा और अधिक वजन तेजी से बढ़ती समस्या है। इसके मुख्य कारणों में असंतुलित आहार, गतिहीन जीवनशैली, आनुवांशिकी, और हार्मोनल परिवर्तन शामिल हैं। यह स्वास्थ्य के लिए कई खतरे पैदा कर सकता है जैसे कि मधुमेह, उच्च रक्तचाप, और हृदय रोग।
आहार में सुधार
मोटापे के प्रबंधन के लिए आहार में सुधार आवश्यक है। इसमें उच्च फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन, कम वसा और शक्कर वाले आहार का चयन, और नियमित भोजन का समय महत्वपूर्ण हैं। नियमित व्यायाम भी आवश्यक है।
अंडरवेट के कारण
अंडरवेट होने के कई कारण हो सकते हैं जैसे कि आनुवांशिकी, अत्यधिक शारीरिक गतिविधि, मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं, और पोषण की कमी। यह व्यक्तियों के लिए स्वास्थ्य संवेदनशीलता बढ़ा सकता है, जैसे कि कमजोरी और प्रतिरक्षा प्रणाली में कमी।
अंडरवेट का उपचार
अंडरवेट के उपचार में पोषण विशेषज्ञ की सलाह लेना और आहार में उन्नति करना शामिल है। हमेशा संतुलित और पौष्टिक आहार लेना चाहिए, जिसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और वसा का सही अनुपात हो।
आहार चिकित्सा
आहार चिकित्सा के अंतर्गत मरीज की आवश्यकताओं के अनुसार खाद्य पदार्थों को समायोजित करना शामिल होता है। मोटापे और अंडरवेट दोनों के मामलों में, व्यक्तिगत आहार योजनाएं बनाना और उन्हें नियमित रूप से अपडेट करना आवश्यक है।
Therapeutic Diets in Cardiac Diseases: Atherosclerosis and Hypertension causes, diet modification and meal pattern
Therapeutic Diets in Cardiac Diseases
Atherosclerosis
एथेरोस्क्लेरोसिस एक स्थिति है जिसमें धमनियों में प्लाक जमा हो जाता है। यह रक्त के प्रवाह को कम कर सकता है और दिल की बीमारियों का कारण बन सकता है। इस स्थिति के लिए कुछ महत्वपूर्ण आहार सिफारिशें हैं: संतृप्त वसा का सेवन कम करें, अधिक फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ जैसे अनाज, फल और सब्जियों का सेवन करें, ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त खाद्य पदार्थ जैसे मछली का सेवन करें।
Hypertension
हाईपरटेंशन एक सामान्य स्थिति है जो दिल की बीमारियों का एक बड़ा कारण है। इसे नियंत्रित करने के लिए आहार में कुछ परिवर्तन करना आवश्यक है। नमक का सेवन सीमित करें, पोटेशियम, मैग्नीशियम और कैल्शियम से भरपूर खाद्य पदार्थों को शामिल करें। DASH (Dietary Approaches to Stop Hypertension) आहार को अपनाना लाभकारी हो सकता है।
Diet Modification
हृदय संबंधी बीमारियों के प्रबंधन में आहार परिवर्तन महत्वपूर्ण हैं। संतुलित और पोषण से भरपूर आहार का पालन करें, जिसमें फल, सब्जियाँ, साबुत अनाज, कम वसा वाले डेयरी उत्पाद, और दुबला प्रोटीन शामिल हो। ट्रांस वसा और परिष्कृत आहार से बचें। नियमित भोजन के समय और मात्रा का ध्यान रखें।
Meal Patterns
भोजन के पैटर्न को सुधारने से हृदय स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है। छोटे और संतुलित भोजन सेवन के साथ ताजे खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन करें। साप्ताहिक योजना बनाएं ताकि संतुलित आहार का पालन किया जा सके। नाश्ता कभी न छोड़ें, और फास्ट फूड से दूर रहने की कोशिश करें।
Endocrinal Disorders: Introduction, Endocrine glands and functions, Diabetes Mellitus - types, symptoms, metabolic changes, dietary modification, patient education
Endocrinal Disorders
परिचय
अंतःस्रावी विकार शरीर में हार्मोन के असंतुलन के कारण होते हैं। ये विकार शरीर की विभिन्न गतिविधियों को प्रभावित कर सकते हैं जैसे कि मेटाबॉलिज्म, विकास और प्रजनन।
अंतःस्रावी ग्रंथियाँ और उनके कार्य
मुख्य अंतःस्रावी ग्रंथियां पिट्यूटरी, थायरॉयड, पैराथायरॉयड, अधिवृक्क, और लिंग ग्रंथियां हैं। ये ग्रंथियाँ हार्मोन का उत्पादन करती हैं जो शरीर में कई महत्वपूर्ण कार्यों को नियंत्रित करते हैं।
मधुमेह मेलिटस
यह एक सामान्य अंतःस्रावी विकार है। इसके प्रकार हैं: टाइप 1 और टाइप 2।
प्रकार
टाइप 1 मधुमेह - यह शरीर में इंसुलिन का उत्पादन नहीं होता। टाइप 2 मधुमेह - इसमें शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन का सही उपयोग नहीं करतीं।
लक्षण
मधुमेह के सामान्य लक्षण हैं - बार-बार प्यास लगना, बार-बार पेशाब आना, थकान, और वजन में कमी।
मेटाबॉलिक परिवर्तन
मधुमेह से ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है, जिससे शरीर में ऊर्जा का संकट और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
आहार में संशोधन
मधुमेह रोगियों को सख्त आहार योजना का पालन करना चाहिए जिसमें फाइबर अधिक हो और शुगर कम हो। उचित मात्रा में कार्बोहाइड्रेट का सेवन जरूरी है।
रोगी शिक्षा
मधुमेह के रोगियों को अपने स्वास्थ्य की नियमित जांच करनी चाहिए और उन्हें खानपान, व्यायाम और दवा के बारे में शिक्षा दी जानी चाहिए।
