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Semester 1: Basic Psychological Processes
Psychology: Nature, Scope and Applications; Approaches: Psychodynamic, Behavioristic, Cognitive, Humanistic & Indigenous Indian Psychology (with special reference to Shrimad Bhagwad Gita)
Psychology: Nature, Scope and Applications; Approaches: Psychodynamic, Behavioristic, Cognitive, Humanistic & Indigenous Indian Psychology
मनोविज्ञान का स्वभाव
मनोविज्ञान एक सामाजिक विज्ञान है जो मानव व्यवहार और मानसिक प्रक्रियाओं का अध्ययन करता है। यह व्यक्तियों के भीतर की भावनाओं, विचारों और क्रियाओं के संबंधों को समझने का प्रयास करता है।
मनोविज्ञान का क्षेत्र
मनोविज्ञान का क्षेत्र व्यापक है जिसमें विकासात्मक, सामाजिक, नैतिक, संज्ञानात्मक और भिन्न-भिन्न व्यवहारों का अध्ययन शामिल है। यह स्वास्थ्य, शिक्षा, व्यवसाय और अन्य क्षेत्रों में लागू किया जा सकता है।
मनोविज्ञान के अनुप्रयोग
मनोविज्ञान का उपयोग चिकित्सा, सलाहकार सेवाओं, मानव संसाधन प्रबंधन, विज्ञापन और शिक्षा में किया जाता है। यह व्यक्ति की समस्याओं को समझने और समाधान प्रदान करने में सहायक है।
मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण
मुख्य दृष्टिकोणों में मनोविश्लेषणात्मक, व्यवहारवादी, संज्ञानात्मक, मानवतावादी और स्वदेशी भारतीय मनोविज्ञान शामिल हैं।
मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण: मनोविश्लेषणात्मक
यह दृष्टिकोण मानसिक प्रक्रियाओं और अवचेतन के महत्व पर जोर देता है। इसका आधार सिग्मंड फ्रायड के सिद्धांतों पर है।
मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण: व्यवहारवादी
यह दृष्टिकोण व्यवहार के अध्ययन पर केन्द्रित है, जहां मनोवैज्ञानिक प्रक्रियाओं को पर्यावरणीय कारकों से जोड़ा जाता है।
मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण: संज्ञानात्मक
यह दृष्टिकोण विचार प्रक्रियाओं, स्मृति, ध्यान और निर्णय लेने की प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रित करता है।
मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण: मानवतावादी
यह दृष्टिकोण मानवीय अनुभवों, व्यक्तिगत विकास और आत्म-परिपूर्णता पर बल देता है।
स्वदेशी भारतीय मनोविज्ञान
भारतीय मनोविज्ञान में आत्मा, ध्यान और मानसिक कल्याण के सिद्धांत शामिल हैं। श्रीमद्भागवत गीता ने मनोवैज्ञानिक शिक्षाओं को गहराई से समझाने में मदद की है।
Attention Processes: Selective and Sustained Attention: Nature and Determinants; Perceptual Processes: Nature and Determinants; Perceptual Organization; Perceptual Illusion
Attention Processes and Perceptual Processes
Selective Attention
चयनात्मक ध्यान वह प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति विशेष जानकारी पर ध्यान केंद्रित करता है जबकि अन्य जानकारियों को नजरअंदाज करता है। यह क्रिया हमें महत्वपूर्ण संकेतों को पहचानने और प्रतिक्रिया देने में मदद करती है। इसके निर्धारकों में व्यक्ति की आवश्यकताएं, उद्दीपन और पूर्व ज्ञान शामिल होते हैं।
Sustained Attention
स्थायी ध्यान की प्रक्रिया में व्यक्ति लंबी अवधि तक किसी कार्य पर ध्यान केंद्रित करता है। यह आवश्यक है जब कार्य की जटिलता अधिक हो और निरंतर ध्यान आवश्यक हो। इसके निर्धारक कारकों में थकान, कार्य का स्वभाव और व्यक्ति की मानसिक स्थिति शामिल होती है।
Perceptual Processes
धारणा प्रक्रियाएं वह तरीके हैं जिनके माध्यम से हम अपने चारों ओर की दुनिया का अनुभव करते हैं। यह हमें संवेदी सूचनाओं को संसाधित करने और अर्थ देने की अनुमति देती हैं। इसके निर्धारक कारक सांस्कृतिक संदर्भ, पूर्व अनुभव और संवेदी क्षमताएं हैं।
Perceptual Organization
धारणा संगठन में संवेदी सूचनाओं का व्यवस्थित और अर्थपूर्ण रूपों में प्रस्तुत किया जाता है। इसमें विभिन्न तत्वों के बीच संबंधों को समझना और उन्हें एकीकृत करना शामिल है। यह गुणात्मक अदृश्य तत्वों को उल्लेखित करता है जिनमें समानता, निकटता और निरंतरता शामिल हैं।
Perceptual Illusions
धारणा भ्रांतियां तब होती हैं जब हमारे संवेदी अनुभव वास्तविकता के विपरीत होते हैं। ये भ्रांतियां हमें संकेत देती हैं कि हमारी धारणा हमेशा सटीक नहीं होती। यह मनोवैज्ञानिक प्रक्रियाओं की जटिलता को उजागर करती हैं और हमें संवेदी जानकारी के प्रति सतर्क रहने की आवश्यकता का एहसास कराती हैं।
Learning: Classical Conditioning, Operant Conditioning: Methods and Procedures
शिक्षण: शास्त्रीय शर्तबंदी, संचालकीय शर्तबंदी: विधियाँ और प्रक्रियाएँ
शास्त्रीय शर्तबंदी
शास्त्रीय शर्तबंदी एक प्रयोगात्मक प्रक्रिया है जिसमें एक तटस्थ उत्तेजना को एक अनपेक्षित उत्तेजना के साथ जोड़ा जाता है। उदाहरण के लिए, एक कुत्ते को भोजन देते समय घंटी बजाने पर कुत्ता घंटी की आवाज सुनकर स saliva का स्राव करना शुरू कर देता है।
संचालकीय शर्तबंदी
संचालकीय शर्तबंदी तब होती है जब व्यवहार के परिणामों के आधार पर उस व्यवहार की संभावना को बढ़ाया या घटाया जाता है। यह सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार के पुरस्कारों के माध्यम से किया जा सकता है।
शास्त्रीय शर्तबंदी की विधियाँ
शास्त्रीय शर्तबंदी में मुख्य रूप से जोड़े जाने वाली उत्तेजनाओं का चयन करना, समयबद्धता, और गति शामिल है। अधिकतर शोधों में उत्तेजनाओं के बीच के समय का महत्वपूर्ण योगदान होता है।
संचालकीय शर्तबंदी की विधियाँ
संचालकीय शर्तबंदी के तहत, खिलौने, पुरस्कार, या दंड का उपयोग किया जाता है। इसमें रेखीय और नॉन-लाइनियर पुरस्कार प्रणाली का अनुसंधान होता है।
शिक्षण की प्रक्रिया
शिक्षण की प्रक्रिया में शर्तबंदी के विभिन्न प्रकारों का उपयोग किया जाता है। यह शर्तबंदी के सिद्धांतों के अनुप्रयोग को रेखांकित करता है।
व्यवहार में परिवर्तन
शास्त्रीय और संचालकीय शर्तबंदी दोनों ही व्यवहार में परिवर्तन लाने के लिए प्रभावी तरीके हैं। ये मनोवैज्ञानिक प्रक्रियाओं के अध्ययन में महत्वपूर्ण हैं।
Memory and Forgetting: Stages of Memory: Encoding, Storage and Retrieval; Types of Memory: Sensory, Short Term and Long Term Memory (Basic Introduction); Forgetting: Interference and Cue-Dependent Forgetting (Basic Introduction)
Memory and Forgetting
Memory
याद्दाश्त मनुष्य की सोचने की प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसमें तीन मुख्य चरण हैं: इनकोडिंग, भंडारण और पुनःप्राप्ति।
Stages of Memory
1. इनकोडिंग: जानकारी को समझने और उसे याद करने के लिए जरूरी प्रक्रियाओं का समूह। 2. भंडारण: जानकारी को एकत्रित करके लंबे समय तक याद रखने की प्रक्रिया। 3. पुनःप्राप्ति: याद की गई जानकारी को पुनः सक्रिय करना और उपयोग करना।
Types of Memory
1. संवेदी याद्दाश्त: यह अत्यंत तात्कालिक और अल्पकालिक प्रक्रिया है जो बाहरी वातावरण से त्वरित जानकारी को कैद करती है। 2. छोटे अवधि की याद्दाश्त: यह जानकारी को थोड़े समय के लिए याद रखने की सुविधा प्रदान करती है। 3. लंबे अवधि की याद्दाश्त: यह जानकारियों को लंबे समय तक याद रखने में सक्षम होती है।
Forgetting
याद्दाश्त से जानकारी का खो जाना भूलने के रूप में जाना जाता है। इसमें दो मुख्य कारण होते हैं: हस्तक्षेप और संकेत-निर्भर भूला देना।
Interference
जब पिछले या नए ज्ञान की वजह से जानकारी की पुनःप्राप्ति में बाधा आती है, तब इसे हस्तक्षेप कहा जाता है। यह दो प्रकार का होता है: पिछले हस्तक्षेप और भविष्य का हस्तक्षेप।
Cue-Dependent Forgetting
कई बार, जानकारी को पुनः प्राप्त करने के लिए उचित संकेतों की कमी के कारण यह खो जाती है। जब आवश्यक संकेत मौजूद नहीं होते, तो याद्दाश्त असफल होती है।
Intelligence: Nature and Definition; Concept of IQ; Theories of Intelligence (Introduction of Basic Concepts): Spearman, Guilford, and Sternberg
Intelligence: Nature and Definition; Concept of IQ; Theories of Intelligence
Intelligence: Nature and Definition
बुद्धिमत्ता मानव का एक ऐसा गुण है जो उसके विचार करने, समस्या समाधान करने और सीखने की क्षमता को दर्शाता है। बुद्धिमत्ता केवल ज्ञान की मात्रा नहीं होती, बल्कि यह एक व्यक्ति के सोचने और समझने के तरीके को भी दर्शाती है।
Concept of IQ
IQ या इंटेलिजेंस कोशिएंट, बुद्धिमत्ता के माप के लिए उपयोग किया जाने वाला एक मानक है। इसे विभिन्न परीक्षणों के माध्यम से मापा जाता है। IQ स्कोर एक व्यक्ति की अपेक्षाकृत बुद्धिमत्ता का अवलोकन करता है।
Theories of Intelligence
बुद्धिमत्ता के विभिन्न सिद्धांत हैं जो इसे विभिन्न दृष्टिकोणों से समझाते हैं।
Spearman's Theory
स्पीयरमैन ने 'जी' कारक की अवधारणा प्रस्तुत की, जो सामान्य बुद्धिमत्ता को संदर्भित करता है। उन्होंने यह तर्क किया कि सभी प्रकार की बुद्धिमत्ता एक सामान्य कारक पर निर्भर करती हैं।
Guilford's Theory
गिलफोर्ड ने बुद्धिमत्ता को 120 से अधिक अलग-अलग क्षमताओं में विभाजित किया। उन्होंने यह वर्णन किया कि ये क्षमताएँ तीन प्रकार के प्रोसेस, सामग्री और उत्पाद पर आधारित होती हैं।
Sternberg's Theory
स्टर्नबर्ग ने त्रिआयामी सिद्धांत प्रस्तुत किया जिसमें analytical, creative, और practical बुद्धिमत्ता शामिल हैं। यह सिद्धांत बताता है कि बुद्धिमत्ता एक समग्र प्रक्रिया है जो विभिन्न स्थितियों में कार्य करने में मदद करती है।
Personality: Definition and Determinants; Approach of Personality (Basic Concepts): Trait approaches (Allport and Cattell)
व्यक्तित्व: परिभाषा और निर्धारण; व्यक्तित्व का दृष्टिकोण (मूल अवधारणाएँ): विशेषता दृष्टिकोण (Allport और Cattell)
व्यक्तित्व की परिभाषा
व्यक्तित्व किसी व्यक्ति के विचारों, भावनाओं और व्यवहारों का समुच्चय है। यह व्यक्ति की विशिष्टता और व्यक्तिगत विशेषताओं को दर्शाता है। व्यक्तित्व का विकास जीवन के अनुभवों, आचार-व्यवहार, और सामाजिक वातावरण से प्रभावित होता है।
व्यक्तित्व के निर्धारण कारक
व्यक्तित्व के कई निर्धारण कारक होते हैं, जैसे- आनुवंशिकी, पर्यावरण, सामाजिक संस्कृति, और व्यक्तिगत अनुभव। आनुवंशिकी व्यक्ति के व्यवहार के मूल सिद्धांत निर्धारित करता है, जबकि पर्यावरण और संस्कृति बाहरी कारक होते हैं जो व्यक्तित्व के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
व्यक्तित्व के दृष्टिकोण
व्यक्तित्व के अध्ययन में विभिन्न दृष्टिकोण होते हैं, जिनमें प्रमुख हैं- विशेषता दृष्टिकोण।
विशेषता दृष्टिकोण
विशेषता दृष्टिकोण व्यक्तित्व को व्यक्तित्व विशेषताओं के सेट के रूप में देखता है। इसमें Allport और Cattell जैसे मनोवैज्ञानिकों का योगदान महत्वपूर्ण है।
Allport का दृष्टिकोण
Gordon Allport ने व्यक्तित्व को विशेषता - विशेषताओं के संयोजन के रूप में परिभाषित किया। उनका मानना था कि प्रत्येक व्यक्ति की विशेषताएँ अनोखी होती हैं और ये उनके व्यवहार और सोचने के तरीके को प्रभावित करती हैं।
Cattell का दृष्टिकोण
Raymond Cattell ने व्यक्तित्व के अध्ययन के लिए तथ्यात्मक विश्लेषण का उपयोग किया और व्यक्तित्व के 16 मुख्य कारकों की पहचान की। उन्होंने व्यक्तिगत विशेषताओं को मापन करने के लिए कई परीक्षणों का विकास किया।
Motivation: Nature and Concept (Needs, Drives, Instincts); Types of Motives: Biological and Social Motives
Motivation: Nature and Concept (Needs, Drives, Instincts); Types of Motives: Biological and Social Motives
प्रेरणा का स्वभाव और अवधारणा
प्रेरणा एक मनोवैज्ञानिक प्रभाव है जो किसी व्यक्ति को कोई कार्य करने के लिए प्रेरित करता है। यह आवश्यकताओं, इच्छाओं और अंतर्जातियों पर आधारित होती है। प्रेरणा का मुख्य उद्देश्य किसी लक्ष्य को प्राप्त करना है।
आवश्यकताएँ
आवश्यकताएँ मानव व्यवहार का मुख्य प्रेरक तत्व होती हैं। इन्हें दो प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है: प्राथमिक आवश्यकताएँ (जैसे भोजन, पानी, सहनशीलता) और sekundary आवश्यकताएँ (जैसे ज्ञान, प्रतिष्ठा, प्रेम)।
प्रेरक (Drives)
प्रेरक व्यवहार को सक्रिय करते हैं और इन्हें भी आवश्यकताओं से जोड़ा जा सकता है। उदाहरण के लिए, भूख एक प्रेरक है जो भोजन की खोज के लिए प्रेरित करता है।
सम instinct
इंसान के व्यवहार में अंतर्जातीय प्रभाव भी महत्वपूर्ण होते हैं। यह स्वाभाविक प्रवृत्तियाँ होती हैं जो व्यक्ति के व्यवहार को संचालित करती हैं, जैसे कि सुरक्षा की प्रवृत्ति।
प्रेरणाओं के प्रकार
प्रेरणाएँ मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं: जैविक प्रेरणाएँ और सामाजिक प्रेरणाएँ। जैविक प्रेरणाएँ शारीरिक आवश्यकताओं से संबंधित होती हैं, जबकि सामाजिक प्रेरणाएँ सामाजिक संबंधों और मानवीय इरादों पर निर्भर करती हैं।
जैविक प्रेरणाएँ
जैविक प्रेरणाएँ मानव जीवन के लिए आवश्यक हैं, जैसे कि भोजन, पानी, नींद और प्रजनन। ये प्रेरणाएँ जीवन को संरक्षित करने में मदद करती हैं।
सामाजिक प्रेरणाएँ
सामाजिक प्रेरणाएँ मानव के सामाजिक जीवन और संबंधों से जुड़ी होती हैं। इनमें प्रेम, दोस्ती, सम्मान और समाज में मान्यता पाना शामिल है।
Emotion: Nature of Emotion; Basic Emotions; Theories of Emotion: James-Lange, Cannon-Bard, Schachter-Singer
Emotion: Nature of Emotion; Basic Emotions; Theories of Emotion: James-Lange, Cannon-Bard, Schachter-Singer
Emotion का स्वभाव
भावना एक मानसिक स्थिति है जो व्यक्ति को किसी घटना या अनुभव के प्रति प्रतिक्रिया करने के लिए प्रेरित करती है। ये प्रतिक्रियाएँ शारीरिक, मनोवैज्ञानिक, और सामाजिक हो सकती हैं। भावनाएँ हमारे कार्यों और निर्णयों को प्रभावित करती हैं।
मूल भावनाएँ
मूल भावनाएँ वे हैं जो मानव अनुभव का आधार बनाती हैं। प्रमुख मूल भावनाएँ हैं: खुशी, दुःख, डर, गुस्सा, आश्चर्य और घृणा। ये भावनाएँ स्वाभाविक होती हैं और विभिन्न सांस्कृतिक संदर्भों में समानता दिखाती हैं।
James-Lange सिद्धांत
James-Lange सिद्धांत के अनुसार, भावना का अनुभव तब होता है जब शारीरिक प्रतिक्रिया होती है। उदाहरण के लिए, यदि आप डर जाते हैं, तो आपका दिल तेजी से धड़कता है, और इसी शारीरिक प्रतिक्रिया के आधार पर आप डर को महसूस करते हैं।
Cannon-Bard सिद्धांत
Cannon-Bard सिद्धांत का कहना है कि शारीरिक प्रतिक्रिया और भावना का अनुभव एक साथ होते हैं। जब कोई घटना होती है, तो मस्तिष्क दोनों रूपों में प्रतिक्रिया करता है, जिससे हम भावना को महसूस करते हैं और शारीरिक परिवर्तन भी होते हैं।
Schachter-Singer सिद्धांत
Schachter-Singer सिद्धांत को द्वि-कारक सिद्धांत भी कहा जाता है। यह कहता है कि भावना को अनुभव करने के लिए एक शारीरिक प्रतिक्रिया और उसके संदर्भ की पहचान आवश्यक है। भावना की पहचान शारीरिक स्थिति के साथ-साथ स्थिति की व्याख्या पर निर्भर करती है।
