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Semester 1: Differential Calculus and Integral Calculus

  • Introduction to Indian ancient Mathematics and Mathematicians

    Introduction to Indian ancient Mathematics and Mathematicians
    • भारतीय प्राचीन गणित का परिचय

      भारतीय प्राचीन गणित का इतिहास बहुत समृद्ध है। इसमें गणना, अंकगणित, ज्यामिति, और त्रिकोणमिति जैसे विषय शामिल हैं। भारतीय गणितज्ञों ने शून्य का अविष्कार किया और दशमलव प्रणाली को विकसित किया। यह प्रारंभिक गणित कार्यों की नींव बन गया।

    • प्रमुख गणितज्ञ और उनके योगदान

      भारतीय गणितज्ञों में आर्यभट, वराहमिहिर, और भास्कराचार्य शामिल हैं। आर्यभट ने अपनी पुस्तक आर्यभटीय में गणित और खगोल विज्ञान के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की। वराहमिहिर ने बुधज्योतिष में योगदान दिया और भास्कराचार्य ने सिद्धांत शिरोमणि में गणित के मूल सिद्धांतों पर काम किया।

    • गणितीय विधियाँ और प्रश्नों का समाधान

      भारतीय गणितज्ञों ने कई प्रकार की गणितीय विधियाँ विकसित कीं। उन्होंने संख्याओं की पहचान की, समीकरणों को हल किया, और क्षेत्रफल और आयतन की गणना की। इन गणनाओं ने विज्ञान और इंजीनियरिंग के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

    • शून्य और दशमलव प्रणाली का महत्व

      भारतीय गणितज्ञों ने शून्य के उपयोग को विकसित किया, जो कि गणित में क्रांतिकारी था। इसने गणितीय हलकों में नई संभावनाओं को जन्म दिया। दशमलव प्रणाली के प्रयोग ने संख्याओं को व्यक्त करने और गणनाओं में सुधार करने में मदद की।

    • गणित का सांस्कृतिक प्रभाव

      भारतीय गणित ने न केवल गणित के विकास में योगदान दिया बल्कि भारतीय संस्कृति पर भी प्रभाव डाला। गणितीय अवधारणाएँ और सिद्धांत वास्तुकला, संगीत और कला के विभिन्न रूपों में पाए जाते हैं।

  • Definition of a sequence, theorems on limits of sequences, bounded and monotonic sequences, Cauchy's convergence criterion, Cauchy sequence, limit superior and limit inferior of a sequence, subsequence

    संक्रमण की परिभाषा, अनुक्रम के सिमांत के प्रमेय, सीमाबद्ध और मोनोटोनिक अनुक्रम, कौचि की संकुचन मानदंड, कौचि अनुक्रम, अनुक्रम का सीमा सुपरियर और सीमा इन्फेरियर, उपअनुक्रम
    • संक्रमण की परिभाषा

      अनुक्रम एक संख्या की अभिलिखित श्रृंखला होती है। इसे a1, a2, a3, ... के रूप में दर्शाया जाता है, जहां n एक सकारात्मक पूर्णांक है। अनुक्रम के तत्वों को सामान्यतः n के अनुसार क्रमबद्ध किया जाता है।

    • अनुक्रम के सिमांत के प्रमेय

      यदि एक अनुक्रम का सिमांत L है, तो प्रत्येक ε > 0 के लिए एक पूर्णांक N होता है, ताकि n > N के लिए |an - L| < ε।

    • सीमाबद्ध अनुक्रम

      एक अनुक्रम को सीमाबद्ध कहते हैं यदि कोई वास्तविक संख्या M होती है, जिसके लिए |an| ≤ M सभी n के लिए।

    • मोनोटोनिक अनुक्रम

      एक अनुक्रम मोनोटोनिक होता है यदि या तो यह हमेशा बढ़ता है (an+1 >= an) या हमेशा घटता है (an+1 <= an)।

    • कौचि की संकुचन मानदंड

      एक अनुक्रम कौचि अनुक्रम होता है यदि हर ε > 0 के लिए एक पूर्णांक N होता है, ताकि सभी n,m > N के लिए |an - am| < ε।

    • कौचि अनुक्रम

      कौचि अनुक्रम वह अनुक्रम होता है जिसमें अनुक्रम के सदस्यों की दूरी एक निश्चित सीमा के भीतर होती है।

    • अनुक्रम का सीमा सुपरियर और सीमा इन्फेरियर

      सीमा सुपरियर (lim sup) एक अनुक्रम का सबसे बड़ा सिमांत होता है, जबकि सीमा इन्फेरियर (lim inf) सबसे छोटा सिमांत होता है।

    • उपअनुक्रम

      उपअनुक्रम किसी अनुक्रम का एक अनुक्रम होता है, जो मूल अनुक्रम के तत्वों को उनके क्रम में ही चुनता है।

  • Series of non-negative terms, convergence and divergence, Comparison tests, Cauchy's integral test, Ratio tests, Root test, Raabe's logarithmic test, de Morgan and Bertrand's tests, alternating series, Leibnitz's theorem, absolute and conditional convergence

    गैर-नकारात्मक पदों की श्रंखला, संकुचन और फैलाव, तुलना परीक्षण, काउची का समाकलन परीक्षण, अनुपात परीक्षण, मूल परीक्षण, राबे का लघुगणकीय परीक्षण, देव मॉर्गन और बर्ट्रेंड के परीक्षण, वैकल्पिक श्रंखलाएँ, लिबनिट्ज का सिद्धांत, पूर्ण और शर्तीय संकुचन
    गैर-नकारात्मक पदों की श्रंखला वह श्रंखला होती है जिसमें सभी पद शून्य या सकारात्मक होते हैं। इस श्रंखला का अध्ययन करते समय हमें इसके संकुचन और फैलाव के बारे में समझना आवश्यक है।
    यदि एक श्रंखला का मान एक निश्चित तत्व के निकट पहुँचता है, तो उसे संकुचन कहा जाता है। यदि यह तत्व तक नहीं पहुँचता है और अनंत तक बढ़ता है, तो उसे फैलाव कहा जाता है।
    तुलना परीक्षण का उपयोग यह निर्धारित करने के लिए किया जाता है कि क्या कोई श्रंखला संकुचित है या फैल गई है। हम किसी अन्य ज्ञात श्रंखला के साथ उसकी तुलना करते हैं।
    काउची परीक्षण यह निर्धारित करने का एक तरीका है कि एक श्रंखला संकुचित है या नहीं। यदि एक श्रंखला का सभी उपपद काउची की कंडीशन को पूरा करते हैं, तो वह संकुचिता दर्शाता है।
    अनुपात परीक्षण में किसी भी श्रंखला के समुच्चय के अनुक्रम के हर एक पद का अगली पद के तुलना में अनुपात निकाला जाता है। यदि अनुपात एक निश्चित मान से कम होता है, तो श्रंखला संकुचिता दर्शाती है।
    मूल परीक्षण किसी श्रंखला के मूल के परीक्षण के लिए प्रयोग किया जाता है। यदि श्रंखला के पदों का मूल $n^{th}$ तत्व के रूप में एक निश्चित मान के निकट पहुँच जाता है, तो श्रंखला संकुचिता दर्शाती है।
    राबे का लघुगणकीय परीक्षण यह निर्धारित करने का एक तरीका है कि किसी श्रंखला का लघुगणक उसकी संकुचिता को दर्शाता है।
    देव मॉर्गन के परीक्षण का उपयोग संकुचन की स्थिति में किया जाता है, जिसमें यह निर्धारित किया जाता है कि यदि कोई श्रंखला संकुचिता दर्शाती है या नहीं।
    बर्ट्रेंड का परीक्षण एक प्रकार का तुलना परीक्षण है, जिसका उपयोग यह निर्धारित करने के लिए किया जाता है कि यदि श्रंखला संकुचिता दर्शाती है।
    वैकल्पिक श्रंखलाएँ वे होती हैं जिनमें पद एक दूसरे के विपरीत संकेत के होते हैं (जैसे सकारात्मक और नकारात्मक)।
    लिबनिट्ज का सिद्धांत यह निर्धारित करने का तरीका है कि कोई वैकल्पिक श्रंखला संकुचिता दर्शाती है या नहीं। यदि श्रंखला के पद घटते हैं और शून्य की ओर बढ़ते हैं, तो श्रंखला संकुचिता दर्शाती है।
    पूर्ण संकुचन तब होता है जब एक श्रंखला पूरी तरह से संकुचित होती है, जबकि शर्तीय संकुचन तब होता है जब एक श्रंखला वैकल्पिक रूप से संकुचित होती है।
  • Limit, continuity and differentiability of function of single variable, Cauchy’s definition, Heine’s definition, equivalence of definition of Cauchy’s and Heine’s, Uniform continuity, Borel’s theorem, boundedness theorem, Bolzano’s theorem, Intermediate value theorem, Extreme value theorem, Darboux's intermediate value theorem for derivatives, Chain rule, indeterminate forms

    Limit, continuity and differentiability of function of single variable
    • Limit

      एक संख्या के निकटता में किसी फ़ंक्शन के मान की प्रवृत्ति को सीमा कहा जाता है। यदी x एक चर है और f(x) एक फ़ंक्शन है, तो हम कहते हैं कि f(x) की सीमा L है जब x क़ी कोई समीपवर्ती बिंदु a के निकट पहुँचता है।

    • Continuity

      जब एक फ़ंक्शन का मान और उसकी सीमा एक ही बिंदु पर समान होती है, तो उस फ़ंक्शन को निरंतर कहा जाता है। यदि f(a) = limit f(x) जब x -> a, तो f(x) निरंतर है।

    • Differentiability

      एक फ़ंक्शन की विवेचना P(x) की दर को उसके x के गुणांक के अनुसार मापा जाता है और इसे उस बिंदु पर फ़ंक्शन के अवकल (derivative) के रूप में जाना जाता है। यदि f'(x) अस्तित्व में है, तो फंक्शन differentiable है।

  • Rolle’s theorem, Lagrange and Cauchy Mean value theorems, mean value theorems of higher order, Taylor's theorem with various forms of remainders, Successive differentiation, Leibnitz theorem, Maclaurin’s and Taylor’s series, Partial differentiation, Euler’s theorem on homogeneous function

    Differential Calculus and Integral Calculus
    • Rolle's Theorem

      रोल का प्रमेय एक महत्वपूर्ण प्रमेय है जो कहता है कि यदि कोई निरंतर कार्यस्थल पर सीमित होता है और उसके दो बिंदु पर समान मान होते हैं, तो उनके बीच में एक ऐसी बिंदु होगी जहाँ कार्यस्थल का व्युत्पन्न (derivative) शून्य होगा।

    • Lagrange Mean Value Theorem

      लाग्रेंज का माध्य मान प्रमेय यह कहता है कि यदि कोई कार्यस्थल निरंतर और लघुतम था, तो किसी संदृश्त बिंदु पर व्युत्पन्न का मान उसके अंत बिंदुओं के कार्यस्थल के अंतर से अनुपातित होगा।

    • Cauchy Mean Value Theorem

      कौशी का माध्य मान प्रमेय, दो कार्यस्थलों के लिए, यह कहता है कि यदि कार्यस्थल दोनों अंतराल पर निरंतर और भिन्न हैं, तो एक ऐसी बिंदु होगी जहाँ पहला कार्यस्थल का व्युत्पन्न और दूसरा कार्यस्थल का व्युत्पन्न व्यापारिक अनुपात होगा।

    • Mean Value Theorems of Higher Order

      उच्च क्रम के माध्य मान प्रमेय ऐसे प्रमेय हैं जहाँ व्युत्पन्न की उच्चतम संख्या का उपयोग करके कार्यस्थल के मान का आकलन किया जा सकता है।

    • Taylor's Theorem

      टेलर का प्रमेय कहता है कि कोई कार्यस्थल को उसके व्युत्पन्नों के एक अनंत श्रृंखला के रूप में व्यक्त किया जा सकता है। यह कार्यस्थल के मान की तात्कालिक जानकारी को उपयोग में लेकर कार्यस्थल के मान का आसन्न आकलन प्रदान करता है।

    • Successive Differentiation

      सन्निहित अवकलन वह प्रक्रिया है जिसमें हम किसी कार्यस्थल के व्युत्पन्न को पुनरावृत्ति से प्राप्त करते हैं। इसका उपयोग बिभिन्न गणितीय समस्याओं को हल करने में किया जाता है।

    • Leibnitz Theorem

      लेबनिट्ज का प्रमेय एक सूत्र प्रदान करता है जो एक गुणन के व्युत्पन्न को निकालने में मदद करता है।

    • Maclaurin's and Taylor's Series

      मैकोलरोन श्रृंखला टेलर श्रृंखला का एक विशेष मामला है जहाँ कार्यस्थल का मान उसके केंद्र बिंदु पर है।

    • Partial Differentiation

      आंशिक अवकलन की प्रक्रिया में हम दृश्यमान कार्यस्थल के बहुत भिन्न रूपों को स्थापित करते हैं।

    • Euler's Theorem on Homogeneous Functions

      यूलर का प्रमेय विशेष रूप से समरूप कार्यस्थलों के लिए लागू होता है और यह कहता है कि समरूप कार्यस्थल का व्युत्पन्न उसकी अंशों के अनुपात से मिलता है।

  • Tangent and normal, Asymptotes, Curvature, Envelops and evolutes, Tests for concavity and convexity, Points of inflexion, Multiple points, Parametric representation of curves and tracing of parametric curves, Tracing of curves in Cartesian and Polar forms

    Differential Calculus and Integral Calculus
    • Tangent and Normal

      एक वक्र पर किसी भी बिंदु पर टेंजेंट उस बिंदु पर वक्र के लिए सबसे अच्छा सीधा रेखा है। सामान्य वह रेखा है जो टेंजेंट को समकोण पर काटती है।

    • Asymptotes

      असीमित रेखाएँ हैं जो किसी वक्र के निकट होती हैं लेकिन कभी भी इसे छूती नहीं हैं। यह क्षैतिज, ऊर्ध्वाधर या तिरछी हो सकती हैं।

    • Curvature

      कर्वचर एक माप है जो यह बताता है कि एक वक्र कितनी जल्दी बदल रहा है। इसे एक बिंदु पर वक्रता के व्यास के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।

    • Envelopes and Evolutes

      एन्वेलप एक प्रकार का वक्र है जो परिवार के वक्रों को स्पर्श करता है। एवोल्यूट एक वक्र का ट्रेस होता है जो उसके टेंजेंट के अंतर्गत स्थित होता है।

    • Tests for Concavity and Convexity

      किसी वक्र का अवतल (Concave) या उत्तल (Convex) होना द्वितीय व्युत्पत्ति की जांच द्वारा तय होता है। यदि द्वितीय व्युत्पत्ति सकारात्मक है, तो वक्र उत्तल है, और यदि नकारात्मक है, तो अवतल है।

    • Points of Inflexion

      इन्फ्लेक्शन पॉइंट्स वे बिंदु होते हैं जहाँ वक्र की अवतलता और उत्तलता बदलती है। इसके लिए द्वितीय व्युत्पत्ति शून्य होनी चाहिए।

    • Multiple Points

      एक वक्र पर अधिकतम एकाधिक बिंदु वे स्थान होते हैं जहाँ वक्र खुद को काटता है। इसके लिए आवश्यक है कि वक्र के समीकरणों को हल किया जाए।

    • Parametric Representation of Curves

      कर्व्स का पैरामीट्रिक उद्धरण एक या अधिक विमाओं में पैरामीटर का उपयोग करके किया जाता है। यह समीकरणों का एक सेट होता है।

    • Tracing of Parametric Curves

      पैरामीट्रिक वक्रों का ट्रेसिंग पैरामीट्रिक समीकरणों का अध्ययन करके किया जाता है, जिसमें टेंजेंट और सामान्यों का विश्लेषण किया जाता है।

    • Tracing of Curves in Cartesian and Polar Forms

      कार्टेशियन फॉर्म में वक्रों का ट्रेसिंग x और y के रूप में किया जाता है, जबकि ध्रुवीय रूप में, वक्रों का एक निश्चित कोण से माप किया जाता है।

  • Definite integrals as limit of the sum, Riemann integral, Integrability of continuous and monotonic functions, Fundamental theorem of integral calculus, Mean value theorems of integral calculus, Differentiation under the sign of Integration

    Definite Integrals as Limit of the Sum
    • परिभाषा

      किसी निरंतर कार्य f(x) के लिए, निश्चित积分 को कूल क्षेत्र के रूप में परिभाषित किया जाता है। इसे समता के सीमा के रूप में लिखा जा सकता है।

    • Riemann Integral

      Riemann Integral की अवधारणा में, समता Riemann समों के सीमा के रूप में व्यक्त की जाती है। यह गणना के सुविधाजनक ढंग का उपयोग करती है।

    • किसी कार्य की Integrability

      एक कार्य एक निश्चित अंतरे पर अविभाज्य है यदि उसके लिए Riemann Integral अस्तित्व में है। निरंतर या मोनोटोनिक कार्य हमेशा Integrable होते हैं।

    • Fundamental Theorem of Integral Calculus

      यह प्रमेय बताता है कि असामान्यताएँ एकांत में भी कार्य के अवकलन और समाकलन के रूप में परस्पर सम्बन्धित हैं।

    • Mean Value Theorem

      Mean Value Theorem of Integral Calculus का आशय है कि अगर कार्य एक निश्चित अंतराल में निरंतर है, तो उसके पार्श्व का औसत मान उसकी किसी विशेष बिंदु पर पहुँचता है।

    • Integration के संकेत के तहत अवकलन

      Integration के संकेत के तहत अवकलन की विधियों का उपयोग करते हुए, कुछ विशेष समस्याओं को हल किया जा सकता है। यह तकनीक अत्यधिक उपयोगी है।

  • Improper integrals, their classification and convergence, Comparison test, μ-test, Abel's test, Dirichlet's test, quotient test, Beta and Gamma functions

    अपूर्ण गुणांक
    • अपूर्ण गुणांक की परिभाषा

      अपूर्ण गुणांक वे गुणांक होते हैं जिनमें संपूर्ण गणना नहीं होती। इनका उपयोग उन समस्याओं में किया जाता है जहां सीमाएँ असीमित होती हैं या समीकरण की सीमाएँ लेखन की समस्याओं के कारण समाप्‍त नहीं होती। ऐसे गुणांक विभिन्न रूपों में हो सकते हैं, जैसे कि 0 से लेकर अनंत तक।

    • अपूर्ण गुणांक का वर्गीकरण

      अपूर्ण गुणांक को मुख्य रूप से दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है: 1. अनंत सीमाओं वाले गुणांक 2. अनंत विशेषताओं वाले गुणांक। इसके अलावा, असीम समाकलन भी विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं, जैसे कि प्रकार I और प्रकार II के असीम समाकलन।

    • समागम की अवधारणा

      गुणांक के समागम की अवधारणा ही यह बताती है कि यदि आप апूर्ण गुणांक को किसी सीमा तक पहुंचाते हैं, तो क्या उसका परिणाम एक निश्चित संख्या तक पहुंचता है या नहीं। यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे यह निर्धारित करने में मदद मिलती है कि एक गुणांक को हल किया जा सकता है या नहीं।

    • तुलना परीक्षण

      तुलना परीक्षण एक विधि है जिसका उपयोग यह निर्धारित करने के लिए किया जाता है कि क्या एक असीम गुणांक ज्ञात गुणांक के साथ समानता रखता है। यदि दो गुणांक एक दूसरे के साथ तुलना किए जा सकते हैं, तो उनकी सच्चाई एक दूसरे के सापेक्ष का उपयोग कर सकती है।

    • μ-परीक्षण

      μ-परीक्षण एक अन्य विधि है जिसका उपयोग गुणांक के समागम की स्थितियों के विश्लेषण के लिए किया जाता है। यह परीक्षण असीम गुणांक के समागम के लिए एक माप प्रदान करता है, जो असीम रूपों के साथ सम्बन्धित नहीं होता।

    • एबेल की परीक्षा

      एबेल का परीक्षण किसी भी असीम गुणांक के मूल्य तय कर सकता है। यह इस परीक्षण के साथ संबंधित एक सीधा गुणांक का उपयोग करता है जिससे माप का फैसला किया जा सकता है।

    • डाइरिचलेट की परीक्षा

      डाइरिचलेट का परीक्षण दो गुणांकों के समागम की पुष्टि करता है। यह असीम गुणांक के सापेक्ष क्रियाशीलता को खोजने के लिए उपयोगी होता है।

    • मिश्रण परीक्षण

      मिश्रण परीक्षण का उपयोग जब कई असीम गुणांक एक साथ काम करते हैं तब किया जाता है। यह जटिल गुणांक के समागम के बारे में परिणामों को स्पष्ट करता है।

    • बीटा और गामा फंक्शन

      बीटा और गामा फंक्शन गणित में महत्वपूर्ण पदार्थ हैं। गामा फंक्शन को एक विस्तारित गुणांक के रूप में देखा जाता है, जबकि बीटा फंक्शन का उपयोग विभिन्न गुणांक में किया जाता है। दोनों फंक्शन असीम गुणांकों के विश्लेषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

  • Rectification, Volumes and Surfaces of Solid of revolution, Pappu’s theorem, Multiple integrals, change of order of double integration, Dirichlet’s theorem, Liouville’s theorem for multiple integrals

    Rectification, Volumes and Surfaces of Solid of revolution, Pappu's theorem, Multiple integrals, change of order of double integration, Dirichlet's theorem, Liouville's theorem for multiple integrals
    • Rectification

      Rectification का अर्थ है किसी वक्र की लंबाई को ज्ञात करना। यह एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो कि किसी भी वक्र के लिए प्रयोग की जाती है।

    • Volumes and Surfaces of Solid of Revolution

      घूर्णन ठोस के आयतन और सतह का क्षेत्र ज्ञात करने के लिए हमें कुछ विशेष सूत्रों का उपयोग करना होता है।

    • Pappu's Theorem

      Pappu's theorem का प्रयोग ज्यामितीय आकृतियों के क्षेत्रफल और लंबाई के संबंध में किया जाता है।

    • Multiple Integrals

      कई परिचयों का उपयोग करते हुए हम बहु-समाकलन की गणना कर सकते हैं। ये समाकलन क्यूबिक प्रवणताओं की गणना लिए सहायता करते हैं।

    • Change of Order of Double Integration

      डबल समाकलन के क्रम को बदलने से हमें नए सीमाएँ और समाधान प्राप्त होते हैं। यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है जब हम जटिल सीमाओं का सामना करते हैं।

    • Dirichlet's Theorem

      Dirichlet's theorem विशेष रूप से समाकलन की सीमाओं के बारे में जानकारी प्रदान करता है। इसके द्वारा हम विशेष मामलों में समाकलन के मूल्य का जान सकते हैं।

    • Liouville's Theorem for Multiple Integrals

      Liouville's theorem का उपयोग करते हुए हम यह जान सकते हैं कि किस प्रकार कई समाकलनों का संबंध होता है। यह संपूर्ण गणितीय भावना को मजबूत करता है।

  • Vector Differentiation, Gradient, Divergence and Curl, Normal on a surface, Directional Derivative, Vector Integration, Theorems of Gauss, Green, Stokes and related problems

    Vector Differentiation, Gradient, Divergence and Curl, Normal on a surface, Directional Derivative, Vector Integration, Theorems of Gauss, Green, Stokes and related problems
    • Vector Differentiation

      वेक्तर डिफरेंशिएशन एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा हम वेक्तरों की गणना करते हैं। यह एक दिशा में परिवर्तन की दर बताता है। प्रदान किए गए वेक्तर के प्रति परिवर्तन को समझने के लिए इसे बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।

    • Gradient

      ग्रेडिएंट एक वेक्तर है जो एक स्केलर फलन के अधिकतम वृद्धि की दिशा और दर बताता है। यदि हमें एक स्केलर फलन f(x, y, z) दिया गया हो, तो ग्रेडिएंट ∇f = (∂f/∂x, ∂f/∂y, ∂f/∂z) होगा।

    • Divergence

      डायवर्जेंस एक स्केलर फलन है जो एक वेक्तर फ़ील्ड के स्रोत या स्राव को मापता है। अगर F(x, y, z) = (P, Q, R) एक वेक्तर फ़ील्ड है, तो डायवर्जेंस ∇ · F = ∂P/∂x + ∂Q/∂y + ∂R/∂z है।

    • Curl

      कर्ल एक वेक्तर का माप है कि वह कितनी तेजी से घुम रहा है। इसे एक स्केलर फलन और वेक्तर फ़ील्ड में घुमाव के रूप में देखा जाता है। यदि F एक वेक्तर फ़ील्ड है, तो कर्ल ∇ × F = (∂R/∂y - ∂Q/∂z, ∂P/∂z - ∂R/∂x, ∂Q/∂x - ∂P/∂y) होगा।

    • Normal on a surface

      किसी सतह पर सामान्य वेक्तर उस सतह की दिशा में लंबवत होता है। सामान्य वेक्तर सतह के किसी बिंदु पर टेन्सर का एक महत्वपूर्ण घटक है जो सतह के त्रिकोणीय समीकरण का उपयोग कर निकाला जा सकता है।

    • Directional Derivative

      दिशात्मक फलों की गणना में दिशा के अनुसार परिवर्तन की गणना की जाती है। यदि f एक स्केलर फलन है और u एक यूनिट वेक्तर है, तो दिशा में डेरिवेटिव D_u f = ∇f · u होगा।

    • Vector Integration

      वेक्तर इंटीग्रेशन एक तकनीक है जिसके द्वारा हम कई वेक्तरों को एक साक्ष्य के माध्यम से जोड़ते हैं। यह फ़ील्ड के अंतर्गत या वक्र के बजाय पतले क्षेत्रों में ले जाने के लिए किया जाता है।

    • Theorems of Gauss, Green, Stokes

      गौस्स का सिद्धांत एरिया के इंटेग्रेशन की गणना के लिए उपयोग किया जाता है, जबकि ग्रीन का सिद्धांत क्षेत्र में दो डेरिवेटिव को एकीकृत करने की प्रक्रिया है। स्टोक्स का सिद्धांत श्रोत और पंक्तियों के बीच संबंध स्थापित करता है।

    • Related Problems

      सम्बंधित समस्याएँ उन गणनाओं को संदर्भित करती हैं जो उपरोक्त सिद्धांतों और वास्तविक समस्याओं का उपयोग करते हुए हल की जानी चाहिए। उदाहरण के तौर पर, किसी विशेष वेक्तर फ़ील्ड के लिए डायवर्जेंस और कर्ल की गणना करना।

Differential Calculus and Integral Calculus

B.A./B.Sc. I

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