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Semester 2: Matrices and Differential Equations and Geometry

  • Types of Matrices, Elementary operations on Matrices, Rank of a Matrix, Echelon form of a Matrix, Normal form of a Matrix, Inverse of a Matrix by elementary operations, System of linear homogeneous and non-homogeneous equations, Theorems on consistency of a system of linear equations

    Matrices and Differential Equations and Geometry
    • Types of Matrices

      मैट्रिस के विभिन्न प्रकार होते हैं। जैसे कि: 1. रो मैट्रिस 2. कॉलम मैट्रिस 3. स्क्वायर मैट्रिस 4. जीरो मैट्रिस 5. एकाई मैट्रिस 6. सम मैट्रिस 7. विषम मैट्रिस 8. ट्रांसपोज मैट्रिस।

    • Elementary operations on Matrices

      मैट्रिस पर तीन मुख्य प्राथमिक ऑपरेशन होते हैं: 1. एक पंक्ति को किसी संख्या से गुणा करना 2. एक पंक्ति को दूसरी पंक्ति के साथ जोड़ना 3. एक पंक्ति को दूसरी पंक्ति से घटाना।

    • Rank of a Matrix

      मैट्रिस की रैंक उस मैट्रिस में स्वतंत्र पंक्तियों की संख्या है। रैंक निकालने के लिए हम इलीमेंट्री ऑपरेशंस का प्रयोग करते हैं। रैंक इंगित करती है कि मैट्रिस कितनी सूचना रखती है।

    • Echelon form of a Matrix

      एचेलन रूप वह रूप है जिसमें प्रत्येक पंक्ति में पहले गैर-शून्य तत्व की स्थिति अगले पंक्ति में पहले गैर-शून्य तत्व की स्थिति से दाएं होती है। यह रिफ़रिंग करने में सहायक होता है।

    • Normal form of a Matrix

      नॉर्मल रूप वह रूप है जिसे रिड्यूस्ड ईचेलॉन फॉर्म कहा जाता है। इसमें प्रत्येक पंक्ति में पहले गैर-शून्य तत्व 1 होता है और वह स्तंभ में अन्य सभी तत्व शून्य होते हैं।

    • Inverse of a Matrix by elementary operations

      मैट्रिस का इनवर्स निकालने के लिए, हम प्राथमिक ऑपरेशंस का प्रयोग करते हैं। यदि A एक इनवर्सिबल मैट्रिस है, तो उसे हम पहचान सकते हैं कि A * A⁻ = I, जहां I पहचान मैट्रिस है।

    • System of linear homogeneous and non-homogeneous equations

      रेखीय समीकरणों के समुच्चय में हमैजीनियस और नॉन-हमैजीनियस होते हैं। हमैजीनियस समीकरण का रूप Ax = 0 है, जबकि नॉन-हमैजीनियस का रूप Ax = b है।

    • Theorems on consistency of a system of linear equations

      रेखीय समीकरणों के स्वसंगतता पर कई प्रमेय हैं। यदि रैंक(A) = रैंक(A|B) = संख्या की पंक्तियां, तो समीकरण का समाधान अद्वितीय होता है।

  • Eigenvalues, Eigenvectors and characteristic equation of a matrix, Cayley-Hamilton theorem and its use in finding inverse of a matrix, Complex functions and separation into real and imaginary parts, Exponential and Logarithmic functions, Inverse trigonometric and Hyperbolic functions

    Matrices and Differential Equations and Geometry
    B.A./B.Sc. I
    Mathematics
    Second
    Mahatma Gandhi Kashi Vidyapith, Varanasi
    • Eigenvalues and Eigenvectors

      Eigenvalue और Eigenvector एक मैट्रिक्स के विशेष गुण होते हैं। यदि A एक n x n मैट्रिक्स है और v एक non-zero vector है, तो यदि Av = λv, जहाँ λ एक scalar है, तो λ eigenvalue कहलाता है और v eigenvector।

    • Characteristic Equation

      Characteristic equation एक polynomial होती है जो eigenvalues को खोजने में मदद करती है। यह det(A - λI) = 0 के रूप में लिखी जाती है, जहाँ I एक पहचान मैट्रिक्स है।

    • Cayley-Hamilton Theorem

      Cayley-Hamilton theorem के अनुसार, हर square matrix अपने characteristic polynomial को संतुष्ट करती है। इसे मैट्रिक्स के inverse को खोजने में भी उपयोग किया जा सकता है।

    • Complex Functions

      Complex functions वे functions हैं जो complex numbers को लेते और लौटाते हैं। इन्हें वास्तविक और काल्पनिक भागों में अलग किया जा सकता है।

    • Exponential and Logarithmic Functions

      Exponential functions वे functions हैं जिनका रूप e^x है, जबकि logarithmic functions वे हैं जो log(x) का उपयोग करती हैं। दोनों के बीच गहरा संबंध है।

    • Inverse Trigonometric Functions

      Inverse trigonometric functions वे हैं जो त्रिकोणमितीय संबंधों को उलटते हैं। उदाहरण: arcsin, arccos, आदि।

    • Hyperbolic Functions

      Hyperbolic functions यथार्थ और काल्पनिक मात्रा के बीच संबंध को दर्शाती हैं। यह sinh, cosh, tanh आदि का उपयोग करती हैं।

  • Formation of differential equations, Geometrical meaning of a differential equation, Equation of first order and first degree, Equation in which the variables are separable, Homogeneous equations, Exact differential equations and equations reducible to the exact form, Linear equations

    Differential Equations
    • Differential Equations का निर्माण

      Differential Equations का निर्माण स्थितियों की दरों में बदलाव को व्यक्त करने के लिए किया जाता है। ये समीकरण उस प्रणाली के गतिकी का वर्णन करते हैं जिसमें सामान्यतः एक या एक से अधिक अज्ञात चर होते हैं। उदाहरण के लिए, भौतिकी में गति, ताप, और जनसंख्या विकास जैसे विषयों में Differential Equations का उपयोग किया जाता है।

    • Differential Equations का ज्यामिति संबंधी अर्थ

      एक Differential Equation का ज्यामिति संबंधी अर्थ उस ग्राफ के रूप में होता है जो उसे संतुष्ट करता है। यह व्यक्तिगत बिंदुओं की स्थिति और उनके संबंधों को दर्शाता है। Differential Equations का हल एक वक्र (Curve) के रूप में होता है जो समीकरण के सभी संभावित हलों का प्रतिनिधित्व करता है।

    • पहले क्रम और पहले डिग्री के समीकरण

      पहले क्रम और पहले डिग्री के Differential Equations वे समीकरण होते हैं जिनमें केवल पहले क्रम के व्युत्पन्न होते हैं और उनका रूप इस प्रकार होता है: dy/dx = f(x, y)। ऐसे समीकरण को सुलझाना सरल होता है, और इसके कई तरीके हैं जैसे कि अलग करने की विधि।

    • अलग किए जा सकने वाले चर वाला समीकरण

      समीकरण जिसमें चर अलग किए जा सकते हैं, उन्हें अलग-अलग समीकरणों में विभाजित किया जा सकता है। इस प्रकार का समीकरण इस रूप में होता है: M(x)dx + N(y)dy = 0। इसे हल करने के लिए दोनों पक्षों को उचित रूप से इंटीग्रेट करना होता है।

    • समरूप समीकरण

      समरूप Differential Equations वे होते हैं जिनमें सभी व्युत्पन्न और चर एक ही क्रम में होते हैं। ये समीकरण इस प्रकार होते हैं: dy/dx = F(y/x)। इन्हें हल करने के लिए विविध तकनीकों का उपयोग किया जाता है, जसे कि सटीकता की जांच।

    • सटीक Differential Equations

      सटीक Differential Equations ऐसे समीकरण होते हैं जिनमें M(x, y) और N(x, y) होते हैं जो ऐसे संबंध में होते हैं कि ∂M/∂y = ∂N/∂x। ऐसे समीकरणों को सरलता से हल किया जा सकता है।

    • सटीक रूप में घटित करने के लिए समीकरण

      कई Differential Equations को इस रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है कि वे सटीक समीकरण में परिवर्तित हो जाएं। इस प्रक्रिया में एक अभिन्न क्रिया और एक उपयुक्त गुणांक लागू किया जाता है।

    • रेखीय समीकरण

      रेखीय Differential Equations का सामान्य रूप इस प्रकार होता है: dy/dx + P(x)y = Q(x)। ये समीकरण हल करने में आसान होते हैं और इसके लिए सामान्यतः इंटीग्रेटिंग फैक्टर का उपयोग किया जाता है।

  • First order higher degree equations solvable for x, y, p, Clairaut’s equation and singular solutions, orthogonal trajectories, Linear differential equation of order greater than one with constant coefficients, Cauchy-Euler form

    First order higher degree equations solvable for x, y, p, Clairaut's equation and singular solutions, orthogonal trajectories, Linear differential equation of order greater than one with constant coefficients, Cauchy-Euler form
    • First Order Higher Degree Equations

      पहले क्रम के उच्च डिग्री के समीकरण ऐसे समीकरण होते हैं जिन्हें अभिन्न समीकरणों में हल किया जा सकता है। इनका सामान्य रूप y = f(x, p) होता है, जहाँ p = dy/dx है। इन समीकरणों के समाधान के लिए चर के बीच के संबंध को पहचानना आवश्यक होता है।

    • Clairaut's Equation

      क्लेयरौत का समीकरण y = px + f(p) के रूप में परिभाषित होता है। यह एक विशेष प्रकार का पहले क्रम का समीकरण होता है। इसे हल करने के लिए, p के लिए विभाजित करते हुए, f(p) की व्युत्पत्ति ली जाती है। इसके विशेष हल तब प्राप्त होते हैं जब हम f(p) की संपूर्णता समीकरण में रखते हैं।

    • Singular Solutions

      विशिष्ट समाधान (Singular Solutions) वे समाधान होते हैं जो दिए गए समीकरण का समाधान नहीं होते, लेकिन इनका महत्वपूर्ण भौतिक अर्थ होता है। किसी भी सामान्य हल समारोह से इसे प्राप्त करना संभव नहीं होता। यह विशेष रूप से सीमाक्षेत्रों (envelopes) पर लागू होते हैं।

    • Orthogonal Trajectories

      आर्टोगोनल ट्रैजेक्टोरियाँ दो या दो से अधिक आंतरावलंबित (congruent) संक्रियाओं की रेखाएँ होती हैं। ये एक दूसरे को समकोण पर काटती हैं। इन्हें हल करने के लिए, हम संक्रियाओं के समीकरणों के युग्मन का उपयोग करते हैं।

    • Linear Differential Equation of Order Greater than One

      एक क्रम से अधिक के रेखीय व्युत्क्रम समीकरण सामान्य रूप से ऐसे समीकरण होते हैं जिसमें y की अभिन्नता एक से अधिक बार होती है। इनका सामान्य रूप a_n y^n + a_(n-1) y^(n-1) + ... + a_1 dy/dx + a_0 y = 0 के रूप में लिखा जा सकता है। इनकी समाधानों के लिए, विशेष शर्तें आवश्यक होती हैं।

    • Cauchy-Euler Form

      कौची-यूलर रूप विशेष प्रकार के रेखीय समीकरण होते हैं जहाँ प्रयुक्त धाराओं की कोई समानता होती है। इसका सामान्य रूप x^2y'' + axy' + by = 0 होता है। इसे हल करने के लिए विशेष तकनीकों का उपयोग किया जाता है जैसे कि परिवर्तनों का उपयोग।

  • General equation of second degree, System of conics, Tracing of conics, Confocal conics, Polar equation of conics and its properties

    General equation of second degree, System of conics, Tracing of conics, Confocal conics, Polar equation of conics and its properties
    • द्वितीय श्रेणी का सामान्य समीकरण

      द्वितीय श्रेणी का सामान्य समीकरण निम्नलिखित रूप में होता है: ax² + bxy + cy² + dx + ey + f = 0। इसमें a, b, c, d, e और f वास्तविक संख्याएँ होती हैं। इस समीकरण को हल करने पर हमें विभिन्न प्रकार के समकोण मिल सकते हैं, जैसे परवलय, वृत्त, दीर्घवृत्त व हाइपरबोला।

    • कोनिक का प्रणाली

      कोनिक एक प्रकार के गणितीय आकार होते हैं जो द्वितीय श्रेणी के समीकरण से उत्पन्न होते हैं। विभिन्न प्रकार के कोनिक निम्नलिखित हैं: वृत्त, दीर्घवृत्त, परवलय और हाइपरबोला। इनका अध्ययन विभिन्न भौतिक और कलात्मक अनुप्रयोगों में किया जाता है।

    • कोनिक का ट्रेसिंग

      कोनिक की ट्रेसिंग का अर्थ है विभिन्न कोनिक ग्राफ के आकार और गुणों का अध्ययन करना। इसमें विशेष ध्यान रखना होता है कि कोणों की स्थिति एवं अन्य विशेषताएँ कैसे बदलती हैं।

    • सह-संवेदन कोनिक

      सह-संवेदन कोनिक वे होते हैं जो एक समान केंद्र साझा करते हैं। इस प्रकार के कोन के लिए, सभी रूप अलग-अलग कोणों पर होते हैं, लेकिन उनका केंद्र समान होता है।

    • कोनिक के ध्रुवीय समीकरण और इसके गुण

      कोनिक के ध्रुवीय समीकरणों में रेखाओं और बिंदुओं के बीच का संबंध होता है। इन समीकरणों का उपयोग विभिन्न यांत्रिक समस्याओं में किया जाता है। इसके कुछ प्रमुख गुण यह हैं कि ये सरल होते हैं और इनका भौगोलिक विवेच पर गहरा प्रभाव होता है।

  • Three-Dimensional Coordinates, Direction Cosines and Ratios, Projections, Planes (Cartesian and vector form), Straight lines in three dimensions

    तीन-आयामी संदर्भ, दिशा गुणांक और अनुपात, प्रक्षिप्तियाँ,Planes (कार्तेशीय और वेक्टर रूप), तीन आयामों में सीधी रेखाएँ
    • तीन-आयामी संदर्भ प्रणाली

      तीन-आयामी संदर्भ प्रणाली में किसी बिंदु को तीन निर्देशांक (x, y, z) के माध्यम से व्यक्त किया जाता है। इसमें तीन समन्वय अक्ष होते हैं: x-अक्ष, y-अक्ष, और z-अक्ष। ये अक्ष एक दूसरे के प्रति लंबवत होते हैं, और बिंदु का स्थान इन तीनों निर्देशांकों के अनुसार निर्धारित होता है।

    • दिशा गुणांक और अनुपात

      दिशा गुणांक एक रेखा के लिए उन गुणांकों को दर्शाते हैं जो किसी निश्चित दिशा में परिवर्तन का मापन करते हैं। इसे cos α, cos β, और cos γ के रूप में लिखा जाता है, जहाँ α, β, और γ क्रमशः x, y, और z अक्षों के लिए रेखा के साथ बने कोण हैं। दिशा अनुपात को a, b, और c द्वारा व्यक्त किया जाता है।

    • प्रक्षिप्तियाँ

      एक भौतिक बिंदु की कोई प्रक्षिप्ति उसके निर्देशांक को शून्य करना है। उदाहरण के लिए, किसी बिंदु P(x, y, z) की प्रक्षिप्तियाँ x-y Plane में (x, y, 0), y-z Plane में (0, y, z) और x-z Plane में (x, 0, z) होती हैं।

    • Planes (कार्तेशीय और वेक्टर रूप)

      कार्तेशीय रूप में Plane को Ax + By + Cz + D = 0 की सामान्य धारणा से व्यक्त किया जाता है। वेक्टर रूप में Plane को r . n = d के रूप में दर्शाया जा सकता है, जहाँ r किसी बिंदु का वेक्टर है, n Plane का सामान्य वेक्टर है, और d इस वेक्टर के साथ Plane में स्थित बिंदु का गुणनफल है।

    • तीन आयामों में सीधी रेखाएँ

      तीन आयामों में सीधी रेखाएँ दो बिंदुओं के बीच की दिशा और दिशानुपात के अनुसार निर्धारित होती हैं। इनका समीकरण सामान्यतः (x - x1)/a = (y - y1)/b = (z - z1)/c के रूप में होता है। यहाँ (x1, y1, z1) प्रारंभिक बिंदु और (a, b, c) दिशा अनुपात होते हैं.

  • Sphere, Cone and Cylinder

    गोला, शंकु और बेलन
    • गोला (Sphere)

      गोला एक तीन-आयामी भौतिक आकृति है, जिसमें सभी बिंदु केंद्र से समान दूरी पर होते हैं। गोले का व्यास, परिधि और आयतन ज्ञात करने के लिए निम्नलिखित सूत्रों का उपयोग किया जाता है। व्यास = 2r, क्षेत्रफल = 4πr² और आयतन = (4/3)πr³।

    • शंकु (Cone)

      शंकु एक तीन-आयामी आकृति है, जिसमें एक गोल आधार और एक शीर्ष बिंदु होता है। शंकु का क्षेत्रफल और आयतन ज्ञात करने के लिए सूत्र हैं। क्षेत्रफल = πr(r + l) (जहाँ l शंकु की ऊँचाई होती है) और आयतन = (1/3)πr²h।

    • बेलन (Cylinder)

      बेलन एक तीन-आयामी आकृति है, जिसमें दो समान गोल आधार होते हैं और एक समांतर ऊँचाई। बेलन का क्षेत्रफल और आयतन निम्नलिखित सूत्रों द्वारा ज्ञात किया जाता है। क्षेत्रफल = 2πr(h + r) और आयतन = πr²h।

    • इन आकृतियों के उपयोग

      गोला, शंकु और बेलन का उपयोग विभिन्न इंजीनियरिंग अनुप्रयोगों, वास्तुकला, और प्राकृतिक रूपों में देखा जाता है। ये आकृतियाँ दैनिक जीवन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

  • Central conicoids, Paraboloids, Plane section of conicoids, Generating lines, Confocal conicoids, Reduction of second degree equations

    Central Conicoids, Paraboloids, Plane Section of Conicoids, Generating Lines, Confocal Conicoids, Reduction of Second Degree Equations
    • Central Conicoids

      केंद्रित कोनॉइड्स वो ज्यामिति आकृतियां हैं जो मूल बिंदु के चारों ओर घूमती हैं। इनका संबंध दो मुख्य प्रकारों से है: элिप्सोइड और हाइपरबोइड। ये विभिन्न अनुप्रस्थ कटावों के परिणामस्वरूप उत्पन्न होते हैं और इनका स्वरूप और विशेषताएँ उनके गणितीय समीकरणों से स्पष्ट होती हैं।

    • Paraboloids

      पैरेबोलॉइड्स विशेष प्रकार की घुमावदार आकृतियां होती हैं जो प्रायः प्रकाश और ऊष्मा के संकेंद्रन के लिए उपयोग की जाती हैं। इनका गणितीय स्वरूप z = ax^2 + by^2 के रूप में व्यक्त किया जाता है। पैरेबोलॉइड को दो प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है: पैरबोलॉइड ऑफ़ रिवोल्यूशन और पैरबोलॉइड ऑफ़ वन साइड।

    • Plane Section of Conicoids

      कोनॉइड्स के समतल खंड विभिन्न प्रकार से उत्पन्न होते हैं जब एक समतल को कोनॉइड के अंदर से काटा जाता है। यह खंड विभिन्न रूप हासिल करता है जैसे कि एलिप्स, पैरबोला और हाइपरबोला, जो की समतल के स्थिति पर निर्भर करता है।

    • Generating Lines

      उत्पन्न रेखाएँ वे रेखाएँ होती हैं जो एक विशेष आकृति के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। विशेष रूप से, ये रेखाएँ उन बिंदुओं को जोड़ती हैं जहाँ एक विशेष आकृति का रोटेशन या कटाव होता है।

    • Confocal Conicoids

      कॉन्फोकल कोनॉइड्स दो या दो से अधिक कोनॉइड्स हैं जो समान फोकस साझा करते हैं। ये ज्यामिति में महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये कई भौतिक समस्याओं में मिलते हैं। कॉन्फोकल कोनॉइड्स का उपयोग भौतिक विज्ञान और इंजीनियरिंग में समस्याओं के समाधान में किया जाता है।

    • Reduction of Second Degree Equations

      द्वितीय श्रेणी के समीकरणों को सरल करने का अर्थ है उन्हें एक सामान्य रूप में लेना जो उनके गुणों को स्पष्ट करता है। इस प्रक्रिया में खातों का उपयोग करके समीकरण के विभिन्न अंशों और विशेषताओं को बदलना शामिल है, जिससे हम कोनॉइड्स की पहचान और उनके गुणों को आसानी से समझ सकें।

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