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Semester 2: Molecular Biology and Genetic Engineering
Gene organization and regulation of gene expression: Structure of DNA, Types of DNA, Gene organization in prokaryotes and eukaryotes, polycistronic genes, split genes promoters, enhancers, Regulation of gene expression: lac and trp operons in E. coli
Gene organization and regulation of gene expression
DNA का संरचना
DNA, या डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड, एक लंबा आणविक पदार्थ है जो आनुवंशिक सूचना को संचित करता है। इसका संरचना एक डबल हेलिक्स की तरह होता है, जिसमें दो स्ट्रैंड होते हैं जो नाइट्रोजन यौगिकों (ऑडीनिन, थाइमिन, साइटोसिन, और ग्वanine) द्वारा जुड़े होते हैं।
DNA के प्रकार
DNA के तीन मुख्य प्रकार होते हैं: जीनोम DNA, प्लास्मिड DNA, और माइटोकॉन्ड्रियल DNA। जीनोम DNA जीवों के मुख्य जीनवाहक होते हैं, जबकि प्लास्मिड DNA छोटे सर्कुलर DNA होते हैं जो बैक्टीरिया में पाए जाते हैं।
प्रोकैरियोट्स और यूकेरियोट्स में जीन संगठन
प्रोकैरियोट्स में जीन अपने जीनों के समूह में होते हैं, जिन्हें ऑपरोन कहा जाता है। यूकेरियोट्स में जीन अलग-अलग होते हैं और उपयुक्त रूप से नियंत्रित होते हैं।
पॉलीसिस्ट्रोनिक जीन
पॉलीसिस्ट्रोनिक जीन उन जीनों को कहते हैं जो एक ही mRNA में कई जीन को शामिल करते हैं। ये प्रोकैरियोट्स में आम होते हैं और एक साथ अभिव्यक्त होते हैं।
स्प्लिट जीन
स्प्लिट जीन वह जीन होते हैं जो कुछ जगहों पर इंटरनल अनुक्रमों (इंट्रॉन) के कारण विभाजित होते हैं। इंट्रॉन ट्रांसक्रिप्शन के दौरान निकल जाते हैं, जबकि एक्सॉन को mRNA में शामिल किया जाता है।
प्रोमोटर्स और एन्हांसर्स
प्रोमोटर्स जीन के अभिव्यक्ति की शुरुआत के लिए आवश्यक होते हैं। एन्हांसर्स जीन के अभिव्यक्ति को बढ़ाने के लिए आवश्यक तत्व होते हैं, जो दूरी पर स्थित हो सकते हैं।
जीन अभिव्यक्ति का नियमन: E. coli में lac और trp ऑपेरॉन
Lac ऑपेरोन के अंतर्गत, लैक्टोज की उपस्थिति में जीन अभिव्यक्त होते हैं। Trp ऑपेरॉन ट्रिप्टोफेन की उपस्थिति में जीन को रोकता है। इन ऑपेरॉनों का अध्ययन जीन अभिव्यक्ति के नियमन को समझने में मदद करता है।
DNA Replication and DNA polymerases: Replication in prokaryotes and eukaryotes, initiation at replication origins, Structure and function of DNA polymerases
DNA Replication and DNA Polymerases
DNA प्रतिकृति या DNA रिप्लिकेशन वह प्रक्रिया है, जिसके द्वारा कोशिकाएं अपनी जीन संबंधी सामग्री को नकल करती हैं। यह जीवन के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह अनुवांशिकी जानकारी को अगली पीढ़ियों तक पहुंचाता है।
प्रोकैरियोट्स में DNA रिप्लिकेशन आम तौर पर एक साथ होता है। इसमें मुख्यतः एक ही बिंदु से शुरू होता है जिसे 'ऑरिजिन ऑफ रीप्लिकेशन' कहा जाता है।
DNA को अनरैप किया जाता है और DNA पोलिमरेज़ एंzymes द्वारा नये स्ट्रैंड्स का संश्लेषण किया जाता है।
यूकैरियोट्स में, DNA की प्रतिकृति कई ऑरिजिन्स से शुरू होती है। यह जटिल स्थलों के कारण अधिक संगठित रूप से होती है।
यहां भी DNA पोलिमरेज़ एंzymes का उपयोग होता है, लेकिन इनके विभिन्न प्रकार और कार्य होते हैं।
रिप्लिकेशन ऑरिजिन पर, विशिष्ट प्रोटीन्स यह सुनिश्चित करते हैं कि DNA को खोलकर नया स्ट्रैंड बनाने के लिए तैयार किया जाए।
इसमें 'या' के नामांकन के बाद ही नये नॉलेज का गठन होता है।
DNA पोलिमरेज़ एंzymes की संरचना अत्यंत जटिल होती है, जिसमें एक सक्रिय साइट होती है जो नये नोज़ीक्लियोटाइड्स को जोड़ने के लिए आवश्यक होती है।
प्रोकैरियोट्स में DNA पोलिमरेज़ III और I जैसे महत्वपूर्ण एंzymes होते हैं।
यूकैरियोट्स में DNA पोलिमरेज़ α, δ, और ε प्रमुख होते हैं।
DNA पोलिमरेज़ का मुख्य कार्य DNA के नए स्ट्रैंड्स का निर्माण करना और प्रतिकृति की सटीकता सुनिश्चित करना है।
कई पोलिमरेज़ में प्रूफरीडिंग क्षमता होती है, जो गलतियां ठीक करने में मदद करती हैं।
Transcription and mRNA processing: RNA structure and types, transcription mechanisms in prokaryotes and eukaryotes, transcription factors, RNA polymerases, initiation, elongation and termination, RNA processing (splicing, capping, polyadenylation)
Transcription and mRNA processing
RNA की संरचना, राइबोन्यूक्लियोटाइड्स से बनी होती है। RNA के मुख्य प्रकार हैं: mRNA, tRNA, और rRNA। mRNA प्रोटीन संश्लेषण में मदद करता है, tRNA एमिनो एसिडों को ट्रांसफर करता है, और rRNA राइबोसोम का मुख्य घटक होता है।
प्रोकैरियोट्स में, अनुक्रमण RNA पॉलिमेरेज़ द्वारा बिना प्री-आरएनए प्रोसेसिंग के होता है। युकैरियोट्स में, अनुक्रमण जटिल है और इसमें प्री-आरएनए की प्रोसेसिंग शामिल है।
अनुक्रमण कारक प्रोटीन होते हैं जो RNA पॉलिमेरेज़ के साथ बंधकर जीन के अनुक्रमण को नियंत्रित करते हैं। ये सेलुलर सिग्नलिंग के प्रति संवेदनशील होते हैं।
युकैरियोटों में तीन प्रकार की RNA पॉलिमेरेज़ होती हैं: RNA पॉलिमेरेज़ I, II, और III। Prokaryotes में एक ही RNA पॉलिमेरेज़ होता है।
अनुक्रमण की शुरुआत एक प्रोमोटर क्षेत्र पर RNA पॉलिमेरेज़ के बंधन से होती है। इसके बाद RNA का विस्तार (elongation) होता है और अंत में अनुक्रमण समाप्ति (termination) संकेत से होता है।
युकैरियोट्स में, RNA प्रसंस्करण में स्प्लाइसिंग, कैपिंग और पॉलीएडेनिलेशन शामिल होते हैं। स्प्लाइसिंग में इंट्रॉन्स को हटाया जाता है और एक्सन्स को जोड़ दिया जाता है। कैपिंग में 5' अंत पर एक संरक्षित nucleotides जोड़ा जाता है। पॉलीएडेनिलेशन में 3' अंत पर एडेनिन की लंबी श्रृंखला जोड़ी जाती है।
Prokaryotic and eukaryotic translation: Ribosome structure and assembly, tRNA, aminoacyl-tRNA synthetases, initiation, elongation and termination of polypeptides, fidelity of translation, inhibitors, posttranslational modifications
Prokaryotic and Eukaryotic Translation
Ribosome Structure and Assembly
राइबोसोम प्रोटीन संश्लेषण के लिए महत्वपूर्ण संरचनाएं होती हैं। प्रोकैरियोट्स में राइबोसोम का आकार 70S होता है, जिसमें 50S और 30S उपकण होते हैं। यूकैरियोट्स में, राइबोसोम का आकार 80S होता है, जिसमें 60S और 40S उपकण होते हैं। राइबोसोम की संरचना राइबोसोमल RNA और विभिन्न प्रोटीनों से मिलकर बनती है। राइबोसोम काAssembly विभिन्न चरों पर निर्भर करता है, जैसे कि rRNA और प्रोटीन के बीच की अंतःक्रिया।
tRNA
tRNA (ट्रांसफर RNA) अमीनो एसिड को राइबोसोम तक ले जाने के लिए जिम्मेदार होता है। यह एक क्लोवर्ड संरचना में होता है, जिसमें एंटीकोडन होता है जो मैसेंजर RNA (mRNA) के कोडन से मेल खाता है। tRNA में अमीनो एसिड का बंधन महत्वपूर्ण है ताकि सही अमीनो एसिड को सही क्रम में जोड़ सके।
Aminoacyl-tRNA Synthetases
अमीनोएसाइल-tRNA सिंथेसटेस वह एंजाइम होते हैं जो tRNA को संबंधित अमीनो एसिड से जोड़ते हैं। यह प्रक्रिया अत्यधिक विशिष्ट होती है, जिससे कि गलत अमीनो एसिड जुड़ने से बचा जा सके। 20 विभिन्न अमीनो एसिड के लिए 20 विभिन्न अमीनोएसाइल-tRNA सिंथेसटेस होते हैं।
Initiation of Translation
संविधान प्रक्रिया की शुरुआत में, राइबोसोम के छोटे उपकण और mRNA की शुरुआत होती है। इस प्रक्रिया में प्रारंभिक tRNA को भी जोड़ा जाता है, जो आमतौर पर मेथियोनीन का एंटीकोडन होता है। यह सभी तत्व मिलकर प्रारंभिक कॉम्प्लेक्स का निर्माण करते हैं।
Elongation of Polypeptides
प्रोटीन का लंबा करना rRNA के पेप्टिडिल ट्रांसफर के माध्यम से किया जाता है। इस दौरान, नए tRNA की एंट्री होती है, और अमीनो एसिड एक दूसरे से जुड़ते हैं, जिससे पेप्टाइड श्रृंखला बढ़ती है। यह प्रक्रिया एपी साइट, P साइट और E साइट की सहायता से होती है।
Termination of Translation
जब राइबोसोम एक स्टॉप कोडन पर पहुंचता है, तब अनुवाद की प्रक्रिया समाप्त होती है। यह प्रक्रिया रिलीज फैक्टर की उपस्थिति में होती है, जो पेप्टाइड श्रृंखला को खत्म कर देता है और राइबोसोम को मुक्त करता है।
Fidelity of Translation
अनुवाद की Fidelity सुनिश्चित करने के लिए कोशिकाएं कई तंत्र अपनाती हैं। सही tRNA का चयन और अनुवाद की सभी प्रक्रियाओं के दौरान चूक को कम करने के लिए एंजाइम और अन्य अनुदेश होते हैं।
Inhibitors of Translation
कुछ एंटीबायोटिक्स जैसे कि टेट्रासाइक्लिन और च्लोराम्फेनिकल राइबोसोम के कार्य में हस्तक्षेप करते हैं, जिससे अनुवाद प्रक्रिया बाधित होती है। ये औषधियाँ प्रोकैरियोट्स के राइबोसोम पर अधिक प्रभावी होती हैं।
Posttranslational Modifications
अनुवाद के बाद, प्रोटीन विभिन्न परिवर्तनों से गुजरते हैं जैसे कि फास्फोरीलेशन, कार्बोक्सीलेशन, और ग्लाइकोज़िलेशन। ये संशोधन प्रोटीन की कार्यक्षमता और स्थिरता को प्रभावित करते हैं, और कोशिका में उनकी भूमिका आवश्यक होती है।
Vectors: Cloning vectors (plasmids, cosmids, BACs, YACs), shuttle vectors, expression vectors
Vectors in Molecular Biology
Cloning Vectors
क्लोनिंग वेक्टर उन परिवर्तनों का एक प्रकार है जो एक विशिष्ट आनुवंशिक सामग्री को एक जीव की कोशिका में जोड़ने के लिए उपयोग किए जाते हैं। ये विभिन्न प्रकार के होते हैं:
Plasmids
प्लास्मिड्स छोटे, गोलाकार DNA अणु होते हैं जो मुख्य DNA के अतिरिक्त होते हैं। ये प्राकृतिक रूप से बैक्टीरिया में पाए जाते हैं और आनुवंशिक सामग्री को आनुवंशिक इंजीनियरिंग के लिए उपयोग किया जाता है।
Cosmids
कोस्मिड्स प्लास्मिड और बैकटेरियोफेज का संयोजन होते हैं। ये बड़े DNA टुकड़ों को क्लोन करने के लिए उपयोगी होते हैं, आमतौर पर 35,000 बेस पेयर तक।
BACs (Bacterial Artificial Chromosomes)
BACs बैक्टीरियल आर्टिफिशियल क्रोमोसोम होते हैं और ये बेहद बड़े DNA अनुक्रम को क्लोन करने में सक्षम होते हैं। BACs का उपयोग जीनोम प्रोजेक्ट्स में किया जाता है।
YACs (Yeast Artificial Chromosomes)
YACs खमीर आधारित कृत्रिम क्रोमोसोम होते हैं जो कि बड़े DNA टुकड़ों को क्लोन करने के लिए उपयोग किए जाते हैं।
Shuttle Vectors
शटल वेक्टर ऐसे वेक्टर होते हैं जो दो विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं, जैसे बैक्टीरिया और खमीर, में प्लाज्मा करना सक्षम होते हैं।
Expression Vectors
एक्सप्रेशन वेक्टर वेक्टर की एक श्रेणी है जो प्रोटीन का उत्पादन करने के लिए आनुवंशिक सामग्री का प्रयोग करते हैं। इसे जीन की अभिव्यक्ति को बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
Enzymes used in DNA manipulating: Restriction endonucleases, ligases, polymerases, kinases, alkaline phosphatases, reverse transcriptase
Enzymes used in DNA manipulating
Restriction Endonucleases
Restriction endonucleases वह एंजाइम हैं जो DNA को विशिष्ट स्थानों पर काटते हैं। ये एंजाइम जीवाणुओं द्वारा उत्पन्न होते हैं और इनके द्वारा निर्मित DNA के छोटे टुकड़े प्रयोगशालाओं में अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण हैं।
Ligases
Ligases एंजाइम होते हैं जो DNA के टुकड़ों को जोड़ने का कार्य करते हैं। यह प्रक्रिया मुख्यत: DNA रिप्लिकेशन और DNA मरम्मत में महत्वपूर्ण है। ये एंजाइम नू्क्लियोटाइड्स के बीच फॉस्फोडीस्टर बॉंड्स बनाते हैं।
Polymerases
DNA polymerases एंजाइम होते हैं जो DNA की नई स्ट्रैंड बनाने में सहायता करते हैं। ये DNA के मौजूदा स्ट्रैंड को मॉडल के रूप में इस्तेमाल करते हैं और नए नू्क्लियोटाइड्स को जोड़ते हैं।
Kinases
Kinases एंजाइम होते हैं जो ATP के माध्यम से फॉस्फेट समूहों को जोड़ने का कार्य करते हैं। ये विभिन्न बायोकैमिकल प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, विशेषकर संकेत ट्रांसडक्शन में।
Alkaline Phosphatases
Alkaline phosphatases एंजाइम होते हैं जो फॉस्फेट समूहों को हटा देते हैं। ये प्रक्रिया तकनीक में महत्वपूर्ण हैं, जैसे कि DNA क्लोनिंग में, जहां फॉस्फेट समूहों का हटाना आवश्यक होता है।
Reverse Transcriptase
Reverse transcriptase एंजाइम हैं जो RNA से DNA का संश्लेषण करते हैं। यह प्रक्रिया RNA वायरस के जीवन चक्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और इसे जैव प्रौद्योगिकी में भी उपयोग किया जाता है।
Genomic Library, PCR, Sequencing: Preparation and comparison of genomic and cDNA libraries, PCR and applications, DNA Sequencing, site directed mutagenesis, protein engineering concepts
Genomic Library, PCR, Sequencing
Genomic Library
जीनोम लाइब्रेरी एक प्रकार का डीएनए बायोडेटाबेस होता है जिसमें किसी जीव के सभी जीन और इंटरजीनिक क्षेत्र को स्टोर किया जाता है। इसे क्लोनिंग के माध्यम से बनाया जाता है, जिसमें जीन को प्लास्मिड्स या वायरस में एम्बेड किया जाता है।
cDNA Library
cDNA लाइब्रेरी को मरोती या रिवर्स ट्रांस्किप्शन के जरिए बनाया जाता है, जिसमें RNA को DNA में बदलकर लाइब्रेरी बनाई जाती है। यह जीन एक्सप्रेशन का अध्ययन करने में सहायक होते हैं।
PCR (Polymerase Chain Reaction)
PCR एक महत्वपूर्ण तकनीक है जो DNA के विशेष हिस्से की कई प्रतियां बनाने में मदद करता है। इसमें तापमान को बार-बार बदलकर DNA स्ट्रैंड को अलग और पुनः संयोजित किया जाता है।
DNA Sequencing
DNA अनुक्रमण एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा DNA अनुक्रम की जानकारी प्राप्त की जाती है। यह शोधकर्ताओं को जीन की संरचना और कार्य को समझने में मदद करता है।
Site Directed Mutagenesis
साइट-डायरेक्टेड म्यूटाजेनेसिस एक विधि है जो लक्षित परिवर्तन करने के लिए DNA अनुक्रम में प्रयोग की जाती है। इससे विशिष्ट जीन में बदलाव कर नए प्रोटीन की विशेषता को समझा जा सकता है।
Protein Engineering
प्रोटीन इंजीनियरिंग एक उन्नत तकनीक है जिसमें प्रोटीन का निर्माण या संशोधन किया जाता है ताकि उसकी कार्यप्रणाली में सुधार हो सके। इससे नए औषधीय उत्पादों का विकास संभव है।
Molecular Biology techniques: DNA isolation, blotting (Southern, Northern, Western), Electrophoresis of nucleic acids and proteins, Gene cloning, screening and characterization of cloned DNA, DNA Fingerprinting, RFLP, RAPD
Molecular Biology Techniques
DNA Isolation
DNA अलग करने की प्रक्रिया में कोशिकाओं को तोड़कर, उनके अन्दर से DNA का संग्रह करना शामिल है। इसके लिए विभिन्न तरीकों का उपयोग किया जाता है, जैसे कि फेनोल-च्लोरोफॉर्म निष्कर्षण और सॉलिड-फेज विधियाँ।
Blotting Techniques
Blotting तकनीकें विशिष्ट नाभिकीय एसिड्स और प्रोटीन के पहचान के लिए उपयोग की जाती हैं। इसमें मुख्यत: तीन प्रकार हैं: दक्षिणी ब्लॉटिंग (DNA के लिए), उत्तरी ब्लॉटिंग (RNA के लिए), और वेस्टर्न ब्लॉटिंग (प्रोटीन के लिए)।
Electrophoresis
इलेक्ट्रोफोरेसिस एक ऐसी तकनीक है जिसमें नाभिकीय एसिड्स और प्रोटीन को उनके आकार और चार्ज के आधार पर अलग किया जाता है। यह सामान्यतः जेली के माध्यम से किया जाता है।
Gene Cloning
जीन क्लोनिंग में विशिष्ट जीन का संयोजन करना एवं इसे अन्य कोशिकाओं में प्रतिकृत करना शामिल है। यह जीवविज्ञान में महत्वपूर्ण तकनीक है, जिससे जीन का अध्ययन करना संभव होता है।
Screening and Characterization of Cloned DNA
क्लोन्ड DNA की छानबीन और उसका चरित्र निर्धारण विभिन्न तकनीकें जैसे कि PCR, अनुक्रमण, और आरएफएलपी का उपयोग करके किया जाता है।
DNA Fingerprinting
DNA फिंगरप्रिंटिंग एक विधि है जो किसी व्यक्ति के अनूठे DNA पैटर्न का उपयोग करके उसकी पहचान करने में मदद करती है। यह विधि फॉरेंसिक और वंशानुगत अध्ययन में महत्वपूर्ण है।
RFLP
RFLP (Restriction Fragment Length Polymorphism) एक ऐसा तकनीक है जो विशिष्ट एंजाइमों का उपयोग कर DNA के विभिन्न टुकड़ों की लंबाई में भिन्नता को पहचानने में मदद करती है।
RAPD
RAPD (Random Amplified Polymorphic DNA) एक PCR आधारित तकनीक है, जो संयोगिक विस्तार के माध्यम से DNA में विविधता का अध्ययन करती है।
