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Semester 3: Biochemistry and Biochemical tools

  • Amino acids and Protein: Structure and properties of amino acids, types and classification of proteins, forces stabilizing protein structure, levels of structural organization, denaturation and renaturation

    Amino acids and Protein
    • Amino Acids: Structure and Properties

      एमिनो एसिड्स बायोमोलेक्यूल्स के बेसिक बिल्डिंग ब्लॉक्स होते हैं। ये कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन और कभी-कभी सल्फर के अणुओं से बने होते हैं। हर अमीनो एसिड में एक एमीन्स ग्रुप (NH2) और एक कार्बोक्सिल ग्रुप (COOH) होता है। अमीनो एसिड्स में रॉस्टीरिज और पोलरिटी जैसी गुणधर्म होते हैं जो उनकी विशेष भूमिका को निर्धारित करते हैं।

    • Types and Classification of Proteins

      प्रोटीन को विभिन्न प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है, जैसे संरचनात्मक प्रोटीन (जैसे कोलेजन), एंजाइमेटिक प्रोटीन (जैसे एंजाइम), और परिवहन प्रोटीन (जैसे हीमोग्लोबिन)। प्रोटीन को उनकी जटिलता के आधार पर भी वर्गीकृत किया जा सकता है, जैसे प्राइमरी, सेकेंडरी, टर्शियरी, और क्वाटरनरी संरचनाएं।

    • Forces Stabilizing Protein Structure

      प्रोटीन संरचना को स्थिर करने वाले प्रमुख बलों में हाइड्रोजन बांड, आयोनिक बांड, हाइड्रोफोबिक इंटरैक्शन और डिसल्फाइड बांड शामिल हैं। ये बल प्रोटीन की 3डी संरचना बनाने में मदद करते हैं।

    • Levels of Structural Organization

      प्रोटीन की चार स्तर की संरचनाएं होती हैं: प्राइमरी (अमीनो एसिड अनुक्रम), सेकेंडरी (अल्फा हेलिक्स और बीटा शीट), टर्शियरी (3डी आकार), और क्वाटरनरी (कई पॉलिपेप्टाइड चेन का सम्मिलन)। ये स्तर प्रोटीन की कार्यशीलता और फलन के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं।

    • Denaturation and Renaturation

      डेनैचुरेशन वह प्रक्रिया है जिसमें प्रोटीन की प्राकृतिक संरचना को नष्ट किया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप उसकी कार्यक्षमता खो जाती है। यह तापमान, पीएच या रासायनिक पदार्थों के प्रभाव से हो सकता है। रेनैचुरेशन वह प्रक्रिया है जिसमें डेनैचुरेटेड प्रोटीन अपनी मूल संरचना में लौटता है, यदि सही परिस्थितियाँ उपलब्ध हों।

  • Carbohydrates: Structure, function and properties of monosaccharides, disaccharides and polysaccharides, mucopolysaccharides, bacterial cell wall polysaccharides, glycoproteins

    Carbohydrates: Structure, function and properties of monosaccharides, disaccharides, polysaccharides, mucopolysaccharides, bacterial cell wall polysaccharides, glycoproteins
    • Monosaccharides

      मोनोसेकेराइड सरल कार्बोहाइड्रेट होते हैं और ये एकल शर्करा अणु होते हैं। इनमें मुख्य रूप से ग्लूकोज़, फ्रुक्टोज और गैलक्टोज शामिल हैं। ये ऊर्जा का त्वरित स्रोत प्रदान करते हैं और कार्बोहाइड्रेट के अन्य रूपों के लिए मूल निर्माण ब्लॉक होते हैं।

    • Disaccharides

      डाईसेकेराइड दो मोनोसेकेराइड के संयोजन से बने होते हैं। सामान्य उदाहरणों में सुक्रोज, लैक्टोज और माल्टोज शामिल हैं। ये ऊर्जा प्रदान करते हैं और पाचन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

    • Polysaccharides

      पॉलीसेकेराइड एक या एक से अधिक प्रकार के मोनोसेकेराइड के बड़े अणु होते हैं। स्टार्च, सेलुलोज और ग्लाइकोजन यहाँ प्रमुख हैं। ये लंबे समय तक ऊर्जा संग्रहण और संरचनात्मक सहायता प्रदान करते हैं।

    • Mucopolysaccharides

      म्यूकोपॉलीसेकेराइड ग्लीकोप्रोटीन के साथ मिलकर संरचुनात्मक और कार्यात्मक दोनों भूमिका निभाते हैं। ये ज्यादातर मानव शरीर में पाई जाती हैं, जैसे कि हाइलूरोनिक एसिड।

    • Bacterial Cell Wall Polysaccharides

      बैक्टीरिया की सेल वॉल मुख्यतः पेप्टिडोग्लाइकन से बनी होती है, जिसमें कई प्रकार के पॉलीसेकेराइड होते हैं। ये बैक्टीरिया की सुरक्षा और संरचना में महत्वपूर्ण होते हैं।

    • Glycoproteins

      ग्लाइकोप्रोटीन प्रोटीन होते हैं जो एक या एक से अधिक कार्बोहाइड्रेट समूह के साथ संयोजित होते हैं। ये कोशिकाओं में संकेतन, पहचान और जैविक प्रतिक्रियाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

  • Nucleic acids: Structure and functions, physical and chemical properties of nucleic acids, nucleosides and nucleotides, purines and pyrimidines, DNA double helix models, denaturation and renaturation

    Nucleic acids: Structure and functions, physical and chemical properties of nucleic acids, nucleosides and nucleotides, purines and pyrimidines, DNA double helix models, denaturation and renaturation
    • NUCLEIC ACIDS

      न्यूक्लिक एसिड दो मुख्य प्रकार के होते हैं: DNA (डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड) और RNA (राइबोन्यूक्लिक एसिड)। इनका मुख्य कार्य जीवों में आनुवंशिक सूचना का संचयन और संचरण करना है।

    • STRUCTURE OF NUCLEIC ACIDS

      DNA की संरचना एक डबल हेलिक्स की होती है, जिसमें दो न्यूक्लियोटाइड की सर्पिल जोड़े होते हैं। RNA आमतौर पर एकल स्ट्रैंड में होता है। दोनों में शर्करा, फोस्फेट और नाइट्रोजन यौगिक होते हैं।

    • NUCLEOSIDES AND NUCLEOTIDES

      न्यूक्लियोटाइड न्यूक्लियोटाइड का निर्माण करते हैं, जो न्यूक्लियोसाइड और फॉस्फेट समूह से बने होते हैं। न्यूक्लियोटाइड आनुवंशिक सामग्री के निर्माण में महत्वपूर्ण होते हैं।

    • PURINES AND PYRIMIDINES

      पुराइन (जैसे एडेनिन, ग्वानिन) और पायरीमिडिन (जैसे साइटोसिन, थाइमिन, और यूरासिल) न्यूक्लिक एसिड के नाइट्रोजन बेस होते हैं। ये आधार न्यूक्लियोटाइड में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

    • DNA DOUBLE HELIX MODELS

      डबल हेलिक्स मॉडल में, दोनों स्ट्रैंड के बीच हाइड्रोजन बंधन होते हैं। वाटसन और क्रिक द्वारा विकसित यह मॉडल न्यूक्लियोटाइड के क्रम को सुगम बनाता है।

    • DENATURATION AND RENATURATION

      डेनचुरेशन वह प्रक्रिया है जिसमें डबल हेलिक्स के स्टैंड अलग हो जाते हैं। रिनैच्युरेशन वह प्रक्रिया है जिससे ये फिर से जुड़ जाते हैं। ये प्रक्रियाएँ तापमान और pH पर निर्भर करती हैं।

    • PHYSICAL AND CHEMICAL PROPERTIES OF NUCLEIC ACIDS

      न्यूक्लिक एसिड की भौतिक विशेषताओं में पिघलने का तापमान, घुलनशीलता और एसिडिटी शामिल हैं। रासायनिक विशेषताएँ न्यूक्लियोटाइड के बीच बंधन और प्रतिक्रियाओं पर निर्भर करती हैं।

  • Lipids: Structure and functions of lipids, classification, nomenclature and properties of fatty acids, phospholipids, sphingolipids, glycolipids, prostaglandins, cholesterol

    Lipids: Structure and functions of lipids, classification, nomenclature and properties of fatty acids, phospholipids, sphingolipids, glycolipids, prostaglandins, cholesterol
    • लिपिड्स की संरचना और कार्य

      लिपिड्स, जो मुख्य रूप से कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन से बने होते हैं, कोशिकाओं की संरचना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये ऊर्जा का स्रोत होते हैं और विभिन्न जैविक प्रक्रियाओं में भाग लेते हैं।

    • लिपिड्स का वर्गीकरण

      लिपिड्स को मुख्यतः तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है: सरल लिपिड्स (जैसे फैटी एसिड और ट्राइग्लिसराइड्स), जटिल लिपिड्स (जैसे फॉस्फोलिपिड्स और ग्लाइकोलिपिड्स), और व्युत्पन्न लिपिड्स (जैसे प्रोस्टाग्लैंडिंस और कोलेस्ट्रॉल)।

    • फैटी एसिड का नामकरण और गुण

      फैटी एसिड को उनके कार्बन चेन की लंबाई और अवशिष्ट बंधनों के अनुसार वर्गीकृत किया जाता है। संतृप्त और असंतृप्त फैटी एसिड प्रमुख श्रेणियाँ हैं, जहाँ असंतृप्त फैटी एसिड में एक या एक से अधिक डबल बंधन होते हैं।

    • फॉस्फोलिपिड्स की संरचना और कार्य

      फॉस्फोलिपिड्स में एक हाइड्रोफिलिक फॉस्फेट समूह और दो हाइड्रोफोबिक फैटी एसिड चेन होती हैं। ये सेल मेम्ब्रेन की संरचना में महत्वपूर्ण होती हैं और सेल संकेतन में भी भाग लेती हैं।

    • स्पिंगोलिपिड्स

      स्पिंगोलिपिड्स विशेष प्रकार के लिपिड होते हैं जो स्पिंगोसिन नामक सिरामाइड के बेस पर बने होते हैं। ये न्यूरॉन्स की संरचना में महत्वपूर्ण होते हैं और न्यूरोट्रांसमिशन में भाग लेते हैं।

    • ग्लाइकोलिपिड्स

      ग्लाइकोलिपिड्स, जो एक या अधिक शर्करा के अणुओं से युक्त होते हैं, सेल मेम्ब्रेन में पाए जाते हैं। ये सेल पहचान और संकेतन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

    • प्रोस्टाग्लैंडिंस

      प्रोस्टाग्लैंडिंस लिपिड व्युत्पन्न होते हैं जो हार्मोन के समान कार्य करते हैं। ये विभिन्न जैविक कार्यों जैसे सूजन, रक्तचाप, और थर्मोरेगुलेशन में महत्वपूर्ण हैं।

    • कोलेस्ट्रॉल

      कोलेस्ट्रॉल एक स्टीरोइड है जो सेल मेम्ब्रेन की स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है। यह अन्य लिपिड्स के साथ मिलकर लिपिड रैफ्ट्स का निर्माण करता है और हार्मोन उत्पादन में भी सहायक होता है.

  • Enzymes and Enzyme classification: Nomenclature and classification, enzyme kinetics, cofactors, coenzymes, prosthetic groups, holoenzyme and apoenzyme, enzyme inhibition

    Enzymes and Enzyme classification
    • Enzyme Nomenclature and Classification

      एंजाइमों की नामकरण प्रणाली और वर्गीकरण महत्वपूर्ण हैं। एंजाइमों को उनके कार्य और संरचना के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। मुख्य वर्गों में ऑक्सीडोरडुक्टेज़, ट्रांसफरेज, हाइड्रोलेज़, लियेज़, इसोमेरेज़ और लिगेज़ शामिल हैं।

    • Enzyme Kinetics

      एंजाइम काइनेटिक्स एंजाइमों की गतिविधि और उत्प्रेरण की दर के अध्ययन से संबंधित है। माइकलिस-मेंटेन समीकरण एंजाइम गतिविधि की गणना के लिए एक मुख्य टूल है। यह enzyme-substrate सम्बन्ध और उनकी रुखावट पर विश्लेषण करता है।

    • Cofactors, Coenzymes, and Prosthetic Groups

      कोफैक्टर्स, कोएंजाइम और प्रॉस्थेटिक समूह एंजाइमों के गतिविधि के लिए आवश्यक सहायक अणु होते हैं। कोफैक्टर्स अकार्बनिक होते हैं, जबकि कोएंजाइम कार्बनिक होते हैं। प्रॉस्थेटिक समूह एंजाइम में दृढ़ता से जुड़े होते हैं।

    • Holoenzyme and Apoenzyme

      होलोज़ाइम वह पूर्ण एंजाइम है जिसमें प्रॉस्थेटिक समूह और कोफैक्टर्स शामिल होते हैं, जबकि अपोज़ाइम केवल प्रोटीन संरचना है बिना सहायक अणुओं के। इन दोनों का अध्ययन एंजाइमों की कार्यप्रणाली समझने में मदद करता है।

    • Enzyme Inhibition

      एंजाइम अवरोध एंजाइम गतिविधि को कम करने का एक प्रक्रिया है। अवरोधक दो प्रकार के होते हैं: प्रतिस्पर्धात्मक और गैर-प्रतिस्पर्धात्मक। प्रतिस्पर्धात्मक अवरोधक सक्रिय स्थल पर प्रतिस्पर्धा करते हैं, जबकि गैर-प्रतिस्पर्धात्मक अवरोधक अन्य स्थलों पर बंधते हैं।

  • Metabolism: Metabolism of carbohydrates—gluconeogenesis, glycolysis, TCA cycle, glyoxylate cycle; Metabolism of fatty acids; Oxidation of amino acids and urea cycle

    • कार्बोज न्यूट्रिएंट्स का मेटाबॉलिज्म

      कार्बोहाइड्रेट्स का मेटाबॉलिज्म हमारे शरीर में ऊर्जा के उत्पादन का महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। इसमें मुख्यतः ग्लुकोनिजेनेसिस, ग्लाइकोलाइसिस, टीसीए चक्र और ग्लाइऑक्सिलेट चक्र शामिल हैं।

    • ग्लुकोनिजेनेसिस

      ग्लुकोनिजेनेसिस प्रक्रिया में, जिगर में ग्लूकोस का निर्माण होता है। यह तब होता है जब शरीर में ग्लूकोज की कमी होती है।

    • ग्लाइकोलाइसिस

      ग्लाइकोलाइसिस में, एक ग्लूकोस अणु को विघटित कर ऊर्जा का उत्पादन किया जाता है। यह प्रक्रिया कोशिकाओं के साइटोप्लाज्म में होती है।

    • टीसीए चक्र

      टीसीए चक्र, जिसे क्रीब्स चक्र भी कहा जाता है, मेटाबॉलिज्म की एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जिसमें साइट्रेट अणु के रूप में ऊर्जा का उत्पादन होता है।

    • ग्लाइक्सिलेट चक्र

      ग्लाइक्सिलेट चक्र पौधों और कवक में पाया जाता है, यह फैटी एसिड के विघटन का एक महत्वपूर्ण रास्ता है।

    • वसा एसिड का मेटाबॉलिज्म

      वसा एसिड का मेटाबॉलिज्म शरीर में ऊर्जा के प्रमुख स्रोत के रूप में कार्य करता है। यह प्रक्रिया मुख्यतः माइटोकॉंड्रिया में होती है।

    • एमिनो एसिड का ऑक्सीडेशन और यूरिया चक्र

      एमिनो एसिड का ऑक्सीडेशन शरीर में प्रोटीन के विघटन के दौरान होता है। यूरिया चक्र में शरीर में अमोनिया को यूरिया में परिवर्तित किया जाता है, जो कि विषैले होते हैं।

  • Vitamins and Hormones: Introduction to vitamins, hormones, phytohormones, deficiency diseases

    विटामिन और हार्मोन: परिचय
    • विटामिन क्या हैं

      विटामिन आवश्यक कार्बनिक यौगिक हैं जिनकी शरीर में विभिन्न कार्यों के लिए आवश्यकता होती है। इन्हें दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है: वसा-घुलनशील विटामिन (A, D, E, K) और पानी-घुलनशील विटामिन (B, C)। विटामिन संतुलित आहार से प्राप्त होते हैं और इनकी कमी से स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

    • हार्मोन की भूमिका

      हार्मोन जैविक यौगिक हैं जो शरीर में विभिन्न शारीरिक प्रक्रियाओं को नियंत्रित करते हैं। ये ग्रंथियों द्वारा उत्पादित होते हैं और रक्त के माध्यम से शरीर के विभिन्न भागों तक पहुँचते हैं। इनकी गतिविधियाँ विकास, मेटाबोलिज़्म, प्रजनन आदि में महत्वपूर्ण होती हैं।

    • फाइटोहार्मोन

      फाइटोहार्मोन पौधे उत्पन्न हार्मोन होते हैं जो उनके वृद्धि और विकास को नियंत्रित करते हैं। जैसे कि Auxins, Gibberellins, Cytokinins आदि। इनका प्रयोग कृषि में उपज बढ़ाने के लिए किया जाता है।

    • कमियों से संबंधित रोग

      विटामिन और हार्मोन की कमी से विभिन्न रोग उत्पन्न हो सकते हैं। जैसे विटामिन A की कमी से रतौंधी, विटामिन D की कमी से ऑस्टियोपोरोसिस, और हार्मोनल असंतुलन से मधुमेह आदि। समय पर विटामिन और हार्मोन का सेवन आवश्यक है।

  • Techniques: Chromatography (various types), Spectroscopy (UV-Vis), NMR, X-ray diffraction, Centrifugation, Mass spectrometry

    Biochemistry and Biochemical tools
    • Chromatography

      क्रोमैटोग्राफी एक विभाजन तकनीक है जिसका उपयोग मिश्रणों को अलग करने के लिए किया जाता है। इसके विभिन्न प्रकार हैं जैसे कि गैस क्रोमैटोग्राफी, तरल क्रोमैटोग्राफी और पेपर क्रोमैटोग्राफी। यह तकनीक न केवल जैव रासायनिक शोध में बल्कि औषधि उद्योग में भी महत्वपूर्ण है।

    • Spectroscopy (UV-Vis)

      यूवी-विज स्पेक्ट्रोस्कोपी एक विश्लेषणात्मक तकनीक है जिसका उपयोग पदार्थों के अवशोषण स्पेक्ट्रम का अध्ययन करने के लिए किया जाता है। यह जैव रसायन में महत्वपूर्ण है क्योंकि यह विभिन्न यौगिकों की सांद्रता और संरचना का निर्धारण करने में सहायक होती है।

    • NMR

      न्युक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस (NMR) एक शक्तिशाली तकनीक है जिसका उपयोग आणविक संरचनाओं के निर्धारण में किया जाता है। यह तकनीक आणविक दृष्टि में कई जानकारी प्रदान करती है, जैसे कि परमाणुओं के बीच संबंध और यौगिक की जटिलता।

    • X-ray diffraction

      एक्स-रे विवर्तन एक तकनीक है जिसका उपयोग क्रिस्टलीय सामग्री की संरचना को अध्ययन करने के लिए किया जाता है। यह विधि शोधकर्ताओं को क्रिस्टल के भीतर परमाणुओं की व्यवस्था को समझने में मदद करती है।

    • Centrifugation

      सेंटीफ्यूजेशन एक प्रक्रिया है जिसका उपयोग विभिन्न द्रव्यमानों वाले कणों को अलग करने के लिए किया जाता है। यह तकनीक जैविक नमूनों से सेल्स और अन्य घटकों को पृथक करने में सहायक होती है।

    • Mass spectrometry

      द्रव्यमान स्पेक्ट्रोमेट्री एक विश्लेषणात्मक तकनीक है जिसका उपयोग विभिन्न यौगिकों के द्रव्यमान और संरचना का निर्धारण करने के लिए किया जाता है। यह जैव रसायन में महत्वपूर्ण है क्योंकि यह यौगिकों की पहचान और विश्लेषण में मदद करती है।

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Biotechnology

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