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Semester 4: Microbiology and Immunology
Diversity and classification of microbes: History and evolution, microbial taxonomy, microbial phylogeny, classification of bacteria, microbial diversity, morphology and cell structure of viruses, bacteria, algae, fungi, protozoa
Diversity and classification of microbes
History and Evolution
सूक्ष्मजीवों का इतिहास और विकास प्रकृति के छोटे जीवों के अस्तित्व के आदिकाल से संबंधित है। सूक्ष्मजीवों का उदय लगभग 3.5 अरब वर्ष पहले प्रारंभ हुआ। यह समय पृथ्वी पर पहले जीवन की उपस्थिति का संकेत देता है।
Microbial Taxonomy
सूक्ष्म जीवों की वर्गीकरण विज्ञान को सूक्ष्म जीव वर्गीकरण कहते हैं। इसमें जीवों को उनके समान लक्षणों के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। इसे दो मुख्य श्रेणियों में बांटा जाता है - प्रोकेरियोट्स और यूकेरियोट्स।
Microbial Phylogeny
सूक्ष्मजीवों की वंशावली अध्ययन में सूक्ष्मजीवों के विकास संबंधी रिश्तों को समझना शामिल है। यह अणु आनुवंशिकी के आधार पर सूक्ष्मजीवों के समूहों के बीच अंतर को दर्शाता है।
Classification of Bacteria
बैसिलस, कोकी, स्पिरिलम आदि के माध्यम से बैक्टीरिया की वर्गीकरण की जाती है। बैक्टीरिया को उनके आकार, रूप, और अन्य गुणों के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है।
Microbial Diversity
सूक्ष्मजीवों में विविधता उनके लक्षणों, जीवित रहने के तरीकों और पर्यावरणीय क्षेत्रों के आधार पर होती है। इसमें बैक्टीरिया, फंगस, अल्गी, और प्रोटोजोआ की भिन्न जातियाँ शामिल हैं।
Morphology and Cell Structure
सूक्ष्मजीवों की आकृति विज्ञान और कोशिका संरचना में बैक्टीरिया, फंगस, अल्गी, और प्रोटोजोआ की भिन्नता का अध्ययन किया जाता है। इसके अंतर्गत कोशिका की दीवार, झिल्ली, और अध्यवस्त्र शामिल हैं।
Microbial growth: Growth curve, generation time, culture methods, microbial metabolism, bacterial reproduction including transformation, transduction, conjugation, endospores and sporulation
Microbial growth
Growth Curve
सूक्ष्मजीव वृद्धि वक्र एक ग्राफिकल प्रतिनिधित्व है जो समय के साथ सूक्ष्मजीवों की जनसंख्या वृद्धि को दर्शाता है। इसमें चार मुख्य चरण होते हैं: लेग चरण, लॉग चरण, स्थिर चरण, और मृत चरण। लेग चरण में सूक्ष्मजीव नए वातावरण के लिए अनुकूलित होते हैं, लॉग चरण में वृद्धि की अधिकतम दर होती है, स्थिर चरण में पोषक तत्वों की कमी और अपशिष्ट उत्पादों के संचय के कारण वृद्धि रुक जाती है, और मृत चरण में सूक्ष्मजीवों की मृत्यु दर वृद्धि दर से अधिक हो जाती है.
Generation Time
जनन समय वह समय है जो एक सूक्ष्मजीव कोशिका को विभाजित करने के लिए लगता है। यह आमतौर पर उस वातावरण पर निर्भर करता है जिसमें सूक्ष्मजीव वृद्धि कर रहे हैं, और सामान्यतः 20 मिनट से लेकर कई घंटों तक हो सकता है।
Culture Methods
सूक्ष्मजीवों को बढ़ाने के लिए विभिन्न संस्कृति विधियों का उपयोग किया जाता है जैसे कि ठोस और तरल माध्यम। ठोस माध्यम में, जीवाणु कॉलोनीज स्पष्ट रूप से देखी जा सकती हैं, जबकि तरल माध्यम में सूक्ष्मजीव पूरी संस्कृति में फैल जाते हैं।
Microbial Metabolism
सूक्ष्मजीवों का चयापचय दो मुख्य प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है: कार्बन और ऊर्जा स्रोतों के अनुसार। हeterotrophic सूक्ष्मजीव जैविक पदार्थों से ऊर्जा प्राप्त करते हैं, जबकि autotrophic सूक्ष्मजीव प्रकाश या रासायनिक ऊर्जा से उपयोग करते हैं।
Bacterial Reproduction
प्रकाशन मुख्य रूप से बायनरी फिशन के माध्यम से होता है, जिसमें एक सूक्ष्मजीव अपनी कोशिका सामग्री को विभाजित कर दो नई कोशिकाएं बनाता है।
Transformation
परिवर्तन एक प्रक्रिया है जहां सूक्ष्मजीव डीएनए के स्वतंत्र रूपों को अवशोषित कर लेते हैं, जिससे वे नई विशेषताओं को प्राप्त करते हैं।
Transduction
परिवर्तन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें बैक्टीरियोफेज में सूक्ष्मजीवों के बीच जीन स्थानांतरित करते हैं।
Conjugation
सम्बंधीकरण एक प्रक्रिया है जिसमें दो बैक्टीरिया एक साथ आते हैं और एक दूसरे को जीन भेजते हैं।
Endospores
एंडोस्पोर एक विशेष प्रकार की संरचना है जो बैक्टीरिया को अत्यधिक कठिन परिस्थितियों में जीवित रहने में सहायता करती है।
Pathogen contamination and infectious diseases: Water microbiology, bacterial pollutants, sewage composition, food microbiology, major foodborne infections and intoxications, bacterial and viral diseases of humans
Pathogen contamination and infectious diseases
पानी का सूक्ष्मजीव विज्ञान
पानी में सूक्ष्मजीवों का अध्यन जल microbiology कहलाता है। यह मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव डालता है। जल के माध्यम से फैलने वाले रोगों के कारण वायरस, बैक्टीरिया और कृमियों का जल में उपस्थित होना प्रमुख है।
बैक्टीरियल प्रदूषण
जल और भोजन में बैक्टीरिया प्रदूषण महत्वपूर्ण है। यह प्रदूषण आमतौर पर अपशिष्ट जल, मानव और पशु मल के कारण होता है। मुख्य बैक्टीरिया जैसे ई.कोलाई, सालमोनेला, और शिगेला संक्रमण का कारण बन सकते हैं।
नाले का संघटन
नाले में विभिन्न प्रकार के जैविक और अजैविक तत्व होते हैं। इसमें मानव अपशिष्ट, औद्योगिक अपशिष्ट, तथा कृषि रसायन शामिल होते हैं। इनका जल स्रोतों पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
भोजन का सूक्ष्मजीव विज्ञान
भोजन में सूक्ष्मजीवी प्रदूषण से न केवल खाने की गुणवत्ता प्रभावित होती है, बल्कि यह मानव स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक हो सकता है। खाद्य पदार्थों में जीवाणु, फफूंद और अन्य सूक्ष्मजीव उपस्थित हो सकते हैं।
प्रमुख खाद्यजनित संक्रमण और विषाक्तताएँ
खाद्यजनित बीमारियों में सालमोनेलोसिस, लिस्टेरियोसिस, और कैंपिलोबैक्टीरiosis शामिल हैं। ये संक्रमण आमतौर पर दूषित खाद्य पदार्थों या पानी के माध्यम से फैलते हैं।
मानव के बैक्टीरियल और वायरल रोग
मानव में होने वाले प्रमुख बैक्टीरियल रोगों में टेटनस, ब्रुसेलोसिस और तपेदिक शामिल हैं। वायरल रोगों में नॉरवायरस और हेपेटाइटिस सबसे सामान्य हैं। ये रोग जल और खाद्य प्रदूषण के माध्यम से फैल सकते हैं।
Sterilization, cultivation and staining: Methods of sterilization, cultivation and maintenance of microorganisms, isolation methods, principles and types of staining
Sterilization, cultivation and staining in microbiology
Sterilization Methods
सूक्ष्मजीवों के लिए अस्वच्छता से बचने के लिए विभिन्न प्रकार की नसबंदी विधियाँ प्रयोग की जाती हैं। इन विधियों में भौतिक और रासायनिक दोनों प्रकार की नसबंदी शामिल हैं। भौतिक विधियों में उष्मा (जैसे ऑटोक्लेविंग), फिल्ट्रेशन और विकिरण शामिल हैं। रासायनिक विधियों में एल्कोहल, फेनोल, और ब्लीच का प्रयोग होता है।
Cultivation of Microorganisms
सूक्ष्मजीवों की खेती के लिए विभिन्न पोषक तत्वों के माध्यम से इनके लिए अनुपयुक्त वातावरण तैयार किया जाता है। यह प्रक्रिया विभिन्न प्रकार के मीडिया (जैसे तरल और ठोस मीडिया) का उपयोग करके की जाती है। सूक्ष्मजीवों को बढ़ाने के लिए तापमान, पीएच और ऑक्सीजन के स्तर को नियंत्रित करना आवश्यक है।
Maintenance of Microorganisms
सूक्ष्मजीवों की देखभाल और रखरखाव के लिए नियमित निगरानी और आवश्यकतानुसार पोषक तत्वों की आपूर्ति की जाती है। इसके लिए इनको सुरक्षित तापमान पर रखना, नियमित रूप से सबकल्चर करना और संक्रमण के खिलाफ आवश्यकतानुसार उपचार करना शामिल है।
Isolation Methods
सूक्ष्मजीवों का पृथकीकरण विभिन्न विधियों द्वारा किया जाता है, जैसे प्लेट कल्चर, तरल कल्चर और एप्रोक्सिमेटिंग मूविंग। अलग-अलग सूक्ष्मजीवों की पहचान करने के लिए विभिन्न परीक्षण किए जाते हैं जो उनकी विशेषताओं पर आधारित होते हैं।
Principles and Types of Staining
सूक्ष्मजीवों की पहचान और अध्ययन के लिए रंगाई की प्रक्रिया महत्वपूर्ण है। रंगाई के प्रमुख सिद्धांतों में क्रिस्टल वायलेट, सैफरनिन या ग्रैम स्टेंस शामिल होते हैं। रंगाई के प्रकारों में सरल रंगाई, ग्राम रंगाई और विशेष रंगाई शामिल हैं जो सूक्ष्मजीवों के आकार, रूप और संरचना का अध्ययन करते समय मदद करते हैं.
Introduction to immune system: Components of mammalian immune system, innate and adaptive immunity, humoral and cell mediated immune response, clonal selection theory, primary and secondary immune responses
Introduction to immune system
Components of mammalian immune system
पशु सामूहिक प्रतिरक्षा प्रणाली में मुख्यतः दो प्रकार के घटक होते हैं: 1. स्पष्ट प्रतिरक्षा घटक: जैसे थाइमस, अस्थि मज्जा, लिंफ नोड्स और तिल्ली। 2. अज्ञात प्रतिरक्षा घटक: जैसे रक्त कोशिकाएँ, एंटीबॉडी और साइटोकिन।
Innate immunity
प्राकृतिक प्रतिरक्षा प्रणाली पहले से मौजूद होती है और यह तेजी से प्रतिक्रिया करती है। इसमें शारीरिक और रासायनिक बाधाएँ शामिल होती हैं, जैसे कि त्वचा, श्लेष्म झिल्ली, और प्रतिरक्षा कोशिकाएँ जैसे न्यूट्रोफिल, मैक्रोफेज।
Adaptive immunity
अधिग्रहित प्रतिरक्षा प्रणाली संक्रमणों के प्रति विशिष्ट प्रतिक्रिया को विकसित करती है। यह दो प्रकार की प्रतिक्रिया में होती है: 1. ह्यूमोरल इम्युनिटी: जहां एंटीबॉडीज का उत्पादन होता है। 2. सेल-मेडिएटेड इम्युनिटी: जहां टी-कोशिकाएँ सक्रिय होती हैं।
Humoral immune response
ह्यूमोरल प्रतिरक्षा में बी-कोशिकाएँ एंटीबॉडी का निर्माण करती हैं। ये एंटीबॉडी पैथोजनों से लड़ने और उन्हें निष्क्रिय करने में मदद करती हैं।
Cell-mediated immune response
सेल-मेडिएटेड प्रतिरक्षा में टी-कोशिकाएँ मुख्य भूमिका निभाती हैं। ये संक्रमित कोशिकाओं को पहचानती हैं और उन्हें नष्ट करती हैं।
Clonal selection theory
क्लोनल चयन सिद्धांत का तात्पर्य है कि प्रतिरक्षा प्रणाली केवल उन बी- और टी-कोशिकाओं को बढ़ाती है जो विशेष पैथोजन के प्रति विशिष्ट होते हैं। यह एक संक्रमण के दौरान सफल कोशिकाओं का चयन करता है।
Primary and secondary immune responses
प्राथमिक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया तब होती है जब शरीर पहली बार किसी पैथोजन का सामना करता है। यह धीरे-धीरे होती है। द्वितीयक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया दूसरी बार संक्रमण के समय तेजी से होती है। यह अधिक प्रभावशाली और लंबी होती है।
Antigen and Antibody structure and diversity: Antigens, epitopes, adjuvants, immunoglobulin structure, B- and T-cell receptors, maturation, antibody diversity, somatic gene rearrangements
Antigen and Antibody structure and diversity
Antigens
एंटीजन वे पदार्थ हैं जो इम्यून सिस्टम को सक्रिय करते हैं। ये जीवाणु, विषाणु, या शरीर में किसी अन्य विदेशी पदार्थ के प्रोटीन हो सकते हैं। एंटीजन शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को प्रेरित करती है, जिससे एंटीबॉडी का निर्माण होता है।
Epitopes
एपिटोप वे विशिष्ट भाग होते हैं जो एंटीजन पर होते हैं और जिन्हें एंटीबॉडी द्वारा पहचाना जाता है। ये आम तौर पर 10 से 20 एमिनो एसिड लंबाई के होते हैं। यह एंटीबॉडी की पहचान और उसके लक्ष्य के बीच संपर्क के लिए महत्वपूर्ण हैं।
Adjuvants
एडजुवेंट्स वे पदार्थ हैं जो वैक्सीनेशन के दौरान प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को बढ़ाने के लिए उपयोग किए जाते हैं। ये एंटीजन के साथ मिलकर शरीर के इम्यून सिस्टम को सक्रिय करते हैं और लंबे समय तक सुरक्षा प्रदान करते हैं।
Immunoglobulin Structure
इम्युनोग्लोबिन, जिसे एंटीबॉडी भी कहा जाता है, एक Y-आकार का प्रोटीन होता है। इसमें दो भारी और दो हल्के चैनल होते हैं। ये विभिन्न प्रकार के एंटीजन के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करते हैं।
B- and T-cell Receptors
B-cells इम्युनoglobulin का उत्पादन करते हैं और एंटीजन का सामना करते हैं। T-cells में T-cell रिसेप्टर्स होते हैं, जो एंटीजन-प्रस्तुत करने वाली कोशिकाओं द्वारा प्रस्तुत एंटीजन को पहचानते हैं।
Maturation
B- और T-cells की परिपक्वता विभिन्न चरणों से गुजरती है। B-cells बोन मर्रो में और T-cells थाइमस में परिपक्व होते हैं। ये प्रक्रियाएँ इम्यून सिस्टम की क्षमता को बढ़ाती हैं।
Antibody Diversity
एंटीबॉडी विविधता का मतलब है कि इम्युनoglobulins विभिन्न एंटीजन के लिए विशिष्ट होते हैं। यह विविधता जीन पुनर्व्यवस्थापन के माध्यम से प्राप्त होती है।
Somatic Gene Rearrangements
सोमैटिक जीन पुनर्व्यवस्थापन B- और T-cells में होता है और यह एंटीबॉडी के लिए विविधता बढ़ाता है। यह प्रक्रिया DNA के पुनर्गठन के माध्यम से होती है, जिससे विभिन्न प्रकार के एंटीबॉडी बनते हैं।
MHC, antigen processing and presentation: Major histocompatibility complex class I & II, antigen processing, autoimmune diseases, immunodeficiency including AIDS and SCID
MHC, antigen processing and presentation
MHC Class I
MHC Class I अणु सभी न्यूक्लीट सेल्स पर पाए जाते हैं। ये प्रोटीन अंदर की कोशिकाओं से प्रोटीन पेप्टाइड को प्रस्तुत करते हैं, जिससे शरीर की इम्यून सिस्टम को संक्रमण का पता लगाने में मदद मिलती है।
MHC Class II
MHC Class II अणु केवल विशेष एंटीजन प्रस्तुत करने वाली कोशिकाओं (जैसे B सेल्स, मैक्रोफेज, और डेंड्रिटिक सेल्स) पर पाए जाते हैं। ये बाहरी एंटीजन के पेप्टाइड को प्रस्तुत करते हैं और T-helper कोशिकाओं को सक्रिय करते हैं।
Antigen Processing
एंटीजन प्रोसेसिंग की प्रक्रिया में, बाहरी एंटीजन को डिग्रेड किया जाता है और फिर इनका प्रोटीन पेप्टाइड MHC में लोड होकर इम्यून कोशिकाओं में प्रस्तुत किया जाता है। इसके द्वारा, इम्यून रिस्पॉन्स को सक्रिय किया जाता है।
Autoimmune Diseases
ऑटोइम्यून बीमारियाँ तब होती हैं जब इम्यून सिस्टम अपने स्वयं के ऊतकों पर हमला करता है। यह अक्सर MHC अणुओं में अनियमितता के कारण होता है, जिसके चलते इम्यून सिस्टम अपने स्वयं के एंटीजन को पहचानता है।
Immunodeficiency Diseases
इम्यूनोडेफिशियेंसी बीमारियों में शरीर की इम्यून प्रणाली कमजोर होती है। AIDS और SCID इसके प्रमुख उदाहरण हैं। इन बीमारियों में MHC अणुओं एवं अन्य इम्यून फंक्शंस में बाधा आती है।
AIDS (Acquired Immunodeficiency Syndrome)
AIDS एक वायरस (HIV) के द्वारा होता है, जो शरीर की इम्यून कोशिकाओं को नष्ट कर देता है। MHC अणुओं में बदलाव से इम्यून प्रणाली में गंभीर कमी हो जाती है।
SCID (Severe Combined Immunodeficiency)
SCID एक आनुवंशिक विकार है, जिसमें T और B कोशिकाएं सही ढंग से विकसित नहीं होतीं। इसमें MHC अणुओं का निर्माण सही से नहीं हो पाता, जिसके कारण रोग प्रतिरोधक क्षमताएं कमजोर हो जाती हैं.
Immunological Techniques and Vaccines: Immunodiagnostics techniques including precipitation, agglutination, RIA, ELISA, immunofluorescence, passive & active immunization, types of vaccines (DNA, recombinant, inactivated), common indigenous vaccines
Immunological Techniques and Vaccines
Immunodiagnostic Techniques
इम्युनोडायग्नोस्टिक तकनीकें रोगों की पहचान के लिए उपयोग की जाती हैं। इनमें प्रमुख तकनीकें हैं: प्रीसीपिटेशन, एग्लुटिनेशन, RIA और ELISA।
Precipitation
प्रीसीपिटेशन एक तकनीक है जिसमें एंटीजन और एंटीबॉडी के बीच प्रतिक्रिया के द्वारा पट्टी बनती है। यह रक्त या अन्य स्रावों में एंटीजन की उपस्थिति का पता लगाने के लिए उपयोग किया जाता है।
Agglutination
एग्लुटिनेशन तकनीक में अलोक्सिक या रासायनिक एजेंटों के द्वारा कणों का जमाव होता है। इसे रक्त समूहों की पहचान में और विभिन्न बायोलॉजिकल परीक्षणों में उपयोग किया जाता है।
RIA (Radioimmunoassay)
RIA एक संवेदनशील इम्युनोलॉजिकल तकनीक है जो रेडियोधर्मी तत्वों का उपयोग करके एंटीजन या एंटीबॉडी की मात्रा निर्धारित करने में मदद करती है।
ELISA (Enzyme-Linked Immunosorbent Assay)
ELISA एक लोकप्रिय इम्युनोलॉजिकल तकनीक है जो एंटीजन या एंटीबॉडी की मात्रा जाँचने के लिए एंजाइम का उपयोग करती है। यह रोचकता और संवेदनशीलता में विशेष है।
Immunofluorescence
इम्युनोफ्लोरेसेंस एक तकनीक है जो कि एंटीबॉडी को फ्लोरोसेंट डाई के साथ संदर्भित करके लक्षित एंटीजन की पहचान में उपयोग की जाती है।
Passive Immunization
पैसिव इम्युनाइजेशन वह प्रक्रिया है जिसमें पूर्वनिर्मित एंटीबॉडी का उपयोग किया जाता है। यह तात्कालिक सुरक्षा प्रदान करती है, लेकिन दीर्घकालिक सुरक्षा नहीं।
Active Immunization
एक्टिव इम्युनाइजेशन एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को सक्रिय करने के लिए दी जाने वाली वैक्सीन के उपयोग को संदर्भित करता है। यह दीर्घकालिक सुरक्षा प्रदान करता है।
Types of Vaccines
टीकों के मुख्य प्रकारों में शामिल हैं: DNA Vaccines, Recombinant Vaccines और Inactivated Vaccines। इनका उपयोग विभिन्न रोगों से बचाव के लिए किया जाता है।
Common Indigenous Vaccines
महत्वपूर्ण स्वदेशी टीकों में BCG, DPT, OPV आदि शामिल हैं। ये टीके भारत में व्यापक रूप से उपयोग किए जाते हैं।
