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Semester 5: Environmental Economics, Economic Growth and Development
Introduction: key environmental issues, economic concepts, Pareto optimality, market failure, property rights
Introduction: key environmental issues, economic concepts, Pareto optimality, market failure, property rights
पर्यावरणीय मुद्दे
पर्यावरणीय मुद्दे आज की दुनिया में गंभीर चिंता का विषय हैं। जलवायु परिवर्तन, जल संकट, वायु और जल प्रदूषण, जैव विविधता की हानि आदि प्रमुख मुद्दे हैं। इन मुद्दों का प्रभाव न केवल पारिस्थितिकी तंत्र पर पड़ता है, बल्कि यह आर्थिक विकास और सामाजिक कल्याण को भी प्रभावित करता है।
आर्थिक अवधारणाएं
आर्थिक विकास और पर्यावरणीय स्थिरता के बीच संतुलन बनाना आवश्यक है। अर्थशास्त्र में संसाधनों का कुशल उपयोग, उत्पादन और उपभोग के पैटर्न, और पर्यावरण संरक्षण की लागत को समझना महत्वपूर्ण है।
पारेटो उत्कृष्टता
पारेटो उत्कृष्टता वह स्थिति है जिसमें एक व्यक्ति की स्थिति में सुधार करना अन्य किसी व्यक्ति की स्थिति को खराब किए बिना संभव नहीं है। यह अवधारणा आर्थिक संसाधनों के प्रदर्शन और पर्यावरणीय नीतियों के प्रभाव को समझने के लिए महत्वपूर्ण है।
बाजार में विफलता
बाजार विफलता तब होती है जब मुक्त बाजार में संसाधनों काallocation कुशलतापूर्वक नहीं होता। पर्यावरणीय मुद्दों में, इसका अर्थ है कि निजी बाजार पर्यावरणीय हानि या संसाधनों के अत्यधिक उपयोग का सही मूल्य नहीं तय कर पाते।
संपत्ति अधिकार
संपत्ति अधिकारों का महत्व आर्थिक विकास में बढ़ता जा रहा है। स्पष्ट और सुरक्षित संपत्ति अधिकार निवेश को बढ़ावा देते हैं, और स्थायी संसाधनों के संरक्षण में मदद करते हैं। पर्यावरणीय समस्याओं के समाधान में संपत्ति अधिकारों की भूमिका पर विचार करना आवश्यक है।
Environmental Policy: Pigouvian taxes, tradable permits, implementation in India and international experience, climate change economics
Environmental Policy: Pigouvian taxes, tradable permits, implementation in India and international experience, climate change economics
Pigouvian Taxes
पिगोवियन टैक्स पर्यावरणीय दुष्प्रभावों को कम करने के लिए लगाए जाने वाले कर हैं। ये टैक्स उन गतिविधियों पर लागू होते हैं जो समाज को हानि पहुँचाती हैं, जैसे प्रदूषण। ये टैक्स कंपनियों को प्रोत्साहित करते हैं कि वे अपने संचालन को पर्यावरण के अनुकूल बनाएं।
Tradable Permits
व्यापार योग्य अनुमति प्रदूषण को नियंत्रित करने का एक उपाय है। सरकार एक निश्चित मात्रा में प्रदूषण की अनुमति देती है, जिसे कंपनियां खरीद और बेच सकती हैं। यह सिस्टम कंपनियों को शुरुआती लागत के बिना प्रदूषण कम करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
Implementation in India
भारत में, पिगोवियन टैक्स और व्यापार योग्य अनुमति की अवधारणाएँ अभी भी विकासशील हैं। कुछ राज्य सरकारें प्रदूषण पर टैक्स लगाती हैं, जबकि अन्य केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ मिलकर डिपॉज़िट सिस्टम पर काम कर रही हैं।
International Experience
अन्य देशों जैसे कि स्वीडन और कनाडा ने पिगोवियन टैक्स और व्यापार योग्य अनुमति के सिस्टम को सफलतापूर्वक लागू किया है। इन देशों ने प्रदूषण में कमी लाने और आर्थिक वृद्धि को संतुलित करने में सफलता हासिल की है।
Climate Change Economics
जलवायु परिवर्तन अर्थशास्त्र का लक्ष्य जलवायु परिवर्तन के आर्थिक प्रभावों का आकलन करना और नीतियों का विकास करना है जो विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन स्थापित करें।
Environmental Valuation: theory and practice, cost-benefit analysis of policies
Environmental Valuation: theory and practice, cost-benefit analysis of policies
पर्यावरणीय मूल्यांकन की परिभाषा
पर्यावरणीय मूल्यांकन एक प्रक्रिया है जिसके माध्यम से प्राकृतिक संसाधनों और पारिस्थितिक तंत्रों का आर्थिक मूल्य निर्धारित किया जाता है। यह मूल्यांकन उपकरण नीति निर्माताओं को निर्णय लेने में मदद करता है।
मूल्यांकन के प्रकार
पर्यावरणीय मूल्यांकन के कई प्रकार हैं जैसेः उपयोगिता मूल्यांकन, गैर-उपयोगिता मूल्यांकन और व्यवसायिक मूल्यांकन।
पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएँ
पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएं जैसे जल, वायु, खाद्य उत्पादन आदि का मूल्यांकन किया जाता है। इन्हें आर्थिक दृष्टि से महत्व दिया जाता है।
लागत-लाभ विश्लेषण
लागत-लाभ विश्लेषण एक महत्वपूर्ण साधन है जिसके माध्यम से नीतियों के सामाजिक और आर्थिक प्रभावों का विश्लेषण किया जाता है।
नीतियों का मूल्यांकन
सरकारी नीतियों के पर्यावरणीय प्रभाव का मापन लागत-लाभ विश्लेषण के जरिए किया जाता है। यह सुनिश्चित करता है की जो निर्णय लिए जाएं वे पारिस्थितिकीय दृष्टिकोण से सही हों।
व्यवहार और अनुसंधान
पर्यावरणीय मूल्यांकन में व्यवहारिक अनुसंधान और साक्षात्कार का उपयोग किया जाता है। यह लोगों की धारणा और उनकी पर्यावरणीय प्राथमिकताओं को समझने में मदद करता है।
Sustainable Development: concepts, measurement, Indian experience
Sustainable Development
Sustainable Development के अवधारणाएँ
Sustainable Development का अर्थ है विकास की ऐसी प्रक्रिया जो वर्तमान की आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ-साथ भविष्य की पीढ़ियों की आवश्यकताओं को भी ध्यान में रखे। यह आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय पहलुओं के बीच संतुलन स्थापित करने की कोशिश करती है।
Sustainable Development का मापन
Sustainable Development के मापन के लिए कई संकेतक और सूचक होते हैं जैसे HDI (Human Development Index), Gini Coefficient, और पर्यावरणीय स्थिरता के संकेतक। ये संकेतक यह दर्शाते हैं कि विकास किस प्रकार से संतुलित और समावेशी हो रहा है।
भारत का अनुभव
भारत में Sustainable Development की दिशा में कई पहल की गई हैं। जैसे कि स्वच्छ भारत अभियान, नरेगा, और नीती आयोग द्वारा स्थायी विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए उठाए गए कदम। भारत ने न केवल आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित किया है, बल्कि सामाजिक विकास और पर्यावरण संरक्षण पर भी विशेष ध्यान दिया है।
Challenges in Sustainable Development
Sustainable Development का सामना कई चुनौतियों से है, जैसे कि जनसंख्या वृद्धि, संसाधनों का अपर्याप्त वितरण, और पर्यावरणीय संकट। इन चुनौतियों को समझना और उनके समाधान के लिए ठोस उपाय करना आवश्यक है।
Sustainable Development Goals (SDGs)
Sustainable Development Goals (SDGs) को संयुक्त राष्ट्र ने 2015 में अपनाया था, जिसमें 17 लक्ष्यों के माध्यम से वैश्विक विकास को बढ़ावा देने का प्रयास किया गया है। भारत ने इन लक्ष्यों को अपने विकास कार्यक्रमों में शामिल किया है।
Economic Growth and Development: measuring development gap, GDP, factors affecting growth
Economic Growth and Development
विकास अंतर को मापना
विकास अंतर (Development gap) का मतलब है विभिन्न देशों या क्षेत्रों के बीच अर्थव्यवस्था और सामाजिक विकास में अंतर। इसे आमतौर पर आय, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और जीवन स्तर से मापा जाता है। विकास अंतर को कम करने के लिए नीतियों की आवश्यकता होती है जो आर्थिक समृद्धि और सामाजिक समावेशिता को बढ़ावा दें।
GDP
सकल घरेलू उत्पाद (GDP) एक महत्वपूर्ण आर्थिक संकेतक है जो एक देश के भीतर आर्थिक गतिविधियों का माप प्रदान करता है। यह सभी अंतर्निहित वस्तुओं और सेवाओं का कुल मूल्य है जो एक निश्चित समय अवधि में उत्पादित होते हैं। GDP का उच्च होना संकेत देता है कि देश की अर्थव्यवस्था मजबूत है, जबकि निम्न GDP विकास की कमी को दर्शाता है।
विकास को प्रभावित करने वाले कारक
विकास को प्रभावित करने वाले कई कारक हैं, जैसे प्राकृतिक संसाधन, मानव पूंजी, राजनीतिक स्थिरता, तकनीकी प्रगति और अवसंरचना। इन कारकों का सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव हो सकता है, और इन्हें प्रभावी ढंग से प्रबंधित करना आवश्यक है ताकि आर्थिक विकास सुचारू रूप से हो सके।
आर्थिक विकास और पर्यावरणीय कारक
आर्थिक विकास अक्सर पर्यावरणीय कारकों से प्रभावित होता है। आर्थिक गतिविधियों से होने वाला प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन जैसे मुद्दे गंभीर चिंता का विषय हैं। सतत विकास के लिए आर्थिक विकास को पर्यावरण संरक्षण के साथ संतुलित करना आवश्यक है।
Poverty and Inequality: vicious cycle, Lorenz curve, Human Development Index, Happiness Index
Poverty and Inequality: vicious cycle, Lorenz curve, Human Development Index, Happiness Index
Poverty and Inequality
गरीबी और असमानता एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। गरीबी एक आर्थिक स्थिति है जहाँ व्यक्तियों को आवश्यक संसाधनों की कमी होती है, जबकि असमानता समाज में संसाधनों का असमान वितरण है। दोनों मिलकर एक दुष्चक्र बनाते हैं।
Vicious Cycle of Poverty
गरीबी का दुष्चक्र तब शुरू होता है जब गरीब लोग शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार के अवसरों से वंचित रहते हैं। इससे उनकी आर्थिक स्थिति और भी कमजोर होती जाती है। यह एक अंतहीन चक्र है, जो अगली पीढ़ी को भी प्रभावित करता है।
Lorenz Curve
लोरेन्ज वक्र एक ग्राफिकल उपकरण है जिसका उपयोग आय और संपत्ति के वितरण को दर्शाने के लिए किया जाता है। इस वक्र के द्वारा यह दिखाया जाता है कि किसी समाज में कुल आय का कितना प्रतिशत धन कुल जनसंख्या के कितने प्रतिशत द्वारा लिया गया है।
Human Development Index (HDI)
मानव विकास सूचकांक (HDI) एक संख्यात्मक उपाय है जो एक देश की सामाजिक और आर्थिक विकास को मापता है। इसे तीन प्रमुख आयामों: जीवन प्रत्याशा, शिक्षा और प्रति व्यक्ति आय के माध्यम से मापा जाता है। HDI बताता है कि कैसे एक देश में मानव विकास और जीवन स्तर प्रभावित होते हैं।
Happiness Index
खुशी सूचकांक लोगों की संतोष और खुशी के स्तर को मापने का एक तरीक़ा है। यह न केवल आर्थिक कारकों पर आधारित है, बल्कि सामाजिक, व्यक्तिगत और पर्यावरणीय कारकों को भी शामिल करता है। यह दिखाता है कि कैसे विकास सुधार के लिए खुशी और संतोष को बढ़ाने में मदद कर सकता है।
Growth Theories: Lewis model, Big Push theory, Rostow stages, Harrod-Domar growth models
Growth Theories
Lewis Model
लुईस मॉडल एक द्विसेक्टरल मॉडल है जो विकासशील देशों में आर्थिक विकास की प्रक्रिया को समझाने में मदद करता है। यह कृषि क्षेत्र से औद्योगिक क्षेत्र की ओर श्रम के स्थानांतरण पर जोर देता है। लुईस का मानना है कि जब तक कृषि क्षेत्र में श्रमिकों की संख्या अधिक होती है, तब तक औद्योगिक क्षेत्र के विकास की गति धीमी होती है।
Big Push Theory
बिग पुश थ्योरी का तात्पर्य है कि विकासशील देशों को आर्थिक विकास के लिए बड़े पैमाने पर औद्योगिक निवेश की आवश्यकता है। यह थ्योरी बताती है कि यदि एक बार में काफी निवेश किया जाए, तो यह समग्र आर्थिक विकास को गति देगा। यह निवेश नए उद्योगों के निर्माण और रोजगार में वृद्धि को प्रोत्साहित करता है।
Rostow Stages
रॉस्टो के विकास के चरणों का सिद्धांत आर्थिक विकास के विभिन्न चरणों को वर्णित करता है। रॉस्टो ने पांच प्रमुख चरणों का उल्लेख किया है: परंपरागत समाज, प्री-कंडीशन फॉर टेक्नोलॉजिकल टेकऑफ, टेक्नोलॉजिकल टेकऑफ, सप्लाई रैंकिंग और उच्च उपभोक्ता समाज। प्रत्येक चरण में विकास की अलग-अलग विशेषताएँ और आवश्यकताएँ होती हैं।
Harrod-Domar Growth Model
हैरोड-डोमार मॉडल एक महत्वपूर्ण आर्थिक सिद्धांत है जो निवेश और विकास के बीच संबंध को समझाने का प्रयास करता है। यह बताता है कि कुल निवेश का स्तर उच्चतम रोजगार स्तर के लिए आवश्यक है। यदि निवेश को बढ़ाया जाए, तो उत्पादन और रोजगार में वृद्धि होगी। इसके अनुसार, विकास की गति निवेश की दर और पूंजी के प्रभावी उपयोग पर निर्भर करती है.
International Aspects: trade, FDI, regional cooperation (SAPTA, NAFTA, SAARC, BRICS), WTO and developing countries
International Aspects: trade, FDI, regional cooperation (SAPTA, NAFTA, SAARC, BRICS), WTO and developing countries
अंतरराष्ट्रीय व्यापार
अंतरराष्ट्रीय व्यापार का अर्थ है देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं का आदान-प्रदान। यह देशों को उनके संसाधनों का प्रभावी उपयोग करने में मदद करता है। व्यापार संधियों के माध्यम से देशों के बीच आर्थिक संबंध मजबूत होते हैं।
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI)
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का अर्थ है किसी देश की कंपनी द्वारा दूसरे देश में व्यापार स्थापित करना। FDI से देशों में पूंजी निवेश होता है और रोजगार के अवसर बढ़ते हैं। यह विकासशील देशों के लिए एक महत्वपूर्ण आर्थिक अवसर है।
क्षेत्रीय सहयोग के मंच
विश्व व्यापार संगठन (WTO)
विश्व व्यापार संगठन (WTO) वैश्विक व्यापार को विनियमित करने का अंतरराष्ट्रीय संगठन है। इसका उद्देश्य मुक्त व्यापार को बढ़ावा देना और व्यापार से संबंधित समस्याओं का समाधान करना है।
विकासशील देशों के संदर्भ में
विकासशील देशों के लिए अंतरराष्ट्रीय व्यापार एवं निवेश के अवसर सीमित होते हैं, लेकिन इन संगठनों और सहयोग से उन्हें वैश्विक अर्थव्यवस्था में भाग लेने का मौका मिलता है। इन देशों को FDI और व्यापार संधियों के माध्यम से विकास की संभावनाएं मिलती हैं।
