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Semester 4: Money, Banking and Public Finance

  • Money: concept, functions, measurement, theories of money supply determination

    Money: concept, functions, measurement, theories of money supply determination
    • Money: Concept

      पैसा एक ऐसा माध्यम है जिसका उपयोग वस्त्रों और सेवाओं की विनिमय के लिए किया जाता है। यह सामाजिक संबंधों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे एक मानक इकाई की तरह समझा जा सकता है।

    • Functions of Money

      पैसे के तीन प्रमुख कार्य होते हैं: 1. विनिमय का माध्यम - यह व्यवसाय में उत्पादों और सेवाओं के लिए भुगतान में सहायता करता है। 2. मूल्य का माप - पैसे का उपयोग वस्तुओं के मूल्य को मापने के लिए किया जाता है। 3. समृद्धि का भंडार - पैसा भविष्य में उपयोग के लिए बचत करने का माध्यम है।

    • Measurement of Money

      पैसे को मापने के लिए विभिन्न मानक होते हैं, जैसे कि मनी सप्लाई (M1, M2, M3)। M1 में नकद और चेकिंग खाते शामिल हैं, जबकि M2 और M3 में बचत खाते और बड़े समय के डिपॉजिट भी शामिल होते हैं।

    • Theories of Money Supply Determination

      पैसे की आपूर्ति के निर्धारण के लिए कई सिद्धांत हैं। मुख्य रूप से ये सिद्धांत हैं: 1..quantity theory of money - यह बताता है कि पैसे की आपूर्ति और मूल्य स्तर के बीच एक सीधा संबंध होता है। 2. Demand-pull inflation theory - यह बताता है कि जब मांग आपूर्ति से अधिक हो जाती है, तो मूल्य स्तर में वृद्धि होती है। 3. Cost-push inflation theory - यह सिद्धांत बताता है कि उत्पादन की लागत में वृद्धि के कारण मूल्य स्तर बढ़ता है।

  • Financial Institutions, Markets, Instruments and Financial Innovations: role, asymmetric information problems, financial crises, money and capital markets in India

    Financial Institutions, Markets, Instruments and Financial Innovations in India
    वित्तीय संस्थाएँ
    वित्तीय बाजार
    वित्तीय उपकरण
    वित्तीय नवाचार
    असमान जानकारी की समस्याएँ
    वित्तीय संकट
    धन और पूंजी बाजार
    भारत में संदर्भ
    भारत में, वित्तीय योजनाएँ और नीतियाँ समय के साथ विकासशील हुई हैं। RBI और SEBI जैसी संस्थाएँ इनका संचालन करती हैं।
  • Interest Rates: determination, differentials, theories of term structure, interest rates in India

    Interest Rates
    • Interest Rates की परिभाषा

      Interest rate वह मूल्य है जो एक उधारकर्ता को कर्ज़ लेने पर चुकाना होता है। यह धन के समय के मूल्य को दर्शाता है। ब्याज दरें हमेशा प्रतिशत के रूप में व्यक्त की जाती हैं।

    • Interest Rates का निर्धारण

      ब्याज दरों का निर्धारण विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है। इनमें केंद्रीय बैंक की नीतियाँ, मौद्रिक आपूर्ति, आर्थिक स्थिति, तथा बाजार की मांग और आपूर्ति शामिल हैं।

    • Interest Rate Differential

      Interest rate differential उस अंतर को दर्शाता है जो दो विभिन्न वित्तीय संस्थानों या देशों के ब्याज दरों के बीच होता है। यह सामान्यतः विदेशी मुद्रा व्यापार में महत्वपूर्ण होता है।

    • Term Structure of Interest Rates

      Term structure से तात्पर्य है भविष्य में विभिन्न समयावधियों में ब्याज दरों का प्रवृत्ति। यह साधारणत: एक ग्राफ में प्रदर्शित किया जाता है जिसे 'यील्ड कर्व' कहा जाता है।

    • भारत में ब्याज दरें

      भारत में ब्याज दरों का निर्धारण भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा किया जाता है। यहाँ की ब्याज दरें विभिन्न सामाजिक-आर्थिक कारकों पर निर्भर करती हैं। भारत में बैंकिंग व्यवस्था और ऋण की मांग, ब्याज दरों को प्रभावित करती है।

    • ब्याज दरों से संबंधित सिद्धांत

      ब्याज दरों के निर्धारण के लिए कई सिद्धांत हैं जैसे कि विक्षुब्धता का सिद्धांत, लिक्विडिटी प्रीमियम थ्योरी और उम्मीदों का सिद्धांत। ये सिद्धांत मुद्रा प्रवाह और वित्तीय बाजारों में निवेश के निर्णयों को समझने में मदद करते हैं।

  • Banking System: balance sheet management, Indian banking system reforms, central banking and monetary policy

    Banking System
    • Balance Sheet Management

      बैंकिंग प्रणाली में बैलेंस शीट प्रबंधन महत्वपूर्ण है। यह बैंक के परिसंपत्तियों और दायित्वों का संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। बैलेंस शीट प्रबंधन के द्वारा बैंक अपनी वित्तीय स्थिति को बेहतर ढंग से समझ सकता है।

    • Indian Banking System Reforms

      भारतीय बैंकिंग प्रणाली में कई सुधार किए गए हैं। इनमें नये कंपनियों के लिए लाइसेंसिंग, एनपीए प्रबंधन, और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना शामिल है। इन सुधारों ने बैंकिंग क्षेत्र को अधिक प्रतिस्पर्धात्मक और पारदर्शी बनाया है।

    • Central Banking

      केंद्रीय बैंक, जैसे रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, मुद्रा और बैंकिंग प्रणाली के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह नीतियों के माध्यम से अर्थव्यवस्था में स्थिरता बनाए रखने का प्रयास करते हैं।

    • Monetary Policy

      मौद्रिक नीति केंद्रीय बैंक द्वारा निर्धारित की जाती है। इसका उद्देश्य महंगाई नियंत्रण, रोजगार सृजन, और आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देना होता है। मौद्रिक नीति बैंकों के लिए ब्याज दरें निर्धारित करती है जो अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डालती हैं।

  • Public Finance: meaning, scope, public goods vs private goods, market failure, government roles

    Public Finance
    • Item

      सार्वजनिक वित्त का अर्थ है सरकारी राजस्व और व्यय के प्रबंधन की प्रक्रिया। इसमें यह अध्ययन किया जाता है कि सरकारें अपने वित्तीय संसाधनों का कैसे प्रबंधन करती हैं और आर्थिक गतिविधियों पर उनके प्रभाव को ध्यान में रखते हुए किन नीतियों का पालन करती हैं।
    • Item

      सार्वजनिक वित्त का दायरा बहुत व्यापक है। इसमें बजट, कराधान, सरकारी खर्च, सार्वजनिक निवेश और ऋण प्रबंधन शामिल हैं। यह सामाजिक कल्याण, आर्थिक विकास, और वित्तीय स्थिरता जैसे पहलुओं पर भी ध्यान केंद्रित करता है।
    • Item

      सार्वजनिक वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जिन्हें सभी नागरिकों के लिए उपलब्ध होना चाहिए, जैसे कि रक्षा, सड़कें और स्वच्छता। ये वस्तुएं गैर-प्रतिस्थापीय हैं, जिसका मतलब है कि एक व्यक्ति के उपयोग से दूसरे व्यक्ति के उपयोग पर प्रभाव नहीं पड़ता है। दूसरी ओर, निजी वस्तुएं वे हैं जो विशेष रूप से एक व्यक्ति या परिवार के लिए होती हैं, जैसे खाना और कपड़े।
    • Item

      जब बाजार अपने आप संसाधनों का कुशलता से आवंटन नहीं कर पाता है, तो इसे बाजार विफलता कहा जाता है। उदाहरण स्वरूप, सार्वजनिक वस्तुओं का उत्पादन बाजार द्वारा नहीं किया जाता है क्योंकि कोई भी उन्हें खरीदने के लिए उत्सुक नहीं होता। ऐसी स्थिति में सरकार को हस्तक्षेप करने की आवश्यकता होती है।
    • Item

      सरकार का मुख्य कार्य है सार्वजनिक वस्तुओं और सेवाओं का निर्माण और प्रदान करना, आर्थिक और सामाजिक स्थिरता सुनिश्चित करना और बाजार विफलताओं का समाधान करना। इसके साथ ही, सरकार नीतियों का निर्माण करती है जो समाज के समग्र विकास को सशक्त बनाती हैं।
  • Public Expenditure: meaning, classification, canons and effects, trends in India

    Public Expenditure
    • Meaning

      सार्वजनिक व्यय उस खर्च को दर्शाता है जो सरकार द्वारा सार्वजनिक उपयोगिताओं और सेवाओं के लिए किया जाता है। यह विकास गतिविधियों, सामाजिक कल्याण, बुनियादी ढांचे, और सार्वजनिक सेवाओं जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, और सुरक्षा को वित्तपोषित करने के लिए महत्वपूर्ण होता है।

    • Classification

      सार्वजनिक व्यय को विभिन्न श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है, जैसे: 1. सामान्य व्यय: यह व्यय सरकार द्वारा सामान्य प्रशासन, रक्षा, और सार्वजनिक सुरक्षा के लिए किया जाता है। 2. विकासात्मक व्यय: यह व्यय विकासात्मक परियोजनाओं और कार्यक्रमों के लिए होता है। 3. सामाजिक व्यय: यह व्यय सामाजिक कल्याण से जुड़े कार्यों के लिए किया जाता है, जैसे कि शिक्षा और स्वास्थ्य।

    • Canons of Public Expenditure

      सार्वजनिक व्यय के कुछ महत्वपूर्ण सिद्धांत हैं: 1. संतुलन: व्यय को संतुलित होना चाहिए और आय के स्रोतों के साथ मेल खाना चाहिए। 2. पारदर्शिता: सार्वजनिक व्यय में पारदर्शिता होनी चाहिए ताकि नागरिकों को जानकारी हो सके। 3. प्रभावशीलता: व्यय का प्रभाव और लाभ को ध्यान में रखना आवश्यक है।

    • Effects of Public Expenditure

      सार्वजनिक व्यय आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देता है, रोजगार सृजित करता है, और सामाजिक कल्याण में सुधार करता है। यह देश की विकास दर को भी प्रभावित करता है।

    • Trends in India

      भारत में सार्वजनिक व्यय के रुझान में निरंतर वृद्धि हुई है। सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से सामाजिक और आर्थिक विकास को प्राथमिकता दी जा रही है। इसके अलावा, आधारभूत ढांचे में निवेश और कल्याणकारी योजनाएँ भी महत्वपूर्ण हैं।

  • Taxation: sources of revenue, canons and classification, tax burden approaches, impact and incidence, good tax system characteristics

    Taxation
    • राजस्व के स्रोत

      राजस्व के मुख्य स्रोतों में प्रत्यक्ष कर, अप्रत्यक्ष कर, संपत्ति कर, उपयोगिता कर, और विशेष शुल्क शामिल हैं। प्रत्यक्ष कर वह है जो व्यक्ति या कंपनी की आय पर लगाया जाता है, जैसे आयकर। अप्रत्यक्ष कर वह है जो वस्त्रों और सेवाओं पर लगाया जाता है, जैसे वस्तु और सेवा कर (GST)।

    • कर के नियम

      कर प्रणाली की कुछ महत्वपूर्ण विशेषताएँ हैं- निश्चितता, समानता, सुविधा, और प्राथमिकता। निश्चितता का अर्थ है कि करदाता को उसकी कर राशि के बारे में स्पष्ट जानकारी होनी चाहिए। समानता का अर्थ है कि समान आय वाले व्यक्तियों को समान कर का भुगतान करना चाहिए।

    • कर की श्रेणियाँ

      करों को उनके आधार पर विभाजित किया जा सकता है जैसे प्रत्यक्ष कर और अप्रत्यक्ष कर। प्रत्यक्ष कर वे होते हैं जो आय पर लागू होते हैं, जबकि अप्रत्यक्ष कर उपभोक्ता द्वारा भुगतान किए जाते हैं।

    • कर का बोझ और दृष्टिकोण

      कर का बोझ उस अंश को दर्शाता है जो करदाता द्वारा किया गया भुगतान है। यह भिन्न हो सकता है, और इस पर निर्भर करता है कि कर किस प्रकार लगाया गया है। दृष्टिकोण में तकनीकी, आर्थिक, और सामाजिक पहलुओं का समावेश होता है।

    • सरकारी कर प्रणाली की विशेषताएँ

      एक अच्छी कर प्रणाली में पारदर्शिता, न्यूनतम प्रशासनिक लागत, और प्रभावी अनुपालन शामिल होना चाहिए। यह करदाता के लिए सरल और समझने में आसान होनी चाहिए, और सामाजिक न्याय को प्राथमिकता देनी चाहिए।

  • Fiscal Policy: components, objectives, role in developed and developing countries, Indian budget structure, federal fiscal relations

    Fiscal Policy
    राजकोषीय नीति में मुख्य तत्व होते हैं: सरकारी व्यय, कराधान, और सार्वजनिक ऋण। ये तत्व एक साथ मिलकर अर्थव्यवस्था में धन के प्रवाह को नियंत्रित करने का कार्य करते हैं।
    राजकोषीय नीति के मुख्य उद्देश्य होते हैं: आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना, महंगाई को नियंत्रित करना, और सामाजिक कल्याण को बढ़ावा देना।
    विकसित देशों में राजकोषीय नीति का उपयोग स्थिरता बनाए रखने के लिए किया जाता है, जबकि विकासशील देशों में यह आर्थिक विकास और अवसंरचना परियोजनाओं के लिए आवश्यक होती है।
    भारतीय बजट संरचना में आमदनी और खर्च का विश्लेषण किया जाता है। यह बजट केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच वित्तीय संसाधनों के वितरण को दर्शाता है।
    संघीय वित्तीय संबंधों में केंद्र और राज्य सरकारों के बीच वित्तीय संसाधनों का आवंटन और सहयोग शामिल होता है। यह आर्थिक समृद्धि सुनिश्चित करने में मदद करता है।

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