Page 3
Semester 3: Molecular Biology, Bioinstrumentation and Biotechniques
Process of Transcription: gene structure, RNA polymerases, transcription factors, steps in transcription
Process of Transcription
Gene Structure
जीन संरचना DNA के एक अनुक्रम को संदर्भित करती है जो प्रोटीन के निर्माण के लिए आवश्यक सूचना को संग्रहीत करती है। जीन में तीन प्रमुख भाग होते हैं: प्रमोटर, कोडिंग क्षेत्र, और समाप्ति क्षेत्र। प्रमोटर जीन के आरंभ को नियंत्रित करता है, कोडिंग क्षेत्र प्रोटीन के लिए अमीनो एसिड अनुक्रम को कोड करता है और समाप्ति क्षेत्र ट्रांसक्रिप्शन को समाप्त करता है।
RNA Polymerases
RNA पॉलिमरेज़ एक एंज़ाइम है जो DNA से RNA के निर्माण के लिए जिम्मेदार है। यह दो मुख्य प्रकारों में आता है: RNA पॉलिमरेज़ I, जो rRNA के निर्मित करने में सहायक है, और RNA पॉलिमरेज़ II, जो मुख्य रूप से mRNA के संश्लेषण के लिए जिम्मेदार है। RNA पॉलिमरेज़ III, tRNA और छोटे RNA अणुओं के लिए कार्य करता है।
Transcription Factors
ट्रांसक्रिप्शन फैक्टर ऐसे प्रोटीन होते हैं जो ट्रांसक्रिप्शन की प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं। ये एंज़ाइमों को प्रमोटर क्षेत्र से जोड़कर या हटाकर RNA पॉलिमरेज़ को सक्रिय या निष्क्रिय करते हैं। ट्रांसक्रिप्शन फैक्टरों में सामान्य ट्रांसक्रिप्शन फैक्टर और विशेष ट्रांसक्रिप्शन फैक्टर शामिल होते हैं।
Steps in Transcription
ट्रांसक्रिप्शन की प्रक्रिया में मुख्य चरण होते हैं: 1. इनिशिएशन: RNA पॉलिमरेज़ प्रमोटर क्षेत्र पर बंधता है और DNA को खोलता है। 2. एलंगेशन: RNA पॉलिमरेज़ DNA के एक स्ट्रैंड को स्कैन करके RNA का निर्माण करता है। 3. टर्मिनेशन: RNA पॉलिमरेज़ समाप्ति क्षेत्र पर पहुँचता है, और RNA का संश्लेषण रुक जाता है। अंतिम RNA अणु को प्रक्रिया के बाद प्रोसेसिंग की आवश्यकता होती है।
Process of Translation: genetic code, ribosomes, translation factors, stages of translation
Translation Process in Molecular Biology
Genetic Code
जीन संबंधी कोड एक ट्रिपलेट कोड के रूप में होता है, जिसमें तीन न्यूक्लियोटाइड्स एक एमिनो एसिड को निर्दिष्ट करते हैं। यह कोड हमेशा डीएनए में होता है और इसे आरएनए में ट्रांसक्राइब किया जाता है।
Ribosomes
राइबोसोम प्रोटीन संश्लेषण का स्थल होते हैं। ये राइबोसोम दो प्रमुख भागों में विभाजित होते हैं: बड़ी और छोटी उप-इकाइयाँ। राइबोसोम राइबोसोमल आरएनए और प्रोटीन के संयोजन से बनते हैं।
Translation Factors
अनुवाद कारक वे प्रोटीन होते हैं जो ट्रांसलेशन प्रक्रिया के विभिन्न चरणों को नियंत्रित करते हैं। इनमें initiation, elongation और termination के लिए विशेष कारक शामिल होते हैं।
Stages of Translation
अनुवाद की प्रक्रिया में तीन मुख्य चरण होते हैं: 1. आरंभ (Initiation): राइबोसोम मेसेंजर आरएनए से जुड़ता है। 2. विस्तार (Elongation): एंज़ाइम एमेन्जाईन की सहायता से एमिनो एसिड की श्रृंखला बनती है। 3. समाप्ति (Termination): जब राइबोसोम को स्टॉप कोडॉन मिलता है, तब प्रक्रिया समाप्त होती है।
Regulation of Gene Expression I: gene regulation in prokaryotes and eukaryotes, chromatin role, post-transcriptional modifications
Regulation of Gene Expression I
Gene Regulation in Prokaryotes
प्रोकैरियोट्स में जीन अभिव्यक्ति का नियमन मुख्य रूप से ट्रांसक्रिप्शन स्तर पर होता है। सबसे सामान्य उदाहरण लैकोन ऑपरेटर प्रणाली है, जिसमें एक रेगुलेटर प्रोटीन ऑपरेटर क्षेत्र में बाइंड होता है, जिससे RNA पॉलिमरेज़ का जीन तक पहुंचना संभव या असंभव होता है। इसके अलावा, जीन अभिव्यक्ति को क्रियात्मक प्रोटीनों के निर्माण के लिए आवश्यक संकेतों के माध्यम से भी नियंत्रित किया जाता है।
Gene Regulation in Eukaryotes
युकैरियोट्स में जीन अभिव्यक्ति का नियमन अधिक जटिल है और इसमें ट्रांसक्रिप्शन, RNA स्पlicing, ट्रांसलेशन और पोस्ट-ट्रांसलेशनल मौडिफिकेशंस शामिल होते हैं। ट्रांसक्रिप्शन का नियमन विभिन्न ट्रांसक्रिप्शन फेक्टर्स और एनहैंसर या सिलेंसर जैसी संरचनाओं के माध्यम से होता है। उत्प्रेरक प्रोटीन, DNA मेटिलेशन, और हिस्टोन संशोधन का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है।
Role of Chromatin
क्रोमोटिन जीन अभिव्यक्ति के नियमन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह DNA और प्रोटीन का एक जटिल है जो जीन की पहुँच को नियंत्रित करता है। क्रोमोटिन को दो प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है: अस्तित्वात क्रोमोटिन (Euchromatin) जो सामान्य रूप से सक्रिय रहता है, और हेटेरोक्रोमोटिन, जो सामान्यतः निष्क्रिय और संकुचित होता है। क्रोमोटिन संशोधन जैसे कि एसीटाइलेशन और मेथाइलेशन जीन अभिव्यक्ति को प्रभावित करते हैं।
Post-Transcriptional Modifications
पोस्ट-ट्रांसक्रिप्शनल संशोधन RNAs के स्थायित्व और इसकी अभिव्यक्ति की सक्रियता को प्रभावित करते हैं। मेटिलेशन, एकेडीटिनेशन, और एक्सोन स्प्लिसिंग जैसे प्रक्रियाएँ इस चरण में होती हैं। इन संशोधनों से RNA के स्थायित्व में वृद्धि होती है और यह सिग्नलिंग और प्रतिक्रियाओं में प्रमुख भूमिका निभाते हैं।
Regulation of Gene Expression II: translational regulation, post-translational modifications, gene silencing, RNA interference
Regulation of Gene Expression II
Translational Regulation
अनुवाद के विनियमन का तात्पर्य RNA के अनुवाद की प्रक्रिया को निर्धारित करने से है। यह प्रोसीज में उन मॉलिक्यूल्स की उपस्थिति द्वारा नियंत्रित होता है जो प्रोटीन निर्माण के लिए आवश्यक होते हैं। कई फेक्टर्स इस प्रक्रिया में शामिल होते हैं, जैसे कि राइबोसोम, ट्रांसफर RNA, और ऊर्जा स्रोत।
Post-Translational Modifications
पोस्ट-ट्रांसलेशनल संशोधनों में प्रोटीन के संश्लेषण के बाद होने वाले परिवर्तनों को शामिल किया जाता है। इनमें फॉस्फोराइलेशन, ग्लाइकोसिलेशन, और यूबिक्विटिनेशन जैसे परिवर्तन शामिल होते हैं। ये परिवर्तन प्रोटीन की कार्यशीलता, स्थायित्व, और स्थान को प्रभावित कर सकते हैं।
Gene Silencing
जीन साइलेंसिंग वह प्रक्रिया है जिसमें जीन की अभिव्यक्ति को घटाया या रोका जाता है। यह किसी जीन के RNA के विषाक्त प्रभाव के माध्यम से हो सकता है। यह प्रक्रिया कोशिकाओं में जीन के एक्सप्रेशन को नियंत्रित करने के लिए महत्वपूर्ण है।
RNA Interference
RNA हस्तक्षेप एक महत्वपूर्ण जैविक प्रक्रिया है जिसमें छोटे RNA मॉलिक्यूल्स, जैसे कि शॉर्ट इंटरफेरिंग RNA (siRNA) और माइक्रो RNA (miRNA), जीन अभिव्यक्ति को नियंत्रित करते हैं। यह प्रक्रिया आरएनए में कमी लाकर जीन की संतुलन को बनाए रखने में मदद करती है।
Principle and Types of Microscopes: microscopy types, applications
Principle and Types of Microscopes
सूक्ष्मदर्शी का सिद्धांत
सूक्ष्मदर्शी की कार्यप्रणाली प्रकाश के अपघटन पर आधारित है। यह प्रकाश की किरणों को एकत्रित करके वस्तुओं के छोटे विवरण को देखने की अनुमति देता है।
सूक्ष्मदर्शी के प्रकार
सूक्ष्मदर्शियों का उपयोग जैविक विज्ञान, चिकित्सा, पदार्थ विज्ञान, और बायोटेक्नोलॉजी में महत्वपूर्ण अनुप्रयोगों के लिए किया जाता है।
Centrifugation and Chromatography: principles, types of centrifuges and chromatography
Centrifugation and Chromatography
Centrifugation
सेंट्रीफुगेशन एक प्रक्रिया है जिसमें घनत्व के आधार पर पदार्थों को अलग किया जाता है। यह प्रक्रिया तेज गति से घूमने वाले उपकरण, जिसे सेंट्रीफ्यूज कहा जाता है, का उपयोग करती है। सेंट्रीफुगेशन का मुख्य सिद्धांत यह है कि भारी कण तेजी से बाहर की ओर धकेले जाते हैं, जबकि हल्के कण अंदर रहते हैं।
Types of Centrifuges
सेंट्रीफ्यूज के कई प्रकार होते हैं: 1. क्लासिकल सेंट्रीफ्यूज - सामान्य उपयोग के लिए। 2. हाई-स्पीड सेंट्रीफ्यूज - तेज़ गति के लिए। 3. यूवी-सेंट्रीफ्यूज - विशेष प्रदर्शन के लिए। 4. सैशे सेंट्रीफ्यूज - विभिन्न कणों के लिए।
Chromatography
क्रोमैटोग्राफी एक तकनीक है जिसका उपयोग विभिन्न घटकों को अलग करने के लिए किया जाता है। इसमें एक स्थिर और एक चलायमान चरण की मदद से घटकों को अलग किया जाता है। इसमें रेज़ोल्यूशन, सेपरेशन और क्वांटिफिकेशन शामिल होता है।
Types of Chromatography
क्रोमैटोग्राफी के कई प्रकार होते हैं: 1. पेपर क्रोमैटोग्राफी - सरलता के लिए। 2. क्षारीय क्रोमैटोग्राफी - आयनिक पदार्थों के लिए। 3. उच्च प्रदर्शन क्रोमैटोग्राफी (HPLC) - उच्च सटीकता के लिए। 4. गैस क्रोमैटोग्राफी - वाष्पशील पदार्थों के लिए।
Spectrophotometry and Biochemical Techniques: pH measurement, spectrophotometry principles, radio-tracer techniques
Spectrophotometry and Biochemical Techniques
Item
pH मापन एक प्रक्रिया है जिसमें एक विलयन की अम्लीयता या क्षारीयता निर्धारित की जाती है।
pH मापन जैव रासायनिक प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह एंजाइम गतिविधि और रासायनिक संतुलन को प्रभावित करता है।
pH मीटर
पर्चे में pH इंडिकेटर्स
कलाई परीक्षण
Item
Spectrophotometry एक तकनीक है जो प्रकाश के अवशोषण की मात्रा को मापती है।
यह कानून लैंबर्ट-बेयर के सिद्धांत पर आधारित है, जो बताता है कि अवशोषण की मात्रा अभ्यस्त के साथ सीधे संबंधित होती है।
प्रोटीन, न्यूक्लियोटाइड और अन्य जैविक अणुओं की सांद्रता मापना
enzymatic assays
कृषि और पर्यावरण विज्ञान में
Item
Radio-tracer तकनीकें रेडियोधर्मी आइसोटोपों का उपयोग करती हैं ताकि जटिल जैविक प्रक्रियाओं का अध्ययन किया जा सके।
ये तकनीकें जैविक प्रतिक्रियाओं के रियल-टाइम ट्रैकिंग और विश्लेषण में सहायक होती हैं।
टिश्यू मेटाबोलिज्म अध्ययन
मल्टीमोडल इमेजिंग
जैविक प्रक्रिया गति का अध्ययन
Molecular Techniques: nucleic acid detection, DNA sequencing, PCR, PAGE, ELISA, Western blot
Molecular Techniques in Biology
Nucleic Acid Detection
न्यूक्लिक एसिड की पहचान विभिन्न तकनीकों द्वारा की जाती है। यह पहचान जैविक नमूनों में DNA या RNA की उपस्थिति को निर्धारित करने में मदद करती है। यह तकनीकें जीन अभिव्यक्ति, रोग की पहचान और आनुवंशिक परीक्षण में महत्वपूर्ण हैं।
DNA Sequencing
DNA अनुक्रमण एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा DNA के न्यूक्लियोटाइड्स के क्रम को निर्धारित किया जाता है। यह आनुवंशिकी, आणविक जीव विज्ञान और चिकित्सा अनुसंधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उच्च सटीकता के लिए कई तरीके हैं जैसे सैंगर अनुक्रमण और एनएक्स sequencing।
PCR (Polymerase Chain Reaction)
PCR एक महत्वपूर्ण तकनीक है जिसे DNA के विशिष्ट खंडों की तेजी से बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाता है। यह तकनीक जीव विज्ञान में अनुसंधान, चिकित्सा निदान और फॉरेंसिक विज्ञान में अनुप्रयोगों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
PAGE (Polyacrylamide Gel Electrophoresis)
PAGE एक तकनीक है जो प्रोटीन और न्यूक्लिक एसिड के पृथक्करण के लिए उपयोग की जाती है। यह विधि इलेक्ट्रोफोरेसिस के सिद्धांत पर आधारित है और इसे विभिन्न आकार और चार्ज के अणुओं को अलग करने के लिए कार्य में लाया जाता है।
ELISA (Enzyme-Linked Immunosorbent Assay)
ELISA एक इम्यूनोलॉजिकल तकनीक है जिसका उपयोग एंटीजन या एंटीबॉडी की पहचान और मात्रात्मक विश्लेषण के लिए किया जाता है। यह चिकित्सा और अनुसंधान में एक महत्वपूर्ण उपकरण है।
Western Blot
Western Blot एक विधि है जिसका उपयोग विशेष प्रोटीन के पहचान और विश्लेषण के लिए किया जाता है। यह प्रोटीन को पृथक करने, ट्रांसफर करने और फिर विशिष्ट एंटीबॉडी द्वारा पहचानने की प्रक्रिया पर आधारित है।
