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Semester 2: Human Geography

  • Concept and Nature, Meaning and Scope of Human Geography.

    Human Geography
    • मानव भूगोल का संकल्पना

      मानव भूगोल अध्ययन करता है कि मानव गतिविधियाँ भौगोलिक स्थानों और स्थानों पर कैसे प्रभाव डालती हैं। यह प्राकृतिक और सामाजिक विज्ञानों के बीच का संबंध स्थापित करता है।

    • मानव भूगोल की प्रकृति

      मानव भूगोल बहु-आयामी होता है और इसमें सांस्कृतिक, आर्थिक, राजनीतिक और पर्यावरणीय कारकों का अध्ययन किया जाता है। यह मानव और उनके पर्यावरण के बीच के अंतर्संबंधों को समझाता है।

    • मानव भूगोल का अर्थ

      मानव भूगोल का अर्थ है मानव अनुभवों और गतिविधियों का अध्ययन जो भौगोलिक स्थानों में वितरित हैं। यह स्थान, स्थानिक पैटर्न और अनुभव के साथ-साथ संस्कृति और समाज को भी ध्यान में रखता है।

    • मानव भूगोल का क्षेत्र

      मानव भूगोल का क्षेत्र व्यापक है, जिसमें जनसंख्या भूगोल, शहरी भूगोल, आर्थिक भूगोल, सांस्कृतिक भूगोल और पर्यावरणीय भूगोल शामिल हैं। यह विभिन्न विषयों की मदद से मानव जीवन को गहराई से समझता है।

  • Development of Geographical understanding in India with special reference to Puranas.

    Development of Geographical understanding in India with special reference to Puranas
    • Puranas का परिचय

      पुराण भारतीय साहित्य के महत्वपूर्ण ग्रंथ हैं जिनमें ब्रह्मा, विष्णु और शिव के साथ-साथ भूगोल, इतिहास, धर्म, और संस्कृति का विवरण है।

    • भौगोलिक ज्ञान का विकास

      पुराणों में जो भौगोलिक वर्णन मिलता है, वह प्राचीन भारतीय समाज की भौगोलिक समझ को दर्शाता है। इन ग्रंथों में भौगोलिक तत्वों जैसे पहाड़, नदियाँ, और Regionen का विवरण मिलता है।

    • Puranas में प्राकृतिक संसाधनों का विवरण

      पुराणों में जल, भूमि, और वन जैसे संसाधनों का महत्व बताया गया है। इनके संरक्षण और उपयोग के लिए धार्मिक और नैतिक शिक्षा दी गई है।

    • संस्कृति और भूगोल का संबंध

      पुराणों में भौगोलिक विशेषताओं को सांस्कृतिक पैटर्नों से जोड़ा गया है। उदाहरण के लिए, गंगा नदी की पवित्रता और उसकी सांस्कृतिक महत्ता।

    • Puranas का ऐतिहासिक संदर्भ

      पुराणों में विभिन्न भूभागों का ऐतिहासिक संदर्भ दिया गया है। इस प्रकार, यह जानकारियाँ भारत के प्राचीन इतिहास और भौगोलिक संरचना को समझने में सहायक हैं।

    • आधुनिक भूगोल पर प्रभावित

      पुराणों में प्रदत्त ज्ञान ने आधुनिक भूगोल पर भी प्रभाव डाला है, जिससे समाज में भौगोलिकता के प्रति जागरूकता बढ़ी है।

  • Man and Environment relationship - Determinism, Possibilism, and Neo-determinism

    Man and Environment relationship - Determinism, Possibilism, and Neo-determinism
    • Nispattiwad (Determinism)

      Nispattiwad ke anusar manav jeevan ka vikas prakar ke paryavaran ke anusar hota hai. Isme kaha gaya hai ki manav ki jivan shaili, sanskriti aur gatividhi sab kuch paryavaran se prabhavit hota hai. Paryavaran ke anukool ya virudh me manav ki samasyaayein vyavahar mein aati hain. Iska prabhav manav ki samajik, arthik aur sanskritik vikas par padta hai.

    • Sambhavanavad (Possibilism)

      Sambhavanavad ke anusar manav paryavaran ke sthitiyon ko samarthan kar sakta hai. Iska mool mantra hai ki paryavaran sirf sambhavanayein pradan karta hai, lekin manav in sambhavanayon ka upyog karke apne jeevan ko prabhavit kar sakta hai. Manav apne samasyaon ka samadhan nikal sakta hai aur paryavaran ka istemal kar sakta hai.

    • Neo-nispattiwad (Neo-determinism)

      Neo-nispattiwad dono nispattiwad aur sambhavanavad ka yog hai. Yeh kehta hai ki paryavaran nispattik roop se manav jeevan ko prabhavit karta hai, lekin manav bhi apne paryavaran ko prabhavit karne ki kshamata rakhta hai. Is drishti se dono pakshon ka mahatva hai aur yeh ek samyukt drishti ko prastut karta hai.

  • Distribution of population and world pattern, global migration - causes and consequences, concept of over population and under population.

    जनसंख्या वितरण और विश्व पैटर्न, वैश्विक प्रवासन - कारण और परिणाम, जनसंख्या अधिकता और कमी की अवधारणा
    • जनसंख्या वितरण और विश्व पैटर्न

      जनसंख्या वितरण का अर्थ है कि लोग पृथ्वी के विभिन्न हिस्सों में कैसे फैले हुए हैं। यह वितरण भौगोलिक, आर्थिक और सामाजिक कारकों से प्रभावित होता है। विश्व की जनसंख्या असमान रूप से वितरित है, अधिकांश लोग एशिया, विशेषकर चीन और भारत में रहते हैं। अन्य घनी आबादी वाले क्षेत्र यूरोप और उत्तरी अमेरिका हैं।

    • वैश्विक प्रवासन - कारण

      वैश्विक प्रवासन के कई कारण हैं। इनमें आर्थिक अवसर, सुरक्षा कारणों, युद्ध और प्राकृतिक आपदाएँ शामिल हैं। लोग बेहतर जीवन की तलाश में एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते हैं। उदाहरण के लिए, युद्धग्रस्त क्षेत्रों से लोग सुरक्षित स्थानों की ओर बढ़ते हैं।

    • वैश्विक प्रवासन - परिणाम

      वैश्विक प्रवासन के कई परिणाम होते हैं। यह देशों के बीच सांस्कृतिक संचार को बढ़ावा देता है लेकिन साथ ही यह सामाजिक तनाव और संसाधनों की कमी का कारण बन सकता है। एक ओर, प्रवास से विकासशील देशों में कार्यबल की वृद्धि होती है, दूसरी ओर, इससे शहरीकरण और बुनियादी ढांचे पर दबाव भी बढ़ता है।

    • जनसंख्या अधिकता की अवधारणा

      जनसंख्या अधिकता का अर्थ है किसी क्षेत्र की जनसंख्या उसकी संसाधनों की क्षमता से अधिक हो जाना। यह समस्या कई विकासशील देशों में देखी जाती है, जिससे आवास, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव बढ़ता है।

    • जनसंख्या कमी की अवधारणा

      जनसंख्या कमी की अवधारणा का अर्थ है जब किसी क्षेत्र में जनसंख्या का स्तर धीरे-धीरे घटता है। यह वृद्ध जनसंख्या, प्रवासन और कम जन्म दर के कारण हो सकता है। इससे श्रम शक्ति की कमी और आर्थिक विकास में रुकावट आ सकती है।

  • Human Settlements: Origin, types (Rural-Urban) characteristics, House types and their distribution with special reference to India.

    Human Settlements: Origin, types (Rural-Urban) characteristics, House types and their distribution with special reference to India
    • मानव बस्तियाँ: परिचय

      मानव बस्तियों का विकास मानव सभ्यता के शुरूआती दिनों से शुरू हुआ। प्रारंभ में, मानव जनजातियाँ झुंड में रहती थीं और भोजन की खोज में घूमती थीं। समय के साथ, वे कृषि और स्थायी बस्तियों की ओर अग्रसर हुए।

    • प्रकार: ग्रामीण और शहरी बस्तियाँ

      1. ग्रामीण बस्तियाँ - यह बस्तियाँ आमतौर पर कृषि पर आधारित होती हैं। यहाँ के निवासियों का मुख्य व्यवसाय कृषि, पशुपालन या कुटीर उद्योग होते हैं। ग्रामीण बस्तियों में जनसंख्या घनत्व कम होता है। 2. शहरी बस्तियाँ - ये बस्तियाँ औद्योगिकीकरण और व्यापारिक गतिविधियों पर निर्भर होती हैं। शहरी बस्तियों में जनसंख्या घनत्व अधिक होता है और यहाँ पर कई सार्वजनिक सेवाएँ उपलब्ध होती हैं।

    • विशेषताएँ

      ग्रामीण बस्तियों की विशेषताएँ: 1. प्राकृतिक वातावरण 2. सामुदायिक जीवन 3. कृषि पर निर्भरता शहरी बस्तियों की विशेषताएँ: 1. व्यस्त जीवन 2. आधुनिक सुविधाएँ 3. विविधता और सांस्कृतिक मिश्रण।

    • घर के प्रकार

      1. ग्रामीण बस्तियों में घर सामान्यतः मिट्टी, घास और लकड़ी से बने होते हैं। 2. शहरी बस्तियों में घर आमतौर पर सीमेंट और अन्य आधुनिक सामग्री से बने होते हैं। यहाँ बहुमंजिली इमारतें भी होती हैं।

    • भारतीय परिप्रेक्ष्य में वितरण

      भारत में मानव बस्तियों का वितरण अत्यधिक विविध है। गाँवों में घरेलू निर्माण सामान्यत: कच्ची सामग्री से होता है, जबकि शहरों में उच्च स्तर की निर्माण प्रक्रिया होती है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों की भौगोलिक और सांस्कृतिक विविधता बस्तियों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

  • Primitive Economics-Food gathering, Hunting, Pastoral herding, Fishing, Lumbering and Primitive agriculture.

    Primitive Economics
    • Food Gathering

      प्रारंभिक अर्थव्यवस्था में भोजन एकत्रित करना महत्वपूर्ण था। लोग जंगली फलों, नट्स, जड़ें और अन्य खाद्य सामग्री इकट्ठा करते थे। यह मुख्य रूप से महिला कार्य था और यह सामूहिक रूप से किया जाता था।

    • Hunting

      शिकार मानव सभ्यता के प्रारंभिक चरणों में एक महत्वपूर्ण गतिविधि थी। लोग जानवरों के शिकार के लिए औज़ारों का उपयोग करते थे। यह मुख्य रूप से पुरुषों द्वारा किया जाता था और समूह में काम करना अनिवार्य था।

    • Pastoral Herding

      पशुपालन में लोग अपने जानवरों की देखभाल करते थे और उनके दूध, मांस और ऊन का उपयोग करते थे। यह कृषि समाज की नींव रखने में सहायक था।

    • Fishing

      मछली पकड़ना प्रारंभिक मानव समाजों की एक महत्वपूर्ण गतिविधि थी। लोग नदियों, झीलों और समुद्रों से मछलियाँ पकड़ते थे। यह खाद्य विविधता को बढ़ाने में मदद करता था।

    • Lumbering

      लकड़ी काटना भी एक आवश्यक गतिविधि थी। लोग लकड़ी का उपयोग आग जलाने, आश्रय बनाने और औज़ार बनाने के लिए करते थे। यह प्रकृति के संसाधनों के उपयोग का एक महत्वपूर्ण पहलू था।

    • Primitive Agriculture

      प्रारंभिक कृषि ने मानव समाज में क्रांति लाई। लोगों ने अनाज, फल और सब्जियों की खेती शुरू की, जिससे स्थायी बस्ती का विकास हुआ। यह आर्थिक स्वरूप में बड़ा परिवर्तन लाया।

  • Cultural Regions, Cultural Diffusion, Race, Religion and Language.

    Cultural Regions, Cultural Diffusion, Race, Religion and Language
    • Cultural Regions

      सांस्कृतिक क्षेत्र वे भौगोलिक क्षेत्र हैं जहां एक समान सांस्कृतिक विशेषताएँ पाई जाती हैं। इनमें भाषा, धार्मिक विश्वास, परंपराएँ और समाज की रीतियां शामिल हैं। भारत में विभिन्न सांस्कृतिक क्षेत्र जैसे कि उत्तर भारत, दक्षिण भारत, पूर्वी भारत और पश्चिमी भारत के विभिन्न रंग और विशेषताएँ हैं।

    • Cultural Diffusion

      संस्कृति का प्रसार एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा सांस्कृतिक तत्व जैसे भाषा, धर्म, विचारधारा और तकनीकी कौशल एक समाज से दूसरे समाज में फैलते हैं। यह प्रक्रिया व्यापार, प्रवासन, उपनिवेशीकरण और सूचना के आदान-प्रदान के माध्यम से होती है।

    • Race

      जाति एक सामाजिक निर्माण है जो शारीरिक विशेषताओं, जैसे रंग, त्वचा की संरचना और अन्य आनुवंशिक लक्षणों पर आधारित होती है। मानव जाति की भिन्नता को समझना आवश्यक है, क्योंकि यह सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक संरचनाओं को प्रभावित करता है।

    • Religion

      धर्म एक विश्वदृष्टि है जो जीवन के उद्देश्य, नैतिकता और मानव संबंधों को निर्धारित करता है। विभिन्न धर्मों में विभिन्न मान्यताएँ और प्रथाएँ होती हैं, जो समाजों को अलग करती हैं या एक साथ लाती हैं। भारत में हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई और अन्य धर्मों का सह-अस्तित्व है।

    • Language

      भाषा मानव संचार का मुख्य साधन है। यह एक संस्कृति की पहचान होती है और सांस्कृतिक विरासत को संचारित करती है। भारत में 22 मान्यता प्राप्त भाषाएँ हैं, जो विभिन्न सांस्कृतिक क्षेत्रों और समुदायों को दर्शाती हैं। भाषा का विकास और उसका प्रसार भी सांस्कृतिक सामंजस्य और संघर्ष को प्रभावित करता है.

  • World Tribes: Eskimos, Kirghiz, Bushman, Masai, Semang, Pygmies.

    World Tribes: Eskimos, Kirghiz, Bushman, Masai, Semang, Pygmies
    • Eskimos

      एस्किमो, जिन्हें इनुइट भी कहा जाता है, उत्तरी अमेरिका और ग्रे़नलैंड में रहने वाले आदिवासी लोग हैं। वे बर्फ और बर्फ के बीच अपने जीवन को अनुकूलित करने के लिए जाने जाते हैं। उनकी संस्कृति और भाषाएं विशेष हैं, और वे पारंपरिक रूप से मछली पकड़ने और शिकार करने का काम करते हैं।

    • Kirghiz

      किरगिज़ मध्य एशिया में किरगीज़ गणराज्य के लोग हैं। उनकी सांस्कृतिक पहचान में घोड़ों का अनूठा स्थान है, और वे परंपरागत रूप से घुड़सवारी और पशुपालन में माहिर माने जाते हैं। किरगिज़ की कई टोलियां होती हैं, और उनकी भाषा तुर्क भाषा परिवार से संबंधित है।

    • Bushman

      बुशमेन, जिन्हें सांटाल या संजन भी कहा जाता है, दक्षिण अफ्रीका और बोत्सवाना के विभिन्न क्षेत्रों में रहते हैं। ये शिकारी-गठ्ठा करने वाले समुदाय हैं और उनकी पारंपरिक जीवनशैली आज भी जीवित है। उनके अद्वितीय कला रूप, जैसे पेंटिंग और शिल्प, उनकी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा हैं।

    • Masai

      मसाई, पूर्वी अफ्रीका, विशेषकर केन्या और तंजानिया में रहने वाले एक प्रसिद्ध जनजाति हैं। वे पशुपालन में माहिर होते हैं और अपनी विशिष्ट परिधान और धार्मिक प्रथाओं के लिए जाने जाते हैं। मसाई समाज का प्रमुख पहलू उनके व्यावसायिक जनजातीय संरचना में है।

    • Semang

      सेमांग, जो मलेशिया के जंगलों में रहते हैं, उत्तरी सुमात्रा के आदिवासी लोग हैं। वे वन्य जीवों के शिकार और जंगली फल-फूलों के संग्रह में विशेषज्ञता रखते हैं। उनकी संस्कृति में उनकी पारंपरिक मान्यताएं और रहन-सहन की विशेषताएं शामिल हैं।

    • Pygmies

      पिग्मी आदिवासी ग्रुप, जो अफ्रीका के केंद्रीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं, की पहचान उनकी छोटी क कद के लिए होती है। वे वन्य जीवन में विशेषज्ञ होते हैं और जंगली क्षेत्रों में शिकार एवं संग्रह की पारंपरिक पद्धतियों का पालन करते हैं। उनकी सांस्कृतिक धरोहर भी बहुत समृद्ध है।

  • Indian Tribes: Bhotias, Gaddis, Tharus, Bhil, Gond, Santhal, Nagas.

    Indian Tribes: Bhotias, Gaddis, Tharus, Bhil, Gond, Santhal, Nagas
    • Bhotias

      भोतीयाऐं उत्तरी हिमालय क्षेत्र में बसने वाली जनजाति हैं। ये मुख्यतः उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में पाई जाती हैं। इनके प्रमुख व्यवसाय कृषि, पशुपालन और हस्तशिल्प हैं।

    • Gaddis

      गड्डी जनजाति मुख्यतः हिमाचल प्रदेश में रहती है। ये भेड़ों के चरवाहे होते हैं और मुख्यत: उनके जीवन का आधार पशुपालन है। गड्डी लोग अपनी विशिष्ट संस्कृति और परंपराओं के लिए जाने जाते हैं।

    • Tharus

      तरु जनजाति उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के तराई क्षेत्र में पाई जाती है। ये कृषि में माहिर हैं और इनकी जीवनशैली बहुत ही साधारण और प्राकृतिक है। थारू लोग सांस्कृतिक रूप से समृद्ध हैं और अपनी परंपराओं का पालन करते हैं।

    • Bhil

      भील जनजाति भारत की एक प्रमुख जनजाति है, जो मुख्यतः मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात में रहती है। भील लोग कृषि और शिकार पर निर्भर होते हैं और उनकी संस्कृति में संगीत और नृत्य का विशेष महत्व है।

    • Gond

      गोंड जनजाति मध्य भारत में बसने वाली एक बड़ी जनजाति है। इनकी जीवनशैली सरल है और ये मुख्यतः कृषि और वनोपज संग्रहण पर निर्भर करते हैं। गोंड समाज में कला और हस्तशिल्प का गहरा महत्व है।

    • Santhal

      संताल जनजाति मुख्यतः झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में पायी जाती है। ये रोज़ाना की जिंदगी में कृषि और लोक कला के साथ अपनी पहचान बनाते हैं। संताल लोग अपनी विशेष भाषा और संस्कृति के लिए जाने जाते हैं।

    • Nagas

      नागा जनजाति पूर्वोत्तर भारत में बसने वाली कई जनजातियों का समूह है। नागा लोग अपनी विशिष्ट संस्कृति, परंपराएँ और परिधान के लिए प्रसिद्ध हैं। ये मुख्यतः कृषि पर निर्भर होते हैं और आमतौर पर पर्व और उत्सव मनाते हैं।

Human Geography

A110201T

BA Geography

Second Semester

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