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Semester 3: Environment, Disaster Management and Climate Change
Concepts & components of Environment, Ecology and ecosystem. Indian traditional Knowledge in Environment and disaster Management.
पर्यावरण, पारिस्थितिकी और पारिस्थितिकी तंत्र के सिद्धांत और घटक
पर्यावरण के घटक
पर्यावरण मुख्यतः जीवों, वायु, जल, मृदा, और जलवायु के साथ-साथ मानव क्रियाकलापों के अंतर्गत आता है। ये सभी घटक आपस में जुड़े हुए हैं और एक-दूसरे पर प्रभाव डालते हैं।
पारिस्थितिकी के सिद्धांत
पारिस्थितिकी वह विज्ञान है जो जीवों और उनके पर्यावरण के बीच के संबंधों का अध्ययन करता है। इसमें खाद्य श्रृंखला, पारिस्थितिकी तंत्र की संरचना और कार्य, और जैव विविधता जैसे पहलुओं को शामिल किया जाता है।
पारिस्थितिकी तंत्र
पारिस्थितिकी तंत्र में सभी जीव तथा उनके पर्यावरण के सभी अवयव शामिल होते हैं। यह जैविक (जीव) और अजैविक (पृथ्वी, जल, वायु) तत्वों के अंतःक्रिया का अध्ययन करता है।
भारतीय पारंपरिक ज्ञान
भारतीय संस्कृति में पर्यावरण के प्रति एक गहरा संबंध देखा जाता है। भारतीय पारंपरिक ज्ञान में जल संरक्षण, वन्य जीवन रक्षा, और पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने के लिए विभिन्न प्रथाएं शामिल हैं।
आपदा प्रबंधन में पारंपरिक ज्ञान
आपदा प्रबंधन के लिए भारतीय पारंपरिक उपायों में सामुदायिक सहयोग, स्थानीय ज्ञान और प्राकृतिक संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग शामिल हैं। यह ज्ञान जलवायु परिवर्तन और आपदाओं से निपटने में सहायक है।
Bio-diversity and its conservation, sustainable development.
Bio-diversity and its conservation, sustainable development
जैव विविधता के प्रकार
जैव विविधता तीन प्रकार की होती है: आनुवांशिक विविधता, प्रजातीय विविधता, और पारिस्थितिकी विविधता। आनुवांशिक विविधता जीवों के जीन की भिन्नता को दर्शाती है। प्रजातीय विविधता विभिन्न प्रजातियों की संख्या और उनके बीच का संबंध दर्शाती है। पारिस्थितिकी विविधता एक पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर विभिन्न जीवों और उनके निवास स्थानों की भिन्नता को दर्शाती है।
जैव विविधता का महत्व
जैव विविधता पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता, खाद्य सुरक्षा, दवा की आपूर्ति, और सांस्कृतिक मूल्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखती है और मानव जीवन की गुणवत्ता में सुधार करती है।
जैव विविधता के नुकसान के कारण
मानव गतिविधियों, जैसे वनों की कटाई, शहरीकरण, औद्योगिकीकरण, और जलवायु परिवर्तन के कारण जैव विविधता में कमी आ रही है। ये कारक प्रजातियों के विलुप्त होने और पारिस्थितिकी तंत्र के असंतुलन का कारण बनते हैं।
जैव विविधता का संरक्षण
जैव विविधता के संरक्षण के लिए विभिन्न उपाय किए जा सकते हैं, जैसे कि संरक्षित क्षेत्रों की स्थापना, पर्यावरण शिक्षा, और सतत कृषि प्रथाओं को अपनाना।
सतत विकास और जैव विविधता
सतत विकास का अर्थ है वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लिए संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग करना। जैव विविधता का संरक्षण सतत विकास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि यह पर्यावरणीय स्थिरता और मानव कल्याण को सुनिश्चित करता है।
Deforestation, soil erosion, soil exhaustion, Desertification, Air pollution, water pollution Disposal of solid waste.
पर्यावरण, आपदा प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन
वनों की कटाई (Deforestation)
वनों की कटाई प्राकृतिक सन्तुलन को बिगाड़ती है। इसके परिणामस्वरूप जैव विविधता में कमी, जलवायु परिवर्तन और भूमि का अवनयन होता है। वन काटने से मिट्टी की संरचना भी प्रभावित होती है।
मिट्टी का क्षय (Soil Erosion)
मिट्टी का क्षय तब होता है जब तेज हवा या पानी मिट्टी की ऊपरी परत को हटाते हैं। यह कृषि उत्पादकता को कम करता है और जल प्रक्रिया को प्रभावित करता है।
मिट्टी की उर्वरता में कमी (Soil Exhaustion)
मिट्टी की उर्वरता में कमी मुख्य रूप से अत्यधिक कृषि, रासायनिक उर्वरकों के उपयोग और मिट्टी के खराब प्रबंधन के कारण होती है। यह फसलों की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव डालती है।
रेगिस्तानीकरण (Desertification)
रेगिस्तानीकरण वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से उर्वर भूमि धीरे-धीरे रेगिस्तान की स्थिति में बदल जाती है। यह जलवायु परिवर्तन, वनोन्मूलन और अंधाधुंध कृषि के कारण होता है।
वायु प्रदूषण (Air Pollution)
वायु प्रदूषण मुख्यतः औद्योगिक गतिविधियों, वाहनों और घरेलू जलवायु में होने वाले धुएं के कारण होता है। यह स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म देता है और पर्यावरण को नुकसान पहुँचाता है।
जल प्रदूषण (Water Pollution)
जल प्रदूषण उद्योगों से निकलने वाले अपशिष्ट, कृषि रसायनों और घरेलू कचरे के कारण होता है। यह जल स्रोतों की गुणवत्ता को घटाता है और जैविक जीवन के लिए हानिकारक है।
ठोस कचरे का निष्पादन (Disposal of Solid Waste)
ठोस कचरे का निष्पादन उचित प्रबंधन की आवश्यकता है। कचरे का गलत निष्पादन भूमि, जल और वायु प्रदूषण का कारण बनता है और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा है।
Ganga Action Plan, Tiger project, Tehri dam & Narmada Valley project.
Ganga Action Plan, Tiger Project, Tehri Dam & Narmada Valley Project
Ganga Action Plan
गंगा कार्रवाई योजना की स्थापना 1986 में की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य गंगा नदी के जल को प्रदूषण से मुक्त करना है। योजना के तहत कई उपाय किए गए हैं, जैसे सीवेज प्रबंधन, औद्योगिक अपशिष्ट निपटान और जन जागरूकता कार्यक्रम। यह योजना गंगा नदी की पारिस्थितिकी और जैव विविधता को संरक्षित करने का भी प्रयास करती है।
Tiger Project
टाइगर प्रोजेक्ट की शुरुआत 1973 में की गई थी। इसका उद्देश्य बाघों की संख्या को बढ़ाना और उनके प्राकृतिक निवास की रक्षा करना है। यह योजना विशेष तौर पर बाघों के संरक्षण के लिए बाघ अभ्यारण्यों की स्थापना पर ध्यान केंद्रित करती है। भारत में बाघों की बढ़ती संख्या और संरक्षण के प्रयासों ने इसे सफल बनाया है।
Tehri Dam
टहरी डेम उत्तराखंड में स्थित एक बड़ा जल विद्युत परियोजना है। यह बल्दीयों की पानी की जरूरतों को पूरा करने, सिंचाई और बिजली उत्पादन के लिए बनाया गया था। डेम ने क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, लेकिन इससे पर्यावरण पर भी प्रभाव पड़ा है, जैसे स्थायी जल स्तर में परिवर्तन और जैव विविधता पर दबाव।
Narmada Valley Project
नर्मदा घाटी परियोजना, नर्मदा नदी पर आधारित है और इसका उद्देश्य सिंचाई, जल विद्युतीकरण और बाढ़ नियंत्रण है। इस परियोजना ने मध्य भारत में कई क्षेत्रों के विकास में सहायता की है। हालांकि, इससे आदिवासी समुदायों को विस्थापित करने की समस्या भी उत्पन्न हुई है, जिसके कारण इसे काफी आलोचना का सामना करना पड़ा है।
Science of Climate Change: Understanding Climate Change; Green House Gases and Global Warming.
जलवायु परिवर्तन का विज्ञान
जलवायु परिवर्तन को समझना
जलवायु परिवर्तन एक लंबे समय तक चलने वाली जलवायु में परिवर्तन है, जिसमें तापमान, वर्षा, और मौसम पैटर्न में बदलाव शामिल है। यह प्राकृतिक कारकों और मानव गतिविधियों दोनों के कारण हो सकता है।
ग्रीनहाउस गैसें
ग्रीनहाउस गैसें वे गैसें हैं जो पृथ्वी के वातावरण में ताप को अवशोषित करती हैं, जिससे ग्लोबल वार्मिंग होती है। मुख्य ग्रीनहाउस गैसों में कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, और नाइट्रस ऑक्साइड शामिल हैं।
वैश्विक तापमान में वृद्धि
वैश्विक तापमान में वृद्धि जलवायु परिवर्तन का एक महत्वपूर्ण संकेतक है। औद्योगिक रूप से विकसित देशों में ग्रीनहाउस गैसों का अधिक उत्सर्जन और वन्य जीवों के आवास का विनाश इस वृद्धि में योगदान करते हैं।
जलवायु परिवर्तन के प्रभाव
जलवायु परिवर्तन के प्रभाव में समुद्र स्तर में वृद्धि, अधिक तेज तूफानों, सूखा और बाढ़ जैसे मौसम की चरम घटनाएं शामिल हैं। ये पर्यावरणीय, सामाजिक और आर्थिक प्रभाव पैदा कर सकते हैं।
जलवायु परिवर्तन की रोकथाम
जलवायु परिवर्तन की रोकथाम के लिए हमें नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग बढ़ाना चाहिए, ऊर्जा की खपत में कमी लानी चाहिए, और प्रदूषण कम करने के उपायों को लागू करना चाहिए।
Global Climatic Assessment – IPCC, Impacts of Climate Change, National Action Plan on Climate Change.
Global Climatic Assessment – IPCC, Impacts of Climate Change, National Action Plan on Climate Change
ग्लोबल क्लाइमेटिक असेसमेंट - IPCC
IPCC का पूरा नाम इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज है। यह जलवायु परिवर्तन से संबंधित वैज्ञानिक जानकारी का संकलन करता है। IPCC की रिपोर्ट वैश्विक नेताओं को जलवायु परिवर्तन की गंभीरता और इसके प्रभावों को समझाने में मदद करती है। इसकी शोध रिपोर्टें सरकारों और नीति निर्माताओं के लिए महत्वपूर्ण संदर्भ बिंदु होती हैं।
जलवायु परिवर्तन के प्रभाव
जलवायु परिवर्तन का प्रभाव पर्यावरण, अर्थव्यवस्था और समाज पर व्यापक रूप से पड़ता है। जलवायु परिवर्तन के प्रभावों में समुद्र का स्तर बढ़ना, अत्यधिक मौसम की घटनाएँ, जैव विविधता का क्षय और खाद्य सुरक्षा को खतरा शामिल हैं। ये प्रभाव न सिर्फ विकासशील देशों बल्कि विकसित देशों को भी प्रभावित करते हैं।
राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्य योजना
भारत में राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्य योजना जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए सरकारी स्तर पर बनाए गए प्रयासों का एक ढांचा है। इस योजना में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और अनुकूलन उपायों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इसमें नवीकरणीय ऊर्जा, जल संसाधनों का प्रबंधन, और पर्यावरण संरक्षण जैसे पहल शामिल हैं।
Disasters, Hazards, Risk, Vulnerability, Type of Disasters, Disaster Management, Disaster Management Cycle.
Disasters, Hazards, Risk, Vulnerability, Type of Disasters, Disaster Management, Disaster Management Cycle
आपदाएँ (Disasters)
आपदाएँ प्राकृतिक या मानव-निर्मित घटनाएँ होती हैं जो समाज में बड़े पैमाने पर नुकसान या खतरे का कारण बनती हैं।
खतरे (Hazards)
खतरे वे परिस्थितियाँ या घटनाएँ हैं जो आपदाओं का कारण बन सकती हैं। ये प्राकृतिक (जैसे बाढ़, भूकंप) या मानव-निर्मित (जैसे औद्योगिक दुर्घटनाएँ) हो सकते हैं।
जोखिम (Risk)
जोखिम संभावित नुकसान या खतरे की मात्रा को संदर्भित करता है, जिसे प्रभाव और संभावना के आधार पर परिभाषित किया जाता है।
संवेदनशीलता (Vulnerability)
संवेदनशीलता उस स्तर को बताती है जिसमें कोई व्यक्ति, समुदाय या प्रणाली आपदाओं के प्रभाव के प्रति संवेदनशील है।
आपदाओं के प्रकार (Type of Disasters)
आपदाएँ आमतौर पर प्राकृतिक (जैसे ज्वालामुखी, तूफान) और मानव-निर्मित (जैसे रासायनिक रिसाव) में वर्गीकृत होती हैं।
आपदा प्रबंधन (Disaster Management)
आपदा प्रबंधन में आपदा के पूर्व, दौरान और बाद में जोखिम को कम करने के लिए आवश्यक गतिविधियाँ शामिल हैं।
आपदा प्रबंधन चक्र (Disaster Management Cycle)
आपदा प्रबंधन चक्र में आपदा की योजना, प्रतिक्रिया, पुनर्प्राप्ति और पुनर्निर्माण शामिल हैं।
Flood, Drought, Cyclone, Earthquake, Tsunami, Landslide, Chemical and Nuclear Disasters. Do’s and Don’ts During Disasters.
Environment, Disaster Management and Climate Change
Flood
बाढ़ एक प्राकृतिक आपदा है जिसे भारी वर्षा, नदियों में जल स्तर का बढ़ना, या समुद्र के स्तर में वृद्धि के कारण होती है। बाढ़ के दौरान सुरक्षित स्थान पर जाना, आवश्यक खाद्य सामग्री का भंडारण करना, और संचार उपकरणों का ध्यान रखना चाहिए।
Drought
सूखा तब होता है जब वर्षा की मात्रा में कमी आती है, जिससे जल स्रोतों का स्तर गिर जाता है। सूखे के समय पानी की बचत,-साथ ही कृषि खेती के परम्परागत तरीकों का उपयोग करना आवश्यक है।
Cyclone
चक्रवात एक चक्राकार तूफान है जो समुद्र पर बनता है और धरती पर बर्बादी लाता है। चक्रवात के दौरान घर के अंदर रहें, सुरक्षित स्थान पर जाएं, और रेडियो से मौसम की जानकारी सुनें।
Earthquake
भूकंप पृथ्वी की परतों में हलचल के कारण होता है। भूकंप के दौरान अपने आपको टेबल के नीचे छिपाएं, और भूकंप के बाद स्थानीय अधिकारियों की सलाह का पालन करें।
Tsunami
सुनामी महासागरीय भूकंप के कारण पैदा होती है। सुनामी की चेतावनी सुनते ही ऊंचे स्थान पर पहुंचने का प्रयास करें।
Landslide
भूस्खलन मिट्टी और चट्टानों के गिरने की घटना होती है। भूस्खलन के समय सुरक्षित स्थान पर जाना और दूर जाने का प्रयास करें।
Chemical Disasters
रासायनिक आपदाएँ तब होती हैं जब जहरीले रसायनों का रिसाव होता है। गैस लीक की स्थिति में खिड़कियाँ और दरवाज़े बंद करें, और सुरक्षित स्थान पर जाएं।
Nuclear Disasters
अणु या परमाणु आपदाएँ तब होती हैं जब न्यूक्लियर सुविधाओं में कोई तकनीकी गड़बड़ी होती है। ऐसी स्थिति में, सुरक्षित स्थान पर जाने की सलाह दी जाती है और स्थानीय अधिकारियों के निर्देशों का पालन करना चाहिए.
Do's and Don'ts During Disasters
आपदाओं के दौरान, सबसे पहले शांत रहें, बचाव टीम से संपर्क करें, और सुरक्षित स्थानों का अनुमान लगाएं। आपदा के समय, अन्य लोगों के साथ सहयोग करें और पैनिक न करें.
