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Semester 4: Economic Geography
Meaning, concepts and approaches of Economic Geography; agricultural region of the world (Derwent Whittlesey).
Economic Geography
Item
आर्थिक भूगोल का अर्थ यह है कि यह अध्ययन करता है कि आर्थिक गतिविधियाँ कैसे भौगोलिक स्थानों और संसाधनों से प्रभावित होती हैं। यह क्षेत्र आर्थिक प्रणाली, मानव गतिविधियाँ, और पर्यावरण के बीच संबंधों का अध्ययन करता है।
Item
आर्थिक भूगोल के कुछ प्रमुख सिद्धांत और अवधारणाएँ हैं, जैसे कि स्थानिक अर्थशास्त्र, संसाधन विकास, और वैश्विक आर्थिक नेटवर्क। यह अध्ययन करता है कि कैसे भूगणीय बनने वाले कारक, जैसे जलवायु, भूगोल, और जनसंख्या, आर्थिक विकास को आकार देते हैं।
Item
आर्थिक भूगोल के विभिन्न दृष्टिकोण हैं, जैसे कि संख्यात्मक विश्लेषण, गुणात्मक अनुसंधान, और क्षेत्रीय अध्ययन। इन दृष्टिकोणों के द्वारा, भूगोलज्ञ आर्थिक गतिविधियों और उनके प्रभाव को समझने और विश्लेषण करने का प्रयास करते हैं।
Item
विश्व में कृषि क्षेत्र का अध्ययन करने के लिए डेरवेंट व्हिट्लेसि का मॉडल महत्वपूर्ण है। उन्होंने विश्व कृषि के विभिन्न क्षेत्रों का वर्गीकरण किया, जिसमें जलवायु, मिट्टी और कृषि प्रथा शामिल हैं। उनके अनुसार, पृथ्वी पर विभिन्न प्रकार के कृषि क्षेत्र हैं, जो वैश्विक कृषि उत्पादन में योगदान करते हैं।
Resource: meaning, concept and classification. Spatial organization of economic activities.
Resource: meaning, concept and classification. Spatial organization of economic activities.
संसाधन की परिभाषा
संसाधन वह सामग्री या तत्व हैं जो आर्थिक गतिविधियों के लिए जरूरी होते हैं। ये प्राकृतिक या मानव-निर्मित हो सकते हैं।
संसाधन की अवधारणा
संसाधन का अर्थ केवल सामग्री नहीं है, बल्कि यह उन क्षमताओं और ज्ञान को भी संदर्भित करता है जो समाज की समृद्धि में योगदान करते हैं।
संसाधनों का वर्गीकरण
संसाधनों को कई प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है जैसे प्राकृतिक संसाधन, मानव संसाधन, तकनीकी संसाधन, और वित्तीय संसाधन।
आर्थिक गतिविधियों का स्थानिक संगठन
आर्थिक गतिविधियों का स्थानिक संगठन उस तरीके को संदर्भित करता है जिससे विभिन्न गतिविधियाँ भौगोलिक स्थानों में व्यवस्थित होती हैं।
स्थानिक संगठन के प्रकार
स्थानिक संगठन को विभिन्न प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है जैसे कि केंद्रीकरण, विकेंद्रीकरण और परिवहन की पहुंच।
आर्थिक गतिविधियों के स्थानिक पैटर्न
आर्थिक गतिविधियों के स्थानिक पैटर्न उन पैटर्नों का अध्ययन करते हैं जो कार्यों के वितरण और महत्व को दर्शाते हैं।
Economic organization of space, Forestry, fishing and mining activities.
आर्थिक संगठन का अध्ययन
स्थान का आर्थिक संगठन
स्थान का आर्थिक संगठन विभिन्न आर्थिक गतिविधियों के स्थानिक वितरण को संदर्भित करता है। इसमें भूमि उपयोग, संसाधनों का आवंटन और आर्थिक कार्यों के लिए स्थान का चयन शामिल है।
वन्य उत्पादन और प्रबंधन
वन क्षेत्र का आर्थिक महत्व है। यह लकड़ी, रेजिन, औषधीय पौधों जैसे संसाधनों का उत्पादन करता है। वन प्रबंधन में स्थायी विकास के सिद्धांतों का पालन करते हुए वनों का संरक्षण और पुनर्वनीकरण आवश्यक है।
मछली पकड़ने की गतिविधियाँ
मछली पकड़ना एक महत्वपूर्ण आर्थिक गतिविधि है, जो खाद्य सुरक्षा और आजीविका के लिए आवश्यक है। समुद्री और ताजे पानी की मछलियों का सही ढंग से शोषण और संरक्षण बहुत महत्वपूर्ण है।
खनन गतिविधियाँ
खनन में खनिजों और ऊर्जा संसाधनों का निष्कर्षण शामिल है। यह क्षेत्र आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, लेकिन पर्यावरणीय खतरों और सामाजिक प्रभावों का भी ध्यान रखना आवश्यक है।
Agricultural typologies, agricultural land use model (J.H. Von Thunen)
Agricultural typologies and agricultural land use model (J.H. Von Thunen)
कृषि श्रेणीकरण (Agricultural Typologies)
कृषि श्रेणीकरण विभिन्न प्रकार की कृषि प्रणालियों को वर्गीकृत करता है। मुख्य श्रेणियाँ हैं: 1. अनाज की खेती 2. वाणिज्यिक कृषि 3. स्थायी कृषि 4. चराई और पशुपालन। हर श्रेणी के अपने विशेष प्रभाव और स्थानिक आवश्यकताएँ होती हैं।
ज्हेनी के मॉडल का परिचय (Introduction to J.H. Von Thunen's Model)
ज्हेनी का कृषि भूमि उपयोग मॉडल कृषि भूमि उपयोग और इसकी दूरी के बीच के संबंध को समझाता है। इसका मुख्य विचार यह है कि भूमि उपयोग का प्रकार स्थान के साथ बदलता है।
ज्हेनी का रिंग सिद्धांत (Von Thunen's Ring Theory)
ज्हेनी का सिद्धांत चार कक्षों में भूमि उपयोग को विभाजित करता है: 1. प्राथमिक रिंग - सब्जियाँ और दूध उत्पादन 2. द्वितीयक रिंग - अनाज की खेती 3. तृतीयक रिंग - वाणिज्यिक कृषि 4. चौथी रिंग - वनों की खेती।
मॉडल की सीमाएँ (Limitations of the Model)
ज्हेनी का मॉडल संगठित और सरल है, लेकिन यह प्राकृतिक कारकों, जलवायु, और भूमि की गुणवत्ता जैसी वास्तविकताओं को ध्यान में नहीं रखते। ये सीमाएँ इसे किसी खास संदर्भ में लागू करने में कठिनाई पैदा करती हैं।
मॉडल का महत्व (Importance of the Model)
ज्हेनी का मॉडल कृषि भूगोल और आर्थिक भूगोल में एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है। यह कृषि उत्पादन की दिशा और विपणन की संरचना को समझने में मदद करता है।
Types of industries; Factors of location of industries; iron and steel industry, cotton textiles and sugar; Theory of industrial location (Alfred Weber).
Types of industries; Factors of location of industries; iron and steel industry, cotton textiles and sugar; Theory of industrial location (Alfred Weber)
Types of Industries
उद्योगों के मुख्य प्रकारों में प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक उद्योग शामिल हैं। प्राथमिक उद्योग में प्राकृतिक संसाधनों का निष्कर्षण होता है, जैसे कृषि, मत्स्य पालन और खनन। द्वितीयक उद्योग में ये संसाधन加工 होते हैं, जैसे निर्माण और निर्माण उद्योग। तृतीयक उद्योग सेवाओं से संबंधित होते हैं, जैसे बैंकिंग, पर्यटन और शिक्षा।
Factors of Location of Industries
उद्योगों के स्थान के निर्धारण में कई कारक प्रभावित करते हैं, जैसे कच्चे माल की उपलब्धता, श्रमिकों की उपलब्धता, परिवहन सुविधाएँ, बाजार की निकटता और सरकारी नीतियाँ। ये कारक उद्योगों के विकास और प्रतिस्पर्धा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
Iron and Steel Industry
लौह और इस्पात उद्योग उद्योगों के सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक है। यह अधोसंरचना के विकास के लिए आवश्यक है और निर्माण, ऑटोमोबाइल और मशीनरी उद्योगों को समर्थन प्रदान करता है। इस उद्योग में लौह अयस्क, कोक, और चूना पत्थर जैसे कच्चे माल की आवश्यकता होती है।
Cotton Textiles
बुनाई का उद्योग विश्वभर में महत्वपूर्ण है, और भारत में यह एक प्रमुख उद्योग है। कपास की खेती के परिणामस्वरूप, यह उद्योग हजारों लोगों को रोजगार प्रदान करता है। इसके उत्पादन, प्रसंस्करण और विपणन से संबंधित कई चरण होते हैं।
Sugar Industry
चीनी उद्योग कृषि आधारित उद्योगों में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह गन्ना और चीनी बीट से उत्पादित होता है। यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था में योगदान करता है और इसके द्वारा कई सहायक उद्योगों को भी बढ़ावा मिलता है।
Theory of Industrial Location (Alfred Weber)
अल्फ्रेड वेबर की औद्योगिक स्थान सिद्धांत में उद्योगों के स्थान का निर्धारण करने के लिए कच्चे माल, श्रम और बाजार की लागत को समझाया गया है। उन्होंने 'उपयुक्त स्थान' की खोज पर ध्यान केंद्रित किया है, जहां ये कारक न्यूनतम लागत पर एकत्र हो सकें।
World transportation: Sea routes and major trans-continental railways.
World transportation: Sea routes and major trans-continental railways
सागरीय मार्ग
सागरीय मार्ग विश्वव्यापी परिवहन का एक प्रमुख साधन हैं। ये समुद्रों और महासागरों के माध्यम से सामानों और लोगों की आवाजाही को सक्षम बनाते हैं। प्रमुख सागरीय मार्गों में स्वेज नहर, पनामा नहर, और ओर मलेका जलडमरूमध्य शामिल हैं। ये मार्ग वाणिज्यिक गतिविधियों को गति प्रदान करते हैं और वैश्विक अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
महत्वपूर्ण सागरीय मार्ग
महत्वपूर्ण सागरीय मार्गों में अटलांटिक महासागर, भारतीय महासागर, और प्रशांत महासागर के मार्ग शामिल हैं। अटलांटिक महासागर ने यूरोप और अमेरिका के बीच व्यापार को बढ़ावा दिया है, जबकि भारतीय महासागर ने एशिया और अफ्रीका के बीच संपर्क सुदृढ़ किया है।
महाद्वीपीय रेलवे
महाद्वीपीय रेलवे संरचनाएँ भूमि परिवहन के महत्वपूर्ण साधनों में से एक हैं। ये विभिन्न महाद्वीपों को जोड़ते हैं और व्यापार एवं यात्रा में सुविधा प्रदान करते हैं।
प्रमुख महाद्वीपीय रेलवे
प्रमुख महाद्वीपीय रेलवे में ट्रांस-साइबेरियन रेलवे, ट्रांस-कनाडियन रेलवे, और यूरोस्टार शामिल हैं। ये रेलवे नेटवर्क लंबी दूरी के आवागमन को सुविधाजनक बनाते हैं और आर्थिक विकास में सहायक होते हैं।
सागरीय और रेलवे संपर्क का महत्व
सागरीय मार्गों और महाद्वीपीय रेलवे का एक साथ मिलने से वैश्विक व्यापार में तेजी आती है। ये दोनों एक-दूस के पूरक हैं और उन्हें एकीकृत करने से आपूर्ति श्रृंखला में सुधार होता है।
WTO and International trade: Patterns and trends
WTO and International trade: Patterns and trends
WTO का परिचय
WTO एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो वैश्विक व्यापार को सुगम बनाने के लिए काम करता है। इसकी स्थापना 1995 में हुई थी और इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में है। WTO व्यापार के नियमों को निर्धारित करने, विवादों को सुलझाने और सदस्य देशों के बीच व्यापार प्राथमिकताओं को बढ़ावा देने का कार्य करता है।
अंतरराष्ट्रीय व्यापार के पैटर्न
अंतरराष्ट्रीय व्यापार के पैटर्न में समय के साथ बदलाव आया है। औद्योगीकरण के बाद, व्यापार ने सेवाओं और उच्च तकनीकी उत्पादों की ओर रुख किया है। एशिया, विशेष रूप से चीन और भारत, विश्व व्यापार में महत्वपूर्ण खिलाड़ी बन चुके हैं।
वाणिज्यिक प्रवृत्तियाँ
वाणिज्यिक प्रवृत्तियाँ, जैसे कि मुक्त व्यापार संधियाँ और क्षेत्रीय सहयोग, WTO के तहत मुख्य रूप से बढ़ी हैं। ये प्रवृत्तियाँ देशों के बीच संबंधों को मजबूत बनाने और वैश्विक अर्थव्यवस्था को सहायक बनाने में मदद करती हैं।
डिजिटल व्यापार का उदय
डिजिटल व्यापार अब अंतरराष्ट्रीय व्यापार का एक अभिन्न हिस्सा बन गया है। ई-कॉमर्स, ऑनलाइन मार्केटिंग और डिजिटल सेवाओं का विस्तार WTO के प्रति एक नई चुनौती पेश करता है।
विवाद सुलझाना
WTO विवाद सुलझाने की प्रक्रिया देशों के बीच व्यापारिक संघर्षों के समाधान का एक मंच प्रदान करती है। यह प्रक्रिया कानूनों और नीतियों के तहत काम करती है, जिससे विश्व व्यापार में स्थिरता बनी रहे।
WTO के सामने चुनौतियाँ
WTO को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जैसे कि आर्थिक राष्ट्रीयता, व्यापार युद्ध और वैश्विक असमानता। ये सभी कारक WTO की प्रभावशीलता को प्रभावित कर सकते हैं।
Effect of globalization on developing countries.
विकासशील देशों पर वैश्वीकरण का प्रभाव
आर्थिक विकास
वैश्वीकरण के परिणामस्वरूप विकासशील देशों में आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि हुई है। विदेशी निवेश और व्यापार बढ़ने से रोजगार के नए अवसर पैदा हुए हैं।
संस्कृति पर प्रभाव
वैश्वीकरण के कारण सांस्कृतिक आदान-प्रदान में वृद्धि हुई है। इसे सकारात्मक और नकारात्मक दोनों रूपों में देखा गया है। स्थानीय संस्कृति पर विदेशी संस्कृति का प्रभाव पड़ रहा है।
पर्यावरणीय मुद्दे
वैश्वीकरण के साथ पर्यावरणीय समस्याएं भी बढ़ी हैं। औद्योगीकरण और शहरीकरण के कारण प्रदूषण और प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन हो रहा है।
राजनीतिक चुनौतियाँ
वैश्वीकरण ने राजनीतिक स्थिरता को प्रभावित किया है। विकासशील देशों में अंतरराष्ट्रीय व्यापार नीतियों और वैश्विक संगठनों का दबाव बढ़ा है।
व्यापार और विपणन
वैश्वीकरण ने विकासशील देशों के उत्पादों के लिए वैश्विक बाजार में स्थान प्रदान किया है। इससे स्थानीय उत्पादकों को नए बाजारों तक पहुँचने का अवसर मिला है।
