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Semester 5: Surface Ornamentation of Fabrics

  • Techniques of Creating variety on fabrics: weaving, finishing, dyeing, printing, embroidery and decoration methods

    Techniques of Creating Variety on Fabrics
    • Weaving

      बुनाई एक प्रक्रिया है जिसमें धागों को एक साथ मिलाकर एक सतत सामग्री बनाई जाती है। विभिन्न विधियों जैसे सादा बुनाई, टोपी बुनाई और साटन बुनाई का उपयोग किया जाता है। ये विभिन्न बनावटें और पैटर्न उत्पन्न करती हैं।

    • Finishing

      फिनिशिंग में कपड़े की गुणवत्ता और दृष्ट Belle को बढ़ाने के लिए विभिन्न तकनीकों का उपयोग किया जाता है। इसमें रंगाई, नरमाई, जलरोधिता और मखमली जैसी तकनीकें शामिल हैं।

    • Dyeing

      रंगाई एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो कपड़ों को रंगीन बनाने में सहायता करती है। इसमें प्राकृतिक और सिंथेटिक रंगों का उपयोग किया जाता है। विभिन्न रंगाई तकनीकें जैसे बैच रंगाई, सतत रंगाई और प्रतिरोध रंगाई शामिल हैं।

    • Printing

      मुद्रण कपड़ों पर डिज़ाइन बनाने का एक तरीका है। इसका उपयोग स्क्रिन प्रिंटिंग, डिजिटल प्रिंटिंग और ब्लॉक प्रिंटिंग जैसी तकनीकों के माध्यम से किया जाता है। यह विभिन्न रंगों और पैटर्न के साथ वस्त्रों को अनूठा बनाता है।

    • Embroidery

      कढ़ाई कपड़ों पर सजावट का एक लोकप्रिय तरीका है। इसमें हाथ से या मशीन से काम किया जाता है। विभिन्न तकनीकों में मेटल थ्रेड कढ़ाई, क्रॉस स्टिच और रिबन कढ़ाई शामिल हैं, जो कि वस्त्रों की सुंदरता को बढ़ाते हैं।

    • Decoration Methods

      सजावट के विभिन्न तरीके जैसे एप्लिक, बटन्स और लैस का उपयोग कपड़ों को सजाने के लिए किया जाता है। यह तकनीकें कपड़ों की व्यक्तिगतता और शैली को बढ़ाती हैं।

  • Finishes: Classification, purpose and process of fabrics finishing (General Purpose finishes and Functional finishes)

    Finishes: Classification, Purpose and Process of Fabrics Finishing
    • फैब्रिक फिनिशिंग का परिचय

      फैब्रिक फिनिशिंग वह प्रक्रिया है जिसका उपयोग कपड़ों की गुणवत्ता, उपस्थिति और कार्यक्षमता को बढ़ाने के लिए किया जाता है। यह विभिन्न तकनीकों और प्रक्रियाओं के माध्यम से किया जाता है जिसमें रंगाई, प्रिंटिंग, और सिरेमिक कोटिंग शामिल हैं।

    • फिनिशेस का वर्गीकरण

      फिनिशेस को आमतौर पर दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है: सामान्य प्रयोजन फिनिशेस और कार्यात्मक फिनिशेस। सामान्य प्रयोजन फिनिशेस का उद्देश्य कपड़ों की बाहरी उपस्थिति को सुधारना है, जबकि कार्यात्मक फिनिशेस का उद्देश्य विशेष उपयोग के लिए विशिष्ट गुण प्रदान करना है।

    • सामान्य प्रयोजन फिनिशेस

      सामान्य प्रयोजन फिनिशेस में सभी प्रकार की सजावट, रंगाई और प्रिंटिंग शामिल हैं। ये फिनिशेस कपड़े के स्वरूप को बढ़ाने के लिए उपयोगी होते हैं और फैशन उद्योग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

    • कार्यात्मक फिनिशेस

      कार्यात्मक फिनिशेस कपड़े को विशेष गुण प्रदान करने के लिए हैं जैसे जल प्रतिरोध, अग्नि प्रतिरोध, और एन्टी-माइक्रोबियल विशेषताएँ। ये फिनिशेस विशेष रूप से तकनीकी वस्त्रों और औद्योगिक Anwendungen के लिए महत्वपूर्ण हैं।

    • फिनिशिंग प्रक्रिया

      फिनिशिंग प्रक्रिया में कई चरण होते हैं जैसे कि क्लीनिंग, प्री-ट्रीटमेंट, और अंतिम फिनिशिंग। प्रत्येक प्रक्रिया कपड़े की विशेषताएँ और कार्यक्षमता को प्रभावित करती है और उसके बाद कपड़ा अंतिम इस्तेमाल के लिए तैयार होता है।

    • संक्षेप में

      फैब्रिक फिनिशिंग एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो कपड़े की गुणवत्ता और कार्यक्षमता को सुनिश्चित करती है। इस प्रक्रिया में उपयुक्त फिनिशेस का चयन करना आवश्यक है ताकि अंतिम उत्पाद की उपयोगिता और सुंदरता दोनों को बढ़ाया जा सके।

  • Dyeing: Classification of dyes Natural vs Synthetic, theory of dyeing, Properties and use of various dyes, Resist Dying Techniques

    Dyeing: Classification of dyes Natural vs Synthetic, the theory of dyeing, Properties and use of various dyes, Resist Dying Techniques
    • Dyes का वर्गीकरण

      Dyes को मुख्यतः दो श्रेणियों में बाँटा जा सकता है: प्राकृतिक और सिंथेटिक। प्राकृतिक रंगक (dyes) पौधों, जानवरों या खनिजों से प्राप्त होते हैं। यह पारंपरिक रूप से उपयोग किए जाते थे। सिंथेटिक रंगक मानव निर्मित होते हैं और इनका विकास औद्योगिक प्रक्रियाओं के माध्यम से किया जाता है।

    • Dyeing का सिद्धांत

      Dyeing प्रक्रिया में रंगक का वस्त्र पर स्थायी रूप से लागू होना शामिल होता है। यह रंगक वस्त्र की फाइबर संरचना में प्रवेश करते हैं। साधारणतः, रंगक सतह और वस्त्र के बीच एक रासायनिक या भौतिक इंटरैक्शन की आवश्यकता होती है।

    • विभिन्न रंगकों के गुण और उपयोग

      प्राकृतिक रंगक जैसे इंडिगो, कर्पूर, और हल्दी का उपयोग कपड़ों पर आकर्षक रंग लाने के लिए किया जाता है। सिंथेटिक रंगक जैसे एज़ो रंगक और रिएक्टिव रंगक अधिक स्थायी होते हैं और इनका उपयोग व्यापक रूप से किया जाता है।

    • Resist Dyeing Techniques

      Resist Dyeing तकनीक में एक तकनीक का उपयोग किया जाता है जिसमें रंगको को कपड़े के कुछ हिस्सों पर लागू नहीं होने दिया जाता है। इसे बैटिक और डाउनिंग जैसे विभिन्न तरीकों से किया जा सकता है। इस प्रक्रिया में विभिन्न सामग्रियों का उपयोग किया जाता है जो रंगकों को अपशिष्ट करते हैं।

  • Printing: Direct printing (Block, Screen, Stencil, Roller), Transfer printing, Discharge printing, Resist printing, Polychromatic, Inkjet, Digital printing techniques, After treatment

    Printing Techniques in Surface Ornamentation of Fabrics
    • प्रत्यक्ष प्रिंटिंग

      प्रत्यक्ष प्रिंटिंग में विभिन्न तकनीकें शामिल होती हैं जैसे ब्लॉक प्रिंटिंग, स्क्रीन प्रिंटिंग, स्टेंसिल प्रिंटिंग तथा रोलर प्रिंटिंग। ये विधियाँ विभिन्न प्रकार के डिज़ाइन बनाने और रंगों को सीधे कपड़ों पर प्रिंट करने के लिए उपयोग की जाती हैं।

    • ट्रांसफर प्रिंटिंग

      ट्रांसफर प्रिंटिंग एक ऐसी तकनीक है जिसमें विशेष कागज़ पर डिज़ाइन को प्रिंट किया जाता है और फिर उसे कपड़े पर गर्मी और दबाव के माध्यम से स्थानांतरित किया जाता है। यह तेजी से और सटीक परिणाम देता है।

    • डिस्चार्ज प्रिंटिंग

      डिस्चार्ज प्रिंटिंग में एक विशेष तकनीक का उपयोग किया जाता है जिसमें कपड़े के रंग को हटा दिया जाता है और वहां पर नया रंग डाला जाता है। यह तकनीक गहरे रंगों वाले कपड़ों पर अच्छी तरह काम करती है।

    • रेसिस्ट प्रिंटिंग

      रेसिस्ट प्रिंटिंग में कपड़े की कुछ हिस्सों को हल्का रखा जाता है, जिससे प्रिंटिंग प्रक्रिया के दौरान वह हिस्सा रंग नहीं लेता। इससे एक अनूठा और आकर्षक डिज़ाइन तैयार होता है।

    • पॉलीक्रोमैटिक प्रिंटिंग

      पॉलीक्रोमैटिक प्रिंटिंग कई रंगों का उपयोग करती है। यह तकनीक कपड़ों पर बेहद जीवंत और विविध रंगीन डिज़ाइन बनाने में सक्षम होती है।

    • इंकजेट प्रिंटिंग

      इंकजेट प्रिंटिंग में डिजिटल तकनीक का इस्तेमाल होता है। यह अधिक विस्तृत और विविध रंगों के साथ प्रिंटिंग करने की सुविधा प्रदान करती है, जो विशेष रूप से छोटे बैचों में उपयोगी होती है।

    • डिजिटल प्रिंटिंग तकनीकें

      डिजिटल प्रिंटिंग तकनीकें कंप्यूटर के माध्यम से सटीक प्रिंटिंग के लिए उपयोग होती हैं। यह समय में तेजी लाने और जैतून क्षमता को बढ़ाने में सक्षम होती हैं।

    • ऑफ्टर ट्रीटमेंट

      प्रिंटिंग के बाद के उपचार विशेष होते हैं जिसमें कपड़ों को रंग स्थिरता और टिकाऊपन देने के लिए विभिन्न रसायनों का उपयोग किया जाता है। इससे कपड़ों की गुणवत्ता में सुधार होता है।

  • Traditional Embroideries of India: Zardozi, Kashida, Phulkari, Kantha, Chikankari, Kasuti, Sindh and Kutch work

    • Zardozi

      जारदोज़ी एक प्राचीन कशीदाकारी तकनीक है, जो मुख्य रूप से मेटल थ्रेड्स और बीड्स का उपयोग करके की जाती है। यह आमतौर पर साड़ी, लेहेंगा और अन्य पारंपरिक परिधानों पर की जाती है। यह तकनीक बहुत ही समृद्ध और भव्य होती है, और इसमें सोने और चांदी के धागों का इस्तेमाल किया जाता है।

    • Kashida

      कशिदा कश्मीर की एक विशेष कशीदाकारी तकनीक है, जो स्थानीय प्राकृतिक दृश्यों, फूलों और जानवरों के डिज़ाइन पर आधारित होती है। कश्मीरी शॉल और कपड़ों पर यह कशीदाकारी की जाती है और इसमें रंग-बिरंगे धागों का प्रयोग किया जाता है।

    • Phulkari

      फुलकारी पंजाब का प्रसिद्ध कशीदाकारी कला है, जो ज्यादातर फुलकारी चादरों और पोशाकों पर की जाती है। इसमें फूलों और पत्तों के पैटर्न को कढ़ाई के माध्यम से उकेरा जाता है। इसका उपयोग पारंपरिक समारोहों में भी किया जाता है।

    • Kantha

      कांता काशी की एक कशीदाकारी विधि है, जिसमें पुरानी साड़ियों को जोड़कर उन्हें सजाया जाता है। यह आमतौर पर हस्तशिल्प और कशीदाकारी की एक रूपरेखा में की जाती है। यह सस्ता और पर्यावरण के अनुकूल विकल्प है।

    • Chikankari

      चिकनकारी लखनऊ की एक प्रसिद्ध काशीदाकारी शैली है, जिसमें सूती और सिल्क के कपड़ों पर बारीक कढ़ाई की जाती है। इस तकनीक में फूलों, बेलों और पत्तियों के डिजाइन शामिल होते हैं।

    • Kasuti

      कासुती कर्नाटका की एक पारंपरिक कशीदाकारी तकनीक है। इसमें हाथ से कढ़ाई की जाती है और इसके डिजाइन में स्थानीय सांस्कृतिक प्रतीकों का उपयोग किया जाता है। यह आमतौर पर साड़ी और अन्य वस्त्रों में देखने को मिलता है।

    • Sindh Work

      सिंध वर्क मुख्य रूप से सिंध प्रांत की एक विशेष कशीदाकारी है। इसमें धारीदार कपड़ों पर झिलमिलाते रंगीन धागों की बुनाई की जाती है। यह परंपरागत कपड़ों पर खासतौर पर देखा जाता है।

    • Kutch Work

      कच्छ की कशीदाकारी अपनी विशेषता के लिए जानी जाती है। इस विधि में कढ़ाई और बुनाई की तकनीकों का समावेश होता है, जिसमें रंगीन धागों का प्रयोग कर जटिल पैटर्न बनाए जाते हैं। यह साड़ी, चादर और अन्य वस्त्रों में प्रचलित है.

  • Traditional Textiles of different states: Woven fabrics like Baluchars, brocades, carpets, Patola, Ikat, Pochampalli, Chanderi. Printed, painted and dyed like Sanganeri, Bhagru, Kalamkari, Madhubani, Bandhani

    Traditional Textiles of Different States
    • Woven Fabrics

      • Item

        Baluchars
        बालूचर, जो मुख्य रूप से गुजरात के कच्छ क्षेत्र में उत्पन्न होता है, इसकी विशेषता इसका मुलायम और हल्का कपड़ा है। इसे पारंपरिक और आधुनिक दोनों प्रकार की परिधानों के लिए उपयोग किया जाता है।
      • Item

        Brocades
        ब्रोकेड एक शाही कपड़ा है, जिसमें जटिल निम्नलिखित पैटर्न होते हैं। इसे विशेष अवसरों और समारोहों में पहना जाता है। ब्रोकेड का मुख्य निर्माण आमतौर पर बनारस में होता है।
      • Item

        Carpets
        भारतीय गलीचे, विशेष रूप से कश्मीर से, अपनी नाजुकता और विस्तृत डिज़ाइनों के लिए प्रसिद्ध हैं। ये हाथ से बुने जाते हैं और इनमें प्राकृतिक रंगों का उपयोग होता है।
      • Item

        Patola
        पटोला, जो मुख्य रूप से गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में बनाया जाता है, एक बुनाई तकनीक है जो दोहराए जाने वाले पैटर्न में रंगीन होती है। इसकी बुनाई में बहुत अधिक मेहनत लगती है।
      • Item

        Ikat
        इकत एक बुनाई तकनीक है जिसमें धागों को रंग देने से पहले नियंत्रित किया जाता है। भारत के विभिन्न हिस्सों में इसका विशेष महत्व है, जैसे उड़ीसा और तेलंगाना।
      • Item

        Pochampalli
        पचमपल्ली कपड़ा तेलंगाना का पारंपरिक टेक्सटाइल है, जिसमें जटिल ज्यामितीय और रूपांकनों का उपयोग किया जाता है। इसे कंबल और वस्त्रों के लिए बहुत पसंद किया जाता है।
      • Item

        Chanderi
        चंदेरी एक हल्का और पारदर्शी कपड़ा है, जो मध्य प्रदेश के चंदेरी कस्बे में बनता है। इस कपड़े की विशेषता इसकी रेशमी और भव्यता होती है।
    • Printed, Painted and Dyed Fabrics

      • Item

        Sanganeri
        संगानेरी प्रिंट्स राजस्थानी टेक्सटाइल हैं, जो हाथ से प्रिंट किए जाते हैं। ये हल्के सूती कपड़ों पर आमतौर पर फूलों और अन्य प्राकृतिक डिज़ाइनों के लिए प्रसिद्ध हैं।
      • Item

        Bhagru
        भगड़ू प्रिंट एक पारंपरिक राजस्थानी प्रिंटिंग तकनीक है, जिसमें प्राकृतिक रंगों का उपयोग करके जटिल पैटर्न बनाए जाते हैं।
      • Item

        Kalamkari
        कलमकारी एक प्राचीन भारतीय कला है, जिसमें कपड़े पर चित्रण किया जाता है, आमतौर पर पेंटिंग और ब्लॉक्स गुदवाने की तकनीक का उपयोग करके।
      • Item

        Madhubani
        मधुबनी पेंटिंग, बिहार की एक विशिष्ट कला है, जो कपड़ों पर जीवंत चित्रण करती है। यह सामाजिक और धार्मिक थीम को दर्शाती है।
      • Item

        Bandhani
        बंदhani एक पारंपरिक रंगाई तकनीक है, जो मुख्य रूप से राजस्थान और गुजरात में प्रचलित है, इसमें कपड़े पर बिंदु बनाकर उसे रंगा जाता है।
  • Water: Uses in textile industry, properties, types of water, Hardness and its removal

    Water: Uses in textile industry, properties, types of water, hardness and its removal
    • Textile Industry में जल का उपयोग

      जल का उपयोग कपड़ा उद्योग में विभिन्न प्रक्रियाओं के लिए किया जाता है जैसे कि धुलाई, रंगाई, और फिनिशिंग। धुलाई के लिए पानी का उपयोग कपड़े की गंदगी और धूल को हटाने के लिए किया जाता है। रंगाई में, पानी रंग के घोल को तैयार करने और उसे कपड़े में डालने में मदद करता है।

    • जल की विशेषताएँ

      जल की विशेषताएँ जैसे कि इसका घुलनशीलता, पृष्ठ तनाव, और तापमान पर भिन्नता कपड़ा उद्योग में महत्वपूर्ण हैं। पानी की उच्च घुलनशीलता रंग और रसायनों को बेहतर तरीके से कपड़ों में समाहित करने में सहायता करती है।

    • जल के प्रकार

      कपड़ा उद्योग में विभिन्न प्रकार के जल का उपयोग किया जाता है: 1. ताजा पानी 2. बर्फीला पानी 3. खारा पानी। प्रत्येक प्रकार का पानी अलग-अलग प्रक्रियाओं में प्रयोग होता है।

    • जल की कठोरता

      जल की कठोरता ज्यादातर कैल्शियम और मैग्नीशियम के आयनों की उपस्थिति के कारण होती है। कठोर पानी कपड़ा उद्योग में रंगाई और फिनिशिंग प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है।

    • कठोरता का निष्कासन

      कठोरता को समाप्त करने के लिए विभिन्न तकनीकों का उपयोग किया जाता है जैसे कि बाइकर कार्बोनेट का उपयोग, रिवर्स ऑस्मोसिस, और सफेदेडता प्रक्रिया। ये विधियाँ पानी की गुणवत्ता में सुधार करने में सहायक होती हैं।

  • Laundry and dry cleaning of fabrics and garments: Methods, Dry cleaning process, Reagents of Laundry, Types of soaps and detergents, Cleaning action

    Laundry and dry cleaning of fabrics and garments
    • Laundry Methods

      कपड़ों की धुलाई के अलग-अलग तरीके होते हैं। इनमें हाथ से धोना, मशीन में धोना, और विशेष प्रकार के धुलाई प्रक्रियाएं शामिल हैं। हाथ से धोने में साबुन और पानी का उपयोग किया जाता है, जबकि मशीन में धोने में स्वचालित चक्र होते हैं जो कपड़ों को साफ करने में मदद करते हैं।

    • Dry Cleaning Process

      ड्राई क्लीनिंग एक विशेष प्रक्रिया है जिसमें पानी का उपयोग नहीं होता है। इसके लिए विशेष सॉल्वेंट्स का उपयोग किया जाता है, जैसे पेरोक्लोरोथिलीन। इस प्रक्रिया में कपड़ों को मशीन में डालकर सॉल्वेंट के माध्यम से साफ किया जाता है, जिससे गंदगी और दाग हट जाते हैं।

    • Reagents of Laundry

      धुलाई में उपयोग होने वाले रसायनों को रिएजेंट्स कहा जाता है। इनमें साबुन, डेटर्जेंट्स और अन्य सफाई एजेंट शामिल हैं। साबुन प्राकृतिक स्रोतों से बनता है, जबकि डेटर्जेंट्स में सिंथेटिक तत्व होते हैं जो गंदगी को बेहतर तरीके से हटाने में मदद करते हैं।

    • Types of Soaps and Detergents

      साबुन और डेटर्जेंट्स कई प्रकार के होते हैं, जैसे कि पाउडर साबुन, तरल साबुन, एंटी-बैक्टीरियल साबुन, फॉमिंग डेटर्जेंट्स आदि। प्रत्येक का उपयोग विभिन्न प्रकार के कपड़ों और दागों के लिए किया जाता है।

    • Cleaning Action in Laundry

      धुलाई में सफाई क्रिया मुख्य रूप से सतही सक्रिय पदार्थों के माध्यम से होती है। जब साबुन या डेटर्जेंट पानी में मिलते हैं, तो वे गंदगी के साथ एकत्रित होकर उसे कपड़ों से हटाने में मदद करते हैं। इस प्रक्रिया में पानी की उच्चता और तापमान भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

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