यह पोस्ट “BSc 2nd Semester Microbiology Syllabus in Hindi” उन छात्रों के लिए विशेष रूप से तैयार की गई है जो बीएससी द्वितीय सेमेस्टर में सूक्ष्मजीव विज्ञान (Microbiology) विषय की पढ़ाई कर रहे हैं। इसमें दिया गया सिलेबस राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP-2020) पर आधारित है, जिसे भारत के कई विश्वविद्यालयों द्वारा अपनाया गया है।
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इस लेख में आपको BSc 2nd सेमेस्टर सूक्ष्मजीव विज्ञान का सम्पूर्ण सिलेबस हिंदी में सरल भाषा में उपलब्ध कराया गया है। यदि आप जानना चाहते हैं कि नए शैक्षिक ढांचे के तहत दूसरे सेमेस्टर में कौन-कौन से यूनिट और टॉपिक शामिल हैं, तो यह पोस्ट आपके लिए अत्यंत लाभकारी होगी।
BSc 2nd Semester Microbiology Syllabus in Hindi PDF (2025-26)
Table of Contents
इस सेक्शन में बीएससी सेकंड सेमेस्टर सूक्ष्मजीव विज्ञान (Microbiology) का सिलेबस दिया गया है | यहाँ सिलेबस में दिए गये सभी टॉपिक्स को discuss किया गया है |
🟦 Paper Details (प्रश्न पत्र विवरण)
- कार्यक्रम/कक्षा (Programme/Class): प्रमाणपत्र (Certificate)
- वर्ष (Year): प्रथम (First)
- सेमेस्टर (Semester): द्वितीय (Second)
- विषय (Subject): माइक्रोबायोलॉजी (Microbiology)
- कोर्स कोड (Course Code): B080201T
- कोर्स शीर्षक (Course Title): कृषि और पर्यावरण सूक्ष्मजीवविज्ञान
(Agriculture and Environmental Microbiology) - क्रेडिट (Credits): 4
- कोर (Core): अनिवार्य (Compulsory)
- अधिकतम अंक (Max. Marks): 25+75
- न्यूनतम उत्तीर्ण अंक (Min. Passing Marks): नियमानुसार
- कुल व्याख्यान (Total Lectures/Hours): 60 घंटे (L-T-P: 4-0-0)
🟩 Course Outcome (पाठ्यक्रम परिणाम)
इस पाठ्यक्रम को पढ़ने के बाद विद्यार्थी:
- विभिन्न प्राकृतिक आवासों और उनके सूक्ष्मजीवों को पहचान पाएंगे।
- यह समझ पाएंगे कि सूक्ष्मजीव एक-दूसरे और उच्च जीवों (पौधे व जानवर) के साथ कैसे अंत:क्रिया करते हैं।
- जैव-भू-रासायनिक चक्रों (Biogeochemical cycles) में सूक्ष्मजीवों की भूमिका को जान पाएंगे।
- ठोस और तरल कचरे के प्रकारों और उनके प्रबंधन की जानकारी प्राप्त करेंगे।
- प्रदूषण से जुड़ी समस्याओं और उन्हें दूर करने वाली तकनीकों को समझेंगे।
- मिट्टी, जल, वायु आदि में मौजूद सूक्ष्मजीवों के बारे में जानेंगे।
- जैव उर्वरकों (Biofertilizers) और उनके प्रकारों को समझेंगे।
📘 Units with Explanation and Examples (इकाइयाँ विवरण सहित)
🟨 Unit I: सूक्ष्मजीव और उनके आवास (Microorganisms and Their Habitats)
- मुख्य विषय:
पारिस्थितिक तंत्र (Ecosystem) की संरचना व कार्य; मिट्टी का प्रोफ़ाइल और उसमें रहने वाले सूक्ष्मजीव; ताजे जल और समुद्री जल के सूक्ष्मजीव; वायुमंडल में मौजूद सूक्ष्मजीव (Aeromicroflora) और उनका फैलाव; जानवरों के शरीर में रहने वाले सूक्ष्मजीव (जैसे मानव माइक्रोबायोम); अत्यंत स्थितियों में जीवित रहने वाले सूक्ष्मजीव (Extremophiles)। - उदाहरण:
- थर्मोफिल्स (Thermophiles) उच्च तापमान पर रहते हैं, जैसे हॉट स्प्रिंग्स में।
- म्यूकोर व फंजाई पौधों के सड़े-गले अवशेषों को तोड़ते हैं।
🟨 Unit II: सूक्ष्मजीवों की पारस्परिक क्रियाएँ (Microbial Interactions)
- मुख्य विषय:
परस्पर संबंध जैसे – म्युचुअलिज्म (Mutualism), परजीविता (Parasitism), प्रतियोगिता (Competition), आदि।
सूक्ष्मजीव-वनस्पति व पशु के साथ संबंध।
राइज़ोस्फीयर (Rhizosphere), राइज़ोप्लेन (Rhizoplane), मायकोराइज़ा (Mycorrhiza) का परिचय। - उदाहरण:
- राइज़ोबियम बैक्टीरिया का मटर के पौधे के साथ सहजीवी संबंध।
- मायकोराइज़ा फंगस पौधों को पोषक तत्व अवशोषित करने में सहायता करता है।
🟨 Unit III: जैव-भू-रासायनिक चक्र (Biogeochemical Cycling)
- मुख्य विषय:
कार्बन, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और सल्फर चक्र में सूक्ष्मजीवों की भूमिका। - उदाहरण:
- नाइट्रोजन फिक्सेशन: राइज़ोबियम बैक्टीरिया वायुमंडलीय नाइट्रोजन को पौधों के उपयोग योग्य बनाते हैं।
- सेल्यूलोज़ डिग्रेडेशन: फंगस द्वारा लकड़ी को विघटित किया जाता है।
🟨 Unit IV: अपशिष्ट प्रबंधन (Waste Management)
- मुख्य विषय:
ठोस व तरल कचरे के प्रकार, कंपोस्टिंग, लैंडफिल, सीवेज उपचार के विभिन्न चरण (प्राथमिक, द्वितीयक, तृतीयक)। - उदाहरण:
- ऑक्सीडेशन पॉन्ड और सेप्टिक टैंक ग्रामीण क्षेत्रों में उपयोग होते हैं।
- BOD और COD से जल में मौजूद कार्बनिक पदार्थों का मापन किया जाता है।
🟨 Unit V: सूक्ष्मजीवों द्वारा प्रदूषण नियंत्रण (Microbial Bioremediation)
- मुख्य विषय:
कीटनाशकों, जैविक व अजैविक प्रदूषकों का सूक्ष्मजीवों द्वारा निस्तारण; बायोसर्फैक्टेंट का उपयोग। - उदाहरण:
- Pseudomonas बैक्टीरिया तेल रिसाव को साफ करने में सहायक होते हैं।
- बायोसर्फैक्टेंट सतह तनाव घटाकर प्रदूषक विघटन में मदद करते हैं।
🟨 Unit VI: जल की शुद्धता (Water Potability)
- मुख्य विषय:
पीने योग्य जल की जाँच व उपचार; MPN टेस्ट, मेम्ब्रेन फ़िल्टर तकनीक, faecal-coliform टेस्ट। - उदाहरण:
- MPN (Most Probable Number) टेस्ट से जल में ई.कोलाई की उपस्थिति जांची जाती है।
🟨 Unit VII: जैव उर्वरक (Biofertilizers)
- मुख्य विषय:
जैव उर्वरक का परिचय, प्रकार (बैक्टीरियल, फंगल, नीली-हरी शैवाल आदि), उपयोग की विधि, लाभ व हानि। - उदाहरण:
- एजोटोबैक्टर (Azotobacter) और नीली-हरी शैवाल (Blue Green Algae) धान के खेतों में उपयोगी हैं।
- इससे रासायनिक खाद की आवश्यकता कम हो जाती है।
🟨 Unit VIII: जैव कीटनाशक (Biopesticides)
- मुख्य विषय:
जैव कीटनाशकों का परिचय, प्रकार, उपयोग विधि, IPM (Integrated Pest Management), प्रभाव, लाभ व हानि। - उदाहरण:
- Bacillus thuringiensis (Bt) कीट नियंत्रण के लिए उपयोग किया जाता है।
- यह रासायनिक कीटनाशकों की तुलना में पर्यावरण के लिए सुरक्षित है।
BSc 2nd Semester Microbiology Syllabus PDF Download
इस सेक्शन में बीएससी सेकंड सेमेस्टर के छात्रों के लिए सूक्ष्मजीव विज्ञान (Microbiology) के syllabus का लिंक दिया गया है |
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