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Semester 2: Certificate in Basic Physics Semiconductor Devices

  • 0th 1st Law of Thermodynamics

    0th 1st Law of Thermodynamics
    • थर्मोडायनामिक्स का शून्यवाँ नियम

      शून्यवाँ नियम बताता है कि यदि दो सिस्टम एक तीसरे सिस्टम के साथ ताप संतुलन में हैं, तो वे एक दूसरे के साथ भी ताप संतुलन में होंगे। इसका उपयोग तापमान के माप में किया जाता है और इसे तापमान के परिभाषा के लिए आधार के रूप में माना जाता है।

    • थर्मोडायनामिक्स का पहला नियम

      पहला नियम ऊर्जा का संरक्षण नियम है, जो कहता है कि ऊर्जा न तो बनाई जा सकती है और न ही नष्ट की जा सकती है। यह कहता है कि किसी सिस्टम में होने वाले कार्य और ऊष्मा परिवर्तन के बीच संबंध होता है।

    • ऊष्मा और कार्य

      ऊष्मा (Q) और कार्य (W) के बीच संबंध को समझना महत्वपूर्ण है। यदि एक सिस्टम में ऊष्मा जोड़ी जाती है, तो यह सिस्टम की आंतरिक ऊर्जा (U) में परिवर्तन करती है।

    • आंतरिक ऊर्जा

      आंतरिक ऊर्जा एक सिस्टम में उपस्थित सभी कणों की ऊर्जा का योग है। यह ऊष्मा और कार्य के माध्यम से बदलती है। यदि कार्य किया जाता है या ऊष्मा को जोड़ा जाता है, तो आंतरिक ऊर्जा में परिवर्तन होता है।

    • उदाहरण और अनुप्रयोग

      थर्मोडायनामिक्स के नियमों का उपयोग विभिन्न उद्योगों में किया जाता है, जैसे कि इंजन, रेफ्रिजरेशन, और एयर कंडीशनिंग में। इन अनुप्रयोगों के माध्यम से, हम ऊर्जा के रूपांतरण को समझ और नियंत्रित कर सकते हैं।

  • 2nd 3rd Law of Thermodynamics

    द्वितीय और तृतीय ऊष्मागतिकी के नियम
    • द्वितीय ऊष्मागतिकी का नियम

      द्वितीय ऊष्मागतिकी का नियम कहता है कि ऊष्मा स्वाभाविक रूप से उच्च तापमान वाले स्थान से निम्न तापमान वाले स्थान पर नहीं जाती। इस नियम के अनुसार, जब तक कोई कार्य न किया जाए, एक प्रणाली ऊर्जा को एक स्थान से दूसरे स्थान पर नहीं ले जा सकती।

    • ऊष्मा और काम

      ऊष्मा वह ऊर्जा है जो तापमान के अंतर के कारण स्थानांतरित होती है। कार्य (काम) वह ऊर्जा है जिसे एक प्रणाली को उसके चारों ओर के वातावरण पर प्रभाव डालने के लिए लगाया जाता है।

    • तृतीय ऊष्मागतिकी का नियम

      तृतीय ऊष्मागतिकी का नियम बताता है कि जब तापमान शून्य के करीब पहुँचता है, तब प्रणाली की एंट्रॉपी (व्यवस्थितता) न्यूनतम हो जाती है। इस तापमान पर, प्रणाली उसमें मौजूद ऊर्जा को पूरी तरह से खो देती है।

    • ऊष्मागतिकी के नियमों का महत्व

      इन ऊष्मागतिकीय नियमों का वैज्ञानिक और तकनीकी अनुप्रयोगों में महत्व है, जैसे कि थर्मल इन्जीनियरिंग, रसायन विज्ञान में प्रतिक्रियाओं के अध्ययन और कई अन्य क्षेत्रों में।

    • उपयोगिता और सीमाएँ

      द्वितीय और तृतीय ऊष्मागतिकी के नियमों की उपयुक्तता ऊर्जा के संरक्षण, तापीय संतुलन और कार्य प्रक्रियाओं के अध्ययन में है, परंतु इन नियमों की कुछ सीमाएँ भी हैं, जैसे कि उन्हें मौलिक कण स्तर पर ठीक से लागू नहीं किया जा सकता।

  • Kinetic Theory of Gases

    Kinetic Theory of Gases
    • परिभाषा और मूल अवधारणा

      गैसों का गतिज सिद्धांत यह बताता है कि गैसें बहुत छोटे कणों से बनी होती हैं जो लगातार गति में होती हैं। यह सिद्धांत गैसों के ताप, दाब और घनत्व के बीच के संबंध को समझाने में सहायक होता है।

    • गैस के विभिन्न गुण

      गैसों की कुछ महत्वपूर्ण विशेषताएँ हैं: तापमान, दाब, और मात्रा। जैसे-जैसे तापमान बढ़ता है, कणों की गति बढ़ती है, जिससे दाब बढ़ता है।

    • गैसों का आदर्श व्यवहार

      आदर्श गैस एक ऐसी गैस होती है जो सभी स्थितियों में गैस के गतिज सिद्धांत के सिद्धांतों का पालन करती है। आदर्श गैस के लिए, पीवी=nRT का समीकरण लागू होता है, जहाँ P दाब, V मात्रा, n मोल की संख्या, R सार्वभौमिक गैस स्थिरांक, और T तापमान है।

    • गैसों में शक्तियाँ

      गैसों के कणों के बीच के आकर्षण और विकर्षण बलों का अध्ययन किया जाता है, जो गैस के व्यवहार को प्रभावित करते हैं। अधिकतम तापमान में, ये बल महत्वहीन होते हैं।

    • गैसें और ऊष्मा

      ऊष्मा का आदान-प्रदान गैसों में ऊर्जा के स्थानांतरण का एक महत्वपूर्ण तरीका है। गैसों के तापमान में बदलाव उनकी आंतरिक ऊर्जा में बदलाव को दर्शाता है।

  • Theory of Radiation

    Theory of Radiation
    • Radiation क्या है

      Radiation एक भौतिक प्रक्रिया है जिसमें ऊर्जा तरंगों या कणों के रूप में स्थानांतरित होती है। यह प्रक्रिया मुख्य रूप से तीन प्रकार की होती है: विद्युतचुंबकीय विकिरण, कण विकिरण और थर्मल विकिरण।

    • विद्युतचुंबकीय विकिरण

      विद्युतचुंबकीय विकिरण में प्रकाश, एक्स-रे और गामा किरणें शामिल हैं। ये तरंगे विभिन्न आवृत्तियों और तरंग दैर्ध्य पर होती हैं। ये ऊर्जा को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने में सक्षम होती हैं।

    • कण विकिरण

      कण विकिरण में प्रोटॉन, न्यूट्रॉन और इलेक्ट्रॉन शामिल हैं। यह विकिरण परमाणुओं के नाभिक से उत्पन्न होता है और उच्च ऊर्जा के कारण गंभीर बायोलॉजिकल प्रभाव पैदा कर सकता है।

    • थर्मल विकिरण

      थर्मल विकिरण वह विकिरण है जो गर्मी के कारण उत्पन्न होता है। यह ज्यादातर अवरक्त विकिरण के रूप में होता है और इसे मोस्लोव की कानून द्वारा वर्णित किया गया है।

    • विकिरण का अनुप्रयोग

      विकिरण का उपयोग कई क्षेत्रों में होता है, जैसे चिकित्सा (एक्सरे और रेडियोथेरेपी), ऊर्जा उत्पादन (सौर पैनल), और औद्योगिक प्रक्रियाओं में।

    • विकिरण का स्वास्थ्य पर प्रभाव

      अत्यधिक विकिरण मानवीय स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव डाल सकता है, जैसे कैंसर का जोखिम और डीएनए में परिवर्तन। इसलिए सुरक्षा मानकों का पालन करना आवश्यक है।

  • DC AC Circuits

    DC AC Circuits
    • DC Circuit Basics

      DC सर्किट में धारा एक दिशा में प्रवाहित होती है। इसका सबसे सामान्य उदाहरण बैटरी है। DC सर्किट में वोल्टेज और धारा समय के साथ स्थिर रहती है।

    • AC Circuit Basics

      AC सर्किट में धारा समय के साथ अपनी दिशा बदलती है। यह अधिकतर जनरेटरों द्वारा उत्पन्न होती है। AC का उपयोग विद्युत वितरण में किया जाता है क्योंकि यह लंबी दूरी पर कुशलतापूर्वक आपूर्ति की जा सकती है।

    • Comparison of DC and AC

      DC सर्किट सरल होते हैं और इन्हें आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है। AC सर्किट अधिक जटिल होते हैं लेकिन ऊर्जा परिवहन में अधिक प्रभावी होते हैं।

    • Applications of DC Circuits

      DC सर्किट का उपयोग इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, बैटरियों और चार्जिंग सिस्टम में होता है।

    • Applications of AC Circuits

      AC सर्किट का उपयोग घरेलू और औद्योगिक बिजली आपूर्ति में होता है। यह मोटर्स और अन्य बड़े उपकरणों के संचालन के लिए भी आवश्यक है।

    • Circuit Components

      DC और AC सर्किट में प्रतिरोध, कैपेसिटर और इंडक्टर शामिल होते हैं। ये सभी घटक सर्किट के प्रदर्शन को प्रभावित करते हैं।

    • Ohm's Law

      Ohm का नियम DC सर्किट में चलन में आता है, जो वोल्टेज, धारा और प्रतिरोध के बीच संबंध दर्शाता है। AC सर्किट में, यह नियम जटिलता के साथ लागू होता है।

    • Power Calculation

      DC सर्किट में पावर की गणना P=VI से की जाती है। AC में, पावर के लिए सच्ची पावर, प्रतिक्रियाशील पावर और प्रकट पावर का ध्यान रखना चाहिए।

  • Semiconductors Diodes

    Semiconductors Diodes
    सेमिकंडक्टर क्या है
    सेमिकंडक्टर वे पदार्थ होते हैं जो न तो अच्छे संवाहक होते हैं और न ही अच्छे इंसुलेटर। इन्हें तापमान, रासायनिक संरचना और विद्युत क्षेत्र के अनुसार नियंत्रित किया जा सकता है।
    डायोड का कार्य
    डायोड एक सेमिकंडक्टर उपकरण है जो एक दिशा में विद्युत धारा को प्रवाहित करने की अनुमति देता है। यह स्तरित junction से बना होता है, जिसमें एक P-type और एक N-type सामग्री होती है।
    डायोड के प्रकार
    अनेक प्रकार के डायोड होते हैं, जैसे कि PN जंक्शन डायोड, ज़ेनर डायोड, शॉटकी डायोड आदि। हर प्रकार के डायोड का विशेष कार्य और विशेषता होती है।
    डायोड का उपयोग
    डायोड का उपयोग वول्टेज रैग्यूलेशन, सिग्नल डिटेक्शन, और परिपथों में धारा की दिशा निर्धारित करने के लिए किया जाता है।
    आधुनिक उपयोग और अनुप्रयोग
    डायोड का उपयोग रेडियो, टेलीविजन, कंप्यूटर, और बहुत से इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में किया जाता है। ये विभिन्न रूपों में उपलब्ध होते हैं, जैसे कि LED, LASER डायोड आदि।
  • Transistors

    Transistors
    • ट्रांजिस्टर की परिभाषा

      ट्रांजिस्टर एक सेमीकंडक्टर डिवाइस है जिसका उपयोग इलेक्ट्रॉनिक सर्किट में सिग्नल को बढ़ाने और स्विचिंग के लिए किया जाता है। इसे दो प्रकार के सेमीकंडक्टर सामग्री जैसे एन-प्लेन और पी-प्लेन से बनाया जाता है।

    • ट्रांजिस्टर के प्रकार

      ट्रांजिस्टर मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं: बीजीडीटी (BJT) और एफईटी (FET)। BJT धारा द्वारा नियंत्रित होता है, जबकि FET वोल्टेज द्वारा नियंत्रित होता है।

    • ट्रांजिस्टर का कार्य

      ट्रांजिस्टर का मुख्य कार्य सिग्नल को बढ़ाना है। यह एक छोटा इनपुट सिग्नल लेता है और उसे एक बड़े आउटपुट सिग्नल में बदल देता है।

    • ट्रांजिस्टर का उपयोग

      ट्रांजिस्टर विविध अनुप्रयोगों में उपयोग होता है जैसे कि एम्पलीफायर्स, स्विचिंग उपकरण और डिजिटल सर्किट।

    • ट्रांजिस्टर का निर्माण

      ट्रांजिस्टर को सेमीकंडक्टर सामग्री के द्वारा बनाया जाता है और इसे विभिन्न प्रक्रियाओं जैसे डोपिंग और ऑक्साइडकरण द्वारा विभिन्न गुण दिए जाते हैं।

  • Electronic Instrumentation

    Electronic Instrumentation
    • Introduction to Electronic Instrumentation

      इलेक्ट्रॉनिक इंस्ट्रुमेंटेशन वह तकनीक है जो इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के माध्यम से मापन, निगरानी और नियंत्रण करती है। यह भौतिक मापदंडों जैसे तापमान, दबाव, धारा, वोल्टेज इत्यादि को मापने और प्रदर्शित करने में मदद करती है।

    • Types of Electronic Instruments

      इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के विभिन्न प्रकार होते हैं जैसे कि एनालॉग मीटर, डिजिटल मीटर, ऑस्सिलोस्कोप, मल्टीमीटर आदि। ये उपकरण विभिन्न मापदंडों को मापने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।

    • Components of Electronic Instruments

      इलेक्ट्रॉनिक इंस्ट्रुमेंटेशन में कई महत्वपूर्ण कंपोनेंट्स होते हैं जैसे ट्रांसड्यूसर, सिग्नल प्रोसेसिंग यूनिट, डिस्प्ले यूनिट और कंट्रोल यूनिट। ये सभी कंपोनेंट्स मिलकर एक प्रभावी मापन प्रणाली बनाते हैं।

    • Applications of Electronic Instrumentation

      इलेक्ट्रॉनिक इंस्ट्रुमेंटेशन का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में होता है, जैसे चिकित्सा, औद्योगिक प्रक्रिया, मौसम विज्ञान, और अनुसंधान और विकास में। ये उपकरण डेटा एकत्र करने और विश्लेषण करने में बहुत सहायक होते हैं।

    • Future Trends in Electronic Instrumentation

      भविष्य में, इलेक्ट्रॉनिक इंस्ट्रुमेंटेशन में स्मार्ट तकनीकों का समावेश होने की संभावना है। इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) और ऑटोमेटेड सिस्टम का विकास मापन और निगरानी के तरीकों को और भी उन्नत करेगा।

Certificate in Basic Physics Semiconductor Devices

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Physics

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Veer Bahadur Singh Purvanchal University Jaunpur

Thermal Physics Semiconductor Devices

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