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Semester 3: Diploma in Applied Physics with Electronics
Electrostatics
Electrostatics
परिभाषा
इलेक्ट्रोस्टेटिक्स वह विषय है जो आवेशों के स्थिरता और उनके बीच के बलों का अध्ययन करता है।
कूलंब का नियम
कूलंब का नियम बताता है कि दो स्थिर आवेशों के बीच बल उनके आवेशों के गुणनफल और उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
इलेक्ट्रिक क्षेत्र
इलेक्ट्रिक क्षेत्र वह क्षेत्र है जिसमें कोई आवेश बल अनुभव करता है। इसे E से निरूपित किया जाता है और इसे परिभाषित किया जा सकता है: E = F/q, जहां F बल है और q आवेश है।
पोटेंशियल एवं पोटेंशियल ऊर्जा
पोटेंशियल किसी बिंदु पर विद्युत कार्य की मात्रा को दर्शाता है जो एक एकक आवेश को उस बिंदु पर लाने के लिए किया जाता है।
इलेक्ट्रोस्टेटिक कानून
इलेक्ट्रोस्टैटिक के नियमों में चार्ज का संरक्षण और ऑस्मोटिक बल का नियम शामिल है।
पॉलीट्रॉपिक इन्क्विविज़न
पॉलीट्रॉपिक इन्क्विविज़न इलेक्ट्रोस्टेटिक सिस्टम के विश्लेषण में इस्तेमाल होती है।
Magnetostatics
Magnetostatics
मैग्नेटिक फील्ड का निर्माण
मैग्नेटिक फील्ड का निर्माण स्थिर विद्युत धारा के कारण होता है। यह फील्ड चक्रीय दिशा में बंटी होती है और इसका दिशा ठीक हाथ की अंगुलियों के नियम के अनुसार होती है।
लॉरेन्ट्ज़ बल
जब चार्ज कण एक मैग्नेटिक फील्ड में गति करते हैं, तो उन पर लॉरेन्ट्ज़ बल作用 करता है। यह बल चार्ज, गति और मैग्नेटिक फील्ड के क्रॉस प्रोडक्ट के रूप में व्यक्त किया जाता है।
मैग्नेटिक सामग्री
मैग्नेटिक सामग्री का विभाजन निम्नलिखित प्रकारों में किया जाता है: डायमैग्नेटिक, पैरामैग्नेटिक और फेरैमैग्नेटिक। बुनियादी गुण और व्यवहार के अनुसार इन सामग्रियों में भिन्नता होती है।
मैग्नेटिक फ्लक्स
मैग्नेटिक फ्लक्स एक निर्धारित 영역 में मैग्नेटिक फील्ड की मात्रा का माप है। इसे वेक्टर के रूप में दर्शाया जा सकता है और इसकी गणना करने के लिए एक विशेष सूत्र का उपयोग किया जाता है।
मैग्नेटिक सर्किट
मैग्नेटिक सर्किट का उपयोग मैग्नेटिक सामग्री के माध्यम से मैग्नेटिक फ्लक्स के प्रवाह का अध्ययन करने के लिए किया जाता है। इसे समानान्तर और अनुक्रम में जोड़ा जा सकता है जैसा कि बिजली सर्किट में होता है।
Time Varying Electromagnetic Fields
समय परिवर्तनीय विद्युत् चुम्बकीय क्षेत्र
समय परिवर्तनीय विद्युत् क्षेत्र
समय के साथ विद्युत् क्षेत्र की दिशा और तीव्रता में परिवर्तन होता है। जब किसी चार्ज के चारों ओर विद्युत् क्षेत्र तैयार होता है, तब चार्ज में होने वाले परिवर्तनों के कारण यह क्षेत्र समय के साथ बदल सकता है।
समय परिवर्तनीय चुम्बकीय क्षेत्र
चुम्बकीय क्षेत्र का प्रभाव भी समय के साथ बदलता है। यदि एक करंट का प्रवाह परिवर्तित होता है, तो उसके चारों ओर का चुम्बकीय क्षेत्र भी परिवर्तित होता है। यह परिवर्तन समय के साथ नियमित होता है।
मैक्सवेल के समीकरण
मैक्सवेल के समीकरण समय परिवर्तनीय विद्युत् और चुम्बकीय क्षेत्रों के बीच संबंध स्थापित करते हैं। ये समीकरण दर्शाते हैं कि कैसे एक क्षेत्र दूसरे क्षेत्र को प्रेरित करता है।
विद्युत् चुम्बकीय तरंगें
जब समय परिदृश्य में विद्युत् और चुम्बकीय क्षेत्र एक दूसरे के साथ बदलते हैं, तो वे विद्युत् चुम्बकीय तरंगों का निर्माण करते हैं। ये तरंगें प्रकाश की गति से फैलती हैं।
प्रयोग और अनुप्रयोग
समय परिवर्तनीय विद्युत् चुम्बकीय क्षेत्रों का उपयोग टेलीविजन, रेडियो, वायरलेस संचार आदि में किया जाता है। इन परियों का अध्ययन विद्युत् और चुम्बकीय क्षेत्र की मौलिक समझ को सुधारने में मदद करता है।
Electromagnetic Waves
इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगें
इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों की परिभाषा
इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगें एक प्रकार की तरंगें होती हैं जो इलेक्ट्रिक और मैग्नेटिक क्षेत्र के परिवर्तनों द्वारा उत्पन्न होती हैं। इन तरंगों में ऊर्जा का संचार होता है और ये खाली स्थान में यात्रा कर सकती हैं।
इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम
इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों का स्पेक्ट्रम विभिन्न प्रकार की तरंगों में विभाजित किया जाता है, जैसे कि रेडियो तरंगें, माइक्रोवेव, इन्फ्रारेड, दृश्य प्रकाश, पराबैंगनी (UV), एक्स-रे और गामा किरणें। हर प्रकार की तरंग की अपनी विशेषताओं और अनुप्रयोग होते हैं।
इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों की विशेषताएँ
इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगें निम्नलिखित विशेषताओं से युक्त होती हैं: 1. तरंग की गति: ये सभी तरंगें प्रकाश की गति से यात्रा करती हैं। 2. तरंग लंबाई: इनकी तरंग लंबाई उनके प्रकार के अनुसार भिन्न होती है। 3. आवृत्ति: आवृत्ति और तरंग लंबाई का आपस में संबंध होता है।
इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों के अनुप्रयोग
इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगें अनेक अनुप्रयोगों में उपयोग होती हैं, जैसे की: 1. दूरसंचार में: रेडियो और टीवी प्रसारण। 2. चिकित्सा में: एक्स-रे और MRI स्कैनिंग। 3. उपग्रह संचार और नेविगेशन में। 4. औद्योगिक अनुप्रयोगों में उपयोग।
इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों का महत्व
इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगें आधुनिक विज्ञान और तकनीकी में अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। ये न केवल संचार का आधार बनती हैं, बल्कि ऊर्जा उत्पादन और चिकित्सा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
Interference
Interference in the context of Diploma in Applied Physics with Electronics
Interference के सिद्धांत
Interference एक भौतिक प्रक्रिया है जहां दो या दो से अधिक तरंगों का एक साथ मिलना होता है। यह प्रक्रिया तब होती है जब तरंगें एक ही स्थान पर आते हैं। यह ध्वनि तरंगों, प्रकाश तरंगों, और पानी की तरंगों में देखा जा सकता है।
प्रकार
Interference को दो मुख्य प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है: 1. सकारात्मक interference (constructive interference): जब दो तरंगें एक दूसरे के विपरीत होती हैं और उनका समग्र प्रभाव बढ़ता है। 2. नकारात्मक interference (destructive interference): जब दो तरंगें एक दूसरे के विपरीत होती हैं और उनका समग्र प्रभाव घटता है।
Young's Double Slit Experiment
Young's double slit प्रयोग interference के सिद्धांत को स्पष्ट करने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयोग है। इस प्रयोग में, प्रकाश को दो संकीर्ण दरारों से गुजरने दिया जाता है, जिससे एक पैटर्न बनता है जिसमें हल्की और गहरी धारियां होती हैं, जो interference के कारण होती हैं।
Interference के अनुप्रयोग
Interference का उपयोग कई तकनीकी क्षेत्रों में किया जाता है, जैसे कि: 1. ध्वनि प्रणाली में noise cancellation। 2. लाइट फाइबर संचार में, जहाँ interference के द्वारा सूचना को अधिक प्रभावी ढंग से संचारित किया जाता है। 3. माप और जांच में उपयोग, जैसे कि इंटरफेरोमेट्री।
Diffraction
Diffraction
Diffraction का परिचय
Diffraction एक वेव घटना है, जिसमें एक तरंग किसी बाधा या एक लंबे स्लिट के चारों ओर मुड़ती है। यह घटना तब होती है जब तरंगे बाधाओं या उद्घाटन के आकार के बराबर होती हैं।
Diffraction के प्रकार
Diffraction मुख्यतः दो प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है: (1) Fraunhofer diffraction, (2) Fresnel diffraction। Fraunhofer diffraction एक सपाट और दूरस्थ बाधा से उत्पन्न होता है, जबकि Fresnel diffraction निकटता में उत्पन्न होता है।
Diffraction का सिद्धांत
Diffraction को समझने के लिए ह्यूगन्स प्रिंसिपल का उपयोग किया जाता है। इसके अनुसार, प्रत्येक बिंदु तरंग का स्रोत माना जाता है और ये सभी बिंदु मिलकर एक नई तरंग फ्रंट का निर्माण करते हैं।
Diffraction पैटर्न
Diffraction के परिणामस्वरूप विभिन्न पैटर्न उत्पन्न होते हैं, जो दिखाते हैं कि कैसे तरंगें एक-दूसरे के साथ इंटरफेयर करती हैं। इन पैटर्नों को अद्वितीय धब्बे या धारियां मिलती हैं।
Diffraction का उपयोग
Diffraction का उपयोग कई क्षेत्रों में होता है, जैसे कि ऑप्टिकल उपकरणों में, रोशनी को छानने में, और विभिन्न वैज्ञानिक उपकरणों में। यह पदार्थ की संरचना का अध्ययन करने में भी सहायक है।
Polarisation
Polarisation
Polarisation का अर्थ
Polarisation वह प्रक्रिया है जिसमे प्रकाश के तरंगों की दिशा को नियंत्रित किया जाता है। यह तब होता है जब प्रकाश एक विशेष दिशा में परिलक्षित या फ़िल्टर किया जाता है।
Polarisation के प्रकार
Polarisation के मुख्य प्रकारों में: 1. रैखिक Polarisation, 2. वृत्तीय Polarisation, 3. अंडाकार Polarisation शामिल हैं। रैखिक Polarisation में तरंगें एक ही दिशा में होती हैं, जबकि वृत्तीय और अंडाकार Polarisation में तरंगें घुमावदार होती हैं।
Polarisation के उपयोग
Polarisation का उपयोग अनेक क्षेत्रों में होता है, जैसे: 1. सौर पैनल में, 2. फ़ोटोग्राफी में, 3. LCD स्क्रीन में, और 4. विज्ञान अनुसंधान में।
Polarisation का महत्व
Polarisation का महत्व इसलिए है क्योंकि यह हमें विभिन्न प्रकार के प्रकाश को समझने और नियंत्रित करने की क्षमता देता है। यह वैज्ञानिक अनुसंधान और तकनीकी विकास में भी आवश्यक है।
Polarisation की तकनीकें
Polarisation हासिल करने के लिए कई तकनीकें हैं, जैसे: 1. पोलराइज़र फ़िल्टर, 2. पारदर्शी मीडिया का उपयोग, और 3. परावर्तन। इनका उपयोग विभिन्न उपकरणों और प्रायोगिक सेटअप में किया जाता है।
Lasers
Lasers
लेज़र का परिचय
लेज़र एक विशेष प्रकार का प्रकाश स्रोत है जो उच्च तीव्रता और सामंजस्यपूर्णता के साथ प्रकाश उत्पन्न करता है। इसका उपयोग कई क्षेत्रों में होता है जैसे चिकित्सा, संचार, और उद्योग।
लेज़र के प्रकार
लेज़र के कई प्रकार होते हैं जैसे: 1. गैस लेज़र - जैसे कि हीलियम-नीऑन लेज़र। 2. तरल लेज़र - जैसे कि डाइलेज़र। 3. ठोस लेज़र - जैसे कि रूबीडियम लेज़र। 4. सेमीकंडक्टर लेज़र - जैसे कि लेज़र डायोड।
लेज़र का कार्यप्रणाली
लेज़र की कार्यप्रणाली तीन मुख्य तत्वों पर आधारित होती है: 1. सक्रिय माध्यम - वह सामग्री जो ऊर्जा को अवशोषित करती है। 2. ऊर्जा स्रोत - जो सक्रिय माध्यम में ऊर्जा डालता है। 3. दर्पण - जो प्रकाश को प्रतिबिंबित करते हैं और लेज़र विकिरण उत्पन्न करते हैं।
लेज़र के उपयोग
लेज़र का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में होता है जैसे: 1. चिकित्सा - सर्जरी, स्किन ट्रीटमेंट। 2. संचार - फाइबर ऑप्टिक संचार में। 3. उद्योग - कटिंग और वेल्डिंग में। 4. अनुसंधान - भौतिकी, रसायन विज्ञान में।
लेज़र की विशेषताएँ
लेज़र की कुछ प्रमुख विशेषताएँ हैं: 1. उच्च तीव्रता - लेज़र प्रकाश बहुत तीव्र होता है। 2. सामंजस्यपूर्णता - लेज़र में सभी तरंग दैर्ध्य समान होते हैं। 3. दिशा - लेज़र प्रकाश एक सीध में चलता है। 4. उत्तेजित विकिरण - लेज़र प्रकाश उत्तेजित विकिरण के सिद्धांत पर आधारित होता है।
