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Semester 3: Psychology of Social Behavior
Social Psychology: Nature, and Scope; Methods of Studying Social Behavior: Observation, Survey, Field Study, and Interview
Social Psychology: Nature, and Scope; Methods of Studying Social Behavior
सामाजिक मनोविज्ञान की प्रकृति
सामाजिक मनोविज्ञान व्यक्तियों के सोचने, महसूस करने और व्यवहार करने के तरीके को समूह में समझता है। यह व्यक्ति के सामाजिक संदर्भ में मनोवैज्ञानिक प्रक्रियाओं का अध्ययन करता है।
सामाजिक मनोविज्ञान का क्षेत्र
इसमें विभिन्न सामाजिक मुद्दों, जैसे कि समूह गतिशीलता, सामाजिक प्रभाव, पूर्वाग्रह और विविधता का अध्ययन शामिल है। यह क्षेत्र सामाजिक प्रतिभागिता और सामाजिक परिवर्तन के संदर्भ में भी कार्य करता है।
सामाजिक व्यवहार का अध्ययन करने की विधियाँ
सामाजिक व्यवहार का अध्ययन करने के लिए कई विधियाँ अपनाई जाती हैं, जैसे कि अवलोकन, सर्वेक्षण, फील्ड स्टडी और साक्षात्कार।
अवलोकन की विधि
यह विधि सामाजिक व्यवहार का प्रत्यक्ष अवलोकन करने पर आधारित है, जहाँ शोधकर्ता बिना हस्तक्षेप के प्रतिभागियों के व्यवहार का अध्ययन करते हैं।
सर्वेक्षण की विधि
इस विधि में प्रश्नावली या साक्षात्कार के माध्यम से डेटा एकत्र किया जाता है। यह विधि व्यापक जानकारी प्राप्त करने का एक त्वरित तरीका है।
फील्ड स्टडी की विधि
यह विधि विभिन्न सामाजिक सेटिंग्स में अनुसंधान करने पर केन्द्रित है। यह बर्दाश्त योग्य वातावरण में वास्तविक जीवन की स्थितियों का अध्ययन करता है।
साक्षात्कार की विधि
यह विधि एक या एक से अधिक प्रतिभागियों के साथ बौद्धिक वार्ता द्वारा डेटा एकत्र करने में मदद करती है। यह गहन जानकारी प्राप्त करने का प्रभावी तरीका है।
Person Perception: Concept, Determinants of Impression Formation
व्यक्ति की धारणा: अवधारणा, छवि निर्माण के निर्धारक
व्यक्ति की धारणा की अवधारणा
व्यक्ति की धारणा का अर्थ है किसी व्यक्ति के प्रति पूर्वाग्रह, अनुभव और सूचना के आधार पर धारणाएँ बनाना। यह एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें हमारी मानसिकता, सामाजिक सन्दर्भ और सांस्कृतिक मूल्यों का प्रभाव होता है।
छवि निर्माण के निर्धारक
छवि निर्माण के कई निर्धारक होते हैं, जैसे: 1. भौतिक विशेषताएँ: व्यक्ति का रूप, चेहरा और कपड़े। 2. व्यवहार: किसी व्यक्ति का व्यवहार, बोली और आचार। 3. समाजिक पृष्ठभूमि: व्यक्ति का सामाजिक और पारिवारिक पृष्ठभूमि। 4. सांस्कृतिक प्रभाव: विभिन्न संस्कृतियों के मूल्यों और विश्वासों का प्रभाव।
धारणा की प्रक्रिया
व्यक्ति की धारणा की प्रक्रिया में कुछ मुख्य चरण होते हैं: 1. ध्यान आकर्षण: पहले व्यक्ति का ध्यान आकर्षित करना। 2. व्याख्या: किसी व्यक्ति के बारे में सूचना को समझना और उसका विश्लेषण करना। 3. मूल्यांकन: व्यक्ति के बारे में व्यवस्थाबद्ध प्रतिक्रियाएँ बनाना।
सकारात्मक और नकारात्मक धारणा
व्यक्ति की धारणा सकारात्मक या नकारात्मक हो सकती है। सकारात्मक धारणा अच्छे अनुभवों और सकारात्मक आचरण पर आधारित होती है, जबकि नकारात्मक धारणा बुरे अनुभवों और नकारात्मक आचरण पर आधारित होती है।
धारणा में पक्षपाती तत्व
धारणा में कई बार हमारे पूर्वाग्रह और सामाजिक मानदंड भी शामिल होते हैं, जो किसी व्यक्ति के प्रति नकारात्मक या सकारात्मक छवि बनाने में मदद करते हैं। इन पक्षपातों को दूर करने के लिए जागरूकता और संवेदनशीलता आवश्यक होती है।
Social Cognition: Nature & concept; Attribution of Causality: Harold Kelly and Bernard Weiner
Social Cognition: Nature & concept; Attribution of Causality: Harold Kelly and Bernard Weiner
Social Cognition
सामाजिक संज्ञान ऐसा मानसिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति अपने समाज में दूसरों के विचारों, भावनाओं और व्यवहारों को समझने का प्रयास करते हैं। यह मनोवैज्ञानिक अध्ययन का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। सामाजिक संज्ञान का मुख्य उद्देश्य यह जानना है कि कैसे व्यक्ति अपनी सामाजिक दुनिया की व्याख्या करते हैं और दूसरों के प्रति अपने व्यवहार को कैसे नियंत्रित करते हैं।
Attribution Theory
उत्क्रांति सिद्धांत वह सिद्धांत है जो यह समझाता है कि लोग अपने और दूसरों के व्यवहार के कारणों की व्याख्या कैसे करते हैं। जब कोई व्यक्ति किसी घटना को देखता है, तो वह उस घटना के पीछे के कारणों का अनुमान लगाता है। यह सिद्धांत हमारे मानसिक प्रक्रियाओं को समझने में मदद करता है।
Harold Kelly's Attribution Model
हैरोल्ड केली का उत्क्रांति मॉडल इस बात पर केंद्रित है कि लोग किसी विशेष स्थिति में दूसरों के व्यवहार को कैसे व्यक्त करते हैं। उनकी तीन प्रमुख विशेषताएं हैं: प्रकार का व्यवहार, स्थिति की स्थिरता, और व्यक्तित्व का प्रभाव। यह मॉडल समझाता है कि लोग किस प्रकार सामान्यीकरण करते हैं और भविष्य में होने वाले व्यवहारों का पूर्वानुमान कैसे करते हैं।
Bernard Weiner's Attribution Theory
बर्नार्ड वीनर ने उत्क्रांति सिद्धांत को विकसित किया और यह समझाया कि कैसे हमारी आत्म-धारणा और प्रेरणा दूसरों के व्यवहार के कारणों की व्याख्या पर निर्भर करती है। वीनर के अनुसार, लोग प्रायः अपनी सफलताओं और विफलताओं को व्यक्तिगत या बाहरी कारकों के साथ जोड़ते हैं, और यह उनके भविष्य के प्रयासों को प्रभावित करता है।
सामाजिक संज्ञान में उत्क्रांति का महत्व
सामाजिक संज्ञान में उत्क्रांति का अध्ययन यह दिखाता है कि किस प्रकार विभिन्न कारक हमारे निर्णयों और विचारों को प्रभावित करते हैं। यह हमें यह समझने में मदद करता है कि कैसे विभिन्न संदर्भों में हमारे व्यवहार की व्याख्या की जाती है और यह सामाजिक जीवन पर प्रभाव डालता है।
Attitude: Nature, Formation and Measurement; Interpersonal Attraction: Concept and Determinants
Attitude: Nature, Formation and Measurement; Interpersonal Attraction: Concept and Determinants
Attitude: Nature
व्यवहारिक मनोविज्ञान में, दृष्टिकोण एक मानसिक स्थिति या भावना है, जो किसी व्यक्ति, वस्तु या विचार के प्रति सकारात्मक या नकारात्मक भावनाओं को दर्शाता है। दृष्टिकोण मानव व्यवहार को दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
Attitude: Formation
दृष्टिकोण का निर्माण सामाजिक अनुभवों, व्यक्तिगत मान्यताओं, और मीडिया के प्रभाव के माध्यम से होता है। यह विकास बच्चों से लेकर वयस्कता तक होता है।
Attitude: Measurement
दृष्टिकोण को मापने के लिए विभिन्न विधियाँ हैं जैसे कि सर्वेक्षण, प्रश्नावली, और व्यवहार संबंधी परीक्षण। निर्माण के लिए विभिन्न मापदंडों का उपयोग किया जाता है।
Interpersonal Attraction: Concept
इंटरपर्सनल अट्रैक्शन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा लोग एक-दूसरे की ओर आकर्षित होते हैं। यह शारीरिक, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक कारकों पर निर्भर करता है।
Interpersonal Attraction: Determinants
आकर्षण के निर्धारक कई कारकों पर निर्भर करते हैं, जैसे समानता, निकटता, और अनुकूलता। ये पहलू व्यक्तिगत संबंधों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
Aggression: Concept, Theories: Frustration-Aggression Hypothesis, and Social Learning Theory of Aggression
Aggression: Concept, Theories: Frustration-Aggression Hypothesis, and Social Learning Theory of Aggression
अग्रेशन का परिचय
अग्रेशन एक व्यवहार है जो दूसरों को हानि पहुँचाने या खुद को नुकसान से बचाने के लिए होता है। यह एक प्राकृतिक मनोवैज्ञानिक प्रतिक्रिया है जो विभिन्न कारणों से उत्पन्न हो सकती है।
फ्रस्ट्रेशन-एग्रेशन परिकल्पना
यह सिद्धांत बताता है कि जब किसी व्यक्ति को उसकी इच्छाएँ पूरी करने में बाधा आती है तो वह तनाव और निराशा का अनुभव करता है, जो आगे जाकर आक्रामक व्यवहार का कारण बन सकता है।
सामाजिक अधिगम सिद्धांत
इस सिद्धांत के अनुसार, व्यक्ति आक्रामक व्यवहार कोobserve करता है और सीखता है। यह व्यवहार सामाजिक वातावरण, मीडिया और व्यक्तिगत अनुभवों के आधार पर विकसित होता है।
अग्रेशन के प्रकार
अग्रेशन कई प्रकारों में प्रकट हो सकता है: शारीरिक, मौखिक, अनुशासनात्मक, और मानसिक। प्रत्येक प्रकार का प्रभाव और कारण भिन्न हो सकता है।
अग्रेशन के कारण
अग्रेशन के मुख्य कारणों में जैविक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कारक शामिल हैं। इनमें हार्मोनल परिवर्तन, व्यक्तिगत अनुभव और सामाजिक प्रभाव शामिल हैं।
Pro-social Behavior: Nature and Determinants: Personal, Situational and Socio-cultural
Pro-social Behavior: Nature and Determinants: Personal, Situational and Socio-cultural
प्रो-सोशल व्यवहार की प्रकृति
प्रो-सोशल व्यवहार वो क्रियाकलाप हैं जो दूसरों के लाभ के लिए किए जाते हैं। इसमें सहानुभूति, सहयोग, और मदद करने की प्रवृत्ति शामिल हैं। ये व्यवहार व्यक्तिगत और समाज में सकारात्मक संबंधों को बढ़ावा देते हैं।
व्यक्तिगत निर्धारक
व्यक्तिगत निर्धारक में व्यक्ति का चरित्र, मूल्य प्रणाली और पूर्व अनुकरण शामिल हैं। जैसे कि यदि कोई व्यक्ति सहानुभूतिपूर्ण है, तो वह दूसरों की मदद करने की अधिक संभावना रखता है।
स्थिति संबंधी निर्धारक
स्थिति संबंधी निर्धारक में उन परिस्थितियों का प्रभाव शामिल है जिसमें व्यक्ति रहता है। उदाहरण के लिए, आपात स्थिति में लोग अधिक सहयोगी बन सकते हैं।
सामाजिक-संस्कृतिक निर्धारक
सामाजिक और सांस्कृतिक पहलू प्रो-सोशल व्यवहार को प्रभावित करते हैं। जैसे कि यदि किसी समाज में मदद करना मानक है, तो लोग अधिक से अधिक प्रो-सोशल व्यवहार दिखाते हैं।
निष्कर्ष
प्रो-सोशल व्यवहार से संबंधित सभी तीन निर्धारक - व्यक्तिगत, स्थिति संबंधी और सामाजिक-सांस्कृतिक - एक साथ मिलकर इस व्यवहार को आकार देते हैं।
Social Influence Processes: Conformity and Compliance (Basic Concept); Intergroup Relations: Prejudice and Discrimination (Basic Concept)
Social Influence Processes: Conformity and Compliance; Intergroup Relations: Prejudice and Discrimination
Social Influence Processes
सामाजिक प्रभाव प्रक्रियाएँ वे तरीके हैं जिनसे एक व्यक्ति का व्यवहार, विचार या भावनाएँ दूसरों के प्रभाव से बदलती हैं। इसे मुख्यतः दो प्रमुख श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है: 1. सामंजस्य (Conformity) 2. अनुपालन (Compliance)
Conformity
सामंजस्य वह प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति अपने व्यवहार या विचारों को समूह की अपेक्षाओं के अनुसार ढालता है। इसके पीछे सामाजिक दबाव और समूह का प्रभाव होता है। सामंजस्य कई प्रकार से होता है, जैसे कि: 1. सूचनात्मक सामंजस्य - जब व्यक्ति दूसरों की जानकारी के आधार पर अपने विचार बदलता है। 2. नॉर्मेटिव सामंजस्य - जब व्यक्ति सामाजिक स्वीकृति प्राप्त करने के लिए समूह के साथ अपने विचारों को बदलता है।
Compliance
अनुपालन में व्यक्ति उन निर्देशों या अपेक्षाओं का पालन करता है जो समूह या किसी व्यक्ति द्वारा तय की गई होती हैं। अनुपालन का मुख्य उद्देश्य समूह द्वारा प्रशंसा या पुरस्कार प्राप्त करना होता है। इसके कुछ प्रमुख रूप देखने को मिलते हैं जैसे कि: 1. अनुरोध पर अनुपालन - जब कोई व्यक्ति विनम्रता से अनुरोध करता है। 2. दबाव पर अनुपालन - जब समूह का दबाव किसी व्यक्ति को आज्ञाकारी बनाता है।
Intergroup Relations
अंतर-समूह संबंध उन मानवीय संबंधों और गतियों को संदर्भित करते हैं जो विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच होते हैं। ये संबंध कई कारकों से प्रभावित होते हैं जैसे कि पूर्वाग्रह और भेदभाव।
Prejudice
पूर्वाग्रह एक पूर्व-निर्धारित राय या भावना होती है जो बिना किसी स्पष्ट प्रमाण या अनुभव के बनती है। यह किसी विशेष समूह के प्रति नकारात्मक या सकारात्मक दृष्टिकोण पैदा कर सकती है। पूर्वाग्रह आमतौर पर सांस्कृतिक, जातीय, या अन्य सामाजिक पहचान के आधार पर होता है।
Discrimination
भेदभाव उस क्रिया को संदर्भित करता है जिसमें विभिन्न समूहों के प्रति भिन्न व्यवहार किया जाता है। यह पूर्वाग्रह से उत्पन्न होता है और सामाजिक असमानता को बढ़ावा देता है। भेदभाव विभिन्न रूपों में हो सकता है जैसे कि आर्थिक, सामाजिक या राजनीतिक के स्तर पर।
Groups: Nature, Types and Cohesiveness; Group Influence Processes: Social Facilitation; & Social Loafing
Groups: Nature, Types and Cohesiveness; Group Influence Processes: Social Facilitation; & Social Loafing
Groups: Nature
समूह की प्रकृति व्यक्ति के सामाजिक व्यवहार का महत्वपूर्ण हिस्सा है। समूह में मिलकर कार्य करने से सामाजिक संबंधों का विकास होता है। समूह का मुख्य उद्देश्य सामूहिक गतिविधियों के माध्यम से सदस्यता की भावना को बढ़ाना होता है।
Types of Groups
समूहों के कई प्रकार हैं: 1. प्राथमिक समूह (जैसे परिवार और दोस्त), 2. माध्यमिक समूह (जैसे विद्यालय, क्लब), 3. औपचारिक समूह (जैसे कार्यस्थल), और 4. अनौपचारिक समूह (जैसे शौक आधारित समूह)। प्रत्येक समूह का अपना विशेष कार्य और प्रभाव होता है।
Cohesiveness
संवैधानिकता (Cohesiveness) का अर्थ है समूह के सदस्यों के बीच भावनात्मक बंधन। यह समूह के सख्तपन और एकता को दर्शाता है। जब समूह में अधिक संवैधानिकता होती है, तो सदस्यों के बीच सहयोग और समर्थन अधिक होता है।
Group Influence Processes: Social Facilitation
सामाजिक सहायता (Social Facilitation) वह प्रक्रिया है जिसमें समूह के सदस्य किसी कार्य को करते समय दूसरों की उपस्थिति में अधिक बेहतर प्रदर्शन करते हैं। यह तब होता है जब कार्य सरल हो या पहले से सीखा हुआ हो।
Social Loafing
सामाजिक आलस्य (Social Loafing) वह स्थिति है जब व्यक्ति समूह में होते हुए अपनी जिम्मेदारी को लेकर लापरवाह हो जाता है। यह तब होता है जब कार्य को साझा किया जाता है और व्यक्ति सोचता है कि उसकी कमी महसूस नहीं की जाएगी।
