
यह पोस्ट “BA 1st Semester Home Science Syllabus in Hindi” उन छात्रों के लिए विशेष रूप से तैयार की गई है जो बीए प्रथम सेमेस्टर में होम साइंस (Home Science) विषय की पढ़ाई कर रहे हैं। इसमें दिया गया सिलेबस राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP-2020) पर आधारित है, जिसे भारत के कई विश्वविद्यालयों द्वारा अपनाया गया है।
इस लेख में आपको BA 1st सेमेस्टर होम साइंस का सम्पूर्ण सिलेबस हिंदी में सरल भाषा में उपलब्ध कराया गया है। यदि आप जानना चाहते हैं कि नए शैक्षिक ढांचे के तहत पहले सेमेस्टर में कौन-कौन से यूनिट और टॉपिक शामिल हैं, तो यह पोस्ट आपके लिए अत्यंत लाभकारी होगी।
BA 1st Semester Home Science Syllabus in Hindi PDF (2025-26)
Table of Contents
इस सेक्शन में बीए फर्स्ट सेमेस्टर होम साइंस (Home Science) का सिलेबस दिया गया है | यहाँ सिलेबस में दिए गये सभी टॉपिक्स को discuss किया गया है |
बीए प्रथम सेमेस्टर – गृह विज्ञान (Home Science)
थ्योरी पेपर का नाम: पोषण एवं मानव विकास के मूल तत्व (Fundamentals of Nutrition and Human Development)
पेपर कोड: A130101T
कुल क्रेडिट: 4
कुल व्याख्यान: 60
कोर्स उद्देश्य (Course Outcomes):
- विद्यार्थियों को शरीर की कार्यप्रणाली और विकास को समझने की आधारशिला देना।
- पोषण और स्वास्थ्य के बीच संबंध को स्पष्ट करना।
- यह समझना कि भोजन पकाने की कौन-कौन सी विधियाँ पोषण को सुरक्षित रखती हैं।
- शैशवावस्था और बाल्यावस्था में बच्चे कैसे शारीरिक और मानसिक रूप से बढ़ते हैं, इसे जानना।
- मानव विकास को प्रभावित करने वाले कारकों की पहचान करना, जैसे – वंशानुगतता और परिवेश।
यूनिटवार सिलेबस (Units with Simple Explanation and Examples):
इकाई 1: पारंपरिक गृह विज्ञान और वर्तमान युग में इसकी उपयोगिता
- गृह विज्ञान केवल खाना बनाना नहीं है, बल्कि यह जीवन के हर पहलू से जुड़ा है – जैसे स्वास्थ्य, पोषण, संसाधन प्रबंधन, बच्चों की देखभाल आदि।
- उदाहरण: पहले के समय में दादी-नानी अंकुरित चने और दालें देती थीं – जो आज भी वैज्ञानिक रूप से फायदेमंद माने जाते हैं।
- भारतीय वैज्ञानिकों जैसे एम. एस. स्वामीनाथन (हरित क्रांति), सी. वी. गोपालन (पोषण विशेषज्ञ) का योगदान।
इकाई 2: शरीर क्रिया विज्ञान (Physiology)
- इस भाग में यह समझाया जाता है कि शरीर के अंदर खाना कैसे पचता है, ऑक्सीजन कैसे पहुंचती है, और रक्त कैसे प्रवाहित होता है।
- प्रमुख अंगों में: पाचन तंत्र, श्वसन तंत्र और हृदय प्रणाली।
- उदाहरण: अगर किसी का पेट दर्द हो, तो हम यह समझ पाते हैं कि यह पाचन तंत्र से जुड़ी समस्या है।
इकाई 3: भोजन और पोषण (Food and Nutrition)
- भोजन का अर्थ केवल पेट भरना नहीं, बल्कि शरीर को ज़रूरी पोषक तत्व देना भी है।
- पोषक तत्व दो प्रकार के होते हैं:
- मैक्रो: कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा (जो बड़ी मात्रा में चाहिए)
- माइक्रो: विटामिन्स, मिनरल्स (छोटी मात्रा में ज़रूरी होते हैं)
- उदाहरण:
- कैल्शियम की कमी से हड्डियाँ कमजोर हो जाती हैं – दूध इसका अच्छा स्रोत है।
- आयरन की कमी से एनीमिया होता है – गुड़, हरी पत्तेदार सब्जियाँ मदद करती हैं।
इकाई 4: भोजन पकाने की विधियाँ और पोषण संरक्षण
- खाना कैसे पकाया जाए जिससे पोषक तत्व बचे रहें – यह जानना ज़रूरी है।
- विधियाँ: उबालना, भाप में पकाना, तलना, सेंकना आदि।
- उदाहरण:
- ज़्यादा तलने से विटामिन C खत्म हो सकता है, इसलिए भाप में पकाना बेहतर है।
- अंकुरण (sprouting) से प्रोटीन की गुणवत्ता बढ़ जाती है – जैसे अंकुरित मूंग।
इकाई 5: मानव विकास का परिचय
- मानव विकास का मतलब सिर्फ शरीर का बढ़ना नहीं है, बल्कि मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक रूप से भी आगे बढ़ना होता है।
- विकास के चरण: शैशवावस्था, बाल्यावस्था, किशोरावस्था आदि।
- उदाहरण: 2 साल का बच्चा बोलना सीखता है – यह भाषा विकास है।
- विकास को प्रभावित करने वाले दो मुख्य कारक:
- आनुवंशिकता (जैसे माता-पिता की ऊँचाई)
- वातावरण (जैसे पोषण, शिक्षा, देखभाल)
इकाई 6: गर्भावस्था और जन्म प्रक्रिया
- इस भाग में समझाया जाता है कि एक बच्चा माँ के गर्भ में कैसे विकसित होता है और जन्म कैसे होता है।
- जन्म के प्रकार: सामान्य (Normal), सिजेरियन (C-Section), घरेलू जन्म आदि।
- नवजात शिशु के लक्षण: छोटे हाथ-पैर, मुँह से दूध चूसने की क्रिया, रोने की क्षमता आदि।
- उदाहरण: अगर एक गर्भवती महिला आयरन की कमी से पीड़ित है, तो शिशु का वजन कम हो सकता है।
इकाई 7: शैशवावस्था (Infancy)
- यह अवस्था जन्म से लेकर 2 वर्ष तक की होती है।
- इसमें बच्चा शारीरिक रूप से रेंगना, बैठना, खड़ा होना और चलना सीखता है।
- साथ ही साथ भावनात्मक विकास (माँ से जुड़ाव), सामाजिक विकास (मुस्कराना, पहचानना), और भाषा विकास (माँ, पापा बोलना) शुरू होता है।
- उदाहरण: बच्चा जब पहली बार “माँ” कहता है – यह भाषा विकास का संकेत है।
इकाई 8: प्रारंभिक बाल्यावस्था (Early Childhood)
- यह अवस्था 2 से 6 वर्ष तक की होती है।
- इस उम्र में बच्चा स्कूल जाता है, सामाजिक संपर्क बढ़ता है, और खेलों के माध्यम से सीखता है।
- उदाहरण: बच्चा रंग भरने, गिनती सीखने और दोस्तों से बातचीत करना शुरू करता है।
BA 1st Semester Home Science Book in Hindi
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