
यह पोस्ट “BA 3rd Semester Sociology Syllabus in Hindi” उन छात्रों के लिए विशेष रूप से तैयार की गई है जो बीए तृतीय सेमेस्टर में समाजशास्त्र (Sociology) विषय की पढ़ाई कर रहे हैं। इसमें दिया गया सिलेबस राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP-2020) पर आधारित है, जिसे भारत के कई विश्वविद्यालयों द्वारा अपनाया गया है।
इस लेख में आपको BA 3rd सेमेस्टर समाजशास्त्र का सम्पूर्ण सिलेबस हिंदी में सरल भाषा में उपलब्ध कराया गया है। यदि आप जानना चाहते हैं कि नए शैक्षिक ढांचे के तहत तीसरे सेमेस्टर में कौन-कौन से यूनिट और टॉपिक शामिल हैं, तो यह पोस्ट आपके लिए अत्यंत लाभकारी होगी।
BA 3rd Semester Sociology Syllabus in Hindi PDF (2025-26)
Table of Contents
इस सेक्शन में बीए थर्ड सेमेस्टर समाजशास्त्र (Sociology) का सिलेबस दिया गया है | यहाँ सिलेबस में दिए गये सभी टॉपिक्स को discuss किया गया है |
📘 तृतीय सेमेस्टर – सिद्धांत पाठ्यक्रम (3rd Semester – Theory Paper)
पाठ्यक्रम शीर्षक: सामाजिक परिवर्तन और सामाजिक आंदोलन (Social Change and Social Movements)
कोर्स कोड: A070301T
क्रेडिट: 6
अधिकतम अंक: 100
न्यूनतम उत्तीर्णांक: 33
🎯 कोर्स उद्देश्य (Course Outcomes):
यह पाठ्यक्रम छात्रों को सामाजिक परिवर्तन और सामाजिक आंदोलनों की धारणा, प्रकृति, प्रक्रिया और उनके प्रभावों की व्यापक समझ प्रदान करता है। इसमें यह बताया गया है कि समाज गतिशील है, और समय के साथ इसमें बदलाव कैसे आते हैं — चाहे वह आर्थिक हो, राजनीतिक हो या सांस्कृतिक।
इसके साथ ही यह पाठ्यक्रम भारत में हुए प्रमुख सामाजिक आंदोलनों (जैसे महिला आंदोलन, दलित आंदोलन, किसान आंदोलन आदि) के माध्यम से छात्रों को व्यावहारिक दृष्टिकोण से समाजशास्त्रीय विश्लेषण करने की क्षमता प्रदान करता है। यह कोर्स सामाजिक न्याय और समानता की ओर बढ़ने में छात्रों की सोच को मजबूती देता है।
🧭 इकाईवार सिलेबस (Unit-wise Syllabus with Detailed Explanation and Examples):
🔹 इकाई I: सामाजिक परिवर्तन की अवधारणा (Concept of Social Change)
विवरण: इस इकाई में यह समझाया गया है कि समाज स्थिर नहीं होता, वह निरंतर बदलता रहता है। सामाजिक परिवर्तन का तात्पर्य है – सामाजिक संबंधों, संस्थाओं, मूल्यों और व्यवहारों में होने वाला दीर्घकालिक और स्थायी बदलाव। इसमें परिवर्तन के कारकों जैसे तकनीकी, जैविक, सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक तत्वों को विस्तार से समझाया गया है।
उदाहरण:
- डिजिटल युग में मोबाइल और इंटरनेट ने पारिवारिक संचार को पूरी तरह बदल दिया।
- स्त्री शिक्षा में वृद्धि से महिलाओं की भूमिका में परिवर्तन।
🔹 इकाई II: सामाजिक परिवर्तन के प्रकार (Types of Social Change)
विवरण: इस इकाई में सामाजिक परिवर्तन के विभिन्न स्वरूपों को समझाया गया है—जैसे विकास (development), प्रगति (progress), उत्क्रांति (evolution) और क्रांति (revolution)। हर प्रकार की प्रकृति और उसकी गति अलग होती है।
उदाहरण:
- विकास: भारत में पंचवर्षीय योजनाओं के जरिए बुनियादी ढांचे में सुधार।
- क्रांति: फ्रांसिसी क्रांति या भारत में स्वतंत्रता संग्राम।
- प्रगति: विज्ञान और चिकित्सा के क्षेत्र में उन्नति।
🔹 इकाई III: सामाजिक परिवर्तन के सिद्धांत (Theories of Social Change)
विवरण: इस भाग में सामाजिक परिवर्तन को समझाने वाले विभिन्न सिद्धांतों का वर्णन किया गया है जैसे – रेखीय सिद्धांत (linear), चक्रीय (cyclical), जनसंख्या आधारित (demographic) और आर्थिक/संघर्ष आधारित (conflict) सिद्धांत।
उदाहरण:
- Conflict Theory (मार्क्स): मजदूर वर्ग और पूंजीपतियों के बीच संघर्ष के कारण सामाजिक परिवर्तन।
- Demographic Theory: अधिक जनसंख्या के कारण संसाधनों पर दबाव और सामाजिक ढांचे में बदलाव।
- Linear Theory: समाज निरंतर आगे बढ़ता है, जैसे आदिम समाज से आधुनिक समाज की ओर।
🔹 इकाई IV: भारत में सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रियाएं (Processes of Social Change in India)
विवरण: भारत में विशेष रूप से चार प्रमुख प्रक्रियाएं सामाजिक परिवर्तन में भूमिका निभाती हैं:
- संस्कृतिकरण (Sanskritization)
- पाश्चात्यकरण (Westernization)
- आधुनिकीकरण (Modernization)
- वैश्वीकरण (Globalization)
इसके अलावा सेक्युलरिज़ेशन और परोचियलीकरण (Parochialisation) तथा यूनिवर्सलाइजेशन (Universalisation) जैसे सांस्कृतिक परिवर्तन भी शामिल हैं।
उदाहरण:
- संस्कृतिकरण: निचली जातियाँ ब्राह्मणों जैसी जीवनशैली अपनाकर सामाजिक सम्मान पाना चाहती हैं।
- पाश्चात्यकरण: युवा वर्ग में जींस-टीशर्ट पहनना, अंग्रेज़ी बोलना।
- वैश्वीकरण: McDonald’s, Netflix जैसे अंतरराष्ट्रीय ब्रांडों का गाँवों तक पहुँचना।
🔹 इकाई V: सामाजिक आंदोलन की अवधारणा (Concept of Social Movement)
विवरण: सामाजिक आंदोलन एक संगठित प्रयास होता है जो समाज में किसी विशेष बदलाव को लाने या रोकने के लिए होता है। इसमें आंदोलन के स्वरूप, परिभाषा और विशेषताओं को समझाया गया है।
उदाहरण:
- नर्मदा बचाओ आंदोलन: विकास के नाम पर विस्थापन के विरुद्ध आंदोलन।
- चिपको आंदोलन: पर्यावरण की रक्षा के लिए।
🔹 इकाई VI: सामाजिक आंदोलन के सिद्धांत (Theories of Social Movement)
विवरण: इस इकाई में सामाजिक आंदोलन को समझाने वाले विभिन्न सिद्धांत जैसे—संरचनात्मक-कार्यात्मक (Structural-functional), मार्क्सवादी (Marxist), संसाधन गतिशीलता सिद्धांत (Resource Mobilization Theory) को शामिल किया गया है।
उदाहरण:
- मार्क्सवादी दृष्टिकोण: आंदोलन वर्ग संघर्ष का परिणाम हैं।
- Resource Mobilization: आंदोलन तभी सफल होते हैं जब संसाधन (पैसा, लोग, संगठन) उपलब्ध हों।
🔹 इकाई VII: नए सामाजिक आंदोलन और उनके प्रकार (New Social Movements and Types)
विवरण: आधुनिक काल के सामाजिक आंदोलनों में सुधारवादी, विद्रोही, पुनरुद्धारवादी, क्रांतिकारी, प्रतिआंदोलन आदि शामिल हैं।
उदाहरण:
- सुधारवादी आंदोलन: आरक्षण नीति के लिए समर्थन।
- प्रतिआंदोलन: दलितों के अधिकारों के विरुद्ध संगठनों द्वारा विरोध प्रदर्शन।
🔹 इकाई VIII: भारत में सामाजिक परिवर्तन के लिए आंदोलन (Social Change through Movements in India)
विवरण: भारत में विभिन्न आंदोलनों ने सामाजिक परिवर्तन को जन्म दिया है। जैसे किसान आंदोलन, श्रमिक आंदोलन, दलित आंदोलन, महिला आंदोलन, पर्यावरण आंदोलन आदि।
उदाहरण:
- दलित आंदोलन: डॉ. भीमराव अंबेडकर द्वारा सामाजिक न्याय की मांग।
- महिला आंदोलन: घरेलू हिंसा अधिनियम (2005) का पास होना।
- किसान आंदोलन (2020-21): कृषि कानूनों के विरोध में लंबे समय तक चलने वाला आंदोलन।
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