
यह पोस्ट “BA 6th Semester Economics Syllabus in Hindi” उन छात्रों के लिए विशेष रूप से तैयार की गई है जो बीए षष्ठम सेमेस्टर में अर्थशास्त्र (Economics) विषय की पढ़ाई कर रहे हैं। इसमें दिया गया सिलेबस राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP-2020) पर आधारित है, जिसे भारत के कई विश्वविद्यालयों द्वारा अपनाया गया है।
इस लेख में आपको BA 6th सेमेस्टर अर्थशास्त्र का सम्पूर्ण सिलेबस हिंदी में सरल भाषा में उपलब्ध कराया गया है। यदि आप जानना चाहते हैं कि नए शैक्षिक ढांचे के तहत षष्ठम सेमेस्टर में कौन-कौन से यूनिट और टॉपिक शामिल हैं, तो यह पोस्ट आपके लिए अत्यंत लाभकारी होगी।
BA 6th Semester Economics Syllabus in Hindi PDF (2025-26)
Table of Contents
इस सेक्शन में बीए सिक्स्थ सेमेस्टर अर्थशास्त्र (Economics) का सिलेबस दिया गया है | यहाँ सिलेबस में दिए गये सभी टॉपिक्स को discuss किया गया है |
📖 बी.ए. इकोनॉमिक्स षष्ठम सेमेस्टर परिचय: बी.ए. इकोनॉमिक्स के षष्ठम सेमेस्टर में भी कुल तीन प्रश्नपत्र (Papers) शामिल हैं — जिनमें से एक प्रश्नपत्र अनिवार्य (Core Compulsory) तथा दो वैकल्पिक (Optional) हैं।
यह सेमेस्टर विद्यार्थियों को अंतरराष्ट्रीय व्यापार, विनिमय दर, भुगतान संतुलन, गणितीय अर्थशास्त्र और भारतीय आर्थिक विकास से जुड़ी अवधारणाओं और उपकरणों की सैद्धांतिक व व्यावहारिक समझ प्रदान करता है।
षष्ठम सेमेस्टर में सम्मिलित पेपर:
- पेपर I: Indian Economy and Economy of Uttar Pradesh
- पेपर II: Ethics and Economics – वैकल्पिक
- पेपर III: Elementary Mathematics – वैकल्पिक
पेपर 1: भारतीय अर्थव्यवस्था एवं उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था (Indian Economy & Economy of Uttar Pradesh)
यह पाठ्यक्रम बीए अंतिम वर्ष (छठे सेमेस्टर) के छात्रों के लिए अनिवार्य (Core Compulsory) है। इसका उद्देश्य छात्रों को भारतीय अर्थव्यवस्था की संरचना, विभिन्न क्षेत्रों में उसकी स्थिति और उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था के विशेषताओं से अवगत कराना है।
🎯 कोर्स उद्देश्य (Course Outcomes):
- छात्र भारतीय अर्थव्यवस्था की मूलभूत विशेषताओं को समझ पाएंगे।
- जनसंख्या, प्राकृतिक संसाधन (natural resources) और शहरीकरण (urbanization) के अर्थव्यवस्था पर प्रभाव को समझ सकेंगे।
- उत्तर प्रदेश की कृषि, उद्योग और सेवा क्षेत्रों की वर्तमान स्थिति का विश्लेषण कर सकेंगे।
- छात्र योजना, समावेशी विकास (inclusive growth) और नीति निर्माण में सरकार की भूमिका को समझ पाएंगे।
✦ इकाई I: भारतीय अर्थव्यवस्था की संरचना एवं विशेषताएँ
भारत एक विकासशील अर्थव्यवस्था (developing economy) है, जिसकी पहचान विविधता, कृषि पर निर्भरता, बेरोजगारी, गरीबी और कम प्रति व्यक्ति आय से होती है। इसमें राज्यों के तुलनात्मक विकास (comparative development) की भी चर्चा होती है, जैसे कि केरल, गुजरात और बिहार के बीच मानव विकास सूचकांक (HDI) में अंतर।
✦ इकाई II: कृषि क्षेत्र
इस इकाई में कृषि सुधार (institutional reforms) जैसे भूमि सुधार, हरित क्रांति (green revolution) और तकनीकी प्रगति पर चर्चा की जाती है। साथ ही, कृषि-औद्योगिक व्यापार शर्तें (terms of trade) और कृषि संकटों जैसे आत्महत्याओं व न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की समस्याओं को उदाहरण सहित समझाया जाता है।
✦ इकाई III: औद्योगिक क्षेत्र
इसमें औद्योगिक नीति (industrial policy), सार्वजनिक क्षेत्र (public sector) की भूमिका, निजीकरण (privatization) और असंगठित क्षेत्र की समस्याएँ सम्मिलित हैं। उदाहरण: भारत में MSMEs का योगदान और स्टार्टअप इंडिया की भूमिका।
✦ इकाई IV: भारत में नियोजन
इस भाग में पंचवर्षीय योजनाओं (Five Year Plans) की समीक्षा की जाती है। समावेशी विकास (inclusive growth), संसाधनों की जुटान (resource mobilization) और सामाजिक कल्याण योजनाओं (welfare schemes) जैसे आयुष्मान भारत, मनरेगा की रणनीतियों को समझाया जाता है।
✦ इकाई V: उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था की प्रकृति और विशेषताएँ
उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था में जनसांख्यिकीय प्रोफाइल (demographic profile), प्राकृतिक संसाधन, और विकास को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक शामिल हैं। उदाहरण के लिए, पूर्वांचल और बुंदेलखंड क्षेत्रों में विकास की असमानता पर चर्चा होती है।
✦ इकाई VI: उत्तर प्रदेश में क्षेत्रीय विकास की प्रवृत्तियाँ
यह इकाई राज्य की विकास दर (growth rate), बुनियादी ढांचे (infrastructure), परिवहन, बिजली, स्वास्थ्य और शिक्षा में प्रगति पर केंद्रित है। उदाहरण: पूर्वांचल एक्सप्रेसवे और मेडिकल कॉलेजों की स्थापना।
✦ इकाई VII: कृषि व्यवस्था
भूमि धारण पैटर्न, सिंचाई की स्थिति, कृषि उत्पादकता, फसल विविधिकरण (crop diversification), और कृषि ऋण (agricultural credit) की समस्याओं पर चर्चा होती है। उत्तर प्रदेश की ग्रामीण विकास योजनाओं जैसे ‘राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन’ का उल्लेख होता है।
✦ इकाई VIII: औद्योगिक और सेवा क्षेत्र की समस्याएँ एवं नीतियाँ
इसमें राज्य की प्रमुख उद्योगों, औद्योगिक नीति, सेवा क्षेत्र की प्रगति, तथा ‘एक जिला एक उत्पाद’ (One District One Product – ODOP) जैसी योजनाओं का विश्लेषण किया जाता है। उदाहरण: भदोही के कालीन उद्योग या मेरठ के खेल सामान।
पेपर 2 (वैकल्पिक): नैतिकता और अर्थशास्त्र (Ethics and Economics)
यह पेपर बीए छठे सेमेस्टर में वैकल्पिक रूप से प्रस्तुत किया गया है, जिसका उद्देश्य छात्रों को आर्थिक निर्णयों में नैतिकता (ethics) के महत्व से अवगत कराना है। इस विषय के माध्यम से विद्यार्थी यह समझ सकेंगे कि कैसे नैतिक दृष्टिकोण नीतियों, बाजार व्यवहार और सामाजिक कल्याण को प्रभावित करता है।
🎯 कोर्स उद्देश्य (Course Outcomes):
- छात्र व्यवसायिक निर्णयों में नैतिक और कानूनी विषयों की पहचान करना सीखेंगे।
- नीतिगत विश्लेषण में नैतिक, आर्थिक और राजनीतिक आयामों में अंतर कर सकेंगे।
- स्वार्थ (self-interest) और सामाजिक भलाई (social goods) के बीच संतुलन समझ पाएंगे।
- छात्र आर्थिक व्यवहार में नैतिक तर्कों का उपयोग करना सीखेंगे।
✦ इकाई I: नैतिकता का परिचय
इस इकाई में नैतिकता (ethics) की परिभाषा, उद्देश्य और अर्थशास्त्र में इसकी उपयोगिता पर चर्चा होती है। उदाहरण: जब कंपनियाँ अधिक मुनाफे के लिए पर्यावरण को हानि पहुँचाती हैं, तब नैतिक दृष्टिकोण क्यों आवश्यक है?
✦ इकाई II: भारतीय और पाश्चात्य विचारकों के नैतिक विचार
इस भाग में दीनदयाल उपाध्याय, कांट (Kant), और बेंथम (Bentham) के नैतिक विचारों का परिचय दिया जाता है। उदाहरण के लिए, कांट के अनुसार नैतिकता का मूल्य नतीजों में नहीं, बल्कि कर्तव्य के पालन में है।
✦ इकाई III: समानता का सिद्धांत एवं न्याय के सिद्धांत
यह इकाई प्लेटो, अरस्तु और रॉल्स (Rawls) के न्याय (justice) के सिद्धांतों को कवर करती है। इसमें न्याय को सामाजिक संसाधनों के उचित वितरण के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
✦ इकाई IV: नैतिकता और आर्थिक व्यवहार
इसमें नैतिकता का आर्थिक निर्णयों में महत्व, लालच (greed) और स्वार्थ के बीच संतुलन और तर्कसंगतता (rationality) की भूमिका पर चर्चा होती है। उदाहरण: टैक्स चोरी नैतिक रूप से गलत है, भले ही यह आर्थिक रूप से लाभदायक हो।
✦ इकाई V: अनुकूलन की प्राथमिकताएँ और नैतिक मानक
यह भाग मार्केट में नैतिक मानकों (ethical standards) और असममित सूचना (asymmetric information) की भूमिका की व्याख्या करता है। उदाहरण: बीमा कंपनियाँ सभी उपभोक्ताओं को एक समान प्रीमियम क्यों नहीं देतीं?
✦ इकाई VI: सामाजिक भलाई बनाम व्यक्तिगत हित
इसमें स्वार्थ और सामाजिक भलाई के बीच संघर्ष को समझाया गया है, और कुशलता (efficiency) तथा नैतिकता के संकल्पनाओं का अध्ययन किया गया है। जैसे – CSR (Corporate Social Responsibility) कंपनियों के लिए नैतिक दायित्व है।
✦ इकाई VII: बाजार और कल्याण
इस इकाई में पारेटो सिद्धांत (Pareto principle) और इसके द्वारा कल्याण की व्याख्या की जाती है। यह बताता है कि जब किसी को लाभ होता है और किसी का नुकसान नहीं होता, तो इसे सुधार माना जा सकता है।
✦ इकाई VIII: जीवन की गुणवत्ता और नैतिक शासन
इस अंतिम इकाई में जीवन स्तर (standard of living), जीवन की गुणवत्ता (quality of life), ‘ग्रॉस नेशनल हैप्पीनेस इंडेक्स (GNH)’, और सुशासन (good governance) जैसे विषयों की विवेचना की जाती है। उदाहरण: भूटान का GNH मॉडल।
पेपर 3 (वैकल्पिक): प्रारंभिक गणित (Elementary Mathematics)
यह पेपर उन छात्रों के लिए है जो अर्थशास्त्र में गणितीय विश्लेषण की आधारभूत समझ प्राप्त करना चाहते हैं। इसमें गणित के मूल सिद्धांतों को अर्थशास्त्रीय समस्याओं (economic problems) के समाधान में लागू करने की क्षमता विकसित की जाती है।
🎯 कोर्स उद्देश्य (Course Outcomes):
- छात्र मैट्रिक्स (matrices), समीकरण (equations), रैखिक समीकरणों के सिस्टम और उनके हल की विधियों को समझ सकेंगे।
- अर्थशास्त्र में प्रयुक्त गणितीय अवधारणाओं जैसे वृद्धि दर (growth rate), लोच (elasticity), इष्टतमतम (optimization) आदि की व्याख्या कर सकेंगे।
- छात्र गणितीय विधियों का उपयोग कर अर्थशास्त्र में डेटा का विश्लेषण करना सीखेंगे।
✦ इकाई I: मूलभूत अवधारणाएँ
इस इकाई में वेरिएबल्स (variables), समुच्चय (sets), फलन (functions), समीकरण, और समीकरणों की प्रणालियाँ (systems of equations) की परिभाषा और उदाहरण दिए जाते हैं। जैसे- y = 3x + 5 एक सरल रैखिक समीकरण है।
✦ इकाई II: रेखाओं की प्रणाली और ढलान (Slope)
सीधी रेखा (straight line), उसकी ढलान (slope), और होमोजीनियस फलन (homogeneous function) की गणना सिखाई जाती है। उदाहरण: मांग और आपूर्ति वक्र के विश्लेषण में रेखीय समीकरणों का उपयोग।
✦ इकाई III: संख्याओं का सिद्धांत
इसमें संख्याओं का सिद्धांत, घातांक (indices) और गुणनखंडीकरण (factorization) पर आधारित प्रश्नों को हल करना सिखाया जाता है। जैसे: किसी संख्या के गुणनखंडों का निर्धारण।
✦ इकाई IV: श्रेणी और संतुलन
इस इकाई में अंकगणितीय श्रेणी (arithmetic progression), ज्यामितीय श्रेणी (geometric progression), वृद्धि दर (growth rate), और संतुलन (equilibrium) की अवधारणा को विस्तार से समझाया गया है।
✦ इकाई V: कलन की आधारशिला
इसमें फलन का अवकलन (differentiation), अधिकतम और न्यूनतम (maxima and minima) की पहचान, तथा उनके अर्थशास्त्र में उपयोग की चर्चा की गई है। उदाहरण: लागत को न्यूनतम करने के लिए अवकलन का उपयोग।
✦ इकाई VI: लोच और अवकलन का अनुप्रयोग
इस भाग में कुल, औसत और सीमांत लागत एवं राजस्व (total, average and marginal cost & revenue) के बीच संबंध, अवरोध युक्त अनुकूलन (constrained optimization), उपभोक्ता व उत्पादक अधिशेष (consumer & producer surplus) पर चर्चा की जाती है।
✦ इकाई VII: मैट्रिक्स और डेटरमिनेंट
विभिन्न प्रकार के मैट्रिक्स, डेटरमिनेंट (determinant), मैट्रिक्स का व्युत्क्रम (inverse), तथा क्रेमर नियम (Cramer’s Rule) को सिखाया जाता है। उदाहरण: दो समीकरणों के हल में मैट्रिक्स का प्रयोग।
✦ इकाई VIII: रेखीय प्रोग्रामिंग
यह इकाई ग्राफिक विधि (graphic method) से रेखीय प्रोग्रामिंग की समस्याओं को हल करना सिखाती है। जैसे- किसी कारखाने के उत्पादन संयोजन को सीमित संसाधनों के तहत अधिकतम लाभकारी कैसे बनाया जाए।
BA 6th Semester Economics Book in Hindi
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