
यह पोस्ट “BA 1st Semester History Syllabus in Hindi” उन छात्रों के लिए विशेष रूप से तैयार की गई है जो बीए प्रथम सेमेस्टर में इतिहास (History) विषय की पढ़ाई कर रहे हैं। इसमें दिया गया सिलेबस राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP-2020) पर आधारित है, जिसे भारत के कई विश्वविद्यालयों द्वारा अपनाया गया है।
इस लेख में आपको BA 1st सेमेस्टर इतिहास का सम्पूर्ण सिलेबस हिंदी में सरल भाषा में उपलब्ध कराया गया है। यदि आप जानना चाहते हैं कि नए शैक्षिक ढांचे के तहत पहले सेमेस्टर में कौन-कौन से यूनिट और टॉपिक शामिल हैं, तो यह पोस्ट आपके लिए अत्यंत लाभकारी होगी।
BA 1st Semester History Syllabus in Hindi PDF (2025-26)
Table of Contents
इस सेक्शन में बीए फर्स्ट सेमेस्टर हिस्ट्री (इतिहास) का सिलेबस दिया गया है | यहाँ सिलेबस में दिए गये सभी टॉपिक्स को discuss किया गया है |
बी.ए. प्रथम सेमेस्टर इतिहास सिलेबस (NEP-2020 के अनुसार)
पाठ्यक्रम का नाम: प्राचीन एवं प्रारम्भिक मध्यकालीन भारत का इतिहास (1206 ई. तक)
कोर्स कोड: A050101T
क्रेडिट: 6
कुल कक्षाएँ (Lectures): 90
अंतिम मूल्यांकन: 100 अंक (न्यूनतम उत्तीर्णांक: 33)
कोर्स परिणाम (Course Outcome):
यह पाठ्यक्रम विद्यार्थियों को भारत की प्राचीन सभ्यताओं, राजनीतिक और सांस्कृतिक विकास के बारे में व्यापक जानकारी प्रदान करता है। इसमें कल्हण, आर.सी. मजूमदार, जदुनाथ सरकार जैसे प्रमुख इतिहासकारों का योगदान, सिन्धु घाटी सभ्यता, मौर्य, गुप्त, हर्षवर्धन और राजपूत युग को समझाया गया है। यह पाठ्यक्रम मुस्लिम आक्रमणों और भारत में इस्लाम के आगमन से पूर्व की सामाजिक परंपराओं को समझने में सहायक है।
इकाईवार पाठ्यक्रम विवरण (Unit-wise Syllabus Description):
इकाई I: प्राचीन इतिहास का परिचय एवं प्रमुख इतिहासकार
इस इकाई में प्राचीन भारतीय इतिहास की परिभाषा, प्रकृति और महत्व पर ध्यान दिया जाता है। साथ ही, इतिहासलेखन की परंपराओं को भी समझाया जाता है, जैसे कि भारतीय परिप्रेक्ष्य में इतिहास कैसे लिखा और संरक्षित किया गया। इस भाग में कल्हण (राजतरंगिणी के लेखक), आर.सी. मजूमदार, जदुनाथ सरकार, वी.डी. सावरकर और के.पी. जैसवाल जैसे प्रसिद्ध भारतीय इतिहासकारों के योगदानों का अध्ययन किया जाता है।
इनके लेखन और विचारों से विद्यार्थियों को यह समझने में सहायता मिलती है कि किस प्रकार से भारतीय इतिहास को भारतीय दृष्टिकोण से पुनर्परिभाषित किया गया। इसके अतिरिक्त, इस इकाई में भारतीय ज्ञान प्रणाली (Indian Knowledge System) और प्रागैतिहासिक युग (Prehistoric Age) का भी परिचय दिया जाता है, जिसमें पाषाण युग, धातु युग और प्रारंभिक सभ्यताओं के अवशेषों का अध्ययन शामिल होता है।
दक्षिण भारत में प्रारंभिक राज्यों के गठन को भी इस इकाई में समझाया गया है, जिसमें संगम काल, चेर, चोल और पांड्य राजवंशों की भूमिका पर विशेष चर्चा होती है।
इकाई II: सिंधु घाटी सभ्यता और वैदिक काल
यह इकाई भारत की सबसे प्राचीन नगर सभ्यता — सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization) — की सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक और सांस्कृतिक विशेषताओं का अध्ययन कराती है।
हड़प्पा और मोहनजोदड़ो जैसे स्थलों पर आधारित इस सभ्यता की नगरीय योजनाओं, जल निकासी प्रणाली, लेखन प्रणाली और व्यापारिक संपर्कों को गहराई से समझाया जाता है। वैदिक काल को दो भागों में विभाजित कर पढ़ाया जाता है — प्रारंभिक वैदिक काल और उत्तर वैदिक काल।
इस काल में वेदों का संकलन हुआ और वर्ण व्यवस्था, आश्रम व्यवस्था, तथा यज्ञ पर आधारित धार्मिक जीवन की स्थापना हुई। उत्तर वैदिक काल में जनपदों का विकास और कृषि आधारित समाज का विस्तार होता है।
इकाई III: मगध का उदय और मौर्य वंश
इस इकाई में मगध साम्राज्य के उत्कर्ष की कहानी बताई जाती है — कैसे यह छोटा-सा जनपद पूरे उत्तर भारत पर छा गया। चन्द्रगुप्त मौर्य की राजनीतिक कुशलता, बिन्दुसार की नीति और अशोक महान का धर्मविजय एवं बौद्ध धर्म के प्रचार का अध्ययन इस इकाई का प्रमुख भाग है। कौटिल्य (चाणक्य) द्वारा रचित अर्थशास्त्र का उल्लेख भी होता है, जिसमें शासन व्यवस्था, कर नीति, और विदेश नीति की रूपरेखा दी गई है। यह इकाई प्रशासनिक दक्षता और धार्मिक सहिष्णुता को समझने का एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान करती है।
इकाई IV: गुप्त वंश और भारत का स्वर्णयुग
गुप्त वंश को भारतीय इतिहास में स्वर्णयुग (Golden Age) कहा जाता है। इस इकाई में चन्द्रगुप्त प्रथम, समुद्रगुप्त और विक्रमादित्य जैसे महान शासकों के काल में कला, साहित्य, विज्ञान, गणित और ज्योतिष की अद्वितीय प्रगति का अध्ययन किया जाता है। कालिदास, आर्यभट्ट और वराहमिहिर जैसे विद्वानों की कृतियों पर चर्चा की जाती है। प्रशासनिक संरचना, समाज व्यवस्था और धार्मिक सहिष्णुता भी इस काल की विशेषताएँ हैं।
इकाई V: हर्षवर्धन और राजपूत राज्यों का उदय
इस इकाई में हर्षवर्धन के काल को समझाया जाता है, जिसने उत्तर भारत में एक सशक्त साम्राज्य की स्थापना की। बाणभट्ट की ‘हर्षचरित’ के माध्यम से इस युग की सामाजिक-राजनीतिक स्थितियों का अध्ययन होता है। हर्ष के पश्चात जब एक केंद्रीय सत्ता का अभाव रहा, तब विभिन्न राजपूत वंशों — प्रतिहार, चालुक्य, परमार और चौहान — का उदय हुआ। इन वंशों ने स्थानीय राज्यों की स्थापना की और भारत की रक्षा में अहम भूमिका निभाई। ये राजवंश संस्कृति, स्थापत्य कला और युद्ध नीति के लिए जाने जाते हैं।
इकाई VI: भारत में सामंतवाद का उदय
इस इकाई में भारत में सामंतवाद की अवधारणा और इसके विकास को समझाया जाता है। भूमि अनुदान, कृषक वर्ग की स्थिति और स्थानीय शासकों की बढ़ती शक्ति ने किस प्रकार से सामंतवादी व्यवस्था को जन्म दिया, इसका विश्लेषण किया जाता है। यह इकाई विद्यार्थियों को मध्यकालीन राजनीतिक ढांचे की नींव से परिचित कराती है।
इकाई VII: हिंदू धर्म की प्रथाएँ और सांस्कृतिक परंपराएँ
इस भाग में प्राचीन भारत की धार्मिक जीवन शैली, पूजा पद्धति, संस्कार, त्यौहार, मंदिर संस्कृति और सामाजिक परंपराओं का अध्ययन किया जाता है। इसमें जाति व्यवस्था, विवाह, शिक्षा प्रणाली और संस्कारों का सामाजिक प्रभाव भी शामिल है।
इकाई VIII: इस्लाम का आगमन और आरंभिक मुस्लिम आक्रमण
इस इकाई में इस्लाम के भारत में आगमन और महमूद गज़नवी तथा मोहम्मद गोरी जैसे आक्रांताओं के आक्रमणों का विस्तृत अध्ययन कराया जाता है। इन आक्रमणों के राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभावों को भी विवेचित किया जाता है। यह इकाई भारत में मध्यकाल के प्रारंभ की भूमिका निभाती है।
BA 1st Semester History Book in Hindi
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