
यह पोस्ट “BA 2nd Semester Economics Syllabus in Hindi” उन छात्रों के लिए विशेष रूप से तैयार की गई है जो बीए द्वितीय सेमेस्टर में अर्थशास्त्र (Economics) विषय की पढ़ाई कर रहे हैं। इसमें दिया गया सिलेबस राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP-2020) पर आधारित है, जिसे भारत के कई विश्वविद्यालयों द्वारा अपनाया गया है।
इस लेख में आपको BA 2nd सेमेस्टर अर्थशास्त्र का सम्पूर्ण सिलेबस हिंदी में सरल भाषा में उपलब्ध कराया गया है। यदि आप जानना चाहते हैं कि नए शैक्षिक ढांचे के तहत दूसरे सेमेस्टर में कौन-कौन से यूनिट और टॉपिक शामिल हैं, तो यह पोस्ट आपके लिए अत्यंत लाभकारी होगी।
BA 2nd Semester Economics Syllabus in Hindi PDF (2025-26)
Table of Contents
इस सेक्शन में बीए सेकंड सेमेस्टर अर्थशास्त्र (Economics) का सिलेबस दिया गया है | यहाँ सिलेबस में दिए गये सभी टॉपिक्स को discuss किया गया है |
📌 विवरण (Details)
पाठ्यक्रम का नाम: बी.ए. इकोनॉमिक्स
सेमेस्टर: द्वितीय
कोर्स कोड: A080201T
कोर्स का शीर्षक: समष्टि अर्थशास्त्र के सिद्धांत (Principles of Macroeconomics)
प्रकार: थ्योरी (Core Compulsory)
क्रेडिट: 6
कुल अंक: 100 (25 आंतरिक + 75 बाह्य)
पाठन समय: 4 घंटे प्रति सप्ताह
🎯 कोर्स उद्देश्य (Course Outcomes)
- राष्ट्रीय आय की अवधारणाओं, गणना पद्धतियों तथा संबंधित संकल्पनाओं की स्पष्ट समझ देना।
- उपभोग, बचत व निवेश जैसे निर्धारकों का अध्ययन करके समष्टि आर्थिक विश्लेषण को विकसित करना।
- मुद्रा, मुद्रा आपूर्ति, मौद्रिक नीति व विदेशी विनिमय से संबंधित मुद्दों को समझाना।
- व्यापार चक्र के विभिन्न चरणों एवं उनके प्रभावों को समझना तथा उन्हें नियंत्रित करने की नीतियाँ सीखना।
- IS-LM विश्लेषण, समग्र मांग एवं आपूर्ति, मूल्य स्तर, मुद्रास्फीति व बेरोजगारी के संबंध को समझना।
- विदेश व्यापार, भुगतान संतुलन तथा विनिमय दर निर्धारण की समझ प्रदान करना।
📚 इकाइयाँ (Units with Explanation and Examples)
🔹 इकाई I: समष्टि अर्थशास्त्र का परिचय
– समष्टि अर्थशास्त्र की अवधारणा और प्रकृति। – प्रमुख समष्टि आर्थिक स्कूल्स: क्लासिकल, कीनेसियन, मोनेटरिस्ट, सप्लाई-साइड और रैशनल एक्सपेक्टेशन।
उदाहरण: कीनेसियन दृष्टिकोण के अनुसार मंदी के समय सरकार द्वारा व्यय बढ़ाना आवश्यक होता है।
🔹 इकाई II: राष्ट्रीय आय लेखांकन
– GDP, GNP, NNP, राष्ट्रीय आय की विभिन्न अवधारणाएँ। – नाममात्र और वास्तविक आय का अंतर। – GDP की सीमाएँ।
उदाहरण: एक देश का GDP बढ़ सकता है लेकिन उसमें पर्यावरणीय नुकसान या आय की विषमता भी हो सकती है।
🔹 इकाई III: GDP निर्धारण
– संभाव्य और वास्तविक GDP, समग्र व्यय, उपभोग व निवेश फलन। – MPC, APC, MPS, APS, बहुगुणक (multiplier) की अवधारणा।
उदाहरण: यदि सरकार ₹100 करोड़ खर्च करती है और MPC = 0.8 हो, तो बहुगुणक = 5 और कुल प्रभाव ₹500 करोड़ तक हो सकता है।
🔹 इकाई IV: खुली अर्थव्यवस्था में राष्ट्रीय आय निर्धारण एवं मुद्रा
– सरकार और विदेश व्यापार के साथ राष्ट्रीय आय निर्धारण। – मौद्रिक प्रणाली, मुद्रा की अवधारणा, मांग एवं आपूर्ति, मौद्रिक नीति के उपकरण।
उदाहरण: ब्याज दर घटाकर केंद्रीय बैंक मुद्रा आपूर्ति बढ़ाता है।
🔹 इकाई V: IS-LM विश्लेषण
– IS और LM फलन की व्युत्पत्ति। – समष्टि मांग व IS-LM के द्वारा AD वक्र में परिवर्तन।
उदाहरण: यदि सरकार व्यय बढ़ाती है तो IS वक्र दाएँ शिफ्ट करेगा।
🔹 इकाई VI: अल्पकाल और दीर्घकाल में मूल्य स्तर
– समग्र मांग (AD) और समग्र आपूर्ति (AS), मूल्य स्तर में बदलाव के प्रभाव। – अल्पकालीन और दीर्घकालीन समष्टि आपूर्ति वक्र।
उदाहरण: अल्पकाल में मजदूरी स्थिर होती है जिससे AS वक्र ऊपर की ओर झुकता है।
🔹 इकाई VII: मुद्रास्फीति और बेरोजगारी
– मुद्रास्फीति के प्रकार और कारण। – बेरोजगारी और मुद्रास्फीति के बीच संबंध — फिलिप्स वक्र।
उदाहरण: अल्पकाल में मुद्रास्फीति बढ़ने पर बेरोजगारी घट सकती है लेकिन दीर्घकाल में नहीं।
🔹 इकाई VIII: भुगतान संतुलन एवं विनिमय दर
– चालू खाता और पूंजी खाता, असंतुलन को सुधारने की विधियाँ (मूल्य व आय समायोजन)। – विदेशी मुद्रा बाज़ार और विनिमय दर का निर्धारण।
उदाहरण: यदि एक देश में आयात अधिक है तो उसके चालू खाते में घाटा उत्पन्न होगा।
BA 2nd Semester Economics Book in Hindi
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