
यह पोस्ट “BA 4th Semester Economics Syllabus in Hindi” उन छात्रों के लिए विशेष रूप से तैयार की गई है जो बीए चतुर्थ सेमेस्टर में अर्थशास्त्र (Economics) विषय की पढ़ाई कर रहे हैं। इसमें दिया गया सिलेबस राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP-2020) पर आधारित है, जिसे भारत के कई विश्वविद्यालयों द्वारा अपनाया गया है।
इस लेख में आपको BA 4th सेमेस्टर अर्थशास्त्र का सम्पूर्ण सिलेबस हिंदी में सरल भाषा में उपलब्ध कराया गया है। यदि आप जानना चाहते हैं कि नए शैक्षिक ढांचे के तहत चतुर्थ सेमेस्टर में कौन-कौन से यूनिट और टॉपिक शामिल हैं, तो यह पोस्ट आपके लिए अत्यंत लाभकारी होगी।
BA 4th Semester Economics Syllabus in Hindi PDF (2025-26)
Table of Contents
इस सेक्शन में बीए फोर्थ सेमेस्टर अर्थशास्त्र (Economics) का सिलेबस दिया गया है | यहाँ सिलेबस में दिए गये सभी टॉपिक्स को discuss किया गया है |
📌 विवरण (Details)
पाठ्यक्रम का नाम: बी.ए. इकोनॉमिक्स
सेमेस्टर: चतुर्थ
कोर्स कोड: A080401T
कोर्स का शीर्षक: मुद्रा, बैंकिंग और लोक वित्त (Money, Banking and Public Finance)
प्रकार: थ्योरी (Core Compulsory)
क्रेडिट: 6
कुल अंक: 100 (25 आंतरिक + 75 बाह्य)
पाठन समय: 4 घंटे प्रति सप्ताह
🎯 कोर्स उद्देश्य (Course Outcomes)
- विद्यार्थियों को मौद्रिक अर्थशास्त्र, बैंकिंग और सार्वजनिक वित्त की मूल अवधारणाओं से परिचित कराना।
- भारत की बैंकिंग प्रणाली, मौद्रिक नीति और वित्तीय संस्थानों की भूमिका को समझाना।
- लोक वित्त की अवधारणा, कर प्रणाली, सार्वजनिक व्यय और बजट निर्माण की समझ विकसित करना।
- वर्तमान आर्थिक समस्याओं जैसे सरकारी घाटा, कर सुधार, राजकोषीय संघवाद आदि पर चिंतन करना।
- लोक सेवाओं की आपूर्ति में सरकार की भूमिका और बाज़ार विफलताओं को समझना।
📚 इकाइयाँ (Units with Explanation and Examples)
🔹 इकाई I: मुद्रा
– मुद्रा की अवधारणा, कार्य और माप। – मुद्रा आपूर्ति के सिद्धांत।
उदाहरण: नकद के अतिरिक्त जब बैंक भी ऋण देते हैं तो कुल मुद्रा आपूर्ति बढ़ जाती है — इसे क्रेडिट क्रिएशन कहते हैं।
🔹 इकाई II: वित्तीय संस्थान, बाजार और नवाचार
– वित्तीय बाजारों और संस्थानों की भूमिका। – असममित जानकारी: प्रतिकूल चयन और नैतिक संकट। – भारत में पूंजी और मुद्रा बाजार की संरचना एवं सुधार।
उदाहरण: 2008 का वैश्विक वित्तीय संकट असममित जानकारी और जोखिमपूर्ण निवेश का परिणाम था।
🔹 इकाई III: ब्याज दर
– ब्याज दर का निर्धारण, विभिन्न दरों में अंतर के कारण। – अवधि संरचना के सिद्धांत, भारत में ब्याज दर।
उदाहरण: दीर्घकालिक ऋण पर ब्याज दर अधिक होती है क्योंकि जोखिम अधिक होता है।
🔹 इकाई IV: बैंकिंग प्रणाली
– बैंक का बैलेंस शीट, पोर्टफोलियो प्रबंधन। – भारतीय बैंकिंग प्रणाली की संरचना और सुधार। – केंद्रीय बैंक की भूमिका, मौद्रिक नीति के लक्ष्य और उपकरण।
उदाहरण: RBI रेपो रेट घटाकर आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करता है।
🔹 इकाई V: लोक वित्त की प्रकृति और क्षेत्र
– सार्वजनिक और निजी वित्त में अंतर। – सार्वजनिक वस्तुएँ और बाज़ार विफलता। – अधिकतम सामाजिक लाभ का सिद्धांत।
उदाहरण: सड़क, सैन्य सेवा आदि सार्वजनिक वस्तुएँ हैं जिन्हें निजी क्षेत्र द्वारा प्रदान नहीं किया जा सकता।
🔹 इकाई VI: सार्वजनिक व्यय
– परिभाषा, वर्गीकरण, सिद्धांत, प्रभाव। – भारत में सार्वजनिक व्यय में वृद्धि के कारण।
उदाहरण: शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में व्यय सरकार द्वारा समाज के कल्याण हेतु किया जाता है।
🔹 इकाई VII: कराधान
– करों के प्रकार, सिद्धांत (लाभ सिद्धांत, सामर्थ्य सिद्धांत)। – कर भार का विभाजन, कराधान का प्रभाव। – अच्छा कर प्रणाली की विशेषताएँ।
उदाहरण: आयकर प्रगतिशील होता है जबकि GST अप्रत्यक्ष कर है।
🔹 इकाई VIII: राजकोषीय नीति और संघवाद
– राजकोषीय नीति के घटक, उद्देश्य। – भारत में संघीय वित्तीय व्यवस्था, वित्त आयोग की भूमिका। – बजट संरचना और प्रमुख सुधार।
उदाहरण: भारत सरकार द्वारा GST लागू करना एक प्रमुख कर सुधार था जिससे कर संरचना सरल हुई।
BA 4th Semester Economics Book in Hindi
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