
BA 1st Semester Geography Question Answers
BA 1st Semester Geography Question Answers: इस पेज पर बीए फर्स्ट सेमेस्टर के छात्रों के लिए जियोग्राफी (भूगोल) का Question Answer, Short Format और MCQs Format में दिए गये हैं |
फर्स्ट सेमेस्टर में “Physical Geography (भौतिक भूगोल)” पेपर पढाया जाता है | यहाँ आपको टॉपिक वाइज प्रश्न उत्तर और नोट्स मिलेंगे |
BA 1st Semester Geography Online Test in Hindi
इस पेज पर बीए फर्स्ट सेमेस्टर के छात्रों के लिए जियोग्राफी के ऑनलाइन टेस्ट का लिंक दिया गया है | इस टेस्ट में लगभग 240 प्रश्न दिए गये हैं |
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Quiz के अंत में आप सभी प्रश्नों को पीडीऍफ़ में फ्री डाउनलोड भी कर सकते हैं |
Physical Geography (भौतिक भूगोल)
Chapter 1: भौतिक भूगोल का परिचय
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Chapter 2: महाद्वीप, महासागर, महाद्वीपीय प्रवाह तथा प्लेट टेक्टोनिक्स सिद्धांत
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Chapter 3: चट्टानें, मोड़ और भंग
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Chapter 4: नदीय, कार्स्ट, पवनीय, हिमनदीय और तटीय भू-आकृतियाँ
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Chapter 5: वायुमण्डल और वायुमण्डलीय दबाव
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Chapter 6: ट्रोपोस्फीयर की स्थितियाँ
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Chapter 7: महासागरीय नितल और जमाव
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Chapter 8: जैवमण्डल और बायोम
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BA 1st Semester Geography Important Question Answers
Physical Geography (भौतिक भूगोल)
Unit 1: Introduction to Physical Geography
प्रश्न 1: भौतिक भूगोल का क्या अर्थ है और इसका महत्व क्या है?
उत्तर:
I. अर्थ: भौतिक भूगोल पृथ्वी के प्राकृतिक भौतिक स्वरूपों जैसे भूमि रूप, जल रूप, वायुमंडल, और जीवमंडल का अध्ययन है। यह पृथ्वी के विभिन्न भौतिक घटकों के बीच के रिश्तों को भी समझने की कोशिश करता है।
II. महत्व: भौतिक भूगोल हमें पृथ्वी के प्राकृतिक पर्यावरण को समझने में मदद करता है, जो पर्यावरण प्रबंधन, आपदा प्रबंधन, शहरी योजना, और संसाधनों के सतत उपयोग के लिए महत्वपूर्ण है। यह जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को समझने और उनसे निपटने में भी सहायक है।
प्रश्न 2: भौतिक भूगोल की उत्पत्ति कैसे हुई?
उत्तर:
I. प्रारंभिक अध्ययन: भौतिक भूगोल की उत्पत्ति प्राचीन काल में मानचित्रण और यात्रा वृतांतों से जुड़ी हुई है। यूनानी दार्शनिकों ने पृथ्वी के आकार और विभिन्न भौगोलिक विशेषताओं को समझने की कोशिश की।
II. आधुनिक विकास: 19वीं सदी में, वैज्ञानिकों ने भौतिक प्रक्रियाओं के अध्ययन के साथ भूगोल को अधिक वैज्ञानिक आधार दिया। अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट और कार्ल रिटर जैसे विद्वानों ने इस क्षेत्र को व्यापक रूप से विकसित किया।
प्रश्न 3: भौतिक भूगोल की कौन-कौन सी शाखाएँ हैं?
उत्तर:
I. जलवायु विज्ञान (Climatology): वायुमंडल की अध्ययन करती है।
II. भूगर्भ विज्ञान (Geomorphology): भूमि रूपों का अध्ययन करती है।
III. हाइड्रोलॉजी (Hydrology): जल के चक्र और वितरण का अध्ययन।
IV. जैव भूगोल (Biogeography): जीवों के वितरण और विकास का अध्ययन।
V. समुद्र विज्ञान (Oceanography): महासागरों का अध्ययन।
प्रश्न 4: ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के बारे में क्या जानकारी है?
उत्तर:
I. बिग बैंग सिद्धांत: इस सिद्धांत के अनुसार, ब्रह्माण्ड एक विस्फोट से उत्पन्न हुआ जो लगभग 13.8 बिलियन वर्ष पहले हुआ था। इस सिद्धांत का समर्थन कॉस्मिक माइक्रोवेव बैकग्राउंड रेडिएशन से मिलता है।
II. प्राचीन भारतीय दृष्टिकोण: भारतीय महाकाव्यों जैसे वेदों में, ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति को ब्रह्मा के विचार से जोड़ा गया है, जो एक ऐसा देवता है जिसने सृष्टि की रचना की।
प्रश्न 5: सौर मण्डल क्या है?
उत्तर:
I. परिभाषा: सौर मण्डल एक खगोलीय प्रणाली है जिसमें सूर्य, ग्रह, उपग्रह, क्षुद्रग्रह, धूमकेतु, और अंतरिक्ष में फैले हुए मलबे जैसे पदार्थ शामिल हैं।
II. संरचना: इसमें आठ मुख्य ग्रह होते हैं जो सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करते हैं, चार चट्टानी ग्रह (मर्करी, वीनस, अर्थ, मार्स), और चार गैसीय दानव (जुपिटर, सैटर्न, यूरेनस, नेप्चून)।
प्रश्न 6: पृथ्वी की उत्पत्ति के बारे में कौन-कौन से सिद्धांत हैं?
उत्तर:
I. नेबुलर परिकल्पना (Laplace): पृथ्वी एक घूमते हुए निहारिका बादल से बनी जिसने धीरे-धीरे ठोस शरीर बनाया।
II. प्लानेटीसिमल परिकल्पना (Chamberlin): पृथ्वी छोटे-छोटे पत्थरों और धूल के कणों से बनी जो आपस में जुड़कर बड़े निकाय बने।
III. ज्वारीय परिकल्पना (Jeans and Jeffery): पृथ्वी का निर्माण एक सूर्य और एक अन्य तारे के बीच गुरुत्वाकर्षण बल के कारण हुआ।
प्रश्न 7: कांट की वायव्य राशि गैसीय परिकल्पना क्या है?
उत्तर:
I. विवरण: इमैनुएल कांट ने सुझाव दिया कि सौर मण्डल एक घूमते हुए गैसीय बादल से बना जिसने अंततः सूर्य और ग्रहों को जन्म दिया। यह परिकल्पना नेबुलर परिकल्पना के समान है लेकिन सूर्य के निर्माण पर अधिक केंद्रित है।
प्रश्न 8: धूल-बादल परिकल्पना सिद्धांत क्या है?
उत्तर:
I. विवरण: इस सिद्धांत के अनुसार, पृथ्वी और अन्य ग्रह एक धूल और गैस के बादल से बने जो सूर्य के आसपास घूम रहा था। समय के साथ, ये कण एक साथ आकर ठोस शरीर बनाते हैं।
प्रश्न 9: बिग बैंग सिद्धांत क्या है?
उत्तर:
I. विवरण: बिग बैंग सिद्धांत कहता है कि ब्रह्माण्ड एक छोटे, अत्यधिक घने और गर्म बिंदु से शुरू हुआ जिसने एक विस्फोट के बाद विस्तार करना शुरू किया। यह विस्तार अभी भी जारी है।
प्रश्न 10: पृथ्वी की आयु की गणना कैसे की जाती है?
उत्तर:
I. रेडियोमेट्रिक डेटिंग: सबसे प्रमुख तरीका, यह विधि रेडियोऐक्टिव आइसोटोप्स के क्षय दर का उपयोग करती है। उदाहरण के लिए, यूरेनियम-238 का क्षय लीड-206 में होता है।
II. चट्टानों का अध्ययन: पृथ्वी की सबसे पुरानी चट्टानों की आयु को मापने से हमें पृथ्वी की न्यूनतम आयु का अनुमान मिलता है।
प्रश्न 11: भूवैज्ञानिक समय-मान क्या है और उसके हिस्से कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
I. समझाइए: भूवैज्ञानिक समय-मान पृथ्वी के इतिहास को अलग-अलग समय के हिस्सों में बांटता है, जिसमें जीवन का विकास और बड़ी घटनाएं शामिल हैं।
II. हिस्से:
- ईऑन: सबसे बड़ा समय का टुकड़ा, जैसे प्रीकैम्ब्रियन या फैनेरोजोइक।
- एरा: ईऑन को छोटे हिस्सों में बांटता है, जैसे पैलियोज़ोइक, मेसोज़ोइक, सीनोज़ोइक।
- पीरियड: एरा के छोटे भाग, जैसे ऑर्डोविशियन, जुरासिक, मियोसीन।
- एपॉक: पीरियड के भीतर का समय, जैसे प्लीस्टोसीन, होलोसीन।
- एज: सबसे छोटा समय का हिस्सा, जैसे मास्ट्रिच्चियन, सेलैंडियन।
प्रश्न 12: प्रीकैम्ब्रियन समय की खासियतें क्या हैं?
उत्तर:
I. लंबा समय: यह पृथ्वी का सबसे लंबा समय है, जो 4.6 अरब साल पहले से 542 मिलियन साल पहले तक है।
II. जीवन की शुरुआत: इस समय में जीवन शुरू हुआ, सबसे पहले सरल कोशिकाओं से।
III. पृथ्वी की गतिविधियाँ: इस समय में बहुत सी भूगर्भिक गतिविधियाँ हुईं, जैसे महाद्वीपों की टकराहट और समुद्रों का बनना।
प्रश्न 13: भारत में चट्टानों के आधार पर भूवैज्ञानिक समय-मान कैसे बनाया जाता है?
उत्तर:
I. वर्गीकरण: भारत में, चट्टानों के गुणों जैसे उनकी बनावट, उम्र और जीवाश्मों के आधार पर समय-मान बनाया जाता है।
II. मुख्य समय:
- आर्कियन: सबसे पुरानी चट्टानें, जो आग से बनी हैं।
- प्रोटेरोजोइक: इसमें अलग-अलग तरह की चट्टानें हैं जो जीवन के विकास को दिखाती हैं।
- पैलियोजोइक, मेसोजोइक, सीनोजोइक: ये तीन समय काल जीवन के जटिल रूपों के विकास को दर्शाते हैं।
प्रश्न 14: पृथ्वी के अंदर का स्वरूप कैसा है?
उत्तर:
I. परिचय: पृथ्वी के अंदर का हिस्सा अलग-अलग परतों में बंटा हुआ है, जिनकी बनावट, तापमान और गुण अलग-अलग होते हैं।
II. मुख्य परतें:
- स्थलमंडल: पृथ्वी की सबसे ऊपरी परत, जो चट्टानों से बनी है।
- मेंटल: स्थलमंडल के नीचे, जो ठोस और गाढ़े तरल से बना है।
- कोर: इसमें बाहरी कोर (तरल) और आंतरिक कोर (ठोस) होता है, ज्यादातर लोहा और निकेल से बना है।
प्रश्न 15: भूकंप के अध्ययन से पृथ्वी के अंदर का स्वरूप कैसे समझा जाता है?
उत्तर:
I. भूकंपीय तरंगें: जब भूकंप होता है, तो तरंगें पृथ्वी के भीतर जाती हैं। इन तरंगों का व्यवहार, उनकी गति और दिशा बदलने से हमें पृथ्वी की परतों के बारे में पता चलता है।
II. परतें:
- स्थलमंडल: दोनों तरंगें यहां से गुजरती हैं।
- मेंटल: एक तरंग की गति बदल जाती है, जो इसे ठोस या गाढ़े तरल के रूप में दर्शाता है।
- कोर: एक तरंग बाहरी कोर से नहीं गुजरती, जो इसे तरल बताती है, और दूसरी तरंग आंतरिक कोर से धीमी होकर गुजरती है, जो ठोस पदार्थ का संकेत देती है।
Unit 2: Continents, Oceans, Continental Drift and Plate Tectonics Theory
प्रश्न 1: महाद्वीपों और महासागरों की उत्पत्ति कैसे हुई?
उत्तर:
I. प्लेट टेक्टोनिक्स: इस सिद्धांत के अनुसार, पृथ्वी की सतह कई प्लेटों में बंटी हुई है जो आपस में टकराती, अलग होती और एक-दूसरे के ऊपर से गुजरती हैं।
II. महाद्वीपों की उत्पत्ति: प्लेटों के टकराने और जुड़ने से महाद्वीप बने।
III. महासागरों की उत्पत्ति: प्लेटों के अलग होने से नई महासागरीय घाटियाँ बनीं, जिनसे महासागरों का निर्माण हुआ।
प्रश्न 2: विल्सन चक्र क्या है?
उत्तर:
I. परिभाषा: विल्सन चक्र महासागर घाटियों के निर्माण और नष्ट होने की प्रक्रिया को दर्शाता है।
II. चरण: यह प्रक्रिया महासागरीय घाटी के निर्माण से शुरू होती है, जो फिर विस्तार करती है, और अंत में टकराव से बंद हो जाती है, जिससे महाद्वीपीय प्लेटें मिलती हैं।
प्रश्न 3: महासागरों और महाद्वीपों का वितरण कैसे होता है?
उत्तर:
I. महासागरों का वितरण: पृथ्वी की सतह का लगभग 71% महासागरों से ढका हुआ है, जो विशाल महासागरों में बंटा हुआ है।
II. महाद्वीपों का वितरण: महाद्वीप लगभग 29% सतह पर वितरित हैं, जो विभिन्न आकार और स्थानों पर फैले हुए हैं।
प्रश्न 4: आइसोस्टेसी का सिद्धांत क्या है?
उत्तर:
I. परिचय: आइसोस्टेसी का सिद्धांत कहता है कि पृथ्वी की सतह की परतें ‘फ्लोट’ करती हैं, जिसके कारण सतह का संतुलन बना रहता है।
II. सर जॉर्ज ऐयरी की अवधारणा: ऐयरी के अनुसार, स्थलमंडल की मोटाई उसके वजन के अनुपात में बदलती है।
III. आर्कडीकॉन प्राट की अवधारणा: प्राट ने सुझाव दिया कि घनत्व में भिन्नता सतह के संतुलन को बनाए रखती है।
प्रश्न 5: भूकंप क्या होता है?
उत्तर:
I. अर्थ: भूकंप पृथ्वी के नीचे होने वाले झटके हैं, जो प्लेटों के आंदोलन से उत्पन्न होते हैं।
II. वर्गीकरण: भूकंप को उनकी उत्पत्ति, तीव्रता और प्रभाव के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है।
प्रश्न 6: भूकंप के कारण क्या होते हैं?
उत्तर:
I. प्लेट टेक्टोनिक्स: अधिकांश भूकंप प्लेटों के बीच घर्षण और रिलीज होने वाली ऊर्जा से होते हैं।
II. अन्य कारण: वोल्केनिक गतिविधि या मानव निर्मित गतिविधियाँ जैसे खनन भी भूकंप का कारण बन सकती हैं।
प्रश्न 7: भूकंपीय तरंगों के प्रकार क्या हैं?
उत्तर:
I. प्राइमरी वेव्स (P-Waves): ये तरंगें पहले पहुँचती हैं, तरल और ठोस दोनों में गुजर सकती हैं।
II. सेकेंडरी वेव्स (S-Waves): ये तरंगें केवल ठोस माध्यमों से गुजर सकती हैं, और धीमी होती हैं।
प्रश्न 8: भूकंप के प्रभाव क्या होते हैं?
उत्तर:
I. भौतिक क्षति: भवनों और बुनियादी ढांचे की क्षति, भूस्खलन, और सुनामी।
II. जीवन पर प्रभाव: चोटें, मृत्यु, और आर्थिक नुकसान।
प्रश्न 9: भूकंप के लिए उपचारात्मक उपाय क्या हो सकते हैं?
उत्तर:
I. भवनों का निर्माण: भूकंप प्रतिरोधी भवन निर्माण।
II. जन जागरूकता: भूकंप के दौरान क्या करना है, इसकी जानकारी देना।
प्रश्न 10: भारत में भूकंप क्षेत्र का वितरण कैसा है?
उत्तर:
I. भूकंपीय क्षेत्र: भारत को पाँच भूकंपीय क्षेत्रों में विभाजित किया गया है, जहाँ क्षेत्र 5 में सबसे अधिक जोखिम है।
II. प्रमुख क्षेत्र: हिमालय क्षेत्र, भारत-बर्मा प्लेट की सीमा, और कच्छ का क्षेत्र प्रमुख भूकंपीय क्षेत्र हैं।
प्रश्न 11: ज्वालामुखी का क्या अर्थ है?
उत्तर:
I. परिभाषा: ज्वालामुखी ऐसी स्थलाकृतियाँ हैं जहाँ से पृथ्वी के अंदर का लावा, गैस और राख बाहर निकलते हैं।
प्रश्न 12: ज्वालामुखियों के प्रकार क्या हैं?
उत्तर:
I. सक्रिय ज्वालामुखी: जो अभी भी विस्फोट कर सकते हैं।
II. निष्क्रिय ज्वालामुखी: जो लंबे समय से सक्रिय नहीं हैं।
III. विलुप्त ज्वालामुखी: जो बहुत पहले निष्क्रिय हो गए हैं।
प्रश्न 13: ज्वालामुखी विस्फोट के कारण क्या होते हैं?
उत्तर:
I. प्लेट टेक्टोनिक्स: प्लेटों के टकराने से मैग्मा का उत्पादन होता है।
II. मैग्मा का दबाव: जमीन के नीचे मैग्मा का दबाव बढ़ने से विस्फोट होता है।
प्रश्न 14: ज्वालामुखी क्रिया से कौन सी स्थलाकृतियाँ बनती हैं?
उत्तर:
I. ज्वालामुखी शंकु: लावा और राख से बनी कोनिकल संरचनाएँ।
II. लावा मैदान: लावा के फैलने से बने मैदान।
III. कैल्डेरा: बड़े विस्फोटों से बने विशाल वृत्ताकार गड्ढे।
प्रश्न 15: भू-सन्नति की अवधारणा क्या है?
उत्तर:
I. अवधारणा: भू-सन्नति ऐसे लंबे और संकरे महासागरीय या महाद्वीपीय क्षेत्र हैं जहाँ तलछट जमा होती है और जो बाद में पहाड़ी श्रृंखलाओं में बदल सकते हैं।
II. विशेषताएँ: इनमें विशाल मात्रा में तलछट जमा होती है, और ये समय के साथ मोड़ और उठते हैं।
Unit 3: Rocks, Folding and Faulting
प्रश्न 1: चट्टानों की संरचना क्या होती है?
उत्तर:
I. संरचना: चट्टानें मुख्य रूप से मिनरल्स (खनिज) से बनी होती हैं, जिनका संयोजन और व्यवस्था उनकी संरचना को निर्धारित करता है।
II. विविधता: चट्टानों की संरचना उनके निर्माण की प्रक्रिया के अनुसार भिन्न होती है, जैसे कि आग्नेय, अवसादी, और कायांतरित चट्टानें।
प्रश्न 2: आग्नेय चट्टानें कैसे बनती हैं?
उत्तर:
I. निर्माण: आग्नेय चट्टानें तरल मैग्मा के ठंडा होकर ठोस होने से बनती हैं।
II. प्रकार: इन्हें उनके निर्माण के स्थान के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है – प्ल्यूटोनिक (भूमि के नीचे) और वोल्केनिक (भूमि के ऊपर)।
प्रश्न 3: अवसादी चट्टानें किस प्रकार बनती हैं?
उत्तर:
I. निर्माण प्रक्रिया: ये चट्टानें मौजूदा चट्टानों के टूटने, पहनने, और उनके कणों के इकट्ठा होकर ठोस होने से बनती हैं।
II. वर्गीकरण: अवसादी चट्टानों को उनके अवसादों के आकार और प्रकार के आधार पर क्लास्टिक और केमिकल या बायोजेनिक में वर्गीकृत किया जाता है।
प्रश्न 4: कायांतरित चट्टानों का निर्माण कैसे होता है?
उत्तर:
I. रूपांतरण: कायांतरित चट्टानें पहले से मौजूद चट्टानों के तापमान, दबाव या रासायनिक प्रक्रियाओं से रूपांतरित होकर बनती हैं।
II. उदाहरण: शिस्ट चट्टान म्यूडस्टोन के रूपांतरित होने से बनती है।
प्रश्न 5: वलन क्या होता है?
उत्तर:
I. परिभाषा: वलन चट्टानों की परतों का झुकना या मोड़ना है, जो भू-आंदोलनों के कारण होता है।
II. प्रकार: वलन मोड़ के आधार पर एंटिक्लाइन (ऊपर की ओर उठा हुआ) और सिन्क्लाइन (नीचे की ओर झुका हुआ) कहलाते हैं।
प्रश्न 6: भ्रंशन क्या है?
उत्तर:
I. परिभाषा: भ्रंशन चट्टानों की परतों में टूटना और एक दूसरे के सापेक्ष सरकना है।
II. प्रकार: भ्रंशन को नॉर्मल फॉल्ट, रिवर्स फॉल्ट, और स्ट्राइक-स्लिप फॉल्ट के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
प्रश्न 7: भ्रंश से कौन सी स्थलाकृतियाँ बनती हैं?
उत्तर:
I. भू-आकृतियाँ: भ्रंश से घाटियाँ, पठार, और रिफ्ट वैली जैसी स्थलाकृतियाँ बनती हैं।
II. उदाहरण: ग्रेट रिफ्ट वैली अफ्रीका में भ्रंश का एक उदाहरण है।
प्रश्न 8: वलन और भ्रंशन में क्या अंतर है?
उत्तर:
I. वलन: चट्टानों का मोड़ना या झुकना।
II. भ्रंशन: चट्टानों का टूटना और सरकना।
प्रश्न 9: अपक्षय के प्रकार क्या हैं?
उत्तर:
I. शारीरिक अपक्षय: चट्टानों का मैकेनिकल रूप से टूटना, जैसे फ्रीज-थॉ विधि से।
II. रासायनिक अपक्षय: चट्टानों का रासायनिक प्रतिक्रियाओं से बदलना, जैसे हाइड्रेशन या ऑक्सीडेशन।
प्रश्न 10: अपक्षय का भू-आकृतिक महत्व क्या है?
उत्तर:
I. भू-आकृतियाँ: अपक्षय भूमि की संरचना को बदलता है, जिससे विभिन्न भू-आकृतियाँ जैसे घाटियाँ और पहाड़ी श्रृंखलाएँ बनती हैं।
II. मिट्टी निर्माण: यह मिट्टी के निर्माण की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
प्रश्न 11: अपरदन के प्रकार क्या हैं?
उत्तर:
I. पानी द्वारा अपरदन: नदी, समुद्र, और वर्षा का अपरदन।
II. हवा द्वारा अपरदन: पवनीय अपरदन।
III. बर्फ द्वारा अपरदन: हिमनदीय अपरदन।
प्रश्न 12: डेविस द्वारा अपरदन चक्र क्या है?
उत्तर:
I. परिभाषा: डेविस का अपरदन चक्र एक मॉडल है जो भू-आकृतियों के विकास को युवा, परिपक्व और वृद्ध चरणों में वर्णित करता है।
II. चरण: इसमें युवा (नदियाँ वी-आकार की घाटियाँ बनाती हैं), परिपक्व (चौड़ी घाटियाँ और जलस्थल), और वृद्ध (पेनीप्लेन) चरण शामिल हैं।
प्रश्न 13: पेंक द्वारा अपरदन चक्र क्या है?
उत्तर:
I. परिभाषा: पेंक ने अपरदन को ऊपर उठने (uplift) और अपरदन के बीच एक संतुलन के रूप में देखा।
II. अवधारणा: वह मानते थे कि भू-आकृतियाँ लगातार बदलती रहती हैं, जो डेविस के स्थिर चरणों से भिन्न है।
प्रश्न 14: डेविस चक्र और पेंक चक्र में क्या अंतर है?
उत्तर:
I. डेविस चक्र: इसमें भू-आकृतियों के विकास के तीन स्थिर चरण होते हैं।
II. पेंक चक्र: इसमें अपरदन को एक गतिशील प्रक्रिया के रूप में देखा जाता है, जहाँ भू-आकृतियाँ लगातार बदलती रहती हैं।
प्रश्न 15: अपवाह प्रतिरूप के प्रकार क्या हैं?
उत्तर:
I. नदी प्रणाली: डेंड्रिटिक, ट्रेलिस, रेडियल, और रेक्टेंगुलर जैसे प्रकार होते हैं।
II. विशेषताएँ: प्रत्येक प्रकार की अपवाह प्रणाली उस क्षेत्र की भू-आकृति और चट्टानों के व्यवहार पर निर्भर करती है।
Unit 4: Fluvial, Karst, Aeolian, Glacial and Coastal Landforms
प्रश्न 1: नदी भू-आकृतियाँ कैसे बनती हैं?
उत्तर:
I. अपरदन: नदी अपनी धारा के साथ चट्टानों और मिट्टी को काटकर वी-आकार की घाटियाँ और रेपिड्स बनाती है।
II. परिवहन: नदी तलछट को अपने साथ बहाकर ले जाती है, जो बाद में निक्षेपित हो सकती है।
III. निक्षेपण: जब नदी की गति कम होती है, तो यह तलछट को छोड़ती है, जिससे दलदल, बीच, और डेल्टा बनते हैं।
प्रश्न 2: कार्स्ट भू-आकृतियों की विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर:
I. भूमिगत जल: कार्स्ट क्षेत्रों में, पानी नीचे की ओर रिसता है, जो गुफाओं और सिंकहोल्स को बनाता है।
II. चूना पत्थर: इन भू-आकृतियों के निर्माण के लिए चूना पत्थर जैसी घुलनशील चट्टानें आवश्यक हैं।
III. सतही संरचनाएँ: सतह पर, कार्स्ट क्षेत्रों में पॉन्ड्स, टॉवर्स, और पिन्नाकल्स मिलते हैं।
प्रश्न 3: कार्स्ट भू-आकृतियों के लिए कौन सी परिस्थितियाँ उपयुक्त हैं?
उत्तर:
I. चूना पत्थर की उपस्थिति: घुलनशील चट्टानों का होना।
II. पर्याप्त वर्षा: पानी की मात्रा जो चट्टानों को घुला सके।
III. अम्लीय जल: पानी में अम्लता का होना जो चूना पत्थर को तेजी से घोले।
प्रश्न 4: कार्स्ट चक्र क्या है?
उत्तर:
I. प्रक्रिया: कार्स्ट चक्र में पानी का चूना पत्थर में रिसना, अपरदन करना, और फिर सतह पर वापस आना शामिल है।
II. चरण: इसमें गुफाओं का निर्माण, उनका विस्तार, और अंतत: ढहना शामिल होता है।
प्रश्न 5: वायु निर्मित भू-आकृतियाँ किस प्रकार बनती हैं?
उत्तर:
I. अपरदन: हवा चट्टानों को घिसती है, जिससे वेंटिफैक्ट्स और यार्डंग्स बनते हैं।
II. परिवहन: हवा धूल और रेत को दूर ले जाती है।
III. निक्षेपण: जब हवा की गति कम होती है, तो रेतीले टीले (ड्यून्स) और लोएस जमा होते हैं।
प्रश्न 6: हिमनदियाँ कैसे बनती हैं?
उत्तर:
I. बर्फ का संचय: जब बर्फ जमा होकर बढ़ती है, तो हिमनदियाँ बनती हैं।
II. गति: हिमनदियाँ अपने वजन से धीरे-धीरे बहती हैं।
प्रश्न 7: हिमनदीय अपरदन की भू-आकृतियाँ कौन सी हैं?
उत्तर:
I. यू-आकार की घाटियाँ: हिमनदियों के आंदोलन से बनती हैं।
II. सिर्क: हिमनदियों द्वारा कटे हुए क्षेत्र।
III. हार्न्स और आरेट्स: हिमनदीय मूर्ख के कारण बने।
प्रश्न 8: हिमनदीय निक्षेपण की भू-आकृतियाँ क्या हैं?
उत्तर:
I. मोरेन्स: हिमनदीय तलछट जो छोड़ दी जाती है।
II. ड्रमलिन्स: अंडाकार आकार की पहाड़ियाँ जो हिमनदीय निक्षेप से बनती हैं।
III. एस्कर: हिमनदीय पानी के मार्ग के साथ बने ऊंचे टीले।
प्रश्न 9: तटीय भू-आकृतियों का परिचय क्या है?
उत्तर:
I. परिभाषा: तटीय भू-आकृतियाँ समुद्र और भूमि के मिलने वाले क्षेत्रों में बनती हैं।
II. प्रक्रियाएँ: ये अपरदन और निक्षेपण की क्रियाओं से उत्पन्न होती हैं।
प्रश्न 10: विभिन्न तटीय भू-आकृतियाँ क्या हैं?
उत्तर:
I. क्लिफ्स: तटीय अपरदन से बने ऊंचे किनारे।
II. बेज: समुद्र में घुसे हुए भाग जहाँ पानी शांत होता है।
III. स्पिट्स: निक्षेपण से बने दीर्घकालिक तटीय प्रक्षेपण।
प्रश्न 11: तटीय अपरदन भू-आकृतियाँ कौन सी हैं?
उत्तर:
I. क्लिफ रीट्रीट: समुद्री तरंगों से क्लिफ का पीछे हटना।
II. केव्स और आर्च: चट्टानों में अपरदन से बने।
प्रश्न 12: तटीय निक्षेपण भू-आकृतियाँ कौन सी हैं?
उत्तर:
I. बीच: रेत का निक्षेपण जो किनारे पर जमा होता है।
II. बार: समुद्र में रेत का एक लंबा पट्टी जो दो भागों को जोड़ता है।
प्रश्न 13: नदी की परिवहन प्रक्रिया क्या है?
उत्तर:
I. प्रक्रिया: नदी अपने प्रवाह के साथ चट्टानों, रेत, और मिट्टी को ले जाती है।
II. तरीके: यह तलछट को घसीटती, उछालती, या तैराती हुई ले जाती है।
प्रश्न 14: हिमनदों का वर्गीकरण कैसे किया जाता है?
उत्तर:
I. आकार के आधार पर: छोटे सिर्क ग्लेशियर्स से लेकर विशाल आइस शीट्स तक।
II. स्थान के आधार पर: पर्वतीय हिमनदियाँ या वाले हिमनदियाँ।
प्रश्न 15: कार्स्ट क्षेत्र में अपरदन की क्रियाविधि क्या है?
उत्तर:
I. रासायनिक अपरदन: पानी में घुली हुई कार्बन डाइऑक्साइड कैल्साइट को घोलती है।
II. भौतिक अपरदन: जल के प्रवाह से चट्टानों का यांत्रिक रूप से टूटना।
Unit 5: Atmosphere and Atmospheric Pressure
प्रश्न 1: वायुमण्डल का क्या अर्थ है?
उत्तर:
I. परिभाषा: वायुमण्डल पृथ्वी को घेरने वाली गैसों की परत है जो जीवन को संभव बनाती है।
II. कार्य: यह पृथ्वी को सौर विकिरण से रक्षा करता है और मौसम को नियंत्रित करता है।
प्रश्न 2: वायुमण्डल की कौन सी विशेषताएँ हैं?
उत्तर:
I. जीवन समर्थन: यह हमें सांस लेने के लिए ऑक्सीजन प्रदान करता है।
II. तापमान नियंत्रण: वायुमण्डल पृथ्वी के तापमान को स्थिर रखता है।
III. मौसम और जलवायु: वायुमण्डल मौसम और जलवायु को प्रभावित करता है।
प्रश्न 3: वायुमण्डल का संघटन कैसा है?
उत्तर:
I. मुख्य घटक: नाइट्रोजन (लगभग 78%) और ऑक्सीजन (लगभग 21%) वायुमण्डल के प्रमुख घटक हैं।
II. अन्य गैसें: आर्गन, कार्बन डाइऑक्साइड, नियोन, हीलियम, और जल वाष्प भी मौजूद होते हैं।
प्रश्न 4: वायुमण्डल की संरचना क्या है?
उत्तर:
I. परतें: वायुमण्डल को ट्रोपोस्फीयर, स्ट्रैटोस्फीयर, मेसोस्फीयर, थर्मोस्फीयर, और एक्सोस्फीयर में विभाजित किया जाता है।
II. विशेषताएँ: प्रत्येक परत की अपनी तापमान विशेषता और भूमिका होती है।
प्रश्न 5: सूर्यताप का परिचय क्या है?
उत्तर:
I. परिभाषा: सूर्यताप सूर्य से पृथ्वी पर आने वाली ऊर्जा है जो ताप और प्रकाश का स्रोत है।
II. महत्व: यह पृथ्वी के तापमान को नियंत्रित करता है और मौसम को प्रभावित करता है।
प्रश्न 6: सूर्यताप को कौन से कारक प्रभावित करते हैं?
उत्तर:
I. अक्षांश: अक्षांश के आधार पर सूर्यताप की मात्रा भिन्न होती है।
II. मौसम: बादल, धूल, और प्रदूषण सूर्यताप को कम कर सकते हैं।
III. सूर्य की दूरी: सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी भी एक कारक है।
प्रश्न 7: वायुमण्डल का तापन और शीतलन कैसे होता है?
उत्तर:
I. तापन: सूर्यताप से पृथ्वी की सतह गर्म होती है, जो वायु को भी गर्म करती है।
II. शीतलन: रात में या बादलों के कारण विकिरण से वायुमण्डल शीतल होता है।
प्रश्न 8: वायुमण्डलीय दबाव क्या है?
उत्तर:
I. परिभाषा: वायुमण्डलीय दबाव हवा का वह वजन है जो पृथ्वी की सतह पर पड़ता है।
II. माप: इसे मिलीबार या हेक्टोपास्कल में मापा जाता है।
प्रश्न 9: वायु दाब को कौन से कारक प्रभावित करते हैं?
उत्तर:
I. तापमान: तापमान बढ़ने से दबाव कम होता है।
II. ऊँचाई: ऊँचाई बढ़ने से दबाव कम होता है।
III. आर्द्रता: नमी वाली हवा का दबाव कम होता है।
प्रश्न 10: वायु दाब का वितरण कैसे होता है?
उत्तर:
I. क्षैतिज वितरण: वायु दाब क्षैतिज रूप से अलग-अलग होता है, जिससे पवनों का प्रवाह होता है।
II. लंबवत वितरण: दबाव ऊँचाई के साथ कम होता जाता है।
प्रश्न 11: आइसोबार क्या होते हैं?
उत्तर:
I. परिभाषा: आइसोबार ऐसी रेखाएँ हैं जो समान वायु दाब क्षेत्रों को जोड़ती हैं।
II. उपयोग: मौसम के नक्शे पर इनका उपयोग मौसम के पूर्वानुमान के लिए किया जाता है।
प्रश्न 12: दाब प्रवणता क्या होती है?
उत्तर:
I. परिभाषा: दाब प्रवणता वायु दाब में क्षैतिज परिवर्तन की दर को दर्शाती है।
II. प्रभाव: यह पवन की गति और दिशा को प्रभावित करता है।
प्रश्न 13: दाब पेटी क्या होती है?
उत्तर:
I. परिभाषा: दाब पेटी वे क्षेत्र हैं जहाँ वायु दाब एक निश्चित पैटर्न में रहता है।
II. प्रकार: उच्च दाब पेटी और निम्न दाब पेटी मुख्य प्रकार हैं।
प्रश्न 14: पवन की परिभाषा क्या है?
उत्तर:
I. अर्थ: पवन हवा का वह आंदोलन है जो वायु दाब के अंतर के कारण होता है।
प्रश्न 15: पवन की दिशा कैसे निर्धारित की जाती है?
उत्तर:
I. दिशा: पवन की दिशा वह होती है जहाँ से हवा आ रही है, न कि जहाँ वो जा रही है।
II. कारक: कोरियोलिस प्रभाव, दाब प्रवणता, और भूमि की सतह के रूप पवन की दिशा को प्रभावित करते हैं।
Unit 6: Tropospheric Conditions
प्रश्न 1: वायु राशियों (Air Masses) का क्या अर्थ है?
उत्तर:
I. परिभाषा: वायु राशियाँ (Air Masses) विशाल वायु के क्षेत्र हैं जिनके पास समान मौसमी गुण होते हैं।
II. महत्व: ये मौसम की स्थिति को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
प्रश्न 2: वायु राशियों (Air Masses) की कौन सी विशेषताएँ हैं?
उत्तर:
I. समानता: एक वायु राशि (Air Mass) में तापमान, आर्द्रता (Humidity), और स्थिरता समान होती है।
II. आकार: ये विशाल होती हैं और कई सौ किलोमीटर तक फैली होती हैं।
प्रश्न 3: वायु राशियों (Air Masses) का निर्माण कैसे होता है?
उत्तर:
I. स्रोत क्षेत्र: वायु राशियाँ (Air Masses) स्रोत क्षेत्रों (Source Regions) में बनती हैं जो लंबे समय तक एक ही तापमान और आर्द्रता (Humidity) वाले होते हैं।
II. प्रक्रिया: यहाँ वायु स्थिर होकर उस क्षेत्र के गुण धारण करती है।
प्रश्न 4: वायु राशियों (Air Masses) में कोड (Codes) क्या होते हैं?
उत्तर:
I. वर्णन: वायु राशियों (Air Masses) को उनके स्रोत क्षेत्र और गुणों के आधार पर कोड (Codes) जैसे मार्कर दिए जाते हैं।
II. उदाहरण: “cP” का मतलब होता है कि वायु राशि ठंडी और शुष्क है, जो ध्रुवीय क्षेत्र से आती है।
प्रश्न 5: वायु राशियों (Air Masses) का वर्गीकरण कैसे किया जाता है?
उत्तर:
I. आधार: तापमान और आर्द्रता (Humidity) के आधार पर, जैसे गर्म और नम, ठंडा और शुष्क।
II. प्रकार: मारीटाइम ट्रॉपिकल (mT), कॉन्टिनेंटल पोलर (cP) आदि।
प्रश्न 6: वायु राशियों (Air Masses) की उत्पत्ति कहाँ होती है?
उत्तर:
I. स्रोत क्षेत्र: वायु राशियाँ (Air Masses) ऐसे क्षेत्रों में उत्पन्न होती हैं जहाँ मौसम लंबे समय तक स्थिर रहता है, जैसे महासागरों के ऊपर या विशाल मैदानों में।
प्रश्न 7: वायु राशियों (Air Masses) का संचलन और संशोधन कैसे होता है?
उत्तर:
I. संचलन: वायु राशियाँ (Air Masses) पृथ्वी के घूर्णन और दाब प्रवणता (Pressure Gradient) के कारण आगे बढ़ती हैं।
II. संशोधन: नई सतहों या अन्य वायु राशियों (Air Masses) से मिलने पर उनकी विशेषताएं बदलती हैं।
प्रश्न 8: वाताग्र (Fronts) क्या होते हैं?
उत्तर:
I. परिभाषा: वाताग्र (Fronts) वह सीमा है जहाँ दो अलग-अलग वायु राशियाँ (Air Masses) मिलती हैं।
II. मौसम: यहाँ मौसम की स्थिति जटिल और बदलती रहती है।
प्रश्न 9: वाताग्र (Fronts) की विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर:
I. वायु का मेल: ये वायु राशियों (Air Masses) के मिलन से बनते हैं जो अलग-अलग तापमान और आर्द्रता (Humidity) रखती हैं।
II. मौसमी परिवर्तन: वाताग्र (Fronts) के पास वर्षा, हवा, और तापमान में बदलाव आता है।
प्रश्न 10: वाताग्र (Fronts) के क्षेत्र क्या हैं?
उत्तर:
I. स्थान: वाताग्र (Fronts) मुख्य रूप से मध्य अक्षांशों में पाए जाते हैं जहाँ वायु राशियाँ (Air Masses) टकराती हैं।
प्रश्न 11: चक्रवात (Cyclones) का क्या अर्थ है?
उत्तर:
I. परिभाषा: चक्रवात (Cyclones) ऐसे मौसमी सिस्टम हैं जहाँ वायु निम्न दाब केंद्र की ओर घूमती है।
प्रश्न 12: चक्रवातों (Cyclones) की विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर:
I. दबाव: निम्न दाब केंद्र, जिससे वायु का प्रवाह होता है।
II. आकार: ये व्यापक क्षेत्र को प्रभावित कर सकते हैं, कई सौ किलोमीटर तक।
प्रश्न 13: चक्रवात (Cyclones) के कारण क्या होते हैं?
उत्तर:
I. दाब अंतर: वायु दाब के अंतर से चक्रवात (Cyclones) बनते हैं।
II. गर्मी और आर्द्रता (Humidity): गर्म और नमी वाले क्षेत्रों में ये ज्यादा बनते हैं।
प्रश्न 14: चक्रवात (Cyclones) के प्रभाव क्या हो सकते हैं?
उत्तर:
I. वर्षा: भारी वर्षा और कभी-कभी बाढ़।
II. हवा: तेज और तूफानी हवाएँ।
III. नुकसान: संपत्ति, फसल, और जीवन को नुकसान।
प्रश्न 15: शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात (Temperate Cyclones) और उष्णकटिबंधीय चक्रवात (Tropical Cyclones) में क्या अंतर है?
उत्तर:
I. शीतोष्ण कटिबंधीय: ये मध्य अक्षांशों में बनते हैं, वाताग्र (Fronts) से जुड़े होते हैं, और कम तीव्र होते हैं।
II. उष्णकटिबंधीय: ये उष्ण कटिबंधों में बनते हैं, बहुत तीव्र होते हैं, और समुद्री तूफानों के नाम से भी जाने जाते हैं।
Unit 7: Ocean Bottoms and Deposits
प्रश्न 1: महासागरीय नितल (Ocean Bottoms) का क्या अर्थ है?
उत्तर:
I. परिभाषा: महासागरीय नितल (Ocean Bottoms) महासागर का तल है जो विभिन्न भू-आकृतियों से बना होता है।
II. महत्व: यह समुद्री जीवन, खनिजों के संचय, और पृथ्वी के भूगर्भिक इतिहास के अध्ययन में महत्वपूर्ण है।
प्रश्न 2: महासागरीय नितल (Ocean Bottoms) की विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर:
I. भू-आकृतियाँ: महासागरीय नितल (Ocean Bottoms) में रिज (Ridges), खाइयाँ (Trenches), और पहाड़ी श्रृंखलाएँ (Mountain Ranges) शामिल हैं।
II. विविधता: इनकी संरचना महासागर के प्रकार और भूगर्भिक गतिविधियों पर निर्भर करती है।
प्रश्न 3: महासागर के नितल उच्चावच (Bottom Relief) का विभाजन कैसे किया जाता है?
उत्तर:
I. विभाजन: महासागर के नितल उच्चावच (Bottom Relief) को महाद्वीपीय शेल्फ (Continental Shelf), महाद्वीपीय ढलान (Continental Slope), और महासागरीय नाला (Oceanic Trench) में बांटा जाता है।
प्रश्न 4: सामान्य उच्चावच की आकृतियाँ (Minor Relief Features) क्या हैं?
उत्तर:
I. उदाहरण: सीमाउंट (Seamounts), गायोट (Guyots), और अबिस्सल मैदान (Abyssal Plains) जैसी छोटी संरचनाएँ।
प्रश्न 5: प्रशांत महासागर के नितल उच्चावच (Bottom Relief of Pacific Oceans) की कौन सी विशेषताएँ हैं?
उत्तर:
I. मैरियाना खाई: यह दुनिया की सबसे गहरी खाई है।
II. रिज: प्रशांत महासागरीय रिज (Pacific Oceanic Ridge) इसकी एक प्रमुख संरचना है।
प्रश्न 6: हिंद महासागर के नितल उच्चावच (Bottom Relief of Indian Oceans) की क्या खासियत है?
उत्तर:
I. मध्य-हिंद महासागरीय रिज: यह एक प्रमुख भू-आकृति है।
II. निन्तीडाल खाई: यह हिंद महासागर में सबसे गहरी खाई है।
प्रश्न 7: अटलांटिक महासागर के नितल उच्चावच (Bottom Relief of Atlantic Oceans) की विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर:
I. मध्य-अटलांटिक रिज: यह महासागर को दो भागों में विभाजित करती है।
II. अबिस्सल मैदान: व्यापक, समतल क्षेत्र जो महाद्वीपीय ढलान के नीचे फैले हैं।
प्रश्न 8: समुद्री जल तापमान की दैनिक सीमा (Daily Range of Temperature) क्या होती है?
उत्तर:
I. परिभाषा: यह एक दिन में समुद्री जल तापमान का अधिकतम और न्यूनतम के बीच का अंतर है।
II. प्रभाव: यह कम होता है क्योंकि पानी की उच्च विशिष्ट ऊष्मा क्षमता तापमान में तेजी से बदलाव को रोकती है।
प्रश्न 9: समुद्री जल तापमान की वार्षिक सीमा (Annual Range of Temperature) क्या है?
उत्तर:
I. परिभाषा: यह एक वर्ष में समुद्री जल तापमान का अधिकतम और न्यूनतम के बीच का अंतर है।
II. विविधता: यह अक्षांश और मौसम के हिसाब से भिन्न होती है।
प्रश्न 10: महासागरीय तापमान का क्षैतिज वितरण (Horizontal Distribution of Temperature) कैसे होता है?
उत्तर:
I. वितरण: तापमान क्षैतिज रूप से महासागर की सतह पर अक्षांश और महासागरीय धाराओं (Ocean Currents) के आधार पर भिन्न होता है।
प्रश्न 11: महासागरीय तापमान का लंबवत वितरण (Vertical Distribution of Temperature) कैसे होता है?
उत्तर:
I. वितरण: तापमान गहराई के साथ कम होता जाता है, विशेषकर थर्मोक्लाइन (Thermocline) क्षेत्र में।
प्रश्न 12: महासागरीय जल तापमान वितरण को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Affecting Distribution of Ocean Temperature) कौन से हैं?
उत्तर:
I. सूर्यताप: सूर्य से मिलने वाली ऊर्जा।
II. महासागरीय धाराएँ (Ocean Currents): ठंडी या गर्म पानी का प्रवाह।
III. भूगोल: अक्षांश, महाद्वीपों की स्थिति, और गहराई।
प्रश्न 13: समुद्री जल की लवणता (Salinity of Sea Water) क्या है?
उत्तर:
I. परिभाषा: लवणता (Salinity) पानी में घुले लवणों की मात्रा है।
प्रश्न 14: लवणता (Salinity) के स्रोत क्या हैं?
उत्तर:
I. नदियाँ: नदियों से मिलने वाले खनिज।
II. वाष्पीकरण (Evaporation): पानी का वाष्पीकरण लवण को पीछे छोड़ता है।
III. ज्वालामुखी: समुद्री तल में ज्वालामुखी गतिविधि से लवण मिलते हैं।
प्रश्न 15: महासागरीय जल का परिसंचरण (Circulation of Ocean Water) क्या है?
उत्तर:
I. परिभाषा: महासागरीय जल का परिसंचरण (Circulation of Ocean Water) महासागरीय धाराओं (Ocean Currents), ज्वार-भाटा (Tides), और लहरों (Waves) के माध्यम से पानी का आंदोलन है।
II. महत्व: यह जलवायु, मौसम, और समुद्री जीवन को प्रभावित करता है।
Unit 8: Biosphere and Biome
प्रश्न 1: जैवमण्डल (Biosphere) का क्या अर्थ है?
उत्तर:
I. परिभाषा: जैवमण्डल (Biosphere) पृथ्वी पर जीवन का समग्र क्षेत्र है, जिसमें सभी जीवित जीव, उनके पर्यावरण, और जीवों के साथ बातचीत करने वाले पदार्थ शामिल हैं।
II. सीमा: यह पृथ्वी के वायुमण्डल, जलमण्डल, और स्थलमण्डल तक फैला है।
प्रश्न 2: जैवमण्डल (Biosphere) के घटक क्या हैं?
उत्तर:
I. जीव: सभी प्रकार के जीव, जैसे पौधे, जानवर, और सूक्ष्मजीव।
II. वातावरण: हवा, पानी, मिट्टी, और सूर्य का प्रकाश जो जीवन को संभव बनाता है।
प्रश्न 3: जैवमण्डल (Biosphere) का महत्व क्या है?
उत्तर:
I. जीवन समर्थन: यह सभी जीवन को समर्थन देता है और जीवन के विविधता को बनाए रखता है।
II. पारिस्थितिकी संतुलन: जैवमण्डल (Biosphere) पारिस्थितिकी तंत्रों के संतुलन को बनाए रखता है, जो जलवायु नियंत्रण और प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता के लिए महत्वपूर्ण है।
प्रश्न 4: जैविक/पारिस्थितिकी अनुक्रण (Biotic/Ecological Succession) का क्या अर्थ है?
उत्तर:
I. परिभाषा: जैविक/पारिस्थितिकी अनुक्रण (Biotic/Ecological Succession) एक प्रक्रिया है जिसमें एक क्षेत्र में जीवों का समुदाय समय के साथ बदलता है, एक स्थिर जीवों के समुदाय से दूसरे में परिवर्तित होता है।
प्रश्न 5: पारिस्थितिकी अनुक्रण (Ecological Succession) के प्रकार क्या हैं?
उत्तर:
I. प्राथमिक अनुक्रण: जहाँ कोई जीवन नहीं था वहाँ जीवन शुरू होता है।
II. द्वितीयक अनुक्रण: जहाँ पहले जीवन था लेकिन विनाश के बाद नए सिरे से शुरू होता है।
प्रश्न 6: पारिस्थितिकी अनुक्रण (Ecological Succession) को प्रभावित करने वाले कारक कौन से हैं?
उत्तर:
I. जलवायु: तापमान, वर्षा पैटर्न।
II. मिट्टी: मिट्टी का प्रकार और उपजाऊपन।
III. जीव: उपलब्ध जीवों की प्रजातियाँ और उनके अंतःक्रियाएं।
प्रश्न 7: पारिस्थितिकी अनुक्रण (Ecological Succession) की अवस्थाएँ क्या हैं?
उत्तर:
I. पायनियर स्टेज: पहली जीवों का आगमन।
II. सेराल स्टेज: मध्यवर्ती समुदाय जो बदलते रहते हैं।
III. क्लाइमेक्स स्टेज: स्थिर समुदाय जो पर्यावरण के साथ संतुलन में होता है।
प्रश्न 8: बायोम (Biome) का क्या अर्थ है?
उत्तर:
I. परिभाषा: बायोम (Biome) एक विशाल जैविक समुदाय है जिसकी विशेषताएँ उस क्षेत्र की जलवायु, पौधों और जानवरों की प्रजातियों पर निर्भर करती हैं।
प्रश्न 9: बायोम (Biome) का निर्धारण करने वाले कारक क्या हैं?
उत्तर:
I. जलवायु: तापमान और वर्षा का पैटर्न।
II. मिट्टी: मिट्टी की प्रकृति और उपजाऊपन।
प्रश्न 10: बायोम (Biome) का वर्गीकरण कैसे किया जाता है?
उत्तर:
I. आधार: जलवायु, वनस्पति, और भौगोलिक स्थिति के आधार पर।
II. उदाहरण: वन (Forest), घास के मैदान (Grasslands), टुंड्रा (Tundra) आदि।
प्रश्न 11: वन (Forest) बायोम की क्या विशेषताएँ हैं?
उत्तर:
I. वनस्पति: घने पेड़ और विविधता पूर्ण पौधे।
II. जलवायु: आमतौर पर वर्षा से भरपूर क्षेत्र।
प्रश्न 12: घास के मैदान (Grasslands) बायोम की विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर:
I. वनस्पति: घास और छोटे पेड़ ज्यादा, वृक्ष कम।
II. जलवायु: मध्यम वर्षा, लेकिन मौसमी सूखा भी हो सकता है।
प्रश्न 13: मरुस्थल (Deserts) बायोम की विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर:
I. जलवायु: बहुत कम वर्षा, तेज गर्मी या ठंड।
II. वनस्पति: कम और अनुकूलित पौधे जैसे कैक्टस।
प्रश्न 14: टुंड्रा (Tundra) बायोम की विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर:
I. जलवायु: बहुत ठंडी, कम वर्षा वाली।
II. वनस्पति: छोटी और मोटी पौधे जो जमी हुई मिट्टी के साथ रह सकते हैं।
प्रश्न 15: विश्व के प्राणी-भौगोलिक प्रदेश (Zoogeographic Regions of the World) क्या हैं?
उत्तर:
I. पेलआर्कटिक प्रदेश (Palaearctic Region): यूरोप, उत्तरी एशिया, और उत्तरी अफ्रीका के कुछ भाग।
II. नियार्कटिक प्रदेश (Nearctic Region): उत्तरी अमेरिका।
III. नियोट्रॉपिकल प्रदेश (Neotropical Region): लैटिन अमेरिका और कैरेबियन।
IV. इथियोपियन प्रदेश (Ethiopian Region): अफ्रीका का अधिकांश भाग।
V. ओरिएंटल प्रदेश (Oriental Region): दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया।
VI. ऑस्ट्रेलियन प्रदेश (Australian Region): ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, और प्रशांत द्वीप।
BA 1st Semester Geography Important Question Answers
Physical Geography (भौतिक भूगोल)
Unit 1: Introduction to Physical Geography
1.1 भौतिक भूगोल (Physical Geography)
1.1.1 परिचय (Introduction)
1.1.2 भौतिक भूगोल की उत्पत्ति (Origin of Physical Geography)
1.1.3 भौतिक भूगोल का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Physical Geography)
1.1.4 भौतिक भूगोल की प्रकृति (Nature of Physical Geography)
1.1.5 भौतिक भूगोल का क्षेत्र (Scope of Physical Geography)
1.1.6 भौतिक भूगोल की शाखाएँ (Branches of Physical Geography)
1.1.7 भौतिक भूगोल का महत्व (Importance of Physical Geography)
1.2 ब्रह्माण्ड तथा सौर मण्डल (Universe and Solar System)
1.2.1 ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति (Origin of the Universe)
1.2.2 प्राचीन भारतीय महाकाव्यों में ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति की अवधारणा (Concept of Origin of the Universe in Ancient Indian Epics)
1.2.3 ब्रह्माण्ड की संरचना (Structure of the Universe)
1.2.4 ब्रह्माण्ड की रचना/संघटन (Composition of the Universe)
1.2.5 सौर मण्डल (Solar System)
1.3 पृथ्वी (Earth)
1.3.1 पृथ्वी की अवधारणा (Concept of the Earth)
1.3.2 पृथ्वी की उत्पत्ति के सिद्धान्त (Theories of the Origin of the Earth)
1.4 पृथ्वी की उत्पत्ति की परिकल्पना (Hypothesis of Origin of the Earth)
1.4.1 कांट की वायव्य राशि गैसीय परिकल्पना (Gaseous Hypothesis of Kant)
1.4.2 लाप्लास की नेबुलर / निहारिका परिकल्पना (Nebular Hypothesis of Laplace)
1.4.3 चैम्बरलिन की बाइनरी थ्योरी या ग्रहीय परिकल्पना (Binary Theory or Planetesimal Hypothesis of Chamberlin)
1.4.4 जीन्स और जेफ्री का ज्वारीय सिद्धांत / गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत (Jeans and Jeffery’s Tidal Theory/Gravitational Theory)
1.4.5 रसेल की बाइनरी स्टार परिकल्पना (Russell’s Binary Star Hypothesis)
1.4.6 होयल की सुपरनोवा परिकल्पना (Hoyle’s Supernova Hypothesis)
1.4.7 धूल-बादल परिकल्पना सिद्धांत (Dust-Cloud Hypothesis Theory)
1.4.8 ओटो श्मिट की अंतरतारकीय परिकल्पना (Interstellar Hypothesis of Otto Schmidt)
1.5 बिग बैंग सिद्धांत (Big Bang Theory)
1.6 पृथ्वी की आयु (Age of the Earth)
1.6.1 परिचय (Introduction)
1.6.2 पृथ्वी की आयु की गणना के लिए वैज्ञानिकों द्वारा उपयोग की जाने वाली विभिन्न पद्धतियाँ (Different Methods Used by Scientists for Calculating Age of the Earth)
1.7 भूवैज्ञानिक समय-मान (Geological Time Scale)
1.7.1 परिचय (Introduction)
1.7.2 भूवैज्ञानिक समय पैमाने के विभिन्न अन्तराल (Various Intervals of Geological Timescale)
1.7.3 प्रीकैम्ब्रियन समय – 4.6 बिलियन से 542 मिलियन वर्ष पूर्व (Precambrian Time: 4.6 Billion to 542 Million Years Ago)
1.7.4 भूवैज्ञानिक समय मान के विभिन्न महाकाल (Various Eras of Geological Timescale)
1.7.5 भारत में चट्टान प्रणाली के वर्गीकरण पर आधारित भूवैज्ञानिक समय मान (Geological Time Scale Based on Classification of Rock System in India)
1.8 पृथ्वी की आंतरिक संरचना (Internal Structure of the Earth)
1.8.1 परिचय (Introduction)
1.8.2 भूकम्प विज्ञान के साक्ष्य के आधार पर रचनात्मक परतें (Mechanical Layers of the Earth Based on Seismology)
1.8.3 पृथ्वी की यांत्रिक परतें (Mechanical Layers of the Earth)
1.8.4 पृथ्वी के आंतरिक भाग की तापीय एवं भौतिक अवस्था (Thermal and Physical State of the Earth’s Interior)
1.8.5 पृथ्वी के आंतरिक भाग के अध्ययन के स्रोत (Sources to Study The Earth’s Interior)
1.8.6 पृथ्वी की आंतरिक संरचना के सिद्धान्त (Theories of Internal Structure of the Earth’s)
Unit 2: Continents, Oceans, Continental Drift and Plate Tectonics Theory
2.1 महाद्वीपों एवं महासागरों की उत्पत्ति (Origin of Continents and Oceans)
2.1.1 परिचय (Introduction)
2.1.2 महाद्वीपों की उत्पत्ति (Origin of Continents)
2.1.3 महासागरों की उत्पत्ति (Origin of Ocean Formation)
2.1.4 महासागरों घाटियों के निर्माण के चरण – विल्सन चक्र (Stages of Formation of Ocean Basins – Wilson Cycle)
2.1.5 महासागरों तथा महाद्वीपों का वितरण (Distribution of Oceans and Continents)
2.2 भूस्थैतिकता/आइसोस्टेसी का सिद्धान्त (Theory of Isostasy)
2.2.1 परिचय (Introduction)
2.2.2 सर जॉर्ज ऐयरी की अवधारणा (Concept of Sir George Airy)
2.2.3 आर्कडीकॉन प्राट की अवधारणा (Concept of Archdeacon Pratt)
2.2.4 हेफेर्ड तथा बॉवी की अवधारणा (Concept of Hayford and Bowie)
2.2.5 जोली की अवधारणा (Concept of Joly)
2.3 भूकंप (Earthquake)
2.3.1 भूकंप का अर्थ (Meaning of Earthquake)
2.3.2 भूकंप का वर्गीकरण (Classification of Earthquake)
2.3.3 भूकंप के कारण (Causes of Earthquake)
2.3.4 भूकंपीय तरंगें / लहरें (Types of Earthquake Wave)
2.3.5 भूकंप के प्रभाव (Effects of Earthquakes)
2.3.6 भूकंप के लिए उपचारात्मक उपाय (Remedial Measures for Earthquake)
2.3.7 भारत में भूकंप क्षेत्र का वितरण (Distribution of Earthquake Area in India)
2.4 ज्वालामुखी (Volcanoes)
2.4.1 ज्वालामुखी का अर्थ (Meaning of Volcanoes)
2.4.2 ज्वालामुखी के प्रकार (Types of Volcanoes)
2.4.3 ज्वालामुखी विस्फोट के कारण (Causes of Volcanic Eruption)
2.4.4 ज्वालामुखी क्रिया से बनी स्थलाकृतियाँ या भू-आकृतियाँ (Landforms Created by Volcanic Activity)
2.4.5 ज्वालामुखियों का निर्माण (Formation of Volcanoes)
2.4.6 ज्वालामुखी के प्रभाव (Effects of Volcanism)
2.5 भू-सन्नति (Geosynclines)
2.5.1 भू-सन्नति का अवधारण (Concept of Geosynclines)
2.5.2 भू-सन्नति की सामान्य विशेषताएँ (General Characteristics of Geosynclines)
2.5.3 भू-सन्नति के प्रकार (Types of Geosynclines)
2.5.4 कोबर की भू-सन्नति सिद्धांत (Geosynclines Theory by Kober)
2.5.5 भू-सन्नति के अवस्थाएँ (Stages of Geosynclinal)
2.5.6 सिद्धांत की कमजोरी (Weakness of the Theory)
Unit 3: Rocks, Folding and Faulting
3.1 चट्टानें (Rocks)
3.1.1 परिचय (Introduction)
3.1.2 चट्टानों की संरचना (Composition of Rocks)
3.1.3 चट्टानों के प्रकार तथा उनका निर्माण (Types of Rocks and Their Formation)
3.1.4 आग्नेय चट्टानें (Igneous Rocks)
3.1.5 आग्नेय या सघनित चट्टानों की रचना या संघटन (Composition of Igneous Rocks)
3.1.6 अवसादी चट्टानें (Sedimentary Rocks)
3.1.7 कायांतरित / रूपांतरित चट्टानें (Metamorphic Rocks)
3.2 वलन एवं भ्रंशन (Folding and Faulting)
3.2.1 वलन (Folding)
3.2.2 भ्रंशन (Faulting)
3.2.3 भ्रंश से बनी स्थलाकृतियाँ (Landforms Formed by Faults)
3.2.4 वलन तथा भ्रंशन के मध्य अंतर (Difference Between Folding and Faulting)
3.3 अपक्षय (Weathering)
3.3.1 परिचय (Introduction)
3.3.2 अपक्षय को नियंत्रित करने वाले कारक/अपक्षय को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Controlling Weathering/Factors Affecting Weathering)
3.3.3 अपक्षय के प्रकार (Types of Weathering)
3.3.4 अपक्षय का भू-आकृतिक महत्व (Geomorphic Significance of Weathering)
3.4 अपरदन (Erosion)
3.4.1 परिचय (Introduction)
3.4.2 अपरदन के रूप/प्रकार (Forms/Types of Erosion)
3.4.3 अपरदन के मॉडल (Model of Erosion)
3.4.4 डेविस द्वारा अपरदन चक्र (Cycle of Erosion by Davis)
3.4.5 पेंक द्वारा अपरदन चक्र (Cycle of Erosion by Penck)
3.4.6 डेविस चक्र तथा पेंक चक्र के बीच अंतर (Difference Between Davis Cycle and Penck Cycle)
3.4.7 अपक्षय एवं अपरदन में अंतर (Difference Between Weathering and Erosion)
3.5 अपवाह प्रतिरूप (Drainage Pattern)
3.5.1 परिचय (Introduction)
3.5.2 अपवाह प्रतिरूप के प्रकार (Types of Drainage Patterns)
3.5.3 भारत के अपवाह तंत्र (Drainage System of India)
Unit 4: Fluvial, Karst, Aeolian, Glacial and Coastal Landforms
4.1 भू-आकृतियाँ (Landforms)
4.2 नदी भू-आकृतियाँ (Fluvial Landforms)
4.2.1 नदी की प्रक्रिय का परिचय (Introduction to Fluvial Processes)
4.2.2 अपरदन के कारण निर्मित नदी भू-आकृतियाँ (Fluvial Landforms due to Erosion)
4.2.3 परिवहन प्रक्रिया (Transportational Process)
4.2.4 निक्षेपण के कारण नदी की भू-आकृतियाँ (Fluvial Landforms due to Deposition)
4.3 कार्स्ट भू-आकृतियाँ (Karst Landforms)
4.3.1 परिचय (Introduction)
4.3.2 कार्स्ट भू-आकृतियों की विशेषताएँ (Characteristics of Karst)
4.3.3 कार्स्ट के निर्माण के लिए उपयुक्त परिस्थितियाँ (Conditions Suitable for Karst Formation)
4.3.4 अपरदन का कार्स्ट चक्र (The Karst Cycle of Erosion)
4.3.5 कार्स्ट क्षेत्र में अपरदन की क्रियाविधि (Mechanism of Erosion in Karst Region)
4.3.6 अपरदन के कारण विभिन्न कार्स्ट भू-आकृतियाँ (Karst Landforms due to Erosion)
4.3.7 निक्षेपण के कारण कार्स्ट भू-आकृतियाँ (Karst Landforms Due to Depositions)
4.4 वायु निर्मित भू-आकृतियाँ (Aeolian Landforms)
4.4.1 परिचय (Introduction)
4.4.2 वायु निर्मित अपरदन की भू-आकृतियाँ (Aeolian Erosion Landforms)
4.4.3 वायु द्वारा निर्मित परिवहन प्रक्रिया (Aeolian Transportational Process)
4.4.4 वायु निक्षेपण की भू-आकृतियाँ (Aeolian Depositional Landforms)
4.5 हिमनदीय भू-आकृतियाँ (Glacial Landforms)
4.5.1 परिचय (Introduction)
4.5.2 हिमनदियों का निर्माण तथा संचलन (Formation and Movement of Glaciers)
4.5.3 हिमनदों का वर्गीकरण (Classification of Glaciers)
4.5.4 हिमनद अपरदन की भू-आकृतियाँ (Glacial Erosional Landforms)
4.5.5 हिमनदी निक्षेपण (Glacial Depositional Landforms)
4.6 तटीय भू-आकृतियाँ (Coastal Landforms)
4.6.1 परिचय (Introduction)
4.6.2 विभिन्न प्रकार के तटीय भू-आकृतियाँ (Different Types of Coastal Landforms)
4.6.3 तटीय अपरदन भू-आकृतियाँ (Coastal Erosion Landforms)
4.6.4 तटीय निक्षेपण भू-आकृतियाँ (Coastal Deposition Landforms)
Unit 5: Atmosphere and Atmospheric Pressure
5.1 वायुमण्डल (Atmosphere)
5.1.1 वायुमण्डल का अर्थ (Meaning of Atmosphere)
5.1.2 वायुमण्डल की विशेषताएँ (Features of the Atmosphere)
5.1.3 वायुमण्डल का संघटन (Composition of the Atmosphere)
5.1.4 वायुमण्डल की संरचना (Structure of the Atmosphere)
5.2 सूर्यताप (Insolation)
5.2.1 परिचय (Introduction)
5.2.2 सूर्यताप को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Affecting Insolation)
5.2.3 वायुमण्डल का तापन तथा शीतलन (Heating and Cooling of the Atmosphere)
5.3 वायुमण्डलीय दबाव (Atmospheric Pressure)
5.3.1 परिचय (Introduction)
5.3.2 वायु दाब को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Affecting Air Pressure)
5.3.3 वायु दाब का वितरण (Distribution of Air Pressure)
5.3.4 आइसोबार (समदाब रेखा) (Isobars)
5.3.5 दाब प्रवणता (Pressure Gradient)
5.3.6 दाब पेटी (Pressure Belts)
5.4 पवन (Wind)
5.4.1 पवन का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Wind)
5.4.2 पवन की दिशा (Direction of Wind)
5.4.3 पवनों के प्रवाह तथा दिशा को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Affecting the Flow and Direction of Wind)
5.4.4 पवन के प्रकार (Types of Wind)
Unit 6: Tropospheric Conditions
6.1 वायु राशियाँ (Air Masses)
6.1.1 वायु राशियों का अर्थ एवं परिभाषाएँ (Meaning and Definitions of Air Masses)
6.1.2 वायु राशियों की विशेषताएँ (Characteristics of Air Masses)
6.1.3 वायु राशियों का निर्माण (Formation of Air Masses)
6.1.4 वायु राशियों में कोड (Codes in Air Masses)
6.1.5 वायु राशियों का वर्गीकरण (Categories of Air Masses)
6.1.6 सामान्य प्रकार की वायु राशियाँ (General Types of Air Masses)
6.1.7 वायु राशियों की उत्पत्ति / स्रोत क्षेत्र (Origin/Source Regions of Air Masses)
6.1.8 वायु राशियों का संचलन तथा संशोधन (Movement and Modification of Air Masses)
6.2 वाताग्र (Fronts)
6.2.1 वाताग्र का अर्थ (Meaning of Fronts)
6.2.2 वाताग्र की विशेषताएँ (Characteristics of Fronts)
6.2.3 वाताग्र के क्षेत्र (Zones of Fronts)
6.2.4 वाताग्र का निर्माण (Formation of Fronts)
6.2.5 वाताग्र के प्रकार (Types of Fronts)
6.3 चक्रवात (Cyclones)
6.3.1 चक्रवात का अर्थ (Meaning of Cyclones)
6.3.2 चक्रवातों की विशेषताएँ (Characteristics of Cyclones)
6.3.3 चक्रवात के कारण (Causes of Cyclone)
6.3.4 चक्रवात का प्रभाव / चक्रवात के परिणाम (Effects of Cyclones)
6.3.5 चक्रवातों के प्रकार (Types of Cyclones)
6.3.6 शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात (Temperate Cyclones)
6.3.7 उष्णकटिबंधीय चक्रवात (Tropical Cyclones)
6.3.8 तड़ित झंझा एवं टारनेडो / बवंडर (Thunderstorms and Tornadoes)
6.4 प्रतिचक्रवात (Anticyclones)
6.4.1 प्रतिचक्रवात का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Anticyclones)
6.4.2 प्रतिचक्रवातों का निर्माण (Formation of Anticyclones)
6.4.3 प्रतिचक्रवात की विशेषताएँ (Characteristics of Anticyclones)
6.4.4 प्रतिचक्रवात के प्रकार (Types of Anticyclones)
6.4.5 प्रतिचक्रवात की संरचना (Structure of Anticyclones)
6.4.6 प्रतिचक्रवात का प्रभाव (Effects of Anticyclones)
6.4.7 चक्रवात तथा प्रतिचक्रवात के मध्य अंतर (Difference between Cyclones and Anticyclones)
6.5 आर्द्रता (Humidity)
6.5.1 आर्द्रता का अर्थ (Meaning of Humidity)
6.5.2 आर्द्रता का मापन (Measurement of Humidity)
6.5.3 वाष्पीकरण (Evaporation)
6.5.4 संघनन (Condensation)
6.6 वर्षण (Precipitation)
6.6.1 वर्षण का अर्थ (Meaning of Precipitation)
6.6.2 वर्षण का स्वरूप (Forms of Precipitation)
6.6.3 वर्षण का वितरण (Distribution of Precipitation)
6.7 वर्ष के प्रकार (Rainfall Types)
6.7.1 संवहनिक या संवहनी वर्षा (Convectional or Convective Rainfall)
6.7.2 पर्वतीय या उच्चावच वर्षा (Orographic or Relief Rainfall)
6.7.3 चक्रवाती या वाताग्र वर्षा (Cyclonic/ Frontal Rainfall)
Unit 7: Ocean Bottoms and Deposits
7.1 महासागरीय नितल (Ocean Bottoms)
7.1.1 परिचय (Introduction)
7.1.2 महासागरीय नितल का अर्थ (Meaning of Ocean Bottoms)
7.1.3 महासागरीय नितल की विशेषताएँ (Characteristics of Ocean Bottoms)
7.1.4 महासागर के नितल उच्चावच का विभाजन (Characteristics of Ocean Bottoms)
7.1.5 सामान्य उच्चावच की आकृतियाँ (Minor Relief Features)
7.1.6 विभिन्न महासागरों का नितल उच्चावच (Bottom Relief of Various Oceans)
7.1.7 प्रशांत महासागर का नितल उच्चावच (Bottom Relief of Pacific Oceans)
7.1.8 हिंद महासागर का नितल उच्चावच (Bottom Relief/Configuration of Indian Oceans)
7.1.9 अटलांटिक महासागर का नितल उच्चावच (Bottom Relief of Atlantic Oceans)
7.2 समुद्री जल तापमान का संघटन (Composition of Marine Water-Temperature)
7.2.1 परिचय (Introduction)
7.2.2 तापमान की दैनिक सीमा (Daily Range of Temperature)
7.2.3 तापमान की वार्षिक सीमा (Annual Range of Temperature)
7.2.4 महासागरीय तापमान का वितरण (Distribution of Ocean Temperature)
7.2.5 तापमान का क्षैतिज वितरण (Horizontal Distribution of Temperature)
7.2.6 तापमान का लंबवत वितरण (Vertical Distribution of Temperature)
7.2.7 महासागरीय जल तापमान वितरण को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Affecting Distribution of Ocean Temperature)
7.3 समुद्री जल की लवणता (Salinity of Sea Water)
7.3.1 परिचय (Introduction)
7.3.2 लवणता की संघटन (Composition of Salinity)
7.3.3 लवणता के स्रोत (Sources of Salinity)
7.3.4 समुद्री जल की लवणता को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Affecting Salinity of Ocean Water)
7.3.5 लवणता का वितरण (Distribution of Salinity)
7.3.6 क्षैतिज वितरण (Horizontal Distribution)
7.3.7 लंबवत वितरण (Vertical Distribution)
7.4 महासागरीय जल का परिसंचरण (Circulation of Ocean Water)
7.4.1 परिचय (Introduction)
7.4.2 महासागरीय लहरें (Ocean Waves)
7.4.3 महासागरीय धाराएँ (Ocean Currents)
7.4.4 महासागरीय ज्वार-भाटा (Ocean Tides)
Unit 8: Biosphere and Biome
8.1 जीवमण्डल/जैवमण्डल (Biosphere)
8.1.1 परिचय (Introduction)
8.1.2 जैवमण्डल के घटक (Components of Biosphere)
8.1.3 जैवमण्डल का महत्व (Importance of Biosphere)
8.2 जैविक/पारिस्थितिकी अनुक्रण (Biotic/Ecological Succession)
8.2.1 जैविक/पारिस्थितिकी अनुक्रण का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Biotic/Ecological Succession)
8.2.2 पारिस्थितिकी अनुक्रण के प्रकार (Types of Ecological Succession)
8.2.3. पारिस्थितिकी अनुक्रण के कारक (Factors of Ecological Succession)
8.2.4. पारिस्थितिकी अनुक्रण की अवस्थाएँ (Stages of Ecological Succession)
8.2.5. जैविक या पारिस्थितिकी अनुक्रण के कारण (Causes of Ecological Succession)
8.2.6. जैविक या पारिस्थितिकी अनुक्रण का महत्व (Importance of Ecological Succession)
8.3 बायोम (Biome)
8.3.1 बायोम का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Biome)
8.3.2 बायोम का निर्धारण करने वाले कारक (Factors Determining Biomes)
8.3.3 बायोम का वर्गीकरण (Classification of Biomes)
8.3.4 वन (Forest)
8.3.5 घास के मैदान (Grasslands)
8.3.6 मरुस्थल (Deserts)
8.3.7 टुंड्रा (Tundra)
8.3.8 मीठे जल के बायोम (Freshwater Biome)
8.3.9 समुद्री बायोम (Marine Biome)
8.3.10 बायोम तथा पारिस्थितिकी तंत्र के मध्य अंतर (Difference between Biome and Ecosystem)
8.3.11 स्थलीय तथा जलीय बायोम के मध्य अंतर (Difference between Terrestrial and Aquatic Biomes)
8.4 विश्व के प्राणी-भौगोलिक प्रदेश (Zoogeographic Regions of the World)
8.4.1 पेलआर्कटिक प्रदेश (Palaearctic Region)
8.4.2 नियार्कटिक प्रदेश (Nearctic Region)
8.4.3 नियोट्रॉपिकल प्रदेश (Neotropical Region)
8.4.4 इथियोपियन प्रदेश (Ethiopian Region)
8.4.5 ओरिएंटल प्रदेश (Oriental Region)
8.4.6 ऑस्ट्रेलियन प्रदेश (Australian Region)
thanks!

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