• Skip to primary navigation
  • Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer

GKPAD.COM

ONLINE HINDI EDUCATION PORTAL

  • Home
  • Blog
  • Sarkari Result
  • University Books
  • University Syllabus
  • University Papers
  • About Us

BA 3rd Semester Geography Question Answers

BA 3rd Semester Geography Question Answers

BA 3rd Semester Geography Question Answers: इस पेज पर बीए थर्ड सेमेस्टर के छात्रों के लिए जियोग्राफी (भूगोल) का Question Answer, Short Format और MCQs Format में दिए गये हैं |

  • BA Books (Free Download)
  • BA Question Papers (Free Download)

थर्ड सेमेस्टर में “Environment, Disaster Management and Climate Change (पर्यावरण, आपदा प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन)” पेपर पढाया जाता है | यहाँ आपको टॉपिक वाइज प्रश्न उत्तर और नोट्स मिलेंगे |

BA 3rd Semester Geography Online Test in Hindi

इस पेज पर बीए थर्ड सेमेस्टर के छात्रों के लिए जियोग्राफी के ऑनलाइन टेस्ट का लिंक दिया गया है | इस टेस्ट में लगभग 350 प्रश्न दिए गये हैं |

Geography Online Test in Hindi

पेज ओपन करने पर आपको इस तरह के प्रश्न मिलेंगे |

उत्तर देने के लिए आपको सही विकल्प पर क्लिक करना होगा | अगर उत्तर सही होगा तो विकल्प “Green” हो जायेगा और अगर गलत होगा तो “Red“.

आपने कितने प्रश्नों को हल किया है, कितने सही हैं और कितने गलत यह quiz के अंत में दिखाया जायेगा |

आप किसी प्रश्न को बिना हल किये आगे भी बढ़ सकते हैं | अगले प्रश्न पर जाने के लिए “Next” और पिछले प्रश्न पर जाने के लिए “Previous” बटन पर क्लिक करें |

Quiz के अंत में आप सभी प्रश्नों को पीडीऍफ़ में फ्री डाउनलोड भी कर सकते हैं |

Environment, Disaster Management and Climate Change (पर्यावरण, आपदा प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन)

अध्याय 1: पर्यावरण, पारिस्थितिकी और पारिस्थितिकी तंत्र

👉 टेस्ट देने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें -> Online Test

अध्याय 2: जैव विविधता और सतत विकास

👉 टेस्ट देने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें -> Online Test

अध्याय 3: वनोन्मूलन, मरुस्थलीकरण और प्रदूषण

👉 टेस्ट देने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें -> Online Test

अध्याय 4: गंगा कार्य योजना

👉 टेस्ट देने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें -> Online Test

अध्याय 5: जलवायु परिवर्तन का विज्ञान

👉 टेस्ट देने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें -> Online Test

अध्याय 6: वैश्विक जलवायु परिवर्तन, प्रभाव और मूल्यांकन

👉 टेस्ट देने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें -> Online Test

अध्याय 7: प्राकृतिक आपदाएँ

👉 टेस्ट देने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें -> Online Test

अध्याय 8: आपदाएँ और आपदा प्रबंधन

👉 टेस्ट देने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें -> Online Test

BA 3rd Semester Geography Important Question Answers

Environment, Disaster Management and Climate Change (पर्यावरण, आपदा प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन)

Unit 1: Environment, Ecology & Ecosystem

प्रश्न 1: पर्यावरण की अवधारणा क्या है?

उत्तर:

I. परिभाषा: पर्यावरण (Environment) वह सम्पूर्ण भौतिक, रासायनिक, जैविक, सामाजिक और सांस्कृतिक परिवेश है जिसमें जीव रहते हैं और जो उनके जीवन और विकास को प्रभावित करता है।

II. व्यापकता: यह मानव और प्रकृति के बीच की अंतःक्रियाओं को शामिल करता है, जिसमें वातावरण, पृथ्वी के घटक, और जीवन का सम्पूर्ण जाल शामिल है।

प्रश्न 2: पर्यावरण के घटक / आयाम क्या हैं?

उत्तर:

I. जैविक घटक: सभी जीवित प्राणी जैसे पौधे, जानवर, और माइक्रोब्स।

II. अजैविक घटक: वायु, जल, मृदा, प्रकाश, तापमान, और अन्य भौतिक और रासायनिक कारक।

III. सामाजिक-आर्थिक घटक: मानवीय गतिविधियाँ, संस्कृति, आर्थिक प्रणालियाँ जो पर्यावरण को प्रभावित करती हैं।

प्रश्न 3: पर्यावरण अध्ययन का क्षेत्र क्या है?

उत्तर:

I. व्यापकता: पर्यावरण अध्ययन मानव और पारिस्थितिकी तंत्र के बीच संबंधों का विश्लेषण करता है, जिसमें प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन, प्रदूषण नियंत्रण, और स्थायित्व शामिल है।

II. बहु-विषयकता: इसमें जीव विज्ञान, भूगोल, रसायन विज्ञान, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र, कानून, और नीति निर्माण जैसी विभिन्न शाखाओं का एकीकरण होता है।

III. अनुप्रयोग: इसका उद्देश्य पर्यावरणीय समस्याओं को समझना, उनका समाधान करना और नीतियों को विकसित करना है।

प्रश्न 4: पर्यावरण की संरचना / मंडल क्या हैं?

उत्तर:

I. वायुमंडल (Atmosphere): वायु और गैसों की परत जो पृथ्वी को घेरे हुए है।

II. जलमंडल (Hydrosphere): पृथ्वी पर सारा जल, चाहे वह समुद्र, नदी, हिमनद या भूजल हो।

III. स्थलमंडल (Lithosphere): पृथ्वी की ठोस सतह जिसमें पहाड़, मैदान, और पृथ्वी की क्रस्ट शामिल है।

IV. जीवमंडल (Biosphere): जहां जीवन मौजूद है, ये सभी मंडलों के मिलन स्थल पर है।

प्रश्न 5: पर्यावरण का महत्व क्या है?

उत्तर:

I. जीवन का समर्थन: पर्यावरण जीवन का आधार है, जो हवा, पानी, भोजन, और आश्रय प्रदान करता है।

II. पारिस्थितिक संतुलन: यह पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बनाए रखता है जो जैव विविधता के लिए आवश्यक है।

III. आर्थिक मूल्य: पर्यावरणीय संसाधन कृषि, उद्योग, पर्यटन आदि के लिए आर्थिक मूल्य रखते हैं।

IV. स्वास्थ्य और कल्याण: एक स्वस्थ पर्यावरण मानव स्वास्थ्य और मानसिक कल्याण को बढ़ावा देता है।

प्रश्न 6: पारिस्थितिकी की अवधारणा क्या है?

उत्तर:

I. परिभाषा: पारिस्थितिकी (Ecology) जीवों और उनके पर्यावरण के बीच परस्पर संबंधों का विज्ञान है।

II. विश्लेषण: यह जीवों के वितरण, प्रचुरता, और उनकी परस्पर क्रियाओं का अध्ययन करती है, जिसमें उनका वास स्थान और अनुकूलन शामिल हैं।

प्रश्न 7: पारिस्थितिकी के घटक / शाखाएँ क्या हैं?

उत्तर:

I. सूक्ष्म पारिस्थितिकी (Microecology): छोटे जीवों जैसे बैक्टीरिया का अध्ययन।

II. स्थानिक पारिस्थितिकी (Spatial Ecology): जीवों के वितरण का अध्ययन।

III. जनसंख्या पारिस्थितिकी (Population Ecology): जनसंख्या के विकास, घटाव और प्रवासन का अध्ययन।

IV. समुदाय पारिस्थितिकी (Community Ecology): अलग-अलग प्रजातियों के बीच संबंधों का अध्ययन।

V. पारिस्थितिकी तंत्र पारिस्थितिकी (Ecosystem Ecology): पारिस्थितिकी तंत्र के संरचना और कार्यों का अध्ययन।

प्रश्न 8: पारिस्थितिकी की भूमिका क्या है?

उत्तर:

I. जैव विविधता की सुरक्षा: पारिस्थितिकी संतुलन को समझना जैव विविधता के संरक्षण में मदद करता है।

II. पर्यावरणीय प्रबंधन: यह पर्यावरणीय समस्याओं के समाधान के लिए आधार प्रदान करती है।

III. स्थायित्व: पारिस्थितिकी स्थायी विकास के लिए आवश्यक ज्ञान देती है।

IV. शैक्षिक महत्व: यह पर्यावरणीय शिक्षा और जागरूकता बढ़ाती है।

प्रश्न 9: पारिस्थितिकी संबंधों के प्रकार क्या हैं?

उत्तर:

I. परजीविता (Parasitism): एक जीव दूसरे जीव के खर्च पर जीवित रहता है।

II. पारस्परिकता (Mutualism): दोनों जीव एक-दूसरे को लाभ पहुँचाते हैं।

III. अनुप्रस्थिता (Commensalism): एक जीव को लाभ होता है जबकि दूसरे पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

IV. प्रतियोगिता (Competition): संसाधनों के लिए दो या दो से अधिक प्रजातियों के बीच प्रतिस्पर्धा।

V. शिकार (Predation): एक जीव दूसरे को खाता है।

प्रश्न 10: पारिस्थितिकी में संगठन के स्तर क्या हैं?

उत्तर:

I. जीव (Organism): सबसे छोटा स्तर, एकल जीव।

II. जनसंख्या (Population): एक ही प्रजाति के सदस्यों का समूह।

III. समुदाय (Community): एक ही क्षेत्र में रहने वाली विभिन्न जनसंख्याएँ।

IV. पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem): समुदाय और उसके वातावरण का संयोजन।

V. जीवमंडल (Biosphere): सभी पारिस्थितिकी तंत्रों का समष्टि।

प्रश्न 11: पारिस्थितिकी पिरामिड क्या हैं?

उत्तर:

I. संख्यात्मक पिरामिड (Pyramid of Numbers): जीवों की संख्या को दर्शाता है।

II. बायोमास पिरामिड (Pyramid of Biomass): जीवों के जैव द्रव्यमान को दर्शाता है।

III. ऊर्जा पिरामिड (Pyramid of Energy): प्रत्येक ट्रॉफिक स्तर में उपलब्ध ऊर्जा को दर्शाता है।

हर पिरामिड पारिस्थितिकी तंत्र में ऊर्जा के प्रवाह और जीवों के बीच संबंधों को समझने में मदद करता है।

प्रश्न 12: पारिस्थितिकी तंत्र की अवधारणा क्या है?

उत्तर:

I. परिभाषा: पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) एक ऐसी इकाई है जिसमें जीवित जीव (जैविक घटक) और उनका अजैविक परिवेश एक साथ मिलकर एक संतुलित प्रणाली बनाते हैं, जहां ऊर्जा प्रवाह और पदार्थों का आदान-प्रदान होता है।

II. संतुलन: यह जीवों के बीच और जीवों और उनके वातावरण के बीच की अंतःक्रिया को दर्शाता है।

प्रश्न 13: पारिस्थितिकी तंत्र के घटक / संरचना क्या हैं?

उत्तर:

I. जैविक घटक (Biotic Components): उत्पादक (Producer), उपभोक्ता (Consumer), और विघटक (Decomposer)।

II. अजैविक घटक (Abiotic Components): वायु, जल, मृदा, तापमान, प्रकाश, और रासायनिक कारक।

III. संरचना: इन घटकों का व्यवस्थित रूप से संबंध जो एक पारिस्थितिकी तंत्र को परिभाषित करता है।

प्रश्न 14: अजैविक घटक क्या हैं?

उत्तर:

I. वायु: ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, कार्बन डाइऑक्साइड आदि।

II. जल: वर्षा, नदियाँ, समुद्र, भूजल।

III. मृदा: मिट्टी का प्रकार, पोषक तत्व।

IV. तापमान: जलवायु की स्थिति।

V. प्रकाश: सूर्य का प्रकाश जो उत्पादन के लिए आवश्यक है।

VI. रासायनिक कारक: pH, खनिज, प्रदूषक।

प्रश्न 15: जैविक घटक क्या हैं?

उत्तर:

I. उत्पादक (Producer): पौधे जो प्रकाश संश्लेषण द्वारा ऊर्जा बनाते हैं।

II. प्राथमिक उपभोक्ता (Primary Consumers): शाकाहारी जीव जो पौधों को खाते हैं।

III. द्वितीयक उपभोक्ता (Secondary Consumers): मांसाहारी जीव जो प्राथमिक उपभोक्ताओं को खाते हैं।

IV. तृतीयक उपभोक्ता (Tertiary Consumers): शीर्ष शिकारी जो द्वितीयक उपभोक्ताओं को खाते हैं।

V. विघटक (Decomposer): बैक्टीरिया और फफूंद जो जैविक अपशिष्ट को विघटित करते हैं।

Unit 2: Bio-Diversity & Sustainable Development

प्रश्न 1: जैव विविधता का अर्थ एवं परिभाषाएँ क्या हैं?

उत्तर:

I. अर्थ: जैव विविधता (Bio-diversity) एक क्षेत्र या पारिस्थितिकी तंत्र में जीवों की विविधता को दर्शाता है।

II. परिभाषा: यह जीवों की विभिन्नता और उनके जीन, प्रजातियाँ, और पारिस्थितिकी तंत्र को समाहित करती है, जो प्रकृति के जीवन समर्थन प्रणालियों की नींव है।

प्रश्न 2: जैव विविधता के स्तर क्या हैं?

उत्तर:

I. आनुवंशिक विविधता (Genetic Diversity): एक ही प्रजाति के भीतर जीन की विविधता।

II. प्रजातीय विविधता (Species Diversity): एक क्षेत्र में पाई जाने वाली प्रजातियों की संख्या और विविधता।

III. पारिस्थितिकी तंत्र विविधता (Ecosystem Diversity): विभिन्न प्रकार के पारिस्थितिकी तंत्रों की उपस्थिति और विविधता।

प्रश्न 3: जैव विविधता का महत्व क्या है?

उत्तर:

I. पारिस्थितिकीय संतुलन: जैव विविधता पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बनाए रखने में मदद करती है।

II. मानव स्वास्थ्य और भोजन: यह मानव के लिए भोजन, दवा, और अन्य संसाधन प्रदान करती है।

III. आर्थिक लाभ: पर्यटन, कृषि, मछली पालन आदि से आर्थिक लाभ।

IV. जलवायु नियंत्रण: जैव विविधता जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकती है।

प्रश्न 4: भारत का जैव-भौगोलिक वर्गीकरण क्या है?

उत्तर:

I. जैव-भौगोलिक क्षेत्र: भारत को 10 जैव-भौगोलिक क्षेत्रों में विभाजित किया गया है, जिनमें हिमालय, मालाबार कोस्ट, और देक्कन पठार शामिल हैं।

II. विविधता का केंद्र: ये क्षेत्र अपनी अद्वितीय जैव विविधता के लिए जाने जाते हैं, जिसमें उच्च स्तर की प्रजातीय विविधता और एंडेमिक प्रजातियाँ होती हैं।

प्रश्न 5: वैश्विक, राष्ट्रीय एवं स्थानीय स्तर पर जैव विविधता क्या है?

उत्तर:

I. वैश्विक स्तर: विश्व स्तर पर जैव विविधता का वितरण, जिसमें जैव विविधता के हॉटस्पॉट शामिल हैं।

II. राष्ट्रीय स्तर: एक देश के भीतर जैव विविधता, जैसे कि भारत में राष्ट्रीय उद्यानों और आरक्षित वनों के माध्यम से।

III. स्थानीय स्तर: स्थानीय पर्यावरण में पाई जाने वाली जैव विविधता, जैसे कि गाँव के आसपास के पारिस्थितिकी तंत्र।

प्रश्न 6: भारत एक मेगा-विविधता राष्ट्र के रूप में क्यों जाना जाता है?

उत्तर:

I. प्रजातियों की विविधता: भारत कई प्रकार के पारिस्थितिकी तंत्र और प्रजातियों का घर है, जिसमें दुनिया की कुल जैव विविधता का एक बड़ा हिस्सा शामिल है।

II. एंडेमिक प्रजातियाँ: भारत में कई ऐसी प्रजातियाँ हैं जो केवल भारत में ही पाई जाती हैं।

III. जैव विविधता हॉटस्पॉट: भारत के पास दो जैव विविधता हॉटस्पॉट हैं – पश्चिमी घाट और हिमालय।

प्रश्न 7: भारत की लुप्तप्राय प्रजातियाँ कौन-कौन सी हैं?

उत्तर:

I. जानवर: बंगाल टाइगर, एशियाई हाथी, ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (जिसे महाराजा का पक्षी भी कहा जाता है), और स्नो लेपर्ड।

II. पौधे: संदलवुड, सागौन, और कई औषधीय पौधे जो अवैध व्यापार के कारण खतरे में हैं।

प्रश्न 8: भारत की स्थानिक प्रजातियाँ कौन-कौन सी हैं?

उत्तर:

I. जानवर: नीलगिरी तहर, लायन-टेल्ड मैकाक, और मल्लीज़ प्लेन्स सांप।

II. पौधे: नीलकुरिंजी, जो पश्चिमी घाट में पाया जाता है और 12 वर्षों में एक बार फूलता है, और कई ऑर्किड प्रजातियाँ।

प्रश्न 9: जैव विविधता संरक्षण की स्थानीय/इन सीटू विधि क्या हैं?

उत्तर:

I. राष्ट्रीय उद्यान: जैसे कि जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क, जो प्राकृतिक वास स्थानों की सुरक्षा करते हैं।

II. वन्यजीव अभयारण्य: विशिष्ट प्रजातियों के संरक्षण के लिए।

III. जैव विविधता हॉटस्पॉट: पश्चिमी घाट, जहाँ संरक्षण प्राथमिकता है।

IV. पवित्र वन: पारंपरिक रूप से संरक्षित क्षेत्र जो धार्मिक महत्व रखते हैं।

प्रश्न 10: जैव विविधता संरक्षण की गैर-स्थानिक विधि/एक्स सीटू क्या हैं?

उत्तर:

I. बोटैनिकल गार्डन: पौधों की दुर्लभ प्रजातियों को बचाने के लिए।

II. चिड़ियाघर और प्रजनन केंद्र: वन्यजीवों को कैद में प्रजनन करने और संख्या बढ़ाने के लिए।

III. जीन बैंक: बीज, जीन, या ऊतक को संरक्षित करने के लिए जहाँ से भविष्य में पुनर्स्थापना की जा सके।

IV. शीतलन और संरक्षण: जीवों के नमूनों को शीतलन के माध्यम से लंबे समय तक संरक्षित करना।

प्रश्न 11: स्थिरता की अवधारणा क्या है?

उत्तर:

I. परिभाषा: स्थिरता (Sustainability) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग ऐसे तरीके से किया जाता है कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए पर्याप्त संसाधन बचे रहें।

II. तीन स्तंभ: स्थिरता को आर्थिक, पर्यावरणीय, और सामाजिक स्तंभों पर आधारित माना जाता है।

प्रश्न 12: स्थिरता की आवश्यकता क्या है?

उत्तर:

I. संसाधनों की सीमा: प्राकृतिक संसाधन सीमित हैं, इसलिए उनका दीर्घकालिक उपयोग सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।

II. जनसंख्या वृद्धि: बढ़ती जनसंख्या के कारण संसाधनों की माँग में वृद्धि।

III. पर्यावरणीय संकट: जैसे कि जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, और पारिस्थितिकी तंत्र का विनाश।

IV. सामाजिक न्याय: संसाधनों का उचित वितरण और भविष्य की पीढ़ियों के लिए उनका संरक्षण।

प्रश्न 13: सतत विकास का अर्थ एवं परिभाषाएँ क्या हैं?

उत्तर:

I. अर्थ: सतत विकास (Sustainable Development) वह विकास है जो वर्तमान जरूरतों की पूर्ति करते हुए भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी संसाधनों की उपलब्धता को सुनिश्चित करता है।

II. परिभाषा: यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो आर्थिक विकास को पर्यावरणीय संरक्षण और सामाजिक उन्नति के साथ संतुलन में रखती है।

प्रश्न 14: सतत विकास के सिद्धांत क्या हैं?

उत्तर:

I. संसाधनों का न्यायसंगत उपयोग: संसाधनों का उपयोग इस तरह से किया जाए कि सभी को लाभ मिले और किसी को नुकसान नहीं।

II. सामाजिक समावेश: सभी वर्गों के विकास में भागीदारी।

III. पर्यावरणीय संरक्षण: प्राकृतिक संसाधनों को बचाना और बहाल करना।

IV. आर्थिक स्थिरता: आर्थिक विकास जो पर्यावरण की कीमत पर न हो।

V. भविष्य के लिए योजना: दीर्घकालिक सोच के साथ नीतियां बनाना।

प्रश्न 15: स्थिरता का संकेतक क्या हैं?

उत्तर:

I. पर्यावरणीय संकेतक: जैसे कि हवा और जल की गुणवत्ता, जैव विविधता का स्तर, और कार्बन उत्सर्जन।

II. आर्थिक संकेतक: जीडीपी, रोजगार दर, और सतत उद्यमों का प्रतिशत।

III. सामाजिक संकेतक: जीवन स्तर, शिक्षा, स्वास्थ्य, और सामाजिक समानता।

IV. संस्थागत संकेतक: नीतियों, कानूनों, और प्रशासन की गुणवत्ता जो स्थिरता को बढ़ावा देती है।

प्रश्न 16: अस्थिरता के कारण क्या हैं?

उत्तर:

I. अत्यधिक उपभोग: संसाधनों का अधिक उपयोग।

II. प्रदूषण: वायु, जल, और भूमि प्रदूषण से पर्यावरणीय क्षति।

III. जनसंख्या वृद्धि: बढ़ती जनसंख्या के कारण संसाधनों पर दबाव।

IV. आर्थिक मॉडल: जो केवल विकास पर केंद्रित हैं, न कि स्थिरता पर।

V. अज्ञानता और जागरूकता की कमी: पर्यावरणीय मुद्दों के प्रति जनता और नीति निर्माताओं की कम जागरूकता।

प्रश्न 17: असतत से सतत विकास की ओर कैसे जाया जा सकता है?

उत्तर:

I. नीतिगत परिवर्तन: जलवायु और पर्यावरण की नीतियों को मजबूत करना।

II. शिक्षा और जागरूकता: सतत जीवनशैली के बारे में जागरूकता बढ़ाना।

III. प्रौद्योगिकी और नवाचार: हरित प्रौद्योगिकियों को अपनाना।

IV. समुदाय आधारित प्रयास: स्थानीय स्तर पर सतत प्रथाओं को बढ़ावा।

V. आर्थिक प्रोत्साहन: सतत व्यवसायों को प्रोत्साहन और अनुदान।

प्रश्न 18: सतत विकास का महत्व क्या है?

उत्तर:

I. भविष्य की पीढ़ियों के लिए सुरक्षा: संसाधनों की उपलब्धता को सुनिश्चित करना।

II. पर्यावरणीय संतुलन: प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्रों की सुरक्षा।

III. आर्थिक स्थायित्व: लंबे समय तक चलने वाली आर्थिक वृद्धि।

IV. सामाजिक न्याय: सभी के लिए समान अवसर।

V. जलवायु परिवर्तन का प्रबंधन: जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए।

Unit 3: Deforestation, Desertification & Pollution

प्रश्न 1: वनोन्मूलन का परिचय क्या है?

उत्तर:

I. परिभाषा: वनोन्मूलन (Deforestation) वन क्षेत्रों की स्थायी हानि है जो मानवीय गतिविधियों के कारण होती है।

II. प्रभाव: यह पारिस्थितिकी तंत्र, जलवायु, और जैव विविधता पर गंभीर प्रभाव डालता है।

प्रश्न 2: वनोन्मूलन के कारण क्या हैं?

उत्तर:

I. कृषि विस्तार: खेती के लिए जमीन का उपयोग।

II. शहरीकरण: नगरों के विस्तार के लिए वनों की कटाई।

III. खनन और उद्योग: संसाधनों के दोहन के लिए।

IV. लकड़ी का अत्यधिक उपयोग: जलाऊ लकड़ी और निर्माण सामग्री के लिए।

प्रश्न 3: वनोन्मूलन के प्रभाव क्या हैं?

उत्तर:

I. जैव विविधता हानि: वन्यजीवों का आवास नष्ट होना।

II. जलवायु परिवर्तन: कार्बन डाइऑक्साइड की अधिकता।

III. मृदा अपरदन: मिट्टी का क्षरण बढ़ना।

IV. जल चक्र में व्यवधान: बाढ़ और सूखे की आवृत्ति में वृद्धि।

प्रश्न 4: वनोन्मूलन नियंत्रण हेतु व्यक्तिगत प्रयास क्या हो सकते हैं?

उत्तर:

I. पेड़ लगाना: व्यक्तिगत स्तर पर पेड़ लगाना।

II. कागज का पुनर्चक्रण: कम कागज का उपयोग करना।

III. जागरूकता फैलाना: समुदाय में वन संरक्षण की जागरूकता।

IV. उत्पादों का सावधानीपूर्वक चयन: जो कम वन संसाधन का उपयोग करते हों।

प्रश्न 5: वनोन्मूलन का नियंत्रण – वनीकरण कार्यक्रम क्या हैं?

उत्तर:

I. वनीकरण: नए वनों का निर्माण या मौजूदा वनों की पुनर्स्थापना।

II. सामुदायिक वन प्रबंधन: स्थानीय समुदायों को वन प्रबंधन में शामिल करना।

III. कानूनी नीतियाँ: वन संरक्षण और पुनर्स्थापन के लिए नियम।

IV. अनुसंधान और शिक्षा: वनीकरण की तकनीकों पर ध्यान केंद्रित।

प्रश्न 6: मृदा अपरदन का परिचय क्या है?

उत्तर:

I. परिभाषा: मृदा अपरदन (Soil Erosion) मिट्टी का अपघटन और विस्थापन है।

II. प्रकार: पानी, हवा, और मानवीय गतिविधियों से हो सकता है।

प्रश्न 7: मृदा अपरदन के प्रकार क्या हैं?

उत्तर:

I. जल अपरदन: बारिश, नदियाँ, और बाढ़ से।

II. हवा अपरदन: धूल तूफानों से।

III. मानवीय अपरदन: खेती, निर्माण, और लॉगिंग से।

प्रश्न 8: मृदा अपरदन के कारण क्या हैं?

उत्तर:

I. वनोन्मूलन: पेड़ों की कमी से मिट्टी की सुरक्षा कम होती है।

II. अत्यधिक कृषि: जमीन का अत्यधिक उपयोग।

III. पशुओं का चराई: घास के कम हो जाने से।

IV. खराब सिंचाई प्रथाएं: जो मिट्टी को कमजोर करती हैं।

प्रश्न 9: मृदा अपरदन के प्रभाव क्या हैं?

उत्तर:

I. उर्वरता की हानि: मिट्टी की उपजाऊ परत का ह्रास।

II. पानी की गुणवत्ता: मिट्टी और रसायनों का जल स्रोतों में जाना।

III. मरुस्थलीकरण: मिट्टी का नुकसान मरुस्थल बनाने की ओर ले जाता है।

IV. आर्थिक नुकसान: कृषि उत्पादन में कमी।

प्रश्न 10: मृदा अपरदन की रोकथाम कैसे की जा सकती है?

उत्तर:

I. वनीकरण: पेड़ों का रोपण।

II. कंटूर कृषि: भूमि के ढाल के अनुसार खेती।

III. मल्चिंग: मिट्टी को ढकना।

IV. जैविक खेती: रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करना।

प्रश्न 11: मृदा क्षय का परिचय क्या है?

उत्तर:

I. परिभाषा: मृदा क्षय (Soil Exhaustion) मिट्टी की उर्वरता और पोषक तत्वों की हानि है।

II. कारण: लगातार फसल उत्पादन और रासायनिक उर्वरकों का उपयोग।

प्रश्न 12: मृदा क्षय को रोकने के उपाय क्या हैं?

उत्तर:

I. फसल चक्र: विभिन्न फसलों की खेती।

II. जैविक खाद: मिट्टी में पोषक तत्वों को बढ़ाना।

III. जीरो टिलिंग: मिट्टी को हल नहीं करना।

IV. हरी खाद: फसल अवशेषों का उपयोग।

प्रश्न 13: मरुस्थलीकरण का परिचय क्या है?

उत्तर:

I. परिभाषा: मरुस्थलीकरण (Desertification) उपजाऊ भूमि का रेगिस्तान में बदलना है।

II. प्रभाव: यह कृषि और जीवन के लिए उपयोगी भूमि को कम करता है।

प्रश्न 14: मरुस्थलीकरण के कारण क्या हैं?

उत्तर:

I. अत्यधिक चराई: जो घास को समाप्त करती है।

II. वनोन्मूलन: जिससे मिट्टी की सुरक्षा कम होती है।

III. खराब कृषि प्रथाएं: जो मिट्टी को कमजोर करती हैं।

IV. जलवायु परिवर्तन: बदलते मौसम पैटर्न।

प्रश्न 15: मरुस्थलीकरण के प्रभाव और समाधान क्या हैं?

उत्तर:

I. प्रभाव:

  • जैव विविधता की हानि।
  • खाद्य असुरक्षा।
  • आर्थिक हानि।

II. समाधान:

  • सतत कृषि प्रथाएं।
  • पानी का संरक्षण।
  • वनीकरण और पुनर्वनीकरण।
  • समुदाय आधारित प्रबंधन।

प्रश्न 16: प्रदूषण का अर्थ एवं परिभाषाएँ क्या हैं?

उत्तर:

I. अर्थ: प्रदूषण (Pollution) पर्यावरण में ऐसे पदार्थों का मिलना है जो स्वास्थ्य या पारिस्थितिकी तंत्र के लिए हानिकारक होते हैं।

II. परिभाषा: यह वह प्रक्रिया है जिसमें प्राकृतिक वातावरण में हानिकारक पदार्थों का असंतुलित संचय होता है।

प्रश्न 17: प्रदूषण के प्रकार कौन-कौन से हैं?

उत्तर:

I. वायु प्रदूषण: हवा में हानिकारक पदार्थ।

II. जल प्रदूषण: पानी में रसायन या कचरा।

III. मृदा प्रदूषण: मिट्टी में विषाक्त पदार्थ।

IV. ध्वनि प्रदूषण: अत्यधिक शोर।

V. प्रकाश प्रदूषण: अत्यधिक प्रकाश का उपयोग।

प्रश्न 18: वायु प्रदूषण का परिचय क्या है?

उत्तर:

I. परिभाषा: वायु प्रदूषण (Air Pollution) वह स्थिति है जब हवा में ऐसे पदार्थ मिल जाते हैं जो स्वास्थ्य या पर्यावरण के लिए हानिकारक होते हैं।

II. स्रोत: उद्योग, वाहन, और घरेलू गतिविधियाँ।

प्रश्न 19: वायु प्रदूषक कौन-कौन से हैं?

उत्तर:

I. कार्बन मोनोऑक्साइड (CO): अपूर्ण दहन से।

II. सल्फर डाइऑक्साइड (SO2): जीवाश्म ईंधन के जलने से।

III. नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx): वाहनों से।

IV. ओजोन (O3): माध्यमिक प्रदूषक।

V. कणिक पदार्थ (PM): धूल, धुआं।

प्रश्न 20: वायु प्रदूषण के कारण / सम्बंधित समस्याएँ क्या हैं?

उत्तर:

I. औद्योगिक उत्सर्जन: उद्योगों से गैस और कणिक निकास।

II. वाहन उत्सर्जन: वाहनों से होने वाला उत्सर्जन।

III. जलाऊ लकड़ी और कोयला: घरेलू प्रयोग।

IV. कृषि: खेती से जुड़ी गतिविधियाँ।

प्रश्न 21: मानव स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के प्रभाव क्या हैं?

उत्तर:

I. श्वसन रोग: एस्थमा, ब्रोंकाइटिस।

II. हृदय रोग: हृदयाघात का जोखिम बढ़ना।

III. कैंसर: विशेषकर फेफड़ों का।

IV. त्वचा और आँखों की समस्याएँ: जलन और एलर्जी।

प्रश्न 22: वायु प्रदूषण के लिए नियंत्रण उपाय एवं प्रबंधन क्या हैं?

उत्तर:

I. उत्सर्जन नियंत्रण: उद्योगों में फिल्टर्स और स्क्रबर्स।

II. वाहन नियम: उत्सर्जन मानकों को सख्त करना।

III. नवीकरणीय ऊर्जा: सौर या पवन ऊर्जा का उपयोग।

IV. वृक्षारोपण: वायु शुद्धिकरण के लिए।

V. जागरूकता: प्रदूषण कम करने के लिए जन जागरूकता।

प्रश्न 23: जल प्रदूषण का परिचय क्या है?

उत्तर:

I. परिभाषा: जल प्रदूषण (Water Pollution) पानी में हानिकारक पदार्थों का मिलना है, जिससे पानी अमान्य हो जाता है।

II. प्रभाव: जलीय जीवन, मानव स्वास्थ्य, और पारिस्थितिकी तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव।

प्रश्न 24: मृदा प्रदूषण का परिचय क्या है?

उत्तर:

I. परिभाषा: मृदा प्रदूषण (Soil Pollution) मिट्टी में ऐसे पदार्थों की उपस्थिति है जो मृदा की गुणवत्ता को कम करते हैं।

II. स्रोत: कृषि रसायन, औद्योगिक कचरा, और कचरा भराव।

प्रश्न 25: मृदा प्रदूषण से सम्बंधित समस्याएँ / कारण क्या हैं?

उत्तर:

I. रासायनिक उर्वरक: नाइट्रेट्स और फॉस्फेट्स।

II. कीटनाशक: कृषि क्षेत्रों से।

III. औद्योगिक अपशिष्ट: हानिकारक केमिकल्स।

IV. घरेलू कचरा: प्लास्टिक और अन्य गैर-जैविक कचरा।

प्रश्न 26: मृदा प्रदूषण के प्रभाव क्या हैं?

उत्तर:

I. उर्वरता हानि: फसल उत्पादन में कमी।

II. जल प्रदूषण: भूजल को प्रभावित करना।

III. स्वास्थ्य खतरे: मानव और जानवरों के लिए।

IV. जैव विविधता की हानि: मिट्टी में रहने वाले जीवों का नुकसान।

प्रश्न 27: मृदा प्रदूषण के नियंत्रण के उपाय एवं प्रबंधन क्या हैं?

उत्तर:

I. जैविक खेती: रासायनिक उर्वरकों से बचना।

II. कचरा प्रबंधन: सही तरीके से कचरा निपटान।

III. औद्योगिक नियम: कचरा नियंत्रण नियमों को सख्त करना।

IV. मृदा पुनर्स्थापन: प्रदूषित मिट्टी का उपचार।

प्रश्न 28: ठोस अपशिष्ट प्रबंधन का परिचय क्या है?

उत्तर:

I. परिभाषा: ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (Solid Waste Management) ठोस कचरे के संग्रह, परिवहन, प्रसंस्करण, रीसाइक्लिंग, और निपटान की प्रक्रिया है।

II. आवश्यकता: पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता बनाए रखने के लिए।

प्रश्न 29: ठोस अपशिष्ट के कारण क्या हैं?

उत्तर:

I. घरेलू कचरा: रोजमर्रा की जीवनशैली से।

II. व्यावसायिक कचरा: दुकानों, रेस्तरां, और कार्यालयों से।

III. औद्योगिक कचरा: उत्पादन प्रक्रियाओं से।

IV. निर्माण कचरा: भवन निर्माण से।

प्रश्न 30: ठोस अपशिष्ट के प्रकार कौन-कौन से हैं?

उत्तर:

I. जैविक कचरा: भोजन अवशेष, कृषि अवशेष।

II. नॉन-बायोडिग्रेडेबल कचरा: प्लास्टिक, धातु, कांच।

III. खतरनाक कचरा: रसायन, बैटरी, इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट।

IV. रीसाइक्लेबल कचरा: पेपर, कार्डबोर्ड, कुछ प्लास्टिक।

प्रश्न 31: ठोस अपशिष्ट के प्रभाव क्या हैं?

उत्तर:

I. पर्यावरणीय प्रदूषण: मिट्टी और जल को प्रदूषित करना।

II. स्वास्थ्य समस्याएँ: बीमारियों का फैलाव।

III. भूमि का क्षरण: कचरा भराव से भूमि का नुकसान।

IV. जैव विविधता का नुकसान: वन्यजीवों के आवास की हानि।

प्रश्न 32: ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में शामिल चरण क्या हैं?

उत्तर:

I. संग्रह: कचरे को इकट्ठा करना।

II. वर्गीकरण: प्रकार के अनुसार अलग करना।

III. परिवहन: कचरा संग्रह स्थल से प्रसंस्करण या निपटान स्थल तक।

IV. प्रसंस्करण: रीसाइक्लिंग या कम्पोस्टिंग।

V. निपटान: सुरक्षित तरीके से कचरा निपटान।

प्रश्न 33: ठोस अपशिष्ट का निपटान कैसे किया जाता है?

उत्तर:

I. लैंडफिल: कचरा भराव स्थल।

II. जलना: निस्तारण के लिए कचरा जलाना।

III. रीसाइक्लिंग: पुनर्चक्रण संयंत्रों में।

IV. कम्पोस्टिंग: जैविक कचरे को खाद में बदलना।

V. कचरा-से-ऊर्जा: कचरे को ऊर्जा में बदलना।

Unit 4: Ganga Action Plan

प्रश्न 1: गंगा कार्य योजना I क्या थी?

उत्तर:

I. परिचय: गंगा कार्य योजना I (Ganga Action Plan I) 1986 में शुरू की गई एक परियोजना थी जिसका उद्देश्य गंगा नदी के प्रदूषण को कम करना था।

II. लक्ष्य: सीवेज उपचार संयंत्रों की स्थापना, नदी में सीधे मलजल निपटान को रोकना, और नदी की पारिस्थितिकी को बहाल करना।

III. परिणाम: हालांकि, योजना को पूरी तरह से सफल नहीं माना जाता, क्योंकि प्रदूषण कम करने में उल्लेखनीय सफलता नहीं मिली।

प्रश्न 2: गंगा कार्य योजना II क्या थी?

उत्तर:

I. परिचय: गंगा कार्य योजना II (Ganga Action Plan II) 1993 में शुरू की गई जिसका उद्देश्य GAP I के अधूरे कार्यों को पूरा करना और नदी की सफाई के प्रयासों को तेज करना था।

II. विस्तार: इसमें अधिक सीवेज उपचार संयंत्रों का निर्माण, नदी के किनारे के शहरों में प्रदूषण नियंत्रण, और जागरूकता अभियान शामिल थे।

III. चुनौतियाँ: यह योजना भी प्रदूषण कम करने में पूरी तरह सफल नहीं हो सकी, जिससे नमामि गंगे जैसी नई योजनाओं की आवश्यकता पड़ी।

प्रश्न 3: बाघ परियोजना का परिचय क्या है?

उत्तर:

I. परिभाषा: बाघ परियोजना (Project Tiger) भारत में बाघों के संरक्षण हेतु 1973 में शुरू की गई एक सरकारी पहल है।

II. उद्देश्य: बाघों की आबादी को बचाना, उनके आवास को सुरक्षित करना, और पारिस्थितिकीय संतुलन को बनाए रखना।

प्रश्न 4: भारत में बाघ परियोजना प्रारम्भ करने का लक्ष्य क्या था?

उत्तर:

I. संरक्षण: बाघ की जनसंख्या में वृद्धि करना और इनके विलुप्त होने से बचाना।

II. जैव विविधता: बाघों के आवासों की रक्षा करके जैव विविधता को बढ़ावा देना।

III. पारिस्थितिकी तंत्र: स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखना जिसमें बाघ शीर्ष शिकारी हैं।

प्रश्न 5: बाघों का परिचय क्या है?

उत्तर:

I. वैज्ञानिक नाम: पैंथेरा टाइग्रिस (Panthera tigris)।

II. विशेषताएँ: बड़े शिकारी, जो दुनिया के सबसे बड़े बिल्ली प्रजातियों में से एक हैं, ज्ञात पट्टियों के साथ।

III. आवास: वे वनों, घास के मैदान, और आर्द्रभूमि में पाए जाते हैं।

प्रश्न 6: भारत में बाघ परियोजना का इतिहास क्या है?

उत्तर:

I. शुरुआत: 1973 में जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क से प्रारंभ हुआ।

II. विस्तार: समय के साथ, यह कई अन्य राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों में विस्तारित हुआ।

III. मील के पत्थर: बाघों की संख्या में वृद्धि और संरक्षण के लिए नए कानून और नीतियों का निर्माण।

प्रश्न 7: बाघ परियोजना की सूची क्या है?

उत्तर:

I. प्रमुख टाइगर रिजर्व: जिम कॉर्बेट, कान्हा, बांधवगढ़, रणथंभौर, सुंदरबन, और पेनच।

II. विस्तार: अब 53 टाइगर रिजर्व हैं, जिनमें कुछ नए जोड़े गए हैं जैसे नगरहोले, बोर, और मुकुंदरा।

प्रश्न 8: टास्क फोर्स की अनुशंसाएँ क्या थीं?

उत्तर:

I. संरक्षण क्षेत्र: बाघ आवासों के लिए कोर और बफर क्षेत्रों की स्थापना।

II. समुदाय संलग्नता: स्थानीय समुदायों को संरक्षण में शामिल करना और उन्हें संरक्षण के लाभों का हिस्सा देना।

III. अनुसंधान और निगरानी: बाघ जनसंख्या की निगरानी और अनुसंधान को बढ़ावा देना।

IV. वन विभाग की क्षमता: वन विभाग के कर्मियों को प्रशिक्षण और संसाधन प्रदान करना।

प्रश्न 9: बाघों की गणना कैसे की जाती है?

उत्तर:

I. विधि: मुख्यतः फोटोग्राफिक कैप्चर-रिकैप्चर और कैमरा ट्रैप तकनीक का उपयोग किया जाता है।

II. आंकड़े: प्रत्येक क्षेत्र में बाघों की उपस्थिति, उनकी धारियों के पैटर्न के आधार पर पहचान, और जनसंख्या का अनुमान।

III. अन्य तरीके: चिह्नित बाघों का पुनः पहचान, पदचिह्न सर्वेक्षण, और डीएनए नमूने।

प्रश्न 10: बाघ परियोजना द्वारा सृजित रोजगार क्या हैं?

उत्तर:

I. प्रत्यक्ष रोजगार: वन्यजीव रक्षक, गाइड, और पर्यटन से जुड़े कर्मचारी।

II. अप्रत्यक्ष रोजगार: स्थानीय समुदायों द्वारा हस्तशिल्प, होटल, और परिवहन सेवाएं।

III. विकास कार्य: निर्माण कार्य, रखरखाव, और शोध सहायक।

प्रश्न 11: बाघ परियोजना के लिए सरकार के समक्ष चुनौतियाँ क्या हैं?

उत्तर:

I. मानव-बाघ संघर्ष: बाघों और मानव के बीच संघर्ष से उत्पन्न समस्याएँ।

II. अवैध शिकार: बाघों की खाल और अंगों के लिए शिकार।

III. आवास हानि: विकास कार्यों से बाघों का प्राकृतिक आवास खत्म होना।

IV. वित्तीय संसाधन: परियोजना के निरंतर वित्तपोषण की आवश्यकता।

प्रश्न 12: बाघ परियोजना प्रबंधन कैसे किया जाता है?

उत्तर:

I. केंद्रीय प्राधिकरण: राष्ट्रीय टाइगर संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) द्वारा निर्देशन।

II. राज्य स्तरीय: राज्य वन विभागों के साथ समन्वय।

III. वन्यजीव प्रबंधन: संरक्षण, निगरानी, और पुनर्वास कार्यक्रम।

IV. समुदाय भागीदारी: स्थानीय समुदायों के साथ कार्यक्रम जो संरक्षण को बढ़ावा देते हैं।

प्रश्न 13: बाघ परियोजना में कोर–क्षेत्र रणनीति क्या है?

उत्तर:

I. परिभाषा: कोर क्षेत्र वे हिस्से हैं जहां बाघों का प्रजनन और शिकार क्षेत्र होता है, जहां मानवीय गतिविधियों को कम से कम रखा जाता है।

II. उद्देश्य: बाघों के लिए सुरक्षित, विक्षेप से मुक्त आवास प्रदान करना।

III. कार्यान्वयन: कोर क्षेत्रों में पर्यटन और अन्य गतिविधियों पर प्रतिबंध, जबकि बफर क्षेत्रों में नियंत्रित मानवीय गतिविधियों की अनुमति।

प्रश्न 14: टिहरी बाँध का परिचय क्या है?

उत्तर:

I. परियोजना: टिहरी बाँध (Tehri Dam) भारत के उत्तराखंड राज्य में भागीरथी और भिलंगना नदियों पर बनाया गया है।

II. उद्देश्य: जल विद्युत उत्पादन, सिंचाई, और पेयजल आपूर्ति।

III. विशेषताएँ: यह भारत का सबसे ऊँचा बाँध है, जो एक बहुउद्देशीय परियोजना है।

प्रश्न 15: टिहरी बाँध का इतिहास क्या है?

उत्तर:

I. योजना: 1949 में पहली बार प्रस्तावित किया गया।

II. निर्माण: कई विवादों और विरोध के बाद, निर्माण 1978 में शुरू हुआ और पहला चरण 2006 में पूरा हुआ।

III. विवाद: पर्यावरणीय, सामाजिक, और भूकंपीय चिंताओं ने इसके निर्माण को विवादास्पद बनाया।

प्रश्न 16: टिहरी बाँध का तकनीकी लेआउट, समय–निर्धारण और उत्पादन प्रेषण क्या है?

उत्तर:

I. तकनीकी लेआउट: टिहरी बाँध एक रॉकफिल बाँध है, जिसकी ऊँचाई 260.5 मीटर है और इसमें एक जलाशय है जो 2.6 क्यूबिक किलोमीटर पानी संग्रहीत कर सकता है।

II. समय-निर्धारण: निर्माण की शुरुआत 1978 में हुई, पहला चरण 2006 में पूरा हुआ, और दूसरा चरण 2012 में।

III. उत्पादन प्रेषण: यह 1000 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता रखता है, जो राष्ट्रीय बिजली ग्रिड में शामिल होती है।

प्रश्न 17: टिहरी बाँध की स्थिति/स्थान क्या है?

उत्तर:

I. स्थान: यह बाँध उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले में, भागीरथी नदी पर स्थित है।

II. भौगोलिक स्थिति: यह हिमालय के दक्षिणी ढलान पर, गंगोत्री की तरफ से आने वाली भागीरथी नदी के मुहाने पर बनाया गया है।

प्रश्न 18: टिहरी बाँध पर साहसिक खेल क्या हैं?

उत्तर:

I. वॉटर स्पोर्ट्स: पैरासेलिंग, जेट स्कीइंग, और बोटिंग।

II. साहसिक गतिविधियाँ: बंजी जंपिंग, जो बाँध के क्षेत्र में एक पर्यटन आकर्षण है।

III. रैपलिंग: बाँध की दीवार से रैपलिंग जैसी गतिविधियाँ।

प्रश्न 19: टिहरी बाँध की समस्याएँ क्या हैं?

उत्तर:

I. पर्यावरणीय प्रभाव: जैव विविधता की हानि, मछली प्रवास का रुकना, और पारिस्थितिकी तंत्र का असंतुलन।

II. सामाजिक प्रभाव: पुनर्वास की समस्याएँ और स्थानीय लोगों का विरोध।

III. भूकंपीय जोखिम: हिमालयी क्षेत्र में भूकंप की संभावना के कारण सुरक्षा चिंताएँ।

प्रश्न 20: नया टिहरी बाँध क्या है?

उत्तर:

I. परिभाषा: नया टिहरी बाँध मूल टिहरी बाँध का ही एक विस्तार है, जो अतिरिक्त जल विद्युत उत्पादन और सिंचाई की क्षमता जोड़ता है।

II. विशेषताएँ: इसमें एक अतिरिक्त पावरहाउस और उत्पादन इकाइयाँ शामिल हैं, जिससे कुल बिजली उत्पादन बढ़ जाता है।

प्रश्न 21: नर्मदा घाटी परियोजना का परिचय क्या है?

उत्तर:

I. परियोजना: नर्मदा घाटी परियोजना (Narmada Valley Project) नर्मदा नदी पर एक वृहद बहु-उद्देशीय परियोजना है, जिसमें कई बाँध और जलाशय शामिल हैं।

II. उद्देश्य: सिंचाई, जल विद्युत, पेयजल आपूर्ति, और बाढ़ नियंत्रण।

प्रश्न 22: नर्मदा नदी का परिचय क्या है?

उत्तर:

I. स्थान: नर्मदा मध्य भारत में अमरकंटक से उत्पन्न होकर खंभात की खाड़ी में गिरती है।

II. महत्व: यह भारत की पांचवीं सबसे लंबी नदी है और पश्चिमी भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

प्रश्न 23: नर्मदा बचाओ आंदोलन क्या था?

उत्तर:

I. उद्देश्य: नर्मदा बचाओ आंदोलन (Narmada Bachao Andolan) नर्मदा नदी परियोजना के पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभावों के विरोध में शुरू किया गया था।

II. नेतृत्व: मेधा पाटकर इस आंदोलन का मुख्य चेहरा रही हैं।

III. मुद्दे: विस्थापन, पर्यावरणीय नुकसान, और पुनर्वास की अपर्याप्तता के मुद्दे।

प्रश्न 24: नर्मदा नदी घाटी परियोजना के लाभ क्या हैं?

उत्तर:

I. सिंचाई: व्यापक क्षेत्रों में कृषि को बढ़ावा देना।

II. विद्युत उत्पादन: जल विद्युत ऊर्जा की आपूर्ति।

III. पानी की आपूर्ति: पेयजल और औद्योगिक उपयोग के लिए पानी।

IV. बाढ़ नियंत्रण: नदी के प्रवाह को नियंत्रित करना।

प्रश्न 25: नर्मदा नदी परियोजना की हानि क्या हैं?

उत्तर:

I. विस्थापन: लाखों लोगों को अपने घर छोड़ने के लिए मजबूर करना।

II. पर्यावरणीय नुकसान: जैव विविधता की हानि, जलमार्गों का बदलना, और पारिस्थितिकी तंत्र का विनाश।

III. सामाजिक और आर्थिक प्रभाव: पुनर्वास की समस्याएँ, जीविका का नुकसान, और सांस्कृतिक हानि।

प्रश्न 26: नर्मदा नदी परियोजना से जुड़े सामाजिक विचार क्या हैं?

उत्तर:

I. सामाजिक न्याय: विस्थापितों के लिए न्यायसंगत पुनर्वास और मुआवजा।

II. समुदाय भागीदारी: प्रभावित समुदायों की भागीदारी और विचारों को शामिल करना।

III. सांस्कृतिक संरक्षण: स्थानीय संस्कृति और जीवन शैली का संरक्षण।

IV. सतत विकास: पारिस्थितिकीय और सामाजिक स्थिरता को ध्यान में रखते हुए विकास।

Unit 5: Science of Climate Change

प्रश्न 1: जलवायु परिवर्तन की समझ का परिचय क्या है?

उत्तर:

I. परिभाषा: जलवायु परिवर्तन (Climate Change) लंबी अवधि में मौसम पैटर्नों में परिवर्तन को दर्शाता है, जो प्राकृतिक या मानवीय कारकों से होते हैं।

II. महत्व: यह पारिस्थितिकी तंत्र, मानव जीवन, और आर्थिकी पर गंभीर प्रभाव डालता है।

प्रश्न 2: मौसम, जलवायु, जलवायु परिवर्तनशीलता एवं जलवायु परिवर्तन के मध्य अंतर क्या हैं?

उत्तर:

I. मौसम (Weather): दिन-प्रतिदिन की वायुमंडलीय स्थिति।

II. जलवायु (Climate): किसी क्षेत्र का दीर्घकालिक मौसम पैटर्न।

III. जलवायु परिवर्तनशीलता (Climate Variability): प्राकृतिक भिन्नताएँ जैसे कि एल नीनो।

IV. जलवायु परिवर्तन (Climate Change): लंबे समय में जलवायु पैटर्न में बदलाव, जो अक्सर मानवीय गतिविधियों से जुड़ा होता है।

प्रश्न 3: जलवायु परिवर्तन के प्राकृतिक कारण क्या हैं?

उत्तर:

I. सूर्यीय विकिरण: सूर्य की तीव्रता में परिवर्तन।

II. ज्वालामुखी क्रियाएं: जो वायुमंडल में गैस और कण छोड़ती हैं।

III. पृथ्वी की कक्षा: मिलांकोविच चक्र, जो जलवायु को प्रभावित करते हैं।

IV. प्राकृतिक घटनाएं: जैसे कि ओशियनिक धाराओं में बदलाव।

प्रश्न 4: जलवायु परिवर्तन के मानवीय कारण क्या हैं?

उत्तर:

I. फॉसिल फ्यूल जलना: CO2 उत्सर्जन।

II. वनों की कटाई: कार्बन सिंक की कमी।

III. कृषि: मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड उत्सर्जन।

IV. औद्योगिक प्रक्रियाएं: विभिन्न ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन।

प्रश्न 5: जलवायु परिवर्तन के प्रभाव क्या हैं?

उत्तर:

I. तापमान वृद्धि: ग्लोबल वार्मिंग।

II. समुद्र का स्तर बढ़ना: ग्लेशियर पिघलने से।

III. मौसम संबंधी चरम घटनाएं: बाढ़, सूखा, और तूफान।

IV. जैव विविधता हानि: पारिस्थितिकी तंत्र का विघटन।

V. मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव: नई बीमारियों और स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा।

प्रश्न 6: जलवायु परिवर्तन का समाधान क्या हो सकते हैं?

उत्तर:

I. उत्सर्जन कम करना: फॉसिल फ्यूल के उपयोग को कम करना।

II. नवीकरणीय ऊर्जा: सौर, पवन, और जल विद्युत ऊर्जा।

III. वनीकरण: पेड़ लगाना और वन संरक्षण।

IV. ऊर्जा दक्षता: घरों और वाहनों में ऊर्जा का कुशल उपयोग।

V. अंतरराष्ट्रीय सहयोग: जैसे कि पेरिस समझौता।

प्रश्न 7: हरितगृह प्रभाव का परिचय क्या है?

उत्तर:

I. परिभाषा: हरितगृह प्रभाव (Greenhouse Effect) वह प्रक्रिया है जिसमें वायुमंडलीय गैसें पृथ्वी की सतह से निकलने वाली ऊष्मा को रोकती हैं, ठीक उसी तरह जैसे ग्रीनहाउस पौधों को गर्म रखता है।

II. महत्व: यह पृथ्वी को रहने योग्य बनाता है, लेकिन इसकी अत्यधिकता जलवायु परिवर्तन का कारण बनती है।

प्रश्न 8: हरितगृह प्रभाव की प्रक्रिया क्या है?

उत्तर:

I. सूर्य का प्रकाश: सतह को गर्म करता है।

II. ऊष्मा उत्सर्जन: गर्म सतह से ऊष्मा इन्फ्रारेड रेडियेशन के रूप में निकलती है।

III. गैसों का कार्य: ग्रीनहाउस गैसें इस ऊष्मा को वापस पृथ्वी की ओर परावर्तित करती हैं, जिससे तापमान बढ़ता है।

प्रश्न 9: हरितगृह गैसें कौन-कौन सी हैं?

उत्तर:

I. कार्बन डाइऑक्साइड (CO2): मुख्य रूप से फॉसिल फ्यूल जलने से।

II. मीथेन (CH4): कृषि, कचरा भराव से।

III. नाइट्रस ऑक्साइड (N2O): कृषि और औद्योगिक प्रक्रियाओं से।

IV. फ्लोरोकार्बन्स (CFCs, HFCs): औद्योगिक उत्पादों जैसे रेफ्रिजरेंट्स से।

प्रश्न 10: हरितगृह प्रभाव के कारण क्या हैं?

उत्तर:

I. मानवीय गतिविधियाँ: फॉसिल फ्यूल का जलना, औद्योगिक प्रक्रियाएं।

II. कृषि: मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड का उत्सर्जन।

III. वनोन्मूलन: कार्बन डाइऑक्साइड का सिंक कम होना।

IV. पशुपालन: मीथेन उत्सर्जन का एक बड़ा स्रोत।

प्रश्न 11: हरितगृह गैसों के प्रभाव क्या हैं?

उत्तर:

I. तापमान वृद्धि: ग्लोबल वार्मिंग।

II. मौसम पैटर्न में परिवर्तन: अधिक चरम मौसम।

III. समुद्र का स्तर बढ़ना: ग्लेशियरों के पिघलने से।

IV. जैव विविधता की हानि: हाबिटेट बदलाव।

प्रश्न 12: ग्लोबल वार्मिंग का परिचय क्या है?

उत्तर:

I. परिभाषा: ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) पृथ्वी के औसत तापमान में वृद्धि को दर्शाती है, जो मुख्यतः मानवीय गतिविधियों से उत्सर्जित हरितगृह गैसों के कारण होती है।

II. महत्व: यह जलवायु परिवर्तन का एक प्रमुख पहलू है जो विश्वव्यापी प्रभाव डालता है।

प्रश्न 13: ग्लोबल वार्मिंग के कारण क्या हैं?

उत्तर:

I. फॉसिल फ्यूल: कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन।

II. वनों की कटाई: CO2 अवशोषण कम होना।

III. कृषि और पशुपालन: मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड का उत्सर्जन।

IV. औद्योगिक प्रक्रियाएं: विभिन्न हरितगृह गैसों का उत्सर्जन।

प्रश्न 14: ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव क्या हैं?

उत्तर:

I. तापमान वृद्धि: हीटवेव्स और गर्मी की लहरें।

II. समुद्र का स्तर बढ़ना: तटीय क्षेत्रों में जलमग्नता।

III. मौसम की चरम घटनाएं: बढ़ता हुआ सूखा, बाढ़, और चक्रवात।

IV. पारिस्थितिकी तंत्र का परिवर्तन: जैव विविधता की हानि और प्रजातियों का विस्थापन।

प्रश्न 15: ग्लोबल वार्मिंग के नियंत्रण के उपाय क्या हैं?

उत्तर:

I. कम उत्सर्जन: फॉसिल फ्यूल का कम उपयोग।

II. नवीकरणीय ऊर्जा: सोलर, विंड, हाइड्रो पावर का उपयोग।

III. ऊर्जा दक्षता: ऊर्जा का समझदारी से उपयोग।

IV. वनीकरण: पेड़ लगाना और वन संरक्षण।

V. अंतरराष्ट्रीय समझौते: जैसे कि क्योटो प्रोटोकॉल और पेरिस समझौता।

Unit 6: Global Climate Changes, Impacts and Assessment

प्रश्न 1: वैश्विक जलवायु आकलन–आईपीसीसी का परिचय क्या है?

उत्तर:

I. परिभाषा: आईपीसीसी (IPCC – Intergovernmental Panel on Climate Change) एक अंतरराष्ट्रीय निकाय है जो जलवायु परिवर्तन पर वैज्ञानिक जानकारी प्रदान करता है।

II. उद्देश्य: यह वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जलवायु परिवर्तन के प्रभाव, कारण, और संभावित समाधानों की समीक्षा करता है।

प्रश्न 2: आईपीसीसी की संरचना क्या है?

उत्तर:

I. प्लेनरी: सभी सदस्य देशों के प्रतिनिधि।

II. ब्यूरो: प्लेनरी द्वारा चुने गए प्रतिनिधि जो आईपीसीसी को चलाते हैं।

III. कार्य समूह: तीन कार्य समूह हैं जो विभिन्न पहलुओं पर शोध करते हैं – वैज्ञानिक आधार, प्रभाव और अनुकूलन, और उत्सर्जन का सीमांकन।

IV. टास्क फोर्स: विशेष कार्यों जैसे राष्ट्रीय ग्रीनहाउस गैस इन्वेंट्री के लिए।

प्रश्न 3: आईपीसीसी समीक्षा प्रक्रिया कैसे कार्य करती है?

उत्तर:

I. लेखन: विशेषज्ञों द्वारा रिपोर्ट का लेखन।

II. समीक्षा: वैज्ञानिक समुदाय और सरकारों से समीक्षा और टिप्पणियाँ।

III. पुनरीक्षण: टिप्पणियों के आधार पर लेखक रिपोर्ट को अपडेट करते हैं।

IV. अनुमोदन: सरकारों द्वारा रिपोर्ट का अंतिम अनुमोदन।

प्रश्न 4: आईपीसीसी की आकलन रिपोर्टें क्या हैं?

उत्तर:

I. उद्देश्य: जलवायु परिवर्तन की स्थिति का वैज्ञानिक आकलन प्रदान करना।

II. विषय: ये रिपोर्टें जलवायु विज्ञान, प्रभाव, अनुकूलन, और शमन के विषयों को कवर करती हैं।

III. संरचना: रिपोर्टें कार्य समूहों की रिपोर्ट, सारांश, और विशेष रिपोर्टों से बनी होती हैं।

प्रश्न 5: पहली आकलन रिपोर्ट (एफएआर), 1990 क्या थी?

उत्तर:

I. प्रकाशन: पहली आकलन रिपोर्ट (First Assessment Report, FAR) 1990 में प्रकाशित हुई।

II. महत्वपूर्ण निष्कर्ष: यह रिपोर्ट जलवायु परिवर्तन के मानवीय कारणों को पहली बार प्रमाणित किया।

III. प्रभाव: इसने जलवायु परिवर्तन सम्मेलन को आकार दिया और क्योटो प्रोटोकॉल की नींव रखी।

प्रश्न 6: दूसरी आकलन रिपोर्ट (एसएआर), 1995 क्या थी?

उत्तर:

I. प्रकाशन: दूसरी आकलन रिपोर्ट (Second Assessment Report, SAR) 1995 में आई।

II. निष्कर्ष: इसने मानवीय गतिविधियों के जलवायु परिवर्तन में योगदान को ‘बहुत संभावना’ के रूप में माना।

III. प्रभाव: इसने जलवायु परिवर्तन नीतियों को और अधिक वैज्ञानिक आधार दिया।

प्रश्न 7: तीसरी आकलन रिपोर्ट (टीएआर), 2001 क्या थी?

उत्तर:

I. प्रकाशन: तीसरी आकलन रिपोर्ट (Third Assessment Report, TAR) 2001 में प्रकाशित हुई।

II. महत्वपूर्ण निष्कर्ष: इसने जलवायु परिवर्तन के मानवीय कारण को ‘अधिक संभावना’ के रूप में स्वीकार किया।

III. प्रभाव: यह वैश्विक वार्मिंग के प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण था।

प्रश्न 8: चौथी आकलन रिपोर्ट (एफएआर), 2007 क्या थी?

उत्तर:

I. प्रकाशन: चौथी आकलन रिपोर्ट (Fourth Assessment Report, AR4) 2007 में आई।

II. निष्कर्ष: इसने कहा कि जलवायु परिवर्तन ‘अत्यंत संभावना’ से मानवीय कारणों से हो रहा है।

III. प्रभाव: यह रिपोर्ट जलवायु परिवर्तन की गंभीरता को व्यापक रूप से स्वीकार करने में मददगार साबित हुई।

प्रश्न 9: पाँचवीं आकलन रिपोर्ट (एआर5), 2014 क्या थी?

उत्तर:

I. प्रकाशन: पाँचवीं आकलन रिपोर्ट (Fifth Assessment Report, AR5) 2014 में जारी की गई।

II. निष्कर्ष: इसने मानवीय प्रभाव को जलवायु परिवर्तन का प्रमुख कारण माना, “व्यावहारिक रूप से निश्चित” के स्तर पर।

III. प्रभाव: इसने पेरिस समझौते के लिए वैज्ञानिक आधार प्रदान किया।

प्रश्न 10: छठी आकलन रिपोर्ट (एआर6), 2021 क्या थी?

उत्तर:

I. प्रकाशन: छठी आकलन रिपोर्ट (Sixth Assessment Report, AR6) 2021 में प्रकाशित हुई।

II. निष्कर्ष: यह रिपोर्ट जलवायु परिवर्तन के प्रभावों की गंभीरता पर जोर देती है, और तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता को रेखांकित करती है।

III. प्रभाव: इसने वैश्विक जलवायु नीतियों को अधिक आक्रामक रूप से अपनाने की आवश्यकता को प्रमाणित किया।

प्रश्न 11: भारतीय क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन का आंकलन क्या है?

उत्तर:

I. परिचय: भारतीय क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन का आंकलन भारत के विभिन्न भौगोलिक और जलवायु क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का विश्लेषण है।

II. प्रभाव: इसमें तापमान वृद्धि, मानसून पैटर्न में बदलाव, और चरम मौसम घटनाओं की वृद्धि शामिल है।

प्रश्न 12: जलवायु परिवर्तन के प्रभाव की शुरुआत क्या है?

उत्तर:

I. परिभाषा: जलवायु परिवर्तन के प्रभाव (Impacts of Climate Change) पर्यावरण, समाज, और अर्थव्यवस्था पर दीर्घकालिक बदलावों की श्रृंखला है।

II. व्यापकता: ये प्रभाव प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र से लेकर मानवीय गतिविधियों तक फैले हुए हैं।

प्रश्न 13: जलवायु परिवर्तन का जल पर क्या प्रभाव पड़ता है?

उत्तर:

I. मात्रा में बदलाव: वर्षा पैटर्न में परिवर्तन, सूखे और बाढ़ की आवृत्ति में वृद्धि।

II. गुणवत्ता: जल प्रदूषण, महासागरों का अम्लीकरण।

III. जलस्रोत: ग्लेशियर पिघलना और भूजल स्तर में परिवर्तन।

प्रश्न 14: जलवायु परिवर्तन का पौधों और वैश्विक फसल विकास पर क्या प्रभाव पड़ता है?

उत्तर:

I. विकास चक्र: फसलों का विकास चक्र प्रभावित होता है, जिससे उपज प्रभावित हो सकती है।

II. पारिस्थितिकी तंत्र: प्रजातियों का विस्थापन, नए कीटों और रोगों का उद्भव।

III. जैव विविधता: जैव विविधता की हानि और नए पारिस्थितिकी तंत्र का विकास।

प्रश्न 15: जलवायु परिवर्तन का समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है?

उत्तर:

I. जीवनशैली: गर्मी की लहरों, बाढ़, और सूखे से जीवनशैली में बदलाव।

II. विस्थापन: जलवायु शरणार्थियों की संख्या में वृद्धि।

III. सामाजिक असमानता: जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से समाज में असमानता बढ़ना।

प्रश्न 16: जलवायु परिवर्तन का मानव कल्याण और अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ता है?

उत्तर:

I. कृषि: फसल उत्पादन में कमी से खाद्य सुरक्षा और किसानों की आय प्रभावित होती है।

II. उद्योग: ऊर्जा मांग में परिवर्तन और जल संसाधनों का अप्रत्याशित उपलब्धता।

III. आर्थिक नुकसान: प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले आर्थिक नुकसान, बीमा की लागत में वृद्धि।

IV. गरीबी: जलवायु परिवर्तन गरीबी को बढ़ा सकता है, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहाँ अनुकूलन क्षमता कम है।

प्रश्न 17: जलवायु परिवर्तन का मानव स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है?

उत्तर:

I. शारीरिक स्वास्थ्य: गर्मी से संबंधित बीमारियाँ, हीट स्ट्रोक, और श्वसन रोग।

II. मानसिक स्वास्थ्य: तनाव, चिंता, और जलवायु संबंधी चिंताओं से मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएँ।

III. रोग फैलाव: मच्छर जनित बीमारियों का प्रसार, जैसे मलेरिया और डेंगू।

IV. पोषण: खाद्य उत्पादन में कमी से कुपोषण की वृद्धि।

प्रश्न 18: जलवायु परिवर्तन का आधारभूत संरचना पर क्या प्रभाव पड़ता है?

उत्तर:

I. भवन और रास्ते: तापमान में बदलाव से सड़कों, पुलों और भवनों की संरचना में क्षति।

II. ऊर्जा संरचना: बिजली की मांग में बदलाव और बुनियादी ढांचे की चरम मौसम के प्रति कमजोरी।

III. जल आपूर्ति: पानी के संसाधनों की अनियमितता से जल आपूर्ति प्रणालियों पर दबाव।

IV. तटीय क्षेत्र: समुद्र के स्तर में वृद्धि से तटीय बुनियादी ढांचे को खतरा।

प्रश्न 19: जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपीसीसी) का परिचय क्या है?

उत्तर:

I. परिभाषा: राष्ट्रीय कार्य योजना पर जलवायु परिवर्तन (National Action Plan on Climate Change, NAPCC) भारत सरकार द्वारा 2008 में शुरू किया गया एक ढांचा है जो जलवायु परिवर्तन के प्रति अनुकूलन और शमन को संबोधित करता है।

II. उद्देश्य: यह जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया है।

प्रश्न 20: जलवायु परिवर्तन के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना के सिद्धांत क्या हैं?

उत्तर:

I. सतत विकास: विकास को जलवायु परिवर्तन से जोड़ना।

II. अनुकूलन और शमन: दोनों का एकीकरण।

III. भारत की विविधता: देश के विविध जलवायु और सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य को ध्यान में रखना।

IV. स्थानीय स्तर पर कार्य: स्थानीय समुदायों की भागीदारी।

प्रश्न 21: राष्ट्रीय सौर मिशन (एनएसएम) क्या है?

उत्तर:

I. उद्देश्य: सौर ऊर्जा का उपयोग बढ़ाना और बिजली उत्पादन में सौर ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़ाना।

II. लक्ष्य: 100 गीगावाट (GW) सौर ऊर्जा क्षमता तक पहुँचना।

III. प्रभाव: स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में एक बड़ा कदम, जिससे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी आती है।

प्रश्न 22: राष्ट्रीय संबंधित ऊर्जा दक्षता मिशन (एनएमईईई) क्या है?

उत्तर:

I. उद्देश्य: ऊर्जा की खपत को कम करना और ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देना।

II. कार्यक्रम: पीएटी (Perform Achieve and Trade) योजना जो उद्योगों में ऊर्जा दक्षता को प्रोत्साहित करती है।

III. प्रभाव: यह उत्सर्जन कम करने और ऊर्जा संरक्षण में मदद करता है।

प्रश्न 23: सतत पर्यावास पर राष्ट्रीय मिशन क्या है?

उत्तर:

I. उद्देश्य: शहरी क्षेत्रों में सतत विकास को बढ़ावा देना।

II. क्षेत्र: स्मार्ट सिटी, ऊर्जा दक्ष भवन, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन।

III. प्रभाव: शहरी जीवन की गुणवत्ता में सुधार और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करना।

प्रश्न 24: राष्ट्रीय जल मिशन क्या है?

उत्तर:

I. उद्देश्य: जल संसाधनों का प्रबंधन और संरक्षण।

II. लक्ष्य: प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता बढ़ाना, जल प्रबंधन में सुधार।

III. प्रभाव: सतत जल प्रबंधन प्रथाओं को बढ़ावा देना और जलवायु परिवर्तन के प्रति अनुकूलन।

प्रश्न 25: हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय मिशन क्या है?

उत्तर:

I. उद्देश्य: हिमालयी क्षेत्र के पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित करना।

II. कार्य: जैव विविधता का संरक्षण, ग्लेशियरों की निगरानी, और सतत प्रथाओं को बढ़ावा।

III. महत्व: हिमालयी क्षेत्र के जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न जोखिमों को कम करना।

प्रश्न 26: हरित भारत के लिए राष्ट्रीय मिशन क्या है?

उत्तर:

I. उद्देश्य: भारत के वन क्षेत्र को बढ़ाना और वनों की गुणवत्ता में सुधार करना।

II. लक्ष्य: 5 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में वनीकरण और पुनर्वनीकरण।

III. प्रभाव: जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करना, जैव विविधता को बढ़ावा देना, और कार्बन सिंक बढ़ाना।

प्रश्न 27: सतत कृषि के लिए राष्ट्रीय मिशन क्या है?

उत्तर:

I. उद्देश्य: कृषि को जलवायु परिवर्तन के प्रति अनुकूल बनाना और खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करना।

II. कार्य: फसल विविधता, जैविक खेती, और जल प्रबंधन तकनीकों को बढ़ावा देना।

III. प्रभाव: टिकाऊ खेती प्रथाओं के माध्यम से कृषि क्षेत्र को मजबूत करना।

प्रश्न 28: जलवायु परिवर्तन के लिए रणनीतिक ज्ञान पर राष्ट्रीय मिशन क्या है?

उत्तर:

I. उद्देश्य: जलवायु परिवर्तन से संबंधित अनुसंधान और ज्ञान को बढ़ावा देना।

II. कार्य: नए शोध केंद्रों की स्थापना, जलवायु मॉडलिंग, और जलवायु अनुकूलन तकनीकों का विकास।

III. प्रभाव: नीति निर्माण के लिए वैज्ञानिक आधार मजबूत करना और जलवायु परिवर्तन सम्बन्धी चुनौतियों को संबोधित करना।

Unit 7: Natural Disasters

प्रश्न 1: आपदाओं का परिचय क्या है?

उत्तर:

I. परिभाषा: आपदाएँ (Disasters) वे घटनाएँ हैं जो मानव जीवन, संपत्ति, और पर्यावरण को व्यापक नुकसान पहुँचाती हैं, जिसमें सामान्य जीवन की व्यवस्था को बाधित करने की क्षमता होती है।

II. प्रकार: ये प्राकृतिक या मानव निर्मित हो सकती हैं।

प्रश्न 2: आपदाओं के प्रकार कौन-कौन से हैं?

उत्तर:

I. प्राकृतिक आपदाएँ: भूकंप, बाढ़, तूफान, सूखा, ज्वालामुखी विस्फोट, सुनामी, आदि।

II. मानव निर्मित आपदाएँ: औद्योगिक दुर्घटनाएँ, परमाणु दुर्घटनाएँ, रासायनिक रिसाव, आतंकवाद, युद्ध, आदि।

प्रश्न 3: जोखिम का परिचय क्या है?

उत्तर:

I. परिभाषा: जोखिम (Risk) आपदा की संभावना और उसके प्रभाव का संयोजन है।

II. संदर्भ: यह एक खतरे के कारण होने वाले नुकसान की संभावना और गंभीरता को दर्शाता है।

प्रश्न 4: जोखिम/आपदा जोखिम की विशेषताएँ क्या हैं?

उत्तर:

I. संभावना: खतरे की घटना की संभावना।

II. प्रभाव: घटना के नुकसान की गंभीरता।

III. सुभेद्यता: समाज या बुनियादी ढांचे की हानि सहने की क्षमता।

IV. अनिश्चितता: जोखिम के सटीक अनुमान की कठिनाई।

प्रश्न 5: जोखिम के आकलन के घटक क्या हैं?

उत्तर:

I. खतरा विश्लेषण: खतरे की पहचान और उसकी संभावना।

II. सुभेद्यता विश्लेषण: किसी समुदाय या क्षेत्र की सुभेद्यता का मूल्यांकन।

III. नुकसान का अनुमान: संभावित नुकसान का मूल्यांकन।

IV. संसाधन और क्षमता: उपलब्ध संसाधनों और अनुकूलन क्षमता का आकलन।

प्रश्न 6: खतरे का परिचय क्या है?

उत्तर:

I. परिभाषा: खतरा (Hazard) वह घटना या तत्व है जो नुकसान, विनाश या मृत्यु का कारण बन सकता है।

II. उदाहरण: भूकंप, बाढ़, रासायनिक रिसाव।

प्रश्न 7: खतरे की विशेषताएँ क्या हैं?

उत्तर:

I. स्रोत: प्राकृतिक या मानव निर्मित।

II. संभावना: घटना होने की आवृत्ति।

III. तीव्रता: घटना की गंभीरता।

IV. अवधि: घटना का समय।

प्रश्न 8: खतरों का वर्गीकरण कैसे किया जाता है?

उत्तर:

I. प्राकृतिक खतरे: भूगर्भीय, जलवायु संबंधी, और जैविक।

II. मानव निर्मित खतरे: औद्योगिक, तकनीकी, और सामाजिक।

III. तीव्रता के आधार पर: मामूली, मध्यम, या गंभीर।

IV. स्थानिक वर्गीकरण: स्थानीय, क्षेत्रीय, या वैश्विक।

प्रश्न 9: एक खतरे की प्रतिक्रिया क्या हो सकती है?

उत्तर:

I. तत्काल प्रतिक्रिया: राहत और बचाव कार्य।

II. मध्यम अवधि की प्रतिक्रिया: पुनर्वास और पुनर्निर्माण।

III. दीर्घकालिक प्रतिक्रिया: खतरे के प्रति समाज को अनुकूल बनाना।

IV. जागरूकता और शिक्षा: भविष्य के खतरों के लिए तैयारी।

प्रश्न 10: खतरों से निपटने के लिए उपलब्ध विधियाँ क्या हैं?

उत्तर:

I. प्रभाव कम करना: अवसंरचना का सुदृढ़ीकरण।

II. जोखिम प्रबंधन: जोखिम का मूल्यांकन और कमी।

III. आपदा तैयारी: आपातकालीन योजनाएँ और अभ्यास।

IV. जागरूकता और शिक्षा: सार्वजनिक जागरूकता अभियान।

प्रश्न 11: खतरों से निपटने के लिए उठाए गए कदम/चरण क्या हैं?

उत्तर:

I. पहचान: खतरे की पहचान करना।

II. मूल्यांकन: खतरे का विश्लेषण और मूल्यांकन।

III. कमी: जोखिम कम करने के उपाय।

IV. तैयारी: आपातकालीन योजना और अभ्यास।

V. प्रतिक्रिया: आपदा के बाद तत्काल कार्रवाई।

VI. पुनर्स्थापन: पुनर्वास और पुनर्निर्माण।

प्रश्न 12: सुभेद्यता का परिचय क्या है?

उत्तर:

I. परिभाषा: सुभेद्यता (Vulnerability) मानव, सामाजिक, आर्थिक और भौतिक प्रणालियों की हानि को सहन करने या उससे उबरने की अक्षमता है।

II. कारक: यह आर्थिक स्थिति, सामाजिक संरचना, और भौगोलिक स्थिति से प्रभावित होती है।

प्रश्न 13: सुभेद्यता के लिए विचारणीय कारक कौन-कौन से हैं?

उत्तर:

I. आर्थिक स्थिति: गरीबी, आय के स्रोत।

II. सामाजिक कारक: शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक समर्थन।

III. भौतिक संरचना: आवास की गुणवत्ता, बुनियादी ढांचा।

IV. भूगोल: जोखिम क्षेत्रों में निवास।

V. प्रशासनिक क्षमता: आपदा प्रबंधन की क्षमता।

प्रश्न 14: आपदा प्रबंधन का परिचय क्या है?

उत्तर:

I. परिभाषा: आपदा प्रबंधन (Disaster Management) आपदाओं से निपटने के लिए बनाई गई रणनीतियों, नीतियों, और कार्यों का एक समग्र दृष्टिकोण है।

II. उद्देश्य: आपदाओं के प्रभाव को कम करना, जीवन और संपत्ति की रक्षा करना।

प्रश्न 15: आपदा प्रबंधन की विशेषताएँ क्या हैं?

उत्तर:

I. एकीकृत दृष्टिकोण: सभी आपदा चरणों को शामिल करना।

II. सहयोग: सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों के बीच समन्वय।

III. समुदाय भागीदारी: स्थानीय समुदायों को शामिल करना।

IV. लचीलापन: आपदा के बाद त्वरित पुनर्स्थापन।

V. निवारक प्रयास: भविष्य की आपदाओं को रोकने के लिए कार्य।

प्रश्न 16: आपदा प्रबंधन के उद्देश्य क्या हैं?

उत्तर:

I. रोकथाम: आपदाओं की संभावना को कम करना।

II. तैयारी: आपदा के लिए तैयार रहना।

III. प्रतिक्रिया: आपदा होने पर तत्काल कार्रवाई।

IV. पुनर्वास: प्रभावितों का पुनर्वास और क्षेत्र का पुनर्निर्माण।

V. शिक्षा: जागरूकता और ज्ञान वृद्धि।

प्रश्न 17: आपदा प्रबंधन चक्र क्या है?

उत्तर:

I. रोकथाम: आपदा होने से पहले के उपाय।

II. तैयारी: आपदा की संभावना के लिए तैयारी।

III. प्रतिक्रिया: आपदा के तुरंत बाद की कार्रवाई।

IV. पुनर्स्थापन: प्रभावितों की सामान्य स्थिति में वापसी।

V. अनुकूलन: भविष्य के आपदा प्रबंधन के लिए सीखना।

प्रश्न 18: आपदा प्रबंधन का महत्व क्या है?

उत्तर:

I. जीवन रक्षा: जीवन की हानि को कम करना।

II. संपत्ति सुरक्षा: नुकसान को कम करना।

III. सामाजिक स्थिरता: समाज की निरंतरता बनाए रखना।

IV. आर्थिक पुनर्स्थापन: आर्थिक पुनर्निर्माण में सहायता।

V. विकास: विकास की गति को बनाए रखना।

प्रश्न 19: आपदा तैयारियों की अवधारणा क्या है?

उत्तर:

I. परिभाषा: आपदा तैयारी (Disaster Preparedness) वे कार्य हैं जो आपदा होने से पहले किए जाते हैं ताकि उसके प्रभाव को कम किया जा सके और प्रभावी प्रतिक्रिया दी जा सके।

II. महत्व: यह प्रतिक्रिया की गति और प्रभावशीलता को बढ़ाता है।

प्रश्न 20: आपदा तैयारी की प्रकृति क्या है?

उत्तर:

I. पूर्वानुमान: आपदाओं का पूर्वानुमान लगाना।

II. योजना: आपातकालीन योजनाओं का निर्माण।

III. प्रशिक्षण: प्रतिक्रिया दलों का प्रशिक्षण।

IV. जागरूकता: सार्वजनिक जागरूकता कार्यक्रम।

V. संसाधन प्रबंधन: उपलब्ध संसाधनों का प्रबंधन।

प्रश्न 21: आपदा तैयारी योजना क्या है?

उत्तर:

I. उद्देश्य: आपदा के प्रभाव को कम करने के लिए एक व्यवस्थित दृष्टिकोण।

II. घटक:

  • मूल्यांकन: जोखिम और सुभेद्यता का मूल्यांकन।
  • योजना: विस्तृत आपातकालीन योजनाएँ।
  • संचार: प्रभावी संचार प्रणाली।
  • प्रशिक्षण: बचाव और प्रतिक्रिया दलों का प्रशिक्षण।
  • अभ्यास: आपातकालीन अभ्यास।

प्रश्न 22: आपदा तैयारी का महत्व क्या है?

उत्तर:

I. जीवन बचाना: त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया।

II. नुकसान कम करना: संपत्ति और अवसंरचना को बचाना।

III. प्रतिक्रिया क्षमता: प्रतिक्रिया दलों की तत्परता।

IV. सामुदायिक सहभागिता: स्थानीय समुदायों को शामिल करना।

V. समय और संसाधन बचत: व्यवस्थित प्रतिक्रिया से समय और संसाधन की बचत।

प्रश्न 23: व्यक्तियों एवं आधारभूत संरचनाओं के लिए आपदा तैयारी – समुदाय आधारित आपदा तैयारी (सीबीडीपी) योजना क्या है?

उत्तर:

I. परिभाषा: समुदाय आधारित आपदा तैयारी (CBDP – Community-Based Disaster Preparedness) स्थानीय समुदायों की भागीदारी से आपदा तैयारी का एक दृष्टिकोण है।

II. महत्व: स्थानीय ज्ञान और संसाधनों का उपयोग करते हुए तैयारी।

प्रश्न 24: सीबीडीपी योजना के घटक क्या हैं?

उत्तर:

I. जोखिम मूल्यांकन: स्थानीय जोखिमों का मूल्यांकन।

II. समुदाय संलग्नता: स्थानीय लोगों को शामिल करना।

III. शिक्षा और जागरूकता: समुदाय को शिक्षित करना।

IV. आपातकालीन योजना: स्थानीय योजनाओं का विकास।

V. संसाधन प्रबंधन: स्थानीय संसाधनों का प्रबंधन।

VI. अभ्यास और प्रशिक्षण: समुदाय को प्रशिक्षण और अभ्यास।

प्रश्न 25: आपदा शमन की अवधारणा क्या है?

उत्तर:

I. परिभाषा: आपदा शमन (Disaster Mitigation) में वे कार्य शामिल हैं जो आपदाओं के प्रभावों या उनकी संभावना को कम करने के लिए किए जाते हैं।

II. उद्देश्य: आपदा की संभावना और उसके प्रभाव को कम करना।

प्रश्न 26: आपदा शमन की प्रकृति क्या है?

उत्तर:

I. निवारक: आपदाओं को रोकने के प्रयास।

II. संरचनात्मक: अवसंरचना का सुदृढ़ीकरण।

III. गैर-संरचनात्मक: नीतियों, कानूनों, और शिक्षा के माध्यम से।

IV. समुदाय-आधारित: स्थानीय स्तर पर शमन उपाय।

प्रश्न 27: आपदा शमन के उद्देश्य क्या हैं?

उत्तर:

I. जीवन की सुरक्षा: मानवीय हानि को कम करना।

II. संपत्ति संरक्षण: भौतिक नुकसान कम करना।

III. आर्थिक नुकसान कमी: आर्थिक प्रभाव को कम करना।

IV. पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा: प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा।

V. सामाजिक स्थिरता: समाज के विघटन को रोकना।

प्रश्न 28: आपदा शमन रणनीतियाँ क्या हैं?

उत्तर:

I. भौतिक उपाय: बाँध, तटबंध, भूकंप प्रतिरोधी निर्माण।

II. नीतिगत उपाय: भूमि उपयोग के नियम, भवन नियमावली।

III. शिक्षा और जागरूकता: जोखिम के प्रति जागरूकता बढ़ाना।

IV. प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन: वनीकरण, जल प्रबंधन।

V. समुदाय संलग्नता: स्थानीय समुदायों को शमन प्रक्रिया में शामिल करना।

Unit 8: Disasters and Disaster Management

प्रश्न 1: प्राकृतिक आपदा का परिचय क्या है?

उत्तर: प्राकृतिक आपदा (Natural Disasters):

I परिचय: प्राकृतिक आपदाएँ प्राकृतिक कारणों से उत्पन्न होने वाली घटनाएँ हैं जो मानव जीवन, संपत्ति, और पर्यावरण को नुकसान पहुँचाती हैं।

II प्रकार: ये आपदाएँ जैसे कि बाढ़, सूखा, चक्रवात, भूकंप, सुनामी, भूस्खलन, ज्वालामुखी और वन की आग शामिल हैं।

III प्रबंधन: आपदा प्रबंधन (disaster management) में रोकथाम (prevention), तैयारी (preparedness), प्रतिक्रिया (response), और पुनर्वास (recovery) शामिल हैं।

प्रश्न 2: बाढ़ का अर्थ क्या है?

उत्तर: बाढ़ (Flood):

I अर्थ: बाढ़ जल का अत्यधिक संचय (accumulation) है जो सामान्यतः नदियों, झीलों, या समुद्र के तटीय क्षेत्रों में होता है।

II प्रकार: नदी बाढ़ (riverine floods), समुद्री बाढ़ (coastal floods), और शहरी बाढ़ (urban floods)।

III कारण: भारी वर्षा (heavy rainfall), तूफान, बर्फ पिघलना (snowmelt), और भूमि का उपयोग परिवर्तन (land use changes)।

प्रश्न 3: बाढ़ के प्रभाव क्या होते हैं?

उत्तर: बाढ़ के प्रभाव (Effects of Floods):

I मानवीय प्रभाव: जीवन हानि, विस्थापन (displacement), और स्वास्थ्य समस्याएँ।

II आर्थिक प्रभाव: संपत्ति की क्षति, कृषि को नुकसान, और आर्थिक गतिविधियों में व्यवधान (disruption in economic activities)।

III पर्यावरणीय प्रभाव: मिट्टी का क्षरण (soil erosion), जल प्रदूषण (water pollution), और पारिस्थितिकी तंत्र का विनाश (ecosystem destruction)।

प्रश्न 4: बाढ़ के लिए उपचारात्मक उपाय क्या हो सकते हैं?

उत्तर: बाढ़ के लिए उपचारात्मक उपाय (Remedial Measures for Floods):

I निरोधात्मक उपाय: बाँध (dams), बंध (levees), और जल निकासी प्रणाली (drainage systems) का निर्माण।

II तैयारी: चेतावनी प्रणाली (warning systems), आपातकालीन योजना (emergency planning), और समुदाय शिक्षा (community education)।

III प्रतिक्रिया: राहत कार्य (relief operations), बचाव अभियान (rescue operations), और अस्थायी आवास (temporary housing)।

प्रश्न 5: सूखा का अर्थ क्या है?

उत्तर: सूखा (Drought):

I अर्थ: सूखा वह स्थिति है जब एक क्षेत्र में सामान्य से कम वर्षा होती है, जिससे जल संसाधनों पर दबाव पड़ता है।

II प्रकार: कृषि सूखा (agricultural drought), हाइड्रोलॉजिकल सूखा (hydrological drought), और मौसमी सूखा (meteorological drought)।

III कारण: जलवायु परिवर्तन (climate change), मौसमी चर परिवर्तन (weather pattern changes), और अनुचित जल प्रबंधन (poor water management)।

प्रश्न 6: सूखे के प्रभाव क्या होते हैं?

उत्तर: सूखा के प्रभाव (Effects of Drought):

I कृषि प्रभाव: फसलों की हानि, पशुधन की मृत्यु, और कृषि उत्पादकता में गिरावट (decrease in agricultural productivity)।

II सामाजिक-आर्थिक प्रभाव: आर्थिक हानि, रोजगार की कमी, और पलायन (migration)।

III पर्यावरणीय प्रभाव: जल स्रोतों का सूखना, जैव विविधता का नुकसान, और मिट्टी की गुणवत्ता में कमी (soil degradation)।

प्रश्न 7: सूखा प्रबंधन के उपाय क्या हैं?

उत्तर: सूखा प्रबंधन (Drought Management):

I पूर्वानुमान और चेतावनी: मौसम का पूर्वानुमान (weather forecasting), सूखा निगरानी प्रणाली (drought monitoring systems)।

II जल प्रबंधन: जल संरक्षण (water conservation), जलभरण (rainwater harvesting), और जल पुनर्चक्रण (water recycling)।

III कृषि प्रबंधन: कम जल वाली फसलें (low-water crops), सिंचाई की कुशल तकनीक (efficient irrigation techniques), और कृषि सहायता कार्यक्रम (agricultural support programs)।

प्रश्न 8: चक्रवात का अर्थ क्या है?

उत्तर: चक्रवात (Cyclones):

I अर्थ: चक्रवात एक बड़ा तूफान है जिसमें हवा का वेग बहुत अधिक होता है और यह चक्रीय रूप में घूमता है।

II विशेषताएँ: कम दबाव का क्षेत्र (low pressure area), तेज हवा, और भारी वर्षा।

III प्रकार: उष्णकटिबंधीय चक्रवात (tropical cyclones) और समशीतोष्ण चक्रवात (temperate cyclones)।

प्रश्न 9: उष्णकटिबंधीय चक्रवात और समशीतोष्ण चक्रवात में क्या अंतर है?

उत्तर: चक्रवातों के प्रकार (Types of Cyclones):

I उष्णकटिबंधीय चक्रवात: उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में बनते हैं, अधिक ऊर्जा से भरपूर होते हैं, और तटीय क्षेत्रों में बड़ा नुकसान करते हैं।

II समशीतोष्ण चक्रवात: मध्यम और उच्च अक्षांशों में पाए जाते हैं, कम तीव्रता वाले होते हैं, लेकिन व्यापक क्षेत्रों में प्रभाव डालते हैं।

III फर्क: उष्णकटिबंधीय चक्रवात में आंख (eye) नामक एक शांत केंद्र होता है, जबकि समशीतोष्ण चक्रवातों में यह स्पष्ट नहीं होता।

प्रश्न 10: चक्रवात कैसे होते हैं?

उत्तर: चक्रवात के कारण / चक्रवात कैसे होता है (Causes of Cyclones / How Cyclones Occur):

I गर्म जल: उष्णकटिबंधीय चक्रवातों को गर्म समुद्री सतह से ऊर्जा मिलती है जो वाष्पीकरण (evaporation) को बढ़ाता है।

II वायुमंडलीय स्थितियाँ: कम दबाव का क्षेत्र, जो हवा को आकर्षित करता है, और कोरियोलिस प्रभाव (Coriolis effect) जो घूर्णन को प्रेरित करता है।

III मौसमी प्रभाव: मानसून, व्यापारिक हवाओं (trade winds), और वायुमंडलीय विचलनों (atmospheric disturbances) का योगदान।

प्रश्न 11: चक्रवात के परिणाम क्या होते हैं?

उत्तर: चक्रवात का प्रभाव / चक्रवात के परिणाम (Effects of Cyclones):

I मानवीय प्रभाव: जीवन हानि, घरों का नष्ट होना, और व्यापक विस्थापन (displacement)।

II आर्थिक प्रभाव: बुनियादी ढांचे को नुकसान (damage to infrastructure), कृषि की हानि, और व्यापार का व्यवधान (business disruption)।

III पर्यावरणीय प्रभाव: बाढ़ के कारण तटीय क्षरण (coastal erosion), समुद्री जीवन पर प्रभाव, और पारिस्थितिकीय असंतुलन (ecological imbalance)।

प्रश्न 12: भूकंप का अर्थ क्या है?

उत्तर: भूकंप (Earthquake):

I अर्थ: भूकंप पृथ्वी की सतह पर या उसके नीचे होने वाले झटके हैं जो पृथ्वी की क्रस्ट में तनाव की रिहाई (release of stress) से पैदा होते हैं।

II शब्दावली: केंद्र (epicenter), केंद्रीय क्षेत्र (focus), भूकंपीय तरंगें (seismic waves)।

III कारण: प्लेट टेक्टोनिक्स (plate tectonics), भूगर्भीय टूटन (geological faults), और ज्वालामुखी गतिविधि (volcanic activity)।

प्रश्न 13: भूकंप के प्रभाव क्या होते हैं?

उत्तर: भूकंप के प्रभाव (Effects of Earthquakes):

I तत्काल प्रभाव: इमारतों का ढहना, आग लगना, और जीवन का नुकसान।

II दीर्घकालिक प्रभाव: आर्थिक पतन (economic downturn), सामाजिक अस्थिरता, और मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियाँ (mental health challenges)।

III पर्यावरणीय प्रभाव: भूमि का धँसना (land subsidence), भूस्खलन (landslides), और जल प्रवाह में परिवर्तन (changes in water flow)।

प्रश्न 14: सुनामी का अर्थ क्या है?

उत्तर: सुनामी (Tsunami):

I अर्थ: सुनामी एक या एक से अधिक बड़ी जलीय तरंगें हैं जो समुद्र में भूकंप, ज्वालामुखी फटन या भूस्खलन जैसी घटनाओं से उत्पन्न होती हैं।

II कारण: अधिकतर भूकंपीय गतिविधि (seismic activity), लेकिन ज्वालामुखी विस्फोट (volcanic eruptions) और भूस्खलन भी जिम्मेदार हो सकते हैं।

III प्रभाव: तटीय क्षेत्रों में विनाश, जीवन की हानि, और आर्थिक नुकसान।

प्रश्न 15: सुनामी के नियंत्रण के उपाय क्या हो सकते हैं?

उत्तर: सुनामी के नियंत्रण के उपाय (Control Measures for Tsunami):

I चेतावनी प्रणाली: प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली (early warning systems) जो लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए समय देती है।

II निर्माण नियम: तटीय क्षेत्रों में सुनामी-रोधी निर्माण (tsunami-resistant construction), जैसे ऊंचे स्थानों पर बिल्डिंग या बढ़ी हुई इमारतें।

III शिक्षा और जागरूकता: समुदायों को सुनामी के जोखिम और निकासी योजनाओं (evacuation plans) के बारे में शिक्षित करना।

प्रश्न 16: भूस्खलन का अर्थ क्या है?

उत्तर: भूस्खलन (Landslides):

I अर्थ: भूस्खलन वह घटना है जब भूमि की सतह या उसका एक बड़ा हिस्सा अचानक नीचे खिसकता है।

II कारण: भारी वर्षा, भूकंप, मानवीय गतिविधियाँ जैसे खनन (mining), और भूमि के ढाल (slope of the land) में परिवर्तन।

III प्रभाव: संपत्ति की क्षति, बुनियादी ढांचे को नुकसान, और जीवन की हानि।

प्रश्न 17: भूस्खलन के लिए उपचारात्मक उपाय क्या हो सकते हैं?

उत्तर: भूस्खलन के लिए उपचारात्मक उपाय (Remedial Measures for Landslides):

I नियंत्रण: ढाल स्थिरीकरण (slope stabilization), वनीकरण (reforestation), और भूमि उपयोग योजना (land use planning)।

II चेतावनी: भूस्खलन निगरानी प्रणालियाँ (landslide monitoring systems) और समुदाय का प्रशिक्षण।

III वसूली: क्षतिग्रस्त क्षेत्रों का पुनर्विकास (redevelopment of affected areas) और पुनर्वास (rehabilitation)।

प्रश्न 18: ज्वालामुखी का अर्थ क्या है?

उत्तर: ज्वालामुखी (Volcanoes):

I अर्थ: ज्वालामुखी पृथ्वी की सतह पर या उसके नीचे एक ऐसा स्थान है जहाँ से लावा, राख, और गैस बाहर निकलते हैं।

II अवस्थाएँ: सक्रिय (active), सोया हुआ (dormant), और निष्क्रिय (extinct)।

III प्रकार: शील्ड ज्वालामुखी (shield volcanoes), स्ट्रैटोवोल्केनो (stratovolcanoes), और मैदानी ज्वालामुखी (cinder cones)।

प्रश्न 19: ज्वालामुखी के प्रभाव क्या होते हैं?

उत्तर: ज्वालामुखी के प्रभाव (Effects of Volcanism):

I तत्काल प्रभाव: लावा प्रवाह (lava flows), राख का गिरना (ash fall), और पाइरोक्लास्टिक प्रवाह (pyroclastic flows) जो जान-माल की हानि कर सकते हैं।

II दीर्घकालिक प्रभाव: जलवायु परिवर्तन के कारण वायुमंडल में राख, वायु प्रदूषण, और भूमि की उर्वरता में परिवर्तन।

III पर्यावरणीय प्रभाव: वनस्पति का नष्ट होना, जीव जंतुओं का विस्थापन, और पारिस्थितिकी तंत्र का बदलाव।

प्रश्न 20: वन की आग का अर्थ क्या है?

उत्तर: वन की आग (Forest Fires):

I अर्थ: वन की आग वनों में लगने वाली आग होती है जो पेड़ों, झाड़ियों और वनस्पतियों को जला सकती है।

II कारण: प्राकृतिक जैसे बिजली गिरना (lightning), मानवीय जैसे चूक (negligence), या जानबूझकर आग लगाना।

III प्रभाव: जीवन और संपत्ति की हानि, जैव विविधता का नुकसान, और वायु प्रदूषण का वृद्धि।

प्रश्न 21: ज्वालामुखी की विभिन्न अवस्थाएँ कौन सी हैं?

उत्तर: ज्वालामुखी की विभिन्न अवस्थाएँ (Different Stages of Volcanoes):

I सक्रिय ज्वालामुखी (Active Volcano): ये ज्वालामुखी वर्तमान में विस्फोट कर रहे हैं या हाल ही में विस्फोट किया है।

II सोया हुआ ज्वालामुखी (Dormant Volcano): ये ज्वालामुखी कभी विस्फोट किया है, लेकिन वर्तमान में शांत है, हालांकि भविष्य में विस्फोट कर सकता है।

III निष्क्रिय ज्वालामुखी (Extinct Volcano): इन ज्वालामुखियों का माना जाता है कि भविष्य में विस्फोट नहीं करेंगे क्योंकि उनका मैग्मा स्रोत समाप्त हो गया है।

प्रश्न 22: ज्वालामुखी के प्रकार क्या हैं?

उत्तर: ज्वालामुखी के प्रकार (Types of Volcanoes):

I शील्ड ज्वालामुखी (Shield Volcanoes): ये विशाल, चौड़े और कम ढाल वाले होते हैं, जो कम तीव्रता के लावा से बनते हैं।

II स्ट्रैटोवोल्केनो (Stratovolcanoes): ये उच्च, सममित रूप वाले ज्वालामुखी हैं जो विस्फोटक विस्फोट के लिए जाने जाते हैं, जिसमें लावा, राख, और पाइरोक्लास्टिक सामग्री शामिल होती है।

III मैदानी ज्वालामुखी (Cinder Cones): ये छोटे, संकीर्ण और सीधे कोण वाले होते हैं, जो मुख्यतः राख और लावा के टुकड़ों से बनते हैं।

प्रश्न 23: ज्वालामुखियों का निर्माण कैसे होता है?

उत्तर: ज्वालामुखियों का निर्माण (Formation of Volcanoes):

I प्लेट टेक्टोनिक्स: मुख्य रूप से ज्वालामुखी उन स्थानों पर बनते हैं जहाँ टेक्टोनिक प्लेटें एक-दूसरे से टकराती या अलग होती हैं, जैसे कि सब्डक्शन ज़ोन्स या डाइवर्जेंट प्लेट सीमा।

II मैग्मा का गठन: पृथ्वी के मेंटल में मैग्मा बनता है जब चट्टान पिघल जाती है, जो फिर सतह की ओर चलता है और ज्वालामुखी का निर्माण करता है।

III विस्फोट और निर्माण: मैग्मा का सतह पर आना और विस्फोट करना ज्वालामुखी के शंकु (volcanic cone) के निर्माण को संभव बनाता है। विभिन्न प्रकार के विस्फोट अलग-अलग आकार और संरचना के ज्वालामुखी बनाते हैं।

प्रश्न 24: वन की आग के उपचारात्मक उपाय क्या हो सकते हैं?

उत्तर: वन की आग के उपचारात्मक उपाय (Remedial Measures of Forest Fire):

I रोकथाम: वन प्रबंधन प्रथाओं (forest management practices) जैसे झाड़ियों की सफाई (clearing underbrush), फायरब्रेक्स (firebreaks), और वनस्पति नियंत्रण (vegetation control)।

II निगरानी: उपग्रह निगरानी (satellite monitoring) और जमीनी स्तर की निगरानी (ground-level surveillance) से आग की प्रारंभिक पहचान (early detection)।

III प्रतिक्रिया: आग बुझाने की टीमों (firefighting teams), जल हेलीकॉप्टर (water-dropping helicopters), और समुदाय की भागीदारी (community involvement) के साथ त्वरित कार्रवाई।

प्रश्न 25: रासायनिक आपदा का अर्थ क्या है?

उत्तर: रासायनिक आपदा (Chemical Disaster):

I अर्थ: रासायनिक आपदा रासायनिक पदार्थों के अनियंत्रित रिसाव (uncontrolled release) या दुर्घटना से उत्पन्न होने वाली स्थिति है जो जीवन, स्वास्थ्य, और पर्यावरण को खतरा पहुँचाती है।

II कारण: औद्योगिक दुर्घटनाएँ (industrial accidents), परिवहन के दौरान रिसाव (leaks during transportation), और खराब भंडारण (poor storage)।

III प्रभाव: तत्काल स्वास्थ्य जोखिम, लंबे समय तक चलने वाले स्वास्थ्य प्रभाव, और पर्यावरण प्रदूषण।

प्रश्न 26: भारत में रासायनिक आपदाओं के उदाहरण क्या हैं?

उत्तर: भारत में रासायनिक आपदाओं के उदाहरण (Examples of Chemical Disasters in India):

I भोपाल गैस त्रासदी: 1984 में हुई, यह दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक आपदाओं में से एक है, जिसमें मिथाइल आइसोसाइनेट (methyl isocyanate) गैस का रिसाव हुआ।

II विशाखापत्तनम गैस रिसाव: 2020 में, स्टाइरीन गैस (styrene gas) का रिसाव, जिससे कई लोग प्रभावित हुए।

III अन्य उदाहरण: छोटे-बड़े पैमाने पर हुई रासायनिक दुर्घटनाएँ जो स्थानीय स्तर पर प्रभाव डालती हैं।

प्रश्न 27: रासायनिक आपदा का प्रबंधन कैसे किया जाता है?

उत्तर: रासायनिक आपदा का प्रबंधन (Management of Chemical Disaster):

I रोकथाम: सख्त नियमन (strict regulations), संयंत्रों का नियमित निरीक्षण (regular plant inspections), और सुरक्षा प्रोटोकॉल (safety protocols) का पालन।

II तैयारी: आपातकालीन प्रतिक्रिया योजना (emergency response plans), स्थानीय समुदाय की प्रशिक्षण (community training), और उपकरणों की उपलब्धता (availability of equipment)।

III प्रतिक्रिया: त्वरित निकासी (prompt evacuation), दूषित क्षेत्रों को सील करना (sealing contaminated areas), और चिकित्सा सहायता प्रदान करना।

प्रश्न 28: भारत में रासायनिक आपदा के लिए कानूनी एवं संस्थागत ढाँचा क्या है?

उत्तर: भारत में रासायनिक आपदा के लिए कानूनी एवं संस्थागत ढाँचा (Legal and Institutional Framework for Chemical Disaster in India):

I कानून: भोपाल गैस त्रासदी के बाद, पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 (Environment (Protection) Act, 1986), और रासायनिक दुर्घटना नियम, 1996 (Chemical Accidents Rules, 1996)।

II संस्थान: राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA – National Disaster Management Authority), राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMAs – State Disaster Management Authorities), और जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMAs – District Disaster Management Authorities)।

III नीतियाँ: राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन नीति (National Disaster Management Policy) जो रासायनिक आपदाओं के प्रबंधन के लिए मार्गदर्शन प्रदान करती है।

प्रश्न 29: वन की आग लगने के कारण क्या हैं?

उत्तर: वन की आग लगने के कारण (Causes of Forest Fires):

I प्राकृतिक कारण: बिजली गिरना (lightning), ज्वालामुखी विस्फोट (volcanic eruptions), और सूखे की स्थिति (drought conditions)।

II मानवीय कारण: चूक (negligence) जैसे कि खुली आग, सिगरेट का ठीकरा, या जानबूझकर आग लगाना (arson)।

III अन्य कारण: मानव गतिविधियों से उत्पन्न चिंगारियाँ (sparks) जैसे कि रेलवे ट्रैक्स, कृषि कार्य, और निर्माण कार्य।

प्रश्न 30: वन की आग के प्रभाव क्या होते हैं?

उत्तर: वन की आग के प्रभाव (Effects of Forest Fires):

I पर्यावरणीय प्रभाव: जैव विविधता का नुकसान, मिट्टी का क्षरण (soil erosion), और वायु प्रदूषण की वृद्धि।

II आर्थिक प्रभाव: लकड़ी उद्योग (timber industry) को नुकसान, पर्यटन की कमी, और पुनर्वनीकरण (reforestation) की लागत।

III सामाजिक प्रभाव: स्वास्थ्य समस्याएं, स्थानीय समुदायों का विस्थापन (displacement), और मानसिक तनाव।

प्रश्न 31: रासायनिक आपदा के कारण क्या होते हैं?

उत्तर: रासायनिक आपदा के कारण (Causes of Chemical Disaster):

I औद्योगिक दुर्घटनाएँ: उपकरणों की विफलता (equipment failure), मानवीय त्रुटि (human error), या सुरक्षा प्रक्रियाओं की अवहेलना।

II परिवहन दुर्घटनाएँ: सड़क, रेल, या समुद्री मार्गों पर रसायनों के परिवहन के दौरान दुर्घटनाएं।

III भंडारण समस्याएँ: अपर्याप्त भंडारण सुविधाएँ (inadequate storage facilities), रिसाव (leaks), या अनुचित रासायनिक मिश्रण (improper chemical mixing)।

प्रश्न 32: रासायनिक आपदा के प्रभाव/परिणाम क्या होते हैं?

उत्तर: रासायनिक आपदा के प्रभाव/परिणाम (Effects of Chemical Disaster):

I स्वास्थ्य प्रभाव: तत्काल स्वास्थ्य समस्याएं जैसे श्वसन समस्याएं, उल्टी, और दीर्घकालिक समस्याएं जैसे कैंसर, फेफड़ों की बीमारी।

II पर्यावरणीय प्रभाव: जल प्रदूषण, मिट्टी प्रदूषण, और वन्यजीवों पर प्रभाव, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान होता है।

III आर्थिक और सामाजिक प्रभाव: आर्थिक नुकसान, संपत्ति की क्षति, स्थानीय अर्थव्यवस्था का पतन, और सामाजिक अशांति।

प्रश्न 33: परमाणु आपदा का अर्थ क्या है?

उत्तर: परमाणु आपदा (Nuclear Disaster):

I अर्थ: परमाणु आपदा वह स्थिति है जब परमाणु ऊर्जा संयंत्रों या रेडियोधर्मी सामग्रियों से रेडियोधर्मी पदार्थों का अनियंत्रित रिसाव होता है, जिससे मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण को बड़ा नुकसान पहुँचता है।

प्रश्न 34: परमाणु आपदा के कारण क्या होते हैं?

उत्तर: परमाणु आपदा के कारण (Causes of Nuclear Disaster):

I तकनीकी विफलता: रिएक्टर की विफलता, शीतलन प्रणालियों का टूटना (cooling system failure), या बिजली आपूर्ति की हानि (loss of power supply)।

II मानवीय त्रुटि: ऑपरेटर की गलती, प्रशिक्षण की कमी, या सुरक्षा नियमों का उल्लंघन।

III प्राकृतिक आपदाएँ: भूकंप, सुनामी, या बाढ़ जो परमाणु संयंत्रों को प्रभावित करते हैं।

प्रश्न 35: परमाणु आपदा के परिणाम/प्रभाव क्या होते हैं?

उत्तर: परमाणु आपदा के परिणाम/प्रभाव (Impacts/Effects of Nuclear Disaster):

I स्वास्थ्य प्रभाव: विकिरण जनित बीमारियाँ (radiation-induced diseases), कैंसर का खतरा, और तत्काल विकिरण जलन (radiation burns)।

II पर्यावरणीय प्रभाव: लंबे समय तक प्रदूषण, जैव विविधता का नुकसान, और रेडियोधर्मी पदार्थों का फैलाव।

III सामाजिक-आर्थिक प्रभाव: विस्थापन, आर्थिक नुकसान, भूमि का अप्रयोज्य होना, और सामाजिक भय (social fear)।

प्रश्न 36: परमाणु आपदा के उदाहरण कौन से हैं?

उत्तर: परमाणु आपदा के उदाहरण (Examples of Nuclear Disaster):

I चेर्नोबिल आपदा: 1986 में यूक्रेन में हुई, जो इतिहास की सबसे बड़ी परमाणु आपदाओं में से एक है।

II फुकुशिमा दाइची आपदा: 2011 में जापान में भूकंप और सुनामी से उत्पन्न।

III तीन माइल द्वीप आपदा: 1979 में संयुक्त राज्य अमेरिका में हुई आंशिक रिएक्टर पिघलने की घटना।

प्रश्न 37: परमाणु आपदा प्रबंधन कैसे किया जाता है?

उत्तर: परमाणु आपदा प्रबंधन (Management of Nuclear Disaster):

I रोकथाम: सख्त सुरक्षा मानकों का पालन, नियमित निरीक्षण, और संयंत्रों की डिजाइन में सुरक्षा उपायों का समावेश।

II तैयारी: आपातकालीन प्रतिक्रिया योजनाएँ, निकासी प्रक्रियाएँ, और स्थानीय समुदाय की शिक्षा।

III प्रतिक्रिया: जनता को आश्वस्त करना, रेडियोधर्मी पदार्थों के प्रसार को रोकना, और चिकित्सा सहायता।

प्रश्न 38: आपदा के दौरान क्या करें और क्या न करें?

उत्तर: आपदा के दौरान क्या करें और क्या न करें (Do’s and Don’ts During Disasters):

I बाढ़ के दौरान:

करें: ऊंचे स्थान पर जाएँ, पानी की गुणवत्ता की जाँच करें, आधिकारिक चेतावनियों का पालन करें।

न करें: बिजली से जुड़े उपकरणों का उपयोग न करें, बाढ़ के पानी में न चलें।

II सूखे के दौरान:

करें: जल संरक्षण, फसल पैटर्न में बदलाव, सूखा प्रतिरोधी पौधे लगाएं।

न करें: अनावश्यक जल का उपयोग न करें, जल स्रोतों को दूषित न करें।

III चक्रवात के दौरान:

करें: घर को मजबूत करें, आपातकालीन किट तैयार रखें, चेतावनी सुनें।

न करें: खुले में न रहें, कमजोर इमारतों में न रहें।

IV भूकंप के दौरान:

करें: डक, कवर, और होल्ड ऑन (Duck, Cover, and Hold On), सुरक्षित स्थानों पर जाएँ।

न करें: लिफ्ट का उपयोग न करें, खिड़कियों या भारी फर्नीचर के पास न रहें।

V भूस्खलन के दौरान:

करें: पहाड़ी क्षेत्रों से दूर रहें, निगरानी की जानकारी पर ध्यान दें।

न करें: ढलान वाले क्षेत्रों में निर्माण न करें, बारिश के बाद तुरंत इन क्षेत्रों में न जाएं।

VI सुनामी के दौरान:

करें: उच्च भूमि की ओर जाएँ, चेतावनी सिस्टम का पालन करें।

न करें: समुद्र तट की ओर न जाएं, वापस न आएं जब तक पूर्ण रूप से सुरक्षित न घोषित किया जाए।

प्रश्न 39: प्राकृतिक आपदाओं के प्रबंधन में चुनौतियाँ और सुझाव क्या हैं?

उत्तर: प्राकृतिक आपदाओं का प्रबंधन (Management of Natural Disasters):

I चुनौतियाँ:

– संसाधनों की कमी (Resource scarcity): आपदा प्रबंधन के लिए पर्याप्त धन, उपकरण, और मानव संसाधन।

– तकनीकी ज्ञान की कमी (Lack of technical knowledge): आपदाओं की भविष्यवाणी और प्रबंधन के लिए उन्नत तकनीकों का अभाव।

– समन्वय की कमी (Lack of coordination): विभिन्न एजेंसियों और सरकारी स्तरों के बीच संचार और सहयोग की समस्या।

– सामाजिक और आर्थिक कमजोरी (Social and economic vulnerability): विशेष रूप से गरीब समुदायों में आपदा के प्रभावों से निपटने की क्षमता की कमी।

II सुझाव:

– शिक्षा और जागरूकता (Education and awareness): समुदायों को आपदा प्रबंधन के बारे में शिक्षित करना।

– पूर्वानुमान और चेतावनी प्रणालियों का सुधार (Improvement of forecasting and warning systems): तकनीकी उन्नति के माध्यम से।

– स्थायी विकास (Sustainable development): पर्यावरण और समुदाय को आपदा-रोधी बनाना।

– आपदा तैयारी और प्रतिक्रिया के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग (National and international cooperation for disaster preparedness and response): संसाधन और ज्ञान साझा करना।

BA 3rd Semester Geography Important Question Answers

Environment, Disaster Management and Climate Change (पर्यावरण, आपदा प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन)

Unit 1: Environment, Ecology & Ecosystem

1.1 पर्यावरण (Environment)

1.1.1 पर्यावरण की अवधारणा (Concept of Environment)

1.1.2 पर्यावरण के घटक / आयाम (तत्व) (Components/Dimensions (Elements) of Environment)

1.1.3 पर्यावरण अध्ययन का क्षेत्र (Scope of Environment Studies)

1.1.4 पर्यावरण की संरचना / मंडल (Composition/Spheres of Environment)

1.1.5 पर्यावरण का महत्व (Importance of Environment)

1.2 पारिस्थितिकी (Ecology)

1.2.1 पारिस्थितिकी की अवधारणा (Concept of Ecology)

1.2.2 पारिस्थितिकी के घटक / शाखाएँ (Components/Branches of Ecology)

1.2.3 पारिस्थितिकी की भूमिका (Role of Ecology)

1.2.4 पारिस्थितिकी संबंधों के प्रकार (Types of Ecological Relationships)

1.2.5 पारिस्थितिकी में संगठन के स्तर (Levels of Organisation in Ecology)

1.2.6 पारिस्थितिकी पिरामिड (Ecological Pyramids)

1.3 पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem)

1.3.1 पारिस्थितिकी तंत्र की अवधारणा (Concept of an Ecosystem)

1.3.2 पारिस्थितिकी तंत्र के घटक / संरचना (Components/Structure of an Ecosystem)

1.3.3 अजैविक घटक (Abiotic Components)

1.3.4 जैविक घटक (Biotic Components)

1.3.5 पारिस्थितिकी तंत्र के कार्य (Functions of an Ecosystem)

1.3.6 पारिस्थितिकी तंत्र में ऊर्जा प्रवाह (Energy Flow in the Ecosystem)

1.3.7 पारिस्थितिकी तंत्र का संरक्षण एवं पुनर्स्थापन (Conservation and Restoration of Ecosystem)

1.4 पारिस्थितिकी तंत्र के प्रकार (Types of Ecosystem)

1.4.1 परिचय (Introduction)

1.4.2 वन पारिस्थितिकी तंत्र (Forest Ecosystem)

1.4.3 चरागाह पारिस्थितिकी तंत्र (Grassland Ecosystem)

1.4.4 मरुस्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र (Desert Ecosystem)

1.4.5 जलीय पारिस्थितिकी तंत्र (Aquatic Ecosystem)

1.4.6 जलीय पारिस्थितिकी तंत्र के प्रकार (Types of Aquatic Ecosystem)

1.5 पर्यावरण में भारतीय पारम्परिक ज्ञान (Indian Traditional Knowledge in Environment)

1.5.1 परिचय (Introduction)

1.5.2 भारतीय पर्यावरण कानून का इतिहास (History of Indian Environmental Law)

1.5.3 आद्य-ऐतिहासिक हड़प्पा संस्कृति (Proto-Historic Harappan Culture)

1.5.4 बौद्ध तथा जैन धर्म के सिद्धांत (Principles of Buddhism and Jainism)

1.5.5 अर्थशास्त्र एवं मौर्य साम्राज्य (Arthashastra and Mauryan Empire)

1.5.6 प्राचीन पवित्र वृक्षों की परम्परा (Ancient Sacred Groves Tradition)

1.6 आपदा प्रबन्धन में भारतीय पारम्परिक ज्ञान (Indian Traditional Knowledge in Disaster Management)

1.6.1 पारम्परिक भारतीय ज्ञान (Traditional Indian Knowledge)

1.6.2 पारम्परिक ज्ञान के रूप में संकेतक (Indicators as Traditional Knowledge)

1.6.3 आपदा प्रबन्धन हेतु पारम्परिक-प्रतिक्रियाशील दृष्टिकोण (Traditional-Responsive Approach for Disaster Management)

1.6.4 पारम्परिक ज्ञान के प्रतिक्रियाशील दृष्टिकोण के लिए निवारक उपाय (Preventive Measures for Responsive Approach in Traditional Knowledge)

Unit 2: Bio-Diversity & Sustainable Development

2.1 जैव विविधता (Bio-Diversity)

2.1.1 जैव विविधता का अर्थ एवं परिभाषाएँ (Meaning and Definitions of Bio-diversity)

2.1.2 जैव विविधता के स्तर (Levels of Bio-diversity)

2.1.3 जैव विविधता का महत्व (Importance of Bio-diversity)

2.1.4 भारत का जैव-भौगोलिक वर्गीकरण (Geographical Classification of India)

2.1.5 वैश्विक, राष्ट्रीय एवं स्थानीय स्तर पर जैव विविधता (Global, National, and Local Levels of Bio-diversity)

2.1.6 भारत एक मेगा-विविधता राष्ट्र के रूप में (India as a Mega-Diversity Nation)

2.1.7 भारत की लुप्तप्राय प्रजातियाँ (Endangered Species of India)

2.1.8 भारत की स्थानिक प्रजातियाँ (Endemic Species of India)

2.2 जैव विविधता एवं इसका संरक्षण (Bio-Diversity and its Conservation)

2.2.1 जैव विविधता संरक्षण की स्थानीय/इन सीटू विधि (In-situ Conservation Methods)

2.2.2 जैव विविधता संरक्षण की गैर-स्थानिक विधि/एक्स सीटू (Ex-situ Conservation Methods)

2.3 स्थिरता एवं सतत विकास (Sustainability and Sustainable Development)

2.3.1 स्थिरता की अवधारणा (Concept of Sustainability)

2.3.2 स्थिरता की आवश्यकता (Needs for Sustainability)

2.3.3 सतत विकास का अर्थ एवं परिभाषाएँ (Meaning and Definitions of Sustainable Development)

2.3.4 सतत विकास के सिद्धांत (Principles of Sustainable Development)

2.3.5 स्थिरता का संकेतक (Indicators of Sustainability)

2.3.6 अस्थिरता के कारण (Reasons for Unsustainability)

2.3.7 असतत से सतत विकास की ओर (From Unsustainability to Sustainable Development)

2.3.8 सतत विकास का महत्व (Importance of Sustainable Development)

Unit 3: Deforestation, Desertification & Pollution

3.1 वनोन्मूलन (Deforestation)

3.1.1 परिचय (Introduction)

3.1.2 वनोन्मूलन के कारण (Causes of Deforestation)

3.1.3 वनोन्मूलन के प्रभाव (Effects of Deforestation)

3.1.4 वनोन्मूलन नियंत्रण हेतु व्यक्तिगत प्रयास (Individual Efforts for Controlling Deforestation)

3.1.5 वनोन्मूलन का नियंत्रण – वनीकरण कार्यक्रम (Control of Deforestation – Afforestation Program)

3.2 मृदा अपरदन (Soil Erosion)

3.2.1 परिचय (Introduction)

3.2.2 मृदा अपरदन के प्रकार (Types of Soil Erosion)

3.2.3 मृदा अपरदन के कारण (Causes of Soil Erosion)

3.2.4 मृदा अपरदन का प्रभाव (Effects of Soil Erosion)

3.2.5 मृदा अपरदन की रोकथाम (Prevention of Soil Erosion)

3.3 मृदा क्षय (Soil Exhaustion)

3.3.1 परिचय (Introduction)

3.3.2 मृदा क्षय को रोकने के उपाय (Remedies of Soil Exhaustion)

3.4 मरुस्थलीकरण (Desertification)

3.4.1 परिचय (Introduction)

3.4.2 मरुस्थलीकरण के कारण (Causes of Desertification)

3.4.3 मरुस्थलीकरण के प्रभाव (Effects of Desertification)

3.4 मरुस्थलीकरण (Desertification)

3.4.1 परिचय (Introduction)

3.4.2 मरुस्थलीकरण के कारण (Causes of Desertification)

3.4.3 मरुस्थलीकरण के प्रभाव (Effects of Desertification)

3.4.4 मरुस्थलीकरण का समाधान / रोकथाम (Solutions/Prevention of Desertification)

3.5 प्रदूषण (Pollution)

3.5.1 प्रदूषण का अर्थ एवं परिभाषाएँ (Meaning and Definitions of Pollution)

3.5.2 प्रदूषण के प्रकार (Types of Pollution)

3.6 वायु प्रदूषण (Air Pollution)

3.6.1 परिचय (Introduction)

3.6.2 वायु प्रदूषक (Air Pollutants)

3.6.3 वायु प्रदूषण के कारण / सम्बंधित समस्याएँ (Causes/Related Problems of Air Pollution)

3.6.4 मानव स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के प्रभाव (Effects of Air Pollution on Human Health)

3.6.5 वायु प्रदूषण के लिए नियंत्रण उपाय एवं प्रबंधन (Control Measures and Management for Air Pollution)

3.7 जल प्रदूषण (Water Pollution)

3.7.1 परिचय (Introduction)

3.8 मृदा प्रदूषण (Soil Pollution)

3.8.1 परिचय (Introduction)

3.8.2 मृदा प्रदूषण से सम्बंधित समस्याएँ / कारण (Problems/Causes of Soil Pollution)

3.8.3 मृदा प्रदूषण के प्रभाव (Effects of Soil Pollution)

3.8.4 मृदा प्रदूषण के नियंत्रण के उपाय एवं प्रबंधन (Control Measures and Management of Soil Pollution)

3.9 ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (Solid Waste Management)

3.9.1 परिचय (Introduction)

3.9.2 ठोस अपशिष्ट के कारण (Causes of Solid Waste)

3.9.3 ठोस अपशिष्ट के प्रकार (Types of Solid Waste)

3.9.4 ठोस अपशिष्ट के प्रभाव (Effects of Solid Waste)

3.9.5 ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में शामिल चरण (Steps in Solid Waste Management)

3.9.6 ठोस अपशिष्ट का निपटान (Disposal of Solid Wastes)

Unit 4: Ganga Action Plan

4.1 गंगा कार्य योजना (Ganga Action Plan)

4.1.1 गंगा कार्य योजना I (Ganga Action Plan I)

4.1.2 गंगा कार्य योजना II (Ganga Action Plan II)

4.2 बाघ परियोजना (Tiger Project)

4.2.1 परिचय (Introduction)

4.2.2 भारत में बाघ परियोजना प्रारम्भ करने का लक्ष्य (Objective of Starting Tiger Project in India)

4.2.3 बाघों का परिचय (Introduction of Tigers)

4.2.4 भारत में बाघ परियोजना का इतिहास (History of Tiger Project in India)

4.2.5 बाघ परियोजना की सूची (List of Project Tiger)

4.2.6 टास्क फोर्स की अनुशंसाएँ (Recommendations of the Task Force)

4.2.7 बाघों की गणना (Tiger Census)

4.2.8 बाघ परियोजना द्वारा सृजित रोजगार (Employment Created by Tiger Project)

4.2.9 बाघ परियोजना के लिए सरकार के समक्ष चुनौतियाँ (Challenges Faced by the Government for the Tiger Project)

4.2.10 बाघ परियोजना प्रबंधन (Project Tiger’s Management)

4.2.11 बाघ परियोजना में कोर–क्षेत्र रणनीति (Core-Area Strategy in Project Tiger)

4.3 टिहरी बाँध (Tehri Dam)

4.3.1 परिचय (Introduction)

4.3.2 टिहरी बाँध का इतिहास (History of Tehri Dam)

4.3.3 टिहरी बाँध का तकनीकी लेआउट, समय–निर्धारण और उत्पादन प्रेषण (Technical Layout, Scheduling, and Production Dispatch of Tehri Dam)

4.3.4 स्थिति/स्थान (Location)

4.3.5 टिहरी बाँध पर साहसिक खेल (Adventure Sports at Tehri Dam)

4.3.6 टिहरी बाँध की समस्याएँ (Tehri Dam Issues)

4.3.7 नया टिहरी बाँध (New Tehri Dam)

4.4 नर्मदा घाटी परियोजना (Narmada Valley Project)

4.4.1 परिचय (Introduction)

4.4.2 नर्मदा नदी (Narmada River)

4.4.3 नर्मदा बचाओ आंदोलन (Narmada Bachao Andolan)

4.4.4 नर्मदा नदी घाटी परियोजना के लाभ (Benefits of Narmada Valley Project)

4.4.5 सिंचाई (Irrigation)

4.4.6 नर्मदा नदी परियोजना की हानि (Losses of Narmada Valley Project)

4.4.7 सामाजिक विचार (Social Considerations)

Unit 5: Science of Climate Change

5.1 जलवायु परिवर्तन की समझ (Understanding Climate Change)

5.1.1 परिचय (Introduction)

5.1.2 मौसम, जलवायु, जलवायु परिवर्तनशीलता एवं जलवायु परिवर्तन के मध्य अंतर (Difference between Weather, Climate, Climate Variability, and Climate Change)

5.1.3 जलवायु परिवर्तन के प्राकृतिक कारण (Natural Causes of Climate Change)

5.1.4 जलवायु परिवर्तन के मानवीय कारण (Human Causes of Climate Change)

5.1.5 जलवायु परिवर्तन के प्रभाव (Impact of Climate Change)

5.1.6 जलवायु परिवर्तन का समाधान (Solution to Climate Change)

5.2 हरितगृह प्रभाव (Greenhouse Effect)

5.2.1 परिचय (Introduction)

5.2.2 हरितगृह प्रभाव की प्रक्रिया (Process of Greenhouse Effect)

5.2.3 हरितगृह गैसें (जीएचजी) (Greenhouse Gases (GHG))

5.2.4 हरितगृह प्रभाव के कारण (Causes of the Greenhouse Effect)

5.2.5 हरितगृह गैसों के प्रभाव (Effects of Greenhouse Gases)

5.3 ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming)

5.3.1 परिचय (Introduction)

5.3.2 ग्लोबल वार्मिंग के कारण (Causes of Global Warming)

5.3.3 ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव (Effects of Global Warming)

5.3.4 ग्लोबल वार्मिंग के नियंत्रण के उपाय (Control Measures for Global Warming)

Unit 6: Global Climate Changes, Impacts and Assessment

6.1 वैश्विक जलवायु आकलन–आईपीसीसी (Global Climate Assessment – IPCC)

6.1.1 परिचय (Introduction)

6.1.2 आईपीसीसी की संरचना (Structure of IPCC)

6.1.3 आईपीसीसी समीक्षा प्रक्रिया कार्य (IPCC Review Process Working)

6.1.4 आईपीसीसी की आकलन रिपोर्टें (IPCC’s Assessment Reports)

6.1.5 पहली आकलन रिपोर्ट (एफएआर), 1990 (First Assessment Report (FAR), 1990)

6.1.6 दूसरी आकलन रिपोर्ट (एसएआर), 1995 (Second Assessment Report (SAR), 1995)

6.1.7 तीसरी आकलन रिपोर्ट (टीएआर), 2001 (Third Assessment Report (TAR), 2001)

6.1.8 चौथी आकलन रिपोर्ट (एफएआर), 2007 (Fourth Assessment Report (AR4), 2007)

6.1.9 पाँचवीं आकलन रिपोर्ट (एआर5), 2014 (Fifth Assessment Report (AR5), 2014)

6.1.10 छठी आकलन रिपोर्ट (एआर6), 2021 (Sixth Assessment Report (AR6), 2021)

6.2 भारतीय क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन का आंकलन (Assessment of Climate Change Over Indian Region)

6.2.1 परिचय (Introduction)

6.3 जलवायु परिवर्तन के प्रभाव (Impacts of Climate Change)

6.3.1 परिचय (Introduction)

6.3.2 जल (Water)

6.3.3 पौधे एवं वैश्विक फसल विकास पर प्रभाव (Impacts on Plants and Global Crop Development)

6.3.4 समाज पर प्रभाव (Impacts on Society)

6.3.5 मानव कल्याण एवं अर्थव्यवस्था (Human Welfare and the Economy)

6.3.6 मानव स्वास्थ्य (Human Health)

6.3.7 आधारभूत संरचना (Infrastructure)

6.4 जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपीसीसी) (National Action Plan on Climate Change (NAPCC))

6.4.1 परिचय (Introduction)

6.4.2 जलवायु परिवर्तन के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना के सिद्धांत (Principles of the National Action Plan for Climate Change)

6.4.3 राष्ट्रीय सौर मिशन (एनएसएम) (National Solar Mission (NSM))

6.4.4 राष्ट्रीय संबंधित ऊर्जा दक्षता मिशन (एनएमईईई) (National Mission for Enhanced Energy Efficiency (NMEEE))

6.4.5 सतत पर्यावास पर राष्ट्रीय मिशन (National Mission on Sustainable Habitat)

6.4.6 राष्ट्रीय जल मिशन (National Water Mission)

6.4.7 हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय मिशन (National Mission for Sustaining the Himalayan Ecosystem)

6.4.8 हरित भारत के लिए राष्ट्रीय मिशन (National Mission for a Green India)

6.4.9 सतत कृषि के लिए राष्ट्रीय मिशन (National Mission for Sustainable Agriculture)

6.4.10 जलवायु परिवर्तन के लिए रणनीतिक ज्ञान पर राष्ट्रीय मिशन (National Mission on Strategic Knowledge for Climate Change)

Unit 7: Disasters and Disaster Management

7.1 आपदाएँ (Disasters)

7.1.1 परिचय (Introduction)

7.1.2 आपदाओं के प्रकार (Types of Disasters)

7.2 जोखिम (Risk)

7.2.1 परिचय (Introduction)

7.2.2 जोखिम/आपदा जोखिम की विशेषताएँ (Characteristics of Risk)

7.2.3 जोखिम के आकलन के घटक (Components of Assessing Risk)

7.3 खतरा (Hazards)

7.3.1 परिचय (Introduction)

7.3.2 खतरे की विशेषताएँ (Characteristics of Hazard)

7.3.3 खतरों का वर्गीकरण (Classifications of Hazards)

7.3.4 एक खतरे की प्रतिक्रिया (Responses to a Hazard)

7.3.5 खतरों से निपटने के लिए उपलब्ध विधियाँ (Methods for Dealing with Hazards)

7.3.6 खतरों से निपटने के लिए उठाए गए कदम/चरण (Steps/Stages for Dealing with Hazards)

7.4 सुभेद्यता (Vulnerability)

7.4.1 परिचय (Introduction)

7.4.2 सुभेद्यता के लिए विचारणीय कारक (Factors Considered for Vulnerability)

7.5 आपदा प्रबंधन (Disaster Management)

7.5.1 परिचय (Introduction)

7.5.2 आपदा प्रबंधन की विशेषताएँ (Characteristics of Disaster Management)

7.5.3 आपदा प्रबंधन के उद्देश्य (Objectives of Disaster Management)

7.5.4 आपदा प्रबंधन चक्र (Disaster Management Cycle)

7.5.5 आपदा प्रबंधन का महत्व (Importance of Disaster Management)

7.6 आपदा तैयारी (Disaster Preparedness)

7.6.1 आपदा तैयारियों की अवधारणा (Concept of Disaster Preparedness)

7.6.2 आपदा तैयारी की प्रकृति (Nature of Disaster Preparedness)

7.6.3 आपदा तैयारी योजना (Disaster Preparedness Plan)

7.6.4 आपदा तैयारी का महत्व (Importance of Disaster Preparedness)

7.6.5 व्यक्तियों एवं आधारभूत संरचनाओं के लिए आपदा तैयारी – समुदाय आधारित आपदा तैयारी (सीबीडीपी) योजना (Community-Based Disaster Preparedness (CBDP) Plan)

7.6.6 सीबीडीपी योजना के घटक (Components of CBDP Plan)

7.7 आपदा शमन (Disaster Mitigation)

7.7.1 आपदा शमन की अवधारणा (Concept of Disaster Mitigation)

7.7.2 आपदा शमन की प्रकृति (Nature of Disaster Mitigation)

7.7.3 आपदा शमन के उद्देश्य (Objectives of Disaster Mitigation)

7.7.4 आपदा शमन रणनीतियाँ (Disaster Mitigation Strategies)

Unit 8: Natural Disasters

8.1 प्राकृतिक आपदा (Natural Disasters)

8.1.1 परिचय (Introduction)

8.2 बाढ़ (Flood)

8.2.1 बाढ़ का अर्थ (Meaning of Flood)

8.2.2 बाढ़ के प्रकार और उसके कारण (Types of Flood and its Causes)

8.2.3 बाढ़ के प्रभाव (Effects of Floods)

8.2.4 बाढ़ के लिए उपचारात्मक उपाय (Remedial Measures for Floods)

8.3 सूखा (Drought)

8.3.1 सूखा का अर्थ (Meaning of Drought)

8.3.2 सूखे के प्रकार (Types of Drought)

8.3.3 सूखा के प्रभाव (Effects of Drought)

8.3.4 सूखा प्रबंधन (Drought Management)

8.4 चक्रवात (Cyclones)

8.4.1 चक्रवात का अर्थ (Meaning of Cyclones)

8.4.2 चक्रवातों की विशेषताएँ (Characteristics of Cyclones)

8.4.3 चक्रवातों के प्रकार (Types of Cyclones)

8.4.4 समशीतोष्ण चक्रवात (Temperate Cyclones)

8.4.5 उष्णकटिबंधीय चक्रवात (Tropical Cyclones)

8.4.6 चक्रवात के कारण / चक्रवात कैसे होता है (Causes of Cyclones / How Cyclones Occur)

8.4.7 चक्रवात का प्रभाव / चक्रवात के परिणाम (Effects of Cyclones)

8.5 भूकंप (Earthquake)

8.5.1 भूकंप का अर्थ (Meaning of Earthquake)

8.5.2 भूकंप में प्रयुक्त शब्द (Terms Used in Earthquake)

8.5.3 भूकंप के कारण (Causes of Earthquake)

8.5.4 भूकंप के प्रभाव (Effects of Earthquakes)

8.6 सुनामी (Tsunami)

8.6.1 सुनामी का अर्थ (Meaning of Tsunami)

8.6.2 सुनामी के कारण (Causes of Tsunami)

8.6.3 सुनामी के प्रभाव (Effects of Tsunami)

8.6.4 सुनामी के नियंत्रण के उपाय (Control Measures for Tsunami)

8.7 भूस्खलन (Landslides)

8.7.1 भूस्खलन का अर्थ (Meaning of Landslides)

8.7.2 भूस्खलन के कारण (Causes of Landslides)

8.7.3 भूस्खलन के प्रभाव (Effects of Landslides)

8.7.4 भूस्खलन के लिए उपचारात्मक उपाय (Remedial Measures for Landslides)

8.8 ज्वालामुखी (Volcanoes)

8.8.1 ज्वालामुखी का अर्थ (Meaning of Volcanoes)

8.8.2 ज्वालामुखी की विभिन्न अवस्थाएँ (Different Stages of Volcanoes)

8.8.3 ज्वालामुखी के प्रकार (Types of Volcanoes)

8.8.4 ज्वालामुखियों का निर्माण (Formation of Volcanoes)

8.8.5 ज्वालामुखी के प्रभाव (Effects of Volcanism)

8.9 वन की आग (Forest Fires)

8.9.1 वन की आग का अर्थ (Meaning of Forest Fires)

8.9.2 वन की आग लगने के कारण (Causes of Forest Fires)

8.9.3 वन की आग के प्रभाव (Effects of Forest Fires)

8.9.4 वन की आग के उपचारात्मक उपाय (Remedial Measures of Forest Fire)

8.10 रासायनिक आपदा (Chemical Disaster)

8.10.1 परिचय (Introduction)

8.10.2 रासायनिक आपदा का अर्थ (Meaning of Chemical Disaster)

8.10.3 रासायनिक आपदा के कारण (Causes of Chemical Disaster)

8.10.4 रासायनिक आपदा के प्रभाव/परिणाम (Effects of Chemical Disaster)

8.10.5 भारत में रासायनिक आपदाओं के उदाहरण (Examples of Chemical Disasters in India)

8.10.6 रासायनिक आपदा का प्रबंधन (Management of Chemical Disaster)

8.10.7 भारत में रासायनिक आपदा के लिए कानूनी एवं संस्थागत ढाँचा (Legal and Institutional Framework for Chemical Disaster in India)

8.11 परमाणु आपदा (Nuclear Disaster)

8.11.1 परिचय (Introduction)

8.11.2 परमाणु आपदा का अर्थ (Meaning of Nuclear Disaster)

8.11.3 परमाणु आपदा के कारण (Causes of Nuclear Disaster)

8.11.4 परमाणु आपदा के परिणाम/प्रभाव (Impacts/Effects of Nuclear Disaster)

8.11.5 परमाणु आपदा के उदाहरण (Examples of Nuclear Disaster)

8.11.6 परमाणु आपदा प्रबंधन (Management of Nuclear Disaster)

8.12 आपदा के दौरान क्या करें और क्या न करें (Do’s and Don’ts During Disasters)

8.12.1 बाढ़ के दौरान क्या करें और क्या न करें (Do’s and Don’ts during Flood)

8.12.2 सूखे के दौरान क्या करें और क्या न करें (Do’s and Don’ts during Drought)

8.12.3 चक्रवात के दौरान क्या करें और क्या न करें (Do’s and Don’ts during Cyclone)

8.12.4 भूकंप के दौरान क्या करें और क्या न करें (Do’s and Don’ts during Earthquake)

8.12.5 भूस्खलन के दौरान क्या करें और क्या न करें (Do’s and Don’ts during Landslide)

8.12.6 सुनामी के दौरान क्या करें और क्या न करें (Do’s and Don’ts during Tsunami)

thanks!

Share this:

  • Click to share on Facebook (Opens in new window) Facebook
  • Click to share on X (Opens in new window) X
  • More
  • Click to share on WhatsApp (Opens in new window) WhatsApp
  • Click to share on Telegram (Opens in new window) Telegram
  • Click to print (Opens in new window) Print
  • Click to email a link to a friend (Opens in new window) Email

Reader Interactions

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Sidebar

लेटेस्ट अपडेट पायें

Telegram Telegram Channel Join Now
Facebook FaceBook Page Follow Us
YouTube Youtube Channel Subscribe
WhatsApp WhatsApp Channel Join Now

Search

Recent Posts

  • MSU Baroda Study Materials Free Download
  • Bhavnagar University Study Materials Free Download
  • Kachchh University Study Materials Free Download
  • BMTU Study Materials Free Download
  • SGGU Study Materials Free Download

Subscribe to Blog via Email

Enter your email address to subscribe to this blog and receive notifications of new posts by email.

Join 1,622 other subscribers

Categories

  • 10th model paper (3)
  • bed books (3)
  • Bihar Board Model Paper (7)
  • Bihar Jobs (1)
  • cg board model paper (1)
  • DELED Books (1)
  • English Posts (1)
  • Essay (1)
  • Exam Prep (9)
  • G.K quiz in hindi (7)
  • General Knowledge in hindi (सामान्य ज्ञान) (24)
  • gk 2018 in hindi (12)
  • GK 2020 (2)
  • GK HINDI 2019 (9)
  • gk pdf download (16)
  • High school science notes in Hindi (3)
  • IERT (3)
  • MODEL PAPER (30)
  • Motivational quotes in hindi (1)
  • mp board model paper (4)
  • My Thoughts (Thoughts by Sachin Yadav) (1)
  • Navy (2)
  • NCERT Books in hindi free download (1)
  • Police (2)
  • Polytechnic (6)
  • Pratiyogita Darpan 2019 (2)
  • RBSE Model Papers (2)
  • School Books (1)
  • SSC GENERAL KNOWLEDGE (7)
  • StudyTrac (72)
  • Uncategorized (55)
  • University Books (107)
  • University Question Papers (153)
  • University Study Materials (89)
  • University Syllabus (143)
  • UP Board Books (5)
  • up board model paper (10)
  • Up board model papers (16)
  • UPSC Notes (3)
  • Uttar Pradesh Jobs (2)
  • रेलवे (7)
  • सामान्य हिन्दी (3)

Recent Comments

  • admin on HP University BCom Books PDF
  • Nandini on HP University BCom Books PDF
  • admin on M.Sc Books & Notes For All Semesters in PDF – 1st, 2nd Year
  • admin on BAOU BSW Books PDF
  • admin on BA 2nd Year Hindi Literature Books PDF

Footer

University Books

University Study Materials (Books and Notes) in PDF Format in Hindi and English languages.

Click here to download.

University Question Papers

University Question Papers in PDF Format for all Courses.

Click here to download.

University Syllabus

Universities Syllabus in PDF Format in the English and Hindi languages for all courses.

Click here to download.

Copyright © 2025 ·GKPAD by S.K Yadav | Disclaimer